आसमा-एनीमिया की रोकथाम कर सुरक्षित मातृत्व के लिए एक प्रयास कार्यक्रम का DM ने किया शुभारंभ, आसमा एक नई पहल के रूप में जाना जाएगा
गया। जिलाधिकारी डॉ० त्यागराजन एसएम ने समाहरणालय सभागार में आसमा-एनीमिया की रोकथाम कर सुरक्षित मातृत्व के लिए एक प्रयास कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आसमा (AASMA- An attempt for safed motherhood by preventing anemia) कार्यक्रम के तहत गर्भावस्था के दौरान आयरन फोलेट और आयोडीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी विशेष रूप से पाई जाती है। मां और नवजात शिशु की पोषक तत्वों की बढ़ती जरूरतों के कारण, ये कमियां मां एवं नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
एक गर्भवती महिला को एनीमिया तब माना जाता है जब गर्भावस्था के दौरान उसकी हेमोग्लोबिन एकाग्रता की 11 ग्राम से कम हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान कम हेमोग्लोबिन सांद्रता माध्यम या गंभीर एनीमिया का संकेत समय से पहले प्रसव, मातृ और शिशु मृत्यु दर और संक्रामक रोगों को बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता केवल बहुत कम मात्रा में होती है, लेकिन सामान्य शारीरिक क्रिया, वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। आसमा कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि गया जिले में 9 ग्राम से कम हेमोग्लोबिन वाली गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त आयरन युक्त आहार एवं आई०एफ०ए० गोली का सेवन शत-प्रतिशत सुनिश्चित कराना है। इस कार्यक्रम अंतर्गत गया जिला में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की कमी लाने के उद्देश्य से संचालित किया गया है। गर्भवती महिलाओं में खानपान में व्यवहार परिवर्तन ला कर उनमें एनीमिया की रोकथाम की जानी है ताकि एनीमिया से ग्रसित महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके एवं जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य को भी बेहतर किया जा सके।
आसमा कार्यक्रम का क्रियान्वयन में प्रथम चरण में स्वास्थ्य विभाग द्वारा 9 ग्राम से कम हेमोग्लोबिन वाले गर्भवती महिलाओं (एनीमिया से ग्रसित) का वी०एच० एस०एन०डी०/ वंडर कैंप/ आंगनवाड़ी केंद्र/ स्वास्थ्य केंद्र पर कैंप के माध्यम से लाइन लिस्ट तैयार करना है। पंचायत स्तर पर चयनित जीविका के सी०एल०एफ के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को संबंधित आंगनवाड़ी केंद्र पर भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। एनीमिया से ग्रसित चयनित गर्भवती महिलाओं को आई०एफ०ए अनुपूरक टेबलेट पूरी देखरेख में खिलाया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्र पर चयनित गर्भवती महिलाओं के साथ बैठक कर एनीमिया के दुष्प्रभाव, गर्भावस्था के दौरान पोषण, आयरन टेबलेट के सेवन और फायदे की जानकारी, प्रसव की तैयारी से संबंधित विषय पर सलाह देने का कार्य किया जाएगा।
आसमा प्रोजेक्ट के तहत गया जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन प्रखंड यथा कोच प्रखंड के 10 पंचायत के 178 गर्भवती महिलाएं, मानपुर प्रखंड के 8 पंचायत के 89 गर्भवती महिलाएं तथा बोधगया के 8 पंचायत के 233 गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया गया है। जिनका होमो ग्लोबिन 9 ग्राम से कम है। इस प्रकार कुल 26 पंचायत के 500 गर्भवती महिलाओं को लाइन लिस्टिंग कर उन्हें चिन्हित की गई है। आज के कार्यक्रम का शुभारंभ जिला धिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके पश्चात जिलाधिकारी को डीपीओ आईसीडीएस द्वारा मोमेंटो एवं पौधा भेंट कर उनका हार्दिक स्वागत किया गया।
