*सभी जिला स्तरीय अधिकारीे नियमित रूप से बाल और महिला आश्रय गृहों का करें दौरा-श्रीमती बेबी रानी मौर्य*
लखनऊ। राज्य में बच्चों को हिंसा और दुर्व्यवहार से बचाने और महिलाओं के सशक्तिकरण के उद्देश्य से दो प्रमुख योजनाओं-मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति के प्रभावी रोलआउट पर तीन दिवसीय परामर्श-सह-कार्यशाला का आयोजन महिला कल्याण और बाल विकास विभाग द्वारा यूनिसेफ के साथ साझेदारी में 14 जून से 16 जून तक किया गया। जिसका शुभारम्भ प्रदेश के महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग मंत्री बेबी रानी मौर्य ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कार्यशाला का उद्देश्य अधिकारियों को मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य के नए जारी दिशा-निर्देशों पर उन्मुख करना है एवं जनपद स्तर पर समन्वयन एवं अभिसरण व्यवस्था को सशक्त करना था।
कार्यशाला में जिला परिवीक्षा अधिकारियों और उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारियों को बच्चों के खिलाफ हिंसा के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और सामुदायिक जुड़ाव के साथ-साथ लैंगिक समानता को बढ़ावा देने हेतु अभिमुखीकरण भी किया गया। कार्यशाला की शुरुआत राज्य के संदर्भ में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, जन्म के समय लिंग अनुपात, बाल विवाह और अपराध नियंत्रण उपायों जैसे महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों की उपलब्धियों और गुड प्रैक्टिसेज पर एक लघु फिल्म के साथ हुई।
उद्घाटन सत्र में महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य ने बाल संरक्षण की दिशा में ईमानदारी से काम करने का सुझाव दिया। उन्होंने सभी जिला स्तरीय अधिकारियों को नियमित रूप से बाल और महिला आश्रय गृहों का दौरा करने का भी सुझाव दिया ताकि वे महिलाओं और बच्चों की विभिन्न जरूरतों के बारे में अधिक जागरूक और सजग रहें। साथ ही उन्होंने विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रसंशा करते हुए बच्चों एवं महिलाओं की प्रति और अधिक लगन एवं कर्मठता के साथ काम करने का आव्हान किया।
महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की सचिव अनामिका सिंह ने कार्यशाला के दौरान राज्य में बच्चों और महिलाओं के कल्याण और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय और सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अभिसरण गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ जिला स्तर के अधिकारियों के प्रशिक्षण आवश्यकता मूल्यांकन के संचालन के लिए डीएम और संभागीय आयुक्तों को शामिल करने का भी सुझाव दिया। विभाग के लिए मनोबल बनाए रखने के लिए जिला स्तर पर गुड प्रैक्टिसेज का दस्तावेजीकरण करने का सुझाव दिया गया। उन्होंने पिछले वर्ष जिला परिवीक्षा अधिकारियों के काम की सराहना की और ‘शांति प्रार्थना’ नामक एक अनूठी गतिविधि के साथ अपना संबोधन समाप्त किया।
कार्यक्रम में प्रबंधक, यूनिसेफ, उत्तर प्रदेश अमित मेहरोत्रा ने उपस्थित लोगों को बताया कि शीघ्र ही राज्य के 18 संभागों को यूनिसेफ के बाल संरक्षण सलाहकारों द्वारा कवर किया जाएगा। राज्य के अधिकांश संभागों में शिक्षा और स्वास्थ्य सलाहकार पहले से ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग की गतिविधियों में सहायता के लिए स्वयंसेवकों का एक नेटवर्क विकसित करने की आवश्यकता है जैसा कि पोलियो उन्मूलन हेतु किया गया था. श्री मेहरोत्रा ने बाल सभाओं के गठन पर ज़ोर दिया जिससे की बच्चों से सम्बंधित मुद्दों को चिन्हित कर समाधान खोजें जा सके।
निदेशक, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार सरनीत कौर ब्रोका, ने कार्यशाला के दौरान जिला परिवीक्षा अधिकारियों को सुझाव दिया कि उन्हें बाल गृहों, बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) और किशोर न्याय बोर्डों (जेजेबी) में बाल अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में काम करना चाहिए ताकि ये संस्थान बच्चों की विभिन्न जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील हों पाएं।
