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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री मोदी से की मुलाकात, हरियाणा चुनाव पर दी बधाई

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की और हरियाणा विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ये जीत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आम जन के विश्वास को प्रदर्शित करती है. मुख्यमंत्री ने इस दौरान प्रधानमंत्री को केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति और बाबा केदारनाथ जी का प्रसाद भी भेंट किया.मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड के विकास में निरंतर मिल रहे प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया.

मुख्यमंत्री धामी ने विशेषज्ञ समिति-2 द्वारा संस्तुत 21 जल परियोजना (कुल क्षमता 2123 MW) के विकास और निर्माण की अनुमति प्रदान किए जाने का अनुरोध किया है. उन्होंने तीन रोपवे परियोजनाएं (क) सोनप्रयाग-गौरीकुंड केदारनाथ (ख) गोविंद घाट-हेमकुंड साहिब और (ग) काठगोदाम-नैनीताल को राज्य सरकार की ओर से विकास और संचालन के लिए हस्तांतरित करने का भी अनुरोध किया.

देहरादून-गौचर-देहरादून हवाई सेवा के लिए अनुरोध

मुख्यमंत्री धामी ने भारत सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) के तहत देहरादून-गौचर-देहरादून और देहरादून-चिन्यालीसौंड-देहरादून की हवाई सेवा दोबारा शुरू किए जाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय को निर्देश देने का भी आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि चिन्यालीसौंड हवाई पट्टी जनपद उत्तरकाशी पर छोटे विमान संचालन की अनुमति के लिए सम्बन्धित मंत्रालय को दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया.

राष्ट्रीय राजमार्ग अधिसूचित करने का भी अनुरोध किया

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कुमाऊं एवं गढ़वाल को संयोजित करने के लिए 2 मार्गों, (क) खैरना-रानीखेत- बंगीधार-बैजरों मोटरमार्ग (256.9 किमी0) और (ख)

काठगोदाम-भीमताल लोहाघाट-पंचेश्वर मोटर मार्ग (189 किमी०) को राष्ट्रीय राजमार्ग अधिसूचित करने का भी अनुरोध किया. इसके साथ ही देहरादून रिंग रोड की अवशेष लंबाई की स्वीकृति प्रदान करने का भी अनुरोध किया.

मध्य प्रदेश सरकार से रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग: अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

देश में दशहरा पर रावण दहन किया जाता है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. लोग रावण को बुराई का प्रतीक मानकर उसके पुतने को जलाते हैं. मध्य प्रदेश में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन की परंपरा का विरोध जताया है. समाज के लोगों ने रावण को विद्वान और त्रिकालदर्शी बताते हुए प्रदेश सरकार से रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि रावण का पुतला जलाकर ब्राह्मणों को अपमानित किया जाता है.

महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के संस्थापक अध्यक्ष महेश पुजारी ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि रावण विद्वान और त्रिकालदर्शी थे.

उन्होंने द्वापर में माता सीता का हरण जरूर किया था, लेकिन उनके साथ कभी कोई गलत व्यवहार नहीं किया. उन्होंने बताया कि रावण ने राक्षस कुल का उद्धार करने के लिए माता सीता का हरण किया था, जिसके कारण ही भगवान राम के हाथों उन्होंने मुक्ति पाई.

रावण दहन करने के पीछे ब्राह्मणों को अपमान- महेश पुजारी

महेश पुजारी कहते हैं कि वर्तमान में रावण दहन करने के पीछे ब्राह्मणों को अपमानित करना प्रतीत होता है. रावण के पुतले का दहन सिर्फ दशहरे पर नहीं बल्कि पूरे सप्ताह भर होने लगा है. उनका कहना है कि रावण के पुतले का दहन करने वाले संगठन और संस्थाएं ब्राह्मण समाज का कभी भी भला नहीं कर सकते. उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से पत्र के माध्यम से मांग की है कि मध्य प्रदेश में रावण के दहन पर प्रतिबंध लगना चाहिए और अगर पुतला दहन करना ही है तो ऐसे लोगों के करें जो मां बेटियों के साथ दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर देते हैं.

