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महाराष्ट्र में कांग्रेस को अपनों का झटका, ईवीएम के मुद्दे पर शरद पवार ने छोड़ा “हाथ”

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विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडिया” बिखरता दिख रहा है। सबकी डफली अलग-अलग राग निकाल रही है। लोकसभा और महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवालों की छड़ी लगा दी। विपक्षी दल लगभग हर दिन ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बीजेपी को घेरते रहे। हालांकि, इन सबके बीच शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने ईवीएम के मुद्दे पर अपने सहयोगियों से अलग रुख अपनाया है। एनसीपी (एसपी) का विरोधाभास इंडिया गठबंधन में खटास पैदा करने का संकेत देता है।

वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी व बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि बिना किसी पुख्ता सबूत के हार के लिए ईवीएम को दोष देना सही नहीं है। एनसीपी (एसपी) नेता सुले ने बुधवार को पुणे में मीडिया से बात करते हुए कहा, जब तक ईवीएम में छेड़छाड़ के ठोस सबूत नहीं मिलते, तब तक ईवीएम को दोष देना गलत है। ईवीएम के खिलाफ कोई भी आरोप तभी उचित हो सकते हैं जब उसके बारे में ठोस और विश्वसनीय प्रमाण उपलब्ध हों। मैं खुद ईवीएम से चार बार चुनाव जीत चुकी हूं।

ईवीएम पर सवाल उठाने वालों से असहमती जताते हुए सुप्रिया सुले कहा कि ओडिशा के बीजू जनता दल (बीजेडी) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे कुछ राजनीतिक दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोपों को साबित करने के लिए डेटा होने का दावा किया है। सुले ने दावा किया कि बीजेडी के नेता अमर पटनायक ने मंगलवार को उन्हें एक पत्र लिखा था, जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ कुछ डेटा साझा किया गया था। हालांकि इस डेटा के बारे में पत्र में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई थी।

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर बीजद के अमर पटनायक तक ने एनसीपी शरद गुट से समर्थन मांगा है। हालांकि, सुप्रिया सुले ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इन मुद्दों पर ध्यान दे रही है लेकिन बिना सबूत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचेगी। फिलहाल यह राहुल के लिए एक झटका तो जरूर ही माना जा रहा है।

दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट ने ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटाया। इसी बीच, सोलापुर जिले के मालसिराज विधानसभा क्षेत्र में एनसीपी शरद गुट के नेता उत्तमराव जांकर ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया।

इस बीच एनसीपी शरद गुट की अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा दिया है कि उनके हिसाब से ईवीएम को ब्लैम करना गलत है। बारामती से सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया के इस बयान से महाराष्ट्र में विपक्ष की आवाज कमजोर पड़ गई है।

शांति ड्रैगन की फितरत नहीं! अब ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने का ऐलान, भारत के लिए हो सकता है खतरनाक

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चीन दुनिया का सबसे विशालकाय बांध बनाने जा रहा है। चीन की सरकार ने ऐलान किया है कि वह तिब्‍बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्‍सांगपो पर महाशक्तिशाली बांध बनाने जा रही है। तिब्बत से निकलते ही यारलुंग जांग्बो नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है, जो दक्षिण में भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्य से होती हुई बांग्लादेश की ओर बहती है। चीन पहले ही इस नदी के ऊपरी तल में हाइड्रोपावर जेनरेशन की शुरुआत कर चुका है, जो कि तिब्बत के पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।

चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट चीन के प्रमुख उद्देश्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। चीन के कार्बन पीकिंग और कार्बन न्यूट्रैलिटी लक्ष्यों को पूरा करने के साथ साथ इंजीनियरिंग जैसी इंडस्ट्रीज को प्रोत्साहित करने और तिब्बत में नौकरियों के अवसर पैदा करने में यह प्रोजेक्ट मदद करेगा। यारलुंग जांग्बो का एक भाग 50 किमी (31 मील) की छोटी सी दूरी में 2,000 मीटर (6,561 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जो विशाल हाइड्रोपावर क्षमता के साथ-साथ इंजीनियरिंग के लिए कठिन चुनौतियां भी पेश करता है।

