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हम संसद चलने देंगे…लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद बोले राहुल, रखी ये मांग*
#rahul_gandhi_meets_speaker_with_request_to_expunge_remarks_against_him संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों का हंगामा जारी है। देश की संसद आज एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के टकराव के कारण ठप रही। इसी बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की है। मुलाकात के दौरान राहुल ने स्पीकर के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं। राहुल ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मुलाकात की और कार्यवाही से अपमानजनक बातें हटाने की मांग की। राहुल ने कहा कि हमारा मकसद है कि संसद चले, सदन में चर्चा हो। वे (सत्ता पक्ष) मुझे क्या कहते हैं, ये मायने नहीं रखता। हम चाहते हैं कि 13 दिसंबर को संविधान पर चर्चा हो। वे अडानी पर चर्चा नहीं चाहते, लेकिन हम ये छोड़ेंगे नहीं। वे हम पर आरोप लगाते रहेंगे, लेकिन सदन चलना चाहिए। स्पीकर ने कहा कि वे इस पर गौर करेंगे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, संविधान दिवस चर्चा में राहुल गांधी भी बोलेंगे। इसको लेकर समय तय किया जाएगा. कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह संभवतः चर्चा की शुरुआत करेंगे। उसके बाद राहुल गांधी बोल सकते हैं। समय को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इधर, राज्यसभा में सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा हुआ। राज्यसभा पहले 12 बजे तक, फिर 12 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। बता दें कि विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। नोटिस पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इनमें कांग्रेस, टीएमसी, सपा सांसदों के नाम हैं। नोटिस में धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया गया है। राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है, ये सामने आना चाहिए।भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि दो दिन से हमारे लोग इस बात को उठा रहे हैं कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का सवाल है। यह देश की संप्रभुता पर भी प्रश्नचिह्न है। हम सोरोस पर इसलिए बात करना चाहते हैं, क्योंकि हम आम आदमी के लिए प्रतिबद्ध हैं। चेयर पर आरोप लगाकर अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया। यह मुद्दे को भटकाने के लिए कुत्सित प्रयास है।
हम संसद चलने देंगे…लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद बोले राहुल, रखी ये मांग

#rahul_gandhi_meets_speaker_with_request_to_expunge_remarks_against_him

संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों का हंगामा जारी है। देश की संसद आज एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के टकराव के कारण ठप रही। इसी बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की है। मुलाकात के दौरान राहुल ने स्पीकर के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं।

राहुल ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मुलाकात की और कार्यवाही से अपमानजनक बातें हटाने की मांग की। राहुल ने कहा कि हमारा मकसद है कि संसद चले, सदन में चर्चा हो। वे (सत्ता पक्ष) मुझे क्या कहते हैं, ये मायने नहीं रखता। हम चाहते हैं कि 13 दिसंबर को संविधान पर चर्चा हो। वे अडानी पर चर्चा नहीं चाहते, लेकिन हम ये छोड़ेंगे नहीं। वे हम पर आरोप लगाते रहेंगे, लेकिन सदन चलना चाहिए। स्पीकर ने कहा कि वे इस पर गौर करेंगे।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, संविधान दिवस चर्चा में राहुल गांधी भी बोलेंगे। इसको लेकर समय तय किया जाएगा. कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह संभवतः चर्चा की शुरुआत करेंगे। उसके बाद राहुल गांधी बोल सकते हैं। समय को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

इधर, राज्यसभा में सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा हुआ। राज्यसभा पहले 12 बजे तक, फिर 12 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। बता दें कि विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। नोटिस पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इनमें कांग्रेस, टीएमसी, सपा सांसदों के नाम हैं। नोटिस में धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया गया है।

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है, ये सामने आना चाहिए।भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि दो दिन से हमारे लोग इस बात को उठा रहे हैं कि जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का सवाल है। यह देश की संप्रभुता पर भी प्रश्नचिह्न है। हम सोरोस पर इसलिए बात करना चाहते हैं, क्योंकि हम आम आदमी के लिए प्रतिबद्ध हैं। चेयर पर आरोप लगाकर अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया। यह मुद्दे को भटकाने के लिए कुत्सित प्रयास है।