अपने मन की राक्षस प्रवृत्ति को मिटाना चाहिए

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के संस्थापक अध्यक्ष महेश पुजारी ने बताया कि वर्तमान समय रावण के पुतले को जलाने का नहीं है. रावण के पुतले को जलाकर भले ही हम प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन वर्तमान में रावण को जलाने वाले और इसके जलने पर खुशियां मनाने वाले लोगों को इस दिन अपने मन की राक्षस प्रवृत्ति को मिटाना चाहिए. वह कहते हैं कि वर्तमान में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने लंकाधिपति रावण से भी ज्यादा बुरे काम किए हैं. उन्होंने कहा कि एक षड्यंत्र के तहत हमेशा ब्राह्मण कुल को बदनाम करने के लिए रावण के पुतले का दहन किया जाता है जो कि अब हमें स्वीकार नहीं है. इसीलिए हम रावण के पुतले के दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं

इन्होंने की प्रतिबंध की मांग

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी के साथ ही अध्यक्ष अर्पित पुजारी, उपाध्यक्ष मुकेश अग्निहोत्री, उपाध्यक्ष श्रीवर्धन शास्त्री, महामंत्री अजय जोशी कुंड वाला गुरु, कोषाध्यक्ष शिवम शर्मा, संगठन मंत्री जितेंद्र तिवारी, कार्यकारिणी के देवेंद्र नागर, हितेश शर्मा, रूपेश मेहता, प्रणव पंड्या, विनोद शुक्ल के साथ ही अन्य पदाधिकारियो ने भी रावण के पुतले के दहन पर रोक लगाने की मांग की है.

राजस्थान में सियासी घमासान: अशोक गहलोत ने भजन लाल शर्मा की सरकार को सर्कस बताया

कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की अपनी पार्टी के लोग राज्य में BJP की सरकार को सर्कस कह रहे हैं. गहलोत ने शर्मा की एक टिप्पणी के जवाब में यह बात कही. उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें छोटा दिखाने के लिए ऐसा नहीं कहा. मैं यह नहीं कह रहा कि यह सर्कस है. उनकी पार्टी के लोग कह रहे हैं कि यह सर्कस है.

गहलोत ने आगे कहा कि काम सर्कस की तरह चल रहा है. कोई मंत्री इस्तीफा दे रहा है. मंत्री इस्तीफा देने के बाद कैबिनेट बैठक में जाते हैं. विधायक धमकी दे रहे हैं और आप जानते हैं कि राजस्थान में क्या हालात हैं. वह बार-बार हवा में बातें करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि वो यमुना का पानी लाएंगे. ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) को नया नाम दिया गया है. कुछ नहीं होने वाला है.

सर्कस चल रहा है’

यही नहीं अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को लेकर कहा कि शर्मा के हित में अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं. क्योंकि जयपुर से दिल्ली तक किए जा रहे दौरों से उनकी सरकार के शासन के बारे में पहली धारणा अच्छी नहीं रही है. इससे पहले गहलोत ने रविवार को जोधपुर में कहा था, “राज्य में कोई सरकार नहीं है लेकिन सर्कस चल रहा है.

सीएम पर क्या कहा?

वहीं मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने सोमवार को कहा था कि अशोक गहलोत ने पूरे पांच साल तक सर्कस किया है. कभी होटल में, कभी ऐसे ही. इसलिए अब उन्हें सिर्फ सर्कस ही दिखता है. उनके साथ-साथ कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने भी अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार किया था. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘अशोक गहलोत की बातों को सुन कर एक ही कहावत याद आ रही है, ‘खुद मियां फजीहत औरों को नसीहत’

अशोक गहलोत की बातों को सुन कर एक ही कहावत याद आ रही है, ‘खुद मियां फजीहत औरों को नसीहत’। अगर पांच साल उन्होंने जनता के कामों पर ध्यान दिया होता तो आज विपक्ष में नहीं बैठना पड़ता। पूरा कार्यकाल सरकार बचाने की जोड़-तोड़ में निकाल दिया। सत्ता की कुर्सी बचाने के लिए जयपुर और जैसलमेर

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बीजेपी ने किया पलटवार

जोगाराम पटेल ने आगे कहा कि अगर पांच साल उन्होंने जनता के कामों पर ध्यान दिया होता तो आज विपक्ष में नहीं बैठना पड़ता. पूरा कार्यकाल सरकार बचाने की जोड़-तोड़ में निकाल दिया. सत्ता की कुर्सी बचाने के लिए जयपुर और जैसलमेर के होटलों में सरकार और कांग्रेस के विधायक बंद रखे गए.पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कारनामों की परतें तो उनके जमूरे आए दिन दिल्ली में जांच एजेंसियों के सामने उधेड़ रहे हैं.

