क्या है संगम नोज? जहां मची भगदड़, सीएम योगी आदित्यनाथ ने वहां ना जाने की दी सलाह
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मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर आज प्रयागराज में भगद़ड़ की घटना हुई है, जिसमें अब तक 10 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है और कई लोगों के घायल बताए जा रहे हैं। फिलहाल हालात पर काबू पा लिया गया है और स्थिति नियंत्रण में हैं। भगदड़ मचने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से संगम नोज न जाने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वो यहाँ पहुंचने की कोशिश ना करें और जिस घाट पर हैं, वहीं स्नान करें। ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर संगम नोज क्या है, इसका क्या महत्व है?
असल में संगम नोज प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ स्थल पर स्थित एक प्रमुख स्नान स्थल है। इसका नाम इसके विशेष आकार की वजह से पड़ा है। इसे सबसे पवित्र स्थान माना जाता है क्योंकि यही वह स्थान है जहां गंगा, यमुना और पौराणिक नदी सरस्वती का संगम होता है। यहां दोनों नदियों का पानी अलग-अलग रंग में दिखाई देता है। यमुना का पानी जहाँ हल्का नीला होता है, वहीं गंगा का पानी हल्का मटमैला दिखाई देता है। यहां आकर यमुना नदी समाप्त हो जाती है और गंगा में मिल जाती है। कुंभ में इस क्षेत्र को संगम घाट के तौर पर चिह्नित किया गया है।
इस कारण यहां होती है भारी भीड़
साधु-संत और श्रद्धालु संगम नोज को स्नान के लिए सर्वोत्तम मानते हैं और यहां विशेष स्नान का आयोजन होता है। संगम नोज वो जगह है, जहां अलग-अलग अखाड़ों के संत अपने धार्मिक अनुष्ठान और अमृत स्नान करते हैं। अमृत स्नान के दिन संगम घाट पहुंचने के लिए अखाड़ों के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए जाते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि संगम नोज पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि हर श्रद्धालु संगम पहुंचकर स्नान करना चाहता है।यही कारण है कि हर बार यहां भारी भीड़ देखने को मिलती है, इस बार भी यही हुआ।
अमृत स्नान के दिन संगम नोज पर भीड़ को कैसे किया जाता है नियंत्रित
प्रयागराज का कुंभ 13 जनवरी शुरू होकर 26 फ़रवरी तक चलेगा। इससे पहले साल 2019 में अर्धकुंभ और साल 2013 में पूर्णकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया गया था। हर 12 साल में चार बार क्रमिक रूप से हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में कुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज का कुंभ मेला क्षेत्र करीब 4 हज़ार हेक्टेयर जमीन पर फैला है। इसे 25 सेक्टरों में बाँटा गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ मेला क्षेत्र को राज्य का 76 वां जिला घोषित किया है। मेला क्षेत्र में प्रशासन ने कुल 41 घाट तैयार किए हैं। इनमें 10 पक्के घाट हैं जबकि 31 अस्थायी घाट हैं। इन घाटों पर पहुंचने के लिए 14 प्रमुख मार्ग समेत 30 से मार्ग हैं। अमृत स्नान के दिन अलग अलग रास्तों से प्रयागराज पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को नजदीकी घाट पर रोका जाता है ताकि संगम घाट पर भीड़ ज्यादा ना हो। अमृत स्नान के अलावा अन्य दिनों में लोग अरैल घाट से नाव में बैठकर संगम नोज पहुंचते हैं और स्नान करते हैं। लेकिन अमृत स्नान के दिन घाटों पर नावों को बंद कर दिया जाता है ताकि श्रद्धालु नाव लेकर संगम ना पहुंच पाए और श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
सीएम योगी ने दी संगम नोज जाने से बचने की सलाह
यही वजह है कि मौनी अमावस्या के दिन हे हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे संगम नोज जाने से बचें और अपने निकटतम घाटों पर ही स्नान करें। सीएम योगी ने कहा कि मेला क्षेत्र में स्नान के लिए कई घाट बनाए गए हैं। इसलिए किसी भी एक स्थान पर अधिक भीड़ इकट्ठा करने से बचा जाए। उन्होंने प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
Jan 29 2025, 14:03