/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz गृह मंत्री अमित शाह ने महाकुंभ में लगाई पवित्र डुबकी, सीएम योगी रहे मौजूद India
गृह मंत्री अमित शाह ने महाकुंभ में लगाई पवित्र डुबकी, सीएम योगी रहे मौजूद

#amit_shah_mahakumbh

गृह मंत्री अमित शाह प्रयागराज पहुंचे हैं। अमित शाह ने सोमवार को महाकुंभ पहुंचकर संगम में डुबकी लगाई। इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदि‍त्‍यनाथ भी मौजूद रहे। साथ ही कई संत पवित्र स्नान में गृह मंत्री के साथ मौजूद रहे।

इससे पहले अमित शाह अपने परिवार के साथ धर्म नगरी पहुंचे। अमित शाह ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, कुंभ समरसता पर आधारित हमारे सनातन जीवन-दर्शन को दर्शाता है। आज धर्म नगरी प्रयागराज में एकता और अखंडता के इस महापर्व में संगम स्नान करने और संतजनों का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक हूं। प्रयागराज पहुंचने पर उनका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कैबिनेट ने फूल देकर भव्य स्वागत किया।

बता दें, दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ में भाग लेने के लिए त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी है। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार, 26 जनवरी 2025 तक 13.21 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। यह आंकड़ा लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है।

गृहमंत्री संगम स्नान एवं पूजन के साथ अक्षयवट एवं बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन करेंगे। इसके बाद वह सभी शंकराचार्य से मिलेंगे। इनके अलावा शरणानंदजी महाराज, गोविंद गिरि महाराज तथा अन्य संतों से भेंट करेंगे। जगन्नाथ ट्रस्ट शिविर में संतों संग वह भोजन करेंगे। शाम को करीब 6:50 बजे वह बमरौली एयरपोर्ट से दिल्ली रवाना होंगे।

इस छोटे से देश ने सबसे ताकतवर देश को ललकारा, अमेरिका की प्रवासी उड़ानों को रोका, टैरिफ का ऐलान

#colombiadeportationflights_rejection

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार संभालते ही कई कड़े फैसले लिए, जिनमें प्रवासी और टैरिफ बढ़ाना सबसे विवादास्पद फैसले रहे हैं। ट्रंप के बयानों के बाद कनाडा और मेक्सिको से तनाव तो बढ़ा, लेकिन ये दोनों देश अमेरिका के खिलाफ कोई एक्शन लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं। ट्रंप के इन कदमों का जवाब छोटे से देश कोलंबिया ने दिया है।दक्षिणी अमेरिकी देश कोलंबिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फरमान मानने से इनकार कर दिया है। मामला अवैध प्रवासियों के विमानों को अपने देश में लैंड करने देने का है। कोलंबिया की सरकार ने प्रवासियों को लाने वाली दो उड़ानों को अस्वीकार कर दिया है। यही नहीं, अमेरिकी सामानों पर कोलंबियाई टैरिफ में 25 फीसदी की वृद्धि की घोषणा की।

कोलंबिया ने निर्वासित अप्रवासियों से भरे दो अमेरिकी विमानों को लौटाया

अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को लेकर एक्शन शुरू कर दिया है। ट्रंप ने अमेरिका में रह रहे कोलंबियाई नागरिकों को दो विमानों में भरकर कोलंबिया भेज दिया, लेकिन कोलंबिया ने इन विमानों को लैंडिंग की इजाजत नहीं दी। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को लेकर आ रही उड़ानों को हवाई रास्ता देने से इनकार करते हुए अपने देश में आने से रोक दिया है। पेट्रो ने रविवार को अमेरिका में कोलंबियाई प्रवासियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक अमेरिका प्रवासियों के सम्मानजनक व्यवहार का प्रोटोकॉल नहीं बनाता है, तब तक कोलंबियाई प्रवासियों को लाने वाले अमेरिकी विमानों को देश में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी।

