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हास्यास्पदः”बस में राहुल गांधी के खिलाफ सुनी जा रही थी डिबेट, सुक्खू सरकार ने ड्राइवर-कंडक्टर को भेजा नोटिस

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अगर आपका मूड खराब है तो निःसंदेश ये खबर आपके लिए ही है। ये खबर पढ़कर या तो आप हंसेंगे या फिर अपनी “भड़ास” निकालकर रिलैक्स महसूस करेंगे। ये खबर जूड़ी है हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से। आए दिन हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार अपने कारनामों के लिए सुर्खियों में रहती है। इस बार हिमाचल पथ परिवहन निगम में तैनात ड्राइवर और कंडक्टर को भेजे गए एक नोटिस की वजह से सुक्खू सरकार चर्चा में है।

हिमाचल पथ परिवहन निगम में तैनात ड्राइवर और कंडक्टर को राज्य सरकार की ओर से नोटिस जारी किया गया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने बस में एक यात्री को फोन पर डिबेट देखने से नहीं रोका, जिसमें राहुल गांधी और अन्य विपक्ष के नेताओं के खिलाफ टिप्पणी की जा रही थी।

पूरा मामला 1 नवंबर 2024 का है। यहां हिमाचल पथ परिवहन निगम की एक बस शिमला से संजौली जा रही थी। बस में कई लोग सवार थे, जिसमें से एक यात्री फोन पर डिबेट देख रहा था। यात्री के फोन में चल रही डिबेट में राहुल गांधी और अन्य विपक्ष के नेताओं के खिलाफ टिप्पणी की जा रही थी। इस संबंध में ड्राइवर और कंडक्टर को नोटिस जारी किया गया है। सैमुयल प्रकाश नाम के शिकायतकर्ता की शिकायत पर मुख्यमंत्री के अवर सचिव की तरफ से हिमाचल पथ परिवहन निगम के उप मंडलीय प्रबंधक ने नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही नोटिस में तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण की मांग की गई थी।

आरोप है कि इन सभी नेताओं के खिलाफ वीडियो में दुष्प्रचार किया जा रहा था। शिकायत में लगाए गए कि सार्वजनिक तौर से सरकारी वाहन में इस तरह से किसी भी राजनेता के विरुद्ध ऐसी वार्ता का ऑडियो चलाना उचित नहीं है। नोटिस में कहा गया है कि यह ड्राइवर और कंडक्टर का कर्तव्य बनता था कि वह इस प्रकार का आपत्तिजनक ऑडियो सरकारी गाड़ी में निषेध करें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह इसमें असमर्थ रहे।

25 नवंबर को दोनों को नोटिस जारी किया गया और तीन दिन के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया। जवाब दाखिल न होने की स्थिति में विभागीय कार्रवाई की भी बात कही गई। ड्राइवर टेक राज और कंडक्टर शेषराम ने अपना जवाब भी दे दिया है।

अब एचआरटीसी विभाग ने पूरे मामले में सफाई दी है। शुक्रवार देर शाम को एचआरटीसी की तरफ से सफाई जारी की गई. शिमला के ढली के डिपो के सब डीवीजन मैनेजर ने एक नोट जारी किया और बताया कि शिकायत के बाद ड्राइवर कंडक्टर को नोटिस दिया गया था। और अब जांच के बाद इस नोटिस को रद्द कर दिया गया है। जांच और ड्राइवर कंडक्टर ने अपने जवाब में लिखा है कि ऐसा कोई वाक्या हमारी बस में नहीं हुआ था। उधर, शिकायतकर्ता की ओर से भी ऐसा कोई भी सुबूत शिकायत के साथ नहीं सौंपा गया था, जिसकी वजह से कंडक्टर और ड्राइवर पर एक्शन लिया जा सके।

खरगे की खरी-खीरः हरियाणा-महाराष्ट्र की हार पर सीडब्ल्यूसी की बैठक में लगाई क्लास, राहुल गांधी भी लपेटे में

