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भारत दौरे पर आए अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर, विदेश मंत्री जयशंकर ने की मुलाकात

#eam

अमेरिका और भारत के रिश्तें में इन दिनों तनाव है। इस बीच अमेरिका के नए राजदूत-नामित सर्जियो गोर दिल्ली पहुंचे। विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने उनसे मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी नजर आई। अमेरिकी दूतावास के अनुसार, राजदूत गोर का औपचारिक परिचय पत्र प्रस्तुत किया जाएगा और भारत आने की तारीख बाद में तय की जाएगी। बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी संसद ने भारत में राजदूत के रूप में उनकी नियुक्ति की पुष्टि की थी।

विदेश मंत्री जयशंकर ने दी बधाई

नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर से मुलाकात के बाद एक्स पर ट्वीट किया। एस जयशंकर ने लिखा, आज नई दिल्ली में अमेरिका के राजदूत-डेसिग्नेट सर्जियो गोर से मिलकर प्रसन्नता हुई। भारत-अमेरिका संबंधों और इसके वैश्विक महत्व पर चर्चा हुई। उन्हें उनकी नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं।

क्यों अहम है गोर की ये यात्रा

भारत में अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में नियुक्ति के बाद सर्जियो गोर की यह पहली भारत यात्रा है। वो भारत में सबसे कम उम्र के अमेरिकी राजदूत हैं। अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि अमेरिका अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और एक सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ काम करना जारी रखेगा। ये मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही क्योंकि यूएस राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ समय पहले ही भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया था। जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया।

यूएनजीए में हुई थी जयशंकर से मुलाकात

गोर का आगमन 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के तुरंत बाद हुआ है, जहां दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा की थी। बैठक के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग ने एक्स पर साझा किया, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के विशेष दूत और भारत में राजदूत नामित सर्जियो गोर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की। वे अमेरिका-भारत संबंधों की सफलता को और बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं।

अपने ही लोगों पर बमबारी, 4 लाख महिलाओं से गैंगरेप...यूएन में भारत ने खोली पाक की पोल

#indiaslamspakistanpermanentrepresentativeofindiatounambassadorp_harish

भारत ने फिर से पाकिस्तान को जमकर लताड़ा है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर को लेकर झूठे प्रचार करने पर भारत ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। ओपन डिबेट के दौरान संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा, पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो अपने ही लोगों पर बम गिराता है और नरसंहार करता है।

भ्रामक और अतिशयोक्तिपूर्ण बयानबाजी पर सख्त भारत

भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र की सभा में पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर पर बार-बार दोहराए जाने वाले निराधार दावों को खारिज कर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हर साल जम्मू-कश्मीर को लेकर भ्रामक और अतिशयोक्तिपूर्ण बयानबाजी करता है। यह वही देश है, जो अपने ही नागरिकों पर बमबारी करता है और नरसंहार को अंजाम देता है।

अपने ही देश की 4 लाख महिलाओं के साथ दुष्कर्म कर हत्या

पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान को आड़े-हाथों लेते हुए कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि हर साल हमें भारत के खिलाफ पाकिस्तान की झूठी आलोचना सुननी पड़ती है। पाकिस्तान बार-बार जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाता है, लेकिन यह नहीं बताता कि उसने भारत के इलाके पर कब्जा जमा रखा है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान वो देश है, जो खुद के लोगों पर ही हमले कर रहा है, लेकिन इसके बाद भी वह दुनिया को गुमराह करने की कोशिश ही करता है। यह वही देश है, जिसकी सेना ने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाकर अपने ही देश की 4 लाख महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उनकी हत्या कर दी।

कश्मीरी महिलाएं पर यौन हिंसा का आरोप

हरीश ने तंज कसते हुए कहा कि जो देश अपने लोगों के खिलाफ इस तरह की क्रूरता करता हो, वह भारत के खिलाफ महिलाओं, शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर उंगली उठाने की हिम्मत कैसे करता है। भारत का इस क्षेत्र में रिकॉर्ड बेदाग और प्रेरणादायक है, जिसे कोई दागदार नहीं कर सकता। भारत ने यह बयान उस समय दिया, जब एक पाकिस्तानी अधिकारी ने आरोप लगाया कि कश्मीरी महिलाएं दशकों से यौन हिंसा झेल रही हैं। वहीं, भारत ने एक बार फिर दोहराया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।

पाकिस्तान को दी ये सलाह

पी हरीश ने आगे कहा कि पाकिस्तान की यह रणनीति केवल दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश है। वह अपनी विफलताओं और आतंकी गतिविधियों को छिपाने के लिए भारत पर आधारहीन आरोप लगाता है। भारत के राजदूत हरीश ने जोर देकर कहा कि वैश्विक समुदाय पाकिस्तान के इस प्रचार को स्पष्ट रूप से देखता और समझता है। उन्होंने पाकिस्तान को सलाह दी कि वह अपनी आंतरिक समस्याओं, आतंकवाद को पनाह देने और मानवाधिकार उल्लंघनों पर ध्यान दे, बजाय भारत के खिलाफ झूठी कहानियां गढ़ने के।

कौन हैं सर्जियो गोर? अमेरिका ने भारत में नियुक्त किया नए राजदूत, जानें क्या है संकेत

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए अगले अमेरिकी राजदूत के नाम की घोषणा की है। उन्होंने अपने बेहद करीबी सहयोगी और विश्वासपात्र सर्जियो गोर को भारत का अगला राजदूत और दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत नियुक्त किया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इसकी घोषणा की।