कोलंबिया ने अमेरिकी सैन्य विमानों को वापस भेजा

कोलंबिया के वामपंथी राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने एक्स पर लिखा, 'अमेरिका कोलंबियाई प्रवासियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं कर सकता। मैं कोलंबियाई प्रवासियों को ला रहे अमेरिकी विमानों को हमारे क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक रहा हूं। इन विमानों को तभी स्वीकार किया जाएगा, जब वॉशिंगटन प्रवासियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने वाला एक प्रोटोकॉल बनाएगा।' पेट्रो ने एक और पोस्ट में बताया कि उन्होंने कोलंबियाई प्रवासियों के साथ आ रहे अमेरिकी सैन्य विमानों को वापस भेजा है।

कोलंबिया की कार्रवाई से भड़का यूएस

कोलंबिया द्वारा विमानों की लैंडिंग की इजाजत नहीं दिए जाने से नाराज ट्रंप ने कोलंबियाई अधिकारियों के वीजा को रद्द करने और तत्काल ट्रैवन बैन लगाने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोलंबिया के सत्ताधारी दल के सभी सदस्यों और समर्थकों पर भी वीजा प्रतिबंध लगा दिया। इस कार्रवाई के बाद ट्रंप ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है। हम कोलंबिया की सरकार के द्वारा नियमों के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि 25 फीसदी टैरिफ को अगले हफ्ते से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा।

मेरा DNA भी भारतीय...', इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने ऐसा क्यों कहा?

#indonesian_president_prawobo_subianto_says_i_have_indian_dna

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोओ सुबिअंतो का भारत दौरा खत्म हो चुका है और वह मलेशिया पहुँच चुके हैं। हालांकि, अभी उनके भारत दौरे की चर्चा खत्म नहीं हुई है।इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो गणतंत्र दिवस पर इस बार भारत के मुख्य अतिथि थे। रविवार को वो कर्तव्य पथ पर परेड के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ शरीक भी हुए और उन्होंने परेड में शामिल इंडोनेशिया सेना के दल की सलामी भी ली। गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर शनिवार शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर से डिनर का आयोजन किया गया था। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो के साथ इस भोज में इंडोनेशिया का एक प्रतिनिधिमंडल भी पहुंचा था। डिनर में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने एक ऐसी बात कही जिसकी खासी चर्चा हो रही है।

राष्ट्रपति मुर्मू की ओर से आयोजित रात्रिभोज में, सुबियांटो ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि हाल ही में हुए डीएनए टेस्ट से पता चला है कि उनमें भारतीय वंश है। उन्होंने मजाक में कहा, 'कुछ हफ़्ते पहले, मैंने अपना जेनेटिक सीक्वेंसिंग टेस्ट और अपना डीएनए टेस्ट करवाया, जिससे पता चला कि मेरे पास भारतीय डीएनए है। सब जानते हैं कि जब मैं भारतीय संगीत सुनता हूं, तो मैं नाचने लगता हूं। यह मेरे भारतीय जीन का हिस्सा होगा।' इस बात पर प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी मेहमान हंसी में डूब गए।

इस बयान से पहले सुबियांटो ने दोनों देशों के बीच स्थायी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की बात की। उन्होंने दोनों देशों के बीच साझा विरासत पर जोर देते हुए कहा, हमारी भाषा का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा संस्कृत से आता है। कई इंडोनेशियाई नाम संस्कृत में हैं। हमारे दैनिक जीवन में, प्राचीन भारतीय सभ्यता का प्रभाव बहुत मजबूत है।

प्रबोवो सुबियांतो ने पीएम मोदी के नेतृत्व को प्रेरणादायक बताते हुए उनकी प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा, मुझे भारत आकर बहुत गर्व हो रहा है। मैं एक पेशेवर राजनीतिज्ञ नहीं हूं, मैं एक अच्छा राजनयिक नहीं हूं, मैं वही कहता हूं जो मेरे दिल में है। मैं यहाँ कुछ दिनों के लिए आया था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और प्रतिबद्धताओं से बहुत कुछ सीखा।

