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बलिया:एम्बुलेंस कर्मचारियों ने मनाया ईएमटी दिवस
ओमप्रकाश वर्मा नगरा (बलिया)। जिला मुख्यालय पर बुधवार को 108/ 102 एंबुलेंस सेवा में कार्यरत इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन दिवस का आयोजन हुआ । इमरी ग्रीन हेल्थ सर्विस लखनऊ ने बेहतर कार्य करने वाले कर्मचारियों सम्मानित किया। प्रतिवर्ष 2 अप्रैल को एंबुलेंस कर्मचारी की ओर से ईएमटी दिवस मनाया जाता है। उसी के तहत बुधवार को एंबुलेंस सेवा 108 और 102 कर्मचारियों के साथ केक काटकर सभी ने ईएमटी डे मनाया। इसके बाद एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों के कार्य की सराहना की। जनपद के प्रोग्राम मैनेजर प्रभाकर यादव व जिला प्रभारी हरेंद्र वर्मा और शैलेन्द्र यादव ने बताया की यह ईएमटी हर विकट परिस्थितियों में भी लोगों की जान बचाने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। समय समय पर संस्था द्वारा रिफ्रेशर ट्रेनिंग का आयोजन करके ईएमटी को कार्यशैली को निपुण किया जाता रहता है। इस दौरान ईएमटी विधि चन्द चौहान, कृष्णमुरारी गुप्त,नरेंद्र यादव, धर्मराज चौहान,योगेश कुमार , प्राकृतिक शर्मा रीमा यादव,रवि सिंह व विकाश कुमार आदि ईएमटी मौजूद रहे।
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बलिया।शिक्षा में प्रदेश का अग्रणी जिला बनेगा बलिया : दयाशंकर सिंह
संजीव सिंह
बलिया। जिले में स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में किया। इस अवसर पर उन्होंने परिषदीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें प्रदान किया। दयाशंकर सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा है कि प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। सरकार इस दिशा में कई कार्य कर रही है। जनपद का प्रत्येक बच्चा शिक्षा अवश्य ग्रहण करे। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहने पाए। घर-घर सर्वे कराते हुए बच्चों का नामांकन विद्यालयों में कराया जाए उन्होंने जिला बेसिक शिक्षाधिकारी से कहा कि घर-घर सर्वे कराते हुए बच्चों का नामांकन विद्यालयों में कराया जाए। इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। कोई भी बच्चा नामांकन से छूटने न पाए। उन्होंने कहा कि किसी देश व समाज के लिए शिक्षा बहुत ही जरूरी है। शिक्षा से ही देश व समाज आगे बढ़ता है।परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जनप्रतिनिधियों व गणमान्य व्यक्तियों से वार्ता कर विद्यालय गोद देने को कहा। बच्चों को शिक्षा के लिए और बेहतर वातावरण भी मिलेगा जिले के बहुत से लोग समाज के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। इससे विद्यालयों में और आधारभूत सुविधाएं विकसित होंगी तथा बच्चों को शिक्षा के लिए और बेहतर वातावरण भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि आगामी बलिया महोत्सव में जनपद के विभूतियों, जो अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं, उन सभी को आमंत्रित किया जाएगा। बलिया वीरों की भूमि है। समय-समय पर यहां के लोगों ने देश व समाज के लिए आगे बढ़कर कार्य किया है।
बलिया:पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदर्शन, शिक्षक-कर्मचारियों ने बांधी काली पट्टी, एनपीएस और यूपीएस का विरोध