ट्रंप ने शुक्रवार को एक सोशल मीडिया में गोर को करीबी दोस्त बताया और कहा कि गोर कई वर्षों से मेरे साथ हैं। पोस्ट में ट्रंप ने लिखा कि 'मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का अगला राजदूत नियुक्त कर रहा हूं।' ट्रंप ने कहा कि सर्जियो गोर दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के भी विशेष प्रतिनिधि होंगे। ट्रंप ने भले ही सर्जियो गोर के नाम का एलान कर दिया है, लेकिन अभी गोर को सीनेट की मंजूरी भी लेनी होगी और जब तक उन्हें मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक गोर अपने मौजूदा पद पर बने रहेंगे।

ट्रंप ने कहा- शानदार राजदूत साबित होंगे

सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने लिखा कि 'दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले हिस्से में, मैं चाहता हूं कि कोई ऐसा हो, जिस पर मैं पूरी तरह से विश्वास कर सकूं और अपने एजेंडा को आगे बढ़ा सकूं ताकि अमेरिका को फिर से महान बनाया जा सके। सर्जियो एक शानदार राजदूत साबित होंगे। उन्हें बधाई।'

एरिक गार्सेटी की जगह लेंगे गोर

एरिक गार्सेटी के हटने के सात महीने बाद अमेरिका ने भारत में अपना स्थायी राजदूत नियुक्त किया है। सर्जियो भारत में 26वें अमेरिकी राजदूत होंगे। गार्सेटी ने मई 2023 से लेकर जनवरी 2025 तक भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में जिम्मेदारी निभाई।

एलन मस्क ने बताया था सांप

एक समय ट्रंप के करीबी रहे दिग्गज उद्योगपति एलन मस्क ने सर्जियो गोर को सांप कहा था। दरअसल मस्क के सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख रहते हुए एलन मस्क और सर्जियो गोर में तनातनी की खबरें सामने आईं थी। जून 2025 में एलन मस्क ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में सर्जियो गोर को सांप कहकर उनकी आलोचना की थी। मस्क का यह पोस्ट उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सामने आया था, जिनमें दावा किया गया था कि सर्जियो गोर ने व्हाइट हाउस में तैनाती के बावजूद अभी तक अपना सिक्योरिटी क्लीयरेंस पूरा नहीं किया है। हालांकि व्हाइट हाउस ने बताया कि गोर सिक्योरिटी क्लीयरेंस पूरा कर चुके हैं।

भारत-अमेरिका के रिश्तों में होगा बदलाव?

यह नियुक्ति केवल कूटनीतिक बदलाव भर नहीं मानी जा रही, बल्कि संकेत दे रही है कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका रिश्तों का चरित्र और स्वरूप बदलने वाला है। सर्जियो गोर की छवि ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा के कट्टर समर्थक और डोनाल्‍ड ट्रंप के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि अमेरिका अब भारत के साथ अपने रिश्तों को ज्यादा लेन-देन आधारित नजरिए से देखेगा।

कैटरीना बनीं मालदीव की ग्लोबल टूरिज्म एम्बेसडर, क्या भारतीय पर्यटकों को लुभाने की मुइज्‍जू की कोशिश होगी कामयाब?

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मालदीव ने बॉलीवुड एक्ट्रेस कैटरीना कैफ को अपना ग्लोबल टूरिज्म एम्बेसडर बन गई हैं। यह कोलेबोरेशन यह कोलेबोरेशन ऐसे वक्त में हुआ है जब भारत और मालदीव के रिश्तों में पिछले साल जनवरी के बाद से कुछ कड़वाहट देखी गई थी। दरअसल, मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने बीते साल कुछ ऐसे फैसले लिए थे, जिससे उनको भारतीयों के गुस्से का सामना करना पड़ा। इसका सीधा असर मालदीव की टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ा है। अपने पर्यटन को बचाने के लिए अब मुइज्जू सरकार ने लोकप्रिय अभिनेत्री कैटरीना कैफ का सहारा लिया है।

मंगलवार को सोशल मीडिया पर विजिट मालदीव ने इस खबर को शेयर करते हुए कहा कि वे कैटरीना कैफ को अपने ग्लोबल ब्रांड एम्बेसडर के रूप में पाकर बेहद खुश हैं।

कैटरीना ने इस मौके पर कहा, मालदीव लग्जरी और नेचुरल ब्यूटी का शिखर है, ऐसी जगह जहां सादगी और शांति एक साथ मिलती है। 'सनी साइड ऑफ लाइफ' का फेस बनकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। इस कोलेबोरेशन के जरिए मैं दुनियाभर के लोगों को मालदीव की खासियत और बेहतरीन यात्रा अनुभव से परिचित कराने के लिए उत्साहित हूं।

कैटरीना कैफ के नाम की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब भारत और मालदीव के संबंध एक नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। मालदीव में साल 2023 के आखिर में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने चीन समर्थन का रुख दिखाया। उन्होंने इंडिया आउट जैसे नारे दिए, जिससे उनके भारत से रिश्ते में खटास आना शुरू हो गई। बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव की ओर से कुछ ऐसे विवादित बयान आए, जिस पर भारतीयों ने गुस्सा दिखाते हुए मालदीव के बायकॉट की मुहिम छेड़ दी। इससे दोनों देशों के रिश्ते काफी ज्यादा खराब हो गए।

भारत से डरा पाक तो ड्रैगन की शरण में आया, चीनी राजदूत से मिले विदेश मंत्री इशाक डार

#pakforeignministermeetschinese_ambassador

पहलगाम आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान खौफ में जी रहा है। पहलगाम में 26 लोगों की निर्मम हत्या के बाद पूरा भारत गुस्से में है। जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद कई बड़े फैसले लिए है। पाकिस्तान इससे बौखलाया हुआ है। वहीं पाकिस्तान भारत की तरफ से किसी बड़ी कार्रवाई का डर भी सता रहा है। इसी बीच पाकिस्तान ड्रैगन की शरण में आया है। चीन के राजदूत जियांग जेडोंग ने आज पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार से मुलाकात की।

