पिछड़ों का हितैषी बताने वाले बयान बहादुरों ने भी बनाएं रखी दूरी
मीरजापुर। जिले के एक ऐसे भी जनप्रतिनिधि हैं जिनको मीडिया में और जिले के हर शिलापट्टों में बने रहने का बड़ा ही शौक है। अब यह अलग बात है कि विकास का कार्य उनका हो या ना हो इससे उन्हें इत्तफाक नहीं, उन्हें तो उस शिलापट्ट में अंकित होने से मात्र से ही सरोकार (मतलब) होता है।
गैर जिले से आयातित होकर आएं को जिले की हरिभरी हरियाली खूब भा गई है। समय-समय पर शासन सत्ता को आंख तरेर नखरे भी दिखाने से बाज नहीं आए यह माननीय दाल न गलती देख 'बंदर घुड़की' तक ही मन मसोसकर रहते आएं हैं। दूसरे जनप्रतिनिधियों के विकास कार्यों में टांग अड़ा शिलान्यास, उद्घाटन के शिलापट्ट में अपना नाम अंकित करवाने की भूख ऐसी बताईं जाती है कि उन्हें इसके लिए भले ही किसी भी हद तक जाना पड़ जाएं उन्हें कोई संकोच नहीं, इसके लिए वह हर स्तर पर उतर कर जबरदस्ती प्रशासन पर दबाव बनवाकर अपना नाम अंकित करवा लेते हैं।
पूर्व में जिले के ही एक सत्ताधारी विधायक ने जब अपने विधानसभा क्षेत्र में बिजली विभाग से संबंधित विकास कार्य का फीता काट दिया था तो इन को इस कदर यह गंवारा लगा था कि उन्होंने बिजली महकमे को निशाने पर ले लिया था, बल्कि अपनी और अपने दल की उपेक्षा करार देते हुए सरकार से शिकायत कर बैठें ये, चूंकि गंठबंधन दल से हैं, सो इनके नखरे भी खूब होते हैं।
जन-मानस में व्याप्त चर्चाओं पर गौर करें तो कुछेक को छोड़कर ज्यादातर कार्यकर्ताओं के दुख-सुख का हाल हो या तो जिलेवासियों के दुःख-दर्द में शामिल होने का काम हो तो वह भाग खड़े होते हैं। अभी ताजा उदाहरण जिले के ही जमालपुर ब्लॉक का सामने आया है, जहां विगत 12 वर्षों के बाद बाढ़ आई थी जिसमें जिले के दोनों मंत्री वहां के निवासियों का हाल तक जानना तो दूर वहां जाकर झांकना भी गंवारा नहीं समझा है। और ना हीं वहां के बाढ़ प्रभावितों को किसी प्रकार की मदद ही पहुंचाई गई। चाहे उनके द्वारा या उनके कार्यकर्ताओं द्वारा जिसकी जिले में काफी चर्चा होती रही है। लोगों द्वारा कहते हुए सुना जा रहा है कि बात बाढ़ विभिषिका की हो कोन, चुनार, नारायणपुर ब्लॉक हो या सीखड़ ब्लॉक हो सिर्फ फोटो खींचने तक ही इन जनप्रतिनिधियों का कार्य था।
जमालपुर ब्लॉक में तो झांकने तक कभी गए ही नहीं आखिरकार, ऐसी क्या विवशता रही जो इनको जमालपुर ब्लाक से दूर रहने के लिए विवश किए हुए था, जनता इसे लेकर खूब खुसूर-फुसूर कर रही है और सवाल भी दाग रही है। इसके अलावा दूसरे जनप्रतिनिधियों के कार्यों को अपना बताकर, मीडिया में दबाव बनाकर अथवा कुछ जेब गर्म कर अपना कार्य बताकर छपवा लेना और तो और वक्तव्य जारी करके दूसरे जनप्रतिनिधियों को नीचा दिखाने का कार्य इन लोगों का ख़ूब है।
वैसे भी देखा जाए तो इनके निधि का कार्य कहां हो रहा है? यह पूरे जिलेवासियों को भी आज तक समझ में नहीं आया है। अगर शासन स्तर से इनके पिछले कार्यकालों के दौरान जारी इनकी विकास निधि का पड़ताल करवाई जाए तो सारी सच्चाई खुद ब खुद उजागर हो जाएगी, क्योंकि पूरे विकास कार्यों में भयंकर कमीशन खोरी की चर्चा हर व्यक्ति के जुबान पर है। चाहे वह यात्रीसेड का कार्य हो या सोलर पंप का कार्य हो या सोलर लाइट का कार्य हो, इन कार्यों में भयंकर रूप से कमीशन खोरी की चर्चा पूरे जिले के लोगों की जुबान पर है। लोगों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि यह लोग खुद अपना विकास करने आए थे या जिले का विकास कर रहे थें।
इसकी चर्चा आम जनमानस में पिछले काफी दिनों से हो रही है और तो और इनके स्वजातीय भी अब इन लोगों से दूरी बनाने लगे हैं, मतलब साफ़ है मजबूत लोगों का दरबार में पौं भारी दिखता है, जबकि आमजनों को कोई पूछने वाला नहीं होता है। खैर, यह पब्लिक है जनाब! जो सब जानतीं है, आपके हर फितूरों को समझ चुकी हैं और आगे सबक सिखाने का भी मन बना चुकी हैं।
Oct 06 2025, 18:50
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