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गुरुग्राम: सुसाइड के बाद RJ सिमरन का पहला इंटरव्यू वायरल, किस सीक्रेट का किया था जिक्र

गुरुग्राम (Gurugram) में रेडियो जॉकी सिमरन सुसाइड केस (RJ Simran Suicide Case) से पूरा देश सन्न है. हर कोई हैरान है कि आखिर ऐसा भी क्या हुआ कि सिमरन ने अपनी जान ही दे दी. पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है. सिमरन की पहली नौकरी रेडियो मिर्ची में साल 2021 में लगी थी. उन्होंने जिंदगी का पहला शो होस्ट करते ही एक इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू में सिमरन ने क्या-क्या बताया था चलिए जानते हैं…

RJ सिमरन का पहला इंटरव्यू सामने आया है, जो उन्होंने रेडियो मिर्ची पर पहली बार शो होस्ट करने के बाद दिया था. इस इंटरव्यू में सिमरन काफी खुश दिखीं. उन्होंने बताया कि कैसे वो रेडियो जॉकी बनीं. पहले शो से पहले उन्हें क्या-क्या सीखना पड़ा. साथ ही आगे की प्लानिंग भी उन्होंने इस इंटरव्यू में बताई थी. यह इंटरव्यू सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है.

अपने पहले इंटरव्यू में सिमरन ने कहा- जम्मू के सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पास आउट होते ही एक हफ्ते बाद मेरी रेडियो मिर्ची में नौकरी लगी. मैं शुरुआत से ही रेडियो जॉकी बनना चाहती थी. फैमिली का फुल सपोर्ट मिला. जैसे ही मुझे रेडियो मिर्ची का ऑफर लेटर मिला पापा-मम्मी को बहुत गर्व महसूस हुआ. पहले मुझे लगता था कि रेडियो जॉकी बनना कौन सा मुश्किल काम है. लेकिन जब मैंने ज्वाइनिंग और यहां काम देखा तब पता चला कि इसमें बहुत मेहनत होती है.

हमें यहां राइटिंग भी करनी होती है और सॉफ्टवेयर चलाना भी सीखना होता है. मैंने एक से दो महीने तक ट्रेनिंग ली. फिर उसके बाद पहला शो होस्ट किया. मैंने पहले सोचा था कि RJ ही बनूंगी. लेकिन मेरा प्लान बी भी है. मैं रेडियो जॉकी के अलावा और भी काम करूंगी. इंटरव्यू के दौरान सिमरन ने शो को लेकर कहा था- गेम्स, एंटरटेनमेंट और फन चिट चैट्स सब कुछ अपने दर्शकों को डिलीवर करूंगी.

सिमरन का मिर्ची शो

सोमवार से शनिवार सिमरन का ‘मिर्ची सिमरन’ शो आता था. जो कि काफी फेमस हुआ था. पहले इस शो को RJ श्तेतिमा होस्ट करती थीं, जो सिमरन की सबसे पसंदीदा रेडियो जॉकी थीं. उन्होंने ही सिमरन का जॉब के लिए इंटरव्यू लिया था. बाद में सिमरन इस शो की होस्ट बनीं. सिमरन ने RJ श्तेतिमा के अंडर कुछ साल काम किया. फिर वो जम्मू छोड़कर गुरुग्राम आ गईं. यहां उन्होंने दोस्तों के साथ गुरुग्राम के सेक्टर-47 में एक कोठी किराए पर ली. फिर यहीं रहकर वो फ्रीलांसिंग का काम करने लगीं.

इंस्टाग्राम पर 7 लाख फॉलोअर्स

छोटी सी उम्र में ही सिमरन काफी फेमस हो गई थीं. उनकी आवाज का जादू ऐसा था कि लोग उन्हें जम्मू की धड़कन भी कहते थे. वो सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर थी. इंस्टाग्राम पर उनके 7 लाख फॉलोअर्स (rjsimransingh) हैं. सिमरन ने इंस्टाग्राम पर आखिरी पोस्ट 13 दिसंबर को डाली थी. इस पोस्ट को शेयर कर सिमरन ने लिखा था- अंतहीन खिलखिलाहट और अपने गाउन के साथ समुद्र तट पर बस एक लड़की. सिमरन के हर पोस्ट पर लाखों व्यूज और लाइक्स आते थे. उन्हें मिर्ची सिमरन के अलावा जम्मू की धड़कन और आवाज की जादूगर के नाम से भी जाना जाता था.

मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म में काम करने से अनुपम खेर ने क्यों किया था इनकार? जानें अनुपम खेर का बड़ा खुलासा

27 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया, उन्होंने 92 साल की उम्र में दिल्ली एम्स अस्पताल में आखिरी सांसें लीं. इस खबर को सुनने के बाद ही हर तरफ शोक का माहौल हो गया. मनमोहन सिंह की डेथ की खबर पर कई बड़े नेता, कई सितारों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और अब अनुपम खेर ने भी उनके निधन के बाद एक वीडियो पोस्ट करके दुख जताया है. अनुपम खेर ने साल 2019 में मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में उनकी भूमिका निभाई थी.

अनुपम खेर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी एक वीडियो पोस्ट की जिसके साथ उन्होंने लिखा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ, फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के लिए एक साल से भी ज्यादा वक्त तक उनके बारे में पढ़ने के बाद, मुझे लगा कि मैंने उनके साथ वाकई बहुत समय बिताया है. वे स्वभाव से ही एक अच्छे इंसान थे. पर्सनली तौर से वो पूरी तरह ईमानदार, महान इकोनॉमिस्ट और बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे. उन्होंने आगे लिखा कि कई लोग कह सकते हैं कि वो एक चालाक पॉलिटिशियन नहीं थे. उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं, ओम शांति.

पहले रोल करने से कर दिया था इनकार

एक्टर ने अपनी वीडियो में कहा कि मैं फिलहाल देश से बाहर हूं, लेकिन ये खबर सुनकर काफी दुखी हूं. कोई भी एक्टर अगर किसी की जिंदगी पर कोई फिल्म बनाता है तो उसके फिजिकल एस्पेक्ट को तो पढ़ता ही है, लेकिन उस किरदार को सच्चाई से निभाने के लिए उसके अंदर की चीजों पर भी ध्यान देता है. मैंने उनकी जिंदगी के साथ लगभग डेढ़ साल गुजारा है, डॉ मनमोहन सिंह बहुत अच्छे इंसान थे, वो विनम्र, दयालु, बुद्धि से तेज व्यक्ति थे. उन्होंने बताया कि जब मुझे ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ ऑफर हुई थी, तो पहले मैंने इस रोल को करने से मना कर दिया था, जिसमें से पॉलिटिकल वजह भी एक थी, मुझे लगा कि लोग कहेंगे कि शायद मैंने ये उनका मजाक बनाने के लिए किया है, हालांकि कुछ लोगों ने ऐसा कहा भी था.

बहुत ईमानदारी से निभाया था किरदार

अनुपम खेर ने फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा कि अगर मुझे अपनी पूरे फिल्मी करियर में किन्हीं 3,4 किरदारों को चुनना हो, जिसे मैंने पूरी सच्चाई और दिल से निभाया है, तो उसमें से एक किरदार मनमोहन सिंह का भी होगा. पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वो बहुत ही शानदार व्यक्ति थे, उनसे मेरी एक-दो बार ही मुलाकात हुई, जिसमें वो हमेशा मेरे साथ काफी अच्छी तरह से पेश आए और उन्होंने फिल्म की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि उनकी कार्यकाल में काफी सारी कॉन्ट्रोवर्सी रही है, लेकिन वो एक ईमानदार नेता थे. मनमोहन सिंह का रोल करना बहुत मुश्किल था. अनुपम खेर ने कहा कि उनसे जुड़े विषय विवादित रहे हैं, वो व्यक्ति नहीं. देश ने इस बहुत ईमानदार व्यक्ति और महान नेता को खोया है. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.

LAC पर गतिरोध खत्म करने को लेकर बनी रजामंदी के बाद क्या कर रही चीनी सेना, भारत ने भी दिया जवाब

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी विवाद थमता नजर आ रहा है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने कल गुरुवार को कहा कि भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को खत्म करने के लिए हुए समझौते को “व्यापक और प्रभावी ढंग से” लागू कर रही हैं और इस संबंध में “स्थिर प्रगति” हुई है. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भी इस मसले पर कहा कि वहां पर स्थिति “स्थिर” लेकिन “संवेदनशील” है.

चीनी रक्षा प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल झांग शियाओगांग (Zhang Xiaogang) ने 18 दिसंबर को विशेष प्रतिनिधियों के साथ हुई वार्ता पर एक सवाल का जवाब देते हुए बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “वर्तमान में, भारत और चीन की सेनाएं दोनों पक्षों के बीच बॉर्डर से संबंधित समाधानों को व्यापक और प्रभावी ढंग से लागू कर रही हैं और इस संबंध में स्थिर प्रगति हुई है.”

अक्टूबर में दोनों देशों में बनी सहमति

उन्होंने यह भी कहा कि हाल के दिनों में, दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण सहमति के आधार पर, भारत और चीन ने कूटनीतिक तथा सैन्य चैनलों के जरिए बॉर्डर की स्थिति पर करीबी संवाद बनाए रखा और बड़ी प्रगति हासिल की है.

एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मुलाकात की और समझौते के कार्यान्वयन तथा अप्रैल 2020 में आपसी गतिरोध शुरू होने के बाद ठंडे पड़े रिश्तों को बहाल करने को लेकर व्यापक स्तर पर बातचीत की. अक्टूबर में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS summit) के मौके पर रूस के कजान शहर में मुलाकात की और 21 अक्टूबर के समझौते को मंजूरी दी.

ठोस प्रयास करने को तैयारः कर्नल झांग

कर्नल झांग ने कहा कि भारत और चीन के संबंधों को सही रास्ते पर लाना दोनों देशों और दोनों लोगों के मौलिक हितों की पूर्ति करता है. उन्होंने आगे कहा, “चीनी सेना दोनों नेताओं के बीच बनी अहम सहमति को ईमानदारी से लागू करने, अधिक आदान-प्रदान, बातचीत करने और बॉर्डर क्षेत्र में संयुक्त रूप से स्थायी शांति तथा सद्भाव बनाए रखने के लिए भारत-चीन सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पक्ष के साथ ठोस प्रयास करने के लिए तैयार है.”

वहीं भारत की ओर से इस संबंध में सकारात्मक प्रतिक्रिया की गई है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर समग्र स्थिति “स्थिर” लेकिन “संवेदनशील” है, “समान और पारस्परिक सुरक्षा” के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए आपस में व्यापक तौर पर सहमति बनी है. मंत्रालय की ओर से यह बयान पूर्वी लद्दाख में पिछले दो टकराव बिंदुओं से भारतीय और चीनी सेनाओं के पीछे हटने के कुछ हफ्ते बाद दिया गया है.

LAC पर स्थिति स्थिर लेकिन संवेदनशीलः रक्षा मंत्रालय

साल के अंत में रिव्यू के दौरान रक्षा मंत्रालय ने 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों के बीच पीछे हटने को लेकर आपसी सहमति का उल्लेख किया और कहा कि देपसांग और डेमचोक में पारंपरिक क्षेत्रों में अब पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है. इसने कहा, “एलएसी पर कुल मिलाकर स्थिति स्थिर लेकिन संवेदनशील है.”

मंत्रालय ने कहा, “दोनों देशों के बीच डेपसांग और डेमचोक के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाना, उन्हें रिलोकेट करना और उसके बाद संयुक्त सत्यापन शामिल है. फिलहाल दोनों पक्षों की ओर से ब्लॉकिंग पोजिशन को हटा दिया गया है और संयुक्त सत्यापन का काम भी पूरा हो गया है. डेपसांग और डेमचोक में पारंपरिक गश्त वाले क्षेत्रों में पेट्रोलिंग भी शुरू हो चुकी है.” मंत्रालय ने कहा कि सेना ने एलएसी और नियंत्रण रेखा (LoC) सहित सभी सीमाओं पर स्थिरता और प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए परिचालन तैयारियों की उच्च स्थिति बनाए रखी है.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रीय शोक: जानें क्या रहेगा बंद और क्या रहेगा खुला

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है उन्होंने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद पूरे देश में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक हो गया है. ऐसे में हर किसी के मन में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या आज देशभर में छुट्टी है या बैंक और स्कूल बंद हैं?तो आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…

दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर कर्नाटक सरकार ने आज सभी स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में छुट्टी की घोषणा कर दी है. कर्नाटक में सरकारी छुट्टी की घोषणा के तुरंत बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा था कि क्या बाकि राज्यों में भी स्कूल और बैंक भी बंद रहेंगे?

किन राज्यों में है छुट्टी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी तरह तेलंगाना में आज छुट्टी रहेगी, रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने शुक्रवार को सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में भी छुट्टी रहेगी. इसलिए कर्नाटक और तेलंगाना में स्कूल और सरकारी कार्यालय आज बंद रहेंगे. दिल्ली में सीएम आतिशी ने अपने सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं.

