साय सरकार का सुशासन…राज्य सरकार के डेयरी विकास कार्यक्रम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आया सुधार
रायपुर- छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि और पशुपालन है. ग्रामीणों की आय का मुख्य स्रोत भी खेती और पशुपालन ही है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ग्रामीण विकास को गति देने के लिए बहुत सी योजनाएं संचालित कर रही है, जिनमें डेयरी उद्योग का विस्तार एक महत्वपूर्ण कदम है. डेयरी विकास से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त हो रही है, बल्कि किसानों और पशुपालकों की आय भी बढ़ रही है. मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार किसानों और पशुपालकों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है. हमें यह सुनिश्चित करना है कि आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से दुग्ध उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जाए. राज्य सरकार प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
सरकार ने डेयरी विकास के लिए उठाए कदम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपनी इस व्यक्तिगत मंशा को कई बार व्यक्त कर चुके हैं कि छत्तीसगढ़ में श्वेत क्रांति की तर्ज पर डेयरी उद्योग सशक्त हो और किसानों-पशुपालकों की आय दोगुनी हो.. इस दिशा में छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने बहुत से प्रभावी कदम उठाए हैं..मुख्यमंत्री ने कहा है कि “दुग्ध उत्पादन को लाभकारी व्यवसाय बनाने और प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के सहयोग से एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिसके तहत व्यापक स्तर पर कार्य किया जाएगा..” मुख्यमंत्री साय ने मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित एक बैठक में पशुपालन विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा था कि “दिसंबर 2024 में राज्य सरकार और NDDB के बीच हुए समझौते के बाद छत्तीसगढ़ में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ की अधिकांश आबादी कृषि से जुड़ी है और अतिरिक्त आय के लिए पशुपालन का कार्य भी करती है.. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की विशेषज्ञता में तैयार पायलट प्रोजेक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार लगभग 5 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है.. इस योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के 6 जिलों को शामिल किया गया है और सफल क्रियान्वयन के बाद इसे पूरे प्रदेश में विस्तारित किया जाएगा..” राज्य में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का विस्तार किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान और पशुपालक इससे जुड़ सकें..सरकार ने राज्य में नई डेयरी प्रोसेसिंग इकाइयां स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे दूध के मूल्यवर्धन और विपणन को बढ़ावा मिलेगा..किसानों को डेयरी व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकार द्वारा अनुदान, रियायती दरों पर ऋण और सब्सिडी प्रदान की जा रही है.
किसानों और पशुपालकों को आधुनिक दुग्ध उत्पादन तकनीकों और पशुपालन की नई विधियों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है..सरकार डेयरी उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान दे रही है ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके..मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों से कहा कि “पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन से छत्तीसगढ़ को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं..” उन्होंने डेयरी विकास, पशु उत्पादकता संवर्धन, पशु प्रजनन और पशु पोषण को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक योजना की दिशा में भी पहल किया है.
डेयरी विकास से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
डेयरी उद्योग के विस्तार के साथ ही साथ छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, किसानों को अतिरिक्त आय का साधन मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत होगी.. इसके अलावा दुग्ध प्रसंस्करण इकाइयों के स्थापित होने से दूध के किसानों को उचित दाम मिलेंगे और उनको बाजार की अस्थिरता से राहत मिलेगी. डेयरी उद्योग किसानों को प्रतिदिन आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करता है.. कृषि की तुलना में डेयरी व्यवसाय से किसानों को अधिक, निरंतर और सुनिश्चित कमाई होती है..डेयरी उद्योग में दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और वितरण से जुड़े कार्यों में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा..छत्तीसगढ़ में महिलाओं की बड़ी संख्या पशुपालन से जुड़ी हुई है. डेयरी विकास से महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक स्तर में सुधार होगा.
सरकार डेयरी उद्योग को सहकारी मॉडल के माध्यम से संगठित करने पर ध्यान दे रही है, जिससे छोटे किसानों को भी बाजार में उचित मूल्य मिल सके..राज्य सरकार उच्च दुग्ध उत्पादक नस्लों के विकास, पशुओं के लिए पोषण युक्त चारा और आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है.. इससे दुग्ध उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होगा.. मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “डेयरी उद्योग के विकास से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे.. इसके साथ ही, प्रदेशवासियों के पोषण स्तर में भी सुधार होगा, जिससे बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव आएगा.. दूध उत्पादन से जुड़े किसानों और पशुपालकों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए ताकि वे आधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी आय को बढ़ा सकें..” उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में वृद्धि और सरप्लस दूध के उपयोग को लेकर ठोस कार्य योजना तैयार की जाए.