भारत के लिए कैसे खतरनाक

चीन तिब्बत की जिस लंबी नदी को यारलुंग त्सांगपो नदी कहता है, उसे भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस विशालकाय बांध को हथियार की तरह इस्तेमाल करके भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कभी भी बाढ़ ला सकता है। लगभग 2900 किमी लंबी ब्रह्मपुत्र नदी भारत में आने से पहले तिब्बत के पठार से होकर गुजरती है। जो कि तिब्बत में धरती की सबसे गहरी खाई बनाती है। जिसे तिब्बती बौद्ध भिक्षु बहुत पवित्र मानते हैं।

धरती की स्‍पीड को प्रभावित कर रहा चीन का बांध

वहीं अभी बिजली पैदा करने के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा बांध कहे जाने वाला चीन थ्री जॉर्ज हर साल 88.2 अरब किलोवाट घंटे बिजली पैदा करता है। चीन के हुबई प्रांत में स्थित थ्री जॉर्ज बांध यांगजी नदी पर बनाया गया है।थ्री जॉर्ज बांध में 40 अरब क्‍यूबिक मीटर पानी है और यह धरती की घूमने की रफ्तार को भी प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से धरती की घूमने की गति में हर दिन 0.06 माइक्रोसेकंड बढ़ रहा है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिक काफी चिंत‍ित हैं। इस बांध को सबसे पहले साल 1919 में चीन के पहले राष्‍ट्रपति सुन यात सेन ने बनाने का प्रस्‍ताव दिया था। उन्‍होंने कहा था कि इससे जहां बाढ़ में कमी आएगी, वहीं दुनिया के सामने यह चीन के ताकत का प्रतीक बनेगा। चीन अब तिब्‍बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर नया विशालकाय बांध बनाने जा रहा है।

आतंकी मसूद अजहर को आया हार्ट अटैक, यहां छिपकर बैठा था भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी, लाया गया कराची

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भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी और जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को हार्ट अटैक आया है। मसूद अजहर को अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में दिल का दौरा पड़ा। न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल मसूद अजहर का कराची के आर्मी अस्पताल में भर्ती है और वहां उसका कड़ी सुरक्षा के बीच इलाज चल रहा है। मसूद को कराची से रावलपिंडी या इस्लामाबाद के बड़े अस्पताल में ले जाने की भी चर्चा है।

मसूद अजहर अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा था। यहीं उसे दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उसे इलाज के लिए पाकिस्तान लाया गया है। एक विशेष एंबुलेंस से आतंकी मौलाना मसूद अजहर को खोस्त प्रांत के गोरबाज इलाके के रास्ते पाकिस्तान लाया गया है।

जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र में नामित आतंकवादी है और भारत में हुए कई आतंकी हमलों का मास्टर माइंड समझा जाता है। दिसंबर 1999 में काठमांडू से कंधार तक की फ्लाइट को हाईजैक किये जाने की घटना में यात्रियों के बदले मुक्त किये गए आतंकी मसूद अजहर ने खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी। मसूद अजहर भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। इनमें 2001 में संसद हमले और 2008 के मुंबई हमले जैसे हमले शामिल हैं।

सितंबर 2019 में भारत ने अजहर और एक अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत ‘आतंकवादी’ घोषित किया था। भारत ने बार-बार पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाकर आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा देता है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान, विशेष रूप से मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करता है।

पाकिस्तान की सरकार और आर्मी पर पर्दे के पीछे से मसूद को शह देने का आरोप लगता रहा है। भारत ने मसूद को पाकिस्तान में सुरक्षित पनाह मिलने के मुद्दे को कई बार अलग-अलग अतंरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया है। अजहर कुछ दिन पहले ही चर्चा में आया था, जब उसे पाकिस्तान के बहावलपुर में एक सार्वजनिक सभा में भाषण देते हुए देखा गया था। इस दौरान भी मसूद अजहर ने भारत के लिए जमकर जहर उगला था।

आप' ने की 24 घंटे में मकान पर कार्रवाई करने की, केजरीवाल को एंटी नेशनल कहने पर आक्रोश

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दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तपिश गर्म है। इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच तनातनी बढ़ गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली कांग्रेस ईकाई के नेताओं पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया है। पार्टी ने कांग्रेस के दिल्ली यूनिट के नेताओं पर कार्रवाई की मांग की है और यह अल्टीमेटम दिया है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो वे इंडिया अलायंस के नेताओं से बात करेंगे।

आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली की सीएम आतिशी ने कहा, हम कांग्रेस पार्टी से मांग करते हैं कि वे माकन के खिलाफ 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करें। वरना हम I.N.D.I.A ब्लॉक से कांग्रेस पार्टी को अलग करने के लिए अन्य विपक्षी दलों से बात करेंगे। आतिशी ने कहा कि कांग्रेस के बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस ने भाजपा के साथ समझौता कर लिया है। कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल देशद्रोही हैं। मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहती हूं कि क्या उन्होंने कभी किसी भाजपा नेता पर यही आरोप लगाए हैं? नहीं। लेकिन आज कांग्रेस अरविंद केजरीवाल पर देशद्रोही होने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस ने कल मेरे और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। क्यों? क्या कांग्रेस ने कभी किसी भाजपा नेता के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज कराई है?

कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग करने की मांग

वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग करें। वो बीजेपी को लाभ पहुंचाने का हरसंभव प्रयास कर रही है। अजय माकन बीजेपी के कहने पर आप पार्टी पर हमला करते हैं। कल उन्होंने हद पार कर दी। उन्होंने केजरीवाल को एंटी नेशनल कह दिया।

संजय सिंह ने कहा कि अजय माकन ने आजतक किसी बीजेपी नेता को एंटी नेशनल नहीं कहा। कल केजरीवाल के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। वो केजरीवाल जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। संसद में कुछ होता है तो आप कांग्रेस के साथ खड़ी होती है। हरियाणा में हम अलग लड़े लेकिन एक भी अपशब्द नहीं कहा।

अजय माकन के किस बात पर भड़की आप

कांग्रेस नेता अजय माकन ने 25 दिसंबर को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को देश का फ्रॉड किंग यानी सबसे बड़ा धोखेबाज बताया। माकन ने कहा कि अगर केजरीवाल को एक शब्द में परिभाषित करना हो, तो वो शब्द ‘फर्जीवाल’ होगा। माकन ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए आप के साथ गठबंधन में आना कांग्रेस की भूल थी, जिसे अब सुधारा जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि यह उनकी निजी राय है।

विवादों में बेलगावी कांग्रेस अधिवेशन, बीजेपी बोली-पोस्टर में लगा भारत का गलत नक्शा, पीओके-अक्साई चीन गायब

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कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है। हालांकि यह बैठक अपने आयोजन से पहले ही विवाद में फंस गई है। मीटिंग से पहले कार्यकर्ताओं ने बेलगावी में पोस्टर लगाए। जिसमें भारत का गलत नक्शा दिखाया जा रहा है। नक्शे में कश्मीर का हिस्सा गायब है। बेलगावी में इस तरह के पोस्टर देख बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का दावा है कि इस नक्शे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस अधिवेशन के लिए लगे पोस्टर बैनर की तस्वीर साझा करते हुए कर्नाटक भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है। जिसमें पार्टी ने लिखा कि 'कर्नाटक कांग्रेस ने भारत की संप्रभुता का अपमान किया है और बेलगावी के कार्यक्रम में भारत का गलत नक्शा दर्शाया है। नक्शे में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है। ये सब सिर्फ वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए किया जा रहा है। यह बेहद शर्मनाक है।'

कांग्रेस भारत को तोड़ने वालों के साथ

वहीं, भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, आज एक तस्वीर सामने आई है जो दिल को दुखाती है। भाजपा कर्नाटक ने एक ट्वीट किया है जिसमें देखा जा सकता है कि बेलगावी में कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने जो भारत का मैप लगाया है, उसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और अक्साई चिन नहीं है। वे पहले भी ऐसी हरकतें कर चुके हैं। अब यह साफ हो गया है कि जो ताकतें भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं, उनके साथ कांग्रेस का संबंध अब स्पष्ट हो गया है।

सुधांशु त्रिवेदी के तीखे सवाल

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि पूर्व में डीएमके ने भारत का गलत नक्शा दिखाया। जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन को गायब दिखाया गया। कोरोना के समय राहुल गांधी ने भी एक ट्वीट किया था, उसमें भी अक्साई चिन और पीओके गायब था। शशि थरूर ने 21 दिसंबर 2019 को भारत का नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें भी गड़बड़ी थी। भाजपा ने सवाल किया कि पिछले काफी समय से भारत के नक्शे में जो गड़बड़ी दिखाई जा रही है, वह क्या सिर्फ संयोग है या फिर किसी व्यवस्थित भारत विरोध का हिस्सा है?' भाजपा ने पूछा कि 'ये किसके इशारे पर हो रहा है? क्या सोरोस से कोई गुप्त संदेश तो नहीं आ रहा?

