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बरसात में खाए रागी की रोटी मिलेंगे कई तरह के स्वास्थ्य लाभ,एनर्जी मिलेगी ऐसी कि थकान-कमजोरी कभी ना होगी महसूस


मिलेट्स या मोटे अनाजों मे रागी को खास अहमियत दी जाती है। दरअसल रागी या नाचनी में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है जिसकी वजह से यह कमजोरी और खून की कमी (Anemia) जैसी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए एक अच्छा फूड माना जाता है। 

रागी को पोषक तत्वों का पिटारा कहा जाता है क्योंकि इसमें मिनरल, विटामिन और डाइटरी फाइबर (Finger millet nutrition) पाया जाता है। रागी को कई तरीकों से खाया जा सकता है जैसे रागी कुकीज रागी का आटा, नाचनी की रोटी और रागी के परांठे। 

रागी की रोटी खाने के हेल्दी फायदे (Health benefits of eating Ragi roti)

ग्लूटेन-फ्री आटा (Gluten Free food)

जिन लोगों को ग्लूटेन एलर्जी हो या जिनके लिए गेंहू खाने से तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसे लोगों के लिए रागी की रोटी खाना एक अच्छा पर्याय हो सकता है। रागी या नाचनी से बनी रोटियां खाने से ना केवल आपकी हेल्थ अच्छी होगी बल्कि इससे आपको एनर्जी भी मिलेगी।

वेट लॉस

फाइबर से भरपूर होने के कारण रागी का सेवन शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है। यह एक लो-कैलोरी फूड भी है। इसे खाने से पेट जल्दी भरता है और देर तक भूख नहीं लगती। इस तरह आपको वेट लॉस मे मदद होती है।

मजबूत हड्डियां

रागी के आटे में कैल्शियम की मात्रा अन्य अनाजों की तुलना में अधिक होती है। जैसा कि हड्डियों के लिए विटामिन डी, फॉस्फोरस और कैल्शियम सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं और ये तीनों ही रागी में मौजूद होते हैं। और इसीलिए, रागी की रोटियां खाने से हड्डियों को मजबूती मिलती है।

एनर्जी मिलती है

पूरा दिन आराम करने और पेटभर खाना खाने के बाद भी लोगों को कई बार थकान महसूस होती है। रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम करने में भी आपको बहुत आलस आता है और दिनभर बदन में दर्द होता है तो आपको अपने आहार में रागी शामिल करनी चाहिए। रागी की रोटी खाने से आपको एनर्जी भी मिलेगी और आप खुद को अधिक चुस्त-फूर्तिला महसूस करेंगे।

पटना में भाजपा द्वारा की गई प्रदर्शन के दौरान हुए लाठीचार्ज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, DGP और CS पर केस दर्ज करने की मांग


नई दिल्ली/पटना: बिहार सरकार की नई शिक्षक नियमावली के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के विरोध मार्च के दौरान जहानाबाद के एक बीजेपी नेता की मौत की सीबीआई जांच या शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.

याचिका में बिहार डीजीपी और बिहार के चीफ सेकेट्री के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की गई है साथ ही सीएम और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी याचिका में पक्षकार बनाया गया है. याचिका वरुण कुनमार सिन्हा की तरफ से दायर की गई है. इस याचिका में डिमांड की गई है कि पटना लाठीचार्ज की जांच देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई या फिर सेवा निवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में SIT गठित कर की जाए.

पटना में हुआ था बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज: बता दें कि 13 जुलाई को पटना के कंकड़बाग में बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया गया. इस मामले में बीजेपी ने पुलिस पर नीतीश के इशारे पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है. नड्डा द्वारा भेजी गई जांच टीम ने भी यहां पर नीतीश सरकार से न्यायिक जांच की मांग की है.बीजेपी का आरोप है कि बीजेपी नेताओं की हत्या की साजिश सरकार द्वारा रची गई थी. इस मामले में रघुवर दास ने आरोप लगाया कि लाठीचार्ज राज्य प्रायोजित था. 1000 से ज्यादा बीजेपी नेताओं के सिर पर लाठी मारी गई. लाठीचार्ज में पुलिस ने नियमों की अनदेखी भी की. जिन कार्यकर्ताओं को चोटें आईं हैं उनके ऊपर कमर से ऊपर मारा गया.

भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई (CBUAE) ने स्थानीय मुद्राओं में सीमा पार लेनदेन और भुगतान समझौतों पर किया हस्ताक्षर

अब दोनों देशों के बीच भारतीय मुद्रा की होगी लेनदेन,इस से दोनों देशों में बढ़ेगी व्यापार

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई (CBUAE) ने स्थानीय मुद्राओं में सीमा पार लेनदेन और भुगतान की एक रूपरेखा तैयार करने के लिए दो समझौतों पर हस्ताक्षर किया है. 

एक रिपोर्ट की माने तो, इस समझौते का दोनों देशो के मैसेजिंग सिस्टम को जोड़ने में भी बड़ा योगदान रहेगा.

रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात(UAE) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की मौजूदगी में ही दोनों बैंकों के गवर्नरों के बीच समझौतों का आदान-प्रदान किया गया. ये समझौता ज्ञापन (Mou) स्थानीय मुद्राओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देते हुए एक रूपरेखा स्थापित करने के लिए हैं. 

ये पहल सीमा पार लेनदेन के लिए भारतीय रुपया और संयुक्त अरब अमीरात दिरहम (AED) के भुगतान और को-ऑपरेशन को आपस में जोड़ने का भी काम करेगी. इसके साथ ही इस समझौते का बड़ा फ़ायदा भारत की अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने की ओर भी होगा.

एक रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि ये दोनो एमओयूस (Mou) का उद्देश्य बिना रुकावट के सीमा पार लेनदेन और भुगतान की सुविधा आसान बनाते हुए दोनों देशों के बीच ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है. 

इस मीटिंग में द्विपक्षीय रूप से INR और AED के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए (LCSS)(Local Currency Settlement System) स्थापित की गई है.

दोनों देश के केंद्रीय बैंकों का कहना है कि ये एमओयू सभी तरह के चालू खाता लेनदेन और अनुमत पूंजी खाता लेनदेन को कवर करता है.

 एलसीएसएस(LCSS) के निर्माण से निर्यात और आयात को अपनी संबंधित घरेलू मुद्राओं में चालान और भुगतान करने में सक्षम बनाया जाएगा. ये बदले में एक आईएनआर-एईडी INR-AED विदेशी मुद्रा के विकास को बेहतर करेगा. इसके साथ ही इन्वेस्टमेंट मार्केट में भी इस व्यवस्था से दोनों देशों के बीच निवेश और प्रेषण को भी बढ़ावा मिलेगा.

स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल लेनदेन लागत और लेनदेन के निपटान समय को बेहतर करेगा. इस वजह से संयुक्त अरब अमीरात(UAE) में रहने वाले भारतीयों की रकम को भी शामिल किया गया है.’पेमेंट्स एंड मैसेजिंग सिस्टम्स’ पर आरबीआई ने कहा कि दोनों केंद्रीय बैंक अपने फास्ट पेमेंट सिस्टम्स (FPS) – भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को यूएई के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (IPP) के साथ जोड़ने पर सहयोग करने पर सहमत हुए हैं. संबंधित कार्ड स्विच (RuPay स्विच और UAE स्विच) को लिंक करने का काम शुरू कर दिया गया है. वहीं संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में मैसेजिंग सिस्टम के साथ भारत के भुगतान मैसेजिंग सिस्टम – स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम (SFMS) को जोड़ने के तरीकों पर बहुत जल्द काम किया जाएगा .

एक रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि यूपीआई-आईपीपीUPI-IPP) लिंकेज किसी भी देश में उपयोगकर्ताओं को तेज़, असान, सुरक्षित और लागत प्रभावी सीमा पार पेमेंट करने में सक्षम बनाएगा. इसके अलावा, कार्ड स्विचों को जोड़ने से घरेलू कार्डों की पारस्परिक स्वीकृति और कार्ड लेनदेन के प्रसंस्करण में सुविधा होगी. मैसेजिंग सिस्टम के लिंकेज का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वित्तीय मैसेजिंग को आसन बनाना है.अब देखने वाली बात ये है इस पहल का दोनों देशों के आम लोगों पर क्या असर होता है? आप इस बारे में क्या सोचेते हैं ? शेयर करे समाचाप्लस से.

मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट,गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ की याचिका दायर

नई दिल्ली : राहुल गांधी ने मोदी सरनेम मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. 

इसी सिलसिले में राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दिया है।

पिछले 7 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने मोदी उपनाम को लेकर मानहानि के मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी.फैसले में गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा बरकरार रखी थी. साथ ही गुजरात हाई कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट का दोषी ठहराने का आदेश उचित है, उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है.

गौरतलब है कि 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा था, 'सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी कैसे है ?' इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, 'नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है?' राहुल गांधी के इसी बयान को आधार बनाकर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था. 

इसी मामले में राहुल गांधी को सजा सुनाई गई थी.इस मामले में सूरत की एक कोर्ट ने 23 मार्च, 2023 को राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए 2 साल कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद राहुल गांधी को लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. हालांकि उन्हें उसी दिन जमानते दे दी थी, जिससे वह 30 दिन के अंदर इसके खिलाफ अपील कर सकें.

फलस्वरूप इसके बाद राहुल गांधी सूरत सेशन कोर्ट का रुख पहुंचे थे. कोर्ट में उन्होंने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया था. इसके बाद गुजरात हाई कोर्ट द्वारा भी उनकी पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी गई थी.

राजस्थान एसीबी ने रिश्वतखोरी के खिलाफ की बड़ी कार्रवाई राज्य घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन समेत चार को किया गिरफ्तार

जयपुर: राजस्थान एसीबी ने रिश्वतखोरी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. एसीबी की टीम ने सीकर में ट्रैप की कार्रवाई करते हुए राज्य घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन समेत चार आरोपियों को 18.5 लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किया है. आरोपियों को एसीबी की टीम जयपुर स्थित एसीबी मुख्यालय लेकर पहुंची है. सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. आरपीएससी की ओर से आयोजित अधिशासी अधिकारी भर्ती परीक्षा में पास करवाने के नाम पर रिश्वत राशि मांगी गई थी.

40 लाख रुपए रिश्वत राशि मांगी : एसीबी के आईजी हेमंत प्रियदर्शी के मुताबिक एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर सीकर यूनिट की ओर से पिछले दो दिनों से सीकर और जयपुर में कार्रवाई करते हुए राज्य घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एवम अन्य 4 को 18.5 लाख रुपए रिश्वत राशि लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है. 

एसीबी की सीकर इकाई को परिवादी की ओर से शिकायत दी गई थी कि राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित अधिशासी अधिकारी (ईओ) भर्ती परीक्षा में पास करवाने और ओएमआर शीट बदलवाने के नाम पर 40 लाख रुपए रिश्वत राशि मांगकर परेशान किया जा रहा है.

आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने की कार्रवाई :

 शिकायत पर एसीबी जयपुर के उपमहानिरीक्षक कालूराम रावत के सुपरविजन में एसीबी सीकर इकाई के पुलिस उप अधीक्षक राकेश जांगिड़ के नेतृत्व में शिकायत का सत्यापन किया गया. शिकायत का सत्यापन होने के बाद 14 जुलाई को सीकर में अनिल कुमार, ब्रह्म प्रकाश को परिवादी से 18.5 लाख रुपए रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया.

 कार्रवाई को गोपनीय रखकर शुक्रवार देर रात को सीकर में रविंद्र शर्मा को 7.5 लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. शनिवार को जयपुर में आरोपी गोपाल केसावत को परिवादी से 7.5 लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. आईजी हेमंत ने बताया कि जब्त की गई 18.5 लाख रुपए में से ही 7.5 लाख रुपए रविंद्र शर्मा और गोपाल केसावत को पकड़ने के लिए इस्तेमाल में ली गई थी.

एसीबी के आईजी सवाई सिंह गोदारा के निर्देशन में आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. आरोपियों से अभी तक की पूछताछ में आरपीएससी के किसी सदस्य, अधिकारी या कर्मचारी की संलिप्तता सामने नहीं आई है. एसीबी की ओर से मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान किया जाएगा. आरोपियों के आवास और अन्य ठिकानों पर तलाशी की जा रही है. एडीजी हेमंत प्रियदर्शी के निर्देशन में एडिशनल एसपी बजरंग सिंह के नेतृत्व में कार्रवाई को अंजाम दिया गया है.