वहीं सुबिअंतो से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपना वक्तव्य दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और इंडोनेशिया के बीच सभ्यतागत संबंध हज़ारों साल पुराने हैं। उन्होंने कहा, दोनों देशों के लिए बहुलतावाद, समावेशिता और क़ानून के शासन के मूल्य समान हैं और ये साझा मूल्य हमारे समकालीन संबंधों को दिशा देते हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों के लिए 'बाली जात्रा' पर्व का उदाहरण दिया. प्राचीन काल में भारत के नाविक और व्यापारी बाली और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दूसरी जगहों की यात्रा करते थे और इसी से बाली जात्रा पर्व मनाना शुरू हुआ। आज भी कार्तिक पूर्णिमा के मौक़े पर ओडिशा के कटक में ये पर्व मनाया जाता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने हिंद-प्रशांत की परिकल्पना और भारत की 'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी में इंडोनेशिया को एक अहम स्तंभ बताया।

महाकुंभ में आज पहुंचेंगे अमित शाह, लगाएंगे आस्था की डुबकी, सीएम योगी भी होंगे साथ

#homeministeramitshahwilltakesangambathtoday

144 साल बाद लगे महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। अब तक करोड़ों भक्त स्नान कर चुके हैं।आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाएंगे गृहमंत्री अमित शाह आज करीब साढ़े सात घंटे महाकुंभ नगर में रहेंगे। उनके साथ मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गंगा स्नान किया था।

गृहमंत्री संगम स्नान एवं पूजन के साथ अक्षयवट एवं बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन करेंगे। इसके बाद वह सभी शंकराचार्य से मिलेंगे। इनके अलावा शरणानंदजी महाराज, गोविंद गिरि महाराज तथा अन्य संतों से भेंट करेंगे। जगन्नाथ ट्रस्ट शिविर में संतों संग वह भोजन करेंगे। शाम को करीब 6:50 बजे वह बमरौली एयरपोर्ट से दिल्ली रवाना होंगे।

कुंभ सद्भाव और एकता का संदेश देता है-शाह

हाल ही में गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने कहा था कि 144 साल में एक बार ऐसा महाकुंभ का अवसर मिला है। हर किसी को इसमें जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं अपने जीवन में 9 बार कुंभ में गया हूं, अर्धकुंभ भी देखा है। उन्होंने कहा कि कुंभ सद्भाव और एकता का संदेश देता है। शाह ने गुजरात के लोगों खासकर युवा पीढ़ी से महाकुंभ में आने का भी आग्रह किया था। शाह ने कहा कि कुंभ सद्भाव और एकता का संदेश देता है क्योंकि इसमें यह नहीं पूछा जाता आप किस धर्म, संप्रदाय या जाति से हैं। बिना किसी भेदभाव के भोजन मिलता है। दुनिया में कोई भी आयोजन सद्भाव और एकता के मामले में महाकुंभ जितना शक्तिशाली संदेश नहीं देता। महाकुंभ में कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान की परवाह किए बिना गंगा में स्नान कर सकता है।

शाह के साथ सीएम योगी भी रहेंगे मौजूद

अमित शाह के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। वह अमित शाह के साथ संगम नोज, बड़े हनुमान जी मंदिर एवं अक्षयवट का दर्शन करेंगे। सीएम योगी, गृहमंत्री के साथ जूना अखाड़ा भी जाएंगे। इसके बाद उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मानव उत्थान सेवा समिति के शिविर का उद्घाटन करेंगे।

केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू भी महाकुंभ में लगाएंगे डुबकी

केंद्रीय गृहमंत्री के अलावा केंद्रीय संसदीय और अल्पसंख्यक मामले के मंत्री किरन रिजिजू भी प्रयागराज आएंगे। वह दोपहर करीब 2.40 बजे प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करेंगे। इसके बाद गंगा पूजन करेंगे। शाम करीब 4.30 बजे वह सेक्टर-8 में स्थित बुद्ध संगम शिविर जाएंगे और उसके बाद विश्व हिंदू परिषद के शिविर में बुद्ध सम्मेलन में शिरकत करेंगे।

उत्तराखंड में आज लागू होगा यूसीसी, शादी- तलाक से वसीयत तक...जानें क्या-क्या बदल जाएगा