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को इसी तरह हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी और गठबंधन की हुई करारी हार के बाद हुई पहली कांग्रेस वर्किंग कमिटि की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी नेताओं की क्लास लगाई।मल्लिकार्जुन खरगे ने खरी-खरी सुनाई है। उन्होंने कहा कि दो करारी हार के लिए जवाबदेही तय करने का वक्त आ गया है। गुटबाजी को लेकर भी उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की है।शुक्रवार को हुई कांग्रेस के सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई की बैठक में खरगे के अलावा तमाम सीनियर नेता, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस की नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। हालांकि बैठक खत्म होने से पहले ही राहुल और प्रियंका निकल गए।

पार्टी में अनुशासन की जरूरत पर दिया जोर

मीटिंग में खरगे ने पार्टी के जहां एक ओर इस निराशाजनक प्रदर्शन के लिए तमाम वजहों को गिनाया। कांग्रेस अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव में मिली हार पर कहा कि अब जवाबदेही तय करने का वक्त आ गया है। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष से सख्त एक्शन लेने की भी बात कही है।

आपसी लड़ाई पर लगाई लताड़

खरगे ने पार्टी में गुटबाजी की ओर इशारा करते हुए कहा कि अनुशासन की कमी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। खरगे का कहना है कि पार्टी में अनुशासन की कमी और पुराने ढर्रे की राजनीति के जरिए जीत नहीं मिल सकती। कांग्रेस के भीतर आपसी गुटबाजी एक स्थायी भाव बन चुकी है। खरगे ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है।

राहुल गांधी को यूं लपेटा

बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे पूरे फॉर्म में दिखे। उन्होंने राहुल गांधी को नसीहत देने के साथ-साथ कई बड़े नेताओं की क्लास लगाई। दरअसल, बैठक में राहुल गांधी ने चुनावी हारों का जिक्र करते हुए कहा कि हार से घबराना नहीं है। कांग्रेस हमेशा पुनर्जन्म लेने वाली पार्टी है और आगे भी रहेगी। इस पर तपाक से खरगे ने मुस्कुराते हुए कहा कि नहीं कांग्रेस अजर अमर है, जो अजर अमर होता है, उसे पुनर्जन्म की जरूरत नहीं होती। इस पर तुरंत राहुल ने कहा कांग्रेस अजर अमर है, ये बात सही है। मैं तो मुद्दे सामने आने पर, हार मिलने पर कांग्रेस नए सिरे से फिर लौटेगी उसकी बात कर रहा था।

सियासी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलु को भी धोया

खरगे ने कांग्रेस के सियासी रणनीतिकार और सर्वे करने वाले सर्वे सर्वा पार्टी के पदाधिकारी सुनील कोनूगोलु को धो दिया। राहुल-प्रियंका के सामने खरगे ने कांग्रेस के पदाधिकारी बने सियासी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलु को निशाने पर लिया। खरगे ने कहा कि बताते कुछ हो होता कुछ है। कई चुनावों से देख रहा हूं। अब तुम्हारे रिकॉर्ड के साथ बोलूं तो जहां बोलते हो जीत वहां मिलती है हार। ऐसे तो अंदाज लगाकर एक आध सही निकल जाता है, लेकिन सिस्टम तो तुम्हारा कतई ठीक नहीं है।

संभल जाने पर अड़ी सपा, प्रतिनिधिमंडल के दौरे से पहले एक्शन, डीएम ने लगाई रोक, लखनऊ में पुलिस का कड़ा पहरा

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उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के बाद अब शांति है। हालांकि, प्रशासन ने किसी भी बाहरी शख्स के संभल आने पर रोक लगा रखी है। इस बीच समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल आज संभल का दौरा करेगा। इस 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे करेंगे। इसको देखते हुए राजधानी लखनऊ में शनिवार की सुबह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर पुलिस लगा दी है। साथ ही विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के डालीबाग स्थित आवास के बाहर भी पुलिस तैनात है।

