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भारत के इन कई जिलों में चल रही पाकिस्तानी सिम, देश अलग लेकिन नेटवर्क कैसे मुमकिन?

डेस्क:–यह सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन यह सच है कि भारत के कुछ सीमावर्ती जिलों में पाकिस्तानी मोबाइल सिम कार्ड काम कर रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान से सटे भारतीय शहरों के कुछ किलोमीटर अंदर तक पाकिस्तानी मोबाइल नेटवर्क के सिग्नल पहुंचते हैं। इस वजह से तस्कर और अन्य असामाजिक तत्व इन सिम कार्डों का इस्तेमाल करके सुरक्षा एजेंसियों को आसानी से चकमा दे सकते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे अलग देश होने के बावजूद पाकिस्तानी सिम भारत में काम करते हैं।

इन भारतीय जिलों में आते हैं पाकिस्तानी नेटवर्क

भारत के कई जिले ऐसे हैं जो पाकिस्तान के साथ लंबी सीमा साझा करते हैं। इन सीमावर्ती इलाकों में कुछ दूरी तक पाकिस्तानी मोबाइल नेटवर्क की पहुंच देखी गई है। हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद राजस्थान के जैसलमेर जिले से खबरें आई थीं कि वहां पाकिस्तानी नेटवर्क 3 से 4 किलोमीटर तक भारतीय सीमा में आ रहे थे। इन नेटवर्क का इस्तेमाल करके पाकिस्तानी लोकल सिम कार्ड से भारत के अंदर भी बातचीत की जा सकती है। हालांकि जैसलमेर प्रशासन ने इनके उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। जैसलमेर के अलावा अमृतसर, श्रीगंगानगर, सांबा, कठुआ, जम्मू, राजौरी और पुंछ जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में भी पाकिस्तान के मोबाइल नेटवर्क के सिग्नल देखे गए हैं।

देश अलग, नेटवर्क कैसे मुमकिन?

रिपोर्ट के अनुसार टेलीकॉम सेक्टर के अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किसी भी मोबाइल नेटवर्क की सीमा दूसरे देश की सीमा के 500 मीटर अंदर तक जा सकती है। हालांकि आरोप है कि पाकिस्तान इस अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है और उसके मोबाइल सिग्नल भारतीय सीमा में काफी अंदर तक आते हैं जो देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।

साल 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने अपनी नापाक साजिशों के तहत भारत के सीमावर्ती जिलों जैसे जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर और गंगानगर के पास मोबाइल टावर स्थापित कर रखे हैं। उस समय इन टावरों के सिग्नल 15 से 20 किलोमीटर तक भारतीय सीमा में पहुंचते थे लेकिन अब रिपोर्ट्स के अनुसार इनकी सीमा घटकर 3 से 4 किलोमीटर तक रह गई है। इस तरह अलग देश होने के बावजूद पाकिस्तानी सिम कार्डों को भारत में नेटवर्क मिल जाता है।

आपको यह भी बता दें कि भारत में पाकिस्तानी सिम कार्ड का उपयोग करना पूरी तरह से गैरकानूनी है। यदि कोई व्यक्ति भारत में पाकिस्तानी सिम कार्ड का उपयोग करते हुए पकड़ा जाता है तो प्रशासन उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करता है। सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी नेटवर्क की मौजूदगी सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई
सेहरे से पहले अर्थी: दुल्हन बैठी थी गाड़ी में... तभी गिर पड़ा दूल्हा, अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में तोड़ा दम

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से एक बेहद दुखद और भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। विदाई की रस्मों के दौरान अचानक दूल्हा बेहोश होकर गिर पड़ा, जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस हादसे से शादी की सारी खुशियां पलभर में मातम में बदल गईं। दुल्हन की विदाई भी नहीं हो सकी और दोनों परिवारों में कोहराम मच गया।

बारात आई, रस्में हुईं… लेकिन विदाई से पहले छिन गया दूल्हा

यह दर्दनाक घटना औंग थाना क्षेत्र के छिवली गांव की है। यहां के रहने वाले सुरेश कुमार गौतम ने अपनी बेटी संजना की शादी कानपुर नगर के नौबस्ता गांव निवासी श्याम सुंदर के बेटे मोनू गौतम से तय की थी। रविवार रात धूमधाम से बारात गांव में पहुंची। शादी की अधिकतर रस्में भी पूरी हो चुकी थीं। सोमवार की सुबह कलेवा और विदाई की तैयारी चल रही थी। दुल्हन संजना को शादी के बाद गाड़ी में बिठाया जा चुका था। इसी दौरान अचानक दूल्हा मोनू गौतम बेहोश होकर गिर पड़ा। यह देखकर दोनों पक्षों के लोग घबरा गए और तुरंत उसे पास के एक स्थानीय प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया।

