विश्व COPD दिवस पर जागरूकता अभियान: पर्यावरण प्रदूषण और फेफड़ों के स्वास्थ्य पर की गई चर्चा
गोरखपुर। विश्व COPD दिवस के अवसर पर पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के ओपीडी लाउंज में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मरीजों और उनके परिजनों को क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), इसके कारणों, लक्षणों और भारत में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के खतरों के बारे में जानकारी दी गई।
COPD क्या है?
COPD फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है जो सांस लेने में कठिनाई पैदा करती है और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसके मुख्य कारण बताए:
धूम्रपान: सक्रिय धूम्रपान के साथ-साथ परोक्ष धूम्रपान भी फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक है।
घरेलू धुएं का संपर्क: ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी, गोबर के उपले या कोयले के इस्तेमाल से खाना पकाने पर उत्पन्न धुआं, खासकर महिलाओं के लिए, खतरनाक साबित होता है।
पोस्ट-इंफेक्टिव COPD: टीबी जैसी गंभीर फेफड़ों की बीमारियों से उबरने के बाद भी कई लोगों को दीर्घकालिक सांस की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लक्षणों को पहचानें
मरीजों को COPD के मुख्य लक्षणों के बारे में बताया गया:
लंबे समय से चल रही खांसी जो ठीक नहीं होती।
लगातार सांस फूलना, खासकर किसी शारीरिक गतिविधि के दौरान।
छाती में भारीपन या जकड़न महसूस होना।
प्रमुख बिंदु
कार्यक्रम में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख, डॉ. सुबोध कुमार ने COPD के उपचार और इनहेलर के सही उपयोग के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि इनहेलर थेरेपी लक्षणों को नियंत्रित करने और फेफड़ों के कार्य को सुधारने में बेहद प्रभावी है।
डॉ. देवेश प्रताप सिंह (सहायक प्रोफेसर, पल्मोनरी मेडिसिन) ने उपस्थित लोगों को COPD के लक्षणों की पहचान करने के तरीके पर विस्तार से जानकारी दी और सलाह दी कि किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉ. आनंद मोहन दीक्षित (प्रोफेसर, CMFM) ने जनता को पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदूषण से बचने के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, मास्क पहनना, पेड़ लगाना और प्रदूषण के चरम समय में बाहर न जाना जैसे उपाय जरूरी हैं।
पर्यावरण प्रदूषण का फेफड़ों पर प्रभाव:
भारत में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के फेफड़ों पर गंभीर प्रभाव को रेखांकित किया गया। प्रदूषण से होने वाले जोखिम जैसे COPD, अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक किया गया।
इस जागरूकता कार्यक्रम में निम्नलिखित डॉक्टर उपस्थित रहे:
डॉ. सुबोध कुमार (प्रोफेसर और प्रमुख, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग)
डॉ. देवेश प्रताप सिंह (सहायक प्रोफेसर, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. अमन कुमार (सीनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग)
डॉ. आदित्य नाग (सीनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. अभिषेक शर्मा (जूनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. दुर्गेश (जूनियर रेजिडेंट, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग), डॉ. आनंद मोहन दीक्षित (प्रोफेसर, CMFM)
डॉ. शशांक शेखर (सहायक प्रोफेसर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी), निदेशक की प्रशंसा कार्यक्रम की सराहना करते हुए डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स गोरखपुर, ने इस जागरूकता अभियान के लिए सभी डॉक्टरों को बधाई दी और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
Nov 20 2024, 18:09