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ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

सिंगापुर में पूर्व मंत्री को 12 महीने की जेल, भ्रष्टाचार के आरोप में ठहराए गए थे दोषी, जानें भारत से क्या कनेक्शन?

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सिंगापुर में भारतीय मूल के पूर्व परिवहन मंत्री एस. ईश्वरन को 12 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें लोक सेवक के तौर पर अपने दो व्यापारी मित्रों से सात साल में 403,300 सिंगापुर डॉलर मूल्य के उपहार लेने के आरोप में दोषी पाया गया था। 24 सितंबर को उपहार लेने और न्याय को अवरुद्ध करने के चार मामलों में 62 वर्षीय ईश्वरन को दोषी दोषी ठहराया गया था।

सजा सुनाने के दौरान जज विंसेंट हूंग ने कहा कि उन्होंने अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों की ओर से सजा पर विचार किया, लेकिन वे दोनों स्थितियों पर सहमत होने में असमर्थ रहे।जज ने बताया कि पूर्व मंत्री ने उपहार लेकर अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि ईश्वरन ने सार्वजनिक बयान देकर इन आरोपों को झूठा बताया था। जज ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में ईश्वरन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए इसे झूठ बताया।

ईश्वरन के वकील दविंदर सिंह ने आठ महीने से अधिक की सजा न देने की दलीली दी थी। डिप्टी अटर्नी जनरल ताई वी शियोंग ने छह से सात महीने की सजा की मांग की। ईश्वरन के वकीलों ने सजा को सात अक्तूबर तक के लिए टालने और उन्हें उसी दिन शाम चार बजे अदालत में आत्मसमर्पण करने की मांग की।

ईश्वरन पर थिएटर शो, फुटबॉल मैच और सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स, व्हिस्की, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और होटल में ठहरने समेत कीमती सामानों से संबंधित आरोप हैं। इसमें शामिल राशि SGD 400,000 (USD 300,000 से अधिक) से अधिक है। उसके पास से व्हिस्की और वाइन की बोतलें, गोल्फ क्लब और एक ब्रॉम्पटन साइकिल भी जब्त की गई। ईश्वरन के आरोप प्रॉपर्टी टाइकून ओंग बेंग सेंग और कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक लुम कोक सेंग के साथ उसके संबंधों से संबंधित हैं। हालांकि दोनों व्यवसायियों पर आरोप नहीं लगाए गए हैं।

संशोधित किए गए दो आरोपों में ओंग शामिल हैं, जो उस समय सिंगापुर जीपी के बहुसंख्यक शेयरधारक थे।संशोधित आरोपों में यह भी कहा गया है कि ईश्वरन को पता था कि सिंगापुर जीपी के माध्यम से ओंग सुविधा के प्रदर्शन से संबंधित था। सिंगापुर एफ1 ग्रैंड प्रिक्स 2022 से 2028 के लिए सिंगापुर जीपी और सिंगापुर पर्यटन बोर्ड (एसटीबी) के बीच समझौता, और यह ईश्वरन के मंत्री और एफ1 संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में आधिकारिक कार्यों से जुड़ा था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मूल आरोपों में कहा गया था कि ईश्वरन ने भ्रष्ट तरीके से ओंग से ये उपहार प्राप्त किए, और ऐसा ओंग के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के बदले में किया।

सहवाग बने कांग्रेस के “खेवनहार”, हरियाणा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी के लिए मांगा वोट

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हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। शाम को 6 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस बीच कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार-प्रसार में कमी नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व किक्रेटर वीरेंद्र सहवाग हरियाणा के तोशाम पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगे।

सहवाग को क्रिