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राजकीय बीज केंद्र पर किसानों ने किया हंगामा बीज का वितरण नहीं होने से नाराज है किसान
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया) । स्थानीय नगर पंचायत स्थित राजकीय बीज केंद्र के बाहर किसानों ने गेहूँ के बीज को लेकर जमकर हंगामा किया. किसानों का आरोप है सुबह से केंद्र के बाहर खड़े हैं, बावजूद केंद्र का ताला तक नहीं खुला. मौके की नजाकत देख केंद्र प्रभारी वहां से खिसक गए. बाद में सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसानो को समझा कर मामले को शांत कराया. बताया जाता है कि बुआई का सीजन होने के कारण किसान बीज को लेकर राजकीय बीच केंद्र पर पहुंचे. आरोप है कि वे कई दिनों से बीज केंद्र का चक्कर लगा रहे थे. केंद्र पर बीज न होने व आने पर वितरण की बात कह कर लौटा दिया जाता था. नरही गांव के किसान उमेश पांडे का आरोप था कि 2 दिन से केंद्र का पर बीज के लिए दौड़ रहे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हो रहा है. किसान रामदर्शन का कहना था कि कुछ किसानों को ही बीच देकर गोदाम बंद कर दिया जा रहा है. राम जन्म ने बताया कि पिछले चार दिनों से गोदाम पर बीज के लिए दौड़ रहे हैं लेकिन बीज नहीं मिल रहा है. इनामीपुर के किसान राजीव सिंह, राम जी यादव व पांडेपुर के नित्यानंद पांडे ने बताया कि गुरुवार को छुट्टी के बावजूद कुछ लोगों को गेहूं का बीज गोदाम से वितरित किया गया. किसी प्रकार पुलिस के समझाने पर किसान शांत हुए और घर को लौटे. राजकीय बीज केंद्र के प्रभारी योगेंद्र चौहान ने बताया कि 600 बोरी गेहूं बीज है, किसानो की बढ़ती संख्या के चलते इसका वितरण नहीं हो पा रहा है. सोमवार को बीज का वितरण 985 रुपए की दर से किया जाएगा.
बलिया में छठ पूजा का समापन, महिलाओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य देकर समृद्धि की कामना की , पारण कर तोड़ा व्रत*
संजीव सिंह बलिया। आज यानी 08 नवंबर को छठ पूजा का आखिरी दिन था । चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन प्रातः काल उगते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ पर्व का समापन होता है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। छठ का पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ का व्रत संतान की लंबी उम्र और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है।इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त हो जाएगा। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।चार दिवसीय छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदित होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद सूर्य देव और छठ माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की सुख-शांति की कामना करते हैं।शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा (डाला छठ) का समापन हुआ। भोर से ही व्रती महिलाएं परिवार के सदस्‍यों के साथ नदी घाटों पर पहुंचीं। नदी के जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्‍य दिया और विधिवत पूजन-अर्चन किया। इसी के साथ ही 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन हुआ। इस दौरान जनपद के विभिन्न गंगा घाटों व पवित्र जलाशयों के घाटों पर हजारों की संख्‍या में भीड़ जुटी। त्याग, विश्वास, सुख व समृद्धि के महापर्व डाला छठ पर नदियों के तट पर शुक्रवार की भोर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्‍तमी तिथि पर गंगा-घाघरा व जलाशयों पर निर्जला व्रत रखने वाली हजारों महिलाएं परिवार के सदस्यों के साथ पहुंचीं। घाट पर स्वयं के चिह्नित