बेंगलुरु में इंजीनियर ने की खुदकुशी, छोड़ गया 90 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का नोट, न्यायिक व्यवस्था पर उठाया सवाल

#bengaluruengineeratulsubhashsuicide_case

बेंगलुरु में एक एआई इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली। पत्नी व उसके परिवार की प्रताड़ना और दो वर्ष में कोर्ट की 120 तारीखें इसके बावजूद न्याय न मिलने के कारण 34 वर्षीय आईटी पेशेवर अतुल सुभाष ने मौत को चुना। आत्महत्या को अंतिम विकल्प मानते हुए अतुल ने दुनिया से जाने से पहले करीब डेढ़ घंटे का वीडियो व 24 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें शादीशुदा जिंदगी के सामाजिक तानेबाने की खामियां, साथी के लालच और षड्यंत्र की दास्तां, कानूनी महकमे में भ्रष्टाचार को उजागर किया।

उत्तर प्रदेश के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे। अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। पड़ोसियों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा तो उनकी बॉडी फंदे पर लटकी मिली। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय बाकी है) लिखी एक तख्ती मिली। अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने अतुल की पत्नी और पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है।

खुदकुशी से पहले उन्होंने 24 पन्ने का एक सुसाइड नोट लिखा था। साथ ही एक वीडियो भी शेयर किया। जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है। वीडियो के सामने आने के बाद से ही इस केस में कई सवाल उठ रहे हैं। आत्महत्या करने के समय अतुल ने जो टीर्शट पहनी हुई थी, उस पर लिखा था ‘जस्टिस इज ड्यू’...आत्महत्या करने से पहले अतुल ने डेढ घंटे के वीडियो और 24 पन्नों की चिट्ठी में पत्नी, ससुरालवालों और न्यायिक व्यवस्था को जिम्मेदार कहा है। वीडियो में उन्होंने अपनी आपबीती बताई। अतुल ने ये भी मांग की थी कि अगर उन्हें प्रताड़ित करने वाले बरी हो जाएं तो अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं।

पत्नी समेत पांच लोगों को बताया अपनी मौत का जिम्मेदार

अतुल ने कहा- मेरी मौत के जिम्मेदार पांच लोग हैं। जौनपुर प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट जज रीता कौशिक, पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, मेरा साला अनुराग सिंघिया उर्फ पीयूष सिंघानिया, चाचा ससुर सुशील सिंघानिया। आज मैं बताऊंगा कि मेरे बूढ़े-माता पिता और मेरे भाई पर कितने केस डाले गए हैं। हमें कैसे प्रताड़ित किया गया है। हमसे कितने पैसे ऐंठे गए हैं और कैसे मुझे सुसाइड के लिए मजबूर करने की इनडायरेक्ट कोशिश की गई है। ऐसे हालात बना दिए गए हैं कि मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है।

2 साल में 120 बार पेशी के लिए बेंगलुरु से जौनपुर आए

अतुल ने बताया कि 2 साल में उन्हें 120 बार पेशी पर जाना पड़ा था। 40 बार मैं कोर्ट डेट्स को अटेंड करने के लिए मैं बेंगलुरु से जौनपुर जा चुका हूं। इसके अलावा मेरे माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं। एक कोर्ट डेट अटेंड करने के लिए मुझे दो दिन का समय लगता है। मुझे साल में सिर्फ 23 छुट्टियां मिलती हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मेरे लिए कितना मुश्किल होता होगा। ज्यादातर डेट्स पर कुछ नहीं होता है, या तो जज छुट्टी पर होते हैं, या वकीलों की हड़ताल होती है या फिर दूसरा वकील अगली डेट की डिमांड कर सकता है। यानि आप बस अपना समय बर्बाद करते हो कोर्ट जाकर।

जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप

अतुल ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक जज पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने लेटर में लिखा है कि जज ने मामले को रफा-दफा करने के नाम पर 5 लाख रुपए मांगे थे। अतुल ने यह भी लिखा कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें सुसाइड करने को कहा था और इस पर उक्त जज हंस पड़ी थी।