सदाबहार दोस्त को दी हालात की जानकारी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने चीन के राजदूत जियांग जेड ने इस्लामाबाद में मुलाकात की है। इस मुलाकात को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय तनाव की जानकारी चीन को दी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक्स अकाउंट से जारी बयान में कहा गया है कि "चीन के राजदूत जियांग जेड ने आज उप प्रधानमंत्री/विदेश मंत्री सीनेटर मोहम्मद इशाक डार से मुलाकात की। पाकिस्तान और चीन के बीच हर मौसम में रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि करते हुए दोनों पक्षों ने उभरते क्षेत्रीय हालात पर विचारों का आदान-प्रदान किया और नजदीकी कम्युनिकेशन और समन्वय बनाए रखने पर सहमति जताई।

चीन ने की थी आतंकी हमले की निंदा

इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में आतंकी हमले की निंदा तो की थी दी है। नई दिल्ली में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में इस बर्बर आतंकी हमले की निंदा की है। लेकिन चीन का यह बयान आतंकी हमले के एक दिन बाद आया था और इससे भी दिलचस्प बात यह थी कि इस पर पाकिस्तान और चीन की प्रतिक्रिया एक साथ आई थी। वहीं अब इस्लामाबाद में चीन और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच मुलाकात हुई है।

क्यों खौफ में पाकिस्तान?

ये मुलाकात ऐसे समय हुई है जब भारत ने पाकिस्तान के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं। भारत ने सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया और फिर देश से सभी पाकिस्तानी नागरिकों को अपने देश वापस जाने का आदेश दिया। इसके साथ ही भारत ने सख्त ऐक्शन लेते हुए अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को भी बंद करने का फैसला लिया है। भारत में पाकिस्तान के दूतावास को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। भारत के इस ऐक्शन से पाकिस्तान बौखला गया है और बार-बार चेतावनी दे रहा है। तमाम देशों ने पहलगाम हमले के बाद भारत का साथ दिया है। ऐसे में पाकिस्तान अब चीन के पास मदद की गुहार लगाने पहुंचा है।

पाकिस्तान के लिए चीन काफी अहम

भारत के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के लिए चीन बेहद जरूरी खिलाड़ी साबित हो सकता है। हथियार देने से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वह पाकिस्तान का पक्ष ले सकता है, क्योंकि चीन के पास संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर है। इसलिए इसकी पाकिस्तान से करीबी भारत के लिए चिंता बढ़ा सकती है।

मोहम्मद यूनुस ने अपने ही राजदूत का पासपोर्ट किया रद्द, सच बोलने की दी सजा

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अपने ही राजदूत हारून रशीद का पासपोर्ट रद्द करने जा रही है। उनके साथ ही उनके परिवार के पासपोर्ट भी रद्द किए जाएँगे। दरअसल, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा था। राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद के इस फेसबुक पोस्ट से जब यूनुस सरकार ने अपनी पोल खुलती देखी, तो फिर दबाव में आ गए।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया कि रशीद को दिसम्बर, 2024 में ही अपना पद छोड़कर बांग्लादेश वापस बुलाया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रशीद इसमें आनाकानी करते रहे और फरवरी, 2025 में उन्होंने अपना पद भी छोड़ दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रशीद अब कनाडा चले गए हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना को विदेश मंत्रालय ने एजेंडा करार दिया है। यूनुस सरकार ने कहा है कि रशीद के बयान सच्चाई से इतर हैं। विदेश मंत्रालय ने यूनुस सरकार की आलोचना को सिम्पथी बटोरने का एक साधन करार दिया है।

बांग्लादेश की पहचान को नष्ट करने का आरोप

इससे पहले हारून रशीद ने 14 मार्च को फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया था। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

मोहम्मद यूनुस का एक और भारत विरोधी कदम, अब यूरोपीय देशों से बांग्लादेशी वीजा सेंटर दिल्ली से हटाने की मांग
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* बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की खबरों के बीच वहां की अंतरिम सरकार लगातार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। ताजा घटनाक्रम में अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद यूनुस ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया है कि वे बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्रों को दिल्ली से हटाकर ढाका या किसी अन्य पड़ोसी देश में स्थापित करें। सोमवार को ढाका में यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों के साथ बैठक में यह आह्वान किया.। बांग्लादेश में नियुक्त यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माइकल मिलर ने दोपहर 12 बजे राजधानी के तेजगांव स्थित मुख्य सलाहकार के कार्यालय में मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक की। इस बैठक में 19 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। इस दौरान यूनुस ने भारत के "वीजा प्रतिबंधों" को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "बांग्लादेशियों के लिए वीजा पर भारत के प्रतिबंधों ने कई छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है, जो यूरोपीय वीजा के लिए दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकते हैं।" मोहम्मद यूनुस ने आरोप लगाया कि इसके परिणामस्वरूप यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिभाशाली बांग्लादेशी छात्रों से वंचित रह रहे हैं। यूनुस ने कहा कि कई छात्र दिल्ली जाकर यूरोपीय वीजा पाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि भारत ने बांग्लादेशियों के लिए वीजा प्रतिबंधित कर दिया है। परिणामस्वरूप, उनके शैक्षिक करियर को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। उन्होंने राजनयिकों से कहा, "वीजा कार्यालयों को ढाका या किसी नजदीकी देश में स्थानांतरित करने से बांग्लादेश और यूरोपीय संघ दोनों को लाभ होगा।" ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका के अधिकारियों ने बुल्गारिया का उदाहरण भी दिया, जिसने बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्र को पहले ही इंडोनेशिया और वियतनाम में ट्रांसफर कर दिया है। राजनयिकों ने कहा कि वे ढाका की सुधार पहल का समर्थन करते हैं और नये बांग्लादेश के निर्माण में सलाह और सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता का वादा करते हैं। इस बीच, बांग्लादेश ने सोमवार को कहा कि भारत ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा बढ़ाने के लिए कदम उठाने का वादा किया है। यह बयान मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस की भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के ठीक बाद आया है। पर्यावरण सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने संवाददाताओं से कहा कि मिस्री ने बांग्लादेशी पक्ष से वादा किया है कि वह कदम उठाएंगे। मौजूदा समय में भारत बांग्लादेशियों को सीमित वीजा दे रहा है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वे चिकित्सा और अन्य जरूरी कारणों से सीमित वीजा दे रहे हैं।
अमेरिका-ईरान में खत्म होगा तनाव! एलन मस्क ने की ईरानी राजदूत से मुलाकात

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दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की लिस्ट में शुमार एलन मस्‍क अब अलग ही अवतार में नजर आ रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कारोबारी एलन मस्क पॉलिटिशियन का रोल भी निभाने लगे हैं। ट्रंप के करीबी अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात को अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मस्क ईरान-अमेरिका के बीच टेंशन खत्‍म करने में लगे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को वो यूनाटेड नेशन में ईरान के राजदूत से मिले। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक दोनों नेताओं ने किसी गुप्त जगह पर मुलाकात की। दोनों के बीच एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई। हालांकि न तो ट्रंप की टीम के सदस्यों ने या फिर ईरान के दूतावास ने इस मुलाकात की पुष्टि की है। अगर मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि हो जाती है तो इससे साफ हो जाएगा कि ट्रंप सरकार ईरान के साथ संबंध बेहतर करने का इरादा रखती है।

ईरान से जुड़े दो सूत्रों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि मस्क ने इस मीटिंग के लिए पहल की थी, वहीं ईरानी डिप्लोमैट ने जगह का चयन किया था। दोनों पक्षों ने एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत की। सूत्रों ने कहा कि ईरानी डिप्लोमैट बातचीत से खुश नजर आए। रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत के दौरान ईरानी डिप्लोमैट ने मस्क को सलाह दी कि उन्हें सरकार से छूट लेकर अपना कारोबार ईरान ले जाना चाहिए। ईरान और मस्क ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

बता दें कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन इस बार सत्ता पर काबिज होने से पहले ही ट्रंप ने ईरान के साथ तनाव कम करने की कोशिश शुरू कर बड़े संकेत दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एलन मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात के दौरान राजदूत ने मस्क से अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट देने और तेहरान में व्यापार करने की अपील की। 

ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किए गए समझौते को तोड़ दिया था। यह समझौते बराक ओबामा की सरकार के दौरान किए गए थे। जिसके बाद से ही ईरान और अमेरिका के बीच दूरियां काफी ज्‍यादा बढ़ गई थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ही ईरान के सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी को अमेरिकी सेना ने बगदाद में मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात पैदा हो गए थे।

पश्चिम एशिया में भारत कम कर सकता है तनाव? ईरानी राजदूत के बयान में कितना दम*
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मिडिल ईस्ट में लगातार संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इजरायल हमास के साथ अब लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ बमों की बारिश कर रहा है। इजराइल और हिजबुल्ला के बीच शुरू हुए संघर्ष में ईरान भी शामिल हो गया है। इससे पश्चिम एशिया में तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया है और इसके व्यापक युद्ध में बदलने का खतरा पैदा हो गया है। इस बीच ईरान के राजदूत इराज इलाही भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। इराज इलाही का कहना है कि एक बड़ी ताकत और ग्लोबल साउथ की आवाज होने के नाते भारत तनाव को कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। *भारत से हस्तक्षेप की मांग* ईरान की ओर से हाल ही में इजरायल पर मिसाइलों से हमला किया गया। शुक्रवार को ईरानी सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इजरायल के खात्मे की बात कहीं। इस बीच भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद के लिए भारत से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारत को इस मौके का इस्तेमाल इजरायल को मनाने के लिए करना चाहिए, ताकि वह अपनी आक्रामकता को रोके और क्षेत्र में शांति आ सके। *एक शक्तिशाली देश के बजाय एक शक्तिशाली क्षेत्र की चाह* ईरान के राजदूत ने कहा कि हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता है। हम (ईरान) एक शक्तिशाली देश के बजाय एक शक्तिशाली क्षेत्र चाहते हैं। किसी देश के विकास के लिए शांति और स्थिरता सबसे पहली शर्त है। उन्होंने कहा, लेकिन फिलिस्तीन में जो हो रहा है उसके प्रति हम बेरुखी नहीं दिखा सकते, हम फिलिस्तीन में लोगों के मारे जाने की घटनाओं को नजरअंदाज या उपेक्षा नहीं कर सकते। *भारत से उम्मीद* राजदूत ने भारत के साथ संबंधों पर कहा कि भारत ईरान और इजराइल दोनों का घनिष्ठ मित्र है। इलाही ने कहा, लेकिन हमारे रिश्ते 2,000 साल पुराने हैं जबकि भारत और इजराइल के रिश्ते इतने पुराने नहीं हैं। एक बड़ी शक्ति और ग्लोबल साउथ की आवाज होने के नाते भारत इस क्षेत्र में तनाव कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि ईरान को उम्मीद है कि भारत तनाव कम करने के लिए अपने प्रभाव और क्षमताओं का इस्तेमाल करेगा।
भारत दौरे पर आए अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर, विदेश मंत्री जयशंकर ने की मुलाकात