सूत्रों का हवाला देते हुए इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया कि सभी सरकारी कार्यक्रम शुक्रवार को रद्द कर दिए जाएंगे और केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज सुबह 11 बजे बैठक होने की संभावना है.

बैंक बंद रहेंगे?

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में निधन हो गया है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के निधन की पुष्टि करते हुए एम्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “गहरे दुख के साथ, हम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के 92 वर्ष की आयु के निधन की सूचना दे रहे हैं. उनका उम्र से संबंधित चिकित्सा स्थितियों के लिए इलाज किया जा रहा था और 26 दिसंबर 2024 को घर पर अचानक उनकी चेतना चली गई.

उन्हें रात आठ बजकर छह मिनट पर एम्स में मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया था. तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री बनने की अनोखी कहानी: कैसे पांच दिग्गज नेताओं को पछाड़कर बने पीएम

तारीख 18 मई और साल था 2004. अटल बिहारी वाजपेई की सरकार को मात देकर कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनने जा रही थी. सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था, तभी 10 जनपथ पहुंचे रामविलास पासवान को जानकारी मिली कि सोनिया पीएम नहीं बन रही हैं. उन्होंने खबर कन्फर्म करने के लिए सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल को फोन लगाया तो वहां से भी कोई पॉजिटिव रिस्पॉस नहीं मिला.

रामविलास पासवान अपने बायोग्राफी ‘संघर्ष, साहस और संकल्प’ में कहते हैं- मैं जैसे ही 10 जनपथ से बाहर निकला, यह खबर मीडिया में फ्लैश होने लगी. हम गठबंधन के लोग अचंभित थे कि अब कौन प्रधानमंत्री बनेगा, लेकिन जल्द ही कांग्रेस की तरफ से हमें इसको लेकर सूचित किया. जो नाम हमारे सामने आए, वो काफी चौंकाने वाले थे. वो नाम था मनमोहन सिंह का.

2004 में सोनिया गांधी के पीएम बनने से इनकार करने के बाद मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंपी गई. सिंह उस वक्त राज्यसभा में कांग्रेस के नेता विरोधी थे. तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने तो यहां तक दावा किया था कि मनमोहन ही पीएम बनेंगे, इसकी आधिकारिक सूचना राष्ट्रपति कार्यालय को आखिरी वक्त में दी गई थी.

सोनिया के इनकार के बाद ये 5 नेता थे दावेदार

सोनिया गांधी ने पीएम की कुर्सी क्यों नहीं ली, इसको लेकर अलग-अलग दावे हैं, लेकिन सोनिया के इनकार के बाद कांग्रेस के सियासी गलियारों में 5 नेताओं को पीएम इन वेटिंग बताया गया. जिन नेताओं के प्रधानमंत्री बनने की चर्चा शुरू हुई. उनमें प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, एनडी तिवारी, शिवराज पाटील और पी चिदंबरम का नाम प्रमुख था.

प्रणब मुखर्जी क्यों- कांग्रेस के सबसे सीनियर नेता थे. इंदिरा के जमाने से केंद्र में मंत्री पद पर रह चुके थे. पार्टी के अधिकांश नेता उन्हें इस कुर्सी पर बैठाना चाह रहे थे, लेकिन प्रणब पीएम नहीं बन पाए. पीएम न बनने को लेकर प्रणब ने कई बार अफसोस भी जताया. प्रणब मनमोहन सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री रहे.

अर्जुन सिंह क्यों- गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे. राजीव और सोनिया गांधी से बेहतरीन ताल्लुकात थे. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह सहयोगी पार्टियों की भी पसंदीदा नेता थे. बाद में अर्जुन सिंह मनमोहन की सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए.

एनडी तिवारी क्यों- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके एनडी तिवारी भी पीएम पद के प्रमुख दावेदार थे. तिवारी को भी गांधी परिवार का काफी क्लोज माना जाता था. हालांकि, तिवारी को पीएम की कुर्सी नहीं मिल पाई.

शिवराज पाटिल क्यों- महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शिवराज पाटिल भी पीएम के प्रमुख दावेदार थे. मुंबई अर्थव्यवस्था का केंद्र माना जाता है. पाटिल की मुंबई में मजबूत पकड़ थी. बाद में पाटिल मनमोहन सिंह की सरकार में गृह मंत्री बनाए गए.