अतुल ने अपने लेटर में राष्ट्रपति के नाम भी नोट लिखा

अतुल सुभाष ने 24 पेज के लेटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम भी एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों के बारे में लिखा और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराने के ट्रेंड के बारे में बताया। एक अन्य नोट में उन्होंने लिखा कि वे अपनी पत्नी की तरफ से दायर कराए गए सभी मामलों के लिए खुद को निर्दोष बता रहे हैं। इनमें दहेज प्रतिरोध कानून और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का केस शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट से रिक्वेस्ट करता हूं कि इन झूठे केसों में मेरे माता-पिता और भाई को परेशान करना बंद करें।

अतुल की आखिरी इच्छा- मुझे न्याय न मिले तो अस्थियां गटर में बहा दें

अतुल ने अपनी आखिरी इच्छा में लिखा- मेरे केस की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए।

भारत-रूस की दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची”, मॉस्को में पुतिन से मिलकर बोले राजनाथ सिंह, एस-400 की डिलीवरी पर भी बात*
#rajnath_singh_met_putin_in_moscow


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस क दौरे पर हैं। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह बैठक भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) के 21वें सत्र के अवसर पर हुई।दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान भारतीय रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-रूस में साझेदारी की अपार संभावनाएं हैं। बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, भारत-रूस के बीच दोस्ती सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है। भारत हमेशा अपने रूसी मित्रों के साथ खड़ा रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहेगा। बैठक के बारे में भारत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और मिलकर किए जाने वाले प्रयास उल्लेखनीय परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेंगे। रक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं। रक्षा मंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा कि मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके खुशी हुई। *एस-400 मिसाइल की डिलीवर पर जोर* पुतिन से मुलाकात से पहले राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मुलाकात की थी। इस दौरान राजनाथ सिंह ने सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल सिस्टम की दो बची हुई यूनिट की जल्द डिलीवर पर जोर दिया। भारत और रूस के बीच 2018 में एस -400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर डील हुई थी। इस डील के तहत, रूस भारत को अब तक 3 यूनिट एस -400 सौंप चुका है। ये चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात हैं। एस -400, रूस का एक लंबी दूरी का मिसाइल सिस्टम है। इसे 400 किलोमीटर की दूरी तक विमान, ड्रोन, और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने, और नष्ट करने के लिए बनाया गया है। *रूस ने भारत को सौंपा आईएनएस तुशिल* रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर 2024 तक रूस की यात्रा पर हैं। रक्षा मंत्री ने सोमवार को कालिनिनग्राद का दौरा भी किया, जहां पर वह आईएनएस तुशिल की फ्लैग रेजिंग सेरेमनी में शामिल हुए। यह जंगी जहाज एक स्टेल्थ फ्रिगेट है। जिसमें कई एडवांस सिस्टम और मल्टी-रोल वेपन सिस्टम लगे हुए हैं। इससे भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। आईएनएस तुशिल जंगी जहाज प्रोजेक्ट 11356 के तहत भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और रूस में अक्टूबर 2016 में 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपए) की डील हुई थी। इसमें से 2 युद्धपोत का निर्माण रूस (यंतर शिपयार्ड) में और 2 का निर्माण (गोवा शिपयार्ड) में होना है। तुशिल की डिलीवरी करने के बाद रूस भारत को जून-जुलाई 2025 में तमाल सौंपेगा।
आप ने दिया कांग्रेस को जोर का झटका, केजरीवाल ने कांग्रेस संग गठबंधन की अटकलों पर लगाया विराम

#delhielectionnoaapcongressalliancearvindkejriwalstatement

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलों को अरविंद केजरीवाल ने खारिज किया है। केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी दिल्ली अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना नहीं है।

दरअसल, न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात अंतिम चरण में है। गठबंधन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलावा इंडिया गठबंधन के कुछ अन्य दलों को भी शामिल करने की बात सामने आई। कहा जा रहा था कि कांग्रेस को 15 सीटें और अन्य इंडिया गठबंधन सदस्यों को 1 या 2 सीटें मिल सकती हैं। बाकी सीटों पर आम आदमी पार्टी खुद चुनाव लड़ेगी।

एएनआई के दावे पर अरविंद केजरीवाल ने खंडन किया है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर एनआई के पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा, 'आम आदमी पार्टी दिल्ली में इस चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ गठबंधन को कोई संभावना नहीं है।'

