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मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस में राहुल को सजा या राहत? पुनर्विचार याचिका पर फैसला आज

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मोदी सरनेम वाले बयान पर मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा बरकरार रहेगी या उन्हें राहत मिलेगी? इस पर आज फैसला आ सकता है।इस मामले में दी गई सजा के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट शुक्रवार की सुबह 11 बजे फैसला सुनाएगा।इस दौरान सभी की निगाहें हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हुईं हैं, क्योंकि दो निचली अदालतों से इस केस में राहुल को राहत नहीं मिली है। दरअसल सूरत में मजिस्ट्रेट अदालत में राहुल को मानहानि के मामले 2 साल की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद उनकी संसदीय सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी।

2 साल की सजा के बाद चली गई थी सांसदी

दरअसल, राहुल गांधी को सूरत की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी।राहुल को 2 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद सचिवालय ने उन्हें नोटिस भेजकर उनकी सांसदी खत्म कर दी थी। इसका कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया था। इतना ही नहीं राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के बाद उन्हें सरकारी बंगला भी खाली करने को कहा गया था जिसके बाद उन्हें तय समय में सरकारी बंगला खाली कर दिया था।

क्या फिर बहाल होगी संसद सदस्यता 

इसके बाद राहुल गांधी ने एडिशनल सेशन कोर्ट में अपील की थी। हालांकि राहुल गांधी को एडिशनल कोर्ट से भी कोई राहुत नहीं मिली थी। एडिशनल सेशन कोर्ट ने भी राहुल गांधी की सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था। इस मामले में कोर्ट ने 7 जुलाई को फैसला सुनाने को कहा है। ऐसे में अगर हाईकोर्ट से राहुल के पक्ष में फैसला आता है तो कांग्रेस नेता की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

राहुल ने क्या कहा था

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

मणिपुर हिंसा पर अमेरिका ने की मदद की पेशकश, बयान पर भड़की कांग्रेस, मनीष तिवारी ने कहा-हमने पहले भी ऐसी चुनौतियों का सामना किया

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मणिपुर में भड़की हिंसा शांत होने का नाम नहीं ले रही है।पिछले करीब दो महीने महीनों से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है।राज्य और केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद इस पर लगाम नहीं लग पा रही है।इस बीच अमेरिका ने मणिपुर में हिंसा से निपटने में भारत की सहायता करने की पेशकश की है। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका मणिपुर में हिंसा से निपटने में भारत की सहायता करने के लिए तैयार है। बता दें कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।

अमेरिका को रणनीतिक चिंता नहीं बल्कि मानवीय चिंताएं- एरिक गार्सेटी

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी इनदिनों कोलकाता में है। वहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान मणिपुर हिंसा पर किए गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि संकट का हल करने में अमेरिका किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार है। जब उनसे यह कहा गया कि यह भारत का आंतरिक मामला है तो उन्होंने जवाब में कहा कि अमेरिका को रणनीतिक चिंता नहीं बल्कि मानवीय चिंताएं हैं। गार्सेटी ने कहा- इस तरह के हिंसा में जब बच्चे मरते हैं तो आपको इसमें चिंता करने के लिए भारतीय होने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। शांति कायम रखना एक मिशाल है। जरूरत पड़ने पर हम मदद के लिए तैयार हैं। हमें पता है कि यह भारत का आंतरिक मुद्दा है और हम राज्य में शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस क्षेत्र में शांति स्थापित होने से यहां हम कई परियोजना और निवेश ला सकते हैं। 

कांग्रेस ने कहा इस तरह का बयान देना बहुत दुर्लभ

वहीं एरिक गार्सेटी के बयान पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसी अमेरिकी दूत के लिए भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देना बहुत दुर्लभ है। मनीष तिवारी ने पंजाब, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में पहले की चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि अमेरिकी राजदूत तभी सतर्क थे। उन्होंने ट्वीट किया कि हमने दशकों तक पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व में चुनौतियों का सामना किया और चतुराई से उन पर विजय प्राप्त की। कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे संदेह है कि क्या नए यूएस राजदूत एरिक गार्सेटी को अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल इतिहास और हमारे आंतरिक मामलों में हमारी संवेदनशीलता का ज्ञान है।

