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बीजेपी ने राहुल गांधी पर लगाया राष्ट्रपति के अनादर का आरोप, जानें पूरा मामला

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भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संविधान दिवस के मौके पर संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते समय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं किया। संविधान दिवस के 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं करने को लेकर बीजेपी ने राहुल गांधी पर अहंकार का आरोप लगाया है।

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कथित वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि कांग्रेस नेता ने उनका अभिवादन इसलिए नहीं किया क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राहुल गांधी इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति का अभिवादन भी नहीं किया। सिर्फ इसलिए कि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं, एक महिला हैं और राहुल गांधी कांग्रेस के राजकुमार हैं? यह कैसी ओछी मानसिकता है?"

यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने कांग्रेस पर राष्ट्रपति की आदिवासी पहचान के कारण उनका 'अपमान' करने का आरोप लगाया है। इस साल की शुरुआत में, पीएम मोदी ने टिप्पणी की थी कि राष्ट्रपति के राम मंदिर जाने और देश की भलाई के लिए प्रार्थना करने के दो दिन बाद, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने घोषणा की थी कि मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया जाएगा। मोदी ने कहा था, क्या यह देश, आदिवासियों, माताओं और बहनों का अपमान नहीं है।

JMM छोड़ने वाले नेता एक बार फिर फ्लॉप, बाबूलाल सोरेन और सीता सोरेन समेत इन नेता हारे!

झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 में JMM के कई बागी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा. इसमें सीता सोरेन से लेकर बाबू लाल सोरेन तक शामिल हैं. शिकस्त झेलने वालों में कुल 4 नेता हैं. इन नेताओं को चुनाव से पहले JMM से इस्तीफा देना भारी पड़ा है.

बाबूलाल सोरेन- ये पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बेटे हैं. घाटशीला सीट से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था. उन्हें JMM के रामदास सोरेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा. बाबूलाल को 75 हजार 910 वोट मिले तो रामदास को 98 हजार 356 वोट मिले. यानी बाबूलाल को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा.

सीता सोरेन- सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को जामताड़ा सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इरफान अंसारी को 1 लाख 33 हजार 266 वोट मिले तो सीता सोरेन को 89 हजार 590 वोट मिले.

सूरज मंडल- ये कभी शिबू सोरेन का दाहिना हाथ हुए करते थे. बीजेपी में अपना सियासी भविष्य देख रहे थे, लेकिन कुछ कर नहीं पाए.

लोबिन हेम्बर्म- लोबिन JMM से बीजेपी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें बोरियो से टिकट मिला था. लेकिन वो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. उन्हें JMM के धनंजय सोरेन के हाथों शिकस्त मिली. लोबिन के खाते में 78 हजार 044 वोट आए तो धनंजय को 97 हजार 317 वोट मिले.

लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ गठबंधन 81 सदस्यीय विधानसभा की 56 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार झारखंड की सत्ता पर काबिज हुआ. वहीं, चुनाव अभियान के दौरान एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाला NDA महज 24 सीटें हासिल कर सका. विधानसभा चुनावों में JMM और कांग्रेस ने आदिवासी बेल्ट की 27 सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि बीजेपी महज सरायकेला में जीत दर्ज करने में सफल रही, जहां उसने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को मैदान में उतारा था.

चंपई विधानसभा चुनावों से पहले JMM छोड़ BJP में शामिल हो गए थे. उन्होंने हेमंत सोरेन नीत पार्टी पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया था. हालिया विधानसभा चुनावों में आदिवासी बेल्ट की 20 सीटें अकेले JMM की झोली में गईं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पार्टी को लोकलुभावन योजनाओं के अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कथित अन्याय का मुद्दा उठाने से पैदा हुई सहानुभूति लहर का फायदा मिला.

वहीं, JMM की सहयोगी कांग्रेस सात सीटों पर विजयी रही. जबकि, 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी आदिवासी बेल्ट में खाता तक खोलने में नाकाम रही थी. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनावों में उसने छह सीटों पर कब्जा जमाया था.

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

क्या महाराष्ट्र में बीजेपी की प्रचंड जीत राज्य के भविष्य को देगी नई दिशा?

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महाराष्ट्र, जो भारत के सबसे जनसंख्या वाले और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, हमेशा देश की राजनीतिक कथा में एक केंद्रीय स्थान रखता है। हाल ही में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महत्वपूर्ण जीत ने राज्य के शासन, आर्थिक दिशा और राजनीतिक परिदृश्य पर गहरे प्रभाव डालने की संभावना जताई है। महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत राज्य के भविष्य को कैसे आकार दे सकती है, खासकर शासन, आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में।

महाराष्ट्र में बीजेपी की वृद्धि

महाराष्ट्र, जिसका ऐतिहासिक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य काफी समृद्ध रहा है, हमेशा से ही राजनीति का अहम केंद्र रहा है। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) जैसे दल दशकों तक राज्य की राजनीति में हावी रहे हैं, जिनमें शिवसेना ने मुंबई और इसके आस-पास के इलाकों में प्रमुख स्थान बनाए रखा। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने राज्य में अपनी बढ़ती ताकत के संकेत दिए हैं, जिसका नेतृत्व देवेंद्र फडणवीस और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं ने किया।

बीजेपी की हाल की चुनावी जीत एक ऐसे समय पर आई है, जब राज्य कई चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है। बीजेपी की मजबूत राजनीतिक संरचना और राष्ट्रीय पैठ को देखते हुए यह जीत पार्टी के विचारधारा, नेतृत्व और भविष्य की दृष्टि के समर्थन के रूप में देखी जा रही है। यह जीत महाराष्ट्र की राजनीतिक धारा में हो रहे परिवर्तनों का भी प्रतीक है, जहां क्षेत्रीय दलों को बीजेपी की राष्ट्रीय अपील और केंद्रीकृत शासन मॉडल से चुनौती मिल रही है।

आर्थिक प्रभाव: विकास और निवेश

महाराष्ट्र भारत की आर्थिक धुरी है, जो देश के जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन और वित्तीय सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई के घर के रूप में, राज्य देश की आर्थिक प्रगति में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। हालांकि, अपनी आर्थिक ताकतों के बावजूद, महाराष्ट्र को संतुलित क्षेत्रीय विकास, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे की वृद्धि और सामाजिक कल्याण के संदर्भ में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

बीजेपी की जीत राज्य की आर्थिक दिशा पर गहरे प्रभाव डालने वाली है। बीजेपी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगिक वृद्धि और निवेश को आकर्षित करने पर खास जोर दिया जा सकता है। पार्टी ने हमेशा व्यवसाय समर्थक एजेंडे का समर्थन किया है, जिसमें ब्योरोक्रेसी की बाधाओं को कम करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का वादा किया है।

औद्योगिक वृद्धि और निवेश:  

महाराष्ट्र में कई प्रमुख उद्योगों जैसे विनिर्माण, वित्त और प्रौद्योगिकी का वर्चस्व है। बीजेपी के व्यापार समर्थक रुख के कारण राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ सकता है, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र को केंद्र सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी योजनाओं का भी फायदा मिल सकता है, जो देश में स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) और औद्योगिक केंद्रों पर भी पार्टी का ध्यान रहेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जो नई और बढ़ती तकनीकों के लिए उपयुक्त हैं, जैसे बायोटेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक वाहन। मुंबई-पुणे कॉरिडोर जैसे वैश्विक बाजारों के नजदीक स्थित होने के कारण महाराष्ट्र औद्योगिक और निर्यात-आधारित वृद्धि के लिए एक प्रमुख स्थान बन सकता है। बीजेपी के व्यापार-समर्थक नीतियों से महाराष्ट्र को वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

कृषि क्षेत्र का विकास:  

कृषि, जो अभी भी महाराष्ट्र की बड़ी हिस्सेदारी वाले क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करती है, एक ऐसा क्षेत्र है जो सुधार की दिशा में काफी पीछे रहा है। राज्य में जलसंकट, खराब फसल पैदावार और कृषक संकट जैसी समस्याएं सामने आई हैं। बीजेपी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई कृषि सुधारों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रही है, महाराष्ट्र में भी कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए योजनाएं लागू कर सकती है। बीजेपी राज्य में सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने, किसानों की आय को बढ़ाने और कृषि में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दे सकती है। पीएमएवाई (प्रधानमंत्री आवास योजना) और कृषि आधारित उद्योगों जैसे कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण महाराष्ट्र के लिए भी कई योजनाओं की संभावना है।

स्वास्थ्य और शिक्षा:  

महाराष्ट्र का स्वास्थ्य ढांचा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई समस्याओं का सामना कर रहा है। बीजेपी के नेतृत्व में राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, सस्ती चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने और पोषण एवं स्वच्छता जैसे मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया जा सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं जैसे 'आयुष्मान भारत' को राज्य स्तर पर लागू करने के प्रयासों से लाखों परिवारों को लाभ हो सकता है। शिक्षा क्षेत्र में, बीजेपी गुणवत्ता को बेहतर बनाने, डिजिटल शिक्षा के विस्तार और व्यावसायिक प्रशिक्षण में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। खासकर महाराष्ट्र के विविध आर्थिक आधार के मद्देनजर, पार्टी का युवाओं की कौशल विकास पर जोर देना अहम रहेगा। इस कदम से बेरोजगारी दर को कम करने में मदद मिल सकती है और राज्य के युवाओं को भविष्य के उद्योगों के लिए तैयार किया जा सकता है।