आप-कांग्रेस गठबंधन की लग रहीं थी अटकलें

बता दें कि मंगलवार को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई थी कि दिल्ली कांग्रेस के नेता आप के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। इसके बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के नेता पहुंचे शरद पवार के घर पहुंचे। जिसके बाद ये कयास लगने और तेज हो गए कि दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है।

कांग्रेस के पास अकेले लड़ने की “ताकत” नहीं

इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर चुके हैं।आम आदमी पार्टी भले ही दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनों से लगातार इनकार कर रही है, लेकिन कांग्रेस अपने सियासी ताकत को समझ रही हैं। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि अकेले चुनाव लड़ने पर कोई लाभ नहीं होने वाला है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मुस्लिम और दलित दोनों ही कांग्रेस से छिटक गया है और अपने-अपने कारणों से आम आदमी पार्टी के पास जा चुका है। कांग्रेस के कमजोर होने का सबसे बड़ी वजह यही रही और अब इसके चलते ही कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान से मान रहे हैं कि बिना गठबंधन के कोई हल नहीं निकलने वाला, क्योंकि दिल्ली की चुनावी लड़ाई अब बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच केंद्रित हो गई है।

केजरीवाल के लिए आसान नहीं दिल्ली चुनाव

वैसे इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए काफी मुश्किल भरा माना जा रहा है। ऐसे में चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की रेस में पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले पांच सालों में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, उन्हें जेल भी जाना पड़ा और केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा देकर अतिशी को कमान सौंपनी पड़ी। ऐसे में आम आदमी पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को नजरअंदाज नहीं कर रही है।

ज्यादा दिनों तक सच नहीं छुपा सका बांग्लादेश, यूनुस सरकार ने मानी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बात

#muhammadyunusledbangladeshconfirms88incidentsofviolenceagainsthindu

बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही हिंदुओं पर हमले होने लगे। हालांकि, हर बार वहां की अंतरिम सरकार ने

इन घटनाओं से इंकार किया और भारतीय मीडिया पर दुश्प्रचार का आरोप मढ़ा। हालांकि सच को कब तक छुपाया जाता। भारत ने बारा-बार इस पर कड़ा ऐतराज जताया। जिसके बाद बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं हैं।

हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बांग्लादेश ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुईं। हालांकि, बांग्लादेश ने अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अब बांग्लादेश की यूनुस सरकार अपने एक्शन की वाहवाही कर रही है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि इन घटनाओं में 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने संवाददाताओं को बताया कि पांच अगस्त से 22 अक्टूबर तक अल्पसंख्यकों से संबंधित घटनाओं में कुल 88 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा, "मामलों और गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि पूर्वोत्तर सुनामगंज, मध्य गाजीपुर और अन्य क्षेत्रों में भी हिंसा के नए मामले सामने आए हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां कुछ पीड़ित पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य रहे हों। सरकार अब तक इस बात पर जोर देती रही है कि कुछ घटनाओं को छोड़कर, हिंदुओं पर उनकी आस्था के कारण हमला नहीं किया गया। आलम ने कहा कि 22 अक्टूबर के बाद हुई घटनाओं का ब्यौरा जल्द ही साझा किया जाएगा।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी के दौरे का असर?

यह खुलासा ऐसे समय किया है जब एक दिन पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमलों की अफसोसजनक घटनाओं को उठाया था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित भारत की चिंताओं से अवगत कराया था।

200 से अधिक हमले का आरोप

बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। मंदिरों पर हमले भी हुए हैं। विशेष रूप से हाल ही में एक हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी हुई है। भारत सहित कई देशों ने हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर बार-बार चिंता व्यक्त की है। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को 5 अगस्त को अपदस्थ किए जाने के बाद से बांग्लादेश के 50 से अधिक जिलों में हिंदुओं पर 200 से अधिक हमले होने के आरोप हैं।

