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सरायकेला : कुमारघाट-अगरतला रेलखंड पर फर्जी तरीके से कर रहे थे टिकट की जांच, आरपीएफ ने किया गिरफ्तार।
सरायकेला : कोल्हान में फर्जी टिकट चेकर हुसैन अली और कौशिक सरकार हुए गिरफ्तार । टिकट चेकर की वर्दी पहनकर पैसेंजर गाड़ी में यात्रियों के टिकट की जांच कर रहे दो फर्जी टिकट चेकरों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। दोनों को धर्मानगर अगरतला रेल खंड में चलने वाली पैसेंजर गाड़ियों में संध्या के समय बिना प्राधिकार पत्र के गलत तरीके से टिकट चेकिंग करते हुए पाए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया। प्राप्त सूचना के अनुसार फर्जी टिकट चेकर हुसैन अली द्वारा 05676 धर्मानगर अगरतला पैसेंजर गाड़ी में टिकट चेकिंग की जा रही थी। इस ट्रेन में एस्कॉर्ट की ड्यूटी कर रहे रेल सुरक्षा बल के अजीत कुमार सरकार और अंजन पॉल को हुसैन अली की कार्य प्रणाली और गतिविधियों को देखकर संदेह हुआ। आरपीएफ जवानों ने फर्जी टीटीई हुसैन अली से पहचान पत्र और प्राधिकार पत्र दिखाने के लिए कहा। हुसैन अली ने पहले तो कहा कि वह एक नवनियुक्त टिकट चेकिंग कर्मचारी है और इसलिए टिकट की जांच कर रहा है, लेकिन बाद में उसने स्वीकार कर लिया कि उसके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है। दीमापुर के टिकट चेकिंग मस्टर रोल से भी क्रॉस वेरिफिकेशन किया गया जिसमें हुसैन अली के फर्जी होने की पुष्टि हो गई। इसके बाद हुसैन अली को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। इसी रेलखंड में चलने वाली पैसेंजर गाड़ी 05675 डाउन में काम कर रहे सीनियर टिकट चेकिंग कर्मचारी सुबर्जित पॉल ने कौशिक सरकार नामक एक फर्जी टिकट चेकर को संदेह के आधार पर धड़ दबोचा। कौशिक सरकार ने पहले बयान दिया कि उसको टिकट चेकर के रूप में रेलवे में नौकरी मिली है लेकिन किसी प्रकार का अथॉरिटी लेटर या पहचान पत्र दिखाने में वह असफल रहा जिसके बाद सुब्रजीत पॉल ने फर्जी टिकट चेकर कौशिक सरकार को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया।
सरायकेला :बदलते भारत की बदलती तस्वीर भारतीय रेल के स्वरूप मे अब उभरने लगी है।।...
सरायकेला : विविधताओं से भरा अपना देश निराला है। अपने यहाँ, चीज़ों को अलग नज़रिए से देखने की प्रशस्त परंपरा रही है। हमारे लिए गंगा और गोदावरी सिर्फ़ नदियों के नाम नहीं, जीवन दायिनी माँ के पर्यायी हैं। संगीत, कानों को सुख देने का सिर्फ़ साधन नहीं, सुरों की साधना का ज़रिया है।कुछ वैसे ही, हम देशवासियों के लिए, भारतीय रेल, महज़ एक अदद इंजन और डेढ़ दर्जन डिब्बों से लैस गाड़ी नहीं, घर परिवार से दूर जीविकार्जन कर रहे हमारे श्रमिकों, किसानों, जवानों और करोड़ों नागरिकों का अपने परिवारों और प्रियजनों से भावनात्मक रिश्तों को जोड़ता एक पुल है।

पूरब से पश्चिम, और उत्तर से दक्षिण बिछी पटरियों पर सिर्फ़ हमारी ट्रेनें नहीं दौड़तीं - उनसे होकर रिश्तों के एहसास गुज़रते हैं। विराट भारत देश की विविधताओं को अपने अंतर में समेटे, भारतीय रेल, भारत सरकार की प्रतिनिधि भी है, और देशवासियों की आकांक्षाओं का प्रतीक भी इन आकांक्षाओं की अग्नि परीक्षा हर साल त्योहारों के मौसम में होती है, जब परिवार से दूर जीवन यापन कर रहे करोड़ों देशवासी अपने घरों को लौटते हैं। महानगरों की गुमनामी भरी ज़िन्दगी में, साल भर की जी तोड़ मेहनत के बाद, अपनों से मिलने के अरमान लिए ये मेहनतकश एक विशाल समूह में निकल पड़ते हैं रेल के सफ़र पर। संख्या इतनी ज़्यादा, कि अगर आपने उस परिवेश में कभी काम ना किया हो, तो देखते ही हाथ-पाँव फूल जायें। और, अगर बात त्योहार और विशेष दिनों में उमड़ते जन-सैलाब की हो, तो सिर्फ़ रेल संचालन से बात नहीं बनती। आपको रेलवे स्टेशन पर आये लोगों के सुचारू रूप से ठहरने, टिकट ख़रीदने, जलपान आदि की भी पर्याप्त व्यस्तता करनी होती है। इसके लिए रेल अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा स्वयं सेवी संगठनों का भी सहयोग मिलता है।