क्षेत्रीय असमानताएं:  

महाराष्ट्र में क्षेत्रीय असमानताएं एक बड़ी चुनौती रही हैं। जबकि मुंबई और पुणे ने तेजी से शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का लाभ उठाया है, वहीं विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र अभी भी गरीबी, अविकास और सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। बीजेपी की सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के लिए उचित नीतियों को लागू करना महत्वपूर्ण होगा। हालांकि पार्टी का केंद्रीकृत शासन मॉडल शहरी विकास को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन बीजेपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों को भी समुचित विकास मिले। ग्रामीण महाराष्ट्र में पीएमएवाई, कौशल विकास, और स्थानीय उद्यमिता जैसी योजनाओं के तहत विकास का लाभ मिल सकता है।

राजनीतिक परिदृश्य: गठबंधन और आने वाली चुनौतियाँ

बीजेपी की जीत राज्य की राजनीतिक धारा में बदलाव का संकेत देती है। राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी जैसी क्षेत्रीय ताकतों को कमजोर कर, बीजेपी एक मजबूत विपक्षी बनकर उभरी है। हालांकि, बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से मजबूत विरोध का सामना करना पड़ेगा, खासकर शिवसेना से, जो महाराष्ट्र की राजनीति में प्रभावी है। इसके अलावा, बीजेपी को राज्य में स्थानीय पहचान, आरक्षण नीति और क्षेत्रीय स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने की चुनौती हो सकती है। इन मुद्दों पर सही दिशा में काम करके ही बीजेपी राज्य में स्थिरता और विकास सुनिश्चित कर सकती है।

महाराष्ट्र के लिए एक नई शुरुआत?

बीजेपी की जीत महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। राज्य की विकास योजनाओं, व्यापार-समर्थक नीतियों और बुनियादी ढांचे पर जोर देने से राज्य में आर्थिक वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, राज्य की सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताओं को देखते हुए, पार्टी का असली परीक्षा तभी होगी जब वह इन मुद्दों को हल करने में सक्षम होगी। महाराष्ट्र का भविष्य बीजेपी के हाथों में है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस तरह से इन चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम करती है, ताकि राज्य के समग्र विकास और राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके।

एडीआर और JEC रिपोर्ट के अनुसार जानिए नव निर्वाचित विधायकों में से कितने विधायक करोड़ पति हैं तो कितने पर अपराधिक मामले

झारखंड डेस्क

झारखंड में विधानसभा का चुनाव संपन्‍न हो चुका है। ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रटिक रिफॉर्म्‍स) और JEC (झारखंड इलेक्‍शन वॉच) ने राज्‍य की सभी 81 सीटों पर नवनिर्वाचित विधायकों के आपराधिक, शैक्षणिक एवं वित्‍तीय आंकड़े का विश्‍लेषण किया है।

हालांकि, बेरमो सीट से कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह का शपथ पत्र स्‍पष्‍ट नहीं होने के कारण विश्‍लेषण इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।

झारखंड के नवनिर्वाचित विधायकों की दलवार स्थिति

राजनीतिक दल  नवनिर्वाचित विधायक

JMM             34

BJP              21

INC              16

RJD            04

CPI (M) (L) 02

AJSU (P)     01

JDU            01

LJP (R)        01

JLKM          01

36 नवनिर्वाचित विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले

झारखंड के 80 नवनिर्वाचित विधायकों में से 43 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 36 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 81 में से 44 विधायकों ने अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों की शपथ पत्र के माध्‍यम से घोषणा की थी। इनमें 34 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं, बात करें न‍वनिर्वाचित विधायकों की, तो इनमें 2 के ऊपर हत्‍या से संबंधित, 19 के ऊपर हत्‍या का प्रयास और 5 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर महिला अत्‍याचार से जुड़े मामले दर्ज हैं, जिसमें एक पर दुष्‍कर्म का मामला दर्ज है।

नवनिर्वाचित विधायकों पर आपराधिक व गंभीर आपराधिक मामले

राजनीतिक दल नवनिर्वाचित विधायक आपराधिक मामले

गंभीर आपराधिक मामले

JMM      34 12 (35%) 09 (26%)

BJP     21 13 (62%) 11 (11%)

INC  15 08 (53%) 06 (40%)

RJD   04 04 (100%) 04 (100%)

CPI (M) (L) 02 02 (100%) 02 (100%)

AJSU (P) 01 01 (100%) 01 (100%)

JDU   01 01 (100%) 01 (100%)

LJP (R)  01 01 (100%)  01 (100%)

JLKM    01 01 (100%) 01 (100%)

करोड़पति विधायकों में कांग्रेस के रामेश्‍वर उरांव टॉप पर

ADR और JEW की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 80

में 71, यानी कि 79% नवनिर्वाचित विधायक करोड़पति हैं। इस अनुसार, विजेता उम्‍मीदवारों की औसतन संपत्ति 6.90 करोड़ हुई। इनमें JMM के 34 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 6.28 करोड़, BJP के 21 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 7.57 करोड़, INC के 16 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 5.41 करोड़, RJD के 4 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 16.49 करोड़ और CPI (M) (L) के 2 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 3.91 करोड़ है। सबसे अमीर टॉप थ्री नवनिर्वाचित विधायकों की बात करें, तो लोहरदगा से कांग्रेस के विधायक रामेश्‍वर उरांव टॉप पर हैं। उनकी कुल संपत्ति 42.20 करोड़ हैं। वहीं, 32.15 करोड़ की कुल संपत्ति के साथ पांकी से BJP के कुशवाहा शशिभूषण मेहता दूसरे और गोड्डा से RJD के नवनिर्वाचित विधायक संजय प्रसाद यादव कुल 29.59 करोड़ की संपत्ति के साथ तीसरे स्‍थान पर है.

अधिकतम संपत्ति वाले टॉप 10 नवनिर्वाचित विधायक

विधायक- राजनीतिक दल -विधानसभा क्षेत्र चल संपत्ति

(रुपये में) अचल संपत्ति

(रुपये में) कुल संपत्ति (रुपये में)

डॉ. रामेश्‍वर उरांव

INC लोहरदगा (ST) 2,36,90,436 39,83,45,359 42,20,35,795

कुशवाहा शशिभूषण मेहता BJP पांकी 7,25,46,244 24,90,00,000 32,15,46,244

संजय प्रसाद यादव

RJD गोड्डा 4,03,97,350 25,56,00,000

29,59,97,350

कल्‍पना मुर्मू सोरेन

JMM गांडेय 8,87,05,589 16,46,82,364

25,33,87,953

हेमंत सोरेन

JMM बरहेट (ST) 8,87,05,589 16,46,82,364 25,33,87,953

मो. ताजुद्दीन JMM राजमहल 12,03,39,135 7,36,00,000 19,39,39,135

सुरेश पासवान

RJD देवघर (SC) 76,78,000 18,00,00,000 18,76,78,000

नवीन जायसवाल BJP हटिया 4,42,36,000 14,00,00,000 18,42,36,000

अनंत प्रताप देव

JMM भवनाथपुर 2,14,67,000 14,80,00,000 16,94,67,000

संजय कुमार सिंह यादव RJD हुसैनाबाद 79,64,180 14,80,25,000 15,59,89,180 पर हैं।

महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों  के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी  ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को किया संबोधित
डेस्क:–महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की है। साथ ही यूपी-असम समेत बिहार उपचुनावों में भी बीजेपी ने धमाकेदार सफलता हासिल की है। महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों में सफलात के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस रही।

पीएम मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। वहीं, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है। विभाजनकारी ताकतें हारी हैं, निगेटिव पॉलिटिक्स की पराजय हुई है, आज परिवारवाद की हार हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार निशाना साधते हुए इसे भारतीय राजनीति में “परजीवी पार्टी” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस न केवल अपनी हार का कारण बन रही है, बल्कि अपने सहयोगियों को भी नीचे खींच रही है।

अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा, आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनावों के भी नतीजे आए हैं और लोकसभा की एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा का जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर एक बार फिर भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी भाजपा को सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है।

PM मोदी ने अपने नारे एक हैं तो सेफ हैं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस और उसके ईकोसिस्टम ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर सामाजिक न्याय की भावना को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी जाति के खिलाफ लड़ने के बजाय अब जाति का जहर फैलाने में लगी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का “शाही परिवार” अपनी सत्ताभूख को शांत करने के लिए देश और समाज के हितों की अनदेखी कर रहा है। ये पार्टी न केवल अपनी विचारधारा से भटक गई है, बल्कि अपने पुराने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को भी निराश कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस अब परजीवी पार्टी बनकर रह गई है. कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं अपने साथियों के नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है. ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद को डूबती है और दूसरों को भी डूबो देती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी और उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। अच्छा है यूपी जैसे राज्य में कांग्रेस के सहयोगियों ने उनसे जान छुड़ा ली, वरना वहां भी सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।
आइये जानते हैं झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के सभी 81 विधानसभा सीट का परिणाम