सीआरपीएफ का बड़ा फैसला: 130 से ज्यादा बटालियनों का पुनर्गठन, ऑपरेशनल दक्षता में होगा सुधार

ऑपरेशनल दक्षता में सुधार और जवानों को ज्यादा पारिवारिक समय देने के लिए सीआरपीएफ अपनी 130 से ज्यादा बटालियनों को फिर से संगठित कर रहा है.

इसमें बटालियनों को भौगोलिक रूप से नजदीकी ग्रुप सेंटरों से जोड़ना शामिल है. इस कदम का उद्देश्य आपूर्ति संबंधी समस्याओं को कम करना और रसद में सुधार करना है.

नया प्रोटोकॉल 1 दिसंबर से प्रभावी होगा, जिससे ऑपरेशनल और प्रशासनिक दक्षता दोनों में बढ़ोतरी होगी. यह फैसला आठ साल बाद लिया जा रहा है. पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे मंजूरी दी थी. पुनर्गठन के तहत CRPF की कुल 248 में से 137 बटालियनों को उन ग्रुप सेंटर्स (जीसी) से जोड़ा जाएगा जो भौगोलिक रूप से उनकी तैनाती के स्थान के करीब हैं.

एक बटालियन में इतनी पावर

वीआईपी सुरक्षा प्रदान करने वाली विशेष सीआरपीएफ बटालियनों और दंगा-रोधी रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ की एक बटालियन में 1,000 से अधिक कर्मियों की क्षमता होती है. लगभग 3.25 लाख कर्मियों के साथ देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के कई शहरों में ग्रुप सेंटर हैं, जो प्रत्येक बटालियन के लगभग पांच मुख्यालयों के रूप में कार्य करते हैं.

यह है पुनर्गठन का उद्देश्य

रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों में CRPF का विस्तार हुआ है और ग्रुप सेंटरों से जुड़ी बटालियनों को उनके मूल आधार से बहुत दूर तैनात किया गया है ताकि नक्सल विरोधी अभियान, पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियान और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी ड्यूटी जैसी उभरती आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सके, लेकिन इस तरह की तैनाती से आपूर्ति, रसद और रसद संबंधी समस्याएं पैदा हुई. अब नए पुनर्गठन का उद्देश्य इन कार्यों पर लगने वाले समय और ऊर्जा को कम करना है.

CRPF की तैनाती में बड़े बदलाव

नया प्रोटोकॉल को एक दिसंबर से लागू करने का फैसला पिछले दो से तीन सालों में CRPF की तैनाती में बड़े पैमाने पर बदलाव की वजह से लिया गया है, जिसमें बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य से इकाइयों को हटाकर छत्तीसगढ़, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में अशांत स्थानों पर तैनात किया गया.

लैपटॉप की बैटरी लाइफ को लंबा करने के लिए क्या करें और क्या ना करें: जानें लैपटॉप बैटरी लाइफ बढ़ाने के तरीके

आजकल ज्यादातर कामों के लिए लोग लैपटॉप यूज करते हैं. फिर चाहे ऑफिस का काम का हो या पढ़ाई के लिए हो, लैपटॉप का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है. वैसे तो अगर आप डेली 9-10 घंटे लेपटॉप को लगातार इस्तेमाल करते हैं तो एक समय के बाद ये परेशानी आ सकती है. ऐसे में आप बिना चार्जर के लैपटॉप को यूज नहीं कर पाते हैं. लेकिन अब आपको परेशान नहीं होना पड़ेगा. यहां हम आपको कुछ ऐसी ट्रिक्स बताएंगे जिन्हें फॉलो करने के बाद आपके लैपटॉप की बैटरी लंबी चलेगी.