स्वागत भाषण डीपीओ आईसीडीएस द्वारा देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग के तमाम पदाधिकारियों, आईसीडीएस के पदाधिकारियों, जीविका के समन्वयक, यूनिसेफ, पिरामल सहित अन्य लोगो को आज के उद्घाटन कार्यक्रम में स्वागत करती हूं। जिलाधिकारी के अद्भुत प्रयासों से गया ज़िला में मॉडल के रूप में शुरू किए गए श्रवण श्रुति के कार्यों को सभी जगह में सराहा जा रहा है। उसी प्रकार आसमा कार्यक्रम के तहत सभी के सहयोग से शत-प्रतिशत एनीमिया का रोकथाम पर काबू किया जाएगा। आसमा एक नई पहल के रूप में गया जिला जाना जाएगा। आसमा कार्यक्रम का शुभारंभ के अवसर पर आसमा नामक पंपलेट का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जिला प्रोग्राम पदाधिकारी स्वास्थ्य डीपीएम ने संबोधित करते हुए इस नवाचार कार्यक्रम के संबंध में बताया कि सभी स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी का आज के कार्यक्रम में स्वागत है। आसमा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की कमी के कारण किसी गर्भवती महिला का क्रिटिकल कंडीशन ना हो उसके लिए उनका भरपूर इलाज करवाया जाना है। 9 ग्राम से कम हेमोग्लोबिन वाले गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें खाना खिलाने के साथ-साथ आयरन की दवा भी पूरी देखरेख में नियमित 100 दिनों तक खिलाया जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने कार्यक्रम में उपस्थित सिविल सर्जन, डीपीओ आईसीडीएस, डीपीएम स्वास्थ, जिला जनसंपर्क, सभी स्वास्थ्य विभाग के एमओआईसी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, विभिन्न विभागों के पदाधिकारी गण, यूनिसेफ, पीरामल, जीविका, पत्रकार मित्रों सभी का अभिनंदन करते हुए कहा कि आज एक नयाचार पहल जिला प्रशासन गया द्वारा प्रारंभ की गई है,
जिसका नाम आसमा, एनीमिया मुक्त करने का एक नई पहल अनोखा पहल प्रारंभ करने जा रहा है। एनीमिया ऐसी चीज है कि गर्भवती महिलाओं में हम लोगों ने जो पाया खास कर दरभंगा में व्यापक पैमाने पर वंडर ऐप चलाया जिसमें पाया है 60% महिलाएं एनीमिया से प्रभावित होती है। 11 ग्राम से नीचे 60% एवं 09 ग्राम हेमोग्लोबिन से नीचे 25 से 30% महिलाएं प्रभावित रहती हैं। अगर वैसी स्थिति में थोड़ा सा भी हेमरेज की स्थिति उत्पन्न होती है डिलीवरी के समय तो वैसे स्थिति में महिलाओं को बचाना और उनको समय पर उपचार कराकर शिशु को बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। डिलीवरी के दौरान हीमोग्लोबिन कम होने से अगर सामान महिलाएं 6 घंटे जीवित रह सकती है तथा एनीमिया से ग्रसित महिला 4 घंटे से भी कम जीवित रखना मुश्किल हो जाती है। मातृत्व मृत्यु का मुख्य कारण हेमराज है ब्लीडिंग है। गर्भवती अवधि के दौरान महिलाएं थोड़ा थकान महसूस करती हैं। अच्छा स्वास्थ्य महसूस नहीं करती हैं। कमजोरी होती है। कई प्रकार की समस्याएं होती है। उसका भी सुधार करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। गया जिला थोड़ा सा अलग करके एक कार्यक्रम चलाएं आयरन फोलिक एसिड टेबलेट मुफ्त में वितरण होता है। आयरन टैबलेट लगातार 90 दिन गर्भवती महिलाओं को खाना होता है परंतु किसी कारण से गर्भवती महिला नियमित तौर पर दवा का सेवन नहीं करती है।
एक व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता को देखते हुए एक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। पायलट प्रोजेक्ट के तहत गया जिला में यह प्रोग्राम प्रारंभ किया गया जिसमें 9 ग्राम से कम हेमोग्लोबिन वाले 500 महिला को स्क्रीनिंग की गई। इन महिलाओं का लगातार 100 दिन लगातार हमारे कर्मी के सामने, जीविका के माध्यम से बनाए जाने वाले खाना जो गांव की स्वयं सहायता समूह द्वारा पोषण सहित खाना बनाएगी और खाना खिलाया जाएगा इसके साथ साथ आयरन की गोली भी खिलाया जाएगा। महिलाओं को व्यवहार परिवर्तन काफी आवश्यक है। सीडीपीओ अपने देखरेख में खाना खिलाएंगे एवं दबा के खिलाएंगे। 100 दिन नियमित तौर पर लगातार आयरन की गोली खाने से उनके हिमोग्लोबिन में सकारात्मक सुधार निश्चित तौर पर होगी। ऐसे होने से उनकी सेहत एवं शिशु के सेहत में काफी सुधार रहेगा। इसका परिणाम पूरे परिवार समाज में पड़ेगा। स्वस्थ शिशु एवं स्वस्थ बच्चा आने वाले समाज का निर्माण करता है। जिलाधिकारी ने इस कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए सिविल सर्जन, डीपीओ आईसीडीएस को धन्यवाद दिया साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह से श्रवण श्रुति कार्यक्रम में आप सबों का बढ़-चढ़कर सहयोग रहा उसी प्रकार आसमा प्रोजेक्ट में भी आप सभी का सहयोग अपेक्षित है। श्रवण श्रुति में गया ज़िला को एक मॉडल के रूप में विकसित किया है। इसको राज्य स्तर पर 9 जिला में श्रवण श्रुति को फॉलो किया गया है विस्तार किया गया है। उसी तरह आसमा प्रोजेक्ट को भी मॉडल की तरह बनाना चाहते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि इस कार्यक्रम के लाने से आपसी समन्वय के साथ एनीमिया मुक्त गया जिला को बनाया जाएगा।
