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आदिवासी अंचलों के 78 हजार घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य, सीएम साय ने 426 करोड़ की योजनाओं का जल्द क्रियान्वयन करने का दिया निर्देश …

रायपुर-    आदिवासी अँचलों में बिजली से वंचित रह गए घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 3 अतिविशिष्ट योजनाओं के माध्यम से 77,292 घरों में बिजली पहुंचाने की कार्ययोजना बनाकर उस पर अमल प्रारंभ कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा इस महती कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है जिसमें से 2 योजनाएं केंद्र सरकार की है तथा 1 योजना छत्तीसगढ़ शासन की है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने 426 करोड़ रुपए से अधिक लागत की इन योजनाओं का क्रियान्वयन शीघ्रता से करने के निर्देश दिए है। वहीं छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज के अध्यक्ष रोहित यादव ने तीनों योजनाओं की प्रगति की नियमित तौर पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है।

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा-अभियान (पीएम जनमन) के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की अति पिछड़ी 7 जनजातियों जिनमें अबुझमाड़िया, बैगा, भारिया, पहाड़ी कोरवा, कमार तथा बिरहोर शामिल हैं, इन 7 जनजातियों के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। ग्रिड से विद्युतीकृत गांवों के 7,077 घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 37 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 1,087 बसाहटों में 363.24 किलोमीटर 11 के.वी. लाइन, 267 नग 25 के.वी.ए. क्षमता के वितरण ट्रांसफॉर्मर तथा 650 किलोमीटर से अधिक निम्नदाब लाइनें बिछाई जा रही है। पीएम जनमन के तहत अभी तक 4,500 घरों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है।

प्रधानमंत्री जनजाति उन्नत ग्राम अभियान की घोषणा हाल ही में की गई है जिसके अंतर्गत 919 गांवों के 65,711 अविद्युतीकृत घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 323 करोड़ 63 लाख रुपए की कार्ययोजना को स्वीकृति मिली है। जिसके अंतर्गत 6,863 बसाहटों में 1889.56 किलोमीटर लाइनें, 25 के.वी.ए. क्षमता के 1950 वितरण ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए जाएंगे तथा 5,188 किलोमीटर से अधिक निम्नदाब लाइनें बिछाई जाएंगी।

आदिवासी बहुल गांवों में बिजली पहुंचाने में सबसे बड़ी समस्या वहां के सघन वन क्षेत्र होते हैं। घने जंगलों में बहुत से क्षेत्र पहुंच विहीन होती हैं। इसके अलावा बस्तर के सघन वन क्षेत्रों में विरासत में मिली नक्सलवाद की समस्या भी है जिसके समाधान की दिशा में राज्य सरकार द्वारा केंद्र की मदद से लगातार प्रयास किया जा रहा है। इस मोर्चे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कार्यकाल में बड़ी सफलताएं भी मिल रही हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर सुरक्षाबलों की तैनाती केंद्र तथा राज्य शासन द्वारा की गई है। जिसके लिए सुरक्षा कैम्प बनाए गए है। सुरक्षा कैम्पों के समीप 5 किलोमीटर के दायरे में बहु-आयामी विकास कार्यों को गति देने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा नियद नेल्लानार योजना प्रांरभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत 24 सुरक्षा कैम्पों के 5 किलोमीटर के दायरे में 96 गांवों में घरों को रोशन करने की कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ किया गया है। इसमें ग्रिड से विद्युतीकृत 8 गांवों के 105 आवासों तथा ऑफग्रिड विद्युतीकृत 61 गांवों के 4,399 आवासों को ग्रिड से विद्युतीकृत करने की योजना प्रचलन में है। 61 करोड़ रुपए की लागत से इस योजना के अंतर्गत उपकेंद्रों, वितरण लाइनों की स्थापना की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत बीजापुर जिले के यथागुण्डम तथा चिन्तावागु गांवों का विद्युतीकरण किया गया है तथा 60 आवासों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज के अध्यक्ष रोहित यादव के निर्देशानुसार इन तीनों योजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाना है। एम.डी. डिस्ट्रीब्यूशन भीमसिंह कंवर द्वारा नियमित तौर पर क्रियान्वयन की समीक्षा की जा रही है।

सेंट्रल जेल से पैरोल पर बाहर गए 70 बंदी नहीं लौटे वापस: हाईकोर्ट में हुई मामले की सुनवाई, DGP जेल से मांगी लेटेस्ट रिपोर्ट