संजीव सिंह बलिया।
पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर बलिया अटेवा ने मंगलवार को काला दिवस मनाया। एनपीएस और यूपीएस का विरोध जताते हुए शिक्षक-कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधी। कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। पीएम को संबोधित ज्ञापन प्रेषित करते हुए सरकार से एनपीएस व यूपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली की मांग । आज atewa /nmops के आह्वान पर अटेवा पेंशन बचाओ मंच के नेतृत्व में जनपद के तमाम विभागों के शिक्षक कर्मचारियों ने NPS/UPS के विरोध में काली पट्टी बांधकर कार्य किया और ज्ञापन कार्यक्रम में भी अपनी सहभागिता प्रदान की। आज के कार्यक्रम को अपना कार्यक्रम मे विशेष रूप से सहयोग प्रदान करने के लिए जनपद के सभी शिक्षकों/कर्मचारियों/अधिकारियों, श्रमिक समन्वय समिति, रा. क. महासंघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ, रा. क. संयुक्त परिषद, विकास भवन संघ, सफाई कर्मचारी संघ, पोस्ट ऑफिस संघ, लेखपाल संघ, सिंचाई विभाग, pwd संघ, जल निगम, GST संघ, ITI संघ, प्रा शि संघ, महिला प्रा शि संघ, माध्यमिक शिक्षक संघ और अटेवा के सभी संघर्षशील पदाधिकारियों ने प्रदर्शन में भाग लिया। अटेवा जिलाध्यक्ष समीर कुमार पांडेय तथा महामंत्री राकेश कुमार मौर्य के संयुक्त के नेतृत्व में सभी ने एक स्वर में यूपीएस को हटाकर पुरानी पेंशन बहाली की मांग की। महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष ने कही की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लिए गए निर्णय के अनुसार आज पूरे देश में काला दिवस मनाया गया। एक मई को दिल्ली के जंतर मंतर पर मज़दूर दिवस के दिन पूरे देश के शिक्षक, कर्मचारी एकत्रित होकर प्रदर्शन करेंगे। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि सरकार देश के शिक्षकों अर्धसैनिक बलों को पुरानी पेंशन बहाल कर उनके बुढ़ापे की लाठी को मजबूत करे। सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि सीमा पर खड़े जवान के लिए एक भी पेंशन की व्यवस्था नहीं है और देश की संसद में बैठे हुए नेताओं को चार-चार पेंशन दी जा रही है। जिला प्रवक्ता विनय राय ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए हम सबको एकजुट होना पड़ेगा।इस ज्ञापन कार्यक्रम में अटेवा जिला कार्यकारिणी से अखिलेश सिंह, संजय पाण्डेय, विनय राय, संजीव कुमार सिंह, राजीव गुप्ता, मलय पाण्डेय, श्रीमती चित्रलेखा सिंह के साथ ही जनपद के प्रमुख संगठनों से राजेश पाण्डेय अध्यक्ष राक महासंघ, अजय सिंह अध्यक्ष श्रमिक समन्वय समिति,श्री अविनाश उपाध्याय महामंत्री जिला श्रमिक समन्वयक समिति, डॉ सुशील तिवारी अध्यक्ष विकास भवन, रंजय कुमार कार्यकारी अध्यक्ष महासंघ, मुकेश सिंह अध्यक्ष पोस्ट ऑफिस संघ, श्री निर्भय नारायण सिंह लेखपाल संघ, राजेश तिवारी महामंत्री पी डब्लू डी, प्रेम शंकर सिंह, सतीश सिंह अध्यक्ष TSCT, अजय सिंह अध्यक्ष प्रा शि संघ, किरण भारती अध्यक्ष महिला प्रा शि संघ, अनु सिंह महिला संघ, मंदाकिनी द्विवेदी, अरुण सिंह अध्यक्ष रिटायर्ड कर्मचारी संघ, योगेन्द्र नाथ पाण्डेय अध्यक्ष रा. क. सं. परिषद,हेमंत सिंह, महामंत्री रा क