1. बाघमारा सीट : शत्रुध्न महतो (BJP) जीत गए।

2. बगोदर सीट : नागेंद्र महतो (BJP) जीत गए।

3. बहरागोड़ा सीट: समीर कुमार मोहंती (JMM) जीत गए।

4. बरहेट सीट : हेमंत सोरेन (JMM) जीत गए।

5. बरही सीट : मनोज कुमार यादव (BJP) जीत गए।

6. बड़कागांव सीट : रोशन लाल चौधरी (BJP) जीत गए।

7. बरकट्ठा सीट : जानकी प्रसाद यादव (JMM) जीत की और आगे बढ़ रहे है।

8. बेरमो सीट : कुमार जयमंगल (कांग्रेस) जीत गए।

9. भवनाथपुर सीट : अनंत प्रताप देव (JMM) जीत गए।

10. बिश्रामपुर सीट : नरेश प्रसाद सिंह (राजद) से जीत गए।

11. बिशुनपुर सीट : चमरा लिंडा (JMM) जीत गए।

12. बोकारो सीट : श्वेता सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

13. बोरियो सीट : धनंजय सोरेन (JMM) जीत की और बढ़ रहे है।

14. चाईबासा सीट : दीपक बिरुवा (JMM) जीत गए।

15. चक्रधरपुर सीट : सुखराम उड़ाव (JMM) जीत गए

16. चंदनकियारी सीट : उमा कांत रजक (JMM) जीत गए।

17. चतरा सीट : जनार्दन पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी -रामविलास पासवान) जीत गए।

18. छतरपुर सीट : राधा कृष्णा किशोर (कांग्रेस) जीत गए।

19. डाल्टनगंज सीट : आलोक कुमार चौरसिया (BJP) जीत रहे है।

20. देवघर सीट : सुरेश पासवान (राजद) जीत गए।

21. धनबाद : राज सिंहा (बीजेपी) जीत गए।

22. धनवार सीट : बाबूलाल मरांडी (BJP) से जीत रहे है।

23. दुमका सीट : बसंत सोरेन (JMM) जीत गए।

24. डुमरी सीट: जयराम कुमार महतो (JLKM) से जीत गए।

25. गांडेय सीट : कल्पना मुर्मू सोरेन(JMM) जीत गई।

26. गढ़वा सीट : सतेन्द्र नाथ तिवारी (BJP) जीत रहे है।

27. घाटशिला सीट : रामदास सोरेन (JMM) जीत गए।

28. गिरिडीह सीट : निर्भय कुमार शहाबादी (BJP) जीत रहे है।

29. गोड्डा सीट : संजय प्रसाद यादव (राजद) जीत गए।

30. गोमिया सीट : योगेंद्र प्रसाद (JMM) जीत गए।

31. गुमला सीट : भूषण तिर्की (JMM) जीत गए।

32. हटिया सीट : नवीन कुमार जायसवाल ( BJP) जीत रहे है।

33. हजारीबाग सीट : प्रदीप प्रसाद (BJP) जीत रहे है।

34. हुसैनाबाद सीट : संजय कुमार सिंह यादव (राजद) जीत गए।

35. इचागढ़ सीट : सबिता महतो (JMM) जीत रही है।

36. जगन्नाथपुर सीट : सोना राम सिंकू (कांग्रेस) जीत गए।

37. जामा सीट : लुईस मरांडी (JMM) जीत गई।

38. जमशेदपुर पूर्वी : पूर्णिमा साहू (BJP) जीत गई।

39. जमशेदपुर पश्चिमी: सरयू रॉय (जनता दल यूनाइटेड) जीत गए।

40. जामताड़ा सीट : इरफान अंसारी (कांग्रेस) जीत गए।

41. जमुआ सीट : मंजू कुमारी (BJP) जीत गई।

42. जरमुंडी सीट : देवेन्द्र कुंवर (बीजेपी) जीत गए।

43. झरिया सीट : रागिनी सिंह (बीजेपी) जीत गई।

44. जुगसलाई सीट : मंगल कालिंदी (JMM) जीत गए।

45. कांके सीट : सुरेश कुमार बैठा (कांग्रेस) जीत गए।

46. खरसांवा सीट : दशरथ गार्गेय (JMM) जीत गए।

47. खिजरी सीट : राजेश कच्छप (कांग्रेस) जीत गए।

48. खूंटी सीट : राम सूर्या मुंडा ( JMM) जीत गए।

49. कोडरमा सीट : डॉ नीरा यादव (BJP) जीत रही है।

50. कोलेबिरा सीट : नमन बिक्सल कांगड़ी (कांग्रेस) जीत गए।

51. लातेहार सीट : प्रकाश राम (बीजेपी) जीत रहे है।

52. लिटीपारा सीट : हेमलाल मुर्मू (JMM) जीत गए।

53. लोहरदगा सीट : डॉ रामेश्वर उरांव (कांग्रेस) जीत गए।

54. मधुपुर सीट : हफ़ीज़ुल हसन (JMM) जीत रहे है।

55. महागामा सीट : दीपिका पाण्डेय सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

56. महेशपुर सीट : स्टीफन मरांडी (JMM) जीत गए।

57. मझगांव सीट : निरल पूर्ति (JMM) जीत गए।

58. मांडर सीट : शिल्पी नेहा तिर्की (कांग्रेस) जीत गई।

59. मांडू सीट : निर्मल महतो (आजसू) जीत गए।

60. मनिका सीट : रामचंद्र सिंह (कांग्रेस) जीत गए।

61. मनोहरपुर सीट : जगत मांझी (JMM) जीत गए।

62. नाला सीट : रविंद्र नाथ महतो (JMM) जीत गए।

63. निरसा सीट : अरूप चटर्जी (सीपीआई एम एल) जीत गए।

64. पाकुड़ सीट : निशत आलम (कांग्रेस) जीत गई।

65. पांकी सीट : कुशवाहा शशि भूषण मेहता (बीजेपी) जीत गए।

66. पोड़ैयाहाट सीट : प्रदीप यादव (कांग्रेस) जीत गए।

67. पोटका सीट : संजीव सरदार (JMM) जीत गए।

68. राजमहल सीट : मो. ताजुद्दीन (JMM) जीत गए।

69. रामगढ़ सीट : ममता देवी (कांग्रेस) जीत गई।

70. रांची : सी पी सिंह (बीजेपी) जीत गए।

71. सारठ सीट : उदय शंकर सिंह (JMM) जीत गए।

72. सरायकेला सीट : चंपई सोरेन (बीजेपी) जीत गए।

73. शिकारीपाड़ा सीट : आलोक कुमार सोरेन (JMM) जीत गए।

74. सिल्ली सीट : अमित कुमार (JMM) जीत गए।

75. सिमरिया सीट : कुमार उज्जवल (बीजेपी) जीत गए।

76. सिमडेगा सीट : भूषण बाड़ा (कांग्रेस) जीत रहे है।

77. सिंदरी सीट : चंद्रदेव महतो (सीपीआई एम एल एल) जीत गए।

78. सिसई सीट : जिगा सुसारन होरो (JMM) जीत गए।

79. तमाड़ सीट : विकास कुमार मुंडा (JMM) जीत गए।

80. तोरपा सीट : सुदीप गुडिया (JMM) जीत गए।

81. टुंडी सीट : मथुरा प्रसाद महतो (JMM) जीत गए। हलचल

बिहार चुनाव परिणाम: दिग्गजों की साख दांव पर, कौन जीता और कौन हारा? यहाँ जानें विस्तार से

इस चुनाव को अग्रिपरीक्षा कहें तो गलत न होगा। इस बार दांव पर सरकार नहीं, बल्कि सरकार और विपक्ष के दिग्गजों की साख थी।

तरारी, बेलागंज, रामगढ़, इमामगंज में उम्मीदवारों की नहीं बल्कि उनके सरपरस्तों का इम्तिहान था। वोट की गिनती के बीच उम्मीदवार से ज्यादा उनके अपने बेचैन थे। वजह भी थी, बात अगर रामगढ़ की करें तो यहां राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह मैदान में थे। तरारी में दिग्गज और पूर्व MLC सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत बीजेपी के टिकट पर पहली बार राजनीति के मैदान में उतरे। वहीं बेलागंज में वर्तमान सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को राजद ने मैदान में उतारा। जबकि इमामगंज में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी थीं।

मांझी, जगदानंद, सुनील पांडे, PK की अग्निपरीक्षा

इन सबके बीच अगर किसी एक शख्स की अग्निपरीक्षा सबसे कठिन थी तो वो थी जन सुराज पार्टी के फाउंडर प्रशांत किशोर की। चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने अपनी मुहिम में काफी जोर लगाया। लेकिन नतीजों में उन्हें जनता ने पास नहीं किया।

चारों सीटों की हाइलाइट एक जगह पढ़ लीजिए

पहली सीट तरारी- एक युवा और नौसिखिए नौजवान BJP उम्मीदवार ने CPI ML के राजू यादव और जनसुराज के उम्मीदवार किरण सिंह को अकेले पानी पिला दिया। उन्होंने बड़े अंतर से जीत दर्ज की।