श्रवण श्रुति के जो सफलता मिली है और जो मिल रही है उसके बारे में भी बताया कि लोगों ने काफी मेहनत से कार्य किया है। उसे आज सम्मानित किया जाएगा। जिला प्रशासन के सकारात्मक एवं नवाचार पहल को प्रमुखता से प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया बंधुओं को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि मीडिया में प्रकाशित खबरों को देखकर के काफी लोगों को सहयोग मिला है, जो अपने बच्चों को इलाज करवाया है। 41000 बच्चे को श्रवण श्रुति के तहत जांच किया है। इस साल के अंत तक एक लाख बच्चे को जांच करने का लक्ष्य रखा गया है। जो पूरी उम्मीद है कि इस अचीवमेंट को भी पूरा किया जाएगा। बच्चे को ट्रीटमेंट करने के लिए संस्थान पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि आसमा कार्यक्रम जो 500 महिला को पायलट के रूप में प्रारंभ की गई है। इसका परिणाम 90 दिन के बाद देखने को मिलेगा। सकारात्मक परिणाम मिलने से और बड़े पैमाने पर इसपर कार्य की जाएगी। इसके पश्चात श्रवण श्रुति कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पदाधिकारियो, कर्मियों को सम्मान पत्र जिला पदाधिकारी के हाथों दी गई। कार्यक्रम के बाद जिलाधिकारी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आज गया जिला में गर्भवती महिलाओं के बीच एनीमिया को समाप्त करने के उद्देश्य से एक नवाचार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, जो क्षेत्र में महसूस किया गया उसमें आयरन और फोलिक एसिड का वितरण जो हमलोग करते थे, उसका जो उपयोग में एक व्यवहार परिवर्तन का जरूरत महसूस किया गया। इसलिए क्योंकि वह महिला आयरन की दवा खाने के बाद उल्टियां होती है। और गर्भवती अवस्था में ऐसे ही उल्टी अमूमन आती है।
महिलाओं का एक प्रवृत्ति रहता है कि आयरन फ्लोरिक एसिड की टेबलेट को टाइमली नहीं खाए। लेकिन यदि एक सौ दिन महिला लगातार टेबलेट नहीं ले तो तो एनिमिया के सुधार करने में कठिनाई होती है। इसलिए खाना खाने के बाद आयरन फ्लोरिक का दवा लिया जाए तो काफी फायदा देखने को मिलेगा इसलिए 500 गर्भवती महिला को चिन्हित किया गया उन लोगों को पोषण युक्त खाना पहले उन्हें जीविका के द्वारा खिलाया जाएगा उसके बाद आयरन फोलिक एसिड अपने देखरेख में लगातार 100 दिन तक खिलाएंगे इसमें पूरा उम्मीद है कि होमो ग्लोबिन में सकारात्मक परिणाम मिलेगा उनके स्वास्थ्य अवस्था में एक सकारात्मक परिणाम आएगा और शिशु का स्वास्थ्य में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा इसी उद्देश्य के साथ यह नवाचार पहल शुरू किया गया इसमें आईसीडीएस, जीविका तथा स्वास्थ्य विभाग को आपसी समन्वय कर रहे हैं। जीविका के माध्यम से खाना बनाने का कार्य किया जा रहा है। श्रवण श्रुति के सफलता पर सभी विभागों के आज धन्यवाद एवं शुभकामनाएं देने के साथ एवं नए चुनौतियों के अब बनाने का संकल्प लिया गया है तथा अच्छे काम करने वालों को प्रशस्ति पत्र तथा सम्मानित एने का कार्य किया गया है। मीडिया मित्रों को भी काफी धन्यवाद दिया है कि एनीमिया के विरुद्ध सरकार द्वारा भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम चलाया जा रहा है इसके साथ ही गया जिला में अतिरिक्त व्यवहार परिवर्तन का कार्य करवाया जा रहा है। कार्यक्रम में सिविल सर्जन, सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, जीविका के पदाधिकारियों, कर्मचारियों एवं 3 प्रखंड के 9ग्राम से कम हेमोग्लोबिन वाले गर्ववती महिला उपस्थित थे। अंत में जिलाधिकारी ने एनीमिया ग्रसित गर्ववती महिलाओं को अपने हाथों से पोषण युक्त खाना, केला, आयरन की टैबलेट एवं सम्मान पत्र दिया।
रिपोर्ट: मनीष कुमार।
May 21 2023, 23:04