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के के पाठक को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, पटना हाईकोर्ट द्वारा जारी जमानती वारंट पर लगायी अंतरिम रोक


दिल्ली/पटना: सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दिया है,जिसमें राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के खिलाफ कोर्ट में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया गया था. 

पूर्व की सुनवाई में जस्टिस पीवी बजंत्री की खंडपीठ ने एक अवमानना के सिलसिले में के के पाठक के विरुद्ध जमानतीय वारंट जारी किया था.कोर्ट ने के के पाठक को 13 जुलाई,2023 को निश्चित रूप से कोर्ट में स्वयं उपस्थित होने का आदेश दिया था, लेकिन किसी कारणवश के के पाठक स्वयं उपस्थित नहीं होकर,अपने वकील के जरिए हाजिर हुए थे. 

कोर्ट ने इसे आदेश की अवमानना करार देते हुए उनकी हाजिरी को सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया।

पटना हाईकोर्ट ने जारी किया था जमानती वारंट: अपर मुख्य शिक्षा सचिव की ओर से कोर्ट के समक्ष उपस्थित अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया था कि केके पाठक ने जून, 2023 में अपने पद पर योगदान दिया था. नालंदा के एक टीचर घनश्याम प्रसाद सिंह को हेडमास्टर के पद पर प्रोन्नत का आदेश जारी किया गया था. उन्होंने बताया कि अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने नालंदा के जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिख कर आदेश का पालन किये जाने का निर्देश दिया.

HC में 20 जुलाई को सुनवाई: 

नालंदा के जिला शिक्षा 

पदाधिकारी ने आदेश का पालन कर विभाग को सूचित किया. उस शिक्षक ने भी आदेश के अनुपालन होने को स्वीकार किया. पटना उच्च न्यायालय द्वारा केके पाठक के विरुद्ध जारी जमानती वारंट को एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी. इस पर सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये अंतरिम रोक लगाते हुए उन्हें राहत दी. इस मामले पर पटना हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 20 जुलाई, 2023 को होगी.

कुछ खास: राजा अबुम्बी द्वितीय,जिनकी हैं 100 रानियां आइये जानते हैं,आज भी इस परम्परा को ढोने वाले ये किस देश की राजा हैं...?


नई दिल्ली ( दिल्ली डेस्क):- बाफुत के 11वें फॉन या राजा अबुम्बी द्वितीय की 100 रानियां हैं. उन्‍होंने इन सभी से शादी नहीं की है. स्थानीय परंपरा के अनुसार जब एक फॉन की मृत्यु हो जाती है, तो उसके उत्तराधिकारी को उसकी सभी पत्नियां विरासत में मिलती हैं.

फिर वह अपनी रानियों से शादी करता है. बाफुत के प्रिंस निक्शन के मुताबिक, रानियों की साम्राज्‍य में बहुत बड़ी भूमिका होती है. 

उन्होंने कहा कि पुरुष को राजसी भूमिका में आकार देना इन सभी महिलाओं पर निर्भर करता है. अबुम्बी की तीसरी पत्‍नी क्‍वीन कॉन्स्टेंस कहती हैं कि हर सफल आदमी के पीछे एक बेहद सफल और कट्टर महिला का हाथ होता है.

क्‍वीन कॉन्‍स्‍टेंस के मुताबिक, हमारी परंपरा है कि जब आप राजा होते हैं, तो बुजुर्ग पत्नियां छोटी पत्नियों को स्‍थानीय रीति-रिवाज सौंपती हैं. साथ ही बुजुर्ग रानियां राजा बनने वाले राजकुमार को भी अपनी परंपराओं की शिक्षा देती हैं.

 बता दें कि कैमरून में बहु विवाह कानूनी तौर पर मान्‍य है. इसके बाद भी आंकड़े बताते हैं कि अफ्रीकी महाद्वीप में बहुत कम लोग ही बहु विवाह करते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. सबसे पहले तो बदलते मूल्य, ईसाई धर्म के प्रसार, पश्चिमी जीवन शैली को लेकर बढ़ते आकर्षण के कारण लोग बहु विवाह से दूर रहते हैं. 

वहीं, बड़े परिवार रखने की बढ़ती लागत ने भी बहुविवाह की प्रथा को चुनौती दी है.

परंपरा और आधुनिकता के बीच फंसा जीवन

कैमरून के पारंपरिक शासकों को बदलती सोच और पुरानी परंपराओं की दो विरोधी संस्‍कृतियों के बीच अपना जीवन जीना पड़ता है. बाफुत पर शासन करने वाले अबुम्‍बी द्वितीय ने स्‍वीकार किया कि उपनिवेशवाद के दौरान शासन के अन्य मूल्य आए, जो हमारे पारंपरिक मूल्यों से काफी अलग थे. इसलिए पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक पश्चिमी मूल्यों के बीच लगातार संघर्ष होता रहा है. बता दें कि बाफुत 47 साल से क्षेत्र में सबसे बड़ा साम्राज्‍य है. अबुम्‍बी द्वितीय कहते हैं कि मेरी भूमिका सभी मूल्‍यों को मिलाकर आगे बढ़ने का रास्ता खोजने की है, ताकि प्रजा अपनी संस्कृति को नष्ट किए बिना विकास और आधुनिकता का एकसाथ आनंद ले सके.