#uttarakhand_will_today_enforce_uniform_civil_code

उत्तराखंड में आज से बहुचर्चित कानून यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी लागू हो रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कहा कि प्रदेश में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी जाएगी। उत्तराखंड भारत का पहला राज्य होगा, जहां यह कानून प्रभावी होगा। यूसीसी के लागू होते ही कई सारी चीजें आज से ही बदलने जा रही हैं। राज्य सरकार ने इसे लागू करने से इसके प्रति लोगों को जागरूक भी किया है। यूसीसी का एक पोर्टल भी आज लॉन्च किया जाएगा। आपको बता दें कि यूसीसी के नियम लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली थी। लोगों से विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी। इसके लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाई गई थी। बीते दिनों कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली पर अपनी सहमति जताई थी।

उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करना 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के प्रमुख वादों में से एक था। मार्च में दोबारा सीएम पद संभालते ही सीएम धामी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूसीसी प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन पर मुहर लगा दी गई थी।

समान नागरिक संहिता के लिए 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी थी। इसके बाद आठ मार्च 2024 को विधानसभा में विधेयक पारित किया गया। विधानसभा से पास होने के बाद इस इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया। यहां से 12 मार्च 2024 को इस अधिनियम पर राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल गया। इसके बाद यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए तकनीक आधारित व्यवस्थाएं लागू की गईं। नागरिकों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किए गए। बीती 20 जनवरी को यूसीसी की नियमावली को अंतिम रूप देकर कैबिनेट ने इसे पास कर दिया। बीते कई दिनों से इसके पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को लेकर विभिन्न स्तरों पर मॉक ड्रिल भी चल रही थी। शुक्रवार को हुई मॉक ड्रिल में पहले आई समस्याओं को दूर कर लिया गया। अब यह पोर्टल आम नागरिकों और अधिकारियों के प्रयोग के लिए पूरी तरह से तैयार है।

उत्तराखंड में यूसीसी से क्या क्या बदलाव होगा -

• सभी धर्म समुदायों में विवाह तलाक,गुजारा भत्ता और विरासत के लिए समान कानून अब होंगे शादियों का रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य होगा।

• विवाह के छह महीने के भीतर पंजीकरण कराना जरूरी होगा। 26 मार्च 2010 से पहले की शादियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं होगा। पंजीकरण न कराने पर अधिकतम पच्चीस हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पंजीकरण नहीं कराने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।

• महिलाओं को भी पुरुषों के समान तलाक का अधिकार होगा। संपत्ति में बेटा बेटी को बराबर का अधिकार मिलेगा जायज और नाजायज बच्चों में भी कोई भेद नहीं होगा।

• किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय के शख्स के लिए तलाक का एक समान कानून लागू होगा। फिलहाल देश में हर धर्म के हिसाब इन मामलों का निपटारा किया जाता है।

• अब से उत्तराखंड में बुहविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति या धर्म की हों, एक समान होगी. लड़कियों की शादी की 18 साल का होना जरूरी है।

• यूसीसी के लागू होने के उत्तराखंड में हलाला जैसी प्रथा भी बंद होने जा रही है। साथ ही उत्तराधिकार के लिए अब से लड़कियों को लड़कों के बराबर ही माना जाएगा।

• लिव इन रिलेशनशिप का रिजस्ट्रेशन कराना कपल के लिए अनिवार्य होगा। अगर कोई कपल 18 से 21 साल के बीच के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने माता-पिता का सहमति पत्र भी देना होगा।

• यूसीसी के नियम और कानून से शेड्यूल ट्राइब को पूरी तरह से बाहर रखा गया है। इसके अलावा ट्रांसजेंडर और धार्मिक मामलों जैसे कि पूजा नियम व परंपराओं से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है।

अरविंद केजरीवाल का बड़ा ऐलान, कहा- AAP की सरकार बनी तो मनीष सिसोदिया ही होंगे डिप्टी सीएम

डेस्क: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार (26 जनवरी) को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो मनीष सिसोदिया ही डिप्टी सीएम होंगे। जंगपुरा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने ये बड़ी बात कही है।

