पूर्णिया के रानीपतरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में फाइलेरिया क्लिनिक शुरू, स्थानीय लोगों को होगी सहूलियत
पूर्णिया : वेक्टर जनित गंभीर रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित रूप से आवश्यक उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ संक्रमित अंग का पूरा ध्यान रखना होता है। अच्छी तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोका जा सकता है। फाइलेरिया बीमारी से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से जिले के रानीपतरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में फाइलेरिया क्लिनिक (एमएमडीपी) का शुभारंभ जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल के द्वारा किया गया है।
वहीं फाइलेरिया क्लिनिक के शुभारंभ के दौरान आठ मरीज़ों में एमएमडीपी किट का वितरण किया गया है। इस दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल, भीडीसीओ रवि नंदन, , केयर के बीसी शिव शंकर कुमार ,सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल ने बताया कि फाइलेरिया (हाथीपांव) मरीजों की देखभाल के लिए के पूर्णिया पूर्व प्रखंड के अंतर्गत रानीपतरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ओपीडी में रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) फाइलेरिया क्लिनिक का शुभारंभ किया गया है।
उन्होंने बताया कि परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से फाइलेरिया बीमारी फैलती है। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के माध्यम से उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंडल ने बताया कि जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के प्रयासों में तेजी आयी है। स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी संस्था सीफार एवं अन्य की सक्रियता के कारण रोग प्रबंधन व इसके प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण के उपायों को मजबूती मिली है। जरूरी चिकित्सकीय सेवाओं तक मरीजों की आसान पहुंच के उद्देश्य से जिले के तीन प्रखंडों में फिलहाल 23 ऐसे समूह संचालित हैं। इसमें क़स्बा में 06 , पूर्णिया पूर्व में 07 एवं के नगर 10 समूह संचालित हैं । समूह के सदस्य आसपास के ग्रामीण व स्कूली बच्चों को रोग से बचाव व इसके प्रबंधन संबंधी उपायों के प्रति जागरूक करने की मुहिम से जुटे हैं।
वहीं समाज की मुख्य धारा से अलग जीवन बसर करने के लिये मजबूर फाइलेरिया व कालाजार मरीजों के लिये रोगी सहायता समूह व नेटवर्क रोग उन्मूलन की दिशा में बेहद प्रभावी साबित हो रहा है। रोगी सहायता समूह की मदद से फाइलेरिया उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती मिली है। समूह के सदस्यों को रोग के प्रबंधन व प्रभावित अंगों की देखरेख को लेकर प्रशिक्षित किया गया है। रोगग्रस्त मरीजों को रोग के बारे में समुचित जानकारी व उपलब्ध सरकारी चिकित्सकीय इंतजाम की जानकारी देने में समूह सदस्य अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनके द्वारा ग्रामीणों को हर साल संचालित सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के तहत आवश्यक रूप से दवा सेवन करने, आसपास के माहौल को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक मच्छरजनित रोग है। इसका कोई समुचित इलाज नहीं। लेकिन कुशल प्रबंधन व प्रभावित अंगों की समुचित देखरेख से इससे होने वाली जटिलताओं से बहुत हद तक बचा जा सकता है। वर्ष 2027 तक देश को पूरी तरह फाइलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। लिहाजा इस दिशा में हर स्तर पर सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।
May 19 2023, 13:50