संभल में हुई हिंसा के बाद सपा का प्रतिनिधिमंडल आज वहां पहुंचने वाला है। इस दौरान वहां पीड़ितों से सपा प्रतिनिधिमंडल मुलाकात करेगा। सपा का प्रतिनिधिमंडल संभल में हुई हिंसा की विस्तृत जानकारी लेकर अखिलेश यादव को सौंपेगा।इस प्रतिनिधिमंडल में सपा नेता माता प्रसाद पांडेय, लाल बिहार यादव, श्याम लाल पाल, हरेंद्र मलिक, रुचि वीरा, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क, नीरय मौर्य, कमाल अख्तर, रविदास मेहरोत्रा, नवाब इकबाल महमूद, पिंकी सिंह यादव, अली अंसारी, जयवीर सिंह यादव और शिवचरण कश्यप शामिल रहेंगे।

अभी फिलहाल संभल में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक है। ये रोक 10 दिसंबर तक लागू रहेगी। सपा नेताओं के संभल दौरे से पहले ही पुलिस ने नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया है। माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया गया है।विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के सेक्टर-11 वृंदावन योजना स्थित आवास के बाहर रात से ही पुलिस तैनात कर दी गई थी। अभी पुलिस बाहर तैनात है। पुलिस ने उन्हें संभल के डीएम का एक लेटर उपलब्ध कराया है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के डालीबाग स्थित आवास के बाहर भी पुलिस तैनात है।इसके अलावा सपा अध्यक्ष श्यामलाल पाल के घर के बाहर भी पुलिस लगा दी गई है।

क्या बोले सपा नेता माता प्रसाद पांडेय

संभल की यात्रा को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता माता प्रसाद ने कहा कि अगर मीडिया वहां जा सकती है तो हम वहां क्यों नहीं जा सकते। माता प्रसाद ने कहा कि हम वहां लोगों को भड़काने के लिए नहीं जा रहे हैं। हमारा कहीं भी जाने का अधिकार है। सरकार लोगों का मौलिक अधिकार उनसे छीनना चाहती है। उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों से मिलने के लिए संभल जाना चाह रहे हैं। सच सबके सामने आ जाएगा, इसलिए सरकार डर रही है और वहां जाने से हमें रोक रही है।

कांग्रेस और एआईएमआईएम के नेता भी जाएंगे संभल

समाजवादी पार्टी के बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी दो दिसंबर को संभल जाएगा। इससे पहले एआईएमआईएम ने भी 20 नेताओं की टीम को संभल भेजने का ऐलान किया था जो हालात सामान्य होने पर वहां जाएगी। हालांकि, संभल में बीएनएस की धारा 163 लागू है। इसका मतलब ये हुआ कि यहां एक साथ पांच या उससे ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। वहीं, बीते दिन जुमे की नमाज के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए थे। जुमे की नमाज शांतिपूर्ण तरीके से हुई।

महाराष्ट्र में सीएम पद पर आज होगा फैसला, शिंदे देंगे साथ या बढ़ाएंगे तनाव?

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महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे घोषित होने के एक सप्ताह बाद भी नए मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बकरार है। सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे को लेकर लगातार सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। इस बीच, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने पैतृक गांव चले गए। इस वजह से महाराष्ट्र सरकार के गठन पर फैसला लेने के लिए मुंबई में होने वाली महायुति की अहम बैठक स्थगित कर दी गई। इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि शायद एकनाथ शिंदे सरकार गठन के फैसले से नाराज हैं और इसलिए सतारा जिले में अपने गांव चले गए हैं। वहीं, शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे।

24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे शिंदे

शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे। साथ ही उन्होंने दावा किया कि शिवसेना प्रमुख केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई पद नहीं लेंगे क्योंकि उनकी दिलचस्पी महाराष्ट्र की राजनीति में है। संजय शिरसाट ने कहा, महाराष्ट्र के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर मुलाकात की। पीएम मोदी और अमित शाह तय करेंगे कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। 

शपथ ग्रहण समारोह 2 दिसंबर को- संजय शिरसाट

शिवसेना नेता ने कहा कि जब भी एकनाथ शिंदे को लगता है कि उन्हें सोचने के लिए कुछ समय चाहिए तो वह अपने पैतृक गांव चले जाते हैं। जब उन्हें (एकनाथ शिंदे को) कोई बड़ा फैसला लेना होता है तो वह अपने पैतृक गांव जाते हैं। 24 घंटे तक वह (एकनाथ शिंदे) बहुत बड़ा फैसला लेंगे। मुझे जानकारी है कि शपथ ग्रहण समारोह दो दिसंबर को होगा।

क्या चल रहा है शिंदे के मन में?