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने साधा निशानाःएसीबी की इस कार्रवाई के बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'तस्वीर में राहुल गांधी उस गोपाल केसावत से हाथ मिला रहे हैं, जिसे RAS भर्ती परीक्षा पास कराने के एवज में 18.5 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया है. गोपाल राज्य विमुक्त, घुमंतू एवं अर्धघुमंतू कल्याण बोर्ड का पूर्व चेयरमैन है जिसे राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था. कांग्रेस नीचे से ऊपर तक भ्रष्ट पार्टी है. राजस्थान सरकार राहुल गांधी ऐशो-आराम के लिए जमकर भ्रष्टाचार कर रही है. हाईकमान को जब तक काला पैसा मिलता रहेगा, गहलोत जी की तूती प्रदेश कांग्रेस में बोलती रहेगी'.

एक करोड़ की कोकीन के साथ दो नाइजीरियन तस्कर गिरफ्तार, एक लाख रुपए नकद बरामद

जयपुर। पुलिस क्राइम ब्रांच टीम ने ड्रग माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. शनिवार को क्राइम ब्रांच टीम ने 1 करोड़ रुपए की कोकीन के साथ दो विदेशी तस्करों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के कब्जे से 58 ग्राम कोकीन और एक लाख रुपए नकद बरामद किया गया है. दोनों विदेशी तस्कर कोकीन लेकर दिल्ली से जयपुर आए थे. 

पूछताछ में सामने आया है कि दोनों आरोपी बिना विजा और पासपोर्ट के भारत में रुके हुए थे।

एडीजी क्राइम दिनेश एमएन के मुताबिक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव भटनागर के सुपरविजन में क्राइम ब्रांच टीम ने अवैध मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. सीआईडी क्राइम ब्रांच के हेड कांस्टेबल कमल सिंह की सूचना पर जवाहर नगर थाना इलाके की सिंधी कॉलोनी में कार्रवाई करते हुए दो नाइजीरियन तस्करों को पकड़ा है. उन्होंने बताया कि दोनों तस्कर थीडेमारविलस और जालकिमानुअल को गिरफ्तार किया गया है.

दोनों कोकीन की तस्करी कर रहे थे. उनके पास से 58 ग्राम कोकीन बरामद की गई है. साथ ही कोकीन तस्करी से प्राप्त किए गए 1 लाख रुपए नकद भी बरामद हुए हैं. अवैध मादक पदार्थ कोकीन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग एक करोड़ आंकी गई है. उन्होंने बताया कि पूछताछ में सामने आया है कि दोनों आरोपी बिना वीजा और पासपोर्ट के इंडिया में रुके हुए थे. दिल्ली से जयपुर में कोकीन की सप्लाई देने के लिए आए थे. इस दौरान क्राइम ब्रांच टीम ने दोनों आरोपियों को दबोच लिया. कार्रवाई में क्राइम ब्रांच टीम के पुलिस निरीक्षक राम सिंह नाथावत, हेड कांस्टेबल शंकर दयाल शर्मा, कमल सिंह, कांस्टेबल देवेंद्र सिंह आदि की भूमिका रही.

एमपी में सब कमाल बा', गाने के जरिए सीधी के सिंगर ने नेहा सिंह राठौर को सुनाई खरी-खोटी


 नई दिल्ली: बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका नेहा सिंह राठौर का मध्यप्रदेश स्थितन सीधी के गायक प्रकाश तिवारी मधुर ने विरोध किया है. दरअसल नेहा सिंह ने सीधी जिले में हुए पेशाब कांड पर एमपी की शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया था. 

वहीं पटवारी परीक्षा भर्ती में हुए घोटाले पर एक वीडियो सॉन्ग जारी कर सरकार पर निशाना साधा था. जिसके जवाब में सीधी के सिंगर प्रकाश तिवारी मधुर ने भी 'का बा' की तर्ज पर एक लोक गीत गाया है.जिसमें उन्होंने यह बताया है कि ''मध्यप्रदेश में आखिर क्या क्या है. मध्य प्रदेश का इतिहास क्या है, सीधी में क्या है और पूरे मध्यप्रदेश किन बातों के लिए जाना जाता है.'' अपने इस लोकगीत के माध्यम से प्रकाश तिवारी ने लोगों का दिल जीत लिया है. लोग उनके गीत की काफी सराहना भी कर रहे हैं. 