स्थान पर गन्ने के मंडप बनाकर विधि-विधान से पूजन किया। सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे को सौभाग्य के प्रतीक सिंदूर लगाया। व्रती महिलाओं ने पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया और पुत्र, परिवार और कुल की कुशलता के लिए कामना की। छठ महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को संध्या अर्घ्य के साथ पूजा अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों व सरोवरों के किनारों पर पहुंचकर श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य देव को अर्घ्य समर्पित किए और छठ मैया की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। बच्चों में त्येाहार को लेकर उत्साह था। युवा और पुरुष भी त्योहार की खुशियों में सराबोर थे। रविवार को छठ पूर्व के तीसरे दिन श्रद्धालु़ और व्रती महिलाएं परिवार के साथ सूर्यास्त से पहले गंगा ,घाघरा व जलाशयों के तट पर पहुंचे। रास्ते में महिलाएं छठ मैया के गीत गाते हुए यमुना नदी पर पहुंची। व्रती महिलाओं ने सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की छठ मइया के गीतों से गंगा व पवित्र सरोवरों तट गूंज उठे। हाथ में गन्ना और प्रसाद की थाली थी। जबकि पुरुष सिर पर बांस की टोकरी में सूप, फल, सब्जी व पूजन की अन्य सामग्री लेकर साथ चल रहे थे। घाट पहुंचने पर व्रती महिलाएं स्वयं की बनाई वेदी के पास बैठकर उसके चारों ओर गन्ने का मंडप तैयार किया। मंडप के अंदर बैठकर छठ मइया का विधिवत पूजन किया। घाट पर ढोल-नगाड़े की थाप पर युवाओं के साथ बुजुर्ग भी थिरके। बच्चों ने पटाखे जलाकर खुशी मनाई। शुक्रवार को नहाय-खाय से छठ पर्व का आरंभ हुआ था। खरना पर बुधवार को डाला छठ का 36 घंटे के निर्जला व्रत शुरू हुआ था। कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर शुक्रवार की सुबह डाला छठ व्रत का व्रती महिलाओं ने पारण ठेकुआ,खास्ता खाकर किया
उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पर्व संपन्न*
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)। लोक आस्था का महापर्व सूर्योपासना के डाला छठ पर मनोकामना लेकर व्रती आस्थावान श्रद्धालुओं द्वारा उदीयमान सूर्य को अर्ध्य के बाद सूर्योपासना का त्योहार सम्पन्न हुआ। बृहस्पतिवार से चले निर्जला त्योहार को सप्तमी के दिन प्रातः:काल उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। हिन्दू परम्परा में जीवनकाल से चली आ रही डाला छठ के तहत श्रद्धालु व्रती महिलाओं पुरुष द्वारा उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद अपने व्रत को प्रसाद ग्रहण कर तोड़ने के पश्चात् डाला छठ का पर्व विधि विधान से सम्पन्न हुआ। तालाब, पोखरे के किनारे बने छठ घाट के वैदी पर एक दिन पूर्व सायंकाल पूजा अर्चन कर डुबते सूर्य को अर्ध्य देकर रात में घरों में पहुंचकर अपने तरीके से पूजन में भक्ति गीत के साथ कोसी भराई करके भोर में पुनः तालाब पोखरों पर बने अपने वेदी पर कलश स्थापित कर फल ईख वस्त्र आदि चढ़ावा के पश्चात पानी में खड़ी होकर महिलाएं भगवान सूर्य के उदय होने तक पूजा में लगे रकर उदयीमान सूर्य को दुध व जल से अर्घ्य देने के पश्चात छठ पर्व शुक्रवार को संपन्न हुआ। नगर पंचायत के तालाब पोखरों के जलाशयों के साथ ही क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में भी छठ का पर्व धूमधाम से मनाया गया।
सूर्य अस्ताचल एवं उदयाचल पूजनोत्सव का महापर्व छठ व्रत:राजेश कुमार सिंह' गुडडू'

संजीव सिंह बलिया। सूर्य अस्ताचल एवं उदयाचल पूजनोत्सव का महापर्व छठ
एक ऐसा त्यौहार जो चार दिन चलता है.. कोई दंगा नहीं होता..
इंटरनेट कनेक्शन नहीं काटा जाता..
