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आगरा: मार्ग दुर्घटना में चार लोगों की मौत
लखनऊ । ठंड के शुरू होते ही सड़क हादसों का दौर शुरू हो गया है। आगरा जिले में खंदौली थाना क्षेत्र स्थित यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए सड़क हादसे में चार लोगों की मौत हो गई। पुलिस मृतकों की पहचान करने में जुटी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुर्घटना का संज्ञान लिया।थाना खंदौली क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेस-वे पर सोमवार की देर रात भीषण सड़क हादसे में चार लोगों की मौत हो गई। मृतकों में कार चालक समेत तीन लोग है। वहीं, कैंटर चालक की भी पहचान की जा रही।

पुलिस के मुताबिक, दुर्घटना वाली कार दिल्ली के नंबर की है। इस आधार पर कार के मालिक गाजियाबाद के लोनी निवासी अनिल कुमार सिंह थे। परिजनों से संपर्क करने पर पता चला कि अनिल गोरखपुर से नोएडा आ रहे थे। मृतकों में कार चालक अनिल कुमार सिंह हैं। कार में बैठी सवारी और कैंटर चालक की शिनाख्त के प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद में हुए सड़क हादसे का संज्ञान लिया। उन्होंने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर जिला प्रशासन के अधिकारियों को उनके समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना की है। जिला प्रशासन के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में लगे हैं।
विधानसभा सत्र : 2017 से सांप्रदायिक दंगों में 97 से 99 फीसदी तक आई कमीः मुख्यमंत्री


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अपनी बातें रखते हुए विपक्ष को आईना दिखाया। मुख्यमंत्री ने एनसीआरबी डेटा के आंकड़ों के मुताबिक बताया कि 2017 से लेकर अब तक प्रदेश में सांप्रदायिक दंगों में 97 से 99 फीसदी तक की कमी आई है। 2017 से अब तक यूपी में दंगे नहीं हुए हैं, जबकि 2012 से 2017 (सपा कार्यकाल) तक प्रदेश में 815 सांप्रदायिक दंगे और 192 लोगों की मौत हुई। 2007 से 2011 के बीच 616 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, इसमें 121 लोगों की मौत हुई।

तथ्यों को छिपाकर कब तक जनता को गुमराह करेंगे, जयश्रीराम सांप्रदायिक संबोधन नहीं

विधानसभा में सम्भल एवं बहराइच के मुद्दे पर विपक्ष की चर्चा कराने की मांग पर मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आखिर तथ्यों को छिपाकर कब तक जनता को गुमराह करेंगे। संभल में न्यायालय के आदेश पर सर्वे हो रहा था। जय श्रीराम सांप्रदायिक संबोधन नहीं है। राम के बिना हमारा कोई काम ही नहीं है। यदि जय श्रीराम बोलने पर उत्तेजना हाे ताे इससे नीयत सभी लोग समझ सकते हैं।

कुंदरकी की जीत को वोट की लूट कहना सदस्य का अपमान

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंदरकी की जीत वोट की लूट कहना सदस्य का अपमान है। वहां सपा के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। आज डिजिटल मीडिया का समय है। वहां का पठान और शेख कह रहा है कि हमारे पूर्वज हिंदू थे। आपके पूर्वज भी हिंदू थे। यह देशी-विदेशी मुसलमानों की आपसी भिड़ंत है, जो वर्चस्व की लड़ाई को लेकर चल रही है। सपा पर हमलावर योगी ने कहा कि सच पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सूर्य, चांद और सत्य को बहुत देर तक कोई छिपा नहीं सकता, सत्य जल्द सामने आएगा।

