हाय-खाय के साथ आज से होगा छठ महापर्व का होगा आगाज
रायबरेली।बिहार और पूर्वांचल के सबसे बड़े महापर्व छठ की शुरुवात आज से नहाय-खाए से होगी। जिले में करीब पचास हजार से अधिक पूर्वांचल और बिहार के श्रद्धालु हैं इसलिए यहां भी इसकी धूम रहेगी । महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी। कल खरना होगा। इसी रात से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा । सात को तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। आठ को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करेंगे ।
आज नहाय-खाए से होगी छठ पर्व की शुरुआत
नहाय खाए से आज पूरे घर की साफ- सफाई की जाएगी । स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाएगा। आज चना दाल, कद्दू की सब्जी तथा लौकी की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
खरना में पूरे दिन रहती हैं व्रत,शाम को बनेगा प्रसाद
इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्यदेव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रत का पारण छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।
पहला अर्घ्य होगा सात को
खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं।
आठको होगा समापन
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है।
छठ पर्व में गीत ही मंत्र हैं। इन गीतों में परिवार और संतान के साथ सूर्य, पृथ्वी और पर्यावरण संरक्षण की बात भी पीढ़ियों से चली आ रही है। बांस व दूब की तुलना वंश से की गई है। कांचहि बांस कै दउरवा, दउरा नइ-नइ जाय... गीत में कच्चे बांस की दौरी का जिक्र है जो बोझ से लचक रही है मगर टूटने को तैयार नहीं है। रीतियों में संतान को भी इसी तरह फलने-फूलने और दृढ़ रहने का आशीर्वाद दिया जाता है।
Nov 05 2024, 18:36