पी चिदंबरम- अर्थशास्त्री पी चिदंबरम भी पीएम पद के प्रमुख दावेदार थे. उस वक्त कहा जा रहा था कि दक्षिण को साधने के लिए कांग्रेस चिदंबरम को पीएम बना सकती है. चिदंबरम कई सरकार में मंत्री रह चुके थे. मनमोहन की सरकार में चिदंबरम गृह और वित्त मंत्री बनाए गए.

सवाल- मनमोहन ने कैसे मारी बाजी?

पीएम बनने के लिए मनमोहन के पक्ष में 3 प्रमुख फैक्टर काम कर रहा था. पहला फैक्टर मनमोहन सिंह का किसी गुट से न होना था. कांग्रेस में उस वक्त दक्षिण और उत्तर के साथ-साथ कई गुट सक्रिय था. नरसिम्हा राव की सरकार में इसी गुटबाजी की वजह से कांग्रेस पस्त हो गई थी. सोनिया फिर से रिस्क नहीं लेना चाह रही थी.

मनमोहन सिंह का राजनीतिक व्यक्ति न होना भी उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ. 2004 में राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री हो गई थी. कांग्रेस के लोग उनके लिए सियासी पिच तैयार कर रहे थे. ऐसे में मनमोहन के अलावा किसी राजनीतिक व्यक्ति को पीएम की कुर्सी सौंपी जाती तो राहुल के लिए भविष्य की राह आसान नहीं रहता.

तीसरा फैक्टर मनमोहन का कामकाज था. वित्त मंत्री रहते मनमोहन ने भारत को आर्थिक तंगी से बाहर निकाला था. 2004 में भी कांग्रेस ने आर्थिक नीति और रोजगार से जुड़े से कई वादे किए थे, जिसे पूरा करने के लिए विजनरी नेता की जरूरत थी. मनमोहन इसमें अव्वल साबित हुए.

मुकेश अंबानी ने किया Jio यूजर्स को खुश, 601 रुपये में 1 साल तक मिलेगा अनलिमिटेड डेटा

आपके पास भी Reliance Jio का नंबर है और आप भी कम कीमत में अनलिमिटेड 5जी डेटा का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने यूजर्स के लिए एक शानदार प्लान उतारा है. जियो के इस रिचार्ज प्लान की कीमत 601 रुपये है, इस प्लान को आप खुद के लिए खरीद सकते हैं या फिर किसी को भी गिफ्ट भी कर सकते हैं.

ये प्लान बेशक अनलिमिटेड डेटा के साथ आता है लेकिन इस प्लान को खरीदने के लिए भी एक शर्त है, क्या है वो शर्त और 601 रुपये वाले इस प्लान के साथ आपको कौन-कौन से बेनिफिट्स मिलेंगे और इस प्लान की वैलिडिटी कितनी है? आइए जानते हैं.

ये है शर्त

आपको 601 रुपये में अनलिमिटेड 5जी डेटा तो मिल जाएगा लेकिन आपके पास पहले से कोई जियो रिचार्ज प्लान होना चाहिए. प्लान भी ऐसा-वैसा नहीं, 601 रुपये में अनलिमिटेड डेटा के लिए आपके नंबर पर पहले कम से कम 1.5 जीबी प्रतिदिन डेटा वाला प्लान होना चाहिए.

इसका मतलब यह है कि 199 रुपये, 239 रुपये, 299 रुपये और इससे ऊपर के वो सभी प्लान्स जो प्रतिदिन 1.5 जीबी या फिर ज्यादा डेटा ऑफर करते हैं उन सभी प्लान्स के साथ आप 601 रुपये वाले प्लान का फायदा उठा सकते हैं.

ध्यान दें कि अगर आपके नंबर पर प्रतिदिन 1 जीबी डेटा वाला प्लान चल रहा है या फिर आपने 1899 रुपये वाले एनुअल प्लान को खरीदना हुआ तो आप 601 रुपये वाले प्लान का फायदा नहीं उठा पाएंगे.

प्लान खरीदने के बाद ऐसे मिलेगा फायदा

601 रुपये वाला प्लान खरीदने के बाद आपको 12 अपग्रेड वाउचर मिलेंगे जिन्हें आप एक-एक कर रिडीम कर सकते हैं. ये वाउचर आपको माय जियो ऐप में दिखाई देंगे. वाउचर रिडीम करने के बाद आप अनलिमिटेड 5जी डेटा का लुत्फ उठा पाएंगे.

एक वाउचर की अधिकतम वैलिडिटी केवल 30 दिनों की है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपके बेस प्लान की वैलिडिटी 28 दिनों के लिए है तो वाउचर भी 28 दिनों तक ही एक्टिव रहेगा, इसके बाद आपको दूसरा वाउचर एक्टिवेट करना होगा.

ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’ भजन पर हंगामा, गायिका देवी ने मांगी माफी तो लालू यादव बोले- महिला विरोधी है बीजेपी

बिहार में नया विवाद छिड़ गया है. पटना के बापू सभागार में बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती मनाई जा रही थी. इसमें भोजपुरी गायिका देवी ने ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’ भजन गाया. कार्यक्रम में बैठे लोगों ने इस पर हंगामा कर दिया. इस मामले को लेकर बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने बीजेपी को महिला विरोधी करार दिया है. साथ ही उन्होंने सवाल किया, ‘ये संघी ‘सीता माता’ सहित महिलाओं का अपमान क्यों करते हैं?’

लालू यादव ने अपने पोस्ट में कहा, संघियों और भाजपाइयों को ‘जय सियाराम, जय सीताराम’ के नाम और नारे से शुरू ही नफरत है, क्योंकि उसमें माता सीता का जयकारा है. ये लोग शुरू से ही महिला विरोधी है और ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ आधी आबादी महिलाओं का भी अपमान करते हैं.

भाजपाइयों ने माइक पर माफी मंगवाई

इसी पोस्ट में उन्होंने आगे कहा, गायिका देवी ने कल कार्यक्रम में बापू के नाम पर निर्मित सभागार में बापू का भजन गाकर उसने ‘सीताराम’ बोल दिया तो टुच्चे भाजपाइयों ने माइक पर उससे माफी मंगवाई. साथ ही माता सीता के जय सीताराम की बजाय जय श्रीराम के नारे लगवाए. ये संघी ‘सीता माता’ सहित महिलाओं का अपमान क्यों करते है?

उनकी पार्टी की ओर से भी इस मामले पर सरकार को घेरा गया है. आरजेडी ने एक पोस्ट में कहा, रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान, श्री राम ने सबको ‘सन्मति’ दी पर संघियों ने अपने मस्तिष्क में केवल घृणा और कट्टरपंथ को जगह दी. संघियों को बिहार की राजनीति में सत्तालोभी नीतीश कुमार ने जगह दी.

लौटकर इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ेंगे

उधर, पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि गांधी जी का नाम लेकर गोडसे का शासन मत चलाइए. अब यह दर्शाता है, कैसे आपके सारे सिद्धांतों को बीजेपी निगल गई है. मैं बेलगावी कर्नाटक में कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक में शामिल होने आया हूं. लौटकर इस मुद्दे और बीपीएसी परीक्षार्थियों के मसले पर फैसलाकुन लड़ाई लड़ेंगे.

भोजपुरी की शान सिंगर देवी: जिन्होंने BJP की सभा में 'ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम' गाया और मच गया बवाल

बिहार की राजधानी पटना में बीजेपी के एक कार्यक्रम में ‘ईश्वर अल्लाह तेरो नाम’ भजन गाकर सुर्खियों में आई भोजपुरी सिंगर देवी का विवादों से कोई पुराना नाता नहीं रहा है. वह अपनी शालीनता और सभ्यता भरे गीतों के गाने के लिए भोजपुरी इंडस्ट्री में जानी जाती हैं. देवी उन गिने-चुने सिंगर्स में से हैं जिन्होंने भोजपुरी गानों में अश्लीलता का प्रमुखता से विरोध किया था. भोजपुरी इंडस्ट्री में महेंद्र मिश्र और भिखारी ठाकुर के गीतों से पहचान बनाने वाली देवी के अब तक 50 से ज्यादा एल्बम रिलीज हो चुके है.

भोजपुरी सिंगर देवी का जन्म बिहार के छपरा जिले में हुआ है. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा और संगीत की शुरुआती शिक्षा भी छपरा में ही हासिल की थी. उनके पिता भी साहित्यिक व्यक्ति थे और वह ही देवी के बचपन में उनके गानों में शब्दों के चुनाव किया करते थे. इसी वजह से देवी शुरुआत से ही अश्लीलता से दूर रहीं और उनकी छवि एक साफ-स्वच्छ सॉन्ग्स को गाने के रूप में बन गई. वह कई बार खुलकर भोजपुरी गानों में अश्लीलता का विरोध कर चुकी हैं.