राजा अबुम्‍बी द्वितीय ने खुद भी 28 शादियां की हैं. उनके कुल 500 बच्‍चे हैं.

बहुविवाह की आलोचना सही है या गलत

अबुम्‍बी द्वितीय का मानना है कि संस्कृति के बिना इंसान मनुष्य नहीं, पशु जैसा हो जाता है. इसलिए हम अपनी प्रजा को संस्कृति की सुरक्षा की गारंटी देते हैं. पश्चिमी देशों में बहुविवाह की हमेशा आलोचना की जाती है. फिर भी कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इसे मूल्यवान परंपरा मानते हैं. फॉन अबुम्बी द्वितीय से मिलने वाले कुछ लोगों का कहना है कि इस परंपरा में जो दिखता है, उससे कहीं ज्‍यादा है. उनके मुताबिक, हम राजाओं की जीवनशैली का आकलन करने में जल्दबाजी कर सकते हैं. लेकिन, ये ठीक वैसा ही है, जैसे यूनाइटेड किंगडम तथा अफ्रीकी राज्य के राजा एक समृद्ध संस्कृति और इतिहास से बंधे हैं.

विरासत में मिलीं पत्नियां हैं नैतिक दायित्‍व

बाफुत की प्रथा के मुताबिक, नए राजा को अपने पिता से विरासत में मिली सभी पत्नियां उसके लिए नैतिक दायित्व से ज्‍यादा कुछ नहीं हैं. ऐसे ही कई राजपरिवार बहुत सफल भी हैं. कैमरून के सबसे युवा पारंपरिक शासकों में से एक बाबुंगो के फॉन एनडोफुआ जोफिया द्वितीय की रानियां शासन में राजा की काफी मदद करती हैं. उनकी सभी युवा पत्नियां फ्रेंच भाषी क्षेत्र में धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलती थीं. वे सभी शानदार मार्केटर्स थीं. ये सभी रानियां परंपरा के कारण जोफिया द्वितीय के साथ थीं. यह साफ दिखने वाला विरोधाभास ही है, जो प्रेम में जीवन को आकर्षक और भ्रमित करने वाला बनाता है.

क्‍या अतीत और वर्तमान के बीच फंसे हैं राजा

अब सवाल उठता है कि क्‍या ऐसे राजपरिवार अतीत में फंसे हुए हैं या वर्तमान के साथ तालमेल बैठा रहे हैं? फॉन जोफोआ तृतीय को नहीं लगता कि किसी भी राजा को इन दोनों में से कुछ भी चुनना होगा. पिता की मृत्यु के बाद भले ही उन्‍हें 72 पत्नियां और 500 से ज्‍यादा बच्चे विरासत में मिले हों, लेकिन वह खुद को एक आधुनिक राजा मानते हैं. वह कहते हैं कि मौजूदा दौर में किसी भी शासक को राज्य चलाने के लिए शिक्षित होना चाहिए. आजकल चीजें बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं. वह कहते हैं कि शिक्षा प्रकाश है और अज्ञानता अंधेरा है.राजा अबुम्‍बी द्वितीय ने 1968 में पिता के निधन के बाद गद्दी संभाल ली थी.

अबुम्‍बी द्वितीय खुद भी कर चुके 28 शादियां

राजा अबुम्‍बी द्वितीय ने 1968 में पिता के निधन के बाद गद्दी संभाल ली थी. अबुम्‍बी द्वितीय पिता की मौत होने के बाद कैमरून में बाफुत के राजा बने. अबुम्बी द्वितीय को अपने स्वर्गीय पिता से 72 रानियां और उनके बच्चे विरासत में मिले थे. इसके बाद उन्‍होंने खुद भी 28 शादियां की हैं. बता दें कि अफ्रीकन देश कैमरून में एक से अधिक महिलाओं से शादी करने यानी कि बहुविवाह का रिवाज है. कोई भी व्यक्ति कितनी भी शादी कर सकता है, जिसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं है.

