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टेकारी में एनडीए प्रत्याशी अनिल कुमार पर हमले को लेकर महागठबंधन की प्रेस वार्ता, कहा – पहले बॉडीगार्ड ने चलाई गोली, फिर भड़के लोग

टिकारी विधायक जन आक्रोश को राजनीतिक रंग देने का कर रहे हैं कुत्सित प्रयास

गया: टेकारी विधानसभा क्षेत्र में एनडीए प्रत्याशी और मौजूदा विधायक अनिल कुमार पर हुए कथित हमले के मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। गुरुवार को महागठबंधन के नेताओं ने शहर के गेवाल बीघा स्थित एक निजी आवास में एक प्रेस वार्ता कर घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी। इस प्रेस वार्ता में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष संतोष कुशवाहा, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव सह चुनाव प्रभारी एडवोकेट बीरेन्द्र कुमार उर्फ बीरेन्द्र गोप, सीपीआई माले के रामचन्द्र प्रसाद, पूर्व विधायक शिववचन यादव, राजद के वरिष्ठ नेता सह चंद्रवंशी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक आजाद ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। वास्तव में विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब विधायक अनिल कुमार को गांव वाले ने सड़क नहीं बनने से पैदल चलने का आग्रह किया लेकिन उनके अंगरक्षक ने सबसे पहले गोली चलाई, जिसके बाद स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और स्थिति तनावपूर्ण बन गई।

उन्होंने ने कहा कि किसी खास जाति समुदाय को एक दल से जोड़ना गलत है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि अगर वे लोग राजद से जुड़े होते तो 2020 के विधानसभा चुनाव में लगभग 600 वोट उन्हें प्राप्त नहीं होता। बीरेन्द्र गोप ने कहा कि एनडीए के लोग पूरे बिहार में महागठबंधन के पक्ष में चल रहे आंधी से घबराकर राजद पर झूठ मूठ का आरोप मढ़ रहे हैं।

एनडीए के नेता इस घटना को जानबूझकर राजनीतिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक स्थानीय विवाद था, जिसे राजनीतिक षड्यंत्र बताना गलत होगा। नेताओं ने प्रशासन से मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके।

प्रेस वार्ता में शामिल नेताओं ने कहा कि टेकारी की जनता हमेशा शांति और सद्भावना में विश्वास रखती है। लेकिन हाल के दिनों में राजनीतिक लाभ के लिए तनाव बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं, जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग से भी अपील की कि आगामी चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो।

इस बीच, एनडीए प्रत्याशी अनिल कुमार की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है, हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि विधायक पर हमला सुनियोजित था। फिलहाल पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और दोनों पक्षों से पूछताछ की जा रही है।

टेकारी की यह घटना अब राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है। सभी की निगाहें प्रशासनिक जांच और आने वाले दिनों में राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।

दिल्ली दंगे देश में सत्ता परिवर्तन की साजिश थी, दिल्ली पुलिस का सनसनीखेज दावा, सुप्रीम कोर्ट में 177 पन्नों का हलफनामा दाखिल

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2020 के दिल्ली दंगे कोई अचानक भड़की हिंसा नहीं थे, बल्कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन करने की साजिश के तहत किए गए थे। इसका मकसद देश को कमजोर करना था। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर ये सनसनीखेज दावा किया है। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा है कि उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि उपलब्ध सबूत यह साबित करते हैं कि 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे एक 'पहले से रची गई साजिश' का हिस्सा थे।

पुलिस के मुताबिक, जांच में मिले गवाहों के बयान, दस्तावेज और तकनीकी सबूत बताते हैं कि यह दंगे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध को हथियार बनाकर योजनाबद्ध तरीके से कराए गए थे। पुलिस का कहना है कि इस साजिश के तहत देशभर में हिंसा फैलाने की कोशिश हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल थे। उमर खालिद और शरजील इमाम साजिशकर्ता थे, जिन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया।

सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई

हलफनामे में लिखा है, सीएए के खिलाफ जन असंतोष को हथियार बनाकर भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला किया गया। यह हिंसा संगठित और कैलिब्रेटेड थी, जो देशभर में समन्वित तरीके से सरकार को अस्थिर करने की कोशिश थी। यह हलफनामा छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम सहित कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं के जवाब में दाखिल किया जा रहा है।

सीएए के मुद्दे को जानबूझकर 'उकसाने वाले कारण' के रूप में चुना गया

पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय ही हिंसा भड़काने की योजना बनाई थी, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा जा सके और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वैश्विक स्तर पर मुस्लिम विरोधी अभियान के रूप में पेश किया जा सके। हलफनामे के अनुसार, सीएए के मुद्दे को जानबूझकर एक 'उकसाने वाले कारण' के रूप में चुना गया, जिसे शांतिपूर्ण विरोध के नाम पर छिपाया गया था।

आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे

पुलिस ने आरोपियों पर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस का यह भी कहना है कि उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा जानबूझकर सुनवाई टाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं ताकि केस की सुनवाई को लटकाया जा सके। ये न्याय प्रक्रिया में रुकावट डालने जैसा है।

दिल्ली दंगे में 54 लोग मारे गए

बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जिसमें 54 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा घायल हुए। उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर दंगों का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा। उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

शिक्षा में नया अध्याय- इनसेट टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम से पंजाब में अध्यापकों को नई दिशा

जालंधर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत भारत की शिक्षा व्यवस्था लगातार बदल रही है, और इसी के साथ शिक्षकों के निरंतर प्रशिक्षण की जरूरत भी पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जा रही है। पंजाब में इस समय सरकारी स्कूलों में करीब 6,423 शिक्षकों के पद खाली हैं और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 44% प्रिंसिपल पद भी रिक्त हैं। ऐसे में शिक्षकों को नई स्किल्स और आधुनिक शिक्षा पद्धतियों से जोड़ना बेहद ज़रूरी हो गया है।

इसी दिशा में आदित्य बिरला एजुकेशन अकादमी (एबीईए) ने अपने इनसेट (इन-सर्विस एजुकेशन एंड ट्रेनिंग) प्रोग्राम का नया बैच शुरू करने की घोषणा की है। यह पहल शिक्षकों को ऐसे टूल्स, तकनीक और सोच से सशक्त बनाएगी, जिससे वे एनईपी 2020 की सोच को कक्षा में उतार सकें।

पंजाब में लगभग 59 लाख छात्र 27,000 से अधिक स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन कई शिक्षक अब भी 21वीं सदी की शिक्षण पद्धति के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष कर रहे हैं। हालिया शिक्षा सर्वेक्षणों से पता चलता है कि राज्य के लगभग 88% शिक्षक डिजिटल और कौशल-आधारित शिक्षा की ज़रूरत को समझते हैं, लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिए उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और सहयोग की आवश्यकता है।

जालंधर, जो पंजाब का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र है, वहाँ हर तीन में से एक शिक्षक ने स्वीकार किया है कि उन्हें तकनीक और एआई टूल्स को कक्षा शिक्षण में शामिल करने में कठिनाई होती है। नेतृत्व की कमी ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है ,राज्य के 44% सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं, जिससे स्कूल स्तर पर प्रशासन, मार्गदर्शन और नवाचार प्रभावित हो रहे हैं।

एबीईए (आदित्य बिरला एजुकेशन एकेडमी) के प्रोग्राम डायरेक्टर प्रदीप्ता होरे ने कहा , “शिक्षक ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सफलता की आत्मा हैं। लेकिन उचित प्रशिक्षण और समर्थन के बिना, बेहतरीन नीतियाँ भी प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पातीं। इनसेट प्रोग्राम का उद्देश्य शिक्षकों को वह दृष्टिकोण और व्यवहारिक रणनीतियाँ देना है, जो उन्हें बदलते शैक्षणिक माहौल में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करें।”

इनसेट प्रोग्राम सिर्फ सैद्धांतिक चर्चा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शोध-आधारित, व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, जो शिक्षण और नेतृत्व, दोनों से जुड़ी चुनौतियों पर केंद्रित है। आगामी बैच में शामिल कुछ प्रमुख मॉड्यूल इस प्रकार हैं :

ग्लोबल एजुकेटर्स का निर्माण: 21वीं सदी के कौशल और वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करना।

स्मार्ट टीचिंग, लर्निंग और असेसमेंट विद एआई : तकनीक और डेटा-आधारित सीखने को शामिल करना।

सोशल-इमोशनल लर्निंग इन स्कूल्स : विद्यार्थियों की भागीदारी और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।