इससे पहले एकनाथ शिंदे ने गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि बातचीत सकारात्मक रही और अगले दौर की चर्चा शुक्रवार को मुंबई में होगी। एकनाथ शिंदे ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ गुरुवार रात अमित शाह से मुलाकात की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बैठक में सरकार गठन के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह सरकार गठन में बाधा नहीं बनेंगे और अगले सीएम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा लिए गए फैसलों का पालन करेंगे।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 132 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम पद के लिए सबसे आगे है। रिपोर्ट के अनुसार, एकनाथ शिंदे से कहा गया है कि अगर फडणवीस के नाम पर विचार किया जा रहा है तो वह डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लें। हालांकि, ऐसी खबरें भी हैं कि एकनाथ शिंदे अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को इस पद के लिए आगे बढ़ा सकते हैं। शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि अगर शिंदे नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार नहीं करते हैं तो पार्टी से किसी और को इस पद के लिए विचार किया जाएगा।

ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करे बांग्‍लादेश की सरकार”, हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक

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बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हालात तनावपूर्ण हैं। अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को पांच अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से देश के 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है। इस हफ्ते हालात तब और खराब हो गए जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित कई जगहों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारत सरकार भी बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर चिंता जाहिर कर चुकी है। अब बांग्‍लादेश में ह‍िन्‍दुओं के ख‍िलाफ ह‍िंंसा पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में जवाब द‍िया।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमले हुए हैं। दुर्गा पूजा के दौरान भी मंदिरों और पूजा पंडालों पर हमले की खबरें आईं। भारत सरकार ने इन घटनाओं पर बांग्लादेश सरकार से चिंता जताई है। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।

बांग्लादेश के हालात पर भारत सरकार की चिंता

उधर, विदेश मंत्रालय ने भी इस बारे में भारत सरकार की चिंता बताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍त रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत ने बांग्लादेश सरकार के साथ ह‍िन्‍दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर खतरों और लक्षित हमलों को लगातार और दृढ़ता से उठाया है। इस मामले पर हमारी स्थिति स्पष्ट है। अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

बांग्लादेश के हालात पर भारत में उठ रहे सवाल

बता दें कि भारत में कई राजनेताओं ने, जिनमें विपक्षी नेता भी शामिल हैं, चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गिरफ्तार हिंदू साधु का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

क्या नाराज हैं एकनाथ शिंदे, अचानक क्यों चले गए अपने गांव? सरकार गठन का फैसला अधर में लटका

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महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आए 6 दिन बीत चुके हैं, विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री का फैसला अधर में लटका है। महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इस बीच दो बड़ा डेवलपमेंट हुआ है. पहला, महायुति की अहम बैठक होने वाली थी, जिससे टाल दिया गया है। दूसरी तरफ दिल्‍ली यात्रा के बाद महाराष्‍ट्र के कार्यवाहक मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा स्थित अपने गांव के लिए निकल गए हैं। ऐसे वक्‍त में जब गठबंधन की तरफ से मुख्‍यमंत्री का चेहरा अभी तक घोषित नहीं किया गया है, एकनाथ शिंदे के मुंबई छोड़ने पर कई तरह की बातें होने लगी हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या एकनाथ शिंदे रूठे हुए हैं?

हाल ही में कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री भी मंजूर है। महायुति और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जो फैसला लेगा, हम समर्थन करेंगे। एकनाथ शिंदे के इस बयान के बाद कयास लगाए जाने लगे कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। ऐसे में एकनाथ शिंदे की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़ा होगा। क्या वह महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बनकर काम करने के लिए तैयार होंगे, या फिर मंत्रिमंडल में शामिल होंगे?