बिलासपुर-  हाईकोर्ट में पैरोल पर गए कैदियों की वापसी न होने के मामले में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच ने इस मुद्दे पर सख्ती दिखाई। सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के 30 सितंबर 2024 के आदेश का पालन किया गया है। मुख्य न्यायाधीश ने डीजीपी जेल से ताजा रिपोर्ट शपथ पत्र के जरिए पेश करने को कहा है।

बता दें कि आज सुनवाई के दौरान डीजीपी जेल ने शपथ पत्र के माध्यम से बताया कि 83 कैदी पैरोल पर गए थे। इनमें से 10 को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि 3 की मौत हो चुकी है। शेष 70 कैदी अब भी लापता हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर डीजीपी जेल ने 23 अक्टूबर 2024 को सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया था कि रोजाना रिपोर्ट दी जाए।

मुख्य न्यायाधीश ने डीजीपी जेल से ताजा शपथ पत्र के जरिए रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2024 को होगी।

प्रदेश में स्कूलों के पास तंबाकू उत्पाद बिकने पर हाईकोर्ट सख्त: मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र में मांगा जवाब

बिलासपुर-  प्रदेश में स्कूलों के पास तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है, कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की युगलपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे ड्रग एडिक्ट हो जाएंगे तो क्या होगा ? उन्होंने पूछा, कि कोटपा कानून है तो उसका पालन होना चाहिए कि नहीं ?

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, मीडिया में आई खबरों को लेकर से पता चला है कि बिलासपुर में सरकारी और निजी स्कूलों के पास सड़क के स्टॉल पर तंबाकू उत्पाद खुलेआम बेचे जा रहे हैं। इन रिपोर्टों ने बताया कि कैसे इस तरह की गतिविधियाँ स्कूलों के आसपास के वातावरण को खराब कर रही हैं और छात्रों पर इसका नकारात्मक प्रभाव हो है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिकारियों से जवाब मांगा। महाधिवक्ता ने सोमवार की सुनवाई में शासन का पक्ष रखते हुए शपथ पत्र में जानकारी दी कि 15 नवंबर 2024 के आदेश का परिपालन करते हुए बिलासपुर जिला प्रशासन द्वारा कोटपा अधिनियम का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर पेनल्टी समेत अन्य कार्रवाई की गई है और गंभीरता से कोटपा कानून का पालन कराया जा रहा है।

गौरतलब है कि चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने इस पूरे मामले में मुख्य सचिव और बिलासपुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। इस मामले में अब 5 दिसंबर को सुनवाई होगी।

सीएम साय ने कहा – द साबरमती रिपोर्ट जैसी फिल्म इतिहास के भयावह सच को सामने लाएगा…

रायपुर-  सीएम विष्णुदेव साय ने ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म की सराहना की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, द साबरमती रिपोर्ट जैसी फिल्म इतिहास के उस भयावह सच को सामने लाने के सराहनीय प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए, जिस सच को देश की जनता से हमेशा छुपाने का कुत्सित प्रयास किया गया. इतिहास सबक देता है और उत्तम भविष्य निर्माण का प्रवर्तक बनता है.

धीरज सरना द्वारा निर्देशित और विक्रांत मैसी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म द साबरमती रिपोर्ट ने अपने शुरुआती सप्ताहांत में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया. 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने की दुखद घटना पर आधारित इस फिल्म में रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना भी हैं. यह फिल्म 27 फरवरी, 2002 को गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के एस6 कोच में आगजनी की घटना पर आधारित है, जिसमें अयोध्या से लौट रहे कम से कम 59 श्रद्धालु मारे गए थे. इस घटना के कारण गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे. उस समय पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

धान खरीदी की मात्रा में कटौती की फैली अफवाह: कलेक्टर ने दिया स्पष्टीकरण, कहा-

गरियाबंद-  खरीदी की तीसरे दिन आज देवभोग अमलीदर तहसील क्षेत्र के खरीदी केन्द्र में किसानों के बीच खरीदी की मात्रा कटौती की चर्चा होती रही। कुछ जगह पर तो किसानो ने आक्रोश तक दिखा दिया, हालांकि यह केवल अफवाह थी। जिनका टोकन कटा था, वो तय मात्रा के आधार पर धान का विक्रय कर रहे थे। जिन्हें टोकन कटाना था वे ऑनलाइन टोकन भी निर्धारित 21 क्विंटल के आधार पर कटाते रहे। बावजूद इसके मात्रा में कटौती की चर्चा दिन भर होती रही। इस बीच कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने इसे अफवाह बताते हुए, इसपर घ्यान न देने की बात कही है।

कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने कहा कि मात्रा कटौती की खबर अफवाह है और ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। शासन द्वारा तय खरीदी नीति के आधार पर ही धान की खरीदी होगी। प्रति एकड़ तय मात्रा अधिकतम 21 क्विंटल के माप से ही खरीदी की जाएगी।

इसलिए बनी अफवाह की स्थिति

दरअसल, बोगस खरीदी रोकने प्रशासन लगातार कसावट ला रही है। इसी बीच प्रत्येक खरीदी केंद्र को उस क्षेत्र की अनावरी रिपोर्ट भेज दी गई। यह ऑफ लाइन के अलावा एनआईसी में अपलोड भी किया गया। इसके साथ ही पैदावारी के अनुपात में ज्यादा मात्रा बेचने वाले की लिस्ट भी बनाई गई, ताकि जहां संदेह के आधार पर उसका समय रहते सत्यापन किया जा सके।

इस बार सप्ताह भर पहले टोकन कटाने का प्रावधान

आपको बता दे कि धान खरीदी के लिए इस बार टोकन सप्ताह भर पहले कटाने का प्रावधान किया गया है, ताकि बोगस बिक्री या खरीदी के प्रयास का समय रहते निरीक्षण परीक्षण कर उसका निराकरण किया जा सके।

अब तक 6000 से ज्यादा बोरा धान जप्त, 2 दर्जन वाहन भी

गौरलतलब है कि जिला प्रशासन खरीदी के दरम्यान किसानों को सहूलियत देने की दिशा में प्रयास कर रही है, ताकि उत्पादित धान का एक-एक दाना सहूलियत से बेच सके। इसके अलावा आयातित धान पर भी लगातार कार्रवाई की जा रही है। सोमवार को देवभोग तहसील में 2 पिकअप के अलावा 1200 बोरा धान जब्त किया गया है। वहीं जिले में अब तक की कार्रवाई की बात करें तो 6000 बोरा धान और अवैध परिवहन में लगे डेढ़ दर्जन वाहनों को भी जब्त किया गया है।

रायपुर नगर निगम के कर्मचारियों ने बनाई कार्यकारी कर्मचारी समिति, समस्याओं को लेकर जल्द महापौर और आयुक्त को सौंपेंगे ज्ञापन

रायपुर-    आज नगर पालिका निगम रायपुर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने शीघ्र नगर निगम रायपुर में विधिवत कर्मचारी महासंघ का निर्वाचन एवं गठन करने निगम कर्मचारी कार्यकारी समिति का गठन किया है. यह कार्यकारी समिति शीघ्र नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मांगों एवं समस्याओं को लेकर नगर निगम रायपुर के महापौर एजाज ढेबर, सभापति प्रमोद दुबे, नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे, आयुक्त अबिनाश मिश्रा से मिलेगी एवं उन्हें मांग पत्र एवं ज्ञापन देकर शीघ्र समाधान करवाने अनुरोध करेगी.

आज लगभग 400 निगम अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में सहमति से गठित निगम कर्मचारी कार्यकारी समिति में कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद जाधव, कार्यकारी संरक्षकअरुण दुबे, सुरेन्द्र दुबे, कार्यकारी महामंत्री आशुतोष सिंह, कार्यकारी उपाध्यक्ष मोहित कुमार, श्याम सोनी, कार्यकारी महिला उपाध्यक्ष रुचिका मिश्रा, नलिनी साहू, स्वाती साहू जोन 1 में कार्यकारी प्रभारी इस्माइल खान, जोन 2 में राजश्री श्रीवास, जोन 3 में मोहिब खान, जोन 4 में जितेन्द्र निहाल, जोन 5 में आनंद ताम्रकार, जोन 6 में पुरुषोत्तम यदु, जोन 7 में बमशंकर गुप्ता, जोन 8 में चंदन रगड़े, जोन 9 में विजय शर्मा, जोन 10 में महादेव रक्सेल जोन कार्यकारी प्रभारी बनाए गए हैं.

निगम के सभी विभागों के कर्मचारियों को कर्मचारी कार्यकारी समिति में प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है. कर्मचारी कार्यकारी समिति शीघ्र नगर निगम रायपुर में कर्मचारी महासंघ का विधिवत गठन एवं निर्वाचन करवाने आवश्यक कार्यवाही करेगी. शीघ्र निर्वाचन करवाने सहमति व्यक्त की गई है.