एजुकेशनल लीडरशिप एंड स्कूल मैनेजमेंट : चिंतनशील और दृढ़ नेतृत्व विकसित करना।

इनक्लूसिव एजुकेशन एंड डिफरेंशिएटेड इंस्ट्रक्शन : कक्षा में विविध सीखने की ज़रूरतों को संबोधित करना।

एबीईए के पिछले इनसेट बैचों के विश्लेषण के अनुसार, शिक्षकों के बीच सबसे पसंदीदा मॉड्यूल रहे हैं: स्मार्ट टीचिंग विद एआई (34%), शेपिंग ग्लोबल एजुकेटर्स (28%), प्रोफेशनल डेवलपमेंट एंड टीचर ग्रोथ (16%) और लीडरशिप फॉर लर्निंग (22%)। यह दर्शाता है कि शिक्षक व्यावहारिक, तकनीक-आधारित शिक्षण, सतत पेशेवर विकास और प्रभावी मूल्यांकन पद्धतियों में गहरी रुचि रखते हैं। पंजाब और जालंधर में इनसेट प्रोग्राम का विस्तार करके, एबीईए का उद्देश्य महानगरों से आगे भी शिक्षकों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना है। यह प्रोग्राम स्कूलों को एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के मानकों को पूरा करने में सक्षम बनाता है, साथ ही स्थायी और अनुभवात्मक शिक्षण को बढ़ावा देता है। इसमें कक्षा में एआई टूल्स के उपयोग और प्रायोगिक सीखने पर खास ध्यान दिया गया है। इन वर्कशॉप्स में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के सत्र होंगे, ताकि शहरों और ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों को लचीलापन मिल सके।

प्रदीप्ता होरे ने आगे कहा , “एबीईए का मकसद सीधा है; शिक्षकों तक उच्च-गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण सुलभ और असरदार तरीके से पहुँचाना। जब शिक्षक आगे बढ़ते हैं, तो स्कूल बदलते हैं, और उसी के साथ देश का सीखने का स्तर भी।”

शिक्षा में जागरूकता बढ़ाने के लिए एबीईए 1 नवंबर को एक नि:शुल्क परिचयात्मक वर्कशॉप आयोजित करेगा, जिसमें शिक्षकों और स्कूल लीडर्स को इनसेट प्रोग्राम के फायदों, ढांचे और प्रभाव के बारे में जानकारी दी जाएगी।

शिक्षक और स्कूल प्रशासक इस सत्र या आगामी इनसेट बैच के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं: https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfLbo2R92iXrf3hzJ-LKrNydIu233SfJUfF1HTL-tzaEUwHEA/viewform 

https://www.abea.in/school-services

*चेकिंग के दौरान बदमाशों से पुलिस की मुठभेड़,तीन बदमाश घायल अस्पताल में भर्ती*
सुल्तानपुर जिले के थाना कोतवाली देहात पुलिस टीम द्वारा पखरौली रेलवे क्रासिंग पर संदिग्ध व्यक्तियों की चेकिंग के दौरान बाइक सवार तीन संदिग्ध व्यक्ति आते दिखायी दिये जिन्हें पुलिस ने रोकने का प्रयास किया। तो वह बदमाश भागने लगे। जिन्हें पुलिस टीम द्वारा पीछा किया गया तो कुछ दूरी पर बाईक फिसल कर गिर गयी,जिस पर बैठे तीनो बदमाश जमीन पर गिर गये,पुलिस वालों को देख कर मोटर साईकिल सवारों नें पुलिस टीम पर फायर कर दिया,आत्मसुरक्षा में पुलिस टीम द्वारा फायरिंग की गयी,जिसमें एक संदिग्ध व्यक्ति के पैर में एक गोली लग गयी,जो घायल होकर वही पर गिर गया व अन्य दो संदिग्ध व्यक्ति को पुलिस टीम द्वारा तीनों को असलहे के साथ पकड़ लिया गया। घायल अभियुक्त को इलाज हेतु अस्पताल भेजवाया गया।

*गिरफ्तार अभियुक्त*

*गिरफ्तार अभियुक्तः-1*

मुकेश पुत्र रामदौर निवासी फिरोजपुर शाहपुर थाना जलालपुर अम्बेडकर गिरफ्तार।

*अभियुक्तगण-2* लालू पुत्र मेहन्द्र 3. राज उर्फ छोटू पुत्र संजय निवासीगण फिरोजपुर शाहपुर थाना जलालपुर जनपद अम्बेडकर नगर *अभियुक्त का आपराधिक इतिहासः* - 1.मु0अ0सं0-151/2018 धारा 379/411 भादवि0 को0 नगर जनपद सुलतानपुर 2.मु0अ0सं0-787/2022 धारा 379/411 भादवि0 थाना अकबरपुर जनपद अम्बेडकरनगर 3.मु0अ0सं0-791/2022 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट थाना अकबरपुर जनपद अम्बेडकरनगर 4.मु0अ0सं0-236/2024 धारा 3 (1) यू0पी0 गैंगेस्टर एक्ट थाना अकबरपुर जनपद अम्बेडकरनगर 5.मु0अ0सं0-41/2014 धारा 379/411 भादवि0 थाना हंसवर जनपद अम्बेडकरनगर *अभियुक्त-लालू उपरोक्त का आपराधिक इतिहासः-* 1.मु0अ0सं0- 251/2025 धारा 115(2)/3(5)/352 बीएनएस थाना अहरौला जनपद आजमगढ़ 2.मु0अ0सं0- 19/2016 धारा 356/411 भादवि0 थाना महाराजगंज जनपद आजमगढ़ 3.मु0अ0सं0- 20/2016 धारा 3/25 आर्म्स एक्ट थाना महाराजगंज जनपद आजमगढ़ 4.मु0अ0सं0- 267/2022 धारा-379 भादवि0 थाना फूलपुर जनपद आजमगढ़ 5.मु0अ0सं0- 614/2020 धारा 379/411/419/420/467/468/471 भादवि0 थाना को0 नगर अयोध्या 6.मु0अ0सं0- 619/2020 धारा 3/25 आर्म्स एक्ट थाना को0 नगर अयोध्या 7.मु0अ0सं0- 221/2020 धारा 379/411 भादवि0 थाना हंसवर थाना अम्बेडकरनगर 8.मु0अ0सं0- 224/2025 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट थाना हंसवर थाना अम्बेडकरनगर 9.मु0अ0सं0- 38/2021 धारा 3(1)यू०पी०गैगेस्टर थाना हंसवर थाना अम्बेडकरनगर 10.मु0अ0सं0- 362/2020 धारा 379 भादवि0 थाना जलालपुर अम्बेडकरनगर 11.मु0अ0सं0- 361/2020 धारा- 379/411/420 भादवि0 थाना टाण्डा अम्बेडकरनगर 12.मु0अ0सं0- 72/2020 धारा- 4/25 आर्म्स एक्ट थाना धनघटा संत कबीर नगर।
सबिता चौधुरी रचित बाङ्ला कविता-संग्रह आमि साधारण घोरेर बोउ का विमोचन:

संजय द्विवेदी प्रयागराज।रवीन्द्रालय जगत तरन गोल्डन जुबिली स्कूल इलाहबाद 

रविवार 26 अक्टूबर 2025

सबिता चौधुरी(25 दिसम्बर 1932–10 जून 2020) के कविता-संग्रह के शीर्षक में परिलक्षित है कि वह ‌स्वयं को पारम्परिक सन्दर्भो में महिलाओं की दैनन्दिन क्रियाकलापों में व्यस्त एक साधारण व्यक्ति मानती थी। उनका बचपन व किशोरावस्था अविभाजित भारत के सुदूरवर्ती उत्तर-पश्चिम क्षेत्रो में बीते थे जहाँ उनका पिता सैन्य इंजीनियरिंग सेवा में अभियन्ता थे।इसने उनमें प्रकृति के अद्भुत पक्षों एवं रहस्यों के अनुशीलन व अन्वेषण में एक जीवन-पर्यंत रुचि जगायी और रोज़मर्रा के अनुभवो पर काव्यात्मक अन्तर्दृष्टियां प्रदान की।सबिता चौधुरी चौदह वर्ष की वय से कविताएं व लघु साहित्यिक रचनाएं लिखने लगी थी।वह अपनी रचनात्मक कृतियां विद्यालय की अभ्यास पुस्तिकओ व सादे पन्नो में लिखा करती थी।17 की वय में रेलवे इंजीनियर सुचित चन्द्र चौधुरी से विवाह के उपरान्त उन्होंने पत्नी पुत्रवधु पति के भाई-बहनो माता व प्रतिवेशियों के सापेक्ष नये दायित्वो का निर्वहन किया।सौभाग्य से उनके पति तथा नये सम्बन्धी उनकी सहितयिक व सांस्कृतिक रुचियों का भरपूर समर्थन करते थे।उनके पति की पर्यटन में गहन रूचि थी जिसके चलते उन्हे देश के कई भागों की यात्रा के अनेक अवसर मिले।इससे अपने आसपास की परिस्थितियों के प्रति उनके दृष्टिबोध का परिष्कार किया तथा सामाजिक प्रेक्षण का परिष्कार किया। परिवार के बौद्धिक व सांस्कृतिक परिवेश ने उनकी काव्यात्मक सम्वेदनाओं का परिमार्जन किया।वह स्थानीय सामाजिक समूहो व साहित्यिक संगठनो(जैसे पूर्णिमा सम्मेलनी) की गोष्ठियों में अपनी कविताएं प्रस्तुत करती थी जिन्हे सराहना मिलती थी। तथापि उन्होने अपनि रचनाओं के संकलन या प्रकाशन का यत्न नहीं किया क्योकि वह उन्हें स्वान्तःसुखाय मानती थी। 

तथापि जब परिवार का पुश्तैनी आवास खाली किय जा रहा था तब अभ्यास पुस्तिकाओ व सादे पन्नों में अंकित सबिता की रचनाओं का समग्र मिला तथा परिजनों ने बाङ्गला विशेषज्ञों से उसके मूल्यांकन का निर्णय लिया।सबिता की सबसे छोटी बहन शीला ने सबसे पहले उनका पारायण किया तथा तदुपरान्त आलोचनात्मक दृष्टि से बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की बाङ्गला विभाग की आचार्य सुमिता चटर्जी व प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता-निर्देशक तथा कवि श्री तन्मय नाग ने उनका आकलन कर उनको सराहते हुए उनके संकलन मुद्रण व प्रकाशन का दायित्व निभाया।परिवार इन कविताओं को गुमनामी से उबारने में उनकी बहुत आभारी है।

देवघर सेवा कार्य के आधार पर चुनाव लडूंगा , जनता देगी मौका : सूरज झा।
देवघर: नगर निगम चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही सरगर्मी तेज हो गई है। जनता लंबे समय से शहर में सरकार चुनने का इंतजार कर रही है। उम्मीद है कि साल के अंत तक मतदाताओं को अपना फैसला सुनाने का मौका मिल जाए। शहर के चर्चित समाजसेवी सूरज झा ने भी चुनावी मैदान में उतरने का निश्चय किया है। सूरज ने इस बात की जानकारी बकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए किया। उन्होंने कहा कि मैं विगत कई वर्षों से लगातार सेवा कार्य कर रहा हूं और अपने सामाजिक पृष्ठभूमि के ही आधार पर चुनावी मैदान में उतर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरी साफ सुथरी छवि है और जहां तक बन पड़ता है मैंने निगम क्षेत्र व उसके बाहर के भी लोगों का सेवा किया है। उन्होंने कहा कि यदि जनता मौका देती है तो विकास के कार्य को मूर्त रूप देने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल और उससे पहले और बाद भी मैं जनता के साथ जुड़ा हुआ हूं। उनके हर सुख दुख में साथ रहता हूं। जनता को चाहिए हमदर्द, जहां वह आसानी से पहुंच सकें सूरज ने कहा कि बीते पांच वर्षों से नगर निगम अनाथ हो गया है। कोरोना संक्रमण के बाद कुछ कानूनी दाव पेंच आ गया और नतीजन चुनाव विलंब हो गया। उन्होंने कहा कि इससे सबसे अधिक खामियाजा निगम की जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विकास का मूलभूत काम बाधित और अवरूद्घ हो गया है। गति धीमी हो गई है। निगम में अफसरशाही पूरी तरह से हावी है। उन्होंने कहा कि शहर में सफाई की हालत पर कुछ बोलने की जरूरत नहीं है, दीपावली में भी शहर में कूड़े का अंबार सड़क किनारे देखने के लिए मिला। उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है और जनता इस दर्द से कराह रही है। उन्होंने कहा कि जनता को अब ऐसा नेता चाहिए जिसके पास वह आसानी से पहुंच सकें, जहां पहुंचने में उन्हें कोई परेशानी और बोलने में किसी भी प्रकार का झिझक नहीं हो। हर रोज करता हूं जनहित का काम, चुनाव कोई बड़ी बात नहीं उन्होंने कहा कि मैं हर रोज सेवा कार्य करता हूं और उन लोगों में से मैं बिल्कुल नहीं हूं जो चुनाव को देखते हुए अपने सेवा काम को करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं हर रोज जनहित का काम करता हूं। सालों भर पेयजल वितरण होता है, ठंड में विभिन्न चौक चौराहों पर अलाव की व्यवस्था के साथ साथ कंबल का भी वितरण होता है। उन्होंने कहा कि साथ ही हर लोगों के सुख दुख में साथ खड़ा रहने का प्रयास करता हूं। उम्मीद है जनता बदलाव करेगी और मौका मिलेगा।
रफीगंज विधानसभा में एनडीए प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह बोले – “मेरी जीत नहीं, जनता की जीत होगी”

रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही जनसंपर्क अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है। एनडीए के जेडीयू प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह ने शुक्रवार को विभिन्न पंचायतों में आयोजित जनसभाओं को संबोधित करते हुए जनता से अपने पक्ष में मतदान की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर इस बार रफीगंज विधानसभा से एनडीए की जीत होती है, तो यह उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि रफीगंज और मदनपुर की जनता की जीत होगी। प्रमोद सिंह ने अपने भाषण में कहा, “अगर रफीगंज का विधायक प्रमोद सिंह होगा, तो यहाँ की पूरी जनता ही प्रमोद सिंह होगी। यह चुनाव जनता की आकांक्षाओं, विकास और सम्मान की लड़ाई है।” उन्होंने कहा कि वे रफीगंज के हर नागरिक की आवाज बनकर विधानसभा में काम करेंगे और क्षेत्र के विकास को नई दिशा देंगे। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनावों की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय जनता ने उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 55 हजार मतों से समर्थन दिया था और वे दूसरे स्थान पर रहे थे। प्रमोद सिंह ने कहा, “रफीगंज की जनता ने जो स्नेह और विश्वास 2020 में दिया था, वह मेरे लिए एक कर्ज है। इस कर्ज को चुकाने के लिए मैं हर संभव प्रयास करने को तैयार हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि रफीगंज और मदनपुर की जनता अब बदलाव चाहती है। एनडीए गठबंधन के नेतृत्व में क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का सपना जल्द ही साकार होगा। प्रमोद सिंह ने कहा कि यदि जनता उन्हें मौका देती है, तो वे क्षेत्र में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में ठोस काम करेंगे। उन्होंने कहा कि रफीगंज को मॉडल विधानसभा क्षेत्र बनाने का उनका लक्ष्य है।

जनसंपर्क अभियान के दौरान स्थानीय लोगों ने उत्साहपूर्वक उनका स्वागत किया। प्रमोद सिंह ने प्रत्येक पंचायत में जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं और भरोसा दिलाया कि उनकी आवाज को सरकार तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीति उनके लिए सेवा का माध्यम है, सत्ता का नहीं। उन्होंने जनता से अपील की कि वे जाति या समुदाय से ऊपर उठकर विकास के मुद्दे पर मतदान करें। “हम सब मिलकर रफीगंज को आगे बढ़ा सकते हैं। यह जीत मेरी नहीं, जनता की होगी,” उन्होंने दोहराया। प्रमोद सिंह के इस जनसंपर्क अभियान में बड़ी संख्या में एनडीए कार्यकर्ता, जेडीयू और भाजपा के स्थानीय नेता तथा समर्थक शामिल रहे। क्षेत्र में उनके दौरे को लेकर उत्साह का माहौल देखा गया। रफीगंज विधानसभा इस बार भी राजनीतिक रूप से खासा चर्चित है, और यहां मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना जताई जा रही है। प्रमोद सिंह की सक्रियता से एनडीए खेमे में नई ऊर्जा देखी जा रही है, जबकि विपक्षी दल भी अपनी रणनीति को मजबूत करने में जुटे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है।

बिहार: दरभंगा के हायाघाट में बीजेपी उम्मीदवार रामचंद्र साहू का विरोध, ग्रामीणों ने गांव से बाहर जाने को किया मजबूर

दरभंगा जिला के हायाघाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी और स्थानीय विधायक रामचंद्र साहू को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा. क्षेत्र के अटहर पंचायतों के अटहर चौक पर ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और उन्हें गांव से बाहर जाने को मजबूर कर दिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पिछले पांच साल में क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ.