सं परिषद, शैलेश कुमार सिंह महामंत्री माध्यमिक, रणजीत सिंह, आलोक यादव पूर्व अध्यक्ष नवानगर, राकेश सिंह अध्यक्ष नगरा, क्रांति देव सिंह ब्लॉक अध्यक्ष नवानगर, अजय चौबे अध्यक्ष बेलहरी, अंकुर द्विवेदी अध्यक्ष हनुमानगंज, मुकेश गुप्ता अध्यक्ष पंदह, विनय विशेन अध्यक्ष चिलकहर, अजित सिंह अध्यक्ष बैरिया विवेक सिंह महामंत्री बांसडीह,रोहित कुमार, संजय खरवार कोषाध्यक्ष बांसडीह, रामप्रवेश चौधरी, प्रतीक मिश्रा, राजेश सिंह RSM, राम बदन राम, विनोद यादव, जितेंद्र कुमार, विक्रम यादव, भवतोष पाण्डेय, रवि वर्मा, लक्ष्मण यादव, गौतम पांडेय,ब्रजेश कुमार सिंह ,राजीव नयन पांडेय सहित जनपद के सैकड़ों शिक्षक कर्मचारी साथी उपस्थित रहे।अंत में आज के कार्यक्रम में आये हुए सभी लोगों का आभार प्रकट किए समीर कुमार पांडेय जिलाध्यक्ष अटेवा बलिया ने।
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बलिया।भीषण आग में किसानों की करीब पांच बीघे में खड़ी गेहूं की फसल जलकर राख गांवमेमचीचीख-पुकार,प्रशासन नहीं पहुंचा समय पर
संजीव सिंह बलिया।नगरा क्षेत्र के सरया बगडोरा गांव में सोमवार दोपहर अज्ञात कारणों से लगी आग ने कहर बरपा दिया। इस भीषण आग में छह से अधिक किसानों की करीब पांच बीघे में खड़ी गेहूं की फसल जलकर राख हो गई, जिससे गांव में अफरा-तफरी मच गई।
गांव में मची चीख-पुकार, प्रशासन नहीं पहुंचा समय परजानकारी के अनुसार, सरया बगडोरा गांव में जब दोपहर में किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे, तभी अचानक गेहूं के खेतों में आग लग गई। देखते ही देखते धनीराम, मिनहाज अंसारी, अशोक सिंह, राम प्रसाद, श्रीकिशुन राजभर, चंद्रमा और धनुषधारी के खेतों में आग फैल गई। खेतों में काम कर रहे किसानों ने जब लपटें उठती देखीं तो शोर मचाना शुरू किया। सूचना मिलते ही पुलिस और 112 की टीम मौके पर पहुंच गई, लेकिन फायर ब्रिगेड समय पर नहीं पहुंच सका। ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ और अथक प्रयास से आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक पांच बीघे में खड़ी पूरी गेहूं की फसल जलकर राख हो चुकी थी। किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, जिससे उनका दर्द छलक पड
बलिया।परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2025-26 का शुभारंभ पर BSA ने 1अप्रैल पहला दिन पर स्कूलों को खास बनाने के लिये दिए निर्देश
संजीव सिंहबलिया । परिषदीय विद्यालयों में
शैक्षिक सत्र 2025-26 का शुभारंभ एक अप्रैल को खास अंदाज में किया जाएगा। नए सत्र के पहले दिन स्कूलों को फूलों, पत्तियों, गुब्बारों और पेड़-पौधों को झंडियों से सजाया जाएगा। आकर्षक रंगोली बनाकर बच्चों का मनोबल बढ़ाया जाएगा। विद्यालय के मुख्य द्वार पर शिक्षक बच्चों का तिलक लगाने के साथ ही फूल बरसाकर स्वागत करेंगे। इसके अलावा, मिड-डे मील में हलवा और खीर बनाकर बच्चों को खिलाई जाएगी, ताकि उनका पहला दिन खास बन सकें। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने बताया कि महानिदेशक, स्कूल शिक्षा के निर्देशों के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारियों को सभी स्कूलों में इस आयोजन कराने के लिए निर्देश दिए हैं। इस सत्र में परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है। शिक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वे अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें।