वहीं, जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से आप उम्मीदवार मनीष सिसोदिया ने कहा कि, ''लोग अरविंद केजरीवाल को दोबारा सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। मैं जंगपुरा के लोगों से आग्रह करना चाहता हूं कि अब जब पूरी दिल्ली अरविंद केजरीवाल को चुन रही है, तो उन्हें मुझे भी चुनना चाहिए ताकि मैं शिक्षा पर और अधिक काम कर सकता हूं और अरविंद केजरीवाल के दृष्टिकोण के साथ मिलकर काम कर सकता हूं। मैं जंगपुरा की बेहतरी के लिए काम करूंगा।''

जंगपुरा में चुनावी सभा में अरविंद केजरीवाल ने कहा "पिछली बार आठ विधानसभा में बीजेपी के विधायक जीते। उन्होंने अपने यहां कोई काम नहीं होने दिया। आठों ने अपनी विधानसभा नर्क बना दी। आप लोग ऐसी गलती भूलकर भी मत करना। जंगपुरा से आप लोग डिप्टी सीएम के रूप में मनीष सिसोदिया जी को चुनकर विधानसभा भेज देना।” वहीं, सिसोदिया ने कहा “जंगपुरा से मेरे जीतने पर यहां का एक-एक भाई और बहन डिप्टी सीएम बनेगा। यहां के लोगों का काम रोकने किसी की हिम्मत नहीं होगी।”

जंगपुरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, "जिस-जिस को जीरो बिजली का बिल चाहिए, वे आम आदमी पार्टी को वोट दें और जिसको महंगी बिजली का बिल चाहिए वे भाजपा को वोट दें। भाजपा ने घोषणा कर दिया है कि अगर उनकी सरकार आई तो वे जीरो बिजली के बिल, बिजली पर सब्सिडी बंद कर देंगे। वे मुफ्त बिजली के खिलाफ हैं।"

26 जनवरी को पुलवामा के त्राल चौक पर रचा गया इतिहास, पहली बार फहराया गया राष्ट्रीय ध्वज

डेस्क: भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर जम्मू -कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल चौक पर इतिहास रचा गया। जब पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया। ध्वज को एक बुजुर्ग, एक युवा और एक बच्चे ने संयुक्त रूप से फहराया, जो पीढ़ियों की एकता और राष्ट्र के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

इस कार्यक्रम में 1,000 से अधिक लोग शामिल हुए, जिनमें से अधिकांश उत्साही युवा थे। पूरे शहर में भारत माता की जय के नारे और देशभक्ति के गीत गूंजे, जिससे गर्व और एकता का माहौल बना। इस महत्वपूर्ण अवसर ने त्राल के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को चिह्नित किया, जो अशांति के लिए जाना जाता है, क्योंकि यह शांति, प्रगति और राष्ट्रीय एकीकरण को गले लगाता है।

राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की कड़ी सुरक्षा के बीच आयोजित यह समारोह शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ, जो स्थानीय समुदायों और सुरक्षा बलों के बीच सहयोग को दर्शाता है। सभी क्षेत्रों के लोगों द्वारा तिरंगा लहराना त्राल के परिवर्तन और सद्भाव और विकास की आकांक्षाओं का प्रमाण था।

युवाओं की भागीदारी ने लोकतंत्र के आदर्शों में निहित एक उज्जवल, एकीकृत भविष्य की उनकी इच्छा को रेखांकित किया। बर्फ से ढके पहाड़ों की पृष्ठभूमि में गर्व से लहराता तिरंगा शांति, प्रगति और भारतीय संविधान में निहित मूल्यों के प्रति इसके नए समर्पण की ओर त्राल की यात्रा का प्रतीक बन गया। इस गणतंत्र दिवस पर त्राल एकता और आशा की किरण के रूप में 'नया कश्मीर' का प्रदर्शन करते हुए खड़ा था।

बांग्लादेश पर डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा एक्शन, ढाका को दी जाने वाली सभी मदद तत्काल प्रभाव से बंद

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन लिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी तरह की मदद को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। ट्र्ंप के कार्यकारी आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है।