पुराण भी कहता है कि श्री हरिविष्णु का दसवां अवतार संभल में होगा

योगी ने नेता प्रतिपश्र के बयान पर कहा कि बाबर नामा भी कहता है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर ढांचा खड़ा किया गया। पुराण भी कहता है कि श्रीहरि विष्णु का दसवां अवतार संभल में होगा। न्यायालय के निर्देश पर डीएम व एसपी शांतिपूर्ण तरीके से सर्वे को संपन्न कराते हैं। 19 नवंबर, 21 नवंबर व 24 नवंबर को सर्वे कार्य चल रहा था। सर्वे के दौरान पहले दो दिन शांतिभंग नहीं हुई। 23 नवंबर को जुमे की नमाज के पहले और जुमे के दौरान जिस प्रकार की तकरीरें दी गईं, उसके बाद माहौल खराब हुआ, उसके बाद की स्थितियां सबके सामने हैं। हमारी सरकार ने पहले ही कहा है कि हम ज्यूडिशियल एक्ट बनाएंगे, जो एक्ट के अंदर बना है। सदन में उसकी रिपोर्ट आएगी, तब दूध का दूध, पानी का पानी होगा।

संभल में 1947 से लगातार माहौल खराब किया गया

नेता सदन ने कहा कि संभल में माहौल खराब किया गया। 1947 से अनवरत दंगे प्रारंभ हुए। 1947 में एक मौत और 1948 में छह लोग मारे जाते हैं। 1958-1962 में दंगा, 1976 में पांच लोगों की मौत हुई थी। 1978 में 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप से जला दिया गया था। अनवरत कई महीनों तक कर्फ्यू लगा। 1980-1982 में दंगा और एक-एक की मौत हुई। 1986 में चार लोग मारे गए।1990-1992 में पांच, 1996 में दो मौत हुई। लगातार यह सिलसिला चलता रहा।

निर्दोष हिंदुओं के लिए दो शब्द तक इनके मुंह से नहीं निकले

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 1947 से अब तक संभल में 209 हिंदुओं की हत्या हुई और एक भी बार निर्दोष हिंदुओं के लिए दो शब्द नहीं कहे। घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोग निर्दोष हिंदुओं के बारे में दो शब्द नहीं कहे। 1978 में जो दंगा हुआ, एक वैश्य ने सबको पैसा उधार दे रखा था। दंगा होने के बाद हिंदू उनके घर में एकत्र होते हैं, उन्हें घेर लिया जाता है और उनसे कहा जाता है कि इन हाथों से पैसा मांगोगे, इसलिए पहले हाथ, फिर पैर, फिर गला काट दिया जाता है। सौहार्द की बात करने पर इन्हें शर्म नहीं आती है।

पत्थरबाजी व माहौल खराब करने वालों में से एक भी बचने वाला नहीं

उन्होंने कहा कि बजरंग बली का जो मंदिर आज निकल रहा है। 1978 से उस मंदिर को इन लोगों ने खुलने नहीं दिया। 22 कुएं किसने बंद किए थे। इन लोगों ने तनावपूर्ण माहौल बनाया। जिनने पत्थरबाजी की होगी, माहौल खराब किया होगा, उसमें से एक भी बचने वाला नहीं है।
विधानसभा सत्र : सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सपा के विधायक धरने पर बैठे

लखनऊ। यूपी विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले विधान भवन स्थित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के समक्ष समाजवादी पार्टी के विधायक धरने पर बैठे। वह सरकार विरोधी नारेबाजी कर रहे हैं।

किसानों को एमएसपी का वादा अधूरा, योगी सरकार का कार्यकाल पूरा, न रोजगार न स्वरोजगार ..जैसे नारे लिखे तख्तियां उनके हाथों में हैं।उल्लेखनीय है उत्तर प्रदेश विधान सभा का सत्र आज से शुरू हो रहा है। सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होगी। उत्तर प्रदेश सरकार इस सत्र में अनुपूरक बजट भी पेश करेगी।
उत्तर प्रदेश पुलिस की लाठियां खाने पर मजबूर है नौजवान : नेता प्रतिपक्ष
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश में तेजी बढ़ रही बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों के लिए बेहाल नौजवानों को पेपर लीक का दंश झेलना पड़ रहा है। सड़क पर प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस की लाठियां नौजवान खाने पर मजबूर है। गांव गांव में सड़क एवं नल से जल होने का केवल दावा किया जा रहा है।