इस बीच बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मनाने के लिए कई प्रस्ताव बनाए, मगर वह नहीं माने। गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जाने लगे कि महायुति में सबकुछ ठीक है और शुक्रवार को महायुति की बैठक में सीएम के नाम का ऐलान हो जाएगा। लेकिन, इस बैठक को उस वक्त टालना पड़ा जब कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अचानक अपने गांव सातारा चले गए।

अब सवाल उठता है कि महायुति की शुक्रवार के होने वाली बैठक अचानक से रद्द क्‍यों कर दी गई? आखिर कौन सी वजह थी जिसके चलते मीटिंग टालनी पड़ गई? सूत्रों के अनुसार, अब पहले बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में बीजेपी विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इसके बाद महायुति की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें बीजेपी के साथ ही शिवसेना और एनसीपी के नेता भी शामिल होंगे। दिलचस्‍प बात यह है कि महायुति की तरफ से अभी तक मुख्‍यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, शपथ ग्रहण की तारीख और तिथि तय कर दी गई है

रिपोर्टस के मुताबिक, गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग में यह साफ किया गया कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी ने शिंदे के सामने एक बार डिप्टी सीएम बनने की चर्चा की। उन्हें बताया गया कि डिप्टी सीएम का पद लेने से महायुति की एकता का संदेश जाएगा। उन्हें फडणवीस के साथ अन्य दिग्गज नेताओं के बारे में बताया गया, जिन्होंने बड़े पद पर रहने के बावजूद दूसरी जिम्मेदारी ली। इस दलीलों से शिंदे नहीं माने। अब शिवसेना नेताओं नई दलील दी है। शिवसेना का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस जाति से ब्राह्मण हैं। उनके नीचे दो मराठा नेता अजित पवार और एकनाथ शिंदे को डिप्टी के तौर से रखना राजनीतिक भूल साबित हो सकती है। मराठा वोटरों को यह रास नहीं आएगा।

बीजेपी के हथियार से उसी पर “आप” का वार, दिल्ली में झाड़ू करेगी कमाल?

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कभी आम आदमी पार्टी की ओर से चलाई जा रही मुफ्त वाली स्कीमों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपी) ने “रेवड़ी कल्चर” कहकर हमला बोला था। तक बीजेपी को पता नहीं था कि आने वाले समय में उसका वार उल्टा पड़ने वाला है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के इस हथियार को छीन लिया है। अब दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आप इसी हथियार को बीजेपी पर इस्तेमाल करने वाली है। वो जोर-जोर से कह रही है कि दिल्ली की जनता को हमने छह मुफ्त की ‘रेवड़ी’ दी है। अगर बीजेपी आई तो ये सुविधाएं बंद हो जाएगीं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का अभी ऐलान तो नहीं हुआ है लेकिन सियासी बिसात बिछने लगी है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी दल एक्शन मोड में आ गए हैं। आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की एक लिस्ट भी जारी कर दी है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच है। यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल भी लगातार बीजेपी को घेरने में भी जुटे हैं।इस कड़ी में उन्होंने ‘मुफ्त की रेवड़ियों’ को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है।

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ‘रेवड़ी पर चर्चा’ अभियान शुरू किया है। केजरीवाल ने अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि पार्टी के जिला और बूथ स्तर के पदाधिकारी मतदाताओं तक पहुंचेंगे और आप सरकार की ओर से दी जा रही मुफ्त सुविधाओं (रेवड़ियों) के संबंध में पर्चे बांटेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हमारे कार्यकर्ता पूरी दिल्ली में 65,000 सभाएं करेंगे, ताकि लोगों को यह समझाया जा सके कि इन मुफ्त सुविधाओं का क्या मतलब है और कैसे केवल आप ही इन्हें दे सकती है।

केजरीवाल ने गिनाईं ‘6 रेवड़ियां’