इस आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली मदद रोकने के साथ ही सभी प्रकार के प्रोजेक्ट पर भी स्टे लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश में चल रहे सभी कार्यों को भी तत्काल प्रभाव से रोका जा रहा है। USAID ने एक पत्र जारी करके यह जानकारी दी है। इसमें अनुदान, अनुबंध समेत सभी तरह के सहायता कार्यक्रम को तत्काल रोकने की बात कही गई है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुर्म का मुद्दा उठाया था और ट्रंप प्रशासन से बांग्लादेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके कुछ ही दिनों में अमेरिका ने बांग्लादेश के खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई की है।

हालांकि यूएसएस ने बांग्लादेश के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई वजह नहीं बताई है। मगर ट्रंप का यह फैसला बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यूएसएड अमेरिकी एजेंसी है। जो विभिन्न देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आपता और मानवीय सहायता जैसे मद में अरबों डॉलर की सहायता देती है। अमेरिका के इस कदम से बांग्लादेश को बड़ा झटका लगा है।

कैसे और कौन तय करता है गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि, हम किन देशों को महत्व देते रहे हैं, अबकी बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ही क्यों बने मेहमान?

डेस्क: भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। भारत ने इस बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को मुख्य अतिथि के तौर पर न्योता भेजा है। पिछले साल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि रहे थे। इससे पहले 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी हमारे मुख्य अतिथि थे। 

आइये जानते हैं कि गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के चयन की प्रक्रिया क्या है? इसमें मुख्य अतिथियों को बुलाने की शुरुआत कब हुई? अब तक कितने राष्ट्राध्यक्षों को न्योता दिया गया है? अबकी बार फ्रांस के राष्ट्रपति क्यों आमंत्रित किए गए? 

यह प्रक्रिया आयोजन से करीब छह महीने पहले शुरू हो जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विदेश मंत्रालय शामिल रहता है। किसी भी देश को निमंत्रण देने के लिए सबसे पहले यह है देखा जाता है कि भारत और संबंधित अन्य राष्ट्र के बीच मौजूदा संबंध कितने अच्छे हैं। इसका निर्णय देश के राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य और वाणिज्यिक हितों को भी केंद्र में रख कर लिया जाता है।

पहले विदेश मंत्रालय संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करता है और फिर इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है। इसके बाद संबंधित मुख्य अतिथि की उपलब्धता देखी जाती है। अगर उनकी उपलब्ध हैं तो भारत आमंत्रित देश के साथ आधिकारिक संचार करता है।

26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह से ही इसमें मुख्य अतिथियों को आमंत्रित करने की शुरुआत हुई थी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे। 

इतिहास की तरफ देखें तो 1950-1970 के दशक के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन और पूर्वी ब्लॉक से जुड़े कई देशों को अतिथि बनाया। दो बार 1968 और 1974 में ऐसा हुआ जब भारत ने एक ही गणतंत्र दिवस पर दो देशों देशों के मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया गया।

11 जनवरी 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस से केवल दो दिन पहले यानी 24 जनवरी 1966 को शपथ ली थी।

2021 और 2022 में भी भारत में कोरोना महामारी के कारण कोई मुख्य अतिथि नहीं था।

भारत ने सबसे ज्यादा 36 एशिया एशिआई देशों को समारोह में अतिथि बनाया है। इसके बाद यूरोप के 24 देश और अफ्रीका के 12 देश गणतंत्र दिवस में हमारे मेहमान बने हैं। वहीं दक्षिण अमेरिका के पांच देश, उत्तरी अमेरिका के तीन और ओशिनिया क्षेत्र के एकलौते देश का भारत ने आतिथ्य किया है।

गणतंत्र दिवस में अतिथि देश क्यों जरूरी होता है?