भारत के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की , जानें कुछ अनसुने किस्से


(दिल्ली डेस्क)

नई दिल्ली : सदी के महान अभिनेता और भारत के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अभिनेता राजेश खन्ना बाॅलीवुड में 'काका' के नाम से लोकप्रिय थे।

इन्होंने 1969 से 1971 के बीच अपने स्वर्णिम काल के दौरान लगातार 15 से भी ज्यादा हिट फिल्में दी। अपने पूरे करियर के दौरान इस सुपरस्टार ने जमकर लोकप्रियता हासिल की। 18 जुलाई 2012 को 69 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। 

काका ने अपने प्रशंसकों को कई सारी सुपरहिट फिल्में दी। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आज हम अभिनेता राजेश खन्ना से जुड़े कुछ रोचक किस्से साझा कर रहे हैं।

15 सुपरहिट फिल्में देने वाले इंडस्ट्रीज के पहले अभिनेता

सबसे पहले हम बात कर रहे हैं वर्ष 1967 की, जहां से राजेश खन्ना ने अपना फिल्मी करियर शुरू किया। वर्ष 1968 से 1972 तक राजेश खन्ना फिल्म इंडस्ट्रीज में सबसे ज्यादा पीक पर थे। इन 4 वर्षों में इन्होंने 15 लगातार सुपरहिट फिल्में दी। हिंदी सिनेमा के वे पहले अभिनेता थे, जिनको इतनी बड़ी सफलता मिली। आराधना, कटी पतंग, दो रास्ते, मर्यादा, महबूब की मेहंदी, रोटी, अमर प्रेम, सच्चा झूठा, खामोशी, आन मिलो सजना, दुश्मन और हाथी मेरे साथी ऐसी फिल्में रही, जिनके बल पर राजेश खन्ना ने बॉलीवुड में अपना एक मजबूत मुकाम हासिल किया था। 70 के दशक में राजेश खन्ना के प्रति दीवानगी का आलम यह था कि उनके बंगले 'आशीर्वाद' के बाहर हर रोज प्रशंसकों की भीड़ लगी रहती थी।

डिंपल कपाड़िया से करते थे प्रेम

ऐसा कहा जाता है कि एक्टर राजेश खन्ना जिस स्टूडियो में सूट करते थे, उसके बारह लड़कियों की भीड़ लग जाती थी। लड़कियां उनकी पर्सनैलिटी की दीवानी थीं, लेकिन राजेश खुद से 16 साल छोटी एक्ट्रेस डिंपल कपाड़िया से प्रेम करते थे। साल 1973 में उन्होंने डिंपल कपाड़िया से शादी की। जब शादी हुई तो राजेश 32 साल के थे, जबकि डिंपल मात्र 16 साल की थीं। शादी के बाद ट्विंकल खन्ना का जन्म हुआ और कुछ सालों बाद रिंकी खन्ना का जन्म हुआ। राजेश और डिंपल की शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। शादी के 11 साल के बाद यानि 1984 में दोनों अलग हो गए।

जीवन के आखिरी दौर में साथ रहीं डिंपल

राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया अलग तो हुए, लेकिन उन्होंने कभी तलाक नहीं लिया। राजेश खन्ना के आखिरी दिनों में डिंपल उनके साथ रहीं। दोनों के अलग होने की वजह थी कि राजेश खन्ना का नाम शादी से पहले अंजू महेंद्रू और टीना मुनीम जैसी एक्ट्रेस के साथ जुड़ा था। शादी के बाद भी उनका नाम कई एक्ट्रेस के साथ जुड़ा। शायद यही वजह थी कि राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया अलग हो गए।

टीना मुनीम से भी हो गया था प्यार

डिंपल के साथ राजेश की शादी होने के बाद राजेश को टीना मुनीम से भी प्यार हो गया था। राजेश टीना मुनीम से 15 साल बड़े थे, लेकिन फिर भी उनके प्यार में पड़ गए। यह वाे समय था, जब उनके और डिंपल के बीच दरार आना शुरू हो गया था। उस समय डिंपल कपाड़िया को टीना मुनीम और राजेश खन्ना के प्रेम प्रसंग के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

डिंपल ने छोड़ा राजेश का घर

राजेश और टीना के अफेयर के बारे में जब डिंपल को पता चला, तो वे अपनी दोनों बेटियों के साथ राजेश खन्ना का घर छोड़कर चली गईं। यह भी कहा जाता है कि डिंपल के घर छोड़कर जाने के बाद राजेश खन्ना उसी घर में टीना के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे थे।अपने विशिष्ट व्यवहार के लिए जाने-जाने वाले राजेश खन्ना का बचपन का नाम जतिन खन्ना था। उन्होंने 160 से अधिक फीचर फिल्मों और 17 लघु फिल्मों में अभिनय किया। राजेश खन्ना की पुण्यतिथि पर हम उनके बारे में 10 रोचक तथ्य लेकर आए हैं।

अभिनेता राजेंद्र कुमार ने अपना बंगला 'डिंपल' राजेश खन्ना को बेच दिया था । यह घर राजेंद्र के लिए अशुभ साबित हुआ था, लेकिन राजेश ने इसका नाम आशीर्वाद रख दिया और वहां रहते हुए लगातार 15 हिट फिल्में दीं। कुछ समय बाद उन्होंने डिंपल से शादी भी कर ली। 

अपने जीवन के शुरुआती दौर में एक अभिनेता के रूप में भी राजेश खन्ना एमजी स्पोर्ट्स कार चलाते थे। 

राजेश खन्ना को ज्योतिष शास्त्र में रुचि थी। कभी-कभी वे घंटों राशिफल पर चर्चा करते थे। 