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश सरकार केवल किसानों के हितों की केवल बात करने और फसलों की एमएसपी के वायदे करती है। किसानों पर प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इससे पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा के सत्र से पहले समाजवादी पार्टी के विधायकों एवं विधान परिषद सदस्यों ने जमकर हंगामा किया।

विधानसभा में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के सामने एकत्रित हुए समाजवादी पार्टी के विधायकों एवं विधान परिषद सदस्यों ने हाथों में आरोपों की तख्तियां लेकर नारेबाजी की। उन्होंने बाद में प्रदेश सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा दी। इस दौरान विधायक नरेश उत्तम और विधायक अमिताभ बाजपेयी ने प्रदेश सरकार को हंटर वाली सरकार तक कह दिया।
जाकिर हुसैन को किसने दिया ‘उस्ताद’ नाम, किसने सिखाई तबले की जादुगरी, कैसे हुई शादी? जानें ‘उस्ताद’ की अनसुनी कहानियां

डेस्क:–तबले पर उंगलियां थिरकाकर लोगों को बैठे-बैठे उनकी सीट पर झुमा देने वाला उस्ताद जाकिर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं रहे। भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में सोमवार सुबह (भारतीय समय के अनुसार) 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। परिवार ने सोमवार अल सुबह उनके मौत की पुष्टि की है।

जाकिर हुसैन को किसने ‘उस्ताद’ नाम दिया?, किसने उन्हें तबले की जादुगरी सिखाई?, कैसे उनकी शादी हुई? ‘उस्ताद’ की अनसुनी कहानियों को हम यहां छुने की कोशिश करते हैं।

सदी के सबसे महान सितारवादकों में से एक पंडित रविशंकर के साथ उस्ताद जाकिर हुसैन की जुगलबंदी की पूरी दुनिया मुरीद है। जब भी दोनों की जुगलबंदी शुरू होती थी तो वहां मौजूद सभी लोग झूमने लगते थे। सभी लोगों को एक अलग ही दुनिया में होने का एहसास होता था। तबले पर उंगलियां थिरकाकर लोगों को बैठे-बैठे उनकी सीट पर झुमा देने वाले हुनर को देखते हुए महान सितारवादक पंडित रविशंकर ने ही जाकिर हुसैन को सबसे पहले उस्ताद नाम दिया था। इसके बाद से ही जाकिर हुसैन ‘उस्ताद जाकिर हुसैन’ के नाम से पूरी दुनिया में पहचाने गए।

20वीं सदी के सबसे विख्यात तबलावादक उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी ने जब अपने बेटे को गोद में लिया था तो कान में आयत नहीं पढ़ी, बल्कि तबले के बोल कहे। जब परिवार ने वजह पूछी तो कहा, तबले की ये तालें ही मेरी आयत है। वो बच्चा था जाकिर हुसैन, जिसने दुनियाभर को तबले की थाप पर झूमने का मौका दिया।

उनके पिता का भी मौसिकी की दुनिया में बड़ नाम था। वो भी तबला वादक थे। तबले पर जुगलबंदी करने का शौक उस्ताद को पिता को देखकर लगा। पिता ने भी बेटे को शिद्दत से तबले की बारीकियां सिखाई. उस्ताद ने भी उन्हें नाराज नहीं किया, अपने समर्पण से उस्ताद ने बहुत जल्द तबले की हर बारीकी को न सिर्फ समझा, बल्कि उसे अपनी सांसों में समाते हुए जिंदगी में उतार लिया और पूरी दुनिया उनकी मुरीद है।

जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को महाराष्ट्र में उस्ताद अल्लाह रक्खा और बावी बेगम के घर हुआ था। बचपन पिता की तबले की थाप सुनते ही बीता और 3 साल की उम्र में जाकिर को भी तबला थमा दिया गया, जो फिर उनसे कभी नहीं छूटा। जाकिर हुसैन ने अपने पिता से तीन साल की उम्र में ही मृदंग (एक शास्त्रीय वाद्य) बजाना सीख लिया था। 12 साल की उम्र से ही वह म्यूजिक शो में परफॉर्मेंस देने लगे थे। उस दौरान आयोजकों में से किसी एक ने छोटे से जाकिर को अल्ला रक्खा खान के सुपुत्र होने की वजह से स्टेज पर पुकारा. उम्दा प्रदर्शन की वजह से उस दिन उन्हें इनाम में 5 रुपए मिले थे। उस दौर में वो बड़ी रकम थी। उससे बड़ी बात ये कि उन्हें ये कमाई संगीत की कई महान विभूतियों के बीच मिली। ये किस्सा बताते हुए जाकिर हुसैन साहब ने कहा था कि वो उनके लिए सबसे कीमती तोहफों में से था।

जाकिर हुसैन ने 1978 में एक कथक परफार्मर एंटोनिया मिनेकोला से शादी की. एंटोनिया इटैलियन अमेरिकी थीं। फैमिली की बात करें तो उनकी दोनों बेटियां अनीसा और इसाबेला कुरैशी हैं।

इसी साल, 2024 में इस बैंड को 3 ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा गया है। वे एकसाथ 3 ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले पहले भारतीय हैं।  छह दशकों के शानदार करियर के दौरान, उन्होंने पांच ग्रैमी अवॉर्ड सहित कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान हासिल किए हैं। एकसाथ तीन ग्रैमी अवॉर्ड समेत 5 बार यह अवार्ड जीतने वाले इकलौते भारतीय हैं।

उस्ताद जाकिर हुसैन को उनकी पीढ़ी का सबसे महान तबला वादक माना जाता है। भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन, सीएम योगी ने बताया संगीत जगत की अपूरणीय क्षति,राहुल गांधी,अखिलेश यादव समेत दिग्गजों ने दी श्रद्धांजलि

डेस्क:–विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। हुसैन अमेरिका के सैन फ़्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे। वहीं उन्होनें अंतिम सांस ली। उनके निधन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने इसे संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।

सीएम ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि- विश्व विख्यात तबला वादक, ‘पद्म विभूषण’ उस्ताद जाकिर हुसैन जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल परिजनों और शोक संतप्त प्रशंसकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जाकिर हुसैन के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा है कि जाकिर हुसैन का जाना संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है। उस्ताद जाकिर हुसैन जी अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो हमेशा यादों में जीवित रहेगी।

वहीं सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

बता दें कि उस्ताद पिछले कुछ सालों से हृदय संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे. करीब 2 साल पहले उन्हें हृदय में ब्लॉकेज के चलते स्टेंट भी लगाया गया था. तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ़्रांसिस्को के अस्पताल में इलाज चल रहा था.

उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था। जाकिर हुसैन को तीन ग्रैमी अवॉर्ड भी मिल चुके थे। उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी और मां का नाम बीवी बेगम था।

यूपी के कई शहरों में घने कोहरे के साथ शीतलहर का अलर्ट

डेस्क:– उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी का असर यूपी में साफ तौर पर देखा जा सकता है। सुबह, शाम और रात को धीरे-धीरे ठिठुरन बढ़ रही है। राज्य के कई जिलों के न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट हो रही है। जिसके कारण लगातार ठंड में इजाफा हो रहा है। आज भी प्रदेश के क्षेत्रों में जोरदार ठंड पड़ने वाली है।

मौसम विभाग के मुताबिक आज प्रदेश के कई जिलों में शीतलहर के साथ-साथ घने कोहरे का भी अलर्ट जारी किया गया है। लोग कड़ाके की ठंड से बचने के लिए अलावा का सहारा ले रहे हैं। यूपी के बिजनौर, शामली, महाराजगंज, गोंडा, अयोध्या, रायबरेली, सीतापुर, कुशीनगर, श्रावस्ती, खीरी, बाराबंकी और अमेठी समेत 26 जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया गया है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अयोध्या में सबसे ज्यादा ठंड पड़ रही है। यहां का न्यूनतम तापमान 2.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। राजधानी लखनऊ का न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री सेल्सियस, मुजफ्फरनगर का न्यूनतम तापमान 4.3 डिग्री सेल्सियस और कानपुर का न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।
यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, संभल मामले में सरकार को घेरेगी विपक्ष