गणतंत्र दिवस समारोह में कई आकर्षण के केंद्र होते हैं लेकिन कूटनीतिक दृष्टि से इसमें शामिल होने वाले प्रमुख अतिथि पर भी सबकी नजरें होती हैं। 

भारत के गणतांत्रिक देश बनने के साथ ही इस समारोह में मुख्य अतिथि को बुलाने की परंपरा रही है। भारत प्रति वर्ष नई दिल्ली में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सम्माननीय राजकीय अतिथि के रूप में किसी अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार के प्रमुख को निमंत्रण देता है। 

अतिथि देश का चयन रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक हितों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद ही किया जाता है। यूं कहें कि गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि का निमंत्रण भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच मैत्रीपूर्ण सबंधों की मिशाल माना जाता है।

राष्ट्रपति के तौर पर प्रबोवो सुबियांतो का यह पहला भारत दौरा होगा। हालांकि, भारत के गणतंत्र दिवस के इतिहास में वे इंडोनेशिया के चौथे राष्ट्रपति हैं, जो मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आ रहे हैं। भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के ही राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के मुख्य अतिथि थे। 

भारत के विदेश मंत्रालय ने सुबियांतो को न्योता भेजने के पीछे की वजह के साथ इंडोनेशिया के साथ अपने बेहतर होते रिश्तों का भी जिक्र कर दिया। MEA ने कहा, "भारत और इंडोनेशिया शताब्दियों से एक-दूसरे से गहरे और दोस्ताना रिश्ते साझा कर रहे हैं। इंडोनेशिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की हमारे दृष्टि का अहम स्तंभ रहा है।"

विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रबोवो सुबियांतो का दौरा हमारे नेताओं को द्विपक्षीय रिश्तों की विस्तृत समीक्षा का मौका देगा। इसके साथ ही हमें आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को सुलझाने का मौका देगा। 

भारत और इंडोनेशिया के बीच बीती करीब दो शताब्दियों से करीबी सांस्कृतिक और वाणिज्यिक रिश्ते रहे हैं। हिंदुत्व, बौद्ध धर्म और इस्लाम भारत के तटीय क्षेत्रों से ही इंडोनेशिया पहुंचे। इंडोनेशिया की लोक कला, संस्कृति और नाट्यों में भारत के महाग्रंथों- रामायाण और महाभारत की झलक देखने को मिलती है। इसके अलावा औपनिवेशक इतिहास और स्वतंत्रता के बाद राजनीतिक स्वायत्तता, आर्थिक स्व-निर्भरता और स्वतंत्र विदेश नीति के लक्ष्य दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को गहरा करने में अहम रहे हैं। 

भारत और इंडोनेशिया कई एशियाई और अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने वाले प्रमुख देशों में शामिल रहे हैं। इसी साझा आवाज ने 1955 में बांदुंग कॉन्फ्रेंस और 1961 में गुट निरपेश आंदोलन (नॉन एलाइन्ड मूवमेंट) की नींव रखी। 

भारत की तरफ से 1991 में लुक ईस्ट नीति ने 2014 में एक्ट ईस्ट नीति का रूप लिया। तब से लेकर अब तक दोनों देशों के बीच राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय रिश्ते तेजी से बढ़े हैं। दोनों देशों ने एक साल के अंतर (2022 और 2023 में) पर जी20 की अध्यक्षता भी की है।  

आसियान क्षेत्र में इंडोनेशिया, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 38.5 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो कि 2021-22 के मुकाबले 48 फीसदी ज्यादा था। जहां भारत की तरफ से निर्यात 10.02 अरब डॉलर का रहा था, वहीं आयात करीब 28.82 अरब डॉलर का रहा था।

बजट 2025: आम आदमी की पांच चिंताएँ जिन पर निर्मला सीतारमण को ध्यान देने की जरूरत है

भारत 2025 के केंद्रीय बजट की तैयारियों में है, और अपेक्षाएँ ऊँची हैं। आम आदमी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, यह देख रहा है कि सरकार आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए क्या कदम उठाती है। जबकि सुधार की कई दिशा हैं, कुछ महत्वपूर्ण चिंताएँ हैं जिन पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

1. महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत

आवश्यक वस्तुओं जैसे खाद्य, ईंधन और स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की ज़िन्दगी को कठिन बना दिया है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयासों के बावजूद, आम आदमी महंगाई का दबाव महसूस कर रहा है। 2025 में, महंगाई को नियंत्रित करने और दैनिक आवश्यकताओं की लागत को कम करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