लैपटॉप की बैटरी इसलिए होती है जल्दी खत्म

कई बार लैपटॉप की बैटरी पुरानी होने के बाद लैपटॉप की बैटरी की एवरेज लाइफ 3-4 साल ही रह जाती है. बैटरी की कैपेसिटी भी कम होने लग जाती है.

ये भी हो सकता है कि लैपटॉप की हार्डवेयर सेटिंग सही नहीं हो, लैपटॉप की हार्डवेयर सेटिंग्स में जो खराबी हो उसे ठीक करने के बाद बैटरी लाइफ बेहतर हो सकती है.

लैपटॉप का सही से इस्तेमाल करना चाहिए है. दरअसल लैपटॉप का सही तरीके से इस्तेमाल ना करने से भी बैटरी लाइफ पर असर पड़ता है.

लैपटॉप की बैटरी लाइफ ऐसे बढ़ेगी

कोशिश करें कि लैपटॉप की बैटरी 0 प्रतिशत तक ना पहुंचे. बैटरी के 0 प्रतिशत तक डिस्चार्ज होने से बैटरी की केपेसिटी कम हो जाती है.

जब बैटरी का लेवल 20 प्रतिशत हो जाए तो उसे चार्ज पर लगा देना चाहिए.

ध्यान रहे कि आप अपने लैपटॉप को 100 प्रतिशत चार्ज न करें. जब बैटरी लेवल 80 प्रतिशत हो तो चार्जिंग बंद कर दें.

लैपटॉप को सही टेंपरेचर में रखें ज्यादा गर्म जगह पर न रखें. गर्मी के वजह से बैटरी की पावर कम हो जाती है.

लैपटॉप को लगातार इस्तेमाल करने के बजाय उसे थोड़ा रेस्ट भी दें. लगातार इस्तेमाल करने से बैटरी हीटेड हो जाती है, जिसकी वजह से जल्दी खत्म होना शुरू हो जाती है.

लैपटॉप के बैकग्राउंड में चल रहे ऐप्स को बंद करते रहें, कई बार बैकग्राउंड में एक्टिव ऐप्स ज्यादा बैटरी खाते हैं. इसलिए, बिना जरूरत के ऐप्स को बंद रखें.

लैपटॉप की हार्डवेयर सेटिंग्स चेक करें, सेटिंग्स में कुछ बदलाव करके आप बैटरी लाइफ को पहले से बेहतर कर सकते हैं. अगर इस सबसे भी नहीं ठीक होती है तो आप लैपटॉप को सर्विस सेंटर भी लेकर जा सकते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा की जनता को किया नमन,भाजपा को स्पष्ट बहुमत देने के लिए किया आभार व्यक्त

हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला रिएक्शन आया है. उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर स्पष्ट बहुमत देने के लिए मैं हरियाणा की जनशक्ति को नमन करता हूं. यह विकास और सुशासन की राजनीति की जीत है. मैं यहां के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे.

पीएम मोदी ने आगे लिखा कि इस महाविजय के लिए अथक परिश्रम और पूरे समर्पण भाव से काम करने वाले अपने सभी कार्यकर्ता साथियों को भी मेरी बहुत-बहुत बधाई! आपने ना केवल राज्य की जनता-जनार्दन की भरपूर सेवा की है, बल्कि विकास के हमारे एजेंडे को भी उन तक पहुंचाया है. इसी का नतीजा है कि भाजपा को हरियाणा में यह ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है

जम्मू-कश्मीर के हर व्यक्ति की सराहना की

न केवल हरियाणा बल्कि पीएम ने जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि ये चुनाव बहुत खास रहे हैं. अनुच्छेद 370 और 35(A) हटाए जाने के बाद पहली बार ये चुनाव हुए और इनमें भारी मतदान हुआ, जिससे लोगों का लोकतंत्र में विश्वास दिखा. उन्होंने कहा कि वह इसके लिए जम्मू-कश्मीर के हर व्यक्ति की सराहना करते हैं. आगे वह बोले, “मुझे जम्मू-कश्मीर में भाजपा के प्रदर्शन पर गर्व है. मैं उन सभी लोगों का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने हमारी पार्टी को वोट दिया और हम पर भरोसा जताया. मैं लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि हम जम्मू-कश्मीर के कल्याण के लिए काम करते रहेंगे. मैं अपने कार्यकर्ताओं के मेहनती प्रयासों की भी सराहना करता हूं.”

नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए कही ये बात

इसी के साथ-साथ पीएम ने जम्मू-कश्मीर में नेंका के प्रदर्शन को लेकर कहा कि वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में JKNC के सराहनीय प्रदर्शन के लिए उनकी सराहना करना चाहते हैं.

ग्राहकों की शिकायतों के घेरे में ओला इलेक्ट्रिक: सीसीपीए ने कंपनी को 18 अक्टूबर तक जवाब देने का दिया आदेश

ओला इलेक्ट्रिक इस समय सुर्खियों में है .कुछ दिन पहले इसके मालिक भाविश अग्रवाल अपने एक्स पोस्ट को लेकर चर्चा में थे .अब खबर आ रही है कि कंपनी को सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने नोटिस जारी किया है. कंपनी की बढ़ती शिकायतों पर सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा है. कंपनी को 18 अक्टूबर तक अपना जवाब देने के लिए कहा गया है

पिछले एक साल में नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन को 10,000 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं, जिनमें 1,900 शिकायतें डिलिवरी में देरी से जुड़ी हुई हैं, जबकि 1,500 शिकायतें ऐसी हैं जिनमें वायदा किए गए अनुसार सेवा नहीं दी गई. कंपनी पर 3,000 से ज्यादा शिकायतें इस बात की हैं कि ग्राहकों को सेवा नहीं मिल रही। नोटिस मिलने की खबर पर कंपनी ने अभी तक अपना पक्ष नहीं रखा है.

पहले से जांच के घेरे में

ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ यह नोटिस तब जारी किया गया है, जब कंपनी पहले से ही केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जांच के घेरे में है .यह जांच कंपनी के खिलाफ सेवा की कमियों, अनुचित व्यापार प्रथाओं और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में चल रही है. अब सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी के नोटिस के बाद कंपनी पर कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है.

कंपनी के शेयरों में गिरावट

ओला के शेयरों में सोमवार को 9 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई. कंपनी के आईपीओ की लिस्टिंग 9 अगस्त को हुई थी. तब इसका इश्यू प्राइज 76 रुपये था और यह लगभग इसी प्राइज पर लिस्ट हुआ था. हालांकि बाद में इसके शेयरों में उछाल देखने को मिला और यह 157 रुपये तक पहुंचा. अगस्त में इसके शेयर अपने उच्चतम स्तर पर थे, लेकिन इसके बाद गिरावट आनी शुरू हुई और अब यह करीब 90 रुपये पर आ गया है .दो महीने के अंदर ही इसके शेयरों में 40 प्रतिशत के करीब गिरावट देखी गई है

कुछ दिन पहले कंपनी के मालिक भाविश अग्रवाल और कॉमेडियन कुणाल कामरा के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी. इसकी शुरुआत कॉमेडियन कामरा के ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने वाले ग्राहकों को पेश आने वाली सेवा की समस्याओं को लेकर की गई पोस्ट से हुई. इस पोस्ट पर कंपनी के सीईओ ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी, जिससे दोनों के बीच नोकझोक हुई.

नवरात्रि में 'जौ बोने' के पीछे की क्या है धार्मिक मान्यताएं और उनका महत्व, जानें

नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को समर्पित होता है. इन नौ दिनों में प्रतिदिन देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि मां दुर्गा की विशेष पूजा करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का विशेष पर्व है. यह पर्व शक्ति, सौभाग्य और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि के दौरान जौ (jau) बोने की परंपरा है. इस परंपरा का संबंध धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों पहलुओं से है. जौ को समृद्धि, उर्वरता और नए जीवन का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा बिना जौ के अधूरी मानी जाती है.