किसी शांति समिति की बैठक कराने की जरुरत नहीं पड़ती..
चंदे के नाम पर गुंडा गर्दी नहीं होती और जबरन धन उगाही भी नहीं !
शराब की दुकानें बंद रखने का नोटिस नहीं चिपकाना पड़ता..
मिठाई के नाम पर मिलावट नहीं परोसी जाती है!

ऊंच - नीच का भेद नहीं होता..
व्यक्ति-धर्म विशेष के जयकारे नहीं लगते..
किसी से अनुदान और अनुकम्पा की अपेक्षा नहीं रहती है..
राजा और रंक एक कतार में खड़े होते हैं..
समझ से परे रहने वाले मंत्रो का उच्चारण नहीं होता और दान दक्षिणा का रिवाज नहीं है..
*एक ऐसी पूजा जिसमें कोई* *पुजारी नहीं होता,

* *जिसमें देवता प्रत्यक्ष हैं* *जिसमें डूबते सूर्य को भी पूजते हैं,
* *जिसमें व्रती जाति समुदाय से परे है,
* *जिसमें केवल लोक गीत गाते हैं,
* *जिसमें पकवान घर पर बनते हैं*,
*जिसमें घाटों पर कोई ऊँच नीच नहीं है,
* *जिसमें प्रसाद अमीर गरीब सभी श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।
* *जिसमे प्रकृति संरक्षण का बोध होता है* *जिसमे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिलती हो
* ऐसे सामाजिक सौहार्द, सद्भाव, शांति, समृद्धि और सादगी के महापर्व छठ पूजा की शुभकामनाएं।


*राजेश कुमार सिंह* *उत्तर प्र.बे. शि. संघ* *बलिया
बलिया में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की मंगल कामना
संजीव सिंह बलिया। छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है। आज डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जा रहा। छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन नहाय खाय से होती है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य सप्तमी को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है। इस चार दिवसीय त्योहार में सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करना बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कठोर नियमों के अनुसार 36 घंटे तक रखा जाता है।छठ पूजा महोत्सव 05 नवंबर, 2024 को शुरू हुआ और 08 नवंबर को समाप्त होगा। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानी की चतुर्थी तिथि से होती है। छठ पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। मन में श्रद्धा और भक्ति का उल्लास और छठी मइया से परिवार के सुख-समृद्धि की कामना को लेकर व्रती महिलाओं ने बृहस्पतिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। महिलाओं की अगाध श्रद्धा और कठोर तप वाले पर्व पर घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। निराजल व्रत रखने वाली महिलाओं ने घुटने भर पानी में खड़े होकर अस्त होते भगवान भास्कर को जल अर्पित किया तो पूरा परिसर छठी मइया के जयकारे से गूंज उठा। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर बृहस्पतिवार की दोपहर बाद से ही लोग गाजे-बाजे के साथ नदी और तालाबों पर पहुंचने लगे। दिव्य प्रकाश और छठी मइया के गीतों ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