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अमेरिका और भारत के रिश्तें में इन दिनों तनाव है। इस बीच अमेरिका के नए राजदूत-नामित सर्जियो गोर दिल्ली पहुंचे। विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने उनसे मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी नजर आई। अमेरिकी दूतावास के अनुसार, राजदूत गोर का औपचारिक परिचय पत्र प्रस्तुत किया जाएगा और भारत आने की तारीख बाद में तय की जाएगी। बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी संसद ने भारत में राजदूत के रूप में उनकी नियुक्ति की पुष्टि की थी।

विदेश मंत्री जयशंकर ने दी बधाई

नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर से मुलाकात के बाद एक्स पर ट्वीट किया। एस जयशंकर ने लिखा, आज नई दिल्ली में अमेरिका के राजदूत-डेसिग्नेट सर्जियो गोर से मिलकर प्रसन्नता हुई। भारत-अमेरिका संबंधों और इसके वैश्विक महत्व पर चर्चा हुई। उन्हें उनकी नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं।

क्यों अहम है गोर की ये यात्रा

भारत में अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में नियुक्ति के बाद सर्जियो गोर की यह पहली भारत यात्रा है। वो भारत में सबसे कम उम्र के अमेरिकी राजदूत हैं। अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि अमेरिका अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और एक सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ काम करना जारी रखेगा। ये मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही क्योंकि यूएस राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ समय पहले ही भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया था। जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया।

यूएनजीए में हुई थी जयशंकर से मुलाकात

गोर का आगमन 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के तुरंत बाद हुआ है, जहां दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा की थी। बैठक के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग ने एक्स पर साझा किया, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के विशेष दूत और भारत में राजदूत नामित सर्जियो गोर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की। वे अमेरिका-भारत संबंधों की सफलता को और बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं।

अपने ही लोगों पर बमबारी, 4 लाख महिलाओं से गैंगरेप...यूएन में भारत ने खोली पाक की पोल

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भारत ने फिर से पाकिस्तान को जमकर लताड़ा है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर को लेकर झूठे प्रचार करने पर भारत ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। ओपन डिबेट के दौरान संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा, पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो अपने ही लोगों पर बम गिराता है और नरसंहार करता है।

भ्रामक और अतिशयोक्तिपूर्ण बयानबाजी पर सख्त भारत

भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र की सभा में पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर पर बार-बार दोहराए जाने वाले निराधार दावों को खारिज कर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हर साल जम्मू-कश्मीर को लेकर भ्रामक और अतिशयोक्तिपूर्ण बयानबाजी करता है। यह वही देश है, जो अपने ही नागरिकों पर बमबारी करता है और नरसंहार को अंजाम देता है।

अपने ही देश की 4 लाख महिलाओं के साथ दुष्कर्म कर हत्या

पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान को आड़े-हाथों लेते हुए कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि हर साल हमें भारत के खिलाफ पाकिस्तान की झूठी आलोचना सुननी पड़ती है। पाकिस्तान बार-बार जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाता है, लेकिन यह नहीं बताता कि उसने भारत के इलाके पर कब्जा जमा रखा है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान वो देश है, जो खुद के लोगों पर ही हमले कर रहा है, लेकिन इसके बाद भी वह दुनिया को गुमराह करने की कोशिश ही करता है। यह वही देश है, जिसकी सेना ने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाकर अपने ही देश की 4 लाख महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उनकी हत्या कर दी।

कश्मीरी महिलाएं पर यौन हिंसा का आरोप

हरीश ने तंज कसते हुए कहा कि जो देश अपने लोगों के खिलाफ इस तरह की क्रूरता करता हो, वह भारत के खिलाफ महिलाओं, शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर उंगली उठाने की हिम्मत कैसे करता है। भारत का इस क्षेत्र में रिकॉर्ड बेदाग और प्रेरणादायक है, जिसे कोई दागदार नहीं कर सकता। भारत ने यह बयान उस समय दिया, जब एक पाकिस्तानी अधिकारी ने आरोप लगाया कि कश्मीरी महिलाएं दशकों से यौन हिंसा झेल रही हैं। वहीं, भारत ने एक बार फिर दोहराया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।

पाकिस्तान को दी ये सलाह

पी हरीश ने आगे कहा कि पाकिस्तान की यह रणनीति केवल दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश है। वह अपनी विफलताओं और आतंकी गतिविधियों को छिपाने के लिए भारत पर आधारहीन आरोप लगाता है। भारत के राजदूत हरीश ने जोर देकर कहा कि वैश्विक समुदाय पाकिस्तान के इस प्रचार को स्पष्ट रूप से देखता और समझता है। उन्होंने पाकिस्तान को सलाह दी कि वह अपनी आंतरिक समस्याओं, आतंकवाद को पनाह देने और मानवाधिकार उल्लंघनों पर ध्यान दे, बजाय भारत के खिलाफ झूठी कहानियां गढ़ने के।

कौन हैं सर्जियो गोर? अमेरिका ने भारत में नियुक्त किया नए राजदूत, जानें क्या है संकेत

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए अगले अमेरिकी राजदूत के नाम की घोषणा की है। उन्होंने अपने बेहद करीबी सहयोगी और विश्वासपात्र सर्जियो गोर को भारत का अगला राजदूत और दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत नियुक्त किया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इसकी घोषणा की।

