जहानाबाद: शिक्षा विभाग का एक और भ्रष्ट अधिकारी गिरफ्तार, ₹50,000 रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया
जहानाबाद बिहार में शिक्षा विभाग की साख पर एक और बड़ा दाग लग गया है। मंगलवार को विशेष निगरानी इकाई (Special Vigilance Unit) ने जहानाबाद जिले के सहायक जिला शिक्षा पदाधिकारी (ADPO) लक्ष्मण यादव को ₹50,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
आरोप है कि लक्ष्मण यादव ने यह रिश्वत विभागीय कर्मचारी कौशल किशोर से वेतन, जीपीएफ (GPF) और पेंशन स्वीकृत कराने के नाम पर मांगी थी। शिकायतकर्ता ने विशेष निगरानी इकाई को जानकारी दी, जिसके बाद टीम ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाकर आरोपी अधिकारी को पकड़ने में सफलता प्राप्त की।शिक्षा नहीं, रिश्वत बन चुकी है प्राथमिकता
इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन अधिकारियों को छात्रों का भविष्य संवारना चाहिए, वे भ्रष्टाचार में लिप्त होकर शिक्षा के मंदिर को कलंकित कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लक्ष्मण यादव पहले भी कई बार अभ्यर्थियों और छात्रों से नौकरी सत्यापन और फॉर्म क्लियरेंस के नाम पर मोटी रकम वसूलने के आरोपों में घिर चुके हैं। हालांकि पूर्व में कोई ठोस सबूत न होने के कारण विभागीय स्तर पर उन्हें बचा लिया गया था।विशेष निगरानी इकाई की कार्रवाई
विशेष निगरानी इकाई के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी लक्ष्मण यादव को मंगलवार शाम को छापेमारी के दौरान रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है। जनता में आक्रोश, पूरे तंत्र पर उठे सवाल
इस गिरफ्तारी के बाद जिलेभर में शिक्षा विभाग के खिलाफ गुस्सा पनप गया है। आम नागरिकों और विभागीय कर्मचारियों ने मांग की है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को न केवल तत्काल निलंबित किया जाए, बल्कि कठोर सजा भी दी जाए ताकि भविष्य में कोई अधिकारी पद का दुरुपयोग न कर सके।
कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि DEO कार्यालय में काम के एवज में खुलेआम पैसे मांगे जाते हैं। ऐसे कई अधिकारी व कर्मचारी हैं जिनके नाम अब तक सामने नहीं आए हैं, परंतु वे भी इसी प्रकार की गतिविधियों में शामिल हैं। शिक्षा विभाग की साख पर सवाल
शिक्षा विभाग को समाज में एक आदर्श संस्था माना जाता है, जहां बच्चों के भविष्य की नींव रखी जाती है। लेकिन जब इसी विभाग के अधिकारी रिश्वतखोरी, वसूली और अनैतिक कृत्यों में लिप्त पाए जाते हैं, तो यह पूरे सिस्टम के लिए एक शर्मनाक स्थिति बन जाती है।
अब सवाल यह है कि क्या विभाग केवल आरोपी को सस्पेंड करके अपने कर्तव्यों से मुक्त हो जाएगा, या फिर पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर शिक्षा के मंदिर को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा?
May 29 2025, 11:28