अभिनेता राजेश खन्ना ने अपने नाती आरव की कुंडली का अध्ययन किया और भविष्यवाणी की थी कि वह बॉलीवुड का सुपरस्टार बनेगा।

राजेश खन्ना एक बेहतरीन रसोइया भी थे। उनके दोस्तों को उनके घर की बनी दाल बहुत पसंद आती थी।

इंडस्ट्री में राजेश खन्ना के सबसे अच्छे दोस्त किशोर कुमार और आरडी बर्मन थे। 

राजेश खन्ना और मुमताज ने कभी एक साथ फ्लॉप फिल्म नहीं की। 

हेमा मालिनी और राजेश खन्ना सबसे ज्यादा फिल्मों (15) में एक साथ नजर आए। 

राजेश खन्ना की 'आखिरी खत' ऑस्कर के लिए भेजा गया था, लेकिन अंतिम पांच में जगह नहीं बना पाई। 

राजेश खन्ना अपने दामाद अक्षय कुमार से बहुत प्यार करते थे और उन्हें बडी कहकर बुलाते थे।

खान -पान: पपीता खाने के बाद क्या खाने से हो सकता है आप के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, जानने के लिए पढिये पूरी खबर....!

(दिल्ली डेस्क)

आर्युवेद के अनुसार कई ऐसे खाद्य पदार्थ, फल एवं सब्जियां है जिसे विपरीत आहार बताया जाता है.लोग जाने अनजाने में ऐसे विपरीत आहार का प्रयोग करते हैं कई तरह के शारीरिक परेशानियों से गुजरते हैं. कभी कभी तो लोग जीवन से भी हाथ धो बैठते हैं .आइये स्ट्रीटबज़्ज़ खान पान टिप्स में ऐसे विपरीत आहार और परस्पर उनकी प्रतिक्रिया की जानकारी इस लेख श्रृंखला में आप को देते हैं,इसी लिए आप हमारे साथ बने रहें.....।

इस अंक का विषय है :- पपीता!पपीता  पका हुआ हो या फिर कच्चा, पेट की सेहत के लिए यह एक बेस्ट फल माना गया है। सालों भर मार्केट में मिलने वाले पपीते के कई सेहत लाभ होते हैं। पके हुए पपीते को आप काटकर खाएं या फिर कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाएं, हर तरह से यह सेहत को लाभ पहुंचाता है। त्वचा और बालों के लिए भी पपीता काफी हेल्दी होता है। हालांकि, पपीता के इतने फायदे होते हैं, लेकिन कुछ चीजों का सेवन पपीता के साथ या पपीता खाने के बाद कभी नहीं खाना चाहिए। आइए जानते हैं कौन-कौन से हैं वे फूड्स जिनका सेवन पपीता खाने के तुरंत बाद करने से बचना चाहिए।

पहले जानें पपीते में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में

पपीता में बीटा कैरोटीन, फोलेट, मिनरल्स, विटामिन्स जैसे विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन, कैल्शियम प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ये सभी बेहद जरूरी होते हैं। पपीता में लाइकोपीन भी होता है, जो कई समस्याओं से बचा सकता है। पपीता खाने से आप कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के होने की संभावनाओं को कम कर सकते हैं।

किन फूड्स के साथ ना खाएं पपीता

1 यदि आप पपीता खाएं हैं, तो तुरंत ही दही खाने से बचना चाहिए। आधा-एक घंटा रुककर ही दही खाएं। पपीता तासीर में गर्म होता है और दही की तासीर ठंडी होती है। दोनों की तासीर अलग होने के कारण आपको फायदे की बजाय नुकसान पहुंच सकता है।

2:- पपीता को काटकर खाते हैं, तो उस पर नींबू का रस ना डालें। पपीता खाने के बाद नींबू का सेवन करने से बचें। आपके एनीमिया से ग्रस्त होने की संभावना बढ़ सकती है।

3 पपीता खाने के बाद खट्टे फलों जैसे नींबू, संतरा, मौसमी, कीवी, टमाटर खाने से भी परहेज करना चाहिए। इससे आपकी सेहत बिगड़ सकती है।

भाजपा के तीनों राज्यसभा उम्मीदवार निर्विरोध घोषित, 20 जुलाई को दिल्ली में होगा शपथ समारोह

गांधीनगर: गुजरात राज्य की तीन राज्यसभा सीट के लिए 24 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए सोमवार को बीजेपी के तीनों उम्मीदवार निर्विरोध घोषित कर दिए गए. कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा, क्योंकि उनके पास पर्याप्त विधायक नहीं थे. बीजेपी के तीनों सांसद विदेश मंत्री एस जयशंकर, बाबूभाई देसाई और केशरी देव सिंह झाला दिल्ली में 20 जुलाई से शुरू होने वाले सत्र में शपथ लेंगे.सोमवार को फॉर्म वापस लेने का आखिरी दिन था. बीजेपी से रजनी पटेल, रघु हुंबल और प्रेरक शाह ने डमी कैंडिडेट के तौर पर फॉर्म भरा था. डमी कैंडिडेट का फॉर्म वापस लिया गया. इसके अलावा, अहमदाबाद के 2 नागरिकों ने पूर्व सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए नामांकन किया था. 