ट्रंप ने शुक्रवार को एक सोशल मीडिया में गोर को करीबी दोस्त बताया और कहा कि गोर कई वर्षों से मेरे साथ हैं। पोस्ट में ट्रंप ने लिखा कि 'मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का अगला राजदूत नियुक्त कर रहा हूं।' ट्रंप ने कहा कि सर्जियो गोर दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के भी विशेष प्रतिनिधि होंगे। ट्रंप ने भले ही सर्जियो गोर के नाम का एलान कर दिया है, लेकिन अभी गोर को सीनेट की मंजूरी भी लेनी होगी और जब तक उन्हें मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक गोर अपने मौजूदा पद पर बने रहेंगे।

ट्रंप ने कहा- शानदार राजदूत साबित होंगे

सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने लिखा कि 'दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले हिस्से में, मैं चाहता हूं कि कोई ऐसा हो, जिस पर मैं पूरी तरह से विश्वास कर सकूं और अपने एजेंडा को आगे बढ़ा सकूं ताकि अमेरिका को फिर से महान बनाया जा सके। सर्जियो एक शानदार राजदूत साबित होंगे। उन्हें बधाई।'

एरिक गार्सेटी की जगह लेंगे गोर

एरिक गार्सेटी के हटने के सात महीने बाद अमेरिका ने भारत में अपना स्थायी राजदूत नियुक्त किया है। सर्जियो भारत में 26वें अमेरिकी राजदूत होंगे। गार्सेटी ने मई 2023 से लेकर जनवरी 2025 तक भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में जिम्मेदारी निभाई।

एलन मस्क ने बताया था सांप

एक समय ट्रंप के करीबी रहे दिग्गज उद्योगपति एलन मस्क ने सर्जियो गोर को सांप कहा था। दरअसल मस्क के सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख रहते हुए एलन मस्क और सर्जियो गोर में तनातनी की खबरें सामने आईं थी। जून 2025 में एलन मस्क ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में सर्जियो गोर को सांप कहकर उनकी आलोचना की थी। मस्क का यह पोस्ट उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सामने आया था, जिनमें दावा किया गया था कि सर्जियो गोर ने व्हाइट हाउस में तैनाती के बावजूद अभी तक अपना सिक्योरिटी क्लीयरेंस पूरा नहीं किया है। हालांकि व्हाइट हाउस ने बताया कि गोर सिक्योरिटी क्लीयरेंस पूरा कर चुके हैं।

भारत-अमेरिका के रिश्तों में होगा बदलाव?

यह नियुक्ति केवल कूटनीतिक बदलाव भर नहीं मानी जा रही, बल्कि संकेत दे रही है कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका रिश्तों का चरित्र और स्वरूप बदलने वाला है। सर्जियो गोर की छवि ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा के कट्टर समर्थक और डोनाल्‍ड ट्रंप के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि अमेरिका अब भारत के साथ अपने रिश्तों को ज्यादा लेन-देन आधारित नजरिए से देखेगा।

कैटरीना बनीं मालदीव की ग्लोबल टूरिज्म एम्बेसडर, क्या भारतीय पर्यटकों को लुभाने की मुइज्‍जू की कोशिश होगी कामयाब?

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मालदीव ने बॉलीवुड एक्ट्रेस कैटरीना कैफ को अपना ग्लोबल टूरिज्म एम्बेसडर बन गई हैं। यह कोलेबोरेशन यह कोलेबोरेशन ऐसे वक्त में हुआ है जब भारत और मालदीव के रिश्तों में पिछले साल जनवरी के बाद से कुछ कड़वाहट देखी गई थी। दरअसल, मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने बीते साल कुछ ऐसे फैसले लिए थे, जिससे उनको भारतीयों के गुस्से का सामना करना पड़ा। इसका सीधा असर मालदीव की टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ा है। अपने पर्यटन को बचाने के लिए अब मुइज्जू सरकार ने लोकप्रिय अभिनेत्री कैटरीना कैफ का सहारा लिया है।

मंगलवार को सोशल मीडिया पर विजिट मालदीव ने इस खबर को शेयर करते हुए कहा कि वे कैटरीना कैफ को अपने ग्लोबल ब्रांड एम्बेसडर के रूप में पाकर बेहद खुश हैं।

कैटरीना ने इस मौके पर कहा, मालदीव लग्जरी और नेचुरल ब्यूटी का शिखर है, ऐसी जगह जहां सादगी और शांति एक साथ मिलती है। 'सनी साइड ऑफ लाइफ' का फेस बनकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। इस कोलेबोरेशन के जरिए मैं दुनियाभर के लोगों को मालदीव की खासियत और बेहतरीन यात्रा अनुभव से परिचित कराने के लिए उत्साहित हूं।

कैटरीना कैफ के नाम की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब भारत और मालदीव के संबंध एक नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। मालदीव में साल 2023 के आखिर में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने चीन समर्थन का रुख दिखाया। उन्होंने इंडिया आउट जैसे नारे दिए, जिससे उनके भारत से रिश्ते में खटास आना शुरू हो गई। बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव की ओर से कुछ ऐसे विवादित बयान आए, जिस पर भारतीयों ने गुस्सा दिखाते हुए मालदीव के बायकॉट की मुहिम छेड़ दी। इससे दोनों देशों के रिश्ते काफी ज्यादा खराब हो गए।

भारत से डरा पाक तो ड्रैगन की शरण में आया, चीनी राजदूत से मिले विदेश मंत्री इशाक डार

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान खौफ में जी रहा है। पहलगाम में 26 लोगों की निर्मम हत्या के बाद पूरा भारत गुस्से में है। जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद कई बड़े फैसले लिए है। पाकिस्तान इससे बौखलाया हुआ है। वहीं पाकिस्तान भारत की तरफ से किसी बड़ी कार्रवाई का डर भी सता रहा है। इसी बीच पाकिस्तान ड्रैगन की शरण में आया है। चीन के राजदूत जियांग जेडोंग ने आज पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार से मुलाकात की।