मणिपुर के इंफाल में महिला की गोली मारकर हत्या

इससे पहले गुरुवार को मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में एक स्कूल के बाहर एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मणिपुर में हिंसा तब शुरू हुई जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा की मांग का विरोध करने के लिए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। तब से लेकर अब तक मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 130 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा, यह दिल्ली सरकार और इसकी सेवाओं का गला घोंट देगी, जारी घमासान के बीच मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई न्याय की गुहार


दिल्ली सरकार और राजभवन के बीच हर दिन एक नया टकराव सामने आ रहा है। उपराज्यपाल की स्वीकृति के बिना दिल्ली सरकार और उससे जुड़े विभाग में सलाहकार, परामर्शदाता, सीनियर रिसर्च फैलो, विशेषज्ञ और अन्य पदों पर रखे गए 437 लोगों के वेतन पर तलवार लटकने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि यह दिल्ली सरकार और इसकी सेवाओं का गला घोंट देगी। मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाकर इसे तुरंत खत्म करने की मांग भी की है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सर्विसेज डिपार्टमेंट के आदेश को लेकर एलजी पर ठीकरा फोड़ते हुए गुरुवार सुबह ट्वीट किया, 'यह दिल्ली सरकार और उसकी सेवाओं का पूरी तरह से गला घोंट देगा। मुझे नहीं पता कि यह सब करके माननीय एलजी को क्या हासिल होगा? मुझे उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इसे तुरंत रद्द कर देगा।' नया विवाद ऐसे समय पर सामने आया है जब दिल्ली सरकार और राजभवन में सेवाओं पर अधिकार को लेकर पहले से जंग चल रही है।

अदरअसल, दिल्ली सरकार के सेवा विभाग में विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर ने इन नियुक्तियों में खामियां बताते हुए वेतन रोकने का लिखित आदेश जारी किया है। वित्त विभाग को लिखे गए पत्र में स्पष्ट किया है कि इन पदों पर लोगों की तैनाती बिना स्वीकृति के की गई है, इसलिए इनका वेतनमान तत्काल रोक दिया जाए। इसके साथ ही इनकी सेवाएं भी तत्काल रूप से बंद कर दी जाएं। दिल्ली सरकार से जुड़ी विधानसभा, योजना विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसायटी, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, डीटीसी, महिला और बाल कल्याण विभाग, पर्यावरण समेत अन्य और स्वायत्त निकायों में कुछ लोगों को रखा है। राजशेखर ने लिखा है कि इन सभी पदों पर तैनाती से पहले एलजी की मंजूरी अनिवार्य है। लेकिन नियमों को दरकिनार कर इनकी नियुक्ति की गई। 

-इन सभी पदों पर तैनाती से पहले उपराज्यपाल की स्वीकृति नहीं ली गई। तैनाती के दौरान आरक्षण के नियमों का भी पालन नहीं किया गया।

सरकार से जुड़े विभागों में 67, निगमों में 133, विभाग एवं संगठनों में 237 पदों पर इन लोगों की तैनाती की गई थी। सलाहकार को 2.65 लाख, परामर्शदाता को 1.25 लाख, फैलो को 1.25 लाख प्रतिमाह तक का वेतनमान दिया जा रहा था।
जेल में 131 दिन से बंद मनीष सिसौदिया को झटके पर झटका, अब राहत के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, पढ़िए, क्या दिया तर्क

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शराब घोटाले में आरोपी सिसोदिया को दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई और ईडी केस में जमानत से इनकार कर दिया था। अब सिसोदिया ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत से राहत मांगी है।

दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से दिए गए फैसलों- ईडी केस में 3 जुलाई और सीबीआई केस में 30 मई, को चुनौती देते हुए सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सीबीआई चार्जशीट दायर कर चुकी है। इसमें उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं उनमें 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है। ईडी मामले में जमानत की मांग करते हुए सिसोदिया ने कहा कि अब तक जांच में किसी अपराध का पता नहीं चला है। कथित मनी लॉन्ड्रिंग में सबूत के अभाव की वजह से उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। वकील विवेक जैन की ओर से दाखिल याचिका में यह भी कहा गया है कि इस केस में दूसरे आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।

मनीष सिसोदिया को इसी साल 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 9 मार्च को ईडी ने उन्हें अपनी गिरफ्त में लिया था। दोनों एजेंसियों की ओर से कई बार रिमांड पर पूछताछ के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। पूर्व आबकारी मंत्री निचली अदालत से हाई कोर्ट तक में कई बार जमानत याचिका दायर की, लेकिन उन्हें अब तक राहत नहीं मिली है। 