चूंकि सोमवार को फॉर्म वापस लेने का आखिरी दिन था, इसलिए डमी उम्मीदवारों ने फॉर्म वापस ले लिया और फॉर्म के सत्यापन में निर्दलीय उम्मीदवारों को 10 विधायकों का समर्थन नहीं मिलने के कारण दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों के फॉर्म रद्द कर दिए गए.इसलिए अब राज्य चुनाव आयोग की ओर से सभी उम्मीदवारों को गैर-प्रतियोगी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अब राज्य चुनाव आयोग केंद्रीय चुनाव आयोग को सूचित करेगा. केंद्रीय चुनाव आयोग आधिकारिक तौर पर तीन उम्मीदवारों को निर्विरोध घोषित कर देगा.

बीती 11 जुलाई को बीजेपी की ओर से सिर्फ विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी उम्मीदवारी दाखिल की. बाकी दो नामों पर लगातार चर्चा हो रही थी. इस पर बीजेपी ने पूर्व बीजेपी विधायक बाबूभाई देसाई और वांकानेर राजवी केशरीदेव सिंह झाला को चुना. अगले महीने अगस्त में विदेश मंत्री एस जयशंकर, जुगलजी ठाकोर और दिनेश अनावाडिया अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं.बाबूभाई देसाई और केशरीदेव सिंह झाला को बीजेपी ने दो राज्यसभा उम्मीदवारों के रूप में चुना है. बाबूभाई देसाई बीजेपी से कांकेरेज से विधायक चुने गए. वे उत्तर गुजरात के रहने वाले हैं. इसके अलावा बाबूभाई देसाई को रबारी समाज का भामाशाह भी कहा जाता है. 

वहीं दूसरी ओर वांकानेर के राजपरिवार के केसरीदेव सिंह झाला को राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में चुना गया है. वे सौराष्ट्र क्षेत्र से आते हैं और ऐसे में बीजेपी पार्टी ने राज्यसभा में सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात को प्राथमिकता दी है.

2024 के लोकसभा चुनाव: आज विपक्ष की 26 पार्टियों मुकाबला के लिए NDA के 38 दल दिल्ली में जुट रहें हैं,बन रही रणनीति

नई दिल्ली:विपक्षी दल भाजपा के रथ का मुकाबला करने के लिए अपने मतभेदों को भुलाकर एकजुट हो रहे हैं. कांग्रेस से दूरी बनाकर रहने वाली आप (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल भी विपक्षी खेमे में शामिल हो गए. क्षेत्रीय दल जो राज्य स्तर पर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर बिखरे हैं, अब भाजपा या विपक्ष की ओर रूख कर रहे हैं. 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घोषणा की कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के 38 सहयोगी आज राष्ट्रीय राजधानी में होने वाली बैठक में शामिल होंगी.

राष्ट्रीय राजधानी में एनडीए की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होगी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 9 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है. 

नई दिल्ली में एनडीए की बैठक की पूर्व संध्या पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद गठबंधन में शामिल हो गए. नड्डा ने ट्वीट किया, 'दिल्ली में चिराग पासवान से मुलाकात हुई. उन्होंने माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया है. मैं एनडीए परिवार में उनका स्वागत करता हूं.'

मीडिया से बातचीत में बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अब 38 पार्टियां हैं. आज एनडीए राष्ट्रीय राजधानी में बैठक करेगा, वहीं आज के दिन ही विपक्षी दल बेंगलुरु में अपना मुख्य सम्मेलन आयोजित करेंगे. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अलावा, एनडीए बैठक में शामिल होने वाली पार्टियों में एआईएडीएमके, शिवसेना (एकनाथ शिंदे ग्रुप), एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी, मेघालय), एनडीपी (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी), एसकेएम (सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा) के शामिल होने की उम्मीद है.

साथ ही जेजेपी (जननायक जनता पार्टी), एजेएसयू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन), आरपीआई (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया), एमएनएफ (मिजो नेशनल फ्रंट), टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस), आईपीएफटी (इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा), बीपीपी (बोडो) पीपुल्स पार्टी), पीएमके (पट्टाली मक्कल काची), एमजीपी (महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी), अपना दल, एजीपी (असम गण परिषद), राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी, निषाद पार्टी, यूपीपीपीएल (यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल, असम), एआईआरएनसी (अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस, पुडुचेरी), शिरोमणि अकाली दल ( संयुक्त, दढियाल), जनसेना (पवन कल्याण), एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, अजीत पवार), लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान), एचएएम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा), आरएलएसपी (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी), वीआईपी (विकासशील इंसान) पार्टी, मुकेश सहनी) और एसबीएसएपी (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, ओम प्रकाश राजभर) के भी बैठक में शामिल होने की संभावना है। 

विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एक साथ आने की कोशिश कर रहे हैं. विपक्षी दलों ने पिछले महीने पटना में एक बैठक की थी और एकता के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दो दिवसीय बैठक के लिए बेंगलुरु में एक साथ आए हैं. संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले एनडीए और विपक्षी दलों की बैठकें हो रही हैं. कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि एनडीए की बैठक राष्ट्रीय आपदा गठबंधन होगी. विपक्ष की बैठक पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने के उद्देश्य से एकजुट होने की कोशिश कर रहे विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया और कहा कि वे भ्रष्ट दलों का जमावड़ा हैं जिनमें दृढ़ संकल्प की कमी है.

भारत खरीदेगा 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के 'मेड-इन-इंडिया' ड्रोन, सीमा करेंगे निगरानी


नई दिल्ली : भारतीय सेना के लिए जल्द ही 97 'मेड-इन-इंडिया' ड्रोन खरीदे जाएंगे। एएनआई के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने सोमवार को कहा कि चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर निगरानी के लिए जल्द ही 'मेक-इन-इंडिया' प्रोजेक्ट के तहत 97 बेहद क्षमतावान ड्रोन खरीदे जाएंगे। इनकी कीमत 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है। ये फैसला अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के फैसले के बाद लिया गया है। सेनाओं द्वारा संयुक्त रुप से किये गये स्टडी के बाद फैसला किया गया कि जमीन और समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए सुरक्षा बलों को मध्य ऊंचाई तक की निगरानी जरुरतों के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

वायुसेना को मिलेगी मदद

सरकारी सूत्रों के अनुसार इनकी खरीद से मुख्य रुप से भारतीय वायु सेना को मदद होगी क्योंकि ये मानव रहित ड्रोन लगातार 30 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम होंगे। इनमें से ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल भी वायु सेना द्वारा ही किया जाएगा। ये ड्रोन (UAV) उन 46 से अधिक हेरोन यूएवी के अतिरिक्त होंगे, जिन्हें तीनों सेनाओं ने कुछ वर्षों पहले हासिल किया है।

अपग्रेड होंगे ड्रोन

जो ड्रोन पहले से ही सेवा में हैं, उन्हें 'मेक-इन-इंडिया' के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा अपग्रेड किया जा रहा है। इसमें मूल उपकरण निर्माताओं के साथ साझेदारी होगी और 60 प्रतिशत से अधिक भारतीय सामग्री का उपयोग किया जाएगा। वैसे भारत ने हाल ही में अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन हासिल करने का फैसला किया है, जो हाई एल्टीट्यूड और लॉन्ग एंड्योरेंस श्रेणी के उन्नत ड्रोन हैं। इनका उपयोग भारत के विशाल सीमाओं की निगरानी के लिए किया जाएगा।

पीएम मोदी का विपक्ष की बैठक पर तंज- 'ना खाता ना बही, जो परिवार कहे वही सही


नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पोर्ट ब्लेयर में वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि अभी तक मौजूदा टर्मिनल की क्षमता हर रोज 4,000 पर्यटकों को सेवा देने की थी, नया टर्मिनल बनने के बाद इस हवाईअड्डे की क्षमता रोज करीब-करीब 11,000 पर्यटकों को सेवा देने की हो गई है. हवाईअड्डे पर अब एक साथ 10 विमान खड़े हो पाएंगे. यानी यहां के लिए नए विमानों का भी रास्ता खुल गया है.

इससे पहले पीएमओ ने कहा कि संपर्क के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना सरकार का एक प्रमुख फोकस रहा है. उसके मुताबिक, लगभग 710 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नए एकीकृत टर्मिनल भवन के शुरु हो जाने से इस केंद्रशासित प्रदेश में संपर्क को बढ़ावा मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पोर्ट ब्लेयर के वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नया एकीकृत टर्मिनल भवन अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की आसान यात्रा सुनिश्चित करेगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. 

आपको बता दें कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 'खोल के आकार' के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा. प्रधान मंत्री कार्यालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार उद्घाटन समारोह सुबह 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया जाएगा.

लगभग 40,800 वर्ग मीटर के कुल निर्मित क्षेत्र के साथ, नया टर्मिनल भवन सालाना लगभग 50 लाख यात्रियों के आवागमन को संभालने में सक्षम होगा. पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे पर 80 करोड़ रुपये की लागत से दो बोइंग-767-400 और दो एयरबस-321 प्रकार के विमानों के लिए उपयुक्त एप्रन का भी निर्माण किया गया है, जिससे हवाई अड्डे में अब एक समय में 10 विमानों की पार्किंग की जा सकती है. प्रकृति से प्रेरित, हवाई अड्डे के टर्मिनल का वास्तुशिल्प डिजाइन समुद्र और द्वीपों को दर्शाते हुए एक शंख के आकार की संरचना जैसा दिखता है.