सदाबहार दोस्त को दी हालात की जानकारी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने चीन के राजदूत जियांग जेड ने इस्लामाबाद में मुलाकात की है। इस मुलाकात को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय तनाव की जानकारी चीन को दी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक्स अकाउंट से जारी बयान में कहा गया है कि "चीन के राजदूत जियांग जेड ने आज उप प्रधानमंत्री/विदेश मंत्री सीनेटर मोहम्मद इशाक डार से मुलाकात की। पाकिस्तान और चीन के बीच हर मौसम में रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि करते हुए दोनों पक्षों ने उभरते क्षेत्रीय हालात पर विचारों का आदान-प्रदान किया और नजदीकी कम्युनिकेशन और समन्वय बनाए रखने पर सहमति जताई।

चीन ने की थी आतंकी हमले की निंदा

इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में आतंकी हमले की निंदा तो की थी दी है। नई दिल्ली में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में इस बर्बर आतंकी हमले की निंदा की है। लेकिन चीन का यह बयान आतंकी हमले के एक दिन बाद आया था और इससे भी दिलचस्प बात यह थी कि इस पर पाकिस्तान और चीन की प्रतिक्रिया एक साथ आई थी। वहीं अब इस्लामाबाद में चीन और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच मुलाकात हुई है।

क्यों खौफ में पाकिस्तान?

ये मुलाकात ऐसे समय हुई है जब भारत ने पाकिस्तान के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं। भारत ने सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया और फिर देश से सभी पाकिस्तानी नागरिकों को अपने देश वापस जाने का आदेश दिया। इसके साथ ही भारत ने सख्त ऐक्शन लेते हुए अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को भी बंद करने का फैसला लिया है। भारत में पाकिस्तान के दूतावास को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। भारत के इस ऐक्शन से पाकिस्तान बौखला गया है और बार-बार चेतावनी दे रहा है। तमाम देशों ने पहलगाम हमले के बाद भारत का साथ दिया है। ऐसे में पाकिस्तान अब चीन के पास मदद की गुहार लगाने पहुंचा है।

पाकिस्तान के लिए चीन काफी अहम

भारत के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के लिए चीन बेहद जरूरी खिलाड़ी साबित हो सकता है। हथियार देने से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वह पाकिस्तान का पक्ष ले सकता है, क्योंकि चीन के पास संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर है। इसलिए इसकी पाकिस्तान से करीबी भारत के लिए चिंता बढ़ा सकती है।

मोहम्मद यूनुस ने अपने ही राजदूत का पासपोर्ट किया रद्द, सच बोलने की दी सजा

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अपने ही राजदूत हारून रशीद का पासपोर्ट रद्द करने जा रही है। उनके साथ ही उनके परिवार के पासपोर्ट भी रद्द किए जाएँगे। दरअसल, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा था। राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद के इस फेसबुक पोस्ट से जब यूनुस सरकार ने अपनी पोल खुलती देखी, तो फिर दबाव में आ गए।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया कि रशीद को दिसम्बर, 2024 में ही अपना पद छोड़कर बांग्लादेश वापस बुलाया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रशीद इसमें आनाकानी करते रहे और फरवरी, 2025 में उन्होंने अपना पद भी छोड़ दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रशीद अब कनाडा चले गए हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना को विदेश मंत्रालय ने एजेंडा करार दिया है। यूनुस सरकार ने कहा है कि रशीद के बयान सच्चाई से इतर हैं। विदेश मंत्रालय ने यूनुस सरकार की आलोचना को सिम्पथी बटोरने का एक साधन करार दिया है।

बांग्लादेश की पहचान को नष्ट करने का आरोप

इससे पहले हारून रशीद ने 14 मार्च को फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया था। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

मोहम्मद यूनुस का एक और भारत विरोधी कदम, अब यूरोपीय देशों से बांग्लादेशी वीजा सेंटर दिल्ली से हटाने की मांग
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* बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की खबरों के बीच वहां की अंतरिम सरकार लगातार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। ताजा घटनाक्रम में अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद यूनुस ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया है कि वे बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्रों को दिल्ली से हटाकर ढाका या किसी अन्य पड़ोसी देश में स्थापित करें। सोमवार को ढाका में यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों के साथ बैठक में यह आह्वान किया.। बांग्लादेश में नियुक्त यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माइकल मिलर ने दोपहर 12 बजे राजधानी के तेजगांव स्थित मुख्य सलाहकार के कार्यालय में मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक की। इस बैठक में 19 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। इस दौरान यूनुस ने भारत के "वीजा प्रतिबंधों" को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "बांग्लादेशियों के लिए वीजा पर भारत के प्रतिबंधों ने कई छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है, जो यूरोपीय वीजा के लिए दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकते हैं।" मोहम्मद यूनुस ने आरोप लगाया कि इसके परिणामस्वरूप यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिभाशाली बांग्लादेशी छात्रों से वंचित रह रहे हैं। यूनुस ने कहा कि कई छात्र दिल्ली जाकर यूरोपीय वीजा पाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि भारत ने बांग्लादेशियों के लिए वीजा प्रतिबंधित कर दिया है। परिणामस्वरूप, उनके शैक्षिक करियर को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। उन्होंने राजनयिकों से कहा, "वीजा कार्यालयों को ढाका या किसी नजदीकी देश में स्थानांतरित करने से बांग्लादेश और यूरोपीय संघ दोनों को लाभ होगा।" ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका के अधिकारियों ने बुल्गारिया का उदाहरण भी दिया, जिसने बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्र को पहले ही इंडोनेशिया और वियतनाम में ट्रांसफर कर दिया है। राजनयिकों ने कहा कि वे ढाका की सुधार पहल का समर्थन करते हैं और नये बांग्लादेश के निर्माण में सलाह और सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता का वादा करते हैं। इस बीच, बांग्लादेश ने सोमवार को कहा कि भारत ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा बढ़ाने के लिए कदम उठाने का वादा किया है। यह बयान मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस की भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के ठीक बाद आया है। पर्यावरण सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने संवाददाताओं से कहा कि मिस्री ने बांग्लादेशी पक्ष से वादा किया है कि वह कदम उठाएंगे। मौजूदा समय में भारत बांग्लादेशियों को सीमित वीजा दे रहा है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वे चिकित्सा और अन्य जरूरी कारणों से सीमित वीजा दे रहे हैं।
अमेरिका-ईरान में खत्म होगा तनाव! एलन मस्क ने की ईरानी राजदूत से मुलाकात