सिसोदिया ने पत्नी के बीमार होने का हवाला देकर भी राहत मांगी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें एक दिन मुलाकात का ही मौका दिया। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने यह कहते हुए उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया कि आरोप बेहद गंभीर हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सिसोदिया प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्हें जमानत मिलने से सबूतोंं से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

आरोप है कि आबकारी मंत्री रहते हुए सिसोदिया ने शराब कारोबारियों के साथ मिलीभगत की और इस तरह की आबकारी नीति का निर्माण किया जिसकी वजह से भ्रष्टाचार हुआ। जांच एजेंसियों का दावा है कि शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाकर बदले में 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली गई। हालांकि, आम आदमी पार्टी आरोपों को बेबुनियाद बताती रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दावा करते हैं कि दिल्ली में शिक्षा का बेहतर काम रोकने के लिए बीजेपी ने सिसोदिया को गिरफ्तार करवाया है।

क्या इस्तीफा देंगे महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे? सीएम ने खुद दिया जवाब

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में अजित पवार की बगावत के बाद से महाराष्ट्र में खूब राजनीति हो रही है।अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने के बाद ऐसी अटकलें लग रही हैं कि अब सीएम शिंदे इस्तीफा दे सकते हैं।इस बीच शिंदे ने खुद उन अटकलों को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया जा रहा था कि उनके गुट के कई विधायक अजित पवार की सरकार में एंट्री से नाराज हैं। साथ ही उन्होंने इस्तीफे की खबरों को अफवाह बताया।

महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ किया है कि इस्‍तीफे को लेकर हो रही बातें केवल अफवाह है और यह सब कांग्रेस फैला रही है। उन्‍होंने कहा कि अजित पवार पीएम नरेंद्र मोदी से प्रभावित थे, इसलिए उन्‍होंने बड़ा कदम उठाया है। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र का घटनाक्रम देखकर एनसीपी और अन्‍य विपक्ष के पेट में दर्द हो रहा है। उन्हें अपनी पार्टी की हालत को देखना चाहिए अपने घर को देखना चाहिए वो घर अब टूट गया है।

पवार के मंत्रिमंडल में शामिल होने से सरकार और मजबूत हो गई-शिंदे

शिंदे ने कहा, अजित पवार के राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद हमारी सरकार और मजबूत हो गई है।राजनीति में समीकरण संख्या बल पर चलता हैं हमारी पार्टी को मिलकर 200+ विधायक हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की ताकत मेरे पीछे है।  

अपने गुट के विधायकों की नाराजगी के सवाल पर भी बोले शिंदे

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सभी को सारी बात समझा दी गई है, हम लोग तो सत्ता को छोड़ कर चले गए थे। हम एक विचारधारा और भूमिका को लेकर सत्ता से बाहर निकले थे। सत्ता के लालच में हमने पहले निर्णय नहीं लिया था। हमारे विधायकों ने आगे क्या होगा इसकी भी परवाह नहीं की थी।

गहलोत-पायलट में सुलह! राजस्थान की रार पर दिल्ली में मंथन, खड़गे ने कहा- पार्टी एकजुट होकर चुनाव में जनता के बीच जाएगी

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राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। इससे पहले कांग्रेस के लिए राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पालयट के बीच का रार गले की फांस बना हुआ था। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह कर दी है। सूत्रों के मुताबिक आलाकमान ने सचिन पायलट की तीनों मांगों को मान लिया है। साथ ही पार्टी ने कहा है कि हम एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेंगे।

पार्टी एकजुट होकर आगामी चुनाव में जनता के बीच जाएगी-खड़गे

राजस्थान में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव और उससे पहले वहां मचे रार को लेकर कांग्रेस ने आज अहम बैठक की। इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी के अलावा सचिन पायलट भी मौजूद रहे। इस बैठक को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, "जन-सेवा, राहत और सबका उत्थान, प्रगति के पथ पर बढ़ता राजस्थान। कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान में समावेशी विकास एवं जन-कल्याण की योजनाओं को घर घर पहुंचाया है। पार्टी एकजुट होकर आगामी चुनाव में जनता के बीच जाएगी। राजस्थान का हर वर्ग - किसान, खेत-मज़दूर, युवा, महिलाएं व समाज का हर एक वर्ग कांग्रेस पार्टी में अपनी आस्था व्यक्त कर रहा है। हम सब की आकांक्षाओं का ख़्याल रखेंगे। राजस्थान का वर्तमान और भविष्य दोनों कांग्रेस के हाथों में सुरक्षित है। इस बार इतिहास बदलेगा।