ठी मइया के पारंपरिक और नए लोक गीतों को गाती-गुनगुनाती महिलाए हाथों में दीप लिए घाटों पर पहुंची। पीछे-पीछे सिर पर दउरा और कांधे पर ईख लेकर चल रहे पुरुष भी छठी मइया की भक्ति में तल्लीन दिखे। तेजस्वी पुत्र और परिवार की सुख समृद्धि की कामना को लेकर नगर से लेकर गांव-देहात तक महिलाओं ने निराजल व्रत रखा था।जिले के रसड़ा, नगरा,चिलकहर बेल्थरारोड,सिंकदरपुर,गड़वार,फेफना,सोहांव,खेजुरी,बांसडीह,सहतवार,रेवती, बैरिया,मुरलीछपरा,दुबहर,बलिया सदर सहित नाथसरोवर,बाबा का पोखरा और अन्य ताल तलैया पर चार बजे के बाद से ही व्रती महिलाओं की भीड़ जुटने लगी। शाम होते-होते घाटों पर पैर रखने की जगह नहीं बची। अपनी-अपनी वेदियों के सामने पूजन सामग्री रख व्रती महिलाएं नदी में पश्चिम मुख किए खड़ी थी, तो साथ के लोग घाट पर थे। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय आया, तो सभी के हाथ आगे बढ़ते गए। व्रती महिलाओं के साथ परिवार के अन्य सदस्यों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। वेदियों पर पूजन-अर्चन के बाद दीप जलाए गए। दीप जलते नदी के घाट जगमगा उठे। विद्युत झालरों से सजे घाट दुधिया रोशनी से नहा उठे। इस दौरान घाटों पर भीड़ पर नजर रखने के लिए पुलिस के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य के साथ छठ पूजा की धूम
ओमप्रकाश वर्मा

नगरा(बलिया)। छठ महापर्व के षष्ठी के दिन अपराह्न के समय महिला पुरुष बच्चे सज धज कर नये परिधान पहनकर जलाशयों पर पहुंचने लगे थे।परिवार के लोग मन्नत मंशा के अनुसार बाजे गाजे के साथ ताल पोखरों जलाशयों के घाट पर बने अपने अपने बेदी पर फल पकवान से भरे दौरा टोकरी में पूजन सामग्री दीप प्रज्वलित कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देने के पश्चात अपने गन्तव्य को चले गये फिर सुबह के समय घाटों पर आगमन के लिए घरपर रात्रिकालीन पूजन में कोसी भराई व पूजन करने लगे। नगर पंचायत के पंचफेडवा पोखरा, सिकन्दर पुर मार्ग के काली स्थान, प्राचीन दुर्गा मन्दिर, चचयां, भण्डारी, मनकही, सरायचावट, ब्राह्मणपुरा, जजला, तिलकारी, बलुआं, गड़वार मोड़ स्थित दुर्गा  भवन जलाशय  सहित क्षेत्र के गोठाई, डिहवा, नरही, ढेकवारी, कोठियां,विशुनपुरा, मालीपुर,भीमपुरा, सलेमपुर, मलप ,तियरा ,कोदई, रघुनाथपुर ,सोनापाली,आदि गांवों में छठ पूजा विधि विधान से मनाया जा रहा है।
नहाय खाय के षष्ठी महापर्व खरना छठ तैयारी में जुटे हिन्दू घर परिवार
संजीव सिंह बलिया। नहाय खाय के षष्ठी महापर्व की तैयारी में जुटे हिन्दू घर परिवार
के महिला पुरुषों की भारी भींड प्रसाद के रुप में फल कपड़ा आदि बाजारों चट्टी चौराहों पर स्थिति दुकानों से जमकर खरीदारी किए। ऐसे में बुधवार को जलाशयों के घाटों पर साफ सफाई करने के लिए नगरपंचायत कर्मियों सहित अध्यक्ष व प्रशासनिक अधिकारियों का आना जाना लगा रहा। 7 नवम्बर बृहस्पतिवार को शुरू होने वाला बड़ी षष्ठी पूजन की तैयारी में व्रती महिलाएं बुधवार रात से ही नहाय खाय कर निर्जला रहकर फल बिना नमक पकवान और चुनरी साड़ी ईख आदि पूजन सामग्री के साथ घाटों पर जाकर भक्ति गीतों के गायन के साथ डुबते सूर्य को ‌अर्ध्य से प्रारम्भ करेंगी। इस मौके पर घाटों की सजावट लाइट झालर झूमर से घाटों की सजावट में लगकर तैयारी पूर्ण कर लिया गया है। साफ सफाई सुरक्षा की जायजा लेने बुधवार को उपजिलाधिकारी संजय कुशवाहा नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी टीएन त्रिपाठी, अध्यक्ष प्रतिनिधि उमाशंकर राम, लिपिक रविश शर्मा, इन्द्रजीत गोंड, मुन्ना रावत, दीपक पाण्डेय, अजय कुमार आदि प्रशासनिक अमला दौड़ता रहा। पूजन सामग्री हेतु बाजारों में काफी रौनक रही।
