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औरंगाबाद सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत दूसरा गंभीर रूप से जख्मी।
बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज गया रेफर। गोह । रविवार की देर रात गोह थाना क्षेत्र के बाजार बर्मा गांव के समीप सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से जख्मी हो गया। जानकारी के अनुसार बन्देया थाना क्षेत्र के मलहद गांव निवासी विश्वनाथ शर्मा उम्र 32 वर्ष व गांव के ही सूरज कुमार उम्र 22 वर्ष दोनों एक ही बाइक पर सवार होकर किसी कार्य को लेकर गया की तरफ जा रहे हैं, जैसे ही बाजार बर्मा गांव के समीप पहुँचे की बाइक चालक का संतुलन बिगड़ गया,और बाइक पलट गई जहां विश्वनाथ शर्मा की मौत घटनास्थल पर ही हो गई जबकि सूरज गंभीर रूप जख्मी हो गया, जिसे प्राथमिक उपचार के बाद गया मगध मेडिकल कॉलेज गया रेफर कर दिया गया। वहीं सूचना पर पहुँची गोह पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है। इधर मौत के बाद पूरे परिवार में मातम पसरा हुआ है।


गोह से श्रवण कुमार के रिपोर्ट
गोह शिक्षण संस्थान के निदेशक के निधन पर जताया शोक।
गोह । सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत दधपी में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर शोक सभा का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता पूर्व मुखिया राजेंद्र प्रसाद वर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि निजी संस्थान तपोभूमि के निदेशक सह दधपी गांव निवासी 55 वर्षीय सुदामा शर्मा एक कुशल ग्रामीण शिक्षक थे। उनका अकास्मिक निधन होने से शिक्षा जगत में अपूर्णनिए क्षति हुई है। कम समय में चले जाने से प्रखंड क्षेत्र के लोगों में काफी गहरी संवेदना है।वे अपने पीछे एक पुत्र ,दो पुत्री व पत्नी को छोड़ गए हैं। उनका एकलौता पुत्र ज्ञयान प्रकाश एयर लाइंस सर्विस में कार्यरत हैं। पिता के निधन से पुत्र काफी विचलित है।उनके निधन पर शामिल लोगों ने स्वजनों को संतावना दिया है। शिक्षक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दिया ।इस शोक सभा में उपस्थित ओमप्रकाश शर्मा उर्फ रामकेवल, धर्मेंद्र कुमार, लक्ष्मण शर्मा, यमुना प्रसाद, अमन कुमार, विजय यादव,अवधेश कुमार, सत्यनारायण राम, वकील कुमार, सहित दर्जनों समाजसेवी मौजूद थे।



गोह से श्रवण कुमार के रिपोर्ट
*औरंगाबाद लूटपाट कांड के कई कांडों के आरोपित को बंदेया पुलिस ने किया गिरफ्तार*
गोह । बंदेया थाना पुलिस ने थाना कांड संख्या 13 / 2020 के प्राथमिकी अभियुक्त स्वर्गीय बाबूलाल पासवान के पुत्र सुरेश पासवान को गया जिले के धर्मशाला स्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के समीप से गिरफ्तार किया गया है। एस डीपीओ कुमार ऋषि राज ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि गिरफ्तार अभियुक्त पर गया जिले के डेल्हा ,चंदौती और टिकारी थाना क्षेत्र में लूट कांड के कई प्राथमिकी दर्ज है और वह बहुत दिनों से फरार था । बंदेया थाना अध्यक्ष दिनेश कुमार ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्त को जेल भेज दिया गया है।
गोह से श्रवण कुमार के रिपोर्ट
*कुष्ठ निवारक है देव का सूर्यकुंडदेव कार्तिक छठ महापर्व विशेषांक*