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दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की लिस्ट में शुमार एलन मस्‍क अब अलग ही अवतार में नजर आ रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कारोबारी एलन मस्क पॉलिटिशियन का रोल भी निभाने लगे हैं। ट्रंप के करीबी अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात को अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मस्क ईरान-अमेरिका के बीच टेंशन खत्‍म करने में लगे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को वो यूनाटेड नेशन में ईरान के राजदूत से मिले। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक दोनों नेताओं ने किसी गुप्त जगह पर मुलाकात की। दोनों के बीच एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई। हालांकि न तो ट्रंप की टीम के सदस्यों ने या फिर ईरान के दूतावास ने इस मुलाकात की पुष्टि की है। अगर मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि हो जाती है तो इससे साफ हो जाएगा कि ट्रंप सरकार ईरान के साथ संबंध बेहतर करने का इरादा रखती है।

ईरान से जुड़े दो सूत्रों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि मस्क ने इस मीटिंग के लिए पहल की थी, वहीं ईरानी डिप्लोमैट ने जगह का चयन किया था। दोनों पक्षों ने एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत की। सूत्रों ने कहा कि ईरानी डिप्लोमैट बातचीत से खुश नजर आए। रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत के दौरान ईरानी डिप्लोमैट ने मस्क को सलाह दी कि उन्हें सरकार से छूट लेकर अपना कारोबार ईरान ले जाना चाहिए। ईरान और मस्क ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

बता दें कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन इस बार सत्ता पर काबिज होने से पहले ही ट्रंप ने ईरान के साथ तनाव कम करने की कोशिश शुरू कर बड़े संकेत दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एलन मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात के दौरान राजदूत ने मस्क से अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट देने और तेहरान में व्यापार करने की अपील की। 

ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किए गए समझौते को तोड़ दिया था। यह समझौते बराक ओबामा की सरकार के दौरान किए गए थे। जिसके बाद से ही ईरान और अमेरिका के बीच दूरियां काफी ज्‍यादा बढ़ गई थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ही ईरान के सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी को अमेरिकी सेना ने बगदाद में मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात पैदा हो गए थे।

पश्चिम एशिया में भारत कम कर सकता है तनाव? ईरानी राजदूत के बयान में कितना दम*
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मिडिल ईस्ट में लगातार संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इजरायल हमास के साथ अब लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ बमों की बारिश कर रहा है। इजराइल और हिजबुल्ला के बीच शुरू हुए संघर्ष में ईरान भी शामिल हो गया है। इससे पश्चिम एशिया में तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया है और इसके व्यापक युद्ध में बदलने का खतरा पैदा हो गया है। इस बीच ईरान के राजदूत इराज इलाही भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। इराज इलाही का कहना है कि एक बड़ी ताकत और ग्लोबल साउथ की आवाज होने के नाते भारत तनाव को कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। *भारत से हस्तक्षेप की मांग* ईरान की ओर से हाल ही में इजरायल पर मिसाइलों से हमला किया गया। शुक्रवार को ईरानी सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इजरायल के खात्मे की बात कहीं। इस बीच भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद के लिए भारत से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारत को इस मौके का इस्तेमाल इजरायल को मनाने के लिए करना चाहिए, ताकि वह अपनी आक्रामकता को रोके और क्षेत्र में शांति आ सके। *एक शक्तिशाली देश के बजाय एक शक्तिशाली क्षेत्र की चाह* ईरान के राजदूत ने कहा कि हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता है। हम (ईरान) एक शक्तिशाली देश के बजाय एक शक्तिशाली क्षेत्र चाहते हैं। किसी देश के विकास के लिए शांति और स्थिरता सबसे पहली शर्त है। उन्होंने कहा, लेकिन फिलिस्तीन में जो हो रहा है उसके प्रति हम बेरुखी नहीं दिखा सकते, हम फिलिस्तीन में लोगों के मारे जाने की घटनाओं को नजरअंदाज या उपेक्षा नहीं कर सकते। *भारत से उम्मीद* राजदूत ने भारत के साथ संबंधों पर कहा कि भारत ईरान और इजराइल दोनों का घनिष्ठ मित्र है। इलाही ने कहा, लेकिन हमारे रिश्ते 2,000 साल पुराने हैं जबकि भारत और इजराइल के रिश्ते इतने पुराने नहीं हैं। एक बड़ी शक्ति और ग्लोबल साउथ की आवाज होने के नाते भारत इस क्षेत्र में तनाव कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि ईरान को उम्मीद है कि भारत तनाव कम करने के लिए अपने प्रभाव और क्षमताओं का इस्तेमाल करेगा।