सूर्य उपासना का षष्ठी महापर्व नहाय खाय खरना के साथ छठ पूजा में जुटे हिंदू घर परिवार
  ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)। नहाय खाय के षष्ठी महापर्व की तैयारी में जुटे हिन्दू घर परिवार के महिला पुरुषों की भारी भींड प्रसाद के रुप में फल कपड़ा आदि बाजारों चट्टी चौराहों पर स्थिति दुकानों से जमकर खरीदारी किए। ऐसे में बुधवार को जलाशयों के घाटों पर साफ सफाई करने के लिए नगरपंचायत कर्मियों सहित अध्यक्ष व प्रशासनिक अधिकारियों का आना जाना लगा रहा। 7 नवम्बर बृहस्पतिवार को शुरू होने वाला बड़ी षष्ठी पूजन की तैयारी में व्रती महिलाएं बुधवार रात से ही नहाय खाय कर निर्जला रहकर फल बिना नमक पकवान और चुनरी साड़ी ईख आदि पूजन सामग्री के साथ घाटों पर जाकर भक्ति गीतों के गायन के साथ डुबते सूर्य को ‌अर्ध्य से प्रारम्भ करेंगी। इस मौके पर घाटों की सजावट लाइट झालर झूमर से घाटों की सजावट में लगकर तैयारी पूर्ण कर लिया गया है। साफ सफाई सुरक्षा की जायजा लेने बुधवार को उपजिलाधिकारी संजय कुशवाहा नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी टीएन त्रिपाठी, अध्यक्ष प्रतिनिधि उमाशंकर राम, लिपिक रविश शर्मा, इन्द्रजीत गोंड, मुन्ना रावत, दीपक पाण्डेय, अजय कुमार आदि प्रशासनिक अमला दौड़ता रहा। पूजन सामग्री हेतु बाजारों में काफी रौनक रही।
बलिया सपा के जिला सचिव अजय सिंह का निधन समाजवादी पार्टी ने एक कर्मठ सुयोग्य कार्यकर्ता खोया
संजीव सिंह बलिया। समाजवादी पार्टी बलिया जिला सचिव बैरिया विधानसभा क्षेत्र के करमानपुर गांव निवासी अजय सिंह जी का किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ में इलाज के दौरान निधन हो गया निधन की सूचना मिलते ही समाजवादी पार्टी बलिया में शोक फैल गया समाजवादी पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त किया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने अपने शोक संवेदना में कहा कि स्वर्गीय अजय सिंह एक कर्म एवं निर्भीक समाजवादी कार्यकर्ता थे व्यक्तिगत रूप से भी वह में बहुत बड़े शुभचिंतक थे उनके निधन से समाजवादी पार्टी ने एक कर्मठ सुयोग्य कार्यकर्ता खोया है। समाजवादी पार्टी बलिया के जिला अध्यक्ष एवं फेफना विधानसभा क्षेत्र के विधायक संग्राम सिंह यादव ने कहा कि स्वर्गीय अजय सिंह जी हमारे साथ संगठन में काम कर रहे थे और बैरिया क्षेत्र में पार्टी के सबसे विश्वसनीय स्तंभ थे उनके निधन से समाजवादी पार्टी को बहुत बड़ी हानि हुई है। पार्टी उपाध्यक्ष/प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय "कान्हजी"ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि स्व. अजय सिंह जी मेरे घनिष्ठतम मित्र थे जब भी मिलते पूरे गर्मजोशी से मिलते थे और हमेशा समाजवादी पार्टी के मजबूती हेती सोचते थे किसी भी परिस्थिति में पार्टी के साथ खड़ा रहना उनकी पहचान थी। क्षेत्रीय विधायक जयप्रकाश अंचल ने कहा कि मेरे लिए अजय सिंह एक अंग के समान थे उनका असमय हम लोगों को छोड़ कर जाना बहुत बड़ा आघात है।ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष यशपाल सिंह ने कहा कि अजय सिंह से मेरा लगाव पारिवारिक था वह जब भी जिला मुख्यालय आते थे मेरे यहां जरूर आते थे मैं जब भी बैरिया गया उनसे बिना मिले नहीं वापस आता था मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति हैं। शोक ब्यक्त करने वालों में प्रमुख रूप से संजय उपाध्याय,लक्ष्मण गुप्ता,शैलेश सिंह, रामजी गुप्ता आदि रहे।
कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को स्थायी कर सकती है योगी सरकार, जानिये कैसे
संजीव सिंह बलिया। लखनऊ : डीजीपी के चयन और नियुक्ति के लिए कैबिनेट के फैसले ने कई आईपीएस अफसरों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। मनोनयन समिति के गठन के बाद मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को स्थायी करने पर मुहर लग सकती है। इससे उन्हें दो वर्ष तक डीजीपी की कुर्सी संभालने का मौका मिल सकता है। इससे वे 30 मई 2025 के बजाय 31 जनवरी 2026 को सेवानिवृत्त होंगे। उनकी सेवानिवृत्ति की अवधि पूरी होने के बाद 8 माह का अतिरिक्त समय मिलेगा। दरअसल, प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद 8 डीजीपी तैनात किए जा चुके हैं। इनमें चार स्थायी थे। स्थायी में ओपी सिंह सर्वाधिक दो वर्ष तक डीजीपी रहे। अब कैबिनेट के हालिया फैसले से सीएम योगी के भरोसेमंद अफसरों में शामिल प्रशांत कुमार को भी 2 वर्ष तक डीजीपी की कुर्सी संभालने का मौका मिल सकता है। हालांकि इससे कई आईपीएस अफसर बिना डीजीपी बने सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इनमें पीवी रामाशास्त्री, आदित्य मिश्रा, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, बिजय कुमार मौर्या, एमके बशाल, तिलोत्तमा वर्मा, आलोक शर्मा, अभय कुमार प्रसाद, दीपेश जुनेजा और नीरा रावत शामिल हैं। प्रशांत की सेवानिवृत्ति के बाद नए डीजीपी का चयन करने के लिए जुलाई 2026 के बाद ही सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों के नाम पर विचार किया जाएगा। यूपी के अलावा आठ अन्य राज्यों उत्तराखंड, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर में भी कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए थे। इनमें से जम्मू-कश्मीर के डीजीपी आरआर स्वैन को बीते अगस्त में केंद्र सरकार ने स्थायी कर दिया था जिसके बाद वे 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे। बाकी 8 राज्यों में नियम विरुद्ध कार्यवाहक डीजीपी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया था। इसका जवाब दाखिल करने से पहले राज्य सरकार ने डीजीपी के चयन एवं नियुक्ति की नियमावली बनाकर खुद स्थायी डीजीपी बनाने का रास्ता साफ कर लिया है। इसके साथ ही स्थायी डीजीपी की तैनाती को लेकर यूपी सरकार और संघ लोक सेवा आयोग के बीच करीब ढाई साल से जारी खींचतान भी खत्म हो गई है। 16 अफसरों को किया था सुपरसीड 31 जनवरी 2024 को विजय कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। वे 16 आईपीएस अफसरों को सुपरसीड करके कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए थे। इनमें मुकुल गोयल, आनंद कुमार, शफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्रा, पीवी रामाशास्त्री, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, रेणुका मिश्रा, बिजय कुमार मौर्या, सत्य नारायन साबत, अविनाश चंद्रा, संजय एम. तरडे, एमके बशाल, तनूजा श्रीवास्तव, सुभाष चंद्रा शामिल थे।