भारत ने सीरिया से 75 लोगों को किया एयरलिफ्ट, जम्मू कश्मीर के 44 जायरीन शामिल

#75indiansevacuatedfromsyria

सीरिया में तख्त पलट हो गया है। विरोधी ग्रुप हयात तहरीर अल शाम ने सीरिया पर कब्जा कर लिया है और अब देश की बागडोर उसके हाथों में आ गई है। विद्रोहियों के कब्जे के बावजूद जगह-जगह विस्फोट हो रहे हैं। हमले हो रहे हैं। सरकारी इमारतें जलाई जा रही हैं। लूटपाट की जा रही है। सीरिया के हालात को खराब होता देख सभी देश अपने-अपने नागरिकों की सुरक्षा में लगे हुए हैं। भारत ने भी अपने 75 नागरिकों को सीरिया से बाहर निकाला है।

भारत ने सीरिया में विद्रोही बलों द्वारा बशर अल असद की सरकार को अपदस्थ किए जाने के दो दिन बाद मंगलवार को वहां से 75 भारतीय नागरिकों को बाहर निकाला। वि0श मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा स्थिति के आकलन के बाद दमिश्क और बेरूत स्थित भारतीय दूतावासों ने निकासी की प्रक्रिया की। देर रात जारी बयान में कहा गया, ‘भारत सरकार ने सीरिया में हाल में हुए घटनाक्रम के बाद आज 75 भारतीय नागरिकों को वहां से निकाला।’ इसमें कहा गया, ‘निकाले गए लोगों में जम्मू कश्मीर के 44 जायरीन शामिल हैं, जो सईदा जैनब(सीरिया में शिया मुस्लिमों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल) में फंसे हुए थे। सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वे उपलब्ध कमर्शियल उड़ानों से भारत लौटेंगे।’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, यह अभियान दमिश्क और बेरूत में मौजूद भारतीय दूतावास की देखरेख में चलाया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि सीरिया में सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के बाद यह कदम उठाया गया है।

सेना से जुड़े लोगों को ढूंढ रहे विद्रोही

बता दें कि सीरिया की सत्ता पर अब हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) का कब्जा है। एचटीएस के लड़ाके बशर अल-असद सरकार और सेना से जुड़े लोगों को ढूंढ रही है। उन्हें पकड़कर कत्ल कर रही है। राष्ट्रपति रहे असद के भतीजे को पहले बीच चौराहे पर मारा-पीटा फिर फांसी दे दी। जिसको लटकाया गया, उसका नाम सुलेमान असद है। सुलेमान असद, सीरियाई सेना में बड़ा अफसर था। एचटीएस का खौफ इस कदर है कि अब कुर्द लड़ाके और असद सेना के सैनिक सरेंडर कर रहे हैं। घुटनों के बल बैठकर सैनिकों ने विद्रोहियों का साथ देने का ऐलान कर दिया।

ऐसे खौफ कायम कर रहा एचटीएस चीफ

एचटीएस चीफ मोहम्मद अल गोलानी ने कहा है कि जो भी अधिकारी, कर्मचारी सीरिया के लोगों के साथ अत्याचार में शामिल रहा है उनकी एक लिस्ट बनाई जा रही है। इनके बारे में जो भी सूचना देगा उसे ईनाम दिया जाएगा। गोलानी ने ये भी कहा कि हम ऐसे लोगों को बख्शेंगे नहीं। खौफनाक सजा देंगे, जिसका ट्रेलर असद के भतीजे को बीच चौराहे फांसी देकर दिखा भी दिया।

नदीम खान ने एक खास समुदाय के उत्पीड़न की झूठी कहानी बनाई: दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया है कि कथित तौर पर दुश्मनी को बढ़ावा देने के मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता नदीम खान ने "चुनिंदा सूचनाओं के लक्षित प्रसार" के माध्यम से मौजूदा सरकार द्वारा एक खास समुदाय के उत्पीड़न की कहानी गढ़ने की कोशिश की। पुलिस ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां असंतोष और अशांति को भड़काने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयास का संकेत देती हैं, जो सांप्रदायिक सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को कमजोर करने की एक बड़ी साजिश है।


पुलिस ने खान की याचिका के जवाब में दायर एक स्थिति रिपोर्ट में आरोप लगाए, जिसमें 30 नवंबर को उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। अदालत ने खान की याचिका पर स्थिति रिपोर्ट मांगने के लिए पुलिस को नोटिस जारी किया था और जांच में शामिल होने के अधीन, सुनवाई की अगली तारीख तक उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है, "याचिकाकर्ता ने विशिष्ट अतीत की घटनाओं से संबंधित चुनिंदा और भ्रामक सूचनाओं के लक्षित प्रसार के माध्यम से एक विशेष समुदाय के सदस्यों को मौजूदा सरकार द्वारा व्यवस्थित उत्पीड़न के शिकार के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है।"