सड़क, नाला, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की हालत बद से बदतर है. लोगों का कहना है कि विधायक रहते हुए क्षेत्र की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया. ग्रामीण ने बताया कि इनकी जीत सिर्फ बीजेपी के नाम पर होती है. जनता पार्टी को देखकर वोट दे देती है, लेकिन ये उसका फायदा उठाते हैं. वहीं, विधायक फिलहाल अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया.

वापस जाओ, वापस जाओ के लगे नारे

रामचंद्र साहू को जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. विरोध के दौरान ग्रामीणों ने वापस जाओ, वापस जाओ और अब गांव में मत आओ के नारे भी लगाए. हायाघाट एक सामान्य सीट है. यह 1967 में स्थापित हुई और अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कमला और बागमती नदियों के कारण हर साल बाढ़ की समस्या बनी रहती है. यह सीट कांटे की टक्कर वाली सीट मानी जाती है. यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहता है. पिछले विधानसभा चुनाव में रामचंद्र साहू ने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने की उम्मीद है. बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत लगाएगी. वहीं, आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन इस सीट को वापस पाने की कोशिश करेगा. 2020 के चुनाव में राजद के भोला यादव ने कड़ी टक्कर दी थी, जिससे यह तय है कि यहां मुकाबला कांटे का हो सकता है.

2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू से अमर नाथ गामी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के रमेश चौधरी को हराया था. 2010 के चुनाव में गामी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने जीत हासिल की थी. उन्होंने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

बिहार विधानसभा चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया समाप्त, महागठबंधन में नहीं बनी बात, 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतारे

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बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी फेज के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया सोमवार को खत्म हो गई। चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले फेज के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। दूसरे फेज के प्रत्याशियों की स्थिति 23 अक्टूबर तक साफ होगी। इस बीच, दूसरे फेज के आखिरी दिन तक इंडिया गठबंधन में फूट, टिकट बंटवारे पर नाराजगी और अंदरूनी बगावत दिखी। इन चुनावों के लिए महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। अब, महागठबंधन ने 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतार राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।

महागठबंधन ने 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतारे

आरजेडी ने इनमें से 143 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि साल 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में उसने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। वहीं, कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए 61 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस को पिछली बार साझेदारी में 70 सीटें मिली थीं, जिनमें 19 सीटों पर उसने जीत हासिल की थी। भाकपा माले ने 20, वीआईपी ने 15, सीपीआई ने नौ, सीपीएम ने चार और आईआईपी ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। यानी कुल मिलाकर 254 सीट।

इन सीटों पर 'फ्रेंडली फ़ाइट'

बिहार में 243 विधानसभा सीट है। महागठबंधन ने 254 सीटों पर उम्मीदवार को उतारा है। 4 सीट पर कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने है। इसमें सिकंदरा, कहलगांव, सुल्तानगंज, वैशाली, लालगंज और वारिसलीगंज सीट शामिल है। चैनपुर और बाबू बरही सीट पर वीआईपी और आरजेडी आपस में भिड़ती नजर आएगी। 4 सीट छवाड़ा, करगहर, बिहारशरीफ और राजापाकर सीट पर कांग्रेस और सीपीआई के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी।

इन सीटों पर कांग्रेस-आरजेडी के उम्मीदवार आमने-सामने:

• सिकंदरा

उदय नारायण चौधरी (आरजेडी)

विनोद चौधरी (कांग्रेस)

• कहलगांव

रजनीश भारती (आरजेडी)

प्रवीण कुमार कुशवाहा (कांग्रेस)

• सुल्तानगंज

ललन यादव (कांग्रेस)

चंदन सिन्हा (आरजेडी)

• वैशाली

अजय कुशवाहा (आरजेडी)

संजीव सिंह (कांग्रेस)

• लालगंज

शिवानी शुक्ला (आरजेडी)

आदित्य कुमार (कांग्रेस)

• वारिसलीगंज

सतीश कुमार (कांग्रेस)

अनीता (आरजेडी)

यहां कांग्रेस और सीपीआई आमने-सामने

• बछवाड़ा

शिव प्रकाश ग़रीब दास (कांग्रेस)

अवधेश राय (सीपीआई)

• करगहर

संतोष मिश्रा (कांग्रेस)

महेंद्र गुप्ता (सीपीआई)

• बिहार शरीफ़

ओमैर ख़ान (कांग्रेस)

शिव कुमार यादव (सीपीआई)

• राजापाकर

प्रतिमा दास (कांग्रेस)

मोहित पासवान (सीपीआई)

बिहार में नामांकन का कल आखिरी दिन, INDIA गठबंधन में सस्पेंस बरकरार, जानें कितने साथ-कितने अलग

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है, लेकिन INDIA गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. वहीं NDA ने लगभग अपने सभी मनमुटाव दूर कर लिए हैं और बिहार चुनाव में मजबूत नजर आ रही है.

वहीं INDIA गठबंधन के दलों में कई सीटों पर खींचतान जारी है. जिसकी वजह झारखंड के प्रमुख दल JMM ने इस गठबंधन को छोड़ दिया है. वहीं कुछ सीटों पर RJD और कांग्रेस में गंभीर तकरार है और दोनों ही अपने कैंडिडेट उतार सकते हैं.

JMM ने अलग रास्ता अपनाया

महागठबंधन INDIA में सहयोगी दलों के बीच सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, झारखंड के प्रमुख दल JMM ने इस गठबंधन को छोड़कर बिहार की छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. इससे गठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है. गठबंधन के नेता पहले नए साथियों को शामिल करने की जरूरत का हवाला दे रहे थे, लेकिन JMM के अलग होने से स्थिति और जटिल हो गई है

RJD और कांग्रेस में मनमुटाव

गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी RJD ने अपने उम्मीदवारों के टिकट बांटने शुरू कर दिए हैं, लेकिन अभी तक उसकी पूरी सूची सामने नहीं आई है. कई सीटों पर RJD ने अपने ही गठबंधन साथियों के उम्मीदवारों के खिलाफ टिकट दे दिए हैं, जिससे तनाव पैदा हो गया है. वहीं, कांग्रेस ने 48 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, और अब उसने पांच और सीटों के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. इनमें किशनगंज सीट भी शामिल है, जहां कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक को हटाकर AIMIM से आए एक नेता को टिकट दिया है. आरोप हैं कि कांग्रेस ने टिकट बेचे हैं, जबकि पार्टी नेता कह रहे हैं कि समझौता होने वाला है.

आठ सीटों पर आमने-सामने की आशंका

गठबंधन में समन्वय की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कम से कम आठ सीटों पर एक ही गठबंधन के दो-दो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें से तीन सीटों पर RJD और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हो सकता है. वहीं, सत्तारूढ़ NDA में भी सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा। जद(यू) ने अंतिम समय में अमौर सीट पर अपना उम्मीदवार बदल दिया और पूर्व भाजपा नेता सबीर अली को टिकट दे दिया, जिन्हें 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण पार्टी से निकाला गया था.

कितनी सीटों पर लड़ रहे नितीश?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU, जो भाजपा के बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ने आखिरी समय में अमौर से पूर्व राज्यसभा सांसद साबिर अली को मैदान में उतारने का फैसला किया, जहाँ से उसने पहले सबा ज़फ़र को उम्मीदवार बनाया था, जो 2020 की उपविजेता थीं और जिन्होंने पांच साल पहले भी भाजपा के चुनाव चिन्ह पर यह सीट जीती थी.

दिलचस्प बात यह है कि अली को 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण जद (यू) से निकाल दिया गया था, जिन्हें पार्टी सुप्रीमो अपना कट्टर विरोधी मानते थे. बाद में अली भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का महासचिव बनाया गया है.

NDA की मढ़ौरा सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं

सत्तारूढ़ गठबंधन को मढ़ौरा सीट पर भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, यहां केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार भोजपुरी अभिनेत्री से नेता बनीं सीमा सिंह का नामांकन पत्र तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया.

यह सीट अब पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक जितेंद्र कुमार राय के पक्ष में एकतरफा मुकाबले की ओर बढ़ती दिख रही है, जिन्हें सिर्फ जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार अभय सिंह ही चुनौती दे सकते हैं. हालांकि, पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने एक छोटी सी चूक पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है.

टेकारी में एनडीए प्रत्याशी अनिल कुमार पर हमले को लेकर महागठबंधन की प्रेस वार्ता, कहा – पहले बॉडीगार्ड ने चलाई गोली, फिर भड़के लोग

टिकारी विधायक जन आक्रोश को राजनीतिक रंग देने का कर रहे हैं कुत्सित प्रयास

गया: टेकारी विधानसभा क्षेत्र में एनडीए प्रत्याशी और मौजूदा विधायक अनिल कुमार पर हुए कथित हमले के मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। गुरुवार को महागठबंधन के नेताओं ने शहर के गेवाल बीघा स्थित एक निजी आवास में एक प्रेस वार्ता कर घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी। इस प्रेस वार्ता में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष संतोष कुशवाहा, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव सह चुनाव प्रभारी एडवोकेट बीरेन्द्र कुमार उर्फ बीरेन्द्र गोप, सीपीआई माले के रामचन्द्र प्रसाद, पूर्व विधायक शिववचन यादव, राजद के वरिष्ठ नेता सह चंद्रवंशी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक आजाद ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। वास्तव में विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब विधायक अनिल कुमार को गांव वाले ने सड़क नहीं बनने से पैदल चलने का आग्रह किया लेकिन उनके अंगरक्षक ने सबसे पहले गोली चलाई, जिसके बाद स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और स्थिति तनावपूर्ण बन गई।

उन्होंने ने कहा कि किसी खास जाति समुदाय को एक दल से जोड़ना गलत है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि अगर वे लोग राजद से जुड़े होते तो 2020 के विधानसभा चुनाव में लगभग 600 वोट उन्हें प्राप्त नहीं होता। बीरेन्द्र गोप ने कहा कि एनडीए के लोग पूरे बिहार में महागठबंधन के पक्ष में चल रहे आंधी से घबराकर राजद पर झूठ मूठ का आरोप मढ़ रहे हैं।

एनडीए के नेता इस घटना को जानबूझकर राजनीतिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक स्थानीय विवाद था, जिसे राजनीतिक षड्यंत्र बताना गलत होगा। नेताओं ने प्रशासन से मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके।

प्रेस वार्ता में शामिल नेताओं ने कहा कि टेकारी की जनता हमेशा शांति और सद्भावना में विश्वास रखती है। लेकिन हाल के दिनों में राजनीतिक लाभ के लिए तनाव बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं, जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग से भी अपील की कि आगामी चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो।

इस बीच, एनडीए प्रत्याशी अनिल कुमार की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है, हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि विधायक पर हमला सुनियोजित था। फिलहाल पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और दोनों पक्षों से पूछताछ की जा रही है।

टेकारी की यह घटना अब राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है। सभी की निगाहें प्रशासनिक जांच और आने वाले दिनों में राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।

दिल्ली दंगे देश में सत्ता परिवर्तन की साजिश थी, दिल्ली पुलिस का सनसनीखेज दावा, सुप्रीम कोर्ट में 177 पन्नों का हलफनामा दाखिल

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2020 के दिल्ली दंगे कोई अचानक भड़की हिंसा नहीं थे, बल्कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन करने की साजिश के तहत किए गए थे। इसका मकसद देश को कमजोर करना था। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर ये सनसनीखेज दावा किया है। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा है कि उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि उपलब्ध सबूत यह साबित करते हैं कि 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे एक 'पहले से रची गई साजिश' का हिस्सा थे।

पुलिस के मुताबिक, जांच में मिले गवाहों के बयान, दस्तावेज और तकनीकी सबूत बताते हैं कि यह दंगे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध को हथियार बनाकर योजनाबद्ध तरीके से कराए गए थे। पुलिस का कहना है कि इस साजिश के तहत देशभर में हिंसा फैलाने की कोशिश हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल थे। उमर खालिद और शरजील इमाम साजिशकर्ता थे, जिन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया।

सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई

हलफनामे में लिखा है, सीएए के खिलाफ जन असंतोष को हथियार बनाकर भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला किया गया। यह हिंसा संगठित और कैलिब्रेटेड थी, जो देशभर में समन्वित तरीके से सरकार को अस्थिर करने की कोशिश थी। यह हलफनामा छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम सहित कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं के जवाब में दाखिल किया जा रहा है।

सीएए के मुद्दे को जानबूझकर 'उकसाने वाले कारण' के रूप में चुना गया

पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय ही हिंसा भड़काने की योजना बनाई थी, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा जा सके और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वैश्विक स्तर पर मुस्लिम विरोधी अभियान के रूप में पेश किया जा सके। हलफनामे के अनुसार, सीएए के मुद्दे को जानबूझकर एक 'उकसाने वाले कारण' के रूप में चुना गया, जिसे शांतिपूर्ण विरोध के नाम पर छिपाया गया था।

आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे

पुलिस ने आरोपियों पर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस का यह भी कहना है कि उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा जानबूझकर सुनवाई टाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं ताकि केस की सुनवाई को लटकाया जा सके। ये न्याय प्रक्रिया में रुकावट डालने जैसा है।

दिल्ली दंगे में 54 लोग मारे गए

बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जिसमें 54 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा घायल हुए। उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर दंगों का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा। उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

शिक्षा में नया अध्याय- इनसेट टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम से पंजाब में अध्यापकों को नई दिशा

जालंधर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत भारत की शिक्षा व्यवस्था लगातार बदल रही है, और इसी के साथ शिक्षकों के निरंतर प्रशिक्षण की जरूरत भी पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जा रही है। पंजाब में इस समय सरकारी स्कूलों में करीब 6,423 शिक्षकों के पद खाली हैं और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 44% प्रिंसिपल पद भी रिक्त हैं। ऐसे में शिक्षकों को नई स्किल्स और आधुनिक शिक्षा पद्धतियों से जोड़ना बेहद ज़रूरी हो गया है।

इसी दिशा में आदित्य बिरला एजुकेशन अकादमी (एबीईए) ने अपने इनसेट (इन-सर्विस एजुकेशन एंड ट्रेनिंग) प्रोग्राम का नया बैच शुरू करने की घोषणा की है। यह पहल शिक्षकों को ऐसे टूल्स, तकनीक और सोच से सशक्त बनाएगी, जिससे वे एनईपी 2020 की सोच को कक्षा में उतार सकें।

पंजाब में लगभग 59 लाख छात्र 27,000 से अधिक स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन कई शिक्षक अब भी 21वीं सदी की शिक्षण पद्धति के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष कर रहे हैं। हालिया शिक्षा सर्वेक्षणों से पता चलता है कि राज्य के लगभग 88% शिक्षक डिजिटल और कौशल-आधारित शिक्षा की ज़रूरत को समझते हैं, लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिए उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और सहयोग की आवश्यकता है।

जालंधर, जो पंजाब का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र है, वहाँ हर तीन में से एक शिक्षक ने स्वीकार किया है कि उन्हें तकनीक और एआई टूल्स को कक्षा शिक्षण में शामिल करने में कठिनाई होती है। नेतृत्व की कमी ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है ,राज्य के 44% सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं, जिससे स्कूल स्तर पर प्रशासन, मार्गदर्शन और नवाचार प्रभावित हो रहे हैं।

एबीईए (आदित्य बिरला एजुकेशन एकेडमी) के प्रोग्राम डायरेक्टर प्रदीप्ता होरे ने कहा , “शिक्षक ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सफलता की आत्मा हैं। लेकिन उचित प्रशिक्षण और समर्थन के बिना, बेहतरीन नीतियाँ भी प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पातीं। इनसेट प्रोग्राम का उद्देश्य शिक्षकों को वह दृष्टिकोण और व्यवहारिक रणनीतियाँ देना है, जो उन्हें बदलते शैक्षणिक माहौल में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करें।”

इनसेट प्रोग्राम सिर्फ सैद्धांतिक चर्चा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शोध-आधारित, व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, जो शिक्षण और नेतृत्व, दोनों से जुड़ी चुनौतियों पर केंद्रित है। आगामी बैच में शामिल कुछ प्रमुख मॉड्यूल इस प्रकार हैं :

ग्लोबल एजुकेटर्स का निर्माण: 21वीं सदी के कौशल और वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करना।

स्मार्ट टीचिंग, लर्निंग और असेसमेंट विद एआई : तकनीक और डेटा-आधारित सीखने को शामिल करना।

सोशल-इमोशनल लर्निंग इन स्कूल्स : विद्यार्थियों की भागीदारी और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।

एजुकेशनल लीडरशिप एंड स्कूल मैनेजमेंट : चिंतनशील और दृढ़ नेतृत्व विकसित करना।

इनक्लूसिव एजुकेशन एंड डिफरेंशिएटेड इंस्ट्रक्शन : कक्षा में विविध सीखने की ज़रूरतों को संबोधित करना।

एबीईए के पिछले इनसेट बैचों के विश्लेषण के अनुसार, शिक्षकों के बीच सबसे पसंदीदा मॉड्यूल रहे हैं: स्मार्ट टीचिंग विद एआई (34%), शेपिंग ग्लोबल एजुकेटर्स (28%), प्रोफेशनल डेवलपमेंट एंड टीचर ग्रोथ (16%) और लीडरशिप फॉर लर्निंग (22%)। यह दर्शाता है कि शिक्षक व्यावहारिक, तकनीक-आधारित शिक्षण, सतत पेशेवर विकास और प्रभावी मूल्यांकन पद्धतियों में गहरी रुचि रखते हैं। पंजाब और जालंधर में इनसेट प्रोग्राम का विस्तार करके, एबीईए का उद्देश्य महानगरों से आगे भी शिक्षकों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना है। यह प्रोग्राम स्कूलों को एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के मानकों को पूरा करने में सक्षम बनाता है, साथ ही स्थायी और अनुभवात्मक शिक्षण को बढ़ावा देता है। इसमें कक्षा में एआई टूल्स के उपयोग और प्रायोगिक सीखने पर खास ध्यान दिया गया है। इन वर्कशॉप्स में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के सत्र होंगे, ताकि शहरों और ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों को लचीलापन मिल सके।

प्रदीप्ता होरे ने आगे कहा , “एबीईए का मकसद सीधा है; शिक्षकों तक उच्च-गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण सुलभ और असरदार तरीके से पहुँचाना। जब शिक्षक आगे बढ़ते हैं, तो स्कूल बदलते हैं, और उसी के साथ देश का सीखने का स्तर भी।”

शिक्षा में जागरूकता बढ़ाने के लिए एबीईए 1 नवंबर को एक नि:शुल्क परिचयात्मक वर्कशॉप आयोजित करेगा, जिसमें शिक्षकों और स्कूल लीडर्स को इनसेट प्रोग्राम के फायदों, ढांचे और प्रभाव के बारे में जानकारी दी जाएगी।

शिक्षक और स्कूल प्रशासक इस सत्र या आगामी इनसेट बैच के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं: https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfLbo2R92iXrf3hzJ-LKrNydIu233SfJUfF1HTL-tzaEUwHEA/viewform 

https://www.abea.in/school-services

*चेकिंग के दौरान बदमाशों से पुलिस की मुठभेड़,तीन बदमाश घायल अस्पताल में भर्ती*
सुल्तानपुर जिले के थाना कोतवाली देहात पुलिस टीम द्वारा पखरौली रेलवे क्रासिंग पर संदिग्ध व्यक्तियों की चेकिंग के दौरान बाइक सवार तीन संदिग्ध व्यक्ति आते दिखायी दिये जिन्हें पुलिस ने रोकने का प्रयास किया। तो वह बदमाश भागने लगे। जिन्हें पुलिस टीम द्वारा पीछा किया गया तो कुछ दूरी पर बाईक फिसल कर गिर गयी,जिस पर बैठे तीनो बदमाश जमीन पर गिर गये,पुलिस वालों को देख कर मोटर साईकिल सवारों नें पुलिस टीम पर फायर कर दिया,आत्मसुरक्षा में पुलिस टीम द्वारा फायरिंग की गयी,जिसमें एक संदिग्ध व्यक्ति के पैर में एक गोली लग गयी,जो घायल होकर वही पर गिर गया व अन्य दो संदिग्ध व्यक्ति को पुलिस टीम द्वारा तीनों को असलहे के साथ पकड़ लिया गया। घायल अभियुक्त को इलाज हेतु अस्पताल भेजवाया गया।

*गिरफ्तार अभियुक्त*

*गिरफ्तार अभियुक्तः-1*

मुकेश पुत्र रामदौर निवासी फिरोजपुर शाहपुर थाना जलालपुर अम्बेडकर गिरफ्तार।

*अभियुक्तगण-2* लालू पुत्र मेहन्द्र 3. राज उर्फ छोटू पुत्र संजय निवासीगण फिरोजपुर शाहपुर थाना जलालपुर जनपद अम्बेडकर नगर *अभियुक्त का आपराधिक इतिहासः* - 1.मु0अ0सं0-151/2018 धारा 379/411 भादवि0 को0 नगर जनपद सुलतानपुर 2.मु0अ0सं0-787/2022 धारा 379/411 भादवि0 थाना अकबरपुर जनपद अम्बेडकरनगर 3.मु0अ0सं0-791/2022 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट थाना अकबरपुर जनपद अम्बेडकरनगर 4.मु0अ0सं0-236/2024 धारा 3 (1) यू0पी0 गैंगेस्टर एक्ट थाना अकबरपुर जनपद अम्बेडकरनगर 5.मु0अ0सं0-41/2014 धारा 379/411 भादवि0 थाना हंसवर जनपद अम्बेडकरनगर *अभियुक्त-लालू उपरोक्त का आपराधिक इतिहासः-* 1.मु0अ0सं0- 251/2025 धारा 115(2)/3(5)/352 बीएनएस थाना अहरौला जनपद आजमगढ़ 2.मु0अ0सं0- 19/2016 धारा 356/411 भादवि0 थाना महाराजगंज जनपद आजमगढ़ 3.मु0अ0सं0- 20/2016 धारा 3/25 आर्म्स एक्ट थाना महाराजगंज जनपद आजमगढ़ 4.मु0अ0सं0- 267/2022 धारा-379 भादवि0 थाना फूलपुर जनपद आजमगढ़ 5.मु0अ0सं0- 614/2020 धारा 379/411/419/420/467/468/471 भादवि0 थाना को0 नगर अयोध्या 6.मु0अ0सं0- 619/2020 धारा 3/25 आर्म्स एक्ट थाना को0 नगर अयोध्या 7.मु0अ0सं0- 221/2020 धारा 379/411 भादवि0 थाना हंसवर थाना अम्बेडकरनगर 8.मु0अ0सं0- 224/2025 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट थाना हंसवर थाना अम्बेडकरनगर 9.मु0अ0सं0- 38/2021 धारा 3(1)यू०पी०गैगेस्टर थाना हंसवर थाना अम्बेडकरनगर 10.मु0अ0सं0- 362/2020 धारा 379 भादवि0 थाना जलालपुर अम्बेडकरनगर 11.मु0अ0सं0- 361/2020 धारा- 379/411/420 भादवि0 थाना टाण्डा अम्बेडकरनगर 12.मु0अ0सं0- 72/2020 धारा- 4/25 आर्म्स एक्ट थाना धनघटा संत कबीर नगर।
सबिता चौधुरी रचित बाङ्ला कविता-संग्रह आमि साधारण घोरेर बोउ का विमोचन:

संजय द्विवेदी प्रयागराज।रवीन्द्रालय जगत तरन गोल्डन जुबिली स्कूल इलाहबाद 

रविवार 26 अक्टूबर 2025

सबिता चौधुरी(25 दिसम्बर 1932–10 जून 2020) के कविता-संग्रह के शीर्षक में परिलक्षित है कि वह ‌स्वयं को पारम्परिक सन्दर्भो में महिलाओं की दैनन्दिन क्रियाकलापों में व्यस्त एक साधारण व्यक्ति मानती थी। उनका बचपन व किशोरावस्था अविभाजित भारत के सुदूरवर्ती उत्तर-पश्चिम क्षेत्रो में बीते थे जहाँ उनका पिता सैन्य इंजीनियरिंग सेवा में अभियन्ता थे।इसने उनमें प्रकृति के अद्भुत पक्षों एवं रहस्यों के अनुशीलन व अन्वेषण में एक जीवन-पर्यंत रुचि जगायी और रोज़मर्रा के अनुभवो पर काव्यात्मक अन्तर्दृष्टियां प्रदान की।सबिता चौधुरी चौदह वर्ष की वय से कविताएं व लघु साहित्यिक रचनाएं लिखने लगी थी।वह अपनी रचनात्मक कृतियां विद्यालय की अभ्यास पुस्तिकओ व सादे पन्नो में लिखा करती थी।17 की वय में रेलवे इंजीनियर सुचित चन्द्र चौधुरी से विवाह के उपरान्त उन्होंने पत्नी पुत्रवधु पति के भाई-बहनो माता व प्रतिवेशियों के सापेक्ष नये दायित्वो का निर्वहन किया।सौभाग्य से उनके पति तथा नये सम्बन्धी उनकी सहितयिक व सांस्कृतिक रुचियों का भरपूर समर्थन करते थे।उनके पति की पर्यटन में गहन रूचि थी जिसके चलते उन्हे देश के कई भागों की यात्रा के अनेक अवसर मिले।इससे अपने आसपास की परिस्थितियों के प्रति उनके दृष्टिबोध का परिष्कार किया तथा सामाजिक प्रेक्षण का परिष्कार किया। परिवार के बौद्धिक व सांस्कृतिक परिवेश ने उनकी काव्यात्मक सम्वेदनाओं का परिमार्जन किया।वह स्थानीय सामाजिक समूहो व साहित्यिक संगठनो(जैसे पूर्णिमा सम्मेलनी) की गोष्ठियों में अपनी कविताएं प्रस्तुत करती थी जिन्हे सराहना मिलती थी। तथापि उन्होने अपनि रचनाओं के संकलन या प्रकाशन का यत्न नहीं किया क्योकि वह उन्हें स्वान्तःसुखाय मानती थी। 

तथापि जब परिवार का पुश्तैनी आवास खाली किय जा रहा था तब अभ्यास पुस्तिकाओ व सादे पन्नों में अंकित सबिता की रचनाओं का समग्र मिला तथा परिजनों ने बाङ्गला विशेषज्ञों से उसके मूल्यांकन का निर्णय लिया।सबिता की सबसे छोटी बहन शीला ने सबसे पहले उनका पारायण किया तथा तदुपरान्त आलोचनात्मक दृष्टि से बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की बाङ्गला विभाग की आचार्य सुमिता चटर्जी व प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता-निर्देशक तथा कवि श्री तन्मय नाग ने उनका आकलन कर उनको सराहते हुए उनके संकलन मुद्रण व प्रकाशन का दायित्व निभाया।परिवार इन कविताओं को गुमनामी से उबारने में उनकी बहुत आभारी है।

देवघर सेवा कार्य के आधार पर चुनाव लडूंगा , जनता देगी मौका : सूरज झा।
देवघर: नगर निगम चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही सरगर्मी तेज हो गई है। जनता लंबे समय से शहर में सरकार चुनने का इंतजार कर रही है। उम्मीद है कि साल के अंत तक मतदाताओं को अपना फैसला सुनाने का मौका मिल जाए। शहर के चर्चित समाजसेवी सूरज झा ने भी चुनावी मैदान में उतरने का निश्चय किया है। सूरज ने इस बात की जानकारी बकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए किया। उन्होंने कहा कि मैं विगत कई वर्षों से लगातार सेवा कार्य कर रहा हूं और अपने सामाजिक पृष्ठभूमि के ही आधार पर चुनावी मैदान में उतर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरी साफ सुथरी छवि है और जहां तक बन पड़ता है मैंने निगम क्षेत्र व उसके बाहर के भी लोगों का सेवा किया है। उन्होंने कहा कि यदि जनता मौका देती है तो विकास के कार्य को मूर्त रूप देने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल और उससे पहले और बाद भी मैं जनता के साथ जुड़ा हुआ हूं। उनके हर सुख दुख में साथ रहता हूं। जनता को चाहिए हमदर्द, जहां वह आसानी से पहुंच सकें सूरज ने कहा कि बीते पांच वर्षों से नगर निगम अनाथ हो गया है। कोरोना संक्रमण के बाद कुछ कानूनी दाव पेंच आ गया और नतीजन चुनाव विलंब हो गया। उन्होंने कहा कि इससे सबसे अधिक खामियाजा निगम की जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विकास का मूलभूत काम बाधित और अवरूद्घ हो गया है। गति धीमी हो गई है। निगम में अफसरशाही पूरी तरह से हावी है। उन्होंने कहा कि शहर में सफाई की हालत पर कुछ बोलने की जरूरत नहीं है, दीपावली में भी शहर में कूड़े का अंबार सड़क किनारे देखने के लिए मिला। उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है और जनता इस दर्द से कराह रही है। उन्होंने कहा कि जनता को अब ऐसा नेता चाहिए जिसके पास वह आसानी से पहुंच सकें, जहां पहुंचने में उन्हें कोई परेशानी और बोलने में किसी भी प्रकार का झिझक नहीं हो। हर रोज करता हूं जनहित का काम, चुनाव कोई बड़ी बात नहीं उन्होंने कहा कि मैं हर रोज सेवा कार्य करता हूं और उन लोगों में से मैं बिल्कुल नहीं हूं जो चुनाव को देखते हुए अपने सेवा काम को करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं हर रोज जनहित का काम करता हूं। सालों भर पेयजल वितरण होता है, ठंड में विभिन्न चौक चौराहों पर अलाव की व्यवस्था के साथ साथ कंबल का भी वितरण होता है। उन्होंने कहा कि साथ ही हर लोगों के सुख दुख में साथ खड़ा रहने का प्रयास करता हूं। उम्मीद है जनता बदलाव करेगी और मौका मिलेगा।
रफीगंज विधानसभा में एनडीए प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह बोले – “मेरी जीत नहीं, जनता की जीत होगी”

रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही जनसंपर्क अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है। एनडीए के जेडीयू प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह ने शुक्रवार को विभिन्न पंचायतों में आयोजित जनसभाओं को संबोधित करते हुए जनता से अपने पक्ष में मतदान की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर इस बार रफीगंज विधानसभा से एनडीए की जीत होती है, तो यह उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि रफीगंज और मदनपुर की जनता की जीत होगी। प्रमोद सिंह ने अपने भाषण में कहा, “अगर रफीगंज का विधायक प्रमोद सिंह होगा, तो यहाँ की पूरी जनता ही प्रमोद सिंह होगी। यह चुनाव जनता की आकांक्षाओं, विकास और सम्मान की लड़ाई है।” उन्होंने कहा कि वे रफीगंज के हर नागरिक की आवाज बनकर विधानसभा में काम करेंगे और क्षेत्र के विकास को नई दिशा देंगे। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनावों की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय जनता ने उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 55 हजार मतों से समर्थन दिया था और वे दूसरे स्थान पर रहे थे। प्रमोद सिंह ने कहा, “रफीगंज की जनता ने जो स्नेह और विश्वास 2020 में दिया था, वह मेरे लिए एक कर्ज है। इस कर्ज को चुकाने के लिए मैं हर संभव प्रयास करने को तैयार हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि रफीगंज और मदनपुर की जनता अब बदलाव चाहती है। एनडीए गठबंधन के नेतृत्व में क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का सपना जल्द ही साकार होगा। प्रमोद सिंह ने कहा कि यदि जनता उन्हें मौका देती है, तो वे क्षेत्र में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में ठोस काम करेंगे। उन्होंने कहा कि रफीगंज को मॉडल विधानसभा क्षेत्र बनाने का उनका लक्ष्य है।

जनसंपर्क अभियान के दौरान स्थानीय लोगों ने उत्साहपूर्वक उनका स्वागत किया। प्रमोद सिंह ने प्रत्येक पंचायत में जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं और भरोसा दिलाया कि उनकी आवाज को सरकार तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीति उनके लिए सेवा का माध्यम है, सत्ता का नहीं। उन्होंने जनता से अपील की कि वे जाति या समुदाय से ऊपर उठकर विकास के मुद्दे पर मतदान करें। “हम सब मिलकर रफीगंज को आगे बढ़ा सकते हैं। यह जीत मेरी नहीं, जनता की होगी,” उन्होंने दोहराया। प्रमोद सिंह के इस जनसंपर्क अभियान में बड़ी संख्या में एनडीए कार्यकर्ता, जेडीयू और भाजपा के स्थानीय नेता तथा समर्थक शामिल रहे। क्षेत्र में उनके दौरे को लेकर उत्साह का माहौल देखा गया। रफीगंज विधानसभा इस बार भी राजनीतिक रूप से खासा चर्चित है, और यहां मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना जताई जा रही है। प्रमोद सिंह की सक्रियता से एनडीए खेमे में नई ऊर्जा देखी जा रही है, जबकि विपक्षी दल भी अपनी रणनीति को मजबूत करने में जुटे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है।

बिहार: दरभंगा के हायाघाट में बीजेपी उम्मीदवार रामचंद्र साहू का विरोध, ग्रामीणों ने गांव से बाहर जाने को किया मजबूर

दरभंगा जिला के हायाघाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी और स्थानीय विधायक रामचंद्र साहू को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा. क्षेत्र के अटहर पंचायतों के अटहर चौक पर ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और उन्हें गांव से बाहर जाने को मजबूर कर दिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पिछले पांच साल में क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ.