लगेंगे होर्डिंग्स, बांटे जायेंगे हैंडविल
निर्देश दिया गया है कि स्कूल चलो अभियान के माध्यम से अध्यापकों, बच्चों व जन सामान्य में जागरूकता लाने तथा वातावरण सृजित करने के उद्देश्य से प्रचार-प्रसार के लिए प्रमुख स्थानों पर होर्डिंग लगाए जाए। पर्याप्त मात्रा में हैण्डबिल छपवाये व विद्यालय स्तर पर वाल राईटिंग कराये जाने के साथ ही स्थानीय मीडिया, सोशल मीडिया, स्थानीय सिनेमाघर, लोकल चौनल के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। विकास खण्ड तथा विद्यालय स्तर पर रैली एवं प्रभात फेरी आयोजित करायी जाए।
समुदाय एवं अभिभावकों की सहभागिता हों सुनिश्चित
विकासखण्ड एवं न्याय पंचायत स्तर पर आउट ऑफ स्कूल बच्चों, छात्र नामांकन तथा छात्रों कि नियमित उपस्थिति की स्थिति का विश्लेषण किया जाय। स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत विकासखण्ड स्तर पर गोष्ठियों का आयोजन किया जाय, तदोपरान्त रणनीति एवं कार्ययोजना बनाते हुए वर्ष 2025-26 में क्रियान्वयन किया जाय। विद्यालयों में नामांकन में वृद्धि तथा नामांकित छात्र-छात्राओं की नियमित उपस्थिति बढ़ाने के लिए समुदाय एवं अभिभावकों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। विद्यालय स्तर पर स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं को अधिक से अधिक नामांकन कराने के लिए स्थानीय समुदाय, विद्यालय प्रबन्ध समिति, माँ समूह, क्षेत्रीय प्रभावशाली व्यक्तियों से सम्पर्क कर उनका सहयोग प्राप्त किया जाए। विद्यालय स्तर पर अभिभावकों की बैठक आयोजित की जाए तथा उन्हें सभी बच्चों के नामांकन और उन्हें स्कूल यूनिफार्म में नियमित रूप से विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया जाए
आउट ऑफ स्कूल बच्चों का चिन्हांकन जरूरी
समान्यतः घरेलू कार्यों में संलिप्तता के कारण बालिकाओं में ड्रापआउट की सम्भावना अधिक रहती है। ऐसे में बालिकाओं के शत प्रतिशत नामांकन एवं उपस्थिति पर विशेष फोकस किया जाए तथा मीना मंच के बच्चों द्वारा विद्यालय स्तर पर नाटक का मंचन और आधा-फुल कॉमिक्स पर आधारित कहानियों का वाचन व चर्चा करायी जाए। आउट ऑफ स्कूल बच्चों का चिन्हांकन किया जाए तथा शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित कराया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि 6 से 14 आयुवर्ग का कोई भी बच्चा नामांकन से वंचित न रहे। आउट ऑफ स्कूल बच्चों के चिन्हांकन/नामांकन में मलिन बस्तियों, झुग्गी-झोपड़ियों, रेलवे स्टेशन के पास, ओवरब्रिज के नीचे अस्थायी आवास में रहने वाले परिवारों, परम्परागत कुटीर एवं लघुसूक्ष्म उद्यम एवं ईंट भट्ठो पर कार्यरत परिवारों तथा जनजाति एवं घुमन्तु समुदाय पर विशेष फोकस किया जाय। विकास खण्ड स्तरीय सभी शिक्षा अधिकारी अनिवार्य रूप से स्वयं गांवों का भ्रमण करेंगे, जन समुदाय तथा अभिभावकों से सम्पर्क कर बच्चो के नामांकन के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
नवरात्र में प्रकाशित हुआ डॉ विद्यासागर उपाध्याय का दार्शनिक ग्रंथ 'अथातो मृत्यु जिज्ञासा'
संजीव सिंहबलिया।