अनर्गल बयानबाजी पर होगी सख्त कार्रवाई

कांग्रेस में पिछले कई महीनों से अंदरूनी कलह के चलते बयानबाजी होती रही है। कई मंत्रियों और विधायकों द्वारा सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए बयान दिए गए हैं। गुरुवार को दिल्ली में हुई बैठक में सभी नेताओं को साफ तौर पर आगाह किया गया है कि आज के बाद कोई भी नेता पार्टी के प्रति अनर्गल बयानबाजी नहीं करेगा। पार्टी के किसी भी नेता के खिलाफ भी कोई बयान नहीं देगा। अगर किसी भी नेता ने पार्टी विरोधी बयान दिया तो शीर्ष नेतृत्व उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। बयानबाजी करने वाला नेता चाहे कितने ही बड़े पद पर क्यों नहीं हो, पार्टी आलाकमान ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त एक्शन लेंगे।

यूनिटी और पॉजिटिविटी के साथ कैंपेनिंग में उतरने की नसीहत

बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में वेणुगोपाल और प्रभारी रंधावा ने स्पष्ट किया अब कोई डिफरेंस पार्टी नेताओं में नहीं है, जो पहले थे। सभी नेता एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेंगे। बाहर पब्लिक में कोई नेगेटिविटी के साथ बात नहीं करेगा। कोई समस्या है तो कांग्रेस पार्टी के अंदर लीडरशिप को बताई जा सकती है। कांग्रेस पार्टी और राजस्थान कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोई भी कांग्रेस नेता एक शब्द भी नहीं बोलेगा। पूरी यूनिटी और पॉजिटिविटी के साथ चुनाव कैंपेनिंग में सभी नेता उतरेंगे।

सितंबर के पहले सप्ताह में प्रत्याशियों का ऐलान होगा- वेणुगोपाल

केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि सितंबर के पहले सप्ताह में इस बार विधानसभा चुनाव के लिए राजस्थान में टिकट फाइनल कर दिए जाएंगे। और टिकट वितरण कर दिया जाएगा। इस बार जल्दी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट घोषित कर दिए जाएंगे। कांग्रेस संगठन महासचिव ने स्पष्ट किया कि कल ही से चुनाव कैंपेनिंग राजस्थान में शुरू कर दी जाएगी।

सचिन पायलट की मांगों पर एक्शन ले रही गहलोत सरकार- वेणुगोपाल

केसी वेणुगोपाल और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने यह भी स्पष्ट किया कि सचिन पायलट की मांगों पर राजस्थान कांग्रेस सरकार एक्शन ले रही है। आरपीएससी में निष्पक्षता के आधार पर और योग्य लोगों को ही पदों पर लिया जाएगा। इसके अलावा परीक्षा में पेपर लीक मामले पर राजस्थान विधानसभा के आगामी सत्र में सरकार उम्र कैद तक की सजा का सख्त कानून लेकर आ रही है। उन्होंने कहा सचिन पायलट भी बैठक में मौजूद रहे। जिन्होंने पॉजिटिव वे में अपनी पूरी बात रखी और एकजुटता से चुनाव लड़ने की बात कही। साथ ही पायलट ने कहा राजस्थान में निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी की जीत होगी।

हरियाणा में कुंवारों को हर महीने पेंशन देगी मनोहर सरकार, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य

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हरियाणा में 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी के सिर पर दो बार जीत का सेहरा बंध चुका है। ऐसे में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की 'सेना' कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। ऐसे में हरियाणा सरकार ने चुनावी चाल चली है। हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में अविवाहित लोगों के मासिक पेंशन देने का ऐलान किया है। राज्य सरकार पिछले काफी समय से राज्य में मौजूद कुंवारे लोगों को पेंशन देने पर विचार कर रही थी। राज्य सरकार ने इस बारे में सैद्धांतिक निर्णय लेने के बाद ऐलान किया है कि कुंवारे लोगों को 2,750 रुपये प्रति महीने पेंशन प्रदान की जाए।

