नारायण प्राइवेट आईटीआई लुपुंगडीह परिसर में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत दिवस मनाई गई
सरायकेला : नारायण प्राइवेट आईटीआई लुपुंगडीह परिसर में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत दिवस मनाई गई। एवं सभी कर्मचारियों द्वारा उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।
इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डाक्टर जटा शंकर पांडे ने कहा झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया।
साधारण जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग दिया। झलकारी बाई जो लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थी को उसने अपनी सेना में प्रमुख स्थान दिया।1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में पड़ोसी राज्य ओरछा तथा दतिया के राजाओं ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया।
रानी ने सफलतापूर्वक इसे विफल कर दिया। 1858 के जनवरी माह में ब्रितानी सेना ने झाँसी की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और मार्च के महीने में शहर को घेर लिया। दो हफ़्तों की लड़ाई के बाद ब्रितानी सेना ने शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। परन्तु रानी दामोदर राव के साथ अंग्रेज़ों से बच कर भाग निकलने में सफल हो गयी।
रानी झाँसी से भाग कर कालपी पहुँची और तात्या टोपे से मिली।तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिकों की मदद से ग्वालियर के एक क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया। बाजीराव प्रथम के वंशज अली बहादुर द्वितीय ने भी रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया और रानी लक्ष्मीबाई ने उन्हें राखी भेजी थी इसलिए वह भी इस युद्ध में उनके साथ शामिल हुए।
18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई।
संस्थान में मुख्य रूप से उपस्थित थे महाधिवक्ता निखिल कुमार , बिमल ओझा ,हरी नारायण साहू, शांति राम महतो महतो ,पवन कुमार महतो,अजय मण्डल,शंकर दस,देव कृष्णा महतो, कृष्णा महतो, , गोराब महतो, आदि मौजूद थे।
Jun 18 2023, 21:54