डेस्क:–आज से यूपी विधान मंडल का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। 5 दिन के सत्र में प्रदेश सरकार कई अध्यादेश और विधेयक सदन में प्रस्तुत करेगी। मंगलवार को सरकार अनुपूरक बजट पेश करेगी। अनुपूरक में प्रयागराज महाकुंभ के लिए बड़ी रकम दी जा सकती है।

सत्र के दौरान विपक्ष संभल और बिजली निजीकरण सहित कई मुद्दा पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। जबकि सरकार की ओर से भी जवाबी वार की तैयारी है। सत्र संचालन को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के अगुवाई में रविवार को सर्वदलीय बैठक हुई थी।

बैठक में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने शीतकालीन सत्र को लेकर कहा कि देश की सबसे बड़ी विधानसभा की चर्चा पूरे देश में है। ऐसे में सदन की गरिमा बनाए रखना पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। इस दौरान उन्होंने दलीय नेताओं से सदन को सुचारु रुस से संचालित करने के लिए सहयोग मांगा।
मुख्यमंत्री योगी बाेले-विपक्ष की मानसिकता काे समझें, संभल में वर्षाें पहले हुए नरसंहार की चर्चा क्याें नहीं हाेती

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रविवार को कहा कि प्रदेशवासियाें काे इनकी (विपक्ष) मानसकिता को समझना होगा। उन्हाेंने 46 साल पहले संभल में हुए नरसंहार को उठाते हुए विपक्ष पर हमला बोला। उन्हाेंने कहा कि संभल में जिस मंदिर को साढ़े चार दशक पहले बंद कर दिया गया था, आज वह मंदिर सबके सामने आ गया है। इसने इनकी वास्तविकता को सबके सामने प्रस्तुत कर दिया।

मुख्यमंत्री याेगी एक मीडिया प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्हाेंने कहा कि इसलिए आप सबसे कहता हूं कि हम सबको इनकी मानसिकता को देखना होगा। कल संसद में संविधान की चर्चा हो रही थी लेकिन मुद्दा संभल का उठ रहा था। संभल में क्या प्रशासन ने वह प्राचीन मंदिर रातों रात बना दिया ? क्या वहां बजरंगबली का प्राचीन मंदिर वहां रातोंरात आ गया? क्या वहां निकला ज्योतिर्लिंग आस्था नहीं थी ? उन्हें आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने आज के 46 वर्ष पहले संभल के अंदर नरसंहार किया था। उन लोगों की चर्चा क्यों नहीं होती? उन निर्दोष लोगों का क्या दोष था? जिनकी निर्मम हत्या संभल के अंदर आज से 46 साल पहले हुई।

याेगी ने कहा कि जो भी उस सच को बोलेगा, उसको धमकी दी जाएगी। उनका मुंह बंद कराने का प्रयास होगा। इसीलिए ये लोग कुम्भ के बारे में दुष्प्रचार करने का कुत्सित प्रयास करेंगे। लेकिन मैं धन्यवाद दूंगा उन प्रतिष्ठानों को जो कुम्भ से जुड़े आयोजन कर रहे हैं।

उन्हाेंने कहा कि आप मुझे बताओ अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला न आता, राम मंदिर न बन पाता तो अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन पाता क्या ? अयोध्या के अंदर की गलियां फोरलेन की बन पातीं क्या ? अयोध्या रेलवे की डबलिंग, बेहतरीन कनेक्टविटी हो पाती क्या ? आम जनमानस खुश है। हर व्यक्ति प्रफुल्लित है। आने वाला श्रद्धालु कृतज्ञता ज्ञापित करता है लेकिन देश के संविधान का गला घोंट कर, चोरी से संविधान में सेक्युलर शब्द डालने वाले लोग अपने घर में शोक मना रहे हैं।