कुंवारों को मिलेगा 2750 रुपये प्रति माह

2 जुलाई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल करनाल दौर पर थे। इस दौरान गांव कलामपुरा में जब वे जनसंवाद कर रहे थे। तब एक 60 वर्ष के अविवाहित शख्स ने मुख्यमंत्री के सामने पेंशन संबंधी शिकायत रखी, जिस पर सीएम ने कहा था कि एक महीने के अंदर इस बारे में फैसला कर लिया जाएगा। अब सरकार ने इस पर फैसला कर तय किया है कि अविवाहित को हरियाणा में 2750 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। इसके लिए कुछ मानक तय किए गए जिन्हें पूरा करने पर योजना का लाभ मिलेगा।

45 से 60 वर्ष है उम्र का दायरा

हरियाणा के 45 से 60 वर्ष तक की आयु वाले कुंवारे पुरुष व महिलाओं को अब से ₹2,750 मासिक पेंशन दी जाएगी। ₹1.80 लाख से कम वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को इस पेंशन का लाभ मिलेगा। इसके अलावा 40-60 वर्ष आयु तक के विधुर पुरुष, जिनकी वार्षिक आय ₹3 लाख से कम है उन्हें भी ₹2,750 पेंशन दी जाएगी।

सवा लाख कुंवारों को मिलेगा योजना का लाभ

सरकार के फैसले के साथ ही हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है।जिसने अविवाहितों और विधुरों के लिए पेंशन का एलान किया है।खट्टर सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के करीब सवा लाख कुंवारों को इस योजना का लाभ मिलेगा

ट्विटर की टक्कर में इंस्टाग्राम ने अपना नया ऐप थ्रेड किया लॉन्च, भारत को भी कराया उपलब्ध, पढ़िए, क्या क्या हैं इसके मुख्य फीचर्स

ट्विटर की टक्कर में इंस्टाग्राम ने अपना नया ऐप थ्रेड लॉन्च कर दिया है। यह एक नया सोशल नेटवर्किंग ऐप है। इसकी सीधी टक्कर ट्विटर से होगी। थ्रेड ऐप काफी हद तक ट्विटर जैसा है। साथ ही इसमें कुछ फीचर्स इंस्टाग्राम के जोड़े गए हैं। थ्रेड एक टेक्स्ट आधारित सोशल मीडिया ऐप है जिसका सीधा मुकाबला ऐलन मस्क के ट्विटर (Twitter) से है। Meta के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने एप को लॉन्च कर दिया है। Threads को इंस्टाग्राम की टीम ने ही तैयार किया है। Threads में भी रियल टाइम फीड प्राप्त होगी। थ्रेड के फीचर्स और इंटरफेस काफी हद तक ट्विटर जैसे ही हैं। 

थ्रेड को अब भारत में भी उपलब्ध कराया गया है। थ्रेड को गूगल प्ले-स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। अगर आपके पास पहले से ही इंस्टाग्राम पर ब्लू टिक है यानी अगर आपका इंस्टाग्राम अकाउंट पहले से वेरिफाईड है तो थ्रेड अकाउंट स्वयं ही वेरिफाईड हो जाएगा। थ्रेड को आप एपल के एप स्टोर से भी फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं। थ्रेड में आप अपनी इंस्टाग्राम आईडी के साथ लॉगिन कर सकते हैं।

ऐसे करें इस्तेमाल

मेटा का इंस्टाग्राम एप एक फोटो शेयरिंग मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म है, जबकि थ्रेड, ट्विटर की भांति एक टेक्स्ट आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। अगर आपने ट्विटर इस्तेमाल किया है तो आपको थ्रेड के साथ परेशानी नहीं होगी। 

यह काफी हद तक पुराने ट्विटर वर्जन की भांति है। थ्रेड में आप 500 कैरेक्टर में पोस्ट कर सकते हैं जिसमें वेब लिंक, फोटो (एक बार में 10 फोटो) और मिनट तक के वीडियो सम्मिलित कर सकते हैं। थ्रेड में भी आप किसी को ब्लॉक और फॉलो कर सकते हैं। अगर आपने इंस्टाग्राम पर किसी को ब्लॉक किया है तो थ्रेड पर भी वह ब्लॉक ही रहेगा। थ्रेड में फिलहाल GIFS का सपोर्ट और "close friend" का सपोर्ट नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें फिलहाल डायरेक्ट मैसेजिंग का भी फीचर नहीं है।

पेशाब कांड के बाद मध्यप्रदेश में अब दो दलित युवकों के मुंह में भरा मल, चप्पलों की माला पहना 3 किमी तक जुलूस निकालकर घुमाया, छह गिरफ्तार