केजरीवाल ने उन 6 योजनाओं के नाम भी बताए, जिनको खुद उन्होंने मुफ्त की रेवड़ियां कहा है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, महिलाओं के लिए बस यात्रा और बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा की सुविधा मुफ्त प्रदान कर रही है। केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली में महिलाओं के लिए एक और रेवड़ी (1,000 रुपये मासिक सहायता) जल्द ही शुरू की जाएगी।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में सभी मुफ्त सुविधाएं बंद करना चाहती है। केजरीवाल ने कहा, ‘भाजपा 20 राज्यों में सत्ता में है और एक भी राज्य में वह मुफ्त रेवड़ी नहीं देती और ऐसा इसलिए क्योंकि उनका ऐसा करने का इरादा ही नहीं है। केवल आप ही जानती है कि ये सुविधाएं कैसे दी जानी हैं।

बीजेपी का “हथियार” उसी पर इस्तेमाल

बता दें कि जब श्रीलंका का आर्थिक संकट सामने आया तो इसने दुनियाभर की सरकारों को चेताया। इसी दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका से सबक लेते हुए हमें 'मुफ्त के कल्चर' से बचना चाहिए।इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'रेवड़ी कल्चर' पर सवाल उठाए थे।पीएम मोदी ने कहा था, 'आजकल हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की भरसक कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है। रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर उन्हें खरीद लेंगे। हमें मिलकर रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है।

हालांकि, उनकी यह दलील पूरी तरह राजनीतिक है, क्योंकि केंद्र सरकार समेत भाजपा और एनडीए शासित राज्यों में भी जनता की सुविधा के नाम पर ऐसी कई मुफ्त योजनाएं हैं। वहीं, कई राज्यों में चुनाव के दौरान भाजपा को ऐसी रेवड़ियों का वादा करने के बाद आलोचना भी झेलना पड़ा था। अब केजरीवाल ने बीजेपी के इसी हथियार को अपना लिया है और उसी से भाजपा पर हमलावर है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों पर जयशंकर: 'सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी'

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बांग्लादेश के नागरिकों, जिसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बारे में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बयान दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार ने अगस्त 2024 से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की कई रिपोर्ट देखी हैं, जब शेख हसीना को बांग्लादेश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हाल ही में दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मंदिरों और पूजा मंडपों पर हमलों की खबरें भी सामने आईं। जयशंकर ने अपने जवाब में कहा, "सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश सरकार के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है।" जयशंकर ने यह भी कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से संबंधित स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।"

इस्कॉन पुजारी की गिरफ्तारी

विदेश मंत्री की यह प्रतिक्रिया बांग्लादेश में अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) बांग्लादेश के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी को लेकर विरोध और अशांति के बीच आई है। दास पर अक्टूबर में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप है। भारत में विपक्ष के नेताओं सहित कई राजनीतिक नेताओं ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गिरफ्तार हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास का समर्थन करते हुए कहा है कि उन्हें "अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार" किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। हसीना ने बांग्लादेश सरकार से धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का भी आह्वान किया है, जिन्होंने अगस्त में सत्ता से उनके हटने के बाद से हिंसा का सामना किया है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जताई ट्रंप की सुरक्षा को लेकर चिंता, जानें क्या सलाह दी?

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। पुतिन ने कहा कि अमेरिकी चुनाव कैंपेन के दौरान ट्रंप के खिलाफ हत्या के प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप अब भी सुरक्षित नहीं हैं। पुतिन ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति ट्रंप सतर्क रहेंगे। इसके साथ ही पुतिन ने ट्रंप की तारीफ भी की। उन्होंने ट्रंप एक अनुभवी और बुद्धिमान राजनीतिज्ञ हैं।

समाचार एजेंसी रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कजाकिस्तान के दौरे पर गए रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिकी चुनाव प्रचार को लेकर अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह असभ्य तरीके अपनाए गए। यहां तक कि उनकी जान लेने की भी कोशिश हुई. वो भी एक नहीं दो-दो बार. मेरा मानना है कि ट्रंप की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी इतिहास में कई घटनाएं घटी हैं लेकिन मेरा मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप समझदार हैं और मुझे लगता है कि वह खतरों के प्रति सचेत हो गए हैं