भारतीय रेल प्रशासन को करोड़ों की संख्या में आये यात्रियों को अपने गंतव्यों तक पहुँचने का कई दशकों का अनुभव है, पर अब सारी कोशिश इस अनुभव को क्रमशः सुखद बनाने की है। अगर विदेशी मेहमानों से कभी इस विषय पर चर्चा हो, तो वे दांतों तले उँगलियाँ दबा लेते हैं। यातायात प्रबंधन की जानकारी रखने वाले कई साथी, यह सुनकर कि त्योहारों के दौरान रेलवे ने एक लाख सत्तर हज़ार ट्रेनों के फेरों के अलावा 7,700 विशेष ट्रेनों का संचालन किया, हैरत में पड़ जाते हैं।

अब आप, सूरत के पास स्थित औद्योगिक शहर ऊधना को ही ले लीजिये - यहाँ के रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन औसतन सात-आठ हज़ार यात्रियों का आवागमन होता है - चार नवंबर को इस छोटे से स्टेशन पर चालीस हज़ार से ज़्यादा की भीड़ उमड़ आयी। अगर, रेलवे प्रशासन ने एक टीम की तरह काम करते हुए उचित व्यवस्थाएँ ना की होती, तो यात्रियों की परेशानी का अन्दाज़ लगाना भी मुश्किल होता। त्योहार के दौरान, देश भर में सबसे अधिक आवागमन नई दिल्ली स्टेशन से हुआ। इस अवधि में सिर्फ़ इस स्टेशन से, यात्रियों की माँग पर एक दिन मे 64 स्पेशल और 19 अनारक्षित ट्रेनों का संचालन किया गया। विदेशी मेहमानों से भरी एक सभा में जब त्योहारों में रेल यात्रा की चर्चा हुई, तो एक राजनयिक यह सुनकर दंग रह गये कि इस साल अकेले छठ महापर्व के पहले, 4 नवम्बर को, लगभग 3 करोड़ लोग ट्रेन से अपने गंतव्यों तक गये, और त्योहार के दिनों में तो रेलवे ने लगभग 25 करोड़ यात्रियों को यात्रा करने में मदद की।