देव कार्तिक छठ महापर्व विशेषांक - -राजा ऐल का कुष्ठ इसी कुंड के जलस्पर्श से हुआ था दूर -सफेद दाग के कुष्ठ मरीज इस कुंड में इसी आस्था के साथ करते हैं स्नान और सूर्यमंदिर में करते हैं दर्शन -एरकी गांव में है भगवान सूर्य की पत्नी और पुत्र का मंदिर  औरंगाबाद : देव का त्रेतायुगिन सूर्यकुंड (तालाब) लाखों छठ व्रतियों के लिए आस्था का प्रतिक है। नहाय खाय के दिन से इस सूर्यकुंड में स्नान कर त्रेतायुगितन सूर्यमंदिर तक दंडवत देने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा है। आज गुरुवार को इस कुंड में 10 लाख से अधिक छठव्रति डूबते सूर्य को अर्घ्य प्रदान करेंगे। ऐसे तो सुबह से ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया है। ऐसी मान्यता है कि देव सूर्यकुंड तालाब में स्नान कर सूर्यमंदिर में दर्शन करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है। कई श्रद्धालु और पौराणिक काल में राजा इसका गवाह भी बने है। तालाब के इतिहास के पीछे कई ऐतिहासिक रहस्य छिपा है। जिसकी चर्चा भविष्य पुराण से लेकर सूर्य स्रोत जैसे धार्मिक ग्रन्थों में वर्णित है। जनश्रुतियों के अनुसार त्रेतायुग में ऐल नाम के एक बड़े प्रतापी राजा थे किंतु वे कुष्ट रोग से ग्रसित थे। एक दिन वे शिकार खेलने के क्रम में जंगल क्षेत्र वर्तमान सूर्य नगरी देव पहुंचे। राजा ऐल को जब प्यास लगा तो वे जल खोजने लगे। राजा पानी की तलाश में भटकने लगे तभी उनकी नजर एक गड्ढे पर पड़ी जिसमें थोड़ा पानी दिखाई दिया। वे पानी देख दौड़े एवं गड्ढे का जल को अंजुली से जलपान कर एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगे। कुछ समय बाद अद्भुत चमत्कार हुआ जिसे देखकर राजा ऐल आश्चर्यचकित रह गए। हुआ यह कि जहां जहां उक्त गड्ढे का जल स्पर्श हुआ उस स्थान का कुष्ठ मिट गया था। इसके बाद राजा ने अपना भाग्योदय समझ गढ्डे में कूद पड़े और बाहर निकले तो कुछ देर बाद कुष्ठ रोग समाप्त हो चुका था। राजा गड्ढे के जल को प्रणाम करते हुए वे उस स्थान से चलकर आज के सूर्य मंदिर के पास पहुंचे जहां पर एक मिट्टी का टीला था जिस पर एक पेड़ के नीचे आराम करने लगे। इसी दौरान स्वप्न हुआ कि हम भगवान भाष्कर बारह आदित्यों में से एक इस टीले के नीचे दबे पड़े हैं यदि तू मुझे निकाल मंदिर का रूप देकर स्थापित कर दोगे तो तुम धन्य-धान्य से परिपूर्ण हो जाओगे। तत्पश्चात इला के पुत्र ऐल इस टीला की खुदाई कराकर भगवान भाष्कर के ब्रह्मा, विष्णु, महेश के रूप में तीन मूर्तियां पाई। इन मूर्तियों को राजा उसी स्थान पर स्थापित कराकर भगवान विश्वकर्मा द्वारा विशाल मंदिर का निर्माण कराया। एरकी गांव में है सूर्य की पत्नी और पुत्र का मंदिर अंबेडकर विश्व विद्यालय के उप अधिष्ठाता और भारतीय संग्रहालय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद वर्द्धन कहते हैं कि भगवान सूर्य की पत्नी संज्ञा और पुत्र रेवंत का मंदिर देव से करीब दो किमी दूर एरकी गांव में है। इस गांव में पौराणिक नैन (नवीन) वृक्ष है जो कितना पौराणिक है इसके बारे में कोई बता नहीं पाते हैं। यह वृक्ष मगध के किसी भी क्षेत्र में नहीं देखा गया है। इसी वृक्ष के नीचे भगवान सूर्य की पत्नी और पुत्र का स्थान है। इस मंदिर में आज भी मिट्टी के घोड़े और घोढ़ी चढ़ाई जाती है। बताया कि इस मंदिर में पूजन से मनुष्य का रोग दूर हो जाता है। कई श्रद्धालु इसका गवाह बने हैं कि यहां पूजा कर अपना शरीर के रोग को दूर किए हैं। इस गांव में रहने वाले एकसौरिए (एक्सरिया) भूमिहार ब्राह्भणों ने देव सूर्यमंदिर के जीर्णोद्धार कार्य में सहयोग किए थे। गांव के पंडित तिवारी के पुत्र नाथजी तिवारी उड़ीसा के शिल्पीकार को बुलाने कटक गए थे। यही एरकी गांव की स्थापना किए थे। अध्यक्ष ने कहा कि इसका उनके पास प्रमाण है।




औरंगाबाद से धिरेन्द्र पाण्डेय
औरंगाबाद भगवान विश्वकर्मा ने किया था देव सूर्यमंदिर का निर्माण*