इसमें कहा गया है कि चुनिंदा चित्रण न केवल तथ्यात्मक रूप से विकृत था, बल्कि समुदाय के भीतर उत्पीड़न और उत्पीड़न की भावनाओं को जगाने के लिए गणना की गई थी। पुलिस ने दावा किया कि उनके द्वारा प्रसारित की गई जानकारी की प्रकृति और सामग्री से ऐतिहासिक और सामाजिक संवेदनशीलता का फायदा उठाने का स्पष्ट इरादा पता चलता है, जिससे धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी और अविश्वास को बढ़ावा मिलता है। पुलिस ने आरोप लगाया कि खान के आचरण ने सांप्रदायिक सद्भाव पर संभावित प्रभावों के प्रति जानबूझकर उपेक्षा का प्रदर्शन किया। इसमें कहा गया है, "इस तरह की जानकारी प्रसारित करके, याचिकाकर्ता ने इस तरह से काम किया है जो न केवल वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है, बल्कि भारत के संविधान में निहित शांति और एकता के मूलभूत मूल्यों के लिए एक गंभीर खतरा भी पैदा करता है।"


जांच अभी शुरुआती चरण में है और अदालत से याचिकाओं को खारिज करने और उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने का आग्रह किया गया है। पुलिस ने खान और एनजीओ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की एफआईआर को रद्द करने की याचिका का विरोध किया। वह संगठन के राष्ट्रीय सचिव हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद उन पर दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक साजिश रचने के कथित अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया था। पुलिस का दावा है कि इससे दुश्मनी भड़क सकती है और कभी भी हिंसा हो सकती है। उनके वकील ने पहले तर्क दिया था कि एफआईआर दुर्भावनापूर्ण थी और इसमें किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया था और यह बिना किसी आधार के केवल अनुमानों पर आधारित थी।

मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
बेहद खेदजनक’: उपराष्ट्रपति धनखड़ को हटाने के लिए इंडिया ब्लॉक के प्रस्ताव पर भाजपा

केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता किरेन रिजिजू ने मंगलवार को विपक्षी इंडिया ब्लॉक द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस प्रस्तुत करने के कदम को “बेहद खेदजनक” बताया।

मीडिया को संबोधित करते हुए संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के अध्यक्ष भी हैं, की सराहना करते हुए कहा कि वे बेहद पेशेवर और निष्पक्ष हैं।

“विपक्ष ने अध्यक्ष की गरिमा का अनादर किया है, चाहे वह राज्यसभा हो या लोकसभा...कांग्रेस पार्टी और उनके गठबंधन ने अध्यक्ष के निर्देशों का पालन न करके लगातार गलत व्यवहार किया है। उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ जी एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। वे हमेशा संसद के अंदर और बाहर किसानों और लोगों के कल्याण के बारे में बात करते हैं। वे हमारा मार्गदर्शन करते हैं। हम उनका सम्मान करते हैं,” रिजिजू ने एएनआई के हवाले से कहा।

“जो नोटिस दिया गया है - मैं उन 60 सांसदों के कदम की निंदा करता हूं जिन्होंने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, "एनडीए के पास बहुमत है और हम सभी को चेयरमैन पर भरोसा है। जिस तरह से वह सदन का मार्गदर्शन करते हैं, उससे हम खुश हैं..."

मंगलवार को विपक्ष के करीब 60 सांसदों ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस दिया और आरोप लगाया कि उनके संक्षिप्त कार्यकाल में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां उन्होंने "विपक्ष के सदस्यों के प्रति स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण और अनुचित तरीके से काम किया है"। सांसदों ने राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपे गए अपने नोटिस में कहा, "जिस तरह से श्री जगदीप धनखड़ राज्यसभा के संसदीय मामलों का संचालन करते हैं, वह बेहद पक्षपातपूर्ण है। यह रिकॉर्ड में दर्ज है कि श्री जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के सदस्यों को बोलते समय बार-बार बाधित किया है, विपक्ष के नेताओं को चुप कराने के लिए विशेषाधिकार प्रस्तावों का अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया है और सरकार के कार्यों के संबंध में असहमति को बेहद अपमानजनक तरीके से खुलेआम अपमानित किया है।"

