एलएसी से सटे गांवों के लिए मोदी सरकार ने की ये प्लानिंग, जिससे चीन की बढ़ी बेचैनी, जानें क्या है 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम'
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भारत के खिलाफ चीन की चालों को नाकाम करने के लिए मोदी सरकार ने खास प्लानिंग की है। केंद्र की मोदी सरकार ने चीन सीमा यानी एलएसी से लगे गांवों को डेवलप करने के लिए 'वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम' शुरू किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के किबिथू गांव में 'वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम' की शुरूआत की है। इस कार्यक्रम से चार राज्यों एवं एक केंद्र शासित प्रदेश के 19 जिलों और 46 सीमावर्ती ब्लाकों में आजीविका के अवसर और आधारभूत ढांचे को मजबूती मिलेगी। इससे उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र में समावेशी विकास सुनिश्वित हो सकेगा। इस कार्यक्रम से यहां रहने वाले लोगों के लिये गुणवत्तापूर्ण अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
मोदी सरकार की इस योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 19 जिलों के 46 ब्लॉक में 2,967 गांवों को चुना गया है।सबसे पहले इस प्रोग्राम के तहत 662 गांवों को डेवलप किया जाएगा। इनमें से अकेले 455 अरुणाचल में हैं। इन गांवों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।इस प्रोग्राम का उद्देश्य न केवल आजीविका या जॉब की तलाश में इन गांवों से शहर में जाने वाले ग्रामीणों को रोकना है, बल्कि जो शहर चले गए हैं उन्हें भी वापस लाना है।
इस योजना का उद्देश्य उत्तरी सीमा के सीमावर्ती गांवों में स्थानीय, प्राकृतिक और अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक प्रेरकों की पहचान और विकास करना तथा सामाजिक उद्यमिता प्रोत्साहन, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं व महिलाओं को सशक्त बनाना है।‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत इन इलाकों में विकास केंद्र विकसित करने, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को प्रोत्साहन देकर पर्यटन क्षमता को मजबूत बनाने और समुदाय आधारित संगठनों, सहकारिता, एनजीओ के माध्यम से “एक गांव एक उत्पाद” की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस के विकास पर ध्यान केंद्रीत किया जायेगा।
पीएम मोदी भी बता चुके हैं इस योजना की अहमियत
जहां एक तरफ सरकार की इस योजना से देश के पूर्वोतर राज्यों का विकास होगा। वहीं, पूर्वोत्तर में चीन की विस्तारवादी नीति का मुकाबला करने की सरकार की एक अच्छी रणनीति है।खुद पीएम मोदी ने भी इस योजना के महत्व के बारे में कहा था कि सीमा से सटे गांवों से पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बुरा है।
चीन को मिलेगा माकूल जवाब
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश की चीन के साथ करीब 1,129 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है। अभी हाल में चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कुल 11 जगहों का नाम बदला था। हालांकि, भारत ने चीन की इस हरकत को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि नाम बदलने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।यही नहीं, पिछले 9-10 सालों में चीन एलएसी से सटे अपने इलाकों में 600 से अधिक गांवों निर्माण किया है। कई गांव ऐसे हैं जो रणनीतिक रूप से भारत के लिए काफी मायने रखते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इन गांवों को एक शिविर के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।
4,800 करोड़ रुपये खर्च कर रही केंद्र सरकार
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिए केंद्र सरकार ने 4,800 करोड़ रुपये का खर्च निश्चित किया है। इसके अलावा इन गांवों में सड़कों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये अलग से आवंटित किए गए हैं। भारत सरकार ने जिन गांवों को चुना है, ये वह गांव हैं जो कि भारत-चीन सीमा पर फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में जाने जाते हैं। खास बात यह है कि गांवों में चल रहे बॉर्डर प्रोग्राम्स से इसका कोई लेना देना नहीं है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम उससे अलग प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट का मुआयना सीधे तौर पर केंद्र सरकार के अधिकारी करेंगे कि काम ठीक से हो रहा है या नहीं।






Apr 15 2023, 09:39
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