संबंधित राजनयिक ने, हल्की मुस्कान के साथ कहा कि पाकिस्तान की कुल आबादी से ज़्यादा लोगों ने तो महज़ कुछ दिनों में ही आपकी ट्रेनों में यात्रा की! भारतीय रेल को यह एहसास है कि देश के पूर्वी हिस्सों से बड़ी संख्या में उद्योग केंद्रों में श्रम कर रहे हमारे इन भाई-बहनों का देश के निर्माण में अहम किरदार है। जम्मू की अटल टनल से लेकर मुंबई की सी-लिंक तक, और बेंगलुरु की आई-टी प्रतिष्ठानों से लेकर दिल्ली के निर्माणाधीन भवनों तक को, पूरब की मिट्टी में रचे बसे लोगों ने अपने हाथों से गढ़ा है। देश की सीमाओं पर तैनात फ़ौज या सीमा सुरक्षा बल के जवान हों, पंजाब के खेतों में फ़सल उगा रहे मज़दूर, सरकारी ऑफिसों तथा निजी संस्थानों में सेवारत कर्मचारी, बड़े-बुज़ुर्ग, या देश की प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थी, ये सब अपने अपने तरीक़ों से आज और आनेवाले कल के भारत को गढ़ रहे हैं। भारतीय रेल भी आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस वन्दे भारत, अमृत भारत, नमो भारत जैसी ट्रेनों के लगातार विस्तार और देशभर में हजार से ज़्यादा रेलवे स्टेशनों को अमृत स्टेशन में बदलकर एक नयी और विश्वस्तरीय यात्रा पर चल पड़ी है। बदलते भारत की बदलती तस्वीर भारतीय रेल के स्वरूप मे अब उभरने लगी है।
सरायकेला : जंगली हाथीयों के झुंड ने जुगीलोंग गांव में गरीब किसानों का धान खाया ओर रौंद डाला ,हाथी भगाने के लिए पहुंचे ग्रामीण। वन विभाग के देखा
रायकेला : जिला के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत जुगलोंग गाँव में जंगली हाथियों झुंड ने दर्जनों गरीब किसानो का पके खड़ी फसल धान को खाया और पैर से कुचल कर नष्ट कर दिया। चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में हाथियों के आतंक एक गंभीर समस्या बना है, जिसमे स्थानीय लोंगो का जन जीवन प्रभावित हो रहा है। विशाल ट्रस्कर हाथी जंगल को छोड़कर गांव मे प्रवेश कर रहे है और फसलों को नुकसान पंहुचा रहे है। जिसमें किसानों में वन विभाग के प्रति नाराजगी देखा गया । साल भर की मेहनत को एक ही रात में बर्बाद कर देते है। हाथियों की आतंक से जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। शाम ढलते ही हाथियों का झुंड विभिन्न जंगलों से उतर कर गांव में प्रवेश कर जाते है, साथ ही किसान की घर में रखे घरेलु सामग्री को दीवार को क्षति ग्रस्त करके धान व चावल आदि सामग्री को अपना निवाला बनाते है। जिसमें इस क्षेत्र के मानव समुदाय के लिए आज के दौर में एक बड़ा समस्या उत्पन्न हो गया। अब धान की फसल पक कर तैयार है।उस कड़ी में फसल को अपना भोजन बना रहे है एवं पैर तले रोंद कर नष्ट कर देते है। तीन दिन पहले कदला पहाड़ पर 22 हाथियों का झुंड देखा गया था, अभी पाड़कीडीह महुल गोड़ा के पास पलाश के झाड़ी मे छुपे है। शाम ढलते ही चिंगरापाड़किडीह, हुंडरूपत्थरडीह, चातरमा, जामडीह, जुगिलोंग, पूसपुतुल, होदागोड़ा मे घूम रहा है। जिससे गरीब किसान वन क्षेत्र पदाधिकारी ओर वर्तमान सरकार के प्रति नाराजगी जताई। दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी रहने के बाबजूद आज हाथियों का झुंड पलायन कर ग्रामीण क्षेत्र मे डेरा डाला।केंद्र सरकार ओर राज्य सरकार द्वारा वन एवं पर्यावरण विभाग को प्रति बर्ष करोड़ों रुपया मुहैया करते हैं परन्तु हाथी की जंगल छौड़ कर बारों महीना ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र में डेरा डाला हुआ हे। हाथी द्वारा क्षत्रि पूर्ति का मुआवजा का राशि ग्रामीणों नहीं मिलने के कारण आज ग्रामीण वन विभाग के प्रति नाराजगी जताई जा रहा हे। वन विभाग के पदाधिकारी से पूछे जाने पर मौन बना लिया हे।
सरायकेला : आईटीआई लूपुंग़डीह परिसर में लोक नायक भगवान बिरसा मुंडा जी का जयंती मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया ।
सरायकेला : आज नारायण आईटीआई लुपुंगडीह परिसर में एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक भगवान बिरसा मुंडा जी का जयंती मनाई गई एवं उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया ।
इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडेजी ने कहा कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सुगना पुर्ती (मुंडा) और माता का नाम करमी पुर्ती (मुंडा) था। साल्गा गाँव में प्रारंभिक पढ़ाई के बाद वे चाईबासा (गोस्नर इवेंजेलिकल लुथरन चर्च) विद्यालय में पढ़ाई करने चले गए। बिरसा मुंडा को उनके पिता ने मिशनरी स्कूल में यह सोचकर भर्ती किया था कि वहाँ अच्छी पढ़ाई होगी लेकिन स्कूल में ईसाईयत के पाठ पर जोर दिया जाता था।सभी आदिवासियों को संगठित किया फिर छेड़ दिया अंग्रेजों के ख़िलाफ़ महाविद्रोह 'उलगुलान'।