उन्होंने यह भी सलाह दी कि अधिकारियों को स्थानीय संगठनों जैसे रेड क्रॉस सोसाइटी, रोटरी क्लब और अन्य सिविल सोसाइटी संगठनो के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि उन्हें नियमित आधार पर बच्चों के पुनर्वास और प्रत्यावर्तन किया जा सके। उन्होंने जिला मजिस्ट्रेटों के माध्यम से बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) की नियमित निगरानी और पर्यवेक्षण की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
कार्यशाला में मिशन वात्सल्य के प्रमुख प्रावधानों पर कार्यशाला में गहन रूप से चर्चा की गई। जिनमें, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, प्रायोजन, फोस्टर केयर और आफ्टर केयर कार्यक्रमों के तहत देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को 4000 रुपये का मासिक अनुदान है। बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) के लिए विकसित एसओपी का मसौदा भी जिला परिवीक्षा अधिकारियों के साथ साझा किया गया ।
यूनिसेफ के बाल संरक्षण विशेषज्ञ मंसूर कादरी ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की प्रमुख बाल संरक्षण योजना- मिशन वात्सल्य के बारे में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के बारे में प्रस्तुत किया। उन्होंने बच्चों के लिए परिवार आधारित वैकल्पिक देखभाल को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न विभागों के साथ अभिसरण को मजबूत करने के लिए आगे के प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ मजबूत संबंध विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
महिला कल्याण विभाग के उप निदेशक आशुतोष सिंह ने मिशन शक्ति के विभिन्न घटकों जैसे कि महिला सशक्तिकरण के लिए जिला हब (डीएचईडब्ल्यू), वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), शक्ति सदन और बीबीबीपी के बारे में प्रस्तुत किया। उन्होंने मिशन शक्ति के तहत संशोधित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी), डीएचईडब्ल्यू, एकएनडी ओएससी से संबंधित विभिन्न संशोधित रणनीतियों और हस्तक्षेपों के बारे में भी बताया।
बाल आशा ट्रस्ट, मुंबई के श्री सुनील अरोड़ा ने गोद लेने से संबंधित प्रक्रियाओं पर एक महत्वपूर्ण सत्र लिया। उन्होंने बच्चों को गोद लेने की प्रक्रियाओं से संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं को प्रस्तुत किया जैसे कि ऑनलाइन पोर्टल पर गोद लेने के अनुरोध को कैसे पंजीकृत किया जाए और गोद लेने की प्रक्रियाओं से संबंधित आवश्यक तथ्यों को साझा किया।
कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य, कौशल विकास और बीसी सखी की भागीदारी, बाल अनुकूल गांव एवं ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) से संबंधित मामलों में पंचायती राज की भागीदारी, बच्चों और महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर समन्वय और अभिसरण को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, कौशल विकास और पंचायती राज जैसे विभिन्न विभाग के अधिकारियों के साथ एक पैनल चर्चा आयोजित की गई।
प्रतिभागियों को हाल ही में संशोधित किशोर न्याय अधिनियम और पॉक्सो अधिनियम से संबंधित नए प्रावधानों पर प्रोफेसर पांडेय द्वारा जानकारी प्रदान की गई।
कार्यशाला के दौरान बाल विवाह संबंधी दंडात्मक प्रावधानों और जिला बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों की भूमिका पर भी चर्चा की गई।
सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार और जेंडर से संबंधित चर्चा विषयों पर प्रतिभागियों के साथ महिलाओं और बच्चों से संबंधित योजनाओं पर सामुदायिक लामबंदी और जुड़ाव को मजबूत करने के लिए जेंडर एवं सोसिओ-इकोलॉजिकल मॉडल को कार्यशाला में प्रतिभागियों को बताया गया। अंत में प्रतिभागियों ने विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से संबंधित अपनी चुनौतियों और सुझावों को साझा किया।
Jun 18 2023, 10:13