उन्होंने केवल लोकगीत ही नहीं गया है बल्कि लोकगीत के माध्यम से नेहा सिंह राठौर को खूब खरी-खोटी भी सुनाई है. साथ ही उनके 'का बा' का जवाब भी दिया है. गायक प्रकाश तिवारी मधुर ने यह भी कहा कि ''जो अपने देश और राज्य का नहीं हुआ वह दूसरे राज्य का क्या होगा. जिस थाली में खाते हैं उसी थाली को छेद करती हैं. उनकी ऐसी ही रीत है वह लोक गायिका नहीं हैं.''

एक्शन में केजरीवाल: बाढ़ पीड़ितों को न हो दिक्कत, सीएम ने इन छह मंत्रियों को सौंपी कमान; हालात का लिया जायजा

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बाढ़ से प्रभावित छह जिलों में लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए छह कैबिनेट मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है। शनिवार शाम को मुख्यमंत्री ने यमुना का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली में पैदा हुए हालत की समीक्षा करने के लिए कैबिनेट मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई। बैठक में कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, आतिशी, राजकुमार आनंद, गोपाल राय और इमरान हुसैन को जिम्मेदारी सौंपी गई। ये मंत्री अपने जिले में लोगों बने राहत शिविरों में खाना, पानी, बिजली व दवाइयां समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए काम करेंगे। उक्त जिले के अफसर संबंधित मंत्री से आदेश लेंगे और उनको ही रिपोर्ट करेंगे।

सीएम ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों बैठक के बाद मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि मुख्यमंत्री ने यमुना का जलस्तर बढ़ने से उत्पन्न स्थिति के बारे में अलग-अलग विभागों से जानकारी ली और उस पर विस्तार से चर्चा की। इसमें मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई कि वह उस जिले में आने वाले सभी राहत शिविर और पुनर्वास के कैंप लगाए गए हैं, वहां सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों। साथ ही सभी प्रशासनिक अफसरों को लिखित आदेश जारी किया जा रहा है।

 इन राहत शिविरों के मद्देनजर सभी संबंधित अफसर जिम्मेदार मंत्रियों को रिपोर्ट करेंगे। संबंधित मंत्री से ही आदेश लेंगे और उनके साथ सहयोग करेंगे। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को तत्काल अपने जिलों की कमान संभालने और काम पर लग जाने का निर्देश दिया है।

कम नहीं हुआ खतरा

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई जगह से खबर आ रही है कि कुछ लोग पानी में खेलने या तैरने जा रहे हैं। वीडियो, सेल्फ़ी के लिए जा रहे हैं। कृपया ऐसा न करें। यह जानलेवा हो सकता है। अभी बाढ़ का खतरा खत्म नहीं हुआ। पानी का बहाव बहुत तेज है। पानी कभी भी बढ़ सकता है।

इन्हें मिली जिम्मेदारी...

जिला -       मंत्री का नाम

साउथ-ईस्ट दिल्ली -     कैलाश गहलोत

ईस्ट दिल्ली -          सौरभ भारद्वाज

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली -      आतिशी

नॉर्थ दिल्ली -          राजकुमार आनंद

सेंट्रल दिल्ली -          इमरान हुसैन

शाहदरा -            गोपाल राय

दिल्ली:कनॉट प्लेस की डीसीएम इमारत की नौवीं मंजिल पर लगी भीषण आग,दमकल की 21 गाड़ियों ने पाया काबू

दिल्ली:राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाराखंबा रोड के डीसीएम इमारत की नौवीं मंजिल पर शनिवार शाम करीब सवा छह बजे भीषण आग लग गई। ऊंची-ऊंची लपटे उठने लगीं तो मौके पर अफरा-तफरी मच गई। खबर मिलते ही पुलिस के अलावा दमकल की 21 गाड़ियां वहां पहुंच गई। ऊंचाई अधिक होने की वजह से मौके पर स्काई लिफ्ट वाली दमकल की गाड़ियों को भी बुलाया गया।