दो दिनों तक चलेगा अधिवेशन

बता दें कि कर्नाटक का सीमावर्ती शहर बेलगावी अगले दो दिनों तक महात्मा गांधी की अध्यक्षता में यहां हुए एकमात्र कांग्रेस अधिवेशन की यादों को ताजा करेगा। कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर, 1924 को किया गया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में याद किया जाता है। उस अधिवेशन में महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था। अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का आह्वान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। देशपांडे ने बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन की मेजबानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी अध्यक्षता गांधी ने की थी।

मोहन भागवत के बयान से अलग है आरएसएस के मुखपत्र की राय, विवादित स्थलों के सर्वे पर जताई सहमति

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राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है। ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब पिछले कुछ समय से देश में मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है। देश में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है। हालांकि, मोहवन भागवत की राय आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'ऑर्गेनाइजर' के लेख से बिल्कुल अलग है। 'ऑर्गेनाइजर' में लिखे लेख की माने तो विवादित स्थलों का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है।

आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी लेटेस्ट कवर स्टोरी पब्लिश की है। जिसमें कहा गया है कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है। पत्रिका में कहा गया है कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किया गया या ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय को हासिल करने जैसा है।

कई सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र

जिसमें दावा किया गया है कि कैसे संभल में शाही जामा मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर मौजूद था। इसमें संभल के सांप्रदायिक इतिहास का भी वर्णन किया गया है। इसके अलावा पत्रिका में पिछले सालों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का भी जिक्र किया गया है। इस लेख में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर संघ प्रमुख की सलाह या चेतावनी को पूरी तरीके से नजरअंदाज कर दिया गया है।

अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा

पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर के लिखे संपादकीय में कहा गया है, धार्मिक कटुता और असामंजस्य को खत्म करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बाबासाहेब आंबेडकर जाति-आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे समाप्त करने के लिए संवैधानिक उपाय प्रदान किए। तर्क दिया गया है कि यह तभी हासिल किया जा सकता है जब मुसलमान सच्चाई को स्वीकार करें और इससे इनकार करने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा।

लड़ाई राष्ट्रीय पहचान को साबित करने की

संपादकीय में कहा गया कि सोमनाथ से लेकर संभल और उसके आगे के सच को जानने की यह लड़ाई धार्मिक श्रेष्ठता के बारे में नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को साबित करने और सभ्यतागत न्याय के बारे में है। लेख में ऐतिहासिक घावों को भरने की भी बात कही गई है।

इंडिया अलायंस से बाहर होगी कांग्रेस? जानें क्या है केजरीवाल का प्लान

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दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तनातनी बढ़ गई है। दिल्ली में दोनों पार्टियों के अलग अलग चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने में ही जुट गई है। आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने को लेकर दूसरी पार्टियों से बातचीत करेगी।आम आदमी पार्टी की नाराजगी कांग्रेस नेता अजय माकन की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए आप के साथ गठबंधन करना कांग्रेस की एक 'गलती' थी।

दरअसल, दिल्ली यूथ कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने फर्जी योजनाओं के माध्यम से दिल्ली की जनता को गुमराह किया और धोखाधड़ी की। दिल्ली यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अक्षय का दावा है कि आम आदमी पार्टी के विधायक और एमसीडी पार्षद जनता से वोटर आईडी और फोन नंबर जैसे संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए एकत्र कर रहे हैं। इसके लिए ओटीपी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि पार्टी ने जनता के भरोसे को तोड़ते हुए फर्जी विज्ञापनों के जरिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया। यह एक सुनियोजित साजिश बताई जा रही है, जिसका उद्देश्य दिल्ली की जनता को धोखा देना और करदाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल करना है।