औरंगाबाद : देव का सूर्य मंदिर देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हो गया है।सूर्यमंदिर के मुख्य द्वार पर लगे शिलालेख के अनुसार यह करीब 9 लाख 49 हजार 131वर्ष पुराना है। मंदिर का निर्माण त्रेतायुग में भगवान विश्वकर्मा ने किया था। हालांकि वास्तुकार इसका निर्माण काल गुप्तकालीन बताते हैं। एएसआइ इसे पांचवीं से छठी शताब्दी के बीच का बताता है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि त्रेतायुग में इला के पुत्र ऐल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था मंदिर के निर्माण से संबंधित शिलालेख मंदिर परिसर में प्रवेश द्वार पर दाहिने तरफ लगा है। शिलालेख के अनुसार माघ मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि गुरुवार को इला के पुत्र ऐल ने त्रेतायुग में मंदिर का निर्माण कराया था। त्रेतायुग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद सूर्यमंदिर का शिलान्यास किया गया था। शिलालेख के अनुसार त्रेतायुग 12 लाख 86 हजार वर्ष का होता है। इसमें 12 लाख 16 हजार वर्ष घटा देने के बाद 80 हजार वर्ष होता है। त्रेतायुग के बाद द्वापरयुग आया है। यह आठ लाख 64 हजार वर्ष का था। वर्तमान कलियुग के 6128 वर्ष बीत चुके हैं। इस प्रकार वर्तमान संवत 2080 को सूर्य मंदिर के बने करीब 9 लाख 49 हजार 131 वर्ष हो चुके हैं। कई बार भूंकप के झटके से नहीं बिगड़ा मंदिर का संतुलन कई बार भूकंप आने के बावजूद मंदिर का संतुलन नहीं गड़बड़ाया है। मंदिर का गुबंद इस तरह का बनाया गया है कि उसपर कोई चढ़ नहीं सकता है। मंदिर के जानने वाले लोग बताते हैं कि मंदिर में विद्यमान तीन स्वरुपी भगवान सूर्य की प्रतिमा जीवंत है। प्रतिमा के सामने जो भी श्रद्धालु खड़े होकर जो मांगते हैं वह मिलता है। मंदिर परिसर में भगवान सूर्य के अलावा कई देवी देवताओं की प्रतिमा दर्शनीय और लाभकारी है। मंदिर बिहार की नहीं देश की पौराणिक विरासत है। इसे संरक्षित करना सरकार एवं सबका दायित्व है। विश्‍व धरोहर में शामिल करने की है जरूरत देव का सूर्यमंदिर को विश्‍व विरासत में शामिल करने की जरूरत है। संरक्षण के अभाव में मंदिर का पत्थर टूटकर गिर रहा है। मंदिर के गर्भ गृह में मुख्य द्वार के बिंब में दरार आ गया है। प्रवेश द्वार के ऊपर पत्थर दरक गया है। जानकारों के अनुसार अगर एक भी पत्थर का संतुलन बिगड़ा तो मंदिर को काफी नुकसान हो सकता है। वर्तमान में मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड के अधीन है। बोर्ड के द्वारा मंदिर के रख रखाव एवं देख रेख के लिए मंदिर न्याय समिति का गठन कर उसके अधीन दिया गया है। केमिकल पेंट से मंदिर को नुकसान बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने जब इस मंदिर का निरीक्षण करने पहुंचे थे तब वे मंदिर परिसर में सीमेंट के बनाए गए मंदिर के अलावा अन्य स्ट्रक्चर का विरोध किया था। मंदिर के पत्थर पर किए गए केमिकल पेंट को भी मंदिर के लिए नुकसान बताया था। हालांकि पूर्व अध्यक्ष के आदेश पर आजतक अमल नहीं किया गया है। वर्तमान में मंदिर की सुरक्षा को लेकर पत्थरों में किसी भी तरह का कील गाड़ने पर कमेटी के द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है। हर वर्ष 15 लाख से अधिक पहुंचते है श्रद्धालु और पर्यटक देव सूर्यमंदिर को देखने और दर्शन करने हर वर्ष 15 लाख से अधिक श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं। छठ मेला में देश के कोने कोने से श्रद्धालु आते थे। यह मंदिर नई दिल्ली से कोलकाता को जाने वाली जीटी रोड से करीब 6 किमी हटकर है। कहते हैं भारतीय संग्रहालय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय संग्रहालय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद वर्द्धन कहते हैं कि देव सूर्यमंदिर पौराणिक है। यहां भगवान सूर्य सविता स्वरूप में हैं। देव सूर्यमंदिर के आठों दिशाओं में अलग-अलग स्वरूप में सूर्यमंदिर है। यह सूर्यक्षेत्र माना जाता है। बताया कि 16वीं शताब्दी में राजा भैववेंद्र ने इस सूर्यमंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