गनीमत यह रही कि आग लगने के समय नौंवी मंजिल पर कोई मौजूद नहीं था। शोर-शराबा हुआ तो बाकी मंजिल पर मौजूद लोग भी सुरक्षित नीचे आ गए। दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद करीब पौने तीन घंटे में आग पर काबू पाया। 

फिलहाल हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। शुरुआती जांच के बाद पुलिस आशंका जता रही है कि शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी। देर रात तक कूलिंग का काम जारी था।

 

इसके बाद क्राइम टीम और एफएसएल को जांच के लिए मौके पर बुलाया जाएगा। बाराखंभा रोड थाना पुलिस केस दर्ज कर हादसे की सही वजह पता करने में जुटी है। इमारत में काम करने वाले बाकी लोगों से पूछताछ की जा रही है। 

इमारत में आठवीं और नौवीं मंजिल पर पंजाब नेशनल बैंक का ऑफिस है। शाम के समय दफ्तर खाली था। हालांकि आग से दफ्तर लगभग पूरी तरह जलकर खाक हो गया।

शोध : फोन का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों को बना रहा ऑटिज्म का शिकार, जानें क्या हैं इस बीमार के लक्षण


नयी दिल्ली : आज ऐसा दौर है जब बच्चों के हाथ में भी स्मार्टफोन है. वे घंटों इसका यूज करते है. अब बच्चों का खेलकूद की तरफ रुझान कम होता जा रहा है. टाइमपास के लिए वो फोन का इस्तेमाल करते हैं. घंटों तक उसमें गेम खेलने या अन्य किसी गतिविधि में लगे रहते हैं.

लेकिन अब इसका असर बच्चों की हेल्थ पर हो रहा है.स्मार्टफोन के इस्तेमाल की वजह से उनकी सेहत बिगड़ रही है. यहां तक की बच्चे ऑटिज्म जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो रहे हैं.

डॉक्टरों के मुताबिक, फोन का ज्यादा यूज करने से बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ रहा है. इसको वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है. ये परेशानी पांच से आठ साल तक के बच्चों में ज्यादा देखी जाती है. वर्चुअल ऑटिज्म के कारण बच्चों की मेंटल हेल्थ भी प्रभावित हो रही है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में 24% फीसदी बच्चे रात को सोने से पहले स्मार्टफोन का यूज करते हैं. इस कारण करीब 40 फीसदी बच्चे किसी काम में फोकस करने की परेशानी से जूझ रहे हैं.

क्या होता है वर्चुअल ऑटिज्म

दिल्ली में न्यूरोसर्जन डॉ राजेश कुमार बताते हैं कि बच्चा अगर वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित है, तो वह बोलते समय हकलाने लगता है. इन बच्चों में आईक्यू लेवल भी कम होता है. वह किसी से बात करने में भी घबराते हैं. किसी काम का सही से रिसपॉन्स नहीं करते हैं और एक ही काम को बार-बार दोहराते है.फिलहाल ऑटिज्म के जो केस आ रहे हैं. उनमें 5 से 10 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो स्मार्टफोन का अधिक यूज करते हैं. ये एक संकेत है कि फोन का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म का कारण बन रहा है.

कुछ बच्चों को फोन देखकर ही भोजन करने की आदत होती है. ये भी काफी हानिकारक है. बच्चे फोन के देखने के चक्कर में सही से भोजन भी नहीं कर पाते हैं. फोन के ज्यादा यूज की वजह से उनको अपनी पढ़ाई करने में भी परेशानी आ रही है. यहां तक कि कुछ बच्चों में 2 से तीन साल की उम्र में भी फोन देखने का क्रेज देखा जा रहा है. ये उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. ऐसे में माता-पिता को अलर्ट रहने की जरूरत है.