इससे पहले कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के काले कारनामों पर श्वेतपत्र लाया था। श्वेतपत्र में कहा गया है कि अपराध, अपहरण, महिला अत्याचार में दिल्ली नंबर 1 है। 99 प्रतिशत महिला और बाल अपराध के मामले लंबित हैं। पंजाब में गैंगस्टर राज, ड्रग्स के जाल से दिल्ली प्रभावित है। कांग्रेस का दावा है कि प्रदूषण से 3 लाख लोगों की मौत हुई है। आप ने 100 करोड़ की रिश्वत से गोवा का चुनाव लड़ा।

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर की मांग व कांग्रेस के नेताओं के बयानों को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं में नाराजगी है।आप नेता संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही है। भाजपा कांग्रेस का फंडिंग कर रही है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को 'देशद्रोही' कहा, पार्टी 24 घंटे में उनके खिलाफ कार्रवाई करे। कार्रवाई नहीं हुई तो हम इंडी गठबंधन में नहीं होंगे।

IRCTC डाउन: भारतीय रेलवे टिकट बुकिंग साइट पर क्यों है व्यवधान

भारतीय रेलवे के ऑनलाइन टिकटिंग प्लेटफ़ॉर्म, इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) में गुरुवार को भारी व्यवधान देखने को मिला, जिससे यात्री इसकी वेबसाइट और मोबाइल ऐप तक नहीं पहुँच पाए। भारतीय रेलवे की डिजिटल शाखा IRCTC, जो ई-टिकटिंग के लिए ज़िम्मेदार है, ने पुष्टि की कि व्यवधान रखरखाव गतिविधियों के कारण था। इसने एक बयान में कहा, "रखरखाव गतिविधि के कारण, ई-टिकटिंग सेवा उपलब्ध नहीं होगी। कृपया बाद में प्रयास करें।"

दिसंबर में यह दूसरी बार है जब IRCTC पोर्टल में व्यवधान का सामना करना पड़ा है, जिससे नियमित उपयोगकर्ताओं में चिंता बढ़ गई है। एक अलग सलाह में, कंपनी ने सुझाव दिया कि अपने टिकट रद्द करने के इच्छुक यात्री या तो कस्टमर केयर को कॉल करके या टिकट जमा रसीद (TDR) के लिए अपने टिकट विवरण ईमेल करके ऐसा कर सकते हैं। रद्दीकरण सहायता के लिए IRCTC द्वारा प्रदान किए गए संपर्क विवरण हैं:

ग्राहक सेवा नंबर: 14646, 08044647999, 08035734999

ईमेल: गड़बड़ी का समय इससे बुरा नहीं हो सकता था, क्योंकि कई यात्री व्यस्त छुट्टियों के मौसम में अपनी ट्रेन टिकट बुक करने या प्रबंधित करने के लिए प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भर रहते हैं।

IRCTC के शेयर में गिरावट

IRCTC की अस्थायी सेवा रुकावट का भी इसके शेयर के प्रदर्शन पर असर पड़ा। आज के कारोबारी सत्र में शेयर में लगभग 1% की गिरावट आई है। पिछले हफ़्ते में, शेयर में लगभग 4% की गिरावट आई है, और साल-दर-साल आधार पर, इसने 2024 में अब तक निवेशकों को 10% से अधिक का नकारात्मक रिटर्न दिया है।

नए टिकटिंग नियम

यह गड़बड़ी भारतीय रेलवे द्वारा अपनी टिकट बुकिंग नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने के कुछ ही हफ़्तों बाद हुई। 1 नवंबर से ट्रेन बुकिंग के लिए एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) को 120 दिनों से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है, जिससे यात्रियों के लिए टिकट बुक करने का समय सीमित हो गया है। ओवर-बुकिंग और कैंसिलेशन को रोकने के उद्देश्य से किए गए इस बदलाव को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है।

इस बदलाव के पीछे भारतीय रेलवे का तर्क वास्तविक यात्रा मांग की बेहतर ट्रैकिंग और पीक ट्रैवल अवधि के दौरान विशेष ट्रेनों के लिए अधिक सटीक योजना बनाना है। इस कदम का उद्देश्य 'नो-शो' यात्रियों को हतोत्साहित करना है, जो टिकट आरक्षित करते हैं, लेकिन अपनी यात्रा के लिए रद्द या उपस्थित नहीं होते हैं। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, 61 से 120 दिन पहले किए गए लगभग 21% आरक्षण रद्द कर दिए गए, जबकि 5% यात्रियों ने न तो अपनी बुकिंग रद्द की और न ही यात्रा की।