नवरात्र के अवसर पर प्रबुद्ध दर्शन शास्त्री डॉ विद्यासागर उपाध्याय की नवीन ग्रंथ अथातो मृत्यु जिज्ञासा के प्रकाशन से बुद्धिजीवी समाज में हर्ष व्याप्त है। पुस्तक पर चर्चा करते हुए डॉ उपाध्याय ने बताया कि सोचिए , जब आप मधुर संगीत सुनते हैं,,आनंद आता है, तो आँखें धीरे - धीरे बंद होने लगती हैं।कभी भी जब आनन्द आता है तो आँखें बंद होती हैं।लेकिन जब परमानन्द आता है तो आँखें सदैव के लिए बन्द हो जाती हैं। मृत्यु परमानंद है ऐसा मेरा मत है।मृत्यु कैसी है इसे जानने के लिए मरना होगा और जो मर गया वो अपना अनुभव बताने आज तक नहीं आया।फिर करें तो क्या करें। ऐसी दशा में हम दर्शन का आश्रय लेते हैं। ज्ञान,भक्ति,कर्म,सेवा,गुरु,संन्यास इत्यादि से हम परम सत्य को जानना चाहते हैं।अभी कुम्भ मेले में एक आईआईटीयन बाबा को देखकर भारत-देश की जनता विस्मय-विमुग्ध हो गई। इन्होंने इससे पहले कोई शिक्षित संन्यासी नहीं देखा था?व्यास से लेकर कृष्ण तक, आदि गुरु शंकराचार्य से लेकर महावीर तक, महर्षि अरविन्द - सभी उच्च-शिक्षित थे।कृष्णमूर्ति, रजनीश, अरविन्द, चिन्मयानंद सभी उच्च शिक्षित।वास्तव में, अत्यन्त मेधावी होना संन्यासी होने की पहली शर्त है।जबसे मनुष्य जाति के अंदर चिंतन की योग्यता आयी हुई तबसे वो शंका में है।हर वस्तु और विचार को तर्क की कसौटी पर कसने हेतु व्याकुल है।उसकी सबसे बड़ी जिज्ञासा है कि मृत्यु क्या है?जीवन क्या है?सृष्टि कैसे हुई है?इसका रचनाकार कैसा है?इसी जिज्ञासा ने अनेक दार्शनिक,विचारक,चिंतक,पैगम्बर,अवतार उत्पन्न किए हैं।किसी ने कहा ईश्वर है,किसी ने ईश्वर के अस्तित्व को नकार दिया।किसी ने कहा सृष्टि ईश्वर की रचना है तो किसी ने इसे प्रकृति के नियमों के अधीन माना।हजारों विचारधाराओं के टकराव के बावजूद सबने स्वीकार किया कि अंतिम सत्य तो मृत्यु ही है।संसार में किसी की गारंटी नहीं है लेकिन मृत्यु की गारंटी है।मृत्यु आनी ही है।आप रोए,चिल्लाए, स्वयं की खूब सुरक्षित करें लेकिन मृत्यु आएगी जरूर।दुर्भाग्य से जिस दिन शरीर छूट जाता है उसी को लोग मृत्यु समझते है लेकिन सच तो ये है कि जिस क्षण आपका जन्म हुआ उसी दिन से मृत्यु का आरंभ हो गया।एक - एक क्षण आप एक्सपायर हो रहे हैं अर्थात मर रहे है।जन्म दिन पर मोमबत्ती बुझाते है अर्थात आपकी एक वर्ष की जीवन ज्योति बुझ गई।अगले साल एक और दीपक बुझेगा।एक दिन अंतिम दीपक भी बुझ जाएगा। हर व्यक्ति मृत्यु से भयभीत होता है। श्मशान घाट पर बैठा हर व्यक्ति घबराने लगता है।किसी असाध्य रोग की सूचना मिलते ही खून सूखने लगता है।यह भय बड़ा भयानक है।क्यों ना इस भय को मार डाला जाय।आप जानते है कि किसी विषय से आप जितना डरते है वो उतना ही डराता है।इस ग्रन्थ के प्रणयन का एकमात्र उद्देश्य है मनुष्य जाति से मृत्यु का भय समाप्त करना ।उसे बताना कि मृत्यु एक साधारण घटना मात्र है।मृत्यु नए जीवन का प्रवेश द्वार है।नया जन्म,नया शरीर,नई उमंग के लिए मृत्यु एक सामान्य प्रक्रिया है।जैसे सांप अपनी केंचुली छोड़ कर आनंदित होता है वैसे ही आपको भी इस नश्वर शरीर का त्याग कर नवीन शरीर का आनंद लेना है। जीवन गंगा की तरह प्रवाहमान है।गंगा गंगोत्री से निकलती है और गंगासागर में मिलती है।गंगोत्री जन्म है और गंगासागर मृत्यु।गंगोत्री और गंगासागर अलग नहीं है बल्कि एक ही प्रवाह के दो छोर हैं।