आदिवासी पुनरुत्थान के जनक बिरसा मुंडा धीरे-धीरे बिरसा मुंडा का ध्यान मुंडा समुदाय की गरीबी की ओर गया। आदिवासियों का जीवन अभावों से भरा हुआ था। और इस स्थिति का फायदा मिशनरी उठाने लगे थे और आदिवासियों को ईसाईयत का पाठ पढ़ाते थे। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि गरीब आदिवासियों को यह कहकर बरगलाया जाता था कि तुम्हारे ऊपर जो गरीबी का प्रकोप है वो ईश्वर का है। हमारे साथ आओ हमें तुम्हें भात देंगे कपड़े भी देंगे। उस समय बीमारी को भी ईश्वरी प्रकोप से जोड़ा जाता था।20 वर्ष के होते होते बिरसा मुंडा वैष्णव धर्म की ओर मुड़ गए जो आदिवासी किसी महामारी को दैवीय प्रकोप मानते थे उनको वे महामारी से बचने के उपाय समझाते और लोग बड़े ध्यान से उन्हें सुनते और उनकी बात मानते थें। आदिवासी हैजा, चेचक, साँप के काटने बाघ के खाए जाने को ईश्वर की मर्जी मानते, लेकिन बिरसा उन्हें सिखाते कि चेचक-हैजा से कैसे लड़ा जाता है। वो आदिवासियों को धर्म एवं संस्कृति से जुड़े रहने के लिए कहते और साथ ही साथ मिशनरियों के कुचक्र से बचने की सलाह भी देते। धीरे धीरे लोग बिरसा मुंडा की कही बातों पर विश्वास करने लगे और मिशनरी की बातों को नकारने लगे। बिरसा मुंडा आदिवासियों के भगवान हो गए और उन्हें 'धरती आबा' कहा जाने लगा। लेकिन आदिवासी पुनरुत्थान के नायक बिरसा मुंडा, अंग्रेजों के साथ साथ अब मिशनरियों की आँखों में भी खटकने लगे थे। अंग्रेजों एवं मिशनरियों को अपने मकसद में बिरसा मुंडा सबसे बड़े बाधक लगने लगे।भगवान बिरसा मुंडा की वीरता और संघर्ष से काफी प्रभावित होकर धरती आबा पर फिल्म बनाने की पूरी तैयारी पूरी कर ली गयी है। साल 2024 के मार्च महीने में भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू से फिल्म की शूटिंग शुरू करने की बात कही गई है।1900ई को बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया और रांची जेल में बिरसा की मृत्यु हैजे से हो गयी 'बिरसा मरे नहीं, अपितु अमर हो गए। जब जब आदिवासी विद्रोह के बारे में हम बात करेंगे, बिरसा मुंडा का नाम प्रथम पंक्ति में लिया जाएगा।आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौजूद रहे ऐडवोकेट निखिल कुमार, सुधीष्ट कुमार, शांति राम महतो,पवन कुमार, अजय कुमार, प्रकाश महतो, कृष्णा पद महतो, गौरव महतो , शशि भूषण महतो, आदि मोजद रहे।
सरायकेला : एलिफेंट फाइटिंग , लोगो में दहशत का माहौल बन गया । होड़ागोड़ा गांव में कल साम से दो ट्रस्कर का लड़ाई जारी हे। वन विभाग रहे मौन।
रायकेला : झारखंड राज्य में 43 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कल सम्पन्न हुआ ।आज सुबह नीमडीह थाना अंतर्गत रघुनाथपुर के होड़ागोड़ा गांव में दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के विशाल ट्रस्कर गजराज की लड़ाई से आस पास ग्रामीण भया भय रहने लगा । ग्रामीण प्रत्येक दिन सुबह दैनिक कार्य ड्यूटी या दैनिकभोगी मजदूर आदिवासी लोगों काम करने जाते हे। इसी दौरान आज सुबह दो एलिफेंट की फाइटिंग से रास्ता पर आवाजाही बंद रहा घंटों भर दोनो हाथी लड़ाई जारी रहा ।ग्रामीणों एलिफेंट फाइटिंग देखने दूरदराज से लोगो देखने पहुंचे ।एक तरफ चुनाव पार होते ही दूसरी ओर गजराज की लड़ाईयां जारी जिसे जनजीवन अस्त्वस्त रहने लगा । ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र दर्जनों गांव हे जो जंगल से घिरे हुए हे, होड़गोड़ा गांव भी जंगल से घिरे हुए हे। आज होड़ागोड़ा गांव के ग्रामीणों की कहना हे कि चांडिल दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी हे।जो गज परियोजना से जाने जाते हे।भोजन पानी की तलास में आज सेंचुरी से हाथी की झुंड पलायन करके ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के चारों प्रखण्ड के छोटे बड़े जंगल में डेरा डाला हुआ । ओर शाम ढलते ही हाथी की झुंड जंगल से उतरकर गांव में प्रवेश करके उपद्रव मचाना लगता । गरीब वर्ग के किसान खेत खालिया के साथ घरों में रखे धान अनाज को एलिफेंट टारगेट बना कर घरों को क्षतिग्रस्त करके रखे धान चावल आदि सामग्री को अपना निवाला बना लेता । इस संबंध में चांडिल वन क्षेत्र के पदाधिकारी से पूछे जाने पर मौन बना लिया ।आज गरीब किसान , नेता मंत्री ओर सरकारएवं वन विभाग के प्रति नाराजगी जाहिर किया । विभाग हाथी भेज कर हमे गांव से भगाने की निर्णय कर लिया । एक दर्शक था ग्रामीण नक्सली के डर से गांव छोड़कर शहर में बसने लगा था ।दर्जनो ग्रामीण आज भी शहर में डेरा हुआ हे।आज लोगो ने हाथी की आतंक से ग्रामीण गांव छोड़ कर।भगाने पर मजबूर हो गया ।हाथी की समस्या से जन जीवन त्रस्त गया ।सरकार ओर वन एवं पर्यावरण विभाग की लापरवाही के कारण कोई लोगो का जान भी जा चुके हे । कोई परिवार घरों से बेघर हो गया ।इसका जिंबेदार कोन है।आज ग्रामीण ईश्वर पर भरोसे जीने पर मजबूर हे। ना जाने कब हाथी की झुंड घरों प्रवेश कर बैठे या मौत बनकर आंगन में खड़े रहे। गरीब किसान सूर्य ढलते ही घरों से निकलना मुश्किल हो गया ।
सरायकेला :जिले का विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में आज साम पांच बजे औसत मतदान प्रतिशत 76.07%
जिला:- सरायकेला-खरसावां  विधानसभा निर्वाचन में मतदान की साम 05:00 PM तक  जिले का औसत मतदान प्रतिशत-76.07% रहा ।
5O- ईचागढ़ विधानसभा निर्वाचन  क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 77.98%