सड़क, नाला, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की हालत बद से बदतर है. लोगों का कहना है कि विधायक रहते हुए क्षेत्र की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया. ग्रामीण ने बताया कि इनकी जीत सिर्फ बीजेपी के नाम पर होती है. जनता पार्टी को देखकर वोट दे देती है, लेकिन ये उसका फायदा उठाते हैं. वहीं, विधायक फिलहाल अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया.

वापस जाओ, वापस जाओ के लगे नारे

रामचंद्र साहू को जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. विरोध के दौरान ग्रामीणों ने वापस जाओ, वापस जाओ और अब गांव में मत आओ के नारे भी लगाए. हायाघाट एक सामान्य सीट है. यह 1967 में स्थापित हुई और अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कमला और बागमती नदियों के कारण हर साल बाढ़ की समस्या बनी रहती है. यह सीट कांटे की टक्कर वाली सीट मानी जाती है. यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहता है. पिछले विधानसभा चुनाव में रामचंद्र साहू ने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने की उम्मीद है. बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत लगाएगी. वहीं, आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन इस सीट को वापस पाने की कोशिश करेगा. 2020 के चुनाव में राजद के भोला यादव ने कड़ी टक्कर दी थी, जिससे यह तय है कि यहां मुकाबला कांटे का हो सकता है.

2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू से अमर नाथ गामी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के रमेश चौधरी को हराया था. 2010 के चुनाव में गामी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने जीत हासिल की थी. उन्होंने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

बिहार विधानसभा चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया समाप्त, महागठबंधन में नहीं बनी बात, 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतारे

#mahgathbandhanseatsharing_dispute 

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी फेज के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया सोमवार को खत्म हो गई। चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले फेज के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। दूसरे फेज के प्रत्याशियों की स्थिति 23 अक्टूबर तक साफ होगी। इस बीच, दूसरे फेज के आखिरी दिन तक इंडिया गठबंधन में फूट, टिकट बंटवारे पर नाराजगी और अंदरूनी बगावत दिखी। इन चुनावों के लिए महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। अब, महागठबंधन ने 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतार राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।

महागठबंधन ने 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतारे

आरजेडी ने इनमें से 143 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि साल 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में उसने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। वहीं, कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए 61 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस को पिछली बार साझेदारी में 70 सीटें मिली थीं, जिनमें 19 सीटों पर उसने जीत हासिल की थी। भाकपा माले ने 20, वीआईपी ने 15, सीपीआई ने नौ, सीपीएम ने चार और आईआईपी ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। यानी कुल मिलाकर 254 सीट।

इन सीटों पर 'फ्रेंडली फ़ाइट'

बिहार में 243 विधानसभा सीट है। महागठबंधन ने 254 सीटों पर उम्मीदवार को उतारा है। 4 सीट पर कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने है। इसमें सिकंदरा, कहलगांव, सुल्तानगंज, वैशाली, लालगंज और वारिसलीगंज सीट शामिल है। चैनपुर और बाबू बरही सीट पर वीआईपी और आरजेडी आपस में भिड़ती नजर आएगी। 4 सीट छवाड़ा, करगहर, बिहारशरीफ और राजापाकर सीट पर कांग्रेस और सीपीआई के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी।

इन सीटों पर कांग्रेस-आरजेडी के उम्मीदवार आमने-सामने:

• सिकंदरा

उदय नारायण चौधरी (आरजेडी)

विनोद चौधरी (कांग्रेस)

• कहलगांव

रजनीश भारती (आरजेडी)

प्रवीण कुमार कुशवाहा (कांग्रेस)

• सुल्तानगंज

ललन यादव (कांग्रेस)

चंदन सिन्हा (आरजेडी)

• वैशाली

अजय कुशवाहा (आरजेडी)

संजीव सिंह (कांग्रेस)

• लालगंज

शिवानी शुक्ला (आरजेडी)

आदित्य कुमार (कांग्रेस)

• वारिसलीगंज

सतीश कुमार (कांग्रेस)

अनीता (आरजेडी)

यहां कांग्रेस और सीपीआई आमने-सामने

• बछवाड़ा

शिव प्रकाश ग़रीब दास (कांग्रेस)

अवधेश राय (सीपीआई)

• करगहर

संतोष मिश्रा (कांग्रेस)

महेंद्र गुप्ता (सीपीआई)

• बिहार शरीफ़

ओमैर ख़ान (कांग्रेस)

शिव कुमार यादव (सीपीआई)

• राजापाकर

प्रतिमा दास (कांग्रेस)

मोहित पासवान (सीपीआई)

बिहार में नामांकन का कल आखिरी दिन, INDIA गठबंधन में सस्पेंस बरकरार, जानें कितने साथ-कितने अलग

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है, लेकिन INDIA गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. वहीं NDA ने लगभग अपने सभी मनमुटाव दूर कर लिए हैं और बिहार चुनाव में मजबूत नजर आ रही है.

वहीं INDIA गठबंधन के दलों में कई सीटों पर खींचतान जारी है. जिसकी वजह झारखंड के प्रमुख दल JMM ने इस गठबंधन को छोड़ दिया है. वहीं कुछ सीटों पर RJD और कांग्रेस में गंभीर तकरार है और दोनों ही अपने कैंडिडेट उतार सकते हैं.

JMM ने अलग रास्ता अपनाया

महागठबंधन INDIA में सहयोगी दलों के बीच सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, झारखंड के प्रमुख दल JMM ने इस गठबंधन को छोड़कर बिहार की छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. इससे गठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है. गठबंधन के नेता पहले नए साथियों को शामिल करने की जरूरत का हवाला दे रहे थे, लेकिन JMM के अलग होने से स्थिति और जटिल हो गई है

RJD और कांग्रेस में मनमुटाव

गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी RJD ने अपने उम्मीदवारों के टिकट बांटने शुरू कर दिए हैं, लेकिन अभी तक उसकी पूरी सूची सामने नहीं आई है. कई सीटों पर RJD ने अपने ही गठबंधन साथियों के उम्मीदवारों के खिलाफ टिकट दे दिए हैं, जिससे तनाव पैदा हो गया है. वहीं, कांग्रेस ने 48 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, और अब उसने पांच और सीटों के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. इनमें किशनगंज सीट भी शामिल है, जहां कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक को हटाकर AIMIM से आए एक नेता को टिकट दिया है. आरोप हैं कि कांग्रेस ने टिकट बेचे हैं, जबकि पार्टी नेता कह रहे हैं कि समझौता होने वाला है.

आठ सीटों पर आमने-सामने की आशंका

गठबंधन में समन्वय की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कम से कम आठ सीटों पर एक ही गठबंधन के दो-दो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें से तीन सीटों पर RJD और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हो सकता है. वहीं, सत्तारूढ़ NDA में भी सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा। जद(यू) ने अंतिम समय में अमौर सीट पर अपना उम्मीदवार बदल दिया और पूर्व भाजपा नेता सबीर अली को टिकट दे दिया, जिन्हें 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण पार्टी से निकाला गया था.

कितनी सीटों पर लड़ रहे नितीश?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU, जो भाजपा के बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ने आखिरी समय में अमौर से पूर्व राज्यसभा सांसद साबिर अली को मैदान में उतारने का फैसला किया, जहाँ से उसने पहले सबा ज़फ़र को उम्मीदवार बनाया था, जो 2020 की उपविजेता थीं और जिन्होंने पांच साल पहले भी भाजपा के चुनाव चिन्ह पर यह सीट जीती थी.

दिलचस्प बात यह है कि अली को 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण जद (यू) से निकाल दिया गया था, जिन्हें पार्टी सुप्रीमो अपना कट्टर विरोधी मानते थे. बाद में अली भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का महासचिव बनाया गया है.

NDA की मढ़ौरा सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं

सत्तारूढ़ गठबंधन को मढ़ौरा सीट पर भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, यहां केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार भोजपुरी अभिनेत्री से नेता बनीं सीमा सिंह का नामांकन पत्र तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया.

यह सीट अब पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक जितेंद्र कुमार राय के पक्ष में एकतरफा मुकाबले की ओर बढ़ती दिख रही है, जिन्हें सिर्फ जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार अभय सिंह ही चुनौती दे सकते हैं. हालांकि, पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने एक छोटी सी चूक पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है.