मृत्यु ही वो माध्यम है जो नव जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। मृत्यु से भय इसलिए होता है क्योंकि शरीर और संसार से आपको मोह है।जब आप जन्म लिए तो केवल हाथ पैर ही लेकर पैदा नहीं हुए बल्कि भूख प्यास काम क्रोध और अहम वृत्ति भी लेकर पैदा हुए।ये जो अहम वृत्ति है यही बंधन का कारण है।अहम वृत्ति अर्थात ये शरीर मेरा है,घर मेरा है,परिवार मेरा है,धरती मेरी है। जिस दिन ज्ञान हो जाएगा कि ये कुछ भी मेरा नहीं है,शरीर तो छूटेगा ही बाकी सब कुछ छूट जाना है,उसी दिन इस अहम वृत्ति का नाश हो जाएगा।जिसके अहम वृत्ति का नाश होगा वहीं विजेता होगा , मृत्यु को हंसते हुए वरण करेगा।सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिलाचार्य के अनुसार यदि दर्पण गोरे आदमी को देख कर उसे अपना प्रतिबिंब माने और खुश हो जाय तथा काले आदमी को देख कर दुखी हो जाय तो माना जायेगा कि दर्पण पुरुष है जो प्रकृति के बंधन में जकड़ा हुआ है।जिस दिन दर्पण अर्थात पुरुष को यह ज्ञात हो जायेगा कि मैं तो केवल दर्पण हूं, प्रतिबिंब से मेरा कोई नाता नहीं है उसी दिन पुरुष प्रकृति के बंधन को तोड़कर अलग हो जायेगा जिसे मोक्ष कहा जाता है। अभी तो हम जिस तरह से हैं, उससे हमको ये लगता है कि ये एक खराब चीज़ है, पर अगर हम हज़ार साल तक जीवित रहें तो मृत्यु हमारे लिये एक बड़ी राहत होगी। अगर हम बहुत ज्यादा समय तक जीवित रहें तो लोग सोचने लगेंगे कि हम कब मरेंगे? मृत्यु एक जबरदस्त राहत है। बस, बात इतनी ही है कि ये अकाल न हो, समय से पहले न हो।मृत्यु कोई घटना नहीं है यह तो एक यात्रा है, जिसकी शुरुआत जन्म के साथ होती है। मृत्यु परम सत्य है जबकि जीवन तो क्षणभंगुर है, आज है तो कल नहीं है। मृत्यु सदैव साथ चलती है, किसी भी पल मृत्यु उपलब्ध हो सकती है। जो मृत्यु का उत्सव मना सकता है वही जीवन का आनंद ले सकता है। शेष लोग तो भयभीत हैं कि पता नहीं कब प्राण निकल जाए और जीवन रूपी स्वप्न का तथा स्वयं के जीवित होने के अहंकार का अंत हो जाए। जीवन को शाश्वत मानकर व्यक्ति अपने "मैं" को सघन बना लेता है, और भूल जाता है कि वह कौन है। उसके लिए मृत्यु उस "मैं" का अंत है जिसे उसने जीवन भर विकसित किया है। मेरी पत्नी, मेरे बच्चे, मेरी संपत्ति, मेरा सम्मान, मेरा पद, मेरी प्रतिष्ठा आदि ना जाने कितने सारे "मैं" उसके साथ जुड़ जाते हैं कि फिर स्वयं से जुड़ने का विचार भी नहीं आता है। लेकिन यह मृत्यु ही है जो सारे भ्रमों का समापन कर देती है।श्रीपाद शंकराचार्य के शब्दों में बुद्धिमान मनुष्य को जीवन की नश्वरता का नित्य स्मरण करना चाहिए । अतएव क्षण - क्षण ईश्वर के स्मरण में ही व्यतीत कीजिए, क्या पता कौन सा क्षण अंतिम हो? पल पल मृत्यु की और बढ़ रहे हैं और संसार में बेहोश हैं। मृत्यु क्या है? मृत्यु के पूर्व जीवन तो है परंतु उसके पूर्व क्या है? मृत्यु के समय कैसा अनुभव होता है? मृत्यु के बाद क्या होता? है यह प्रश्न अनादिकाल से मनुष्य के समक्ष खड़ा है। मृत्यु मनुष्य को कितना भयभीत करती है, कितना ज्यादा कष्ट उत्पन्न करवाती है और कितना तनाव देती है यह अनुभव लगभग प्रत्येक व्यक्ति को है। हर मनुष्य जीवन में किसी ना किसी व्यक्ति के मृत्यु का साक्षी अवश्य होता है। उस समय मृत्यु के संबंध में असंख्य विचार उठते हैं कि मृत्यु की वास्तविकता है क्या? मृत्यु के रहस्य को जानने के लिए हर व्यक्ति उत्सुक है लेकिन उसका रहस्य ना खुलने के कारण वही का वही अटका पड़ा है। बहुत बड़ा प्रश्न है कि मैं कौन हूं? जन्म से पूर्व मैं क्या था? मृत्यु के बाद क्या होना है? यह हाथ मेरा है, लेकिन मैं हाथ नहीं हूं। यह पैर मेरा है, लेकिन मैं पैर नहीं हूं। यह शरीर मेरा है, लेकिन मैं शरीर नहीं हूं, तो आखिर मैं कौन हूं?