भारत में सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' की दोबारा बिक्री पर बढ़ा विवाद, मुस्लिम संगठनों ने जताई नाराजगी

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देश में सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' को लेकर एक बार फिर विवाद पैदा हो गया है। सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' की बिक्री 36 साल बाद फिर से शुरू हो चुकी है। इस किताब से बैन हटने पर मुस्लिम संगठनों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस किताब पर फिर से प्रतिबंध लगाया जाए।

1988 में राजीव गांधी सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के 36 साल बाद, ब्रिटिश-भारतीय उपन्यासकार रुश्दी की किताब भारतीय किताबों की अलमारियों में वापस आ गई है। वर्तमान में, 'द सैटेनिक वर्सेज ' दिल्ली-एनसीआर में बहरीसन्स बुकसेलर्स पर उपलब्ध है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली मौजूद ‘बाहरीसन्स बुकसेलर्स’ में इस किताब का 'सीमित स्टॉक' बिक रहा है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) की उत्तर प्रदेश इकाई के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने इस बुक को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की बुनियाद पर देखें तो अभिव्यक्ति की आजादी आपका अधिकार है मगर इसमें यह तो कहीं नहीं लिखा है कि आप किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना। सैटेनिक वर्सेज किताब की बिक्री दोबारा शुरू करना उकसावे की कोशिश है। इसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसकी इजाजत देती है तो यह संवैधानिक कर्तव्यों से मुंह मोड़ने के जैसा होगा। उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान अल्लाह और पैगंबर को अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा मानते हैं, और ऐसे में इस विवादास्पद किताब को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार से अपील है कि वह संविधान के मूल्यों और आत्मा की रक्षा करे और इस किताब पर फिर से प्रतिबंध लगाए, क्योंकि यह देश के एक बड़े तबके की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने भी इस बुक को लेकर निंदा की है। उन्होंने कहा कि शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मैं अपील करता हूं। किताब इस्लामी विचारों का मजाक उड़ाती है। उन्होंने कहा कि पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों का अपमान करती है और भावनाओं को आहत करती है। इसकी बिक्री की अनुमति देने से देश की सद्भावना को खतरा है। मैं प्रधानमंत्री से भारत में इस किताब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आग्रह करता।

'द सैटेनिक वर्सेज' पर वर्ष 1988 में इस किताब पर पाबंदी लगा दी गयी थी। मुस्लिम संगठनों ने इस किताब पर ऐतराज जताया था। जिसके बाद राजीव गांधी सरकार ने इस किताब पर प्रतिबंध लगाया था। अब कोर्ट ने बुक पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। यह किताब दिल्ली-एनसीआर के बहरीसन्स बुकसेलर्स स्टोर्स में ही उपलब्ध है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने किताब के आयात पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी थी। दरअसल सरकार उस अधिसूचना को पेश नहीं कर सकी जिसके आधार पर प्रतिबंध लगाया गया था। 5 नवंबर को भारत में पुस्तक के आयात प्रतिबंध को चुनौती देने वाले 2019 के एक मामले की सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि आयात प्रतिबंध आदेश मिल नहीं रहा है, इसलिए इसको कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका।

इस पर, अदालत ने कहा कि उसके पास “यह मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई अधिसूचना मौजूद ही नहीं है जो किताब पर प्रतिबंध लगाती हो। याचिकाकर्ता संदीपन खान के वकील उद्यम मुखर्जी ने कहा, प्रतिबंध 5 नवंबर को हटा दिया गया है क्योंकि कोई बैन की अधिसूचना नहीं है।

‘द सैटेनिक वर्सेज’ सितंबर 1988 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन पब्लिश होने के कुछ समय बाद ही ईशनिंदा को लेकर यह किताब वैश्विक विवाद में घिर गई, जिसमें कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद पर कुछ अंशों को “ईशनिंदा” बताया गया था। दुनिया भर के मुस्लिम संगठनों ने इस किताब को ईशनिंदा मानते हुए विरोध किया था।