पीएमओ ने कहा कि नए हवाई अड्डे के भवन में गर्मी को कम करने के लिए 'डबल इंसुलेटेड रूफिंग सिस्‍टम', भवन के अंदर कृत्रिम प्रकाश के उपयोग को कम करने के लिए और दिन में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक रूप से सूर्य के प्रकाश का अधिक से अधिक प्रवेश कराने के लिए रोशनदानों की व्‍यवस्‍था, एलईडी लाइटिंग, गर्मी कम करने वाली ग्लेजिंग जैसी स्थिरता वाली कई विशेषताएं मौजूद हैं.

इस भवन में भूमिगत जल टैंक में वर्षा जल संग्रहण, शत-प्रतिशत शोधित अपशिष्ट जल को लैंडस्‍कैपिंग (भूदृश्‍य) के लिए दोबारा उपयोग करने के साथ ऑन-साइट सीवेज शोधन संयंत्र तथा 500 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र की मौजूदगी, इस टर्मिनल भवन की कुछ अन्य विशेषताएं हैं, जो इन द्वीपों के पर्यावरण पर कम से कम नकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित करती हैं. पीएमओ ने कहा कि अंडमान और निकोबार के प्राचीन द्वीपों के प्रवेश द्वार के रूप में, पोर्ट ब्लेयर पर्यटकों के लिए बहुत लोकप्रिय गंतव्य स्‍थल है.उसने कहा, 'यह विशाल नया एकीकृत टर्मिनल भवन, हवाई यातायात को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस क्षेत्र में पर्यटन में वृद्धि करने में भी सहायता प्रदान करेगा. इससे स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में भी सहायता मिलेगी.'

आज से बेंगलुरु में विपक्षी दल ने शुरु की बैठक,केजरीवाल समेत जानिए कौन कौन हो रहे हैं शामिल,क्या है इनकी एजेंडा...?

नई दिल्ली: आज बेंगलुरु में हो रही विपक्षी पार्टी की दूसरी बैठक में कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू, उद्धव ठाकरे की शिवसेना समेत दो दर्जन से ज्यादा पार्टी के।प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जिसमे 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एक जूट करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बैठक।में राहुल गांधी, सोनिया गांधी मल्लिकार्जुन खड़गे, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी जैसे नेता मौजूद रहेंगे। यही नहीं शिवसेना से भी उद्धव और संजय राउत रहने वाले हैं।

 इस बीच संजय राउत ने बताया है कि इस मीटिंग का एजेंडा क्या रहने वाला है। उन्होंने सोमवार को बताया कि हम इस बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा ईवीएम मशीनों से चुनाव पर क्या स्टैंड लिया जाए, इसे लेकर भी बात की जाएगी। 

संजय राउत ने बताया कि मीटिंग में हम गठबंधन के नाम को लेकर भी चर्चा करेंगे। कांग्रेस सुझाव दे सकती है कि उसने नेतृत्व वाले यूपीए यानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के तहत ही यह एकता कर दी जाए। हालांकि ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव जैसे नेता इसके खिलाफ हो सकते हैं। इस मीटिंग में आम आदमी पार्टी भी शामिल होगी, जिसकी मांग पर कांग्रेस ने दिल्ली वाले अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में समर्थन देने की बात कही है। अब आम आदमी पार्टी भी विपक्षी एकता को लेकर उत्साहित दिख रही है।

जेडीएस विपक्षी एकता की बैठक से दूर रहने की बात कही

इस बीच जेडीएस ने विपक्षी एकता की मीटिंग से दूर रहने की बात कही है। कर्नाटक की ही पार्टी का यूं अलग रहना थोड़ा चिंता की बात है। एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि हमें कोई भी आमंत्रण नहीं मिला है। एनडीए की मीटिंग हो या फिर विपक्षी एकता वाली, हमें कहीं से भी न्योता नहीं दिया गया है। इससे पहले पटना में विपक्ष की मीटिंग में कुल 15 दल आए थे, जबकि अब यह कुनबा बढ़ा है। उत्तर भारत में रालोद से लेकर दक्षिण की पार्टियां एमडीएमके और केडीएमके तक को न्योता भेजा गया है। 

इधर एनडीए ने भी बुलाई बैठक, जानिए इस बैठक में कौन हो रहे हैं शामिल

गौरतलब है कि 18 जुलाई को ही दिल्ली में एनडीए ने भी एक मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में कई दल हिस्सा ले सकते हैं, जो एनडीए का हिस्सा हैं या फिर भाजपा के साथ होने की कोशिश में हैं। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी SBSP, अपना दल, एकनाथ शिंदे की सेना समेत कई अन्य पार्टियां इसमें रहने वाली हैं। भाजपा की कोशिश है कि इस मीटिंग में विपक्ष से ज्यादा ही शक्ति प्रदर्शन रहे ताकि अच्छा संदेश जाए।

Delhi Flood: यमुना में पानी का उफान तो कमा लेकिन बढ़ा दिल्ली का सियासी तापमान, आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु...!