इलाज के दौरान तोड़ा दम, विदाई रह गई अधूरी

अस्पताल में डॉक्टरों ने मोनू की हालत गंभीर बताई और उसे तुरंत कानपुर रेफर कर दिया। परिवार के लोग जब मोनू को कानपुर ले जा रहे थे, तभी रास्ते में उसकी मौत हो गई। मोनू के दम तोड़ते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई। जो घर शादी के गीतों से गूंज रहा था, वहां अब मातम पसरा हुआ है।

नहीं हो सकी दुल्हन की विदाई

दुल्हन संजना के भाई जितेंद्र ने बताया कि सब कुछ ठीक चल रहा था। सभी रस्में हो चुकी थीं। लेकिन अचानक मोनू गिर पड़ा और फिर अस्पताल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद बहन की विदाई नहीं हो सकी है। वहीं यह हादसा ना सिर्फ दोनों परिवारों के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए गहरे सदमे की वजह बन गया है। शादी की तैयारियों में जुटे घर में अब शोक का माहौल है। लोग इस घटना को सुनकर स्तब्ध हैं।
देश में कितने लोगों को घरों में है AC,आंकड़ा देख पकड़ लेंगे माथा

डेस्क:–गर्मियां आते ही Air Conditioner की सेल्स बढ़ने लगती है, गर्मी से राहत पाने और रात को चैन की नींद सोने के लिए लोग घर में AC लगवाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि ताबड़तोड़ बिक्री के बाद भी भारत की आखिर कितनी आबादी के पास एयर कंडीशनर है? भारत विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ एसी बाजार है लेकिन आप लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि केवल सात प्रतिशत घरों में ही एसी लगा है.

इस आंकड़े को देखने के बाद तो ऐसा लग रहा है कि एयर कंडीशनर अब भी 93 फीसदी लोगों के लिए स्टेटस सिंबल बना हुआ है. सरकारी डेटा के मुताबिक, 2012 से 2021 के बीच भारत में लगभग 11 हजार लोगों को हीट स्ट्रोक की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी.

क्या कीमत है वजह?

इस डेटा को देखने से ऐसा लग रहा है कि अब भी ज्यादातर घरों में लोग गर्मी से बचने के लिए एयर कूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके पीछे की एक बड़ी वजह कीमत हो सकती है, एयर कंडीशनर की तुलना एयर कूलर की कीमत काफी कम होती है. वहीं, कुछ लोग शायद ये भी सोचते होंगे कि क्यों 40-50 हजार एसी में खर्च करने हैं जब 10 हजार रुपए से भी कम कीमत में कूलर मिल रहा है? बहुत से लोग पैसा बचाकर उसे निवेश करने में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं.

जहां एक ओर ऐसा लगता है कि लोग एसी की तुलना पैसे बचाने के लिए एयर कूलर खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं तो वहीं अब भी ऐसे लोग हैं जो 30,000 रुपए की सैलरी में भी 40 हजार का एसी लेते हैं. फिर चाहे कुछ अमाउंट डाउन पेमेंट करने के बाद बाकी अमाउंट को आराम से EMI में चुकाते हैं.

कंपनियों की स्ट्रैटेजी

ज्यादा से ज्यादा लोग एसी खरीद पाएं, इसके लिए एसी बनाने वाली कंपनियों को स्ट्रैटेजी बनाने की जरूरत है. ये तो वक्त ही बताएगा कि कंपनियां 7 फीसदी के इस आंकड़े को बढ़ाने की दिशा में काम करती हैं या नहीं. लेकिन करोड़ों की आबादी वाले देश में केवल 7 फीसदी घरों में एसी के इस्तेमाल ने हमें चौंका दिया है.
नवविवाहित पत्नी की जिद के आगे मजबूर होकर पति ने अपनी ही बीवी को दूसरे मर्द संग किया विदा


डेस्क:–उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक दूल्हे ने हंसी खुशी शादी की. लेकिन उसकी खुशियां उस वक्त चकनाचूर हो गईं जब पत्नी ने सुहागरात पर अनोखी जिद कर डाली. पत्नी ने कहा- मैं तुमसे प्यार नहीं करती. मेरा बॉयफ्रेंड है. मुझे उसी से शादी करनी है. तुमसे तो मैंने मजबूरी में शादी की है. प्यार मै अपने बॉयफ्रेंड से ही करती रहूंगी. यह सुनकर पति के पैरों तले जमीन खिसक गई. अगली सुबह पति ने यह बात अपने घर वालों को बताई.

फिर दुल्हन के मायके वालों को भी बुलाया गया. खूब हंगामा हुआ, लेकिन दुल्हन अपनी जिद पर अड़ी रही. फिर चौथे दिन वो अचानक से घर से भाग गई. लेकिन ग्रामीणों ने उसे रोककर ससुरालियों के हवाले कर दिया. दोबारा मायके वालों को बुलाया गया. फिर पंचायत तक बैठाई गई. फिर शादी के पांच दिन बाद पति ने अपनी पत्नी की शादी उसके बॉयफ्रेंड से करवा दी.

यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. 7 मई को तमकुहीराज थानाक्षेत्र के गाजीपुर निवासी मुन्ना राजभर के बेटे ब्रजेश राजभर की शादी रामदस बगही थाना कटेया जिला गोपालगंज बिहार के दिलीप भर की बेटी कोशिला कुमारी के साथ हुई थी. अगले दिन विदा होकर होकर युवती ससुराल पहुंची. सुहागरात पर पत्नी ने पति को बॉयफ्रेंड के बारे में बता दिया. दोनों परिवारों में हंगामा हुआ. दुल्हन को समझाया गया.

फिर चार दिन तक नवविवाहिता अपने ससुराल रही, लेकिन पांचवें दिन सोमवार को नवविवाहिता ससुराल से आभूषण और नकदी लेकर भाग निकली. नवविवाहिता को इस तरह घर से अकेले निकलता देख ग्रामीणों को शक हुआ. तत्काल उसे रोक लिया गया और ससुराल वालों को जानकारी दी गई. कुछ देर में ही ससुराल वाले पहुंचे तो नवविवाहिता को उनके हवाले कर दिया गया. ससुरालियों से भी नवविवाहिता ने दो टूक कह दिया कि वह प्रेमी के साथ ही रहेगी.

ससुराल वालों ने इसकी जानकारी फिर नवविवाहिता के मायके वालों को दी. इसके बाद उसके माता-पिता एवं अन्य लोग मौके पर पहुंचे. उन लोगों ने भी समझाने का प्रयास किया, लेकिन नवविवाहिता इस शादी पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रेमी के साथ जीवन जीने की दुहाई देने लगी. काफी मानमनौव्वल के बाद भी नवविवाहिता के राजी नहीं होने पर तमकुहीराज तहसील पहुंचे दोनों पक्षों के लोगों ने प्रेमी को मौके पर बुलाकर उसकी राय जानी. प्रेमी ने उसे साथ रखने और सात जन्म तक जीने-मरने की कसम खाई. उसके दावे के बाद शपथ पत्र बनवाकर पति ने उसके साथ पत्नी को विदा कर दिया. इस दौरान मौके पर भीड़ जमा हो गई.

क्या अपने नापाक हरकतों से बाज आएगा पाकिस्तान? उठ रहे हैं यह सवाल

डेस्क:–भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम हो गया है, लेकिन पाकिस्तान की गतिविधियों पर निर्भर करेगा कि यह विराम कितने समय तक चलता है. उकसावा और आतंकवाद जैसे मुद्दे अभी भी विवाद के केंद्र में हैं. भारत ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है कि सीजफायर उल्लंघन का कड़ा जवाब दिया जाएगा.

भारत की आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद बने हालात ऐसे थे, जिसमें दो देशों के बीच संघर्ष शुरू हो गया, लेकिन इस संघर्ष पर विराम लग गया. हालांकि ये संघर्ष विराम आगे भी जारी रहेगा या नहीं, ये पाकिस्तानी सेना की गतिविधि और DGMO की वार्ता पर निर्भर है. अब अगर संघर्ष विराम जारी भी रहा, तो क्या तनाव कम होगा? सवाल इसलिए क्योंकि, संघर्ष की बारूद में आग लगाने वाले कई मुद्दे अब भी बरकरार हैं.

भारत-पाकिस्तान के बीच 4 दिनों से जारी संघर्ष 10 मई को थम गया. अमेरिका की मध्यस्थता में दोनों देश सीजफायर के लिए तैयार हो गए, लेकिन इस शांति स्थापना के कुछ ही घंटों में पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी खबरें आईं और भारत ने सख्त संदेश जारी किया, जिसने पाकिस्तान में दहशत फैला दी.

भारतीय सेना को खुली छूट दे दी गई है कि अगर पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन हुआ, तो जवाबी कार्रवाई के लिए सेना को पूरा अधिकार है. यानी बंदूकें खामोश हैं, लेकिन हालात नहीं बदले हैं, जिससे कई सवाल जन्म लेते हैं.

भारत-पाकिस्तान के बीच सिर्फ संघर्ष विराम हुआ है, रणनीतिक मोर्चे पर विराम नहीं लगा है और भारत की रणनीति है पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना, इसलिए हर वो फैसले अब भी लागू हैं, जो बारूदी कार्रवाई से पहले लिए गए थे.

अब वीजा पर फैसला क्या होगा?

वीजा पर फैसले का सवाल इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि इससे कई पक्ष जुड़े हैं और जवाब ये है कि, बॉर्डर खोलने पर फैसला द्विपक्षीय समझौते के बाद हो सकता है. वीजा देने या आगे बढ़ाने पर भी फैसला पूर्ण संघर्ष विराम के बाद ही संभव है.

अब मुमकिन है कि, पाकिस्तान में अंदरूनी दबाव बढ़ने पर भारत से अपील की जाए क्योंकि भारत की मेडिकल फैसिलिटी का फायदा पाकिस्तानी नागरिक भी उठाते हैं. इसके अलावा कूटनीतिक संबंध स्थापित करना भी पाकिस्तान के लिए जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की जरूरत हमेशा बनी रहेगी.

क्या बंदरगाह और एयरोस्पेस खुलेंगे?

इस सवाल का जवाब है ट्रेड और जरूरत, जो पाकिस्तान के लिए अहम है, लेकिन इस पर फैसला दोनों पक्षों को लेना है. अब अगर फैसला नहीं होता है, तो तनाव बरकरार रहेगा और ये तनाव तब तक बरकरार रहेगा. जब तक पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने नेस्तनाबूद नहीं हो जाते, लेकिन सवाल ये है कि, वो ठिकाने हैं कहां?

अब सवाल ये है कि अगर संघर्ष विराम पाकिस्तान की तरफ से टूटा तो क्या होगा? जवाब है भारत मुंहतोड़ जवाब देगा, जिसमें POK के मुजफ्फराबाद, कोटली और बरनाला को टारगेट बनाया जा सकता है.

ऐसे IB पर सीजफायर का उल्लंघन अगर पाकिस्तान करता है, तो फिर भारतीय कार्रवाई की जद में पाकिस्तान के पंजाब का लाहौल और पंजार भी आ सकता है, ये वो जगह हैं, जहां अब भी आतंकी ठिकाने हैं.

जानें, क्यों हुआ संघर्ष विराम?

भारत अदावत के मुहाने पर पाकिस्तानी अवाम को नहीं रखता, बल्कि पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादियों को रखता है. वो आतंकवादी जो भारत के ही अंग पाक अधिकृत कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियां चल रहा है.

तो सवाल ये भी है कि उन ठिकानों को तबाह किए बिना भारत सीजफायर के लिए तैयार क्यों हुआ? इस कदम को उठाने के पीछे 2 बड़ी वह हो सकती है. पहली वजह है कास्ट ऑफ टेररिज्म, यानी भारत का उद्देश्य जंग बढ़ाना नहीं था, बल्कि पहलगाम हमले का सटीक और सीमित जवाब देना था, जो पूरा हुआ. दूसरी वजह है युद्ध की बजाए रैम्प ऑफ, चूंकि दोनों देश युद्ध की तरफ बढ़ रहे थे, इस स्थिति को टाल कर भारत ने टकराव रोकने का रास्ता चुना.

इसलिए पर्सनैलिटी फर्स्ट और पॉलिसी सेकेंड के फॉर्मूले पर चलने वाले ट्रंप की मध्यस्थता को स्वीकार किया गया, लेकिन इसके बाद होने वाली बातचीत में सिर्फ भारत और पाकिस्तान शामिल रहेंगे. जो तय करेंगे कि युद्ध की दिशा में आगे बढ़ना है, या बरकरार तनाव को खत्म करना है.
अपने बयान से पलट गया पाकिस्तान सीजफायर के लिए कभी अनुरोध नहीं किया, भारत के डीजीएमओ ने पाकिस्तान के झूठ को किया बेनकाब


डेस्क:–पाकिस्तान की ओर से कहा जा रहा है कि उसने सीजफायर के लिए कभी भी अनुरोध नहीं किया था. लेकिन भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने उसकी झूठ को बेनकाब करते हुए कहा कि मुझे हॉटलाइन के जरिए संदेश आया कि पाकिस्तान के उनके समकक्ष ने हॉटलाइन के जरिए मैसेज किया कि वो सीजफायर पर बात करना चाहते हैं.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिनों तक भारी संघर्ष चला और फिर अचानक सीजफायर ने सीमा पर शांतिपूर्ण स्थिति बना दी. अचानक हुए सीजफायर को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. विपक्ष भी इस पर सवाल कर रही है. भारत की ओर से यह साफ कर दिया गया कि सीजफायर को लेकर पाकिस्तान के अनुरोध के बाद यह पहल की गई थी, हालांकि पाकिस्तानी सेना अब अपने बयान से पलट रही है. पाकिस्तान का कहना है कि उसने सीजफायर के लिए कभी अनुरोध नहीं किया था.

दोनों देशों के बीच सीजफायर होने के बाद सीमा पर बने तनाव के बीच डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा, “मुझे हॉटलाइन (10 मई) के जरिए संदेश आया कि सीमा पर बने हालात को लेकर पाकिस्तान के मेरे समकक्ष सीजीएमओ मुझसे बात करना चाहते हैं. फिर शनिवार को दोपहर बाद 15:35 बजे पाकिस्तान के डीजीएमओ के साथ मेरी बातचीत हुई.”

‘PAK के DGMO से सीजफायर पर बनी सहमति’

उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तान के डीजीएमओ की ओर से सीजफायर करने और संघर्ष खत्म करने के प्रस्ताव के बाद आपसी रजामंदी हो गई. फिर 10 मई को शाम 5 बजे से दोनों पक्षों की ओर से सीमापार से गोलीबारी और हवाई हमले बंद कर दिए गए. यही नहीं हमने 12 मई (सोमवार) की दोपहर 12 बजे फिर से बात करने का भी फैसला किया ताकि इस समझ को लंबे समय तक बनाए रखने के तौर-तरीकों पर चर्चा की जा सके.”