बजट में खाद्य, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुओं पर अप्रत्यक्ष करों को कम करने के उपायों पर विचार किया जा सकता है। इसके साथ ही कृषि उत्पादन बढ़ाने और वितरण व्यवस्था को सुधारने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। महंगाई पर काबू पाना आगामी बजट का एक प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए, ताकि नागरिकों की क्रयशक्ति की रक्षा की जा सके, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए।

2. कर सुधार और मध्यवर्गीय राहत

मध्यवर्गीय करदाताओं ने महंगाई और स्थिर आय वृद्धि के बीच लंबे समय से करों में राहत की माँग की है। हालांकि पिछले बजटों में कर स्लैब में संशोधन किया गया है, फिर भी अधिकांश लोग जटिल कर व्यवस्था से बोझिल महसूस करते हैं।

बजट 2025 में सरकार को वेतनभोगी व्यक्तियों पर कर भार को कम करने के लिए कर स्लैब को फिर से संशोधित करने या अधिक कर छूट देने पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही कर दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना भी स्वागत योग्य कदम होगा। निम्न आय वर्ग और मध्यवर्गीय कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान इस बात को साबित करेंगे कि सरकार उनके कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध है।

3. बेरोजगारी और नौकरी सृजन

बेरोजगारी भारत में एक निरंतर समस्या रही है, और हर साल लाखों युवा भारतीय रोजगार के अवसरों की तलाश में बाजार में आते हैं। जबकि भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, नौकरी सृजन की दर धीमी रही है, और कई लोग अर्ध-रोजगार या अपने योग्यता के अनुरूप कार्य पाने में असमर्थ हैं।

आगामी बजट को इस चिंता को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, जैसे कि उन उद्योगों को बढ़ावा देना जो स्थायी नौकरियाँ पैदा कर सकते हैं। कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश, तकनीकी क्षेत्रों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवीकरणीय ऊर्जा, और छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है। इससे न केवल बेरोजगारी की समस्या हल होगी, बल्कि समावेशी आर्थिक विकास भी होगा।

4. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सस्ती उपलब्धता

आज नागरिकों के सामने एक और महत्वपूर्ण समस्या गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच है। कोविड-19 महामारी ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की सीमाओं को उजागर किया, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। हालांकि सरकार ने कई पहल की हैं, फिर भी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और सस्ती चिकित्सा सुविधाएं अभी भी चिंता का विषय हैं।

बजट को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में बढ़ी हुई धनराशि का आवंटन करने पर विचार करना चाहिए, जिसमें ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार और सस्ती दवाओं की उपलब्धता शामिल हो। इसके साथ ही, सरकार को आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के दायरे का विस्तार करने पर विचार करना चाहिए, ताकि सभी वर्गों को स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो सकें और आम आदमी की जमा पूंजी स्वास्थ्य खर्चों में न डूबे।

5. पेंशन सुरक्षा और सामाजिक कल्याण

जनसंख्या में वृद्ध होने के साथ, पेंशन योजनाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गई है। भारत में वृद्ध जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, और सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह वृद्धावस्था में वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत पेंशन योजनाओं का निर्माण करे। वर्तमान में, कई वृद्ध नागरिक अपने बच्चों पर निर्भर होते हैं या अपनी जमा पूंजी समाप्त करने पर मजबूर होते हैं।

बजट को पेंशन योजनाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए संसाधन आवंटित करने चाहिए। असंगठित क्षेत्र के लिए लचीली और सस्ती पेंशन योजनाओं की शुरुआत, और वृद्ध नागरिकों के लिए बेहतर कल्याण योजनाओं का निर्माण, वृद्ध जनसंख्या के लिए दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, इन योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को उनके भविष्य के लिए बचत करने के लिए प्रेरित करना भी जरूरी होगा।

केंद्रीय बजट 2025 सरकार के लिए आम आदमी के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित करने का एक अवसर है। महंगाई, कर सुधार, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, और पेंशन सुरक्षा जैसी पाँच महत्वपूर्ण चिंताओं का समाधान करके, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि भारतीय नागरिकों की आकांक्षाएँ पूरी हों। जबकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, बजट को समावेशी और दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि सभी के लिए एक समान और स्थिर भविष्य का निर्माण किया जा सके।