*औरंगाबाद देव् में छठ व्रतियों से भरी ऑटो कुआँ में गिरा एक कि और 6 घायल बाकी की तलाश जारी*
बिहार के औरंगाबाद से इस वक्त की बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है जहाँ छठ व्रतियों से भरी ऑटो कुआ मे गिर गया है , जिसमे एक की मौके पर मौत हो गई है वही 6 लोग बुरी तरह से घायल हो गए है ,सभी घायलों को ग्रामीणों द्वारा इलाज हेतु सदर हॉस्पिटल औरंगाबाद भेज दिया गया है , जहाँ डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद सभी की इस्थिति को गंभीर देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया है , और अभी भी कुछ लोगो को कुएं में फसे होने की सम्भावना जताई जा रही है जिसको लेकर एनडीआरएफ के टीम के द्वारा रेस्क्यू ओप्रेसन चलाई जा रही है घटना देव थाना क्षेत्र के चांदपुर गांव के पास की है , हादसे के शिकार हुए सभी छठ व्रती थे जो भगवान भास्कर की नगरी देव में अपने बच्चे को मुडना करने के लिए भगवान भास्कर की नगरी देव आ रहे थे इसी बीच चैनपुर गांव के पास ऑटो रिक्सा अनियंत्रित होकर कुए में चल गया, हालांकि घटना के उपरांत मौके पर उपस्थि लोगो के सोरगुल पर काफी संख्या में लोग दौड़ पड़े और कई लोगो को अपने कपड़े के द्वारा कुए से बाहर निकाला गया , घटना की खबर मिलते ही जिला प्रसासन अपने दाल बल के साथ मौके पर पहुच कर कुए से ऑटो को निकाल लिया है , मौके पर पहुंच एनडीआरएफ के टीम के द्वारा कुए से एक शव को बाहर निकाला गया अभी कुछ और लोगो को कुए में फंसे होने की बात कही जा रही है जिसको लेकर बचाव राहत की कार्य अभी भी चल रही है सभी लोगो की पहचान देव थाना क्षेत्र के बरहेता गाँव निवासी के रूप में किया गया है लेकिन ग्रामीणों का कहना था कि जिस बची की मौत हो गई वह बच्ची भी जिंदा अवस्था मे बाहर निकली थी और उस समय मौके ओर एम्बुलेंस भी था लेकिन वह भाग गया और उसके साथ 112 कि पुलिस भी साथ मे थी वह भी मौके से भाग गया जिसके कारण इस बच्ची की मौत हो गई जिसकी पहचान बरहेता गांव निवासी के रूप में किया गया है , वही घायलो की पहचान आयुष कुमार उम्र 3 वर्ष पिता पप्पू चौधरी, ग्राम बरहेता ज्योति कुमारी पिता विकास चौधरी ग्राम पर बरहेता राजू कुमार 18 वर्ष पिता मुनी भुइँया ग्राम बरंडा प्रिंस राज 13 वर्ष ग्राम बरहेता सभी देव थाना क्षेत्र के रहने वाले है


औरंगाबाद से धिरेन्द्र कुमार
*महापर्व छठ: खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू*





औरंगाबाद: लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा के तहत बुधवार को 36 घंटे तक रखा जाने वाला निर्जला व्रत शुरू हो गया। व्रतियों ने शाम को खरना कर व्रत शुरू किया। अब अगले 36 घंटे तक छठ व्रती बिना अन्न जल ग्रहण किए भगवान भास्कर की आराधना में लीन रहेंगे। कल गुरुवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला तथा शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत संपन्न होगा। औरंगाबाद के प्रसिद्ध देव् सुर्य मन्दिर  और आसपास के क्षेत्रों में चार दिवसीय छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। छठ पर्व के दूसरे दिन बुधवार को छठ व्रतियों ने सुबह से व्रत रख शाम को मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से गुड़ के साथ अरवा चावल मिलाकर खीर बनाई। खीर के साथ घी लगी रोटी और कटे हुए फलों का प्रसाद भगवान को चढ़ाया। दूध और गंगाजल से प्रसाद में अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने इसे ग्रहण किया। इस बीच घर की अन्य महिलाएं छठ गीत गाती रहीं। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत भी शुरू हो गया,जो शुक्रवार सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा। खरना के बाद व्रतियों ने अपने परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों को प्रसाद वितरित किया। औरंगाबाद छठ व्रति मिन्नी कुमारी, पूजा , प्रभा ,न्यू एरिया निवासी पिंकी सिंह ,शकुंतला देवी ने बताया कि छठ चार दिन तक चलने वाला लोक महापर्व है। इसमें कार्तिक मास की षष्टी तिथि यानी छठ पर्व के तहत गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर (डूबते सूर्य) को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद सप्तमी यानी शुक्रवार को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद यह पर्व संपन्न होगा।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र
*महापर्व छठ: खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू*
औरंगाबाद: लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा के तहत बुधवार को 36 घंटे तक रखा जाने वाला निर्जला व्रत शुरू हो गया। व्रतियों ने शाम को खरना कर व्रत शुरू किया। अब अगले 36 घंटे तक छठ व्रती बिना अन्न जल ग्रहण किए भगवान भास्कर की आराधना में लीन रहेंगे। कल गुरुवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला तथा शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत संपन्न होगा। तीर्थनगरी ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्रों में चार दिवसीय छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। छठ पर्व के दूसरे दिन बुधवार को छठ व्रतियों ने सुबह से व्रत रख शाम को मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से गुड़ के साथ अरवा चावल मिलाकर खीर बनाई। खीर के साथ घी लगी रोटी और कटे हुए फलों का प्रसाद भगवान को चढ़ाया। दूध और गंगाजल से प्रसाद में अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने इसे ग्रहण किया। इस बीच घर की अन्य महिलाएं छठ गीत गाती रहीं। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत भी शुरू हो गया,जो शुक्रवार सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा। खरना के बाद व्रतियों ने अपने परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों को प्रसाद वितरित किया। औरंगाबाद छठ व्रति मिन्नी कुमारी, पूजा , प्रभा ,न्यू एरिया निवासी पिंकी सिंह ,शकुंतला देवी ने बताया कि छठ चार दिन तक चलने वाला लोक महापर्व है। इसमें कार्तिक मास की षष्टी तिथि यानी छठ पर्व के तहत गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर (डूबते सूर्य) को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद सप्तमी यानी शुक्रवार को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद यह पर्व संपन्न होगा।



औरंगाबाद से धीरेन्द्र
*औरंगाबाद खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू*
औरंगाबाद लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा के तहत बुधवार को 36 घंटे तक रखा जाने वाला निर्जला व्रत शुरू हो गया। व्रतियों ने शाम को खरना कर व्रत शुरू किया। अब अगले 36 घंटे तक छठ व्रती बिना अन्न जल ग्रहण किए भगवान भास्कर की आराधना में लीन रहेंगे। गुरुवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला तथा शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत संपन्न होगा। तीर्थनगरी ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्रों में चार दिवसीय छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। छठ पर्व के दूसरे दिन बुधवार को छठ व्रतियों ने सुबह से व्रत रख शाम को मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से गुड़ के साथ अरवा चावल मिलाकर खीर बनाई। खीर के साथ घी लगी रोटी और कटे हुए फलों का प्रसाद भगवान को चढ़ाया। दूध और गंगाजल से प्रसाद में अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने इसे ग्रहण किया। इस बीच घर की अन्य महिलाएं छठ गीत गाती रहीं। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत भी शुरू हो गया,जो शुक्रवार सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा। खरना के बाद व्रतियों ने अपने परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों को प्रसाद वितरित किया। औरंगाबाद छठ व्रति मिन्नी कुमारी, पूजा ,प्रभा ,न्यू एरिया निवासी पिंकी सिंह ,शकुंतला देवी ने बताया कि छठ चार दिन तक चलने वाला लोक महापर्व है। इसमें कार्तिक मास की षष्टी तिथि यानी छठ पर्व के तहत गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर (डूबते सूर्य) को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद सप्तमी यानी शुक्रवार को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद यह पर्व संपन्न होगा।


औरंगाबाद ब्यूरो रिपोर्ट धिरेन्द्र
*आज खरना पूजा के साथ होगी व्रतियों के 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत*
बिहार के रहने वाले लोगों के लिए आस्था के महापर्व छठ की कल नहाय-खाय के साथ शुरुआत हो चुकी है. आज खरना पूजा है. चार दिवसीय इस पर्व के दौरान छठी मैया और भगवान भास्कर की पूजा का विधान है. आज इस चार दिवसीय पूजा दूसरा दिन है. आज के दिन खरना पूजा होती है. खरना का अर्थ है शुद्धता. यह पूजा नहाए खाए के अगले दिन मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अंतरमन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है. खरना पूजा इस महापर्व के दौरान की जाने वाली अहम पूजा है. ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन छठी मैया का आगमन होता है, जिसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. *चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाने का विधान* आज खरना पूजा के दिन व्रती नहाने के बाद भगवान सूर्य की पूजा करती हैं. शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाई जाती है. जिसे भोग के रूप में सबसे पहले छठ माता को अर्पित किया जाता है. आज के दिन व्रती उपवास रख कर रात में खरना पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं. फिर घर के सदस्यों को प्रसाद दिया जाता है. इस पूजा के बाद से ही 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाती है, जिसका समापन छठ पूजा के चौथे दिन सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देकर किया जाता है. *पारण के साथ पूरा होता है उपवास* 6 नवंबर को खरना पूजा के बाद षष्ठी तिथि यानी 7 नवंबर को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की आराधना-पूजा कर अर्घ्य दिया जाएगा. फिर 8 नवंबर सप्तमी तिथि को पारण के दिन उदयगामी सूर्य की पूजा कर उन्हें दूध और गंगा जल का अर्घ्य दिया जाएगा. जिसके बाद इस चार दिवसीय महापर्व का समापन प्रसाद वितरण के साथ होगा. *छठ पूजा विधान* नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस महापर्व का विधान चार दिनों तक चलता है. भगवान भास्कर की आराधना का लोकपर्व सूर्य षष्ठी (डाला छठ) कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि में मनाया जाता है. इस तिथि में व्रती महिलाएं शाम के समय नदी, तालाब-सरोवर या कृत्रिम रूप से बनाए गए जलाशय में खड़ी होकर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की आराधना करती हैं. उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. दीप जलाकर रात्रि पर्यंत जागरण के साथ गीत एवं कथा के जरिए भगवान सूर्य की महिमा का बखान का श्रवण किया जाता है. इसके बाद सप्तमी की तिथि में प्रातः काल में उगते हुए सूर्य की पूजा कर अर्घ्य दिया जाता है. फिर प्रसाद ग्रहण करने के साथ इस महापर्व का समापन होता है.



औरंगाबाद से धिरेन्द्र पाण्डेय