छत्तीसगढ़ में डेयरी उद्योग की वर्तमान स्थिति
छत्तीसगढ़ में डेयरी उद्योग अभी भी छोटे स्तर पर संचालित हो रहा है.. यहाँ के किसान परंपरागत रूप से दुग्ध उत्पादन करते हैं, लेकिन व्यावसायिक स्तर पर इसे बढ़ाने की आवश्यकता है.. हालाँकि अमूल और अन्य सहकारी समितियों के प्रयासों से यहाँ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है, फिर भी इसे संगठित रूप देने की जरूरत है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में सरकार इस क्षेत्र में व्यापक सुधार करने और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है.. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के चेयरमैन ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में प्रतिदिन 58 लाख किलोग्राम दूध का उत्पादन किया जा रहा है.. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध संघ की कार्यप्रणाली का गहन अध्ययन करने के बाद, दुग्ध उत्पादन और मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है… उन्होंने बताया कि प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से पशुपालकों को आधुनिक तकनीक और मशीनों से दूध की गुणवत्ता जांच और तत्काल भुगतान की सुविधा प्रदान की जाएगी.. बायोगैस और बायो-फर्टिलाइजर प्लांट की स्थापना से पशुपालकों की अतिरिक्त आय के स्रोत बढ़ेंगे, जिससे पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहेगा.
डेयरी विकास से मजबूत होगी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था
छत्तीसगढ़ में डेयरी उद्योग के विकास से राज्य को कई लाभ होंगे. संगठित डेयरी उद्योग से दूध उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होगा.. दूध और दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों पर निर्भरता कम कर सकता है.. डेयरी उद्योग से सरकार को कर राजस्व भी प्राप्त होगा, जो राज्य के विकास में सहायक होगा. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में छत्तीसगढ़ का डेयरी उद्योग राज्य में दूध की नदियाँ बहा सकती है..सही नीतियों और योजनाओं के माध्यम से डेयरी उद्योग को और अधिक संगठित और लाभकारी बनाया जा सकता है. इससे छत्तीसगढ़ न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल पेश बनकर उभरेगा.
छत्तीसगढ़ में डेयरी विकास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं, सहकारी दुग्ध समितियों और आधुनिक डेयरी तकनीकों के अपनाने से गोपालक किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है.
डेयरी विकास से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कैसे लाभ हो रहा है?
- आय में वृद्धि – दुग्ध उत्पादन और विपणन के बेहतर अवसर मिलने से किसानों की आय पहले की तुलना
- में बढ़ रही है।
- रोजगार के नए अवसर – दूध उत्पादन, प्रोसेसिंग और विपणन से ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को भी
- रोजगार मिल रहा है।
- स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता – डेयरी उद्योग के विस्तार से किसान सिर्फ कृषि पर निर्भर न रहकर वैकल्पिक
- आय स्रोत भी विकसित कर रहे हैं।
- सरकारी सहयोग और योजनाएं – छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना और राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी
- योजनाओं से डेयरी किसानों को सहायता दी है।
- दुग्ध सहकारी समितियों का विस्तार – अमूल, सरस और अन्य सहकारी समितियों के जरिए किसानों को दूध
- का उचित मूल्य मिल रहा है।
- नई तकनीकों का उपयोग – हाई-ब्रीड गायों और भैंसों का पालन, दूध उत्पादन में वृद्धि और आधुनिक प्रोसेसिंग
- यूनिट्स से डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ में प्रमुख डेयरी विकास योजनाएं
कृषि व पशुपालन विभाग की सहायता योजनाएं – डेयरी फार्म खोलने और पशु आहार के लिए सब्सिडी प्रदान करना। राष्ट्रीय गोकुल मिशन – उन्नत नस्ल की गायों के संवर्धन के लिए सहायता।
डेयरी विकास के कारण छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है. दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी, सहकारी समितियों के विकास और सरकारी योजनाओं से किसानों की आय दोगुनी हो रही है. आने वाले समय में यह राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
9 hours ago