राजीव घई ने कहा, “हालांकि निराशाजनक रूप से यह ज्यादा देर नहीं चला. पाकिस्तानी सेना की ओर से महज चंद घंटों के अंदर सीमापार और नियंत्रण रेखा पर लगातार गोलीबारी की गई और कल रात तथा आज (रविवार) तड़के ड्रोन के जरिए घुसपैठ करके इन व्यवस्थाओं का उल्लंघन किया गया. लेकिन हमारी ओर से इन उल्लंघनों का जोरदार अंदाज में जवाब दिया गया.”

अगर तोड़ा सीजफायर तो देंगे कड़ा जवाबः DGMO घई

डीजीएमओ राजीव घई ने यह भी कहा, हमने आज (रविवार) पहले अपने पाकिस्तानी समकक्ष को एक और हॉटलाइन के जरिए संदेश भेजा है जिसमें 10 मई को डीजीएमओ स्तर पर बनी सहमति के बाद इन उल्लंघनों को लेकर जानकारी दी गई. साथ ही यह भी बताया कि आज (रविवार) रात, बाद में या आगे भी इसे दोहराए जाने पर इस हरकत पर माकूल जवाब देने का हमारा दृढ़ और स्पष्ट इरादा है.” उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की ओर से ऐसी किसी भी उल्लंघन की स्थिति में कड़ी जवाबी कार्रवाई के लिए हमारे सेना कमांडर को पूर्ण अधिकार दिए गए हैं.”

अपने बयान से पलट गया पाकिस्तान

हालांकि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अब उसकी ओर से कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ने सीजफायर के लिए कभी भी अनुरोध नहीं किया था. पाक के आईएसपीआर (Inter Services Public Relation Directorate) के महानिदेशक अहमद शरीफ चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा करते हुए कहा, “यह रिकॉर्ड में है कि पाकिस्तान ने “कभी भी सीजफायर का अनुरोध नहीं किया था.”

उन्होंने कहा “6 और 7 मई की रात को, उन वीभत्स और कायराना हमलों के बाद, भारत की ओर से यह अनुरोध किया गया और पाकिस्तान ने उन्हें बताया कि हम इस हरकत का उचित जवाब देने के बाद ही कोई कार्रवाई करेंगे.” उन्होंने कहा कि इसलिए 10 मई को, जवाबी कार्रवाई और प्रतिशोध लेने के बाद, तथा अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों के अनुरोध और उनके हस्तक्षेप पर ही हमने भारत की ओर से किए गए अनुरोध का जवाब दिया.”
भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच यह जानना जरूरी है कि पाकिस्तान ने अपना आर्मी मुख्यालय रावलपिंडी को ही क्यों बनाया? ये हैं 5 बड़ी वजह

डेस्क:–पाकिस्तान का एक प्रमुख शहर है रावलपिंडी, जहां बैठकर पाकिस्तानी जनरल यह फैसले करते हैं कि कब और कहां जंग लड़ना है. यहीं पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय है. यहीं से छद्म युद्ध भी लड़े जाते हैं. ऐसे में सवाल है कि रावलपिंडी को पाकिस्तानी सेना का हेडक्वार्टर क्यों चुना गया?

तनाव के बीच सबसे ज्यादा परेशानी में पाकिस्तान का एक प्रमुख शहर रावलपिंडी है. कारण यह है कि यही वह शहर है जहां बैठकर पाकिस्तानी जनरल यह फैसले करते हैं कि कब और कहां बम फोड़ना है? किस आतंकी को सिर चढ़ाना है? किसका कस तरीके से उपयोग करना है. यहीं पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय है. यहीं से छद्म युद्ध भी लड़े जाते हैं. ऐतिहासिक शहर रावलपिंडी के संस्थापकों ने कभी सोच भी नहीं होगा कि उनकी धरती का इस तरह दुरुपयोग पाकिस्तानी सेना करेगी.

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच यह जानना जरूरी है कि पाकिस्तान ने अपना आर्मी मुख्यालय रावलपिंडी को ही क्यों बनाया? जबकि उसके पास कराची, लाहौर जैसे महत्वपूर्ण, बड़े और हर तरह की सुविधाओं से सम्पन्न ऐतिहासिक महत्व के शहर थे. इसकी कई महत्वपूर्ण वजहें थीं.

1-ब्रिटिश सेना का उत्तरी कमान सेंटर था रावलपिंडी

पाकिस्तान नाम का नया देश जब दुनिया के नक्शे में जुड़ा तो रावलपिंडी ब्रिटिश सेना का उत्तरी कमान का हेडक्वार्टर हुआ करता था. यहां सेना से जुड़े बहुत सारे संसाधन मौजूद थे. नया देश होने की वजह से पाकिस्तान के सामने बहुत सारे दूसरी तरह के चैलेंजेज थे, ऐसे में पाकिस्तानी सेना ने खुद को रावलपिंडी में ही मजबूती दी.

