क्यों पहनते हैं समुद्री लुटेरे आंख पर काली पट्टी? जानें इसके पीछे का विज्ञान
जब भी आप फिल्मों में समुद्री लुटेरों या डाकुओं को देखते हैं, तो आपका ध्यान उनकी आंख में बंधी एक काली पट्टी पर जरूर गया होगा. अगर आप समुद्री लुटेरों की ड्रेस पहनेंगे तो बिना काली पट्टी शामिल किए उसे अधूरा ही माना जाएगा. साहित्य और इतिहास में अगर नजर डाले तो जिन समुद्री डाकू की आंखों पर पट्टी होती हो उसे एक मजबूत और हीरो स्टाइल वाले पुरुषों के रूप में बताया गया है.
इस काली पट्टी को देखकर आपके मन में कई बार ये सवाल भी उठा होगा कि आखिर वो इसे क्यों पहनते हैं? इसका कारण क्या है? कोई लोग अभी तक मानते हैं कि ये सिर्फ स्टाइल के लिए ही पहनते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. इसके पीछे एक साइंस है, आंखो का साइंस और इस रिपोर्ट में जानेंगे कि आखिर ये समुद्री डाकुओं की आंखो के लिए ये क्यों जरूरी होता है.
काली पट्टी पहनने का साइंस
जब कभी आप अंधेरे से रोशनी में आते हैं तो आंखो को एडजस्ट करने में सिर्फ कुछ सेकंड लगते हैं, ज्यादा टाइम नहीं लगता है, लेकिन वहीं इसके उलट जब आप रौशनी से बिल्कुल अंधेरे में आते हैं तो आंखो को एडजस्ट करने में कुछ मिनट लग जाते हैं. लगभग 5 से 10 मिनट. लुटेरों के लिए इतना समय बहुत होता है.
समुद्री डाकुओं को पाइरेट्स भी कहा जाता है. दरअसल ये इन लोगों को अक्सर जहाज के ऊपरी और निचले तल पर जाना पड़ता है. ऊपरी तल पर बढ़िया धूप होती है तो वहीं निचले तल पर काफी अंधेरा होता है. ऐसे में आंखों को एडजस्ट होने में समय लगता है. इसमें ज्यादा समय न लगे इसलिए ये समुद्री लुटेरे एक आंख पर पट्टी बांध लेते हैं.
समुद्री लुटेरे क्यों पहनते हैं आई पैच
इससे जैसे ही वो लुटेरे अंधेरे से रोशनी की तरफ जाते हैं, उसी समय ये तुरंत उस आंख की पट्टी को घुमाकर दूसरी आंख को ढक लेते हैं. इससे वो अंधेरे में आसानी से देख पाते हैं, क्योंकि वो आंख पहले से ही अंधेरा देख रही थी, जब वो धूप में थी तो वो आंख ढकी हुई थी. इसलिए अंधेरे में देखने के लिए उसे एडजस्ट होने में बिल्कुल भी टाईम नहीं लगता है वो अंधेरे में आसानी से देख पाते हैं.
अभी तक इस रिपोर्ट में आपने जान लिया कि ये लुटेरे काली पट्टी क्यों पहनते हैं, लेकिन अब जानेंगे कि हमारी आंख में ऐसा क्यों होता है? क्यों अंधेरे से रोशनी और रोशनी से अंधेरे में जाने पर उनको एडजस्ट होना होता है? दरअसल हमारी आंखो में एक रेटिना होता है, जिसके कारण हम लोगों को देख पाते हैं. ये रेटिना एक तरह से दिमाग से भी जुड़ा होता है
अचानक आंखो के आगे क्यों छा जाता है अंधेरा?
उजाले से अंधेरे में आंखों को देखने में समय लगता है क्योंकि आंखों की पुतलियों को उजाले के हिसाब से आकार बदलने में समय लगता है. आंखों की पुतलियों को आइरिस कहा जाता है. यह उजाले के मुताबिक अपने आकार को बड़ा या छोटा करती है. जब हम रोशनी वाली जगह पर होते हैं, तो आइरिस सिकुड़ कर छोटा हो जाता है. वहीं, जब हम अंधेरे में जाते हैं, तो आइरिस फैल कर बड़ा हो जाता है. वहीं आइरिस का अचानक बड़ा या छोटा होना बिल्कुल भी संभव नहीं होता है. इसीलिए पाइरेट्स इसका इस्तेमाल करते हैं.
साइकोलॉजिकल नजरिए से भी मिलता है फायदा
इस काली पट्टी से समुद्री लुटेरों की भयानक छवि दिखती है, इससे भी इनको मनोवैज्ञानिक लाभ फायदा मिलता है. इन लुटेरों की सफलता में इसकी भी बड़ी भूमिका होती है, दरअसल आंख पर पट्टी बांधने से उनकी भयावह छवि और भी बढ़ जाती है, जिससे वे लड़ाई और लूट के दौरान ज्यादा अनुभवी लगते हैं. इससे सामने वाले सोचता है कि ये लुटेरा और भी कई बड़ी लूट कर चुका है, जिससे सामने वाले का मनोबल गिर जाता है, और वो मन में एक तरह से हार मान लेते हैं.
वीर गुप्ता
Oct 15 2024, 19:03