नवरात्रि में जौ का महत्व

मान्यता के अनुसार, जौ को ब्रह्म का रूप माना जाता है. इसलिए, जब भी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, तो हवन में जौ चढ़ाया जाता है. नवरात्रि में जौ बोने का अर्थ है देवी का स्वागत करना. जौ को नए जीवन और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. मान्यता है कि जब जौ अंकुरित होता है, तो यह देवी की कृपा का प्रतीक माना जाता है जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है. इसलिए नवरात्रि की पूजा में जौ का विशेष महत्व होता है.

नवरात्रि में जौ बोने के पीछे की कुछ धार्मिक मान्यताएं

शक्ति की पूजा

माना जाता है जौ बोने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है. इसे कलश स्थापना के दिन जौ बोना “मां गौरी” या “मां दुर्गा” के स्वागत के रूप में देखा जाता है.

मां दुर्गा का प्रसाद

नवरात्रि में जौ को मां दुर्गा का प्रसाद माना जाता है. माना जाता है कि जौ बोने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं. साथ ही जौ को बोने के बाद जब वह अंकुरित होता है, तो इसे देवी मां को अर्पित किया जाता है.

सृष्टि का प्रतीक

जौ को सृष्टि का प्रतीक माना जाता है. यह अनाज सबसे पहले उगने वाले अनाजों में से एक है. इसलिए इसे नवजीवन और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.

सकारात्मक ऊर्जा

जौ को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है. माना जाता है कि जौ उगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

समृद्धि का प्रतीक

जौ को समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. माना जाता है कि जौ उगाने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है.

नवजीवन

जौ को बोने इस बात का भी प्रतीक होता है कि हम नए जीवन की शुरुआत कर रहे हैं. यह परिवर्तन और नए अवसरों का संकेत भी माना जाता है.

रिवाज

नवरात्रि के दौरान यह परंपरा पूरे भारत में अलग अलग तरीकों से

मनाई जाती है, जिससे यह पर्व और भी खास बनता है. इस प्रकार, जौ बोना न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक जीवन का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है.

नोट,इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, हम इसकी पुष्टि नहीं करता है

*श्री महाकालेश्वर मंदिर की प्रसादी पैकेट में बड़ा बदलाव: ॐ और शिखर की तस्वीर हटाने का आदेश

मध्य प्रदेश के इंदौर के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की प्रसादी के पैकेट का रंग रूप जल्द ही बदलने वाला है. लगभग 5 महीने पहले एमपी के इंदौर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी. इस याचिका में विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की लड्डू प्रसादी के पैकेट पर ॐ और महाकाल मंदिर के शिखर की तस्वीर को लेकर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई थी. याचिकाकर्ता ने सनातन के प्रतीक इन चिन्हों को प्रसादी के पैकेट से हटाने की मांग की थी. इस मामले पर सुनवाई करने के बाद माननीय हाईकोर्ट ने 24 अप्रैल 2024 को श्री महाकाल प्रबंध समिति को आदेश दिया था कि महाकाल मंदिर की प्रसादी पैकेट से ॐ और शिखर की तस्वीर को हटा दिया जाए.

इस पूरे मामले में जानकारी देते हुए कलेक्टर और श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह ने बताया कि माननीय हाईकोर्ट के आदेशों के परिपालन में जल्द ही महाकाल मंदिर के प्रसादी पैकेट से ॐ और महाकाल मंदिर के शिखर का चिन्ह हटाया जाएगा. इसको लेकर श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति की बैठक में सभी से सुझाव लिए जा चुके हैं. लड्डू प्रसादी के पैकेट की नई डिजाइन तैयार की जा रही है.

पुराना स्टॉक खत्म होने का इंतजार

जानकारी के मुताबिक, प्रसादी पैकेट का पुराना स्टॉक खत्म होने के बाद अब जो भी पैकेट आएंगे उन पर अब यह चिन्ह नजर नहीं आएंगे. श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने बाबा महाकाल के लड्डू प्रसाद को लेकर बड़ा बदलाव किया है. बैठक में निर्णय लिया गया है कि अब मंदिर के लड्डू प्रसादी पैकेट पर मंदिर का शिखर और ॐ नहीं दिखेगा. हाईकोर्ट ने भी मंदिर समिति को डिजाइन में बदलाव के लिए 3 महीने तक का वक्त दिया था.