साल 1947 में भारत से अलग बने देश पाकिस्तान के सेना प्रमुख ब्रिटिश जनरल सर डगलस ग्रेसी थे. अंग्रेज अफसर सुविधाओं में रहने के आदती थे. ब्रिटिश सेना का उत्तरी कमान का हेडक्वार्टर होने की वजह से यहां पर्याप्त सुविधाएं-संसाधन मौजूद थे. ऐसे में जनरल डगलस ने सेना मुख्यालय के रूप में रावलपिंडी को ही चुन लिया. समय बीतता गया और पाकिस्तानी सेना का प्रभाव देश के अंदर बढ़ता गया. अपने फैसले में सेना ने सरकार को बहुत तवज्जो कभी नहीं दी. उनका ध्यान लोकतंत्र को कमजोर करने में लगा रहा.

इसीलिए जब साल 1960 में पाकिस्तान ने इस्लामाबाद को देश की स्थाई राजधानी के रूप में स्थापित किया तब भी सेना ने अपना मुख्यालय शिफ्ट नहीं किया. सामान्य दशा में किसी भी देश में सेना और सरकार का मुख्यालय एक ही जगह होते हैं. पाकिस्तान में तख्तापलट का लंबा इतिहास है. ऐसे में सर डगलस ने जो नींव रख दी, पाकिस्तानी जनरल्स ने उसे हटाने की सोची भी नहीं, बल्कि रावलपिंडी को ही मजबूती देते गए. पाकिस्तान की स्थापना से लेकर साल 1960 तक रावलपिंडी में सेना के संसाधनों में पर्याप्त इजाफा कर लिया था.

2-ब्रिटिश काल में भी रावलपिंडी सेना के लिए महत्वपूर्ण था

जब अंग्रेज राज करते थे तब भी रावलपिंडी ब्रिटिश सेना के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था. पाकिस्तान बनने के समय लाहौर, कराची और रावलपिंडी, यही तीन शहर थे, जहां पाकिस्तान कहीं अपनी राजधानी बना लेता. लाहौर और कराची अपेक्षाकृत ज्यादा विकसित और ऐतिहासिक शहर थे, इसलिए पाकिस्तान ने फौरी राजधानी के रूप में कराची का चुनाव किया. लेकिन जनरल डगलस ने सेना का मुख्यालय कराची ले जाना मुनासिब नहीं समझा और न ही पाकिस्तान के नीति-निर्धारकों ने सत्ता के केंद्र के रूप में रावलपिंडी को चुनने की जहमत उठाई. सर डगलस ने सेना का मुख्यालय कराची इसलिए भी नहीं शिफ्ट किया क्योंकि यह एक समुद्र तटीय, अधिक भीड़भाड़ वाला शहर था.

रणनीतिक दृष्टि से सेना ने इसे उपयुक्त नहीं पाया बल्कि माना गया कि रावलपिंडी पहले से ही सेना के लिए सक्रिय शहर है. उधर, कराची से स्थाई राजधानी इस्लामाबाद करने के फैसले के समय सेना ने खुद को रावलपिंडी में इतना मजबूत कर लिया कि सेना मुख्यालय को इस्लामाबाद शिफ्ट करने में बहुत बड़े बजट की जरूरत थी, जो पाकिस्तान के पास था नहीं. अगर सरकार और जनरल्स सेना का मुख्यालय इस्लामाबाद शिफ्ट करने का फैसला ले भी लेते तो रावलपिंडी में पहले से उपलब्ध इंफ्रा का उपयोग उस तरह नहीं हो पाता, जैसे आज हो रहा है.

3- इसलिए भी रावलपिंडी का महत्व बना रहा

रावलपिंडी पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में है. यह राजधानी इस्लामाबाद से ज्यादा दूर नहीं है. ऐसे में सेना और सरकार में समन्वय आसान माना गया. कहा जा सकता है कि भौगोलिक रूप से यह जगह सेना के संचालन और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से एकदम अनुकूल है. ब्रिटिश सेना कि विरासत ने पाकिस्तानी सेना को इसे मुख्यालय बनाने में मदद की.

रावलपिंडी सड़क, रेल और हवाई मार्ग से देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है, जो किसी भी देश की सेना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. चूँकि, सेना की अनेक गतिविधियां शांति से संचालित होती हैं, ऐसे में लाहौर-कराची जैसे भीड़ वाले शहर में सैन्य गतिविधियां चलाना अपने आप में चुनौतीपूर्ण है. आबादी की दृष्टि से रावलपिंडी सेना के लिए उपयुक्त माना गया था.

4- पाकिस्तान की उम्र सिर्फ 78, रावलपिंडी का सैन्य इतिहास हजारों वर्ष पुराना

सेना के लिए रावलपिंडी तब भी महत्वपूर्ण था जब पाकिस्तान का नामों-निशान नहीं था. ब्रिटिश सेना की छावनियां यहां तब भी थीं. साल 1850 से ब्रिटिश सेना ने इसे अपनी छावनी के रूप में विकसित करना शुरू किया था, जो पाकिस्तान बनने तक जारी रहा क्योंकि धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ती रहीं और सेना ने इसका दर्जा भी बढ़ाया. पाकिस्तान के बनने के समय यह जगह ब्रिटिश सेना के उत्तरी कमान का मुख्यालय हुआ करता था.

5- कुछ यूं बनी सेना की एक चौकी सैन्य मुख्यालय

रावलपिंडी के ऐतिहासिक पक्ष को देखें तो पता चलता है कि राजस्थान के राजा बप्पा रावल ने पहली फौजी चौकी आठवीं सदी में यहां बनाई थी. बप्पा रावल ने 712 ईस्वी में मोहम्मद बिन कासिम को जंग में हराकर इस क्षेत्र से भागने पर मजबूर कर दिया था. युद्ध जीतने के बाद उन्होंने अनेक सैन्य चौकियां स्थापित की थीं, उसमें रावलपिंडी भी था. इस तरह मुगल हों या ब्रिटिश या फिर पाकिस्तानी शासक, सबने रावलपिंडी को सेना के केंद्र के रूप में मजबूती दी.

इतिहास बताता है कि रावलपिंडी शहर का नाम भी राजा बप्पा रावल के नाम पर पड़ा है। बप्पा रावल इतने बहादुर थे कि उन्होंने उस जमाने में युद्ध जीतते हुए अफगानिस्तान, ईरान, इराक तक क्षेत्र का विस्तार किया. बप्पा रावल की राजधानी आज का चित्तौड़गढ़ हुआ करती थी. इस तरह हम पाते हैं कि रावलपिंडी को पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय बनाने में एक नहीं, अनेक कारण हैं. सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से उसका सैन्य इतिहास है.

एकतरफा प्यार में मौसेरे भाई ने युवती को कुल्हाड़ी से काट डाला,…आरोपी फरार

डेस्क:–एकतरफा प्यार में मौसेरे भाई ने गुरुवार की रात कुल्हाड़ी से गला काट कर युवती को मार डाला। वारदात का पता शुक्रवार सुबह चला। आरोपी फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की तीन टीमें लगी हैं। सूचना पर पहुंचे एसपी ने जांच-पड़ताल की है। मौके से खून से सनी कुल्हाड़ी मिली है।

बिसंडा थाना क्षेत्र के लौली टीकमऊ गांव निवासी प्रियंका (23) पुत्री स्व. रामप्रताप गुरुवार की रात बड़ी बहन गुड़िया और छोटी बहन समुद्री के साथ घर के बाहर वाले कमरे में सोई थी। प्रियंका से एकतरफा प्यार करने वाला उसका मौसेरा भाई पुनाहुर गांव का शिवशंकर रात में उसके घर पहुंचा। वह प्रियंका को जगाकर पीछे के कमरे में ले गया। वहां पर दोनों के बीच कहासुनी हो गई। इसी दौरान शिवशंकर ने कुल्हाड़ी से प्रियंका के गले पर तीन वार किए, जिससे वह लहूलुहान होकर गिर गई। प्रियंका को मरा समझकर शिवशंकर भाग गया।

शुक्रवार की सुबह प्रियंका की दोनों बहनों की नींद खुली तो वह चारपाई पर नहीं मिली। प्रियंका को खोजते हुए दोनों बहनें घर के पीछे वाले कमरे में पहुंचीं। वहां प्रियंका को लहूलुहान पड़ा देखकर शोर मचाते हुए बाहर आईं और पड़ोसियों को बताया। पड़ोसी चुन्नू और अन्य लोग प्रियंका को लेकर स्वास्थ्य केंद्र बिसंडा पहुंचे। वहां से जिला अस्पताल लाने पर डॉक्टरों ने प्रियंका को मृत घोषित कर दिया।


युवती की हत्या की खबर की सूचना पाकर पुलिस अधीक्षक पलाश बंसल लौली टीकमऊ गांव पहुंचे। परिजनों से पूछताछ की। हत्यारोपी की गिरफ्तारी के लिए एसपी ने पुलिस की तीन टीमें लगाई हैं। इधर, बिसंडा थाना प्रभारी कौशल सिंह ने कहा कि मौसेरे भाई की तलाश की जा रही है।

प्रेम-प्रसंग के चलते हुई घटना

एसपी ने पड़ोसियों के साथ प्रियंका की मां सेमिया और दोनों बहन गुड़िया व समुद्री से पूछताछ की। एसपी ने कहा कि प्रेम प्रसंग के चलते वारदात हुई है। मौसेरे भाई को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

रील बनाने की होड़ में महिला की जान पर बन आई, आखिर फेमस होने की चाह में लोग अपनी जान को खतरे में क्यों डालते हैं?