51- सरायकेला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में  मतदान प्रतिशत:- 71.54%

57- खरसावां विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में  मतदान प्रतिशत:- 78.71%

सरायकेला : जिले में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में मतदान 67.03% हुआ ।
सरायकेला : जिले का औसत मतदान प्रतिशत 67.03%

विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में मतदान  आज साम  03:00 PM बजे तक ।

5O- ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 67.39%
51- सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 63.57%


57- खरसावां विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 70.14 %
समय:- 01:00 बजे तक जिले का औसत मतदान प्रतिशत-51.006...
सरायकेला : चुनाव का पर्व, देश का गर्व विधानसभा आम निर्वाचन-2024 का मतदान में रुझान ।


समय:- 01:00 बजे तक जिले का औसत मतदान प्रतिशत-51.006
5O- ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 50.42%

51- सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 49.10%

57- खरसावां विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 53.68%
सरायकेला : विधान सभा क्षेत्र में 11 बाजे तक मतदान ..
सरायकेला : विधानसभा चुनाव की मतदान 11:00 बजे तक इस प्रकार रहा।


5O- ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र सेमतदान प्रतिशत:- 31.49 %

51- सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से मतदान प्रतिशत:- 32.16%

57- खरसावां विधानसभा क्षेत्र* *मतदान प्रतिशत:- 34.93%
सरायकेला : सुबह 9 बजे तक मतदान 15.22% मतदान हुआ । शांति पूर्वक मतदान चल रहा हे।..
सरायकेला खरसावां जिला के तीनों विधान सभा में सुबह 9 बजे तक मतदान इस प्रकार
5O- ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 15.22%

51- सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत:- 13.84%

57- खरसावां विधानसभा क्षेत्र में  मतदान  प्रतिशत:- 15.09%

सरायकेला  ईचागढ़ 50 विधान सभा क्षेत्र के दलमा की तराई में बसे सवर, खाड़िया, पहाड़िया,आदिम जनजाति समुदाय के लोगों को नीमडीह प्रखण्ड स्तर से गाड़ी की सुविधा उपलब्ध कराया गया । सरकार की उद्देश्य हे कि एक भी मतदाता  विकलांग व्यक्ति न छुटे । मतदान कराने के लिए गाड़ी के माध्यम से वृद्ध महिलाएं पुरुष को मतदान केंद्र लाया गया । चालियामा पंचायत के चालियामा उच्च विद्यायल बुत संख्या 205 संख्या में कड़ी सुरक्षा के साथ मतदान केंद्र में बोटिंग चल रहा हे। हर सुविधा उपलब्ध कराया गया।

ईचागढ़ के एनडीए गठबंधन आजसू प्रत्याशी हरेलाल महतो ओर उनके धर्म पत्नी रीना महतो ने अपने पक्ष का वोट मतदान करने आपने मतदान केंद्र पहुंच कर बहुमत मतदान दिया ओर लोगो से अर्पिल की आपने चाहिदा उम्मीदवार को मतदान करके विधायक चुने ओर अपने सरकार बनाए ।