दूसरी सीट बेलागंज- यहां JDU की मनोरमा देवी ने RJD के विश्वनाथ यादव को आसानी से शिकस्त दे दी। उम्मीदवार के पिता और राजद सांसद सुरेंद्र यादव के वोटरों को अपने पाले में करने के सारे दांव फेल हो गए।

तीसरी सीट इमामगंज- इस सीट पर काफी कड़ा मुकाबला रहा। यहां केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी बड़ी मुश्किल से जीत पाईं।

उन्हें आखिर तक RJD के रौशन मांझी ने कड़ी टक्कर दी।

चौथी सीट रामगढ़- यहां का मुकाबला तो सांस रोक देने वाला रहा। कयास लगाए जा रहे थे कि राजद के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह सांसद बन चुके बड़े भाई सुधाकर सिंह की सीट बरकरार रखेंगे। लेकिन ये क्या, उन्हें जनता ने तीसरे नंबर पर ढकेल दिया। आखिर में BJP के अशोक सिंह और BSP के सतीश यादव के बीच दिल की धड़कन रोक देने वाली टक्कर हुई। आखिर में बीजेपी के अशोक सिंह मामूली अंतर से चुनाव जीते।

दक्षिण विधानसभा उपचुनाव: विजयी प्रत्याशी सुनील सोनी को कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा ने दी बधाई, कहा- जनता का जनादेश हमें स्वीकार्य…

उन्होंने कहा, “जनता का जनादेश हमें स्वीकार्य है. दक्षिण की जनता ने सुनील सोनी को चुना है. मैं उन्हें बधाई देता हूं. पार्टी के सभी सदस्यों ने मेहनत की. हार का क्या कारण है इसके पीछे एक वजह होगी. इसका आंकलन किया जाएगा. प्राथमिक तौर पर ऐसा लग रहा है कि जनता ने सरकार को चुना है, BJP पार्टी को चुना है.”

आकाश शर्मा ने यह भी कहा कि भले ही वह चुनाव हार गए हों, लेकिन जनता की सेवा के प्रति उनका समर्पण जारी रहेगा.

बता दें, रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है. इस बार भी मतदाताओं ने भाजपा पर अपना भरोसा जताया. सुनील सोनी की इस बड़ी जीत ने आगामी चुनावों के लिए भाजपा के हौसले को और बुलंद कर दिया है.

उप चुनाव : बीजेपी एक सीट जीतकर सात सीटों पर चल रही आगे

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतगणना जारी है। यूपी कीे कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा ने जीत दर्ज कर ली है। जबकि एक सीट पर सपा ने बढ़त बना रखी है। भाजपा सात सीटों पर आगे है।

खैर विधानसभा सीट पर 29वें चरण में भाजपा आगे और सपा पीछे चल रही

लखनऊ । अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 29वें चरण में भाजपा आगे और सपा पीछे चल रही है। भाजपा के सुरेंद्र दिलेर को 95198 मत प्राप्त हुए हैं। सपा की चारु केन को 59496 वोट मिले हैं। बसपा के डॉ. पहल सिंह को 12841 मत प्राप्त हुए हैं। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम ) के नितिन कुमार चौटेल को 7586 वोट मिले हैं।

मैनपुरी की करहल सीट पर सपा की बढ़त

मैनपुरी की करहल सीट पर मतगणना के 27वें राउंड पूरे हो चुके हैं। यहां तक की बात करें तो सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव 20 हजार 484 वोटों से बढ़त बनाए हुए हैं। उनको 92198 वोट मिले हैं, तो वहीं अखिलेश यादव के जीजा और भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव 717140 मत प्राप्त कर सके हैं।

भाजपा के रामवीर एक लाख वोटों से आगे, रिजवान को सिर्फ 12 हजार मत

मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर 19वें राउंड की गिनती के अनुसार, रामवीर सिंह को 111470 जबकि मोहम्मद रिजवान को 12933 वोट मिले हैं। रामवीर सिंह सपा के मोहम्मद रिजवान से 98,537 वोट से आगे हैं। कुंदरकी विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी रामवीर सिंह की बढ़त लगातार जारी है। रामवीर सिंह ने सपा के उम्मीदवार मोहम्मद रिजवान को पीछे छोड़ते हुए आगे चल रहे हैं। राउंड 17 में रामवीर सिंह को 102528 वोट मिले, जबकि सपा के मोहम्मद रिजवान को 11,519 वोट मिले। राउंड 18 में रामवीर ने 1,07,163 वोट प्राप्त किए, वहीं रिजवान को 12,174 वोट मिले। राउंड 19 में भी रामवीर सिंह ने अपनी बढ़त को कायम रखते हुए 1,11,470 वोट हासिल किए, जबकि रिजवान को 12,933 वोट मिले। अब तक की गिनती में रामवीर सिंह ने सपा के रिजवान से बड़ी बढ़त बना ली है।


मझवां में BJP की शुचिस्मिता आगे

मिर्जापुर की मझवां सीट पर मतगणना के 22वें राउंड में भाजपा 3871 मत से आगे चल रही है। भाजपा की शुचिस्मिता मौर्य को 55181 वोट तो सपा की डॉ. ज्योति बिन्द को 51310 वोट मिले। वहीं बसपा के दीपक तिवारी को 23657 मत मिले। भाजपा खेमे में उत्साह बढ़ रहा है।

फूलपुर सीट पर भाजपा आगे

प्रयागराज की फूलपुर सीट पर 25 राउंड पूरे हो चुके हैं। भाजपा को 62,265 वोट मिले हैं। सपा को 54,032 मत प्राप्त हुए हैं। बसपा को 15,265 वोट मिले हैं। भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल  8233 वोटों से आगे चल रहे हैं। कुल 141500 मतों की गिनती पूरी हो चुकी है।

कटेहरी से भाजपा प्रत्याशी 12 हजार वोटों से आगे

21वें राउंड के बाद भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद 12339 हजार वोट से आगे चल रहे हैं। सपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आ गई हैं।


बसपा एजेंट और भाजपा प्रत्याशी के बीच हाथापाई, सपा के एजेंट भी भिड़े
फूलपुर विधानसभा सीट पर बसपा एजेंट अनूप सिंह और भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल के बीच हाथापाई होने सूचना है। बताया जा रहा है कि मारपीट में भाजपा और बसपा के अलावा सपा के एजेंट शामिल भी रहे। विवाद हुटिंग को लेकर हुआ था।फूलपुर उप चुनाव मतगणना के दौरान मुंडेरा मंडी में भाजपा और सपा के कार्यकर्ताओं के बीच जबरदस्त भिड़ंत हो गई। स्थिति मारपीट पर उतर गई। सपा कार्यकर्ताओं की भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल से भी नोक झोंक हुई। एक दूसरे पर कुर्सी फेंकी गई। मतगणना स्थल पर जबरदस्त हंगामा के चलते आधे घंटे मत करना रुकी रही। भारी फोर्स तैनात।


उपचुनाव: कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा की नसीम सोलंकी ने दर्ज की जीत

उपचुनाव में सीसामऊ विधानसामऊ उपचुनाव में सपा की नसीम सोलंकी 8623 मत अधिक पाकर भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी को हराया। भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी हार स्वीकार करते हुए कहा भीतरघात की वजह से वह चुनाव में पीछे रह गए। भाजपा के सुरेश अवस्थी को 61037 मत मिले। जबकि जीत हासिल करने वाली सपा की प्रत्याशी नसीम सोलंकी को कुल 69666 हजार मत मिले।

नसीम सोलंकी शुरुआती रूझान में ही आगे चल रही थी। यह सिलसिला पहले राउंड से आखिरी राउंड तक उनकी बढ़त जारी रही। तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी वीरेन्द्र कुमार को 1409 मत किया और अशोक पासवान 266 मत प्राप्त किया और निर्दल प्रत्याशी कृष्ण कुमार यादव 113 मत एवं नोटा में 482 मत प्राप्त किया।
बीजेपी ने राहुल गांधी पर लगाया राष्ट्रपति के अनादर का आरोप, जानें पूरा मामला

#bjp_claims_rahul_gandhi_did_not_greetings_of_president

भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संविधान दिवस के मौके पर संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते समय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं किया। संविधान दिवस के 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं करने को लेकर बीजेपी ने राहुल गांधी पर अहंकार का आरोप लगाया है।

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कथित वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि कांग्रेस नेता ने उनका अभिवादन इसलिए नहीं किया क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राहुल गांधी इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति का अभिवादन भी नहीं किया। सिर्फ इसलिए कि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं, एक महिला हैं और राहुल गांधी कांग्रेस के राजकुमार हैं? यह कैसी ओछी मानसिकता है?"

यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने कांग्रेस पर राष्ट्रपति की आदिवासी पहचान के कारण उनका 'अपमान' करने का आरोप लगाया है। इस साल की शुरुआत में, पीएम मोदी ने टिप्पणी की थी कि राष्ट्रपति के राम मंदिर जाने और देश की भलाई के लिए प्रार्थना करने के दो दिन बाद, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने घोषणा की थी कि मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया जाएगा। मोदी ने कहा था, क्या यह देश, आदिवासियों, माताओं और बहनों का अपमान नहीं है।

JMM छोड़ने वाले नेता एक बार फिर फ्लॉप, बाबूलाल सोरेन और सीता सोरेन समेत इन नेता हारे!

झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 में JMM के कई बागी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा. इसमें सीता सोरेन से लेकर बाबू लाल सोरेन तक शामिल हैं. शिकस्त झेलने वालों में कुल 4 नेता हैं. इन नेताओं को चुनाव से पहले JMM से इस्तीफा देना भारी पड़ा है.

बाबूलाल सोरेन- ये पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बेटे हैं. घाटशीला सीट से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था. उन्हें JMM के रामदास सोरेन के हाथों हार का सामना करना पड़ा. बाबूलाल को 75 हजार 910 वोट मिले तो रामदास को 98 हजार 356 वोट मिले. यानी बाबूलाल को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा.

सीता सोरेन- सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को जामताड़ा सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इरफान अंसारी को 1 लाख 33 हजार 266 वोट मिले तो सीता सोरेन को 89 हजार 590 वोट मिले.

सूरज मंडल- ये कभी शिबू सोरेन का दाहिना हाथ हुए करते थे. बीजेपी में अपना सियासी भविष्य देख रहे थे, लेकिन कुछ कर नहीं पाए.

लोबिन हेम्बर्म- लोबिन JMM से बीजेपी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें बोरियो से टिकट मिला था. लेकिन वो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. उन्हें JMM के धनंजय सोरेन के हाथों शिकस्त मिली. लोबिन के खाते में 78 हजार 044 वोट आए तो धनंजय को 97 हजार 317 वोट मिले.

लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ गठबंधन 81 सदस्यीय विधानसभा की 56 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार झारखंड की सत्ता पर काबिज हुआ. वहीं, चुनाव अभियान के दौरान एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाला NDA महज 24 सीटें हासिल कर सका. विधानसभा चुनावों में JMM और कांग्रेस ने आदिवासी बेल्ट की 27 सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि बीजेपी महज सरायकेला में जीत दर्ज करने में सफल रही, जहां उसने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को मैदान में उतारा था.

चंपई विधानसभा चुनावों से पहले JMM छोड़ BJP में शामिल हो गए थे. उन्होंने हेमंत सोरेन नीत पार्टी पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया था. हालिया विधानसभा चुनावों में आदिवासी बेल्ट की 20 सीटें अकेले JMM की झोली में गईं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पार्टी को लोकलुभावन योजनाओं के अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ कथित अन्याय का मुद्दा उठाने से पैदा हुई सहानुभूति लहर का फायदा मिला.

वहीं, JMM की सहयोगी कांग्रेस सात सीटों पर विजयी रही. जबकि, 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी आदिवासी बेल्ट में खाता तक खोलने में नाकाम रही थी. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनावों में उसने छह सीटों पर कब्जा जमाया था.

महाराष्ट्र में बीजेपी की 'अप्रत्याशित' जीत, राष्ट्रीय राजनीति पर क्या होगा असर?

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“मोदी का मौजिक खत्म हो गया है”, “बीजेपी के बूरे दिन शुरू हो गए है।” इस साल जून में जब लोकसभा तुनाव के परिणाम आए तो इसी तरह की बातें शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा यूपी और महाराष्ट्र ने ही निराश किया था। लेकिन, मई में हुए लोकसभा तुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बातें पूरी तरह से बकवास साबित हुई। उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को हासिल हुई सीटों ने तो सारे भ्रम को तोड़ कर रख दिया है। बीजेपी पीएम मोदी की राजनीति पर महाराष्ट्र के वोटरों ने एक बार फिर से जो मुहर लगाई है, उसका असर आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुना था, लेकिन एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।

सहयोगी दलों की स्थिति भी होगी कमजोर

यही नहीं, महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत

इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है।

कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएगी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में भारी जीत के बाद नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें इस बात के कई संकेत दिखे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा सरकार अपने उस कोर एजेंडे को फिर से पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ा सकेगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के बाद एक हिचकिचाहट सी महसूस होने लगी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, उससे स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार का फोकस विकास पर और बढ़ेगा, जिसके आधार में हिंदुत्व का प्रभाव और भारत की प्राचीन विरासत का असर नजर आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जो कुछ कहा है कि उससे लगता है कि केंद्र सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और वन नेशन, वन इलेक्शन के अपने इरादे को और ज्यादा हौसले के साथ आगे बढ़ाएगी।

कांग्रेस की कमजोरी फिर सामने

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 10 साल के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में 99 सीट जीते थे। जिसके बाद से कांग्रेस के नई ऊर्जा के साथ बढ़ने के संकेत मिल रहे थे। हालांकि, पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम सोचने पर मजबूर कर देंगे। एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगेंगे। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।

शिव सेना और एनसीपी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम केवल बीजेपी कांग्रेस के लिए ही अहम नहीं है, बल्कि ये ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं। ऐसे में असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि उन्हें ख़ुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सोचना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत से हिन्दुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमज़ोर होगी। यानी महाराष्ट्र में हिन्दुत्व की राजनीति पर शिव सेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।

क्या महाराष्ट्र में बीजेपी की प्रचंड जीत राज्य के भविष्य को देगी नई दिशा?

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महाराष्ट्र, जो भारत के सबसे जनसंख्या वाले और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, हमेशा देश की राजनीतिक कथा में एक केंद्रीय स्थान रखता है। हाल ही में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महत्वपूर्ण जीत ने राज्य के शासन, आर्थिक दिशा और राजनीतिक परिदृश्य पर गहरे प्रभाव डालने की संभावना जताई है। महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत राज्य के भविष्य को कैसे आकार दे सकती है, खासकर शासन, आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में।

महाराष्ट्र में बीजेपी की वृद्धि

महाराष्ट्र, जिसका ऐतिहासिक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य काफी समृद्ध रहा है, हमेशा से ही राजनीति का अहम केंद्र रहा है। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) जैसे दल दशकों तक राज्य की राजनीति में हावी रहे हैं, जिनमें शिवसेना ने मुंबई और इसके आस-पास के इलाकों में प्रमुख स्थान बनाए रखा। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने राज्य में अपनी बढ़ती ताकत के संकेत दिए हैं, जिसका नेतृत्व देवेंद्र फडणवीस और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं ने किया।

बीजेपी की हाल की चुनावी जीत एक ऐसे समय पर आई है, जब राज्य कई चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहा है। बीजेपी की मजबूत राजनीतिक संरचना और राष्ट्रीय पैठ को देखते हुए यह जीत पार्टी के विचारधारा, नेतृत्व और भविष्य की दृष्टि के समर्थन के रूप में देखी जा रही है। यह जीत महाराष्ट्र की राजनीतिक धारा में हो रहे परिवर्तनों का भी प्रतीक है, जहां क्षेत्रीय दलों को बीजेपी की राष्ट्रीय अपील और केंद्रीकृत शासन मॉडल से चुनौती मिल रही है।

आर्थिक प्रभाव: विकास और निवेश

महाराष्ट्र भारत की आर्थिक धुरी है, जो देश के जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन और वित्तीय सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई के घर के रूप में, राज्य देश की आर्थिक प्रगति में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। हालांकि, अपनी आर्थिक ताकतों के बावजूद, महाराष्ट्र को संतुलित क्षेत्रीय विकास, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे की वृद्धि और सामाजिक कल्याण के संदर्भ में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

बीजेपी की जीत राज्य की आर्थिक दिशा पर गहरे प्रभाव डालने वाली है। बीजेपी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगिक वृद्धि और निवेश को आकर्षित करने पर खास जोर दिया जा सकता है। पार्टी ने हमेशा व्यवसाय समर्थक एजेंडे का समर्थन किया है, जिसमें ब्योरोक्रेसी की बाधाओं को कम करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का वादा किया है।

औद्योगिक वृद्धि और निवेश:  

महाराष्ट्र में कई प्रमुख उद्योगों जैसे विनिर्माण, वित्त और प्रौद्योगिकी का वर्चस्व है। बीजेपी के व्यापार समर्थक रुख के कारण राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ सकता है, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र को केंद्र सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी योजनाओं का भी फायदा मिल सकता है, जो देश में स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) और औद्योगिक केंद्रों पर भी पार्टी का ध्यान रहेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जो नई और बढ़ती तकनीकों के लिए उपयुक्त हैं, जैसे बायोटेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक वाहन। मुंबई-पुणे कॉरिडोर जैसे वैश्विक बाजारों के नजदीक स्थित होने के कारण महाराष्ट्र औद्योगिक और निर्यात-आधारित वृद्धि के लिए एक प्रमुख स्थान बन सकता है। बीजेपी के व्यापार-समर्थक नीतियों से महाराष्ट्र को वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

कृषि क्षेत्र का विकास:  

कृषि, जो अभी भी महाराष्ट्र की बड़ी हिस्सेदारी वाले क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करती है, एक ऐसा क्षेत्र है जो सुधार की दिशा में काफी पीछे रहा है। राज्य में जलसंकट, खराब फसल पैदावार और कृषक संकट जैसी समस्याएं सामने आई हैं। बीजेपी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई कृषि सुधारों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रही है, महाराष्ट्र में भी कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए योजनाएं लागू कर सकती है। बीजेपी राज्य में सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने, किसानों की आय को बढ़ाने और कृषि में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दे सकती है। पीएमएवाई (प्रधानमंत्री आवास योजना) और कृषि आधारित उद्योगों जैसे कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण महाराष्ट्र के लिए भी कई योजनाओं की संभावना है।