निजी प्रैक्टिस का विरोध करने वाले अब पक्ष में क्यों ? IMA और हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने जताया विरोध

रायपुर-      छत्तीसगढ़ में सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के आदेश को लेकर चिकित्सा जगत में हलचल मच गई है। IMA और हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने इस निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि, “मैं पहले निजी प्रैक्टिस के खिलाफ था, लेकिन अब जो स्थिति उत्पन्न हुई है, वह उचित नहीं है। आधी-अधूरी तैयारी के बीच सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस को बंद करने का आदेश जारी किया गया है, और इसका मैं विरोध करता हूं।”

डॉ. गुप्ता ने यह भी कहा कि, “सरकारी डॉक्टरों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, उनकी व्यवस्था पहले की जाए। ड्यूटी समय में यदि कोई डॉक्टर प्राइवेट अस्पताल में सेवा दे रहा है, तो यह बिल्कुल गलत है। विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे डॉक्टरों को सही दिशा दिखाएं।”

गौरतलब है कि मेडिकल शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस बंद करने के आदेश के बाद प्रभावित मेडिकल कॉलेजों के एक दर्जन से अधिक डॉक्टरों ने इस्तीफे की पेशकश की है। इस फैसले से सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों में असंतोष का माहौल है और आगे की स्थिति पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने गिरिधर मालवीय के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया
रायपुर-   मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गिरिधर मालवीय के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के प्रपौत्र गिरिधर मालवीय के निधन का समाचार पाकर उन्हें गहरा दुःख पहुंचा है। शिक्षा एवं समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रभु श्री राम से दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने एवं शोकाकुल परिजनों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना की है।
सिमगा नगर पालिका गठित, राज्य शासन ने जारी की अधिसूचना
रायपुर-     राज्य शासन द्वारा बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के सिमगा नगर पंचायत को नगर पालिका गठित करने के संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ राजपत्र में इस संबंध में अधिसूचना का प्रकाशन कर दिया गया है। राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार नगर पंचायत सिमगा की सीमाएं ही नगर पालिका परिषद सिमगा की सीमाएं होंगी।
मस्जिदों से तक़रीर का मामला गरमाने के बाद वक्फ बोर्ड ने दिया स्पष्टीकरण, कहा- इमाम धार्मिक तकरीर के लिए है स्वतंत्र
रायपुर-  छत्तीसगढ़ में जुमे की नमाज के दौरान तकरीर के विषयों के लिए इजाजत लेने के मामले के तूल पकड़ने के बाद, वक्फ बोर्ड ने स्पष्टीकरण जारी किया है। बोर्ड ने इस संबंध में सोमवार को छत्तीसगढ़ के सभी जिलों की मस्जिदों के मुतवल्लियों (सदर) के नाम एक पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि मस्जिदों के मुतवल्ली और कमेटी के पदाधिकारीयों को सूचित किया जाता है कि मस्जिद में जुमा की नमाज के पूर्व ईमाम साहब के द्वारा जो धार्मिक बयान/ तकरीर किया जाता है, उसके लिए वह स्वतंत्र है।

बोर्ड ने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि जुमा की नमाज के पूर्व यदि मस्जिद में धार्मिक बयान/तकरीर के अतिरिक्त कोई अन्य विषय पर जमात के समक्ष अपनी बात रखनी है तो इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा पूर्व में मुतवल्लियों (सदर) के लिए बनाये गये व्हॉट्सअप ग्रुप या फिर पत्राचार के माध्यम से वक्फ बोर्ड से अनुमति लिया जाना जरुरी होगा।

मस्जिदों के इमामों के नाम वक़्फ़ बोर्ड का पत्र –

ओवैसी ने साधा था निशाना

गौरतलब है कि एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज के कथित बयान के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक अकॉउंट पर एक पोस्ट जारी कर इसे संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने इस पोस्ट में लिखा- “छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का वक़्फ़ बोर्ड चाहता है के जुमा का खुतबा देने से पहले खतीब अपने खुतबे की जांच वक़्फ़ बोर्ड से करवायें और बोर्ड की इजाज़त के बिना खुतबा ना दें। अब भाजपाई हमें बतायेंगे के दीन क्या है? अब अपने दीन पर चलने के लिए इनसे इजाज़त लेनी होगी? वक़्फ़ बोर्ड के पास ऐसी कोई क़ानूनी ताक़त नहीं, अगर होती भी तो भी वो संविधान के दफा 25 के ख़िलाफ़ होती।