*भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह का मनोहारी वर्णन*
खजनी गोरखपुर।।कस्बे में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महापुराण के छठवें दिन कथा व्यास भागवताचार्य प्रदीप मिश्र शास्त्री जी महाराज ने उद्धव चरित्र, महारासलीला और रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरा करने का वचन दिया। अपना वचन पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। शरद पूर्णिमा की रात बांसुरी की मधुर तान सुनते ही अपनी सुध-बुध खो कर ब्रज की सभी गोपियां सज-धजकर यमुना तट पर पहुंच गईं। सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का ऐसा भाव जागा जो कि पूरी तरह से वासना रहित था। भगवान कृष्ण ने ऐसा महारास आरंभ किया।
माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य और अलौकिक प्रेमानंद शुरू हुआ। जिसके दर्शन के लिए देवता भी स्वर्ग लोक छोड़ कर आने को विवश हो गए। व्यासपीठ से रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। मौके मुख्य यजमान की ओर से आकर्षक वेश- भूषा में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह और बारात की सुंदर झांकी सजा कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। कथा के साथ मधुर संगीत और भजन भी प्रस्तुत किया गया। जिसमें प्रियंक, कौशिक तिवारी और सुमित मिश्र सभी को झूमने पर विवश कर दिया।
आयोजन में मुख्य यजमान गौरीशंकर वर्मा, प्रमिला वर्मा रंजीत वर्मा, संतोष वर्मा, नीरज वर्मा का सराहनीय योगदान रहा, इस अवसर पर रामेश्वर राम त्रिपाठी, विरेंद्र वर्मा, रामप्यारे सेठ, राधेश्याम सेठ, हरिश्चंद्र निगम, दूधनाथ सिंह,किशन तिवारी, मधुसूदन पांडेय, बैजनाथ वर्मा, अनिल वर्मा, सुनील वर्मा समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
Oct 25 2024, 17:11