डेस्क:–आज कल लोगों के बीच रील बनाने की होड़ इस कदर है की उन्हें अपनी जान से खेलने में भी जरा हिचकिचाहट नहीं होती। ना दाएं देखते हैं ना बाएं बस फेमस होना है तो कहीं भी कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, फिर चाहे जान ही क्यों ना चली जाए। सोशल मीडिया पर रील्स एंटरटेनमेंट का स्त्रोत बन चुकी हैं। लोगों को बस फेमस होना है, लाइक्स और व्यूज बटोरने हैं और इसके लिए वो किसी भी हद को पार करने के लिए तैयार रहते हैं। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी इस हरकत से उनकी जान तक जा सकती है। हाल की वायरल हो रही वीडियो को ही देख लीजिए। एक महिला किसी जंगल में एक ब्रिज पर चढ़कर करतव करते दिखाई दे रही है। लेकिन इसके बाद महिला के साथ जो होता है वो देखकर आपकी भी रुह कांप जाएगी।

*खतरनाक स्टंट करना महिला को पड़ा भारी*

वायरल वीडियो में आप देख सकते हैं कि किसी जंगल के बीच में एक नदी बह रही है। नदी का बहाव काफी तेज दिखाई दे रहा है। नदी के ऊपर एक टूटे हुए पेड़ से बना ब्रिज भी दिख रहा है। वीडियो में एक महिला नदी पर पेड़ से बने ब्रिज के ऊपर करतव करते नजर आ रही है। महिला को योगा जैसा कुछ करते हुए देखा जा सकता है। लेकिन तभी अचानक से उसका बैलेंस बिगड़ता है और वो नदी में गिर जाती है। बहाव तेज होने के कारण महिला खुद को रोक भी नहीं पाती है। वीडियो में इस बात की कोई पुष्टि नहीं की गई है कि इस घटना के बाद महिला की जान बचती है या नहीं। फिलहाल वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

वायरल वीडियो को नाम के एक्स अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा गया है कि, “रील का ऐसा जूनून है कि अपनी जान की भी परवाह नहीं है।“ खबर लिखे जाने तक वीडियो को 5 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। इतना ही नहीं, लोग वीडियो को देखने के बाद जमकर कमेंट्स भी कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “सोशल मीडिया के जुनून में लोग कभी-कभी अपनी सुरक्षा भूल जाते हैं।” दूसरे ने लिखा, “रील के चक्कर में युवा वर्ग पागल हो गए हैं।“ एक अन्य ने लिखा, “पता नहीं क्या मिलता है रील बनाने में लोगो को।” वहीं कई लोगों ने महिला की इस हरकत को पागलपन का नाम दिया।

सोर्स ऑफ़ सोशल मीडिया
पाकिस्तान वालों के लिए नायक नहीं खलनायक हूं मैं, सचिन का यह रूप देख हैरान हुई सीमा हैदर

डेस्क:–भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई एयरस्ट्राइक के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें अधिकतर वीडियो पाकिस्तान से हैं, जिनमें वहां के लोग अपनी सरकार की आलोचना कर रहे हैं और आतंकियों के जनाजे निकलते दिख रहे हैं। इसी बीच भारत से भी कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें सीमा हैदर और उनके पति सचिन मीणा का नाम सामने आ रहा है। सचिन और सीमा देश के हर बड़े मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। अब एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सचिन पाकिस्तान को चुनौती देता नजर आ रहा है। इस वीडियो में सचिन कहता है, "नायक नहीं, पाकिस्तान के लिए खलनायक हूं मैं... शेर, एक शेर का मुकाबला नहीं कर पा रहे हो?" यह वीडियो उन पाकिस्तानी लोगों को जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जो सीमा हैदर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं। भले ही वीडियो पुराना हो, लेकिन मौजूदा भारत-पाक तनाव के चलते इसे दोबारा शेयर किया जा रहा है।

*सीमा हैदर ने भी किया वीडियो पोस्ट*

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीमा हैदर ने भी एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा, "हिंदुस्तान जिंदाबाद, जय हिंद, जय भारत!" इस वीडियो में सीमा भारत की सेना और सरकार की सराहना करती दिखती हैं। इससे पहले भी वे कई बार ऐसे वीडियो पोस्ट कर चुकी हैं। सीमा का कहना है कि अब वे पाकिस्तान लौटना नहीं चाहतीं, क्योंकि अब सचिन ही उनके पति हैं।

*सचिन ने पाकिस्तान को दी खुली चुनौती*

सचिन और सीमा देश के हर बड़े मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हैं। अब एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सचिन पाकिस्तान को चुनौती देता नजर आ रहा है। इस वीडियो में सचिन कहता है, "नायक नहीं, पाकिस्तान के लिए खलनायक हूं मैं... शेर, एक शेर का मुकाबला नहीं कर पा रहे हो?" यह वीडियो उन पाकिस्तानी लोगों को जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जो सीमा हैदर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं। भले ही वीडियो पुराना हो, लेकिन मौजूदा भारत-पाक तनाव के चलते इसे दोबारा शेयर किया जा रहा है।