अप्रैल में दायर की गई थी याचिका

अप्रैल में इंदौर हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका इसीलिए लगाई गई थी क्योंकि लोगों का मानना था कि बाबा महाकाल के प्रसादी का उपयोग करने के बाद श्रद्धालु इन पैकेट को जिस पर बाबा महाकाल के शिखर के साथ ही ॐ का चिन्ह बना होता है उसे कचरे में फेंक देते हैं. बाबा महाकाल के शिखर के साथ ही ॐ भी सनातन का प्रतीक चिन्ह है जिसे इस तरह से कूड़े में फेंकना गलत है. इससे सनातन का अपमान होता है जिसको लेकर ही अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के कार्यकर्ता और महंत सुखदेवानंद, ब्रह्मचारी गुरु श्री महंत योगानंद, ब्रह्मचारी श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा इंदौर और पंडित शरद कुमार मिश्रा, गुरु श्री स्वामी राधाकांताचार्य महाराज श्री दुर्गा शक्तिपीठ ने इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी.

हरियाणा विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने तीसरी बार सरकार बनाने की दिशा में बढ़ाया कदम, कंगना रनौत ने दी बधाई

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार सरकार बनाती दिख रही है. इस तरह यह राज्य में ऐसा करने वाली पहली पार्टी बनेगी. इसी बीच, बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने एक्स पर हरियाणा के चुनाव परिणामों को लेकर छह नेताओं के नाम लिखकर उन्हें बधाई दी. उन्होंने जिन छह नेताओं को बधाई दी उनमें शामिल हैं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और नायब सिंह सैनी. कंगना ने लिखा कि हरियाणा में बीजेपी की तीसरी बार सरकार बनने के लिए इन सभी का धन्यवाद.

उन्होंने आगे लिखा “हरियाणा में लगातार तीसरी बार जीतने के लिए बधाई. पार्टी की इस अभूतपूर्व जीत का श्रेय उनकी निरंतर अथक मेहनत, जनहितैषी नीतियों, गरीबों के समग्र कल्याण और राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास को जाता है, जिसने हरियाणा की जनता से उन्हें व्यापक स्वीकृति दिलाई है.” साथ ही उन्होंने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को भी बधाई दी.

असली नतीजों ने कहानी पलटी

गौरतलब है कि आज जब हरियाणा विधानसभा चुनाव की गिनती शुरू हुई तो कांग्रेस ने पहले एक घंटे में ही बहुमत हासिल कर लिया था और बीजेपी 20 सीटों से नीचे दिखने लगी थी. हालांकि यह स्थिति सुबह 10 बजे के बाद बदल गई, जिसके बाद बीजेपी राज्य में ऐतिहासिक रूप से तीसरी बार जीत की ओर बढ़ती नजर आ रही है. इससे पहले एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की गई थी. कहा गया था कि किसान, जवान और पहलवान बीजेपी से नाराज़ हैं. इसलिए बीजेपी सत्ता से बाहर हो जाएगी, लेकिन असली नतीजों के बाद कहानी पलट गई है

राहुल ने जो माहौल बनाया कैसे बिगड़ा?

वहीं, हरियाणा के चुनावी रुझानों पर कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने कहा कि अब तक के नतीजे निराशाजनक हैं और हमारे कार्यकर्ता काफी निराश हैं. उन्होंने कहा 10 साल से कांग्रेस के लिए हमारे कार्यकर्ताओं ने खून-पसीना बहाया है, लेकिन अब हमें नए सिरे से सोचने की जरूरत है. हमें यह देखना होगा कि कहां कमियां रहीं, क्यों कमियां रहीं, और कौन इसके लिए जिम्मेदार हैं. राहुल गांधी ने जो माहौल बनाया था, वह आगे क्यों नहीं बढ़ पाया. बहुत कुछ होते हुए भी, सारी चुनौतियों का सामना करते हुए चुनाव लड़ा गया, और आज कहना अच्छा नहीं लगेगा.

आगे उन्होंने कहा हमें आगे के लिए सोचना होगा. हमारे कार्यकर्ता निराश हुए हैं, लेकिन हताश नहीं हैं. हाई कमान को देखना चाहिए कि क्या हुआ है.