दिल्ली: यमुना में आयी बाढ़ और उससे हुई क्षति से आम आदमी भले हीं परेशान हैं,लेकिन राजनेता इनकी परेशानी और राहत के लिए समन्वित प्रयास के बजाय सियासी घमासान में व्यस्त हो गए हैं।

 बाढ़ को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप में उलझ कर एक दूसरे पर दोषारोपण करने लगे हैं।प्रदेश भाजपा ने दिल्ली में आई बाढ़ का मुख्य कारण भ्रष्टाचार बताया है ना कि हथनीकुंड का पानी। भाजपा ने कहा कि सरकार के इस भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच होनी चाहिए। जिम्मेदारी से बचने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता हथनीकुंड बैराज से छोड़े गये पानी को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। 

मुख्यमंत्री बताएं कि फ्लड कंट्रोल ऑर्डर के अंतर्गत जून तक अनिवार्य रूप से की जाने वाली एपेक्स कमेटी की बैठक पिछले दो साल से क्यों नहीं हुई।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दिल्ली सरकार कितनी लापरवाह है इसका प्रमाण है एपेक्स कमेटी की बैठक न होना। इससे साबित होता है। एपेक्स कमिटी के नोडल अधिकारी डीएम ईस्ट ने मुख्यमंत्री को जून में 3 बार मीटिंग बुलाने के लिए लिखा, बताया गया कि गंभीर स्थिति की चेतावनी है बावजूद मुख्यमंत्री ने बैठक नहीं बुलाई।

सचदेवा ने कहा है कि पानी कब और कितना छोड़ा जायेगा इसका निर्णय जल विशेषज्ञ करते हैं। पानी छोड़े जाने में इस वर्ष दिल्ली सरकार को राजनीति इसलिए दिख रही है क्योंकि इस वर्ष दिल्ली में मानसून पूर्व यमुना तटों की सफाई में, नालों एवं नालियों की सफाई में दिल्ली सरकार के बाढ़ विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल बोर्ड एवं नगर निगम ने घोटाला किया। 

मंत्री आतिशी व सौरभ भारद्वाज ने यमुना सफाई के साथ नालों की सफाई का सारा फंड पार्टी कोष में जमा करा दिया। मुख्यमंत्री जवाब दें क्या यह सच नहीं की यदि यमुना की सफाई पर पैसा लगाया गया होता तो यमुना के पास बहने की गहराई होती, उसका डूब क्षेत्र साफ होता तो शहरी इलाकों में बाढ़ का पानी ना आता।

ऑक्सफोर्ड से पढ़ी आतिशी को बैराज और डैम में अंतर नहीं पता: बांसुरी

भाजपा नेता बांसुरी स्वराज ने दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी को कटघरे में खड़ा किया। कहा कि केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी खुद को ऑक्सफोर्ड से पढ़ी हुई बताती हैं जबकि इतनी पढ़ाई के बावजूद उनके बयान से यह लगता है कि उन्हें बैराज और डैम के बीच में अंतर नहीं पता है।

 आतिशी बताने की कोशिश कर रही हैं कि हथनिकुंड दिल्ली के लिए अभिशाप है जबकि दिल्ली की 60 फीसदी पानी की अपूर्ति इसी से होती है। हथनिकुंड में लगे दो कैनाल ईस्टर्न जिससे उत्तर प्रदेश की ओर पानी जाता है और वेस्टर्न जिससे पानी हरियाणा और दिल्ली की ओर आता है। ईस्टर्न कनाल से अधिकतम पानी जाने की क्षमता 4000 से 6000 क्यूसेक है और वेस्टर्न कनाल से 15000 से 18000 क्यूसेक पानी जा सकता है।

बांसुरी ने कहा कि आतिशी को पता होना चाहिए कि सेंट्रल वाटर पॉल्यूशन गाइडलाइन्स है जिसके अनुसार अगर एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी आता है तो उस पानी को नदी में छोड़ना अनिवार्य है ना कि नहर में और यही हरियाणा सरकार द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि 2013 में 8 लाख क्यूसेक पानी और 2019 में 8.28 क्यूसेक पानी दिल्ली में छोड़ा गया था लेकिन उस वक्त कोई बाढ़ जैसी स्थिति नहीं बनी लेकिन इस बार मात्र 3.5 लाख क्यूसेक पानी ही छोड़ने से पूरी दिल्ली में जल प्रलय आ गई। इसका कारण है कि केजरीवाल सरकार ने सारा का सारा पैसा अपने भ्रष्टाचार और प्रचार में उड़ा दिए। रिवर्स फ्लो वॉल जो बैक फ्लो को रोकता है, उसकी सरकार ने कभी मरम्मत ही नहीं कराई और वह टूट जाने से सारा का सारा पानी रिवर्स बैक हो गया और शहर का प्रमुख भाग डूब गया।