स्वास्थ्य और शिक्षा:  

महाराष्ट्र का स्वास्थ्य ढांचा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई समस्याओं का सामना कर रहा है। बीजेपी के नेतृत्व में राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, सस्ती चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने और पोषण एवं स्वच्छता जैसे मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया जा सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं जैसे 'आयुष्मान भारत' को राज्य स्तर पर लागू करने के प्रयासों से लाखों परिवारों को लाभ हो सकता है। शिक्षा क्षेत्र में, बीजेपी गुणवत्ता को बेहतर बनाने, डिजिटल शिक्षा के विस्तार और व्यावसायिक प्रशिक्षण में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। खासकर महाराष्ट्र के विविध आर्थिक आधार के मद्देनजर, पार्टी का युवाओं की कौशल विकास पर जोर देना अहम रहेगा। इस कदम से बेरोजगारी दर को कम करने में मदद मिल सकती है और राज्य के युवाओं को भविष्य के उद्योगों के लिए तैयार किया जा सकता है।

क्षेत्रीय असमानताएं:  

महाराष्ट्र में क्षेत्रीय असमानताएं एक बड़ी चुनौती रही हैं। जबकि मुंबई और पुणे ने तेजी से शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का लाभ उठाया है, वहीं विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र अभी भी गरीबी, अविकास और सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। बीजेपी की सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के लिए उचित नीतियों को लागू करना महत्वपूर्ण होगा। हालांकि पार्टी का केंद्रीकृत शासन मॉडल शहरी विकास को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन बीजेपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों को भी समुचित विकास मिले। ग्रामीण महाराष्ट्र में पीएमएवाई, कौशल विकास, और स्थानीय उद्यमिता जैसी योजनाओं के तहत विकास का लाभ मिल सकता है।

राजनीतिक परिदृश्य: गठबंधन और आने वाली चुनौतियाँ

बीजेपी की जीत राज्य की राजनीतिक धारा में बदलाव का संकेत देती है। राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी जैसी क्षेत्रीय ताकतों को कमजोर कर, बीजेपी एक मजबूत विपक्षी बनकर उभरी है। हालांकि, बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से मजबूत विरोध का सामना करना पड़ेगा, खासकर शिवसेना से, जो महाराष्ट्र की राजनीति में प्रभावी है। इसके अलावा, बीजेपी को राज्य में स्थानीय पहचान, आरक्षण नीति और क्षेत्रीय स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने की चुनौती हो सकती है। इन मुद्दों पर सही दिशा में काम करके ही बीजेपी राज्य में स्थिरता और विकास सुनिश्चित कर सकती है।

महाराष्ट्र के लिए एक नई शुरुआत?

बीजेपी की जीत महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। राज्य की विकास योजनाओं, व्यापार-समर्थक नीतियों और बुनियादी ढांचे पर जोर देने से राज्य में आर्थिक वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, राज्य की सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताओं को देखते हुए, पार्टी का असली परीक्षा तभी होगी जब वह इन मुद्दों को हल करने में सक्षम होगी। महाराष्ट्र का भविष्य बीजेपी के हाथों में है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस तरह से इन चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम करती है, ताकि राज्य के समग्र विकास और राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके।

एडीआर और JEC रिपोर्ट के अनुसार जानिए नव निर्वाचित विधायकों में से कितने विधायक करोड़ पति हैं तो कितने पर अपराधिक मामले

झारखंड डेस्क

झारखंड में विधानसभा का चुनाव संपन्‍न हो चुका है। ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रटिक रिफॉर्म्‍स) और JEC (झारखंड इलेक्‍शन वॉच) ने राज्‍य की सभी 81 सीटों पर नवनिर्वाचित विधायकों के आपराधिक, शैक्षणिक एवं वित्‍तीय आंकड़े का विश्‍लेषण किया है।

हालांकि, बेरमो सीट से कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह का शपथ पत्र स्‍पष्‍ट नहीं होने के कारण विश्‍लेषण इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।

झारखंड के नवनिर्वाचित विधायकों की दलवार स्थिति

राजनीतिक दल  नवनिर्वाचित विधायक

JMM             34

BJP              21

INC              16

RJD            04

CPI (M) (L) 02

AJSU (P)     01

JDU            01

LJP (R)        01

JLKM          01

36 नवनिर्वाचित विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले

झारखंड के 80 नवनिर्वाचित विधायकों में से 43 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 36 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 81 में से 44 विधायकों ने अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों की शपथ पत्र के माध्‍यम से घोषणा की थी। इनमें 34 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं, बात करें न‍वनिर्वाचित विधायकों की, तो इनमें 2 के ऊपर हत्‍या से संबंधित, 19 के ऊपर हत्‍या का प्रयास और 5 नवनिर्वाचित विधायकों के ऊपर महिला अत्‍याचार से जुड़े मामले दर्ज हैं, जिसमें एक पर दुष्‍कर्म का मामला दर्ज है।

नवनिर्वाचित विधायकों पर आपराधिक व गंभीर आपराधिक मामले

राजनीतिक दल नवनिर्वाचित विधायक आपराधिक मामले

गंभीर आपराधिक मामले

JMM      34 12 (35%) 09 (26%)

BJP     21 13 (62%) 11 (11%)

INC  15 08 (53%) 06 (40%)

RJD   04 04 (100%) 04 (100%)

CPI (M) (L) 02 02 (100%) 02 (100%)

AJSU (P) 01 01 (100%) 01 (100%)

JDU   01 01 (100%) 01 (100%)

LJP (R)  01 01 (100%)  01 (100%)

JLKM    01 01 (100%) 01 (100%)

करोड़पति विधायकों में कांग्रेस के रामेश्‍वर उरांव टॉप पर

ADR और JEW की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 80

में 71, यानी कि 79% नवनिर्वाचित विधायक करोड़पति हैं। इस अनुसार, विजेता उम्‍मीदवारों की औसतन संपत्ति 6.90 करोड़ हुई। इनमें JMM के 34 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 6.28 करोड़, BJP के 21 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 7.57 करोड़, INC के 16 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 5.41 करोड़, RJD के 4 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 16.49 करोड़ और CPI (M) (L) के 2 नवनिर्वाचित विधायकों की औसतन संपत्ति 3.91 करोड़ है। सबसे अमीर टॉप थ्री नवनिर्वाचित विधायकों की बात करें, तो लोहरदगा से कांग्रेस के विधायक रामेश्‍वर उरांव टॉप पर हैं। उनकी कुल संपत्ति 42.20 करोड़ हैं। वहीं, 32.15 करोड़ की कुल संपत्ति के साथ पांकी से BJP के कुशवाहा शशिभूषण मेहता दूसरे और गोड्डा से RJD के नवनिर्वाचित विधायक संजय प्रसाद यादव कुल 29.59 करोड़ की संपत्ति के साथ तीसरे स्‍थान पर है.

अधिकतम संपत्ति वाले टॉप 10 नवनिर्वाचित विधायक

विधायक- राजनीतिक दल -विधानसभा क्षेत्र चल संपत्ति

(रुपये में) अचल संपत्ति

(रुपये में) कुल संपत्ति (रुपये में)

डॉ. रामेश्‍वर उरांव

INC लोहरदगा (ST) 2,36,90,436 39,83,45,359 42,20,35,795

कुशवाहा शशिभूषण मेहता BJP पांकी 7,25,46,244 24,90,00,000 32,15,46,244

संजय प्रसाद यादव

RJD गोड्डा 4,03,97,350 25,56,00,000

29,59,97,350

कल्‍पना मुर्मू सोरेन

JMM गांडेय 8,87,05,589 16,46,82,364

25,33,87,953

हेमंत सोरेन

JMM बरहेट (ST) 8,87,05,589 16,46,82,364 25,33,87,953

मो. ताजुद्दीन JMM राजमहल 12,03,39,135 7,36,00,000 19,39,39,135

सुरेश पासवान

RJD देवघर (SC) 76,78,000 18,00,00,000 18,76,78,000

नवीन जायसवाल BJP हटिया 4,42,36,000 14,00,00,000 18,42,36,000

अनंत प्रताप देव

JMM भवनाथपुर 2,14,67,000 14,80,00,000 16,94,67,000

संजय कुमार सिंह यादव RJD हुसैनाबाद 79,64,180 14,80,25,000 15,59,89,180 पर हैं।

महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों  के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी  ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को किया संबोधित
डेस्क:–महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की है। साथ ही यूपी-असम समेत बिहार उपचुनावों में भी बीजेपी ने धमाकेदार सफलता हासिल की है। महाराष्ट्र विजय और उपचुनावों में सफलात के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने पार्टी के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस रही।