इस किताब पर प्रतिबंध के बाद ईरानी नेता रुहोल्लाह खोमेनी ने रुश्दी की हत्या का फतवा जारी किया था। जिसमें मुसलमानों से उनकी हत्या करने का आह्वान किया गया था। रुश्दी को लगभग 10 साल तक छिपकर रहना पड़ा था। अगस्त 2022 में, सलमान रुशदी की किताब के खिलाफ लोगों में इतना आक्रोश बढ़ गया था कि न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान मंच पर उन पर चाकू से हमला किया गया था। कट्टरपंथी हादी मटर ने रुश्दी पर हमला किया था। इस हमले में रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई थी।

इस किताब के सामने आने के बाद मुस्लिम समुदाय में आक्रोश था और इसी के चलते राजीव गांधी की सरकार ने इस किताब के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

बांग्लादेश में हिंदुओं के बाद ईसाइयों को बनाया गया निशाना, क्रिसमस पर 17 घरों को फूंका

#17christianhousesburntinbangladeshon_christmas

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी है। पहले हिंदुओं पर हमले किए गए और ईसाइयों को निशाना बनाया गया है।बांग्लादेश में क्रिसमस से एक दिन पहले ईसाई समुदाय से जुड़े लोगों के 17 घर जला दिए गए। यह घटना बंदरबन जिले के चटगांव पहाड़ी इलाके में हुई। पीड़ितों का दावा है कि जब वे क्रिसमस के मौके पर प्रार्थना करने के लिए चर्च गए थे, तब मौके का फायदा उठाकर उनके घरों में आग लगाई गई।

बंदरबन में क्रिसमस के रोज क्रिश्चियन त्रिपुरा कम्युनिटी के 17 घरों को जला दिया गया। घरों में आग लगाने के बाद बदमाश भाग गए। आगजनी की ये घटना लामा उपजिला के सराय यूनियन के नोतुन तोंगझिरी त्रिपुरा पारा में दोपहर करीब साढ़े 12 बजे घटी। दरअसल, बदमाशों ने उन घरों को तब आग के हवाले किया जब लोग क्रिसमस मनाने के लिए दूसरे गांव गए थे, क्योंकि उनके इलाके में कोई चर्च नहीं था।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक टोंगजिरी क्षेत्र के न्यू बेटाचरा पारा गांव के लोग चर्च न होने के कारण दूसरी जगह फेस्टिवल को सेलिब्रेट करने के लिए गए हुए थे। तभी उनके पीठ पीछे उपद्रवियों ने गांव में पर हमला कर दिया और 17 घरों को पूरी तरह जला दिया। इस हमले में 15 लाख टका से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।

पहले से दी जा रही थीं धमकियां

न्यू बेटाचरा पारा गांव के लोगों ने ढाका ट्रिब्यून को बताया कि बीते महीने 17 नवंबर को उपद्रवियों ने उन्हें गांव खाली करने की धमकी दी गई थी। इस पर गंगा मणि त्रिपुरा नामक व्यक्ति ने 15 आरोपियों के खिलाफ लामा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब घर जलने के बाद पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

4 महीने से रह रहे थे ईसाई समुदाय के लोग

जानकारी के मुताबिक त्रिपुरा समुदाय के 19 परिवार बंदरबन (चटगांव पहाड़ी इलाका) के लामा सराय के एसपी गार्डन में रहते थे। यह गार्डन हसीना सरकार में बड़े अधिकारी रहे बेनजीर अहमद का है। इसे एसपी गार्डन के नाम से जाना जाता है।

5 अगस्त के बाद बेनजीर अहमद और उनके परिवार के लोग यह इलाका छोड़कर चले गए थे। इसके बाद यहां त्रिपुरा समुदाय के 19 परिवार आकर रहने लगे। कल शाम जब सभी लोग क्रिसमस के मौके पर पड़ोस के चर्च में प्रार्थना करने गए तो उपद्रवियों ने खालीपन का फायदा उठाकर घरों को जला दिया।

वहीं, ईसाई समुदाय से जुड़े लोगों ने बताया कि ये उनकी ही जमीन है। पहले इस इलाके का नाम तंगझिरी पारा था। इस पर बेनजीर अहमद के लोगों ने कब्जा कर लिया था और यहां का नाम बदलकर एसपी गार्डन कर दिया था।