योगी ने कहा कि उन्हें परेशानी है कि काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प कैसे हो गया? उन्हें परेशानी है कि अयोध्या में राम मंदिर और अयोध्या इतनी भव्य दिव्य कैसे हो गयी? उन्हें परेशानी इस बात की है कि हम लोगों ने दशकों तक शासन किया लेकिन हम कुछ नहीं कर पाए। अपने नकारेपन पर हम लोगों को कोश रहे हैं। अपनी अकर्ण्मयता का दोष हमारी सफलता को कोश करके दे रहे हैं। इनसे हमें संभल कर रहना होगा।
निजीकरण के विरोध में देश भर में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण विरोधी दिवस मनाकर विरोध दर्ज किया


लखनऊ । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने आज निजीकरण विरोधी दिवस मनाया और कार्यालय समय के उपरांत समस्त जनपदों, परियोजनाओं  एवं राजधानी लखनऊ में सभा की। संघर्ष समिति ने पावर कापोर्रेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि प्रबंधन कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है और भय का वातावरण बनाकर  ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना रहा है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि प्रबंधन बिडिंग प्रक्रिया शुरू करने के पहले आर एफ पी डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी करे तो निजीकरण के खतरों का अपने आप खुलासा हो जाएगा।

       आज उप्र और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी निजीकरण विरोधी दिवस मनाया गया और देशभर में समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई। बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय  समिति (एनसीसीओ ई ई ई) ने चेतावनी दी है कि उप्र में निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी होते ही देश भर में लाखों बिजली कर्मी सड़क पर उतरने को विवश होंगे। एन सी सी ओ ई ई ई ने निजीकरण को बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी।

उप्र और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में मुम्बई, कोलकाता,चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, गुवाहाटी, नागपुर, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, देहरादून, चंडीगढ़, पटियाला, रांची, आदि स्थानों पर बड़े प्रदर्शन हुए। उप्र की राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई। राजधानी लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में हुई विरोध सभा में भारी संख्या में लखनऊ के सभी कार्यालयों, शक्ति भवन, मध्यांचल मुख्यालय और लेसा के बिजली कर्मी व अभियंता बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने आज यहां जारी बयान में कहा कि बिजली कर्मचारी और अभियंता  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बिजली व्यवस्था के सुधार में लगातार लगे हुए हैं ।

15 दिसंबर से शुरू होने वाली ओ टी एस स्कीम को सफल बनाने में लगे हैं किंतु पता नहीं क्यों पावर कापोर्रेशन प्रबंधन ने अचानक प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा कर बिजली कर्मियों को उद्वेलित कर दिया है और अनावश्यक रूप से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है। बिजली कर्मी अभी भी पूरी मेहनत से कार्य कर रहे हैं और निजीकरण के विरोध में सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम कार्यालय समय के उपरांत कर रहे हैं जिससे बिजली व्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत ना हो।

संघर्ष समिति ने कहा कि आगरा के निजीकरण के पहले जारी किए गए आर एफ पी डॉक्यूमेंट में ए टी एंड सी हानियां बहुत अधिक बढ़ाकर बताई गई थी जो फर्जी थी। इसी गलत डॉक्यूमेंट के चलते पॉवर कारपोरेशन को टोरेंट को बिजली देने मे ही 2434 करोड़ रु की चपत अब तक लग चुकी है। इस बार भी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बिना पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों की अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश है। बिडिंग के पहले यदि आर एफ पी डॉक्यूमेंट जारी किया जाए तो पूरा घोटाला सामने आ जाएगा।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की  अरबों रुपए की बेशक कीमती जमीन  किस आधार पर मात्र एक रुपए में निजी घरानों  को सौंप दी जाएंगी। यह जनता की  परिसंपत्ति है। इन सब बातों से बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता बहुत अधिक परेशान और उद्वेलित है।