पीएम मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। वहीं, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है। विभाजनकारी ताकतें हारी हैं, निगेटिव पॉलिटिक्स की पराजय हुई है, आज परिवारवाद की हार हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार निशाना साधते हुए इसे भारतीय राजनीति में “परजीवी पार्टी” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस न केवल अपनी हार का कारण बन रही है, बल्कि अपने सहयोगियों को भी नीचे खींच रही है।

अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा, आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनावों के भी नतीजे आए हैं और लोकसभा की एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा का जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर एक बार फिर भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी भाजपा को सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है।

PM मोदी ने अपने नारे एक हैं तो सेफ हैं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस और उसके ईकोसिस्टम ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर सामाजिक न्याय की भावना को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी जाति के खिलाफ लड़ने के बजाय अब जाति का जहर फैलाने में लगी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का “शाही परिवार” अपनी सत्ताभूख को शांत करने के लिए देश और समाज के हितों की अनदेखी कर रहा है। ये पार्टी न केवल अपनी विचारधारा से भटक गई है, बल्कि अपने पुराने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को भी निराश कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस अब परजीवी पार्टी बनकर रह गई है. कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं अपने साथियों के नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है. ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद को डूबती है और दूसरों को भी डूबो देती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी और उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। अच्छा है यूपी जैसे राज्य में कांग्रेस के सहयोगियों ने उनसे जान छुड़ा ली, वरना वहां भी सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।
आइये जानते हैं झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के सभी 81 विधानसभा सीट का परिणाम


1. बाघमारा सीट : शत्रुध्न महतो (BJP) जीत गए।

2. बगोदर सीट : नागेंद्र महतो (BJP) जीत गए।

3. बहरागोड़ा सीट: समीर कुमार मोहंती (JMM) जीत गए।

4. बरहेट सीट : हेमंत सोरेन (JMM) जीत गए।

5. बरही सीट : मनोज कुमार यादव (BJP) जीत गए।

6. बड़कागांव सीट : रोशन लाल चौधरी (BJP) जीत गए।

7. बरकट्ठा सीट : जानकी प्रसाद यादव (JMM) जीत की और आगे बढ़ रहे है।

8. बेरमो सीट : कुमार जयमंगल (कांग्रेस) जीत गए।

9. भवनाथपुर सीट : अनंत प्रताप देव (JMM) जीत गए।

10. बिश्रामपुर सीट : नरेश प्रसाद सिंह (राजद) से जीत गए।

11. बिशुनपुर सीट : चमरा लिंडा (JMM) जीत गए।

12. बोकारो सीट : श्वेता सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

13. बोरियो सीट : धनंजय सोरेन (JMM) जीत की और बढ़ रहे है।

14. चाईबासा सीट : दीपक बिरुवा (JMM) जीत गए।

15. चक्रधरपुर सीट : सुखराम उड़ाव (JMM) जीत गए

16. चंदनकियारी सीट : उमा कांत रजक (JMM) जीत गए।

17. चतरा सीट : जनार्दन पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी -रामविलास पासवान) जीत गए।

18. छतरपुर सीट : राधा कृष्णा किशोर (कांग्रेस) जीत गए।

19. डाल्टनगंज सीट : आलोक कुमार चौरसिया (BJP) जीत रहे है।

20. देवघर सीट : सुरेश पासवान (राजद) जीत गए।

21. धनबाद : राज सिंहा (बीजेपी) जीत गए।

22. धनवार सीट : बाबूलाल मरांडी (BJP) से जीत रहे है।

23. दुमका सीट : बसंत सोरेन (JMM) जीत गए।

24. डुमरी सीट: जयराम कुमार महतो (JLKM) से जीत गए।

25. गांडेय सीट : कल्पना मुर्मू सोरेन(JMM) जीत गई।

26. गढ़वा सीट : सतेन्द्र नाथ तिवारी (BJP) जीत रहे है।

27. घाटशिला सीट : रामदास सोरेन (JMM) जीत गए।

28. गिरिडीह सीट : निर्भय कुमार शहाबादी (BJP) जीत रहे है।

29. गोड्डा सीट : संजय प्रसाद यादव (राजद) जीत गए।

30. गोमिया सीट : योगेंद्र प्रसाद (JMM) जीत गए।

31. गुमला सीट : भूषण तिर्की (JMM) जीत गए।

32. हटिया सीट : नवीन कुमार जायसवाल ( BJP) जीत रहे है।

33. हजारीबाग सीट : प्रदीप प्रसाद (BJP) जीत रहे है।

34. हुसैनाबाद सीट : संजय कुमार सिंह यादव (राजद) जीत गए।

35. इचागढ़ सीट : सबिता महतो (JMM) जीत रही है।

36. जगन्नाथपुर सीट : सोना राम सिंकू (कांग्रेस) जीत गए।

37. जामा सीट : लुईस मरांडी (JMM) जीत गई।

38. जमशेदपुर पूर्वी : पूर्णिमा साहू (BJP) जीत गई।

39. जमशेदपुर पश्चिमी: सरयू रॉय (जनता दल यूनाइटेड) जीत गए।

40. जामताड़ा सीट : इरफान अंसारी (कांग्रेस) जीत गए।

41. जमुआ सीट : मंजू कुमारी (BJP) जीत गई।

42. जरमुंडी सीट : देवेन्द्र कुंवर (बीजेपी) जीत गए।

43. झरिया सीट : रागिनी सिंह (बीजेपी) जीत गई।

44. जुगसलाई सीट : मंगल कालिंदी (JMM) जीत गए।

45. कांके सीट : सुरेश कुमार बैठा (कांग्रेस) जीत गए।

46. खरसांवा सीट : दशरथ गार्गेय (JMM) जीत गए।

47. खिजरी सीट : राजेश कच्छप (कांग्रेस) जीत गए।

48. खूंटी सीट : राम सूर्या मुंडा ( JMM) जीत गए।

49. कोडरमा सीट : डॉ नीरा यादव (BJP) जीत रही है।

50. कोलेबिरा सीट : नमन बिक्सल कांगड़ी (कांग्रेस) जीत गए।

51. लातेहार सीट : प्रकाश राम (बीजेपी) जीत रहे है।

52. लिटीपारा सीट : हेमलाल मुर्मू (JMM) जीत गए।

53. लोहरदगा सीट : डॉ रामेश्वर उरांव (कांग्रेस) जीत गए।

54. मधुपुर सीट : हफ़ीज़ुल हसन (JMM) जीत रहे है।

55. महागामा सीट : दीपिका पाण्डेय सिंह (कांग्रेस) जीत गई।

56. महेशपुर सीट : स्टीफन मरांडी (JMM) जीत गए।

57. मझगांव सीट : निरल पूर्ति (JMM) जीत गए।

58. मांडर सीट : शिल्पी नेहा तिर्की (कांग्रेस) जीत गई।

59. मांडू सीट : निर्मल महतो (आजसू) जीत गए।

60. मनिका सीट : रामचंद्र सिंह (कांग्रेस) जीत गए।

61. मनोहरपुर सीट : जगत मांझी (JMM) जीत गए।

62. नाला सीट : रविंद्र नाथ महतो (JMM) जीत गए।

63. निरसा सीट : अरूप चटर्जी (सीपीआई एम एल) जीत गए।

64. पाकुड़ सीट : निशत आलम (कांग्रेस) जीत गई।

65. पांकी सीट : कुशवाहा शशि भूषण मेहता (बीजेपी) जीत गए।

66. पोड़ैयाहाट सीट : प्रदीप यादव (कांग्रेस) जीत गए।

67. पोटका सीट : संजीव सरदार (JMM) जीत गए।

68. राजमहल सीट : मो. ताजुद्दीन (JMM) जीत गए।

69. रामगढ़ सीट : ममता देवी (कांग्रेस) जीत गई।

70. रांची : सी पी सिंह (बीजेपी) जीत गए।

71. सारठ सीट : उदय शंकर सिंह (JMM) जीत गए।

72. सरायकेला सीट : चंपई सोरेन (बीजेपी) जीत गए।

73. शिकारीपाड़ा सीट : आलोक कुमार सोरेन (JMM) जीत गए।

74. सिल्ली सीट : अमित कुमार (JMM) जीत गए।

75. सिमरिया सीट : कुमार उज्जवल (बीजेपी) जीत गए।

76. सिमडेगा सीट : भूषण बाड़ा (कांग्रेस) जीत रहे है।

77. सिंदरी सीट : चंद्रदेव महतो (सीपीआई एम एल एल) जीत गए।

78. सिसई सीट : जिगा सुसारन होरो (JMM) जीत गए।

79. तमाड़ सीट : विकास कुमार मुंडा (JMM) जीत गए।

80. तोरपा सीट : सुदीप गुडिया (JMM) जीत गए।

81. टुंडी सीट : मथुरा प्रसाद महतो (JMM) जीत गए। हलचल

बिहार चुनाव परिणाम: दिग्गजों की साख दांव पर, कौन जीता और कौन हारा? यहाँ जानें विस्तार से

इस चुनाव को अग्रिपरीक्षा कहें तो गलत न होगा। इस बार दांव पर सरकार नहीं, बल्कि सरकार और विपक्ष के दिग्गजों की साख थी।