यदि प्रस्ताव पेश किया जाता है, तो विपक्ष को इसे पारित कराने के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है, लेकिन 243 सदस्यीय सदन में उनके पास अपेक्षित संख्या नहीं है।

हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने जोर देकर कहा है कि यह कदम "संसदीय लोकतंत्र के लिए लड़ने का एक मजबूत संदेश" है। भारत में किसी भी उपराष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगाया गया है।
ट्रंप की नई कैबिनेट में एक और भारतवंशी को जगह, हरमीत ढिल्‍लों को दिया ये बेहद अहम पद

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अमेर‍िका के नव‍निर्वाचित राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप अपनी नई पारी के लिए लगातार भारतीयों पर जमकर भरोसा जता रहे हैं। एक बार फिर डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपनी कैब‍िनेट में एक और भारतवंशी को जगह दी है। अब ट्रंप ने भारतीय मूल की अमेरिकी हरमीत ढिल्लों को न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक 'अटॉर्नी जनरल' नामित किया है। ढिल्लों जानी-मानी वकील हैं। वह नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती रही हैं।

ट्रंप अपने सोशल मीडिया एकाउंट ट्रुथ सोशल पर घोषणा की, मुझे अमेरिकी न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में हरमीत के ढिल्लों को नामित करते हुए खुशी हो रही है। हरमीत देश के शीर्ष चुनावी पैरोकारों में से एक हैं, जो यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ रही हैं कि सभी और केवल वैध वोट की गिनती की जाए। हरमीत सिख धार्मिक समुदाय की एक सम्मानित सदस्य हैं। न्याय विभाग में अपनी नयी भूमिका में हरमीत हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षक होंगी और हमारे नागरिक अधिकारों एवं चुनाव कानूनों को निष्पक्ष तथा दृढ़ता से लागू करेंगी।

हरमीत ढिल्‍लों के बारे में

54 साल की ढिल्लों का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। बचपन में ही वह अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थीं। उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा नॉर्थ कैरोलिना स्कूल ऑफ साइंस एंड मैथमेटिक्स से हासिल की। इसके बाद उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज से शास्त्रीय साहित्य में बीए की डिग्री और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया से कानून की डिग्री हासिल की। 1993 में ढिल्लों ने पॉल वी. नीमेयर, यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फोर्थ सर्किट में बतौर लॉ क्लर्क काम शुरू किया। 1994 से 1998 तक उन्होंने शियरमैन एंड स्टर्लिंग में एसोसिएट के रूप में काम किया। 1998 से 2002 तक ढिल्‍लों ने सिडली एंड ऑस्टिन और कूली गॉडवर्ड जैसी लॉ फर्मों में एसोसिएट के रूप में काम किया।

फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई से बनी पहचान

हरमीत ढिल्लों फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई के ल‍िए जानी जाती हैं। फ्री स्पीच सेंसरशिप के लिए आवाज उठाते हुए वे टेक कंपनियों के ख‍िलाफ लंबी जंग लड़ चुकी। अपने पूरे करियर के दौरान हरमीत ने नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाई है। इलेक्‍शन की पारदर्शिता की बात हो या फ‍िर कांस्‍टीट्यूशन और नागर‍िक अध‍िकारों की रक्षा वे हमेशा आगे रही हैं।

ट्रंप की टीम में कई भारतीय मूल के

इससे पहले विवेक रामास्वामी, जय भट्टाचार्य, तुलसी गबार्ड और काश पटेल को ट्रंप महत्‍वपूर्ण ज‍िम्‍मेदारी दे चुके हैं। इससे ट्रंप के भारतीयों के करीब होने का संकेत मिलता है। लेकिन हरमीत ढिल्लों की नियुक्‍त‍ि को लेकर भारत में ही सवाल उठने लगे हैं। एक्‍सपर्ट उन्‍हें खाल‍िस्‍तान सपोर्टर बता रहे हैं। उनके पुराने ट्वीट्स की खूब चर्चा में है।