ट्रंप की चिंता कर रहे हैं पुतिन

पुतिन ने आगे कहा कि अमेरिकी चुनाव में जिस तरह से ट्रंप के परिवार और बच्चों को घसीटा गया, उसको देखकर वह और ज्यादा अचंभित हो गए। राजनीतिक विरोधियों ने ट्रंप के बच्चों और परिवार की खूब आलोचना की।

बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच जुलाई में पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की हत्या की कोशिश हुई थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। इसके बाद सितंबर में फ्लोरिडा गोल्फ कोर्स में एक एक शख्स ने उनकी जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम हो गया।

यूक्रेन के साथ जंग पर कही बड़ी बात

वहीं, अमेरिका द्वारा यूक्रेन के साथ जंग को और भड़काने संबंधी सवाल पर पुतिन ने कहा कि यह एक चाल हो सकती है। पुतिन ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर कहा, बाइडेन प्रशासन जानबूझकर ट्रम्प के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। हालांकि ट्रम्प एक ‘होशियार राजनेता’ हैं जो जंग खत्म करने के लिए कोई न कोई समाधान ढूंढ़ लेंगे। हम भी ट्रम्प से बातचीत के लिए तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या बाइडेन के फैसले से क्या रूस-अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा, पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ट्रम्प के आने के बाद चीजें बेहतर हो सकती हैं।

ट्रंप आ रहे हैं...”बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर ट्रंप के सहयोगी का बयान

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बांग्लादेश इस समय सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है। हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। ताजा मामले में इस्कॉन से जुड़े महंत चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश की युनूस सरकार का दुनियाभर में फजीहत हो रही है। पड़ोसी मुल्क में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ भारत लगातार आवाज उठाता रहा है, वहीं अब भारत को अमेरिका का भी साथ मिल गया है। अमेरिका से बांग्लादेश की सरकार के लिए चेतावनी आई है। यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) के पूर्व कमिश्नर जॉनी मूर ने बांग्लादेश के हालात पर चिंता जताई है।

जॉनी मूर ने कहा है कि अमेरिका की बाइडेन सरकार ने बांग्लादेश पर अधिक ध्यान नहीं दिया है।यह समय बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के अस्तित्व पर खतरे की तरह है। लेकिन ट्रंप अब आ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप अपनी बेहतरीन टीम के साथ पद संभालने वाले हैं। उनकी यह टीम अमेरिकी मूल्यों की पैरोकार है और भारत को एक सहयोगी के तौर पर देखती है।

दरअसल मूर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बीच अमेरिका के रुख के बारे में पूछा गया था? उनसे ये पूछा गया था कि ऐसी स्थिति में ट्रंप सरकार बाइडेन सरकार की तुलना में क्या अलग करेगी? इस पर उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसे सुलझाया नहीं जा सके।

मूर ने कहा कि इस समय दुनियाभर में 50 से अधिक जंग चल रही हैं और मैं हैरान हूं कि मौजूदा अमेरिकी सरकार का बांग्लादेश पर ध्यान ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में धार्मिक स्वतंत्रता मानवाधिकारों में शीर्ष प्राथमिकता थी। यह कई मायनों में हमारी विदेशी नीति का केंद्र थी। इस बार भी आपको ऐसा ही देखने को मिलेगा। ट्रंप की टीम भारत को एक ज़रूरी सहयोगी के तौर पर देखती है, लिहाजा आगामी ट्रंप सरकार में आपको अमेरिका और भारत के बीच ऐसा सहयोग देखने को मिलेगा, जो अभी तक नहीं देखने को मिला था।

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यकों खास तौर पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इसी बीच 25 नवंबर को हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। बांग्लादेश की अदालत ने उन्हें जमानत नहीं दी और जेल भेज दिया। चिन्मय दास समेत 19 लोगों पर आरोप है कि उन्होंने इस रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। इसके बाद चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए और उग्र विरोध प्रदर्शन करने लगे। भारत सरकार ने भी बयान जारी कर बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नहीं देने पर गहरी चिंता जताई थी।