तरारी, बेलागंज, रामगढ़, इमामगंज में उम्मीदवारों की नहीं बल्कि उनके सरपरस्तों का इम्तिहान था। वोट की गिनती के बीच उम्मीदवार से ज्यादा उनके अपने बेचैन थे। वजह भी थी, बात अगर रामगढ़ की करें तो यहां राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह मैदान में थे। तरारी में दिग्गज और पूर्व MLC सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत बीजेपी के टिकट पर पहली बार राजनीति के मैदान में उतरे। वहीं बेलागंज में वर्तमान सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को राजद ने मैदान में उतारा। जबकि इमामगंज में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी थीं।

मांझी, जगदानंद, सुनील पांडे, PK की अग्निपरीक्षा

इन सबके बीच अगर किसी एक शख्स की अग्निपरीक्षा सबसे कठिन थी तो वो थी जन सुराज पार्टी के फाउंडर प्रशांत किशोर की। चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने अपनी मुहिम में काफी जोर लगाया। लेकिन नतीजों में उन्हें जनता ने पास नहीं किया।

चारों सीटों की हाइलाइट एक जगह पढ़ लीजिए

पहली सीट तरारी- एक युवा और नौसिखिए नौजवान BJP उम्मीदवार ने CPI ML के राजू यादव और जनसुराज के उम्मीदवार किरण सिंह को अकेले पानी पिला दिया। उन्होंने बड़े अंतर से जीत दर्ज की।

दूसरी सीट बेलागंज- यहां JDU की मनोरमा देवी ने RJD के विश्वनाथ यादव को आसानी से शिकस्त दे दी। उम्मीदवार के पिता और राजद सांसद सुरेंद्र यादव के वोटरों को अपने पाले में करने के सारे दांव फेल हो गए।

तीसरी सीट इमामगंज- इस सीट पर काफी कड़ा मुकाबला रहा। यहां केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी बड़ी मुश्किल से जीत पाईं।

उन्हें आखिर तक RJD के रौशन मांझी ने कड़ी टक्कर दी।

चौथी सीट रामगढ़- यहां का मुकाबला तो सांस रोक देने वाला रहा। कयास लगाए जा रहे थे कि राजद के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह सांसद बन चुके बड़े भाई सुधाकर सिंह की सीट बरकरार रखेंगे। लेकिन ये क्या, उन्हें जनता ने तीसरे नंबर पर ढकेल दिया। आखिर में BJP के अशोक सिंह और BSP के सतीश यादव के बीच दिल की धड़कन रोक देने वाली टक्कर हुई। आखिर में बीजेपी के अशोक सिंह मामूली अंतर से चुनाव जीते।

दक्षिण विधानसभा उपचुनाव: विजयी प्रत्याशी सुनील सोनी को कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा ने दी बधाई, कहा- जनता का जनादेश हमें स्वीकार्य…

उन्होंने कहा, “जनता का जनादेश हमें स्वीकार्य है. दक्षिण की जनता ने सुनील सोनी को चुना है. मैं उन्हें बधाई देता हूं. पार्टी के सभी सदस्यों ने मेहनत की. हार का क्या कारण है इसके पीछे एक वजह होगी. इसका आंकलन किया जाएगा. प्राथमिक तौर पर ऐसा लग रहा है कि जनता ने सरकार को चुना है, BJP पार्टी को चुना है.”

आकाश शर्मा ने यह भी कहा कि भले ही वह चुनाव हार गए हों, लेकिन जनता की सेवा के प्रति उनका समर्पण जारी रहेगा.

बता दें, रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है. इस बार भी मतदाताओं ने भाजपा पर अपना भरोसा जताया. सुनील सोनी की इस बड़ी जीत ने आगामी चुनावों के लिए भाजपा के हौसले को और बुलंद कर दिया है.

उप चुनाव : बीजेपी एक सीट जीतकर सात सीटों पर चल रही आगे

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतगणना जारी है। यूपी कीे कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा ने जीत दर्ज कर ली है। जबकि एक सीट पर सपा ने बढ़त बना रखी है। भाजपा सात सीटों पर आगे है।

खैर विधानसभा सीट पर 29वें चरण में भाजपा आगे और सपा पीछे चल रही

लखनऊ । अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 29वें चरण में भाजपा आगे और सपा पीछे चल रही है। भाजपा के सुरेंद्र दिलेर को 95198 मत प्राप्त हुए हैं। सपा की चारु केन को 59496 वोट मिले हैं। बसपा के डॉ. पहल सिंह को 12841 मत प्राप्त हुए हैं। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम ) के नितिन कुमार चौटेल को 7586 वोट मिले हैं।

मैनपुरी की करहल सीट पर सपा की बढ़त

मैनपुरी की करहल सीट पर मतगणना के 27वें राउंड पूरे हो चुके हैं। यहां तक की बात करें तो सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव 20 हजार 484 वोटों से बढ़त बनाए हुए हैं। उनको 92198 वोट मिले हैं, तो वहीं अखिलेश यादव के जीजा और भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव 717140 मत प्राप्त कर सके हैं।

भाजपा के रामवीर एक लाख वोटों से आगे, रिजवान को सिर्फ 12 हजार मत

मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर 19वें राउंड की गिनती के अनुसार, रामवीर सिंह को 111470 जबकि मोहम्मद रिजवान को 12933 वोट मिले हैं। रामवीर सिंह सपा के मोहम्मद रिजवान से 98,537 वोट से आगे हैं। कुंदरकी विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी रामवीर सिंह की बढ़त लगातार जारी है। रामवीर सिंह ने सपा के उम्मीदवार मोहम्मद रिजवान को पीछे छोड़ते हुए आगे चल रहे हैं। राउंड 17 में रामवीर सिंह को 102528 वोट मिले, जबकि सपा के मोहम्मद रिजवान को 11,519 वोट मिले। राउंड 18 में रामवीर ने 1,07,163 वोट प्राप्त किए, वहीं रिजवान को 12,174 वोट मिले। राउंड 19 में भी रामवीर सिंह ने अपनी बढ़त को कायम रखते हुए 1,11,470 वोट हासिल किए, जबकि रिजवान को 12,933 वोट मिले। अब तक की गिनती में रामवीर सिंह ने सपा के रिजवान से बड़ी बढ़त बना ली है।


मझवां में BJP की शुचिस्मिता आगे

मिर्जापुर की मझवां सीट पर मतगणना के 22वें राउंड में भाजपा 3871 मत से आगे चल रही है। भाजपा की शुचिस्मिता मौर्य को 55181 वोट तो सपा की डॉ. ज्योति बिन्द को 51310 वोट मिले। वहीं बसपा के दीपक तिवारी को 23657 मत मिले। भाजपा खेमे में उत्साह बढ़ रहा है।

फूलपुर सीट पर भाजपा आगे

प्रयागराज की फूलपुर सीट पर 25 राउंड पूरे हो चुके हैं। भाजपा को 62,265 वोट मिले हैं। सपा को 54,032 मत प्राप्त हुए हैं। बसपा को 15,265 वोट मिले हैं। भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल  8233 वोटों से आगे चल रहे हैं। कुल 141500 मतों की गिनती पूरी हो चुकी है।

कटेहरी से भाजपा प्रत्याशी 12 हजार वोटों से आगे

21वें राउंड के बाद भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद 12339 हजार वोट से आगे चल रहे हैं। सपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आ गई हैं।


बसपा एजेंट और भाजपा प्रत्याशी के बीच हाथापाई, सपा के एजेंट भी भिड़े
फूलपुर विधानसभा सीट पर बसपा एजेंट अनूप सिंह और भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल के बीच हाथापाई होने सूचना है। बताया जा रहा है कि मारपीट में भाजपा और बसपा के अलावा सपा के एजेंट शामिल भी रहे। विवाद हुटिंग को लेकर हुआ था।फूलपुर उप चुनाव मतगणना के दौरान मुंडेरा मंडी में भाजपा और सपा के कार्यकर्ताओं के बीच जबरदस्त भिड़ंत हो गई। स्थिति मारपीट पर उतर गई। सपा कार्यकर्ताओं की भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल से भी नोक झोंक हुई। एक दूसरे पर कुर्सी फेंकी गई। मतगणना स्थल पर जबरदस्त हंगामा के चलते आधे घंटे मत करना रुकी रही। भारी फोर्स तैनात।


उपचुनाव: कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा की नसीम सोलंकी ने दर्ज की जीत

उपचुनाव में सीसामऊ विधानसामऊ उपचुनाव में सपा की नसीम सोलंकी 8623 मत अधिक पाकर भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी को हराया। भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी हार स्वीकार करते हुए कहा भीतरघात की वजह से वह चुनाव में पीछे रह गए। भाजपा के सुरेश अवस्थी को 61037 मत मिले। जबकि जीत हासिल करने वाली सपा की प्रत्याशी नसीम सोलंकी को कुल 69666 हजार मत मिले।

नसीम सोलंकी शुरुआती रूझान में ही आगे चल रही थी। यह सिलसिला पहले राउंड से आखिरी राउंड तक उनकी बढ़त जारी रही। तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी वीरेन्द्र कुमार को 1409 मत किया और अशोक पासवान 266 मत प्राप्त किया और निर्दल प्रत्याशी कृष्ण कुमार यादव 113 मत एवं नोटा में 482 मत प्राप्त किया।