हर समारोह की जान होते हैं देवी के गाने

बिहार में आज भी किसी भी कार्यक्रम में देवी के गाए हुए गाने प्रमुखता से बजाए जाते हैं. किसी भी कार्यक्रम में उनके गाने मानों जान ही डाल देते हैं. 50 से ज्यादा एल्बम रिलीज कर चुकी देवी लगातार भोजपुरी इंडस्ट्री में अपना योगदान दे रही हैं. देवी ने न सिर्फ भोजपुरी बल्कि हिंदी, मैथिली और मगही भोषा में भी अपनी गायिकी का लोहा मनवाया है.

कहां से शुरु हुआ करियर

देवी के करियर ने भोजपुरी इंडस्ट्री में उस वक्त रफ्तार पकड़ी जब उनका एल्बम ‘बावरिया’ रिलीज हुआ था. यह एल्बम चंदा कैसेट्स की ओर से रिलीज किया गया था जिसमें 8 गानों को शामिल किया गया था. जिस वक्त यूपी-बिहार में बावरिया एल्बम रिलीज हुआ था उस वक्त धमाका मचा गया था. दर्शकों ने दिल खोलकर उनकी तारीफें की और देवी की आवाज के लोग कायल हो गए.

अब क्यों मांगी देवी ने माफी

पटना में बीजेपी की ओर से एक गांधी मैदान में बापू सभागार में अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म तिथि और पंडित मदन मोहन मालवीय की स्मृति में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में भोजपुरी गायिका देवी को भी बुलाया गया था. इस कार्यक्रम में जब वह माइक पर आईं तो उन्होंने ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’ भजन गाया.

भजन शुरू करने के बाद दर्शक दीर्घा में बैठे लोग नाराज हो गए और उठकर जय श्री राम के नारे लगाने लगे. इस पर देवी ने कहा कि वह वासुधैव कुटुंबकम में विश्वास करती हैं. हालांकि उन्होंने माहौल शांत करने के लिए माफी मांगी और दूसरे गीत गुनगुनाया. इसके बाद वह कार्यक्रम में चली गईं.

भागलपुर में पेड़ों की 'हत्या': असामाजिक तत्वों ने 500 से अधिक पेड़-पौधों को नष्ट किया, ग्रामीणों ने किया अंतिम संस्कार

भागलपुर से एक अनोखी घटना सामने आई है. यहां लोगों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा है कि आखिरकार ऐसा भी हो सकता है क्या..? असामाजिक तत्वों ने बगिया को उजाड़ा, 500 से अधिक पेड़-पौधों को नष्ट कर दिया, बासा में भी आग लगा दी, विरोध में किसानों ने पेड़-पौधों की अर्थी सजाई और शव यात्रा निकली, फिर हिंदू रीति रिवाज के साथ गंगा घाट पर पेड़ों का अंतिम संस्कार भी किया. सुनकर अजीब जरूर लग रहा होगा, लेकिन यह भागलपुर के पीरपैंती के बड़ी मोहनपुर से सामने आई सच्ची घटना है.

21वीं सदी में बढ़ते प्रदूषण के बीच पेड़-पौधों की महत्वता भी बढ़ती जा रही है. मनुष्यों में पेड़-पौधों के प्रति लगाव बढ़ रहा है. लोग उसे अपने परिवार का हिस्सा मानने लगे हैं, लेकिन कुछ जगहों पर असमाजिक तत्वों के द्वारा इसे नुकसान पहुंचाया जाता है. मानो इससे ही उन्हें खुशी मिलती हो. दरअसल, भागलपुर मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर पीरपैंती के बड़ी मोहनपुर में असमाजिक तत्वों ने शर्मनाक घटना को अंजाम दिया है. उनके द्वारा 500 छोटे-छोटे पौधे और 150 से अधिक बड़े पेड़ों को काट दिया गया. यूं कहें तो पेड़ों की हत्या कर दी गई

पेड़ों का किया गया अंतिम संस्कार

शोक जताते हुए बगान के मालिक और लोगों ने पेड़-पौधों का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया, फिर लोगों ने पेड़-पौधों को फकडोल पर लादकर शवयात्रा निकाली, चचरी पर मृत पौधों को लाद बाकायदा उसकी पूजा की गई, चौराहों पर परिक्रमा की गई, उसके बाद यात्रा करते हुए गंगा घाट पहुंचे और वहां मंत्रोच्चारण के साथ पौधों को गंगा में प्रवाहित किया. इस अनोखी शव यात्रा में गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए.

पेड़-पौधे लगाने में ढाई लाख रुपए किए खर्च

घटना को लेकर बताया जा रहा कि वर्चस्व कायम करने के लिए असामाजिक तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया. मोहनपुर के रहने वाले ओमप्रकाश जयसवाल के बगान में लगे पेड़-पौधों को नष्ट कर दिया गया. यहां मनरेगा के तहत भी ढाई लाख खर्च कर 400 से अधिक पौधे लगाए गए थे, जिसे असामाजिक तत्वों ने नष्ट कर दिया. किसानों को द्वारा अपने पैसे से लगाए गए भी 300 से अधिक पेड़-पौधों को काट दिया गया. तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से सामाजिक तत्वों ने बगीचे में तांडव मचाया है.

बगान मालिक ने दर्ज कराई FIR

इतना ही नहीं पेड़-पौधों की देखभाल करने वाले गोपी मंडल के बनाए बासा में आग भी लगा दी, जहां वह दिन और रात के वक्त रहा करते थे. तीन दिन पहले बासा में आग लगाई थी. बगान मालिक के बेटे अरुण जयसवाल ने चार असामाजिक तत्वों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. पुलिस मामले की जांच कर कार्रवाई में जुटी है. अरुण और उनकी पत्नी ने कटे पौधों की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया की. अरुण ने बताया कि पेड़-पौधों को हम बच्चों की तरह, परिवार की तरह सेवा करते हैं. जब इस तरह की घटना हुई काफी आहत हुए हैं.

ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए

बागान के मालिक अरुण की पत्नी शालिनी कुमारी ने कहा कि जिसने ऐसी घटना की उन लोगों को सजा मिलनी चाहिए. पौधों को देख बहुत तकलीफ हुई. हमने अपना धर्म निभाया, पुरुषों ने अपना धर्म निभाया और पौधों का अंतिम संस्कार किया. बता दें कि सरकार के द्वारा वातावरण और पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए मनरेगा के तहत पेड़-पौधे लगाए जाते हैं. इसी वजह से ग्रामीणों ने भी प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव: आम आदमी पार्टी में शामिल हुए 70-80 पहलवान और बॉडी बिल्डर, केजरीवाल ने किया स्वागत

दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी अपना कुनबा और बढ़ाने पर ध्यान दे रही है. इसी क्रम में गुरुवार को आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में पहलवानों और बॉडी बिल्डरों समेत कई खिलाड़ी पार्टी में शामिल हुए. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि करीब 70-80 बॉडी बिल्डर और पहलवान पार्टी में शामिल हुए हैं. उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभी का पार्टी में स्वागत किया

पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने खेल और फिटनेस से जुड़े तिलकराज, रोहित दलाल और अक्षय दिलावरी का आम आदमी पार्टी के कार्यालय में स्वागत किया और उन्हें पटका और टोपी सौंपी. उन्होंने कहा कि इनके साथ करीब 70-80 बॉडी बिल्डर और जिम के मालिक पार्टी में शामिल हुए हैं. इससे न केवल पार्टी मजबूत होगी बल्कि स्वास्थ्य और फिटनेस से जुड़े मुद्दों पर भी काम करेगी.

‘AAP खिलाड़ियों की समस्याओं को हल करेगी’

आम आदमी पार्टी के संयोजक ने कहा कि पहलवानों और बॉडी बिल्डरों के जुड़ने से न केवल पार्टी मजबूत होगी बल्कि स्वास्थ्य और फिटनेस से जुड़े मुद्दों पर भी काम करेगी. उन्होंने वादा किया कि राजधानी में सत्ता बरकरार रखने के बाद आप खिलाड़ियों की समस्याओं को हल करने की दिशा में काम करेगी.

हम सब लोगों को स्वास्थ्य रहना बहुत जरूरी’

केजरीवाल ने कहा कि आने वाले दिनों में कई और जिम मालिक और खिलाड़ी पार्टी में शामिल होंगे. इससे चुनाव में भी मदद मिलेगी और इनके जुड़ने से सरकार अच्छी तरह से उनकी समस्या को हल कर सकेगी. उन्होंने कहा कि हम सब लोगों को स्वास्थ्य रहना बहुत जरूरी है. शरीर है तो जहान है. इन लोगों ने लोगों को स्वस्थ रहने के लोगों को अलग-अलग तरह के ट्रेनिंग देते हैं. आने वाले दिनों में और जिम मालिक पार्टी के साथ जुड़ने वाले हैं.