माता पिता इन बातों का रखें ध्यान

बच्चों में फोन के यूज का समय कम करें

बच्चों को समय दें और खेलकूद के लिए उनको प्रोत्साहित करें

बच्चों को फोन के नुकसान के बारे में बताएं

बच्चों से रोजाना किसी विषय पर बात जरूर करें जिसका असर बच्चे के माता-पिता पर भी होता है

यूसीएसएफ के शोधकर्ताओं ने बच्चों पर एक रिसर्च की है. इसको फैमली प्रोसेस में प्रकाशित किया गया है. स्टडी के मुताबिक, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों की लगभग 50 प्रतिशत माताओं में डिप्रेशन के लक्षणों का स्तर ऊंचा था, जबकि विक्षिप्त बच्चों वाली माताओं में इसकी दर बहुत कम थी (6 प्रतिशत से 13.6 प्रतिशत).इसके अलावा, जबकि पिछले शोध का सुझाव था कि अवसादग्रस्त माता-पिता होने से बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है, इस स्टडी में ऐसा नहीं पाया गया.

दिल्ली में स्थित एक वरिष्ठ सलाहकार और न्यूरो-मनोचिकित्सक डॉ संजय चुघ ने बताया कि यह केवल ऑटिज्म की बात नहीं है, “बल्कि यह किसी भी ऐसी बीमारी की हकीकत है जहां पूरी तरह से ठीक होने की संभावना बहुत ज्यादा नहीं होती. बच्चे की यह स्थिति माता-पिता पर बहुत तनाव डालती है. इसलिए जितना ज्यादा तनाव होगा, माता-पिता में अवसाद के लक्षण दिखने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी.”

पीएचडी और मनोचिकित्सा और व्यवहार विज्ञान विभाग में UCSF के सहायक प्रोफेसर और स्टडी के पहले लेखक डेनियल रूबिनोव ने कहा, “हमने पाया कि माताओं के उच्च स्तर के अवसाद ने समय के साथ बच्चों के व्यवहार में समस्याएं पैदा नहीं की, यहां तक कि ऑटिज्म वाले बच्चों के परिवारों में भी जो बहुत तनाव में थे.” “यह हैरान करने के साथ एक अच्छी खबर भी है.”

माता-पिता को हो जाता है क्रोनिक स्ट्रेस

मनोचिकित्सा और व्यवहार विज्ञान विभाग में UCSF की प्रोफेसर और स्टडी की वरिष्ठ लेखिका एलिसा एपेल ने कहा, “विशेष जरूरतों वाले बच्चे के माता-पिता होने के नाते उनका हर दिन स्वाभाविक रूप से मुश्किल होता है.” “यह क्रोनिक स्ट्रेस का एक क्लासिक उदाहरण है, यही वजह है कि हमने ऐसे बच्चों की देखभाल करने वाली माताओं पर फोकस किया है और उनके स्वास्थ्य पर तनाव के प्रभावों को स्टडी किया.”

एक बाल एवं किशोर मनोचिकित्सक और स्टेप्स सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ, गुरुग्राम के चिकित्सा निदेशक डॉ प्रमीत रुस्तोगी ने को बताया कि जिन माताओं के बच्चे में ऑटिज्म डायग्नोज होता है, वे बहुत स्ट्रेस में होती हैं, “ऐसा क्यों हुआ इसके लिए अक्सर मां को दोषी ठहराया जाता है.”

उन्होंने कहा, “सबसे पहले, एक मां के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल होता है, क्योंकि उसने मां के रूप में अपनी नई जिंदगी को लेकर कई आशाएं, इच्छाएं और कल्पनाएं की होती हैं. कई मामलों में एक ऑटिस्टिक बच्चा माता-पिता से रिलेट नहीं कर पाता है या कहें अपने माता-पिता के साथ वह अच्छी तरह से भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाता है. जिसे स्वीकार करना माता-पिता के लिए मुश्किल होता है.

माताएं अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए क्या कर सकती हैं?

एक्सपर्ट ने कहा, “ऐसी दूसरी माताओं और परिवारों को ढूंढे जो इस स्थिति से गुजर रहे हैं, जिन्हें यह जिम्मेदारी उठाते हुए समय हो गया हो और एक ऐसी टीम से जुड़े हैं जो जरूरत पड़ने पर मदद कर सकती है.”

उन्होंने आगे कहा, “घर से ही पर्याप्त सहयोग मिलना चाहिए, ज्यादातर मनोवैज्ञानिक जो बच्चे का इलाज कर रहे हैं उन्हें पहले मां से पूछना चाहिए कि उनपर अतिरिक्त भार तो नहीं हैं उन्हें यह बताने से पहले कि बच्चों के लिए उन्हें और क्या करना चाहिए.”