मध्य प्रदेश के सीधी के पेशाबकांड के बाद अब राज्य से एक और शर्मनाक घटना सामने आई है। शिवपुरी जिले की नरवर थाना पुलिस ने वरखाड़ी गांव के रहने वाले दो युवकों के साथ समुदाय विशेष के लोगों द्वारा अमानवीय व्यवहार किए जाने की घटना सामने आई है। नरवर थाना पुलिस ने वरखाड़ी गांव के रहने वाले दो लड़कों के साथ समुदाय विशेष के लोगों द्वारा अमानवीय व्यवहार किए जाने की घटना सामने आई है। पुलिस ने सात अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इनमें दो महिलायें भी सम्मिलित हैं। पुलिस ने 6 अपराधियों को गिरफ्त्तार कर लिया है जबकि एक अपराधी फरार है। 

कहा जा रहा है कि दो दिन पहले वरखाड़ी गांव में समुदाय विशेष के लोगों ने अनुज जाटव और संतोष केवट नाम के दो लड़कों को लड़कियों की छेड़खानी करने के आरोप में पकड़ लिया था। अपराधियों ने इन युवाओं के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए दोनों को पीटा फिर इनके गले में चप्पलों की माला पहना दी। अपराधी इतने पर भी नहीं रुके। अपराधियों ने इन लड़कों के मुंह में मल (मैला) भर दिया। यही नहीं युवकों के कपड़ों पर भी मल लगा लगा दिया था। तत्पश्चात, दोनों लड़कों का जुलुस निकाला था। जब पुलिस ने इन युवकों से पूछताछ की, तो युवकों ने छेड़छाड़ से साफ़ इंकार कर दिया। पुलिस की जांच में भी लड़की के साथ छेड़छाड़ का आरोप साबित नहीं हो पाया। जिस वक़्त घटना हुई युवती वहां मौजूद नहीं थी, युवकों की युवती से सिर्फ फोन पर बात हुई थी। 

वही पुलिस ने दोनों युवकों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार और उनके साथ मारपीट करने के आरोप में अल्पसंख्यक समुदाय के सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

 एसपी रघुवंश सिंह भदोरिया ने बताया कि पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने वरखाड़ी गांव के रहने वाले अजमत खान, वकील खान, आरिफ खान, शाहिद खान, इस्लाम खान, रहीशा बानों, साइना बानों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। एक अपराधी वकील खान को छोड़कर सभी अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्त्तार कर लिया है। फरार वकील खान की तलाश में पुलिस जुटी हुई है।

 कहा जा रहा है कि अपराधियों ने दलित युवक अनुज जाटव और संतोष केवट के मुंह पर कालिख पोतने के साथ चप्पलों की माला पहनाकर लगभग 3 किलोमीटर तक जुलूस निकालकर घुमाया। पीड़ितों के भाई जयचंद जाटव ने समाज के बड़े बुर्जुगों को साथ लेकर पुलिस अधीक्षक दफ्तर पहुंचकर ज्ञापन दिया। पीड़ितों के परिजनों ने मांग की कि अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली की केजरीवाल सरकार को राहत, केंद्रीय अध्यादेश के खिलाफ 10 जुलाई को सुनवाई

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केंद्रीय अध्यादेश के मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली की केजरीवाल सरकार आमने-सामने हैं। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों से समर्थन की अपील कर कर रही है। इस बीच केंद्र सरकार के अध्यादेश पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। जिसपर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करेगा। 

केंद्र सरकार यह अध्यादेश 19 मई को लेकर आई थी। केंद्र ने दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को लाया था। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं पर निर्वाचित सरकार को नियंत्रण प्रदान करने के बाद लाया गया था।

इस अध्यादेश के आने के बाद से आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार लगातार इसका विरोध कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने तमाम विपक्षी दलों से इस अध्यादेश को लेकर मुलाकात की और संसद में इसका विरोध करने की अपील की है।

बता दें कि केजरीवाल सरकार आरोप लगाती रही है कि एलजी के माध्यम से केंद्र दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहा है। यही वजह है कि केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के पैसले के मुताबिक दिल्ली सरकार ही दिल्ली के नौकरशाहों के तबादले और उनकी तैनाती कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आम आदमी पार्टी ने अपनी जीत बताया था लेकिन उनकी ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही क्योंकि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 ले आई।