मैं बहन के पास जाता हूं तो भाई बन जाता हूं। मां के पास जाता हूं तो पुत्र बन जाता हूं।गुरु के पास शिष्य और शिष्य के पास गुरु बन जाता हूं ।आखिर मैं कौन हूं?शरीर तो मर जाता है लेकिन इस मै का क्या होता है?इस प्रश्न ने मानव जाति को हमेशा उलझा के रखा।मृत्यु को देखकर ही बुद्ध ने गृह त्याग किया। मृत्यु को जानकर ही परीक्षित और शुकदेव जी के द्वारा भागवत महापुराण की रचना हुई।आप ये भी जानते हैं कि मृत्यु हमेशा कष्टदाई नहीं होती। कई बार तो जीवन और मृत्यु के बीच कौन सुखद है, यह चुनने में मनुष्य को मौत के पक्ष में अपना निर्णय देना पड़ता है। प्रसंग जीवन और मरण में से वरिष्ठता किसे दी जाए यह निर्णय करने का है। यहाँ सब कुछ सापेक्ष ही ठहरता है। उपयोगिता ही प्रधान है। न जीवन ही सदा सर्वदा उत्तम समझा जा सकता है और न मृत्यु को ही सर्वथा हेय ठहराया जा सकता है। दोनों ही अपने-अपने स्थान पर गुण-दोष की कसौटी पर कसे जाने के उपरान्त श्रेष्ठ समझे जा सकते हैं। आवश्यकता मृत्यु से डरने की नहीं है और न ही उस अनिवार्य वास्तविकता की उपेक्षा करने की है। मृत्यु निश्चित है, और जो निश्चित है, उसकी चिन्ता कैसी? कहते हैं कि कायर रोज मरते हैं जबकि वीर की मृत्यु एक बार होती है।जीवन को जीवन जाना और मृत्यु को जीवन से पृथक और विपरीत जाना, तो चूक गए। फिर बार-बार भटकना होगा और साधक उसे भी न पहचान पाएगा जो दोनों के पार है। एक क्षण पहले या बाद में मृत्यु नहीं हो सकती है। यदि आयु या काल पूरा नहीं हुआ है तो सैकड़ों गोली लगने के बाद भी मृत्यु नहीं होती है। यदि आयु समाप्त हो तो फूल लगने या कुशा के चुभ जाने मात्र से भी मृत्यु हो जाती है। प्रस्तुत ग्रन्थ दर्शन विधायक है।चूंकि दर्शन का शाब्दिक अर्थ होता है दृष्टि और सबकी दृष्टि और दृष्टिकोण भिन्न भिन्न होता है। इसलिए प्रत्येक महापुरुष ने अपने - अपने दृष्टिकोण से इस सर्वोच्च प्रश्न का उत्तर दिया है। प्रस्तुत पुस्तक में मृत्यु को जानने हेतु अनेक महापुरुषों का मत, विभिन्न दृष्टिकोण, सनातन वैदिक वांग्मय, विभिन्न पंथों के मत, स्थानीय विधियों इत्यादि का सहारा लिया गया है। ज्ञान पिपासु पाठक इसे विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से संपूर्ण विश्व में कहीं भी प्राप्त कर अपनी जिज्ञासा शांत कर सकते हैं।उक्त दार्शनिक ग्रंथ के प्रकाशन पर चिन्मय वेदान्त मिशन के संस्थापक श्री कौशिक चैतन्य जी महाराज, अध्यक्ष शंकराचार्य परिषद स्वामी आनन्द स्वरूप जी महाराज,महामंडलेश्वर डॉ सुमनानंद जी महाराज,महामंडलेश्वर राधाशरण सरस्वती जी, इस्कॉन बेंगलुरु के अध्यक्ष श्री मधु पंडित दास,श्री कृष्ण संकीर्तन धाम न्यूयार्क अमेरिका के संस्थापक पण्डित सत्यनिवास वशिष्ठ आदि विद्वत जन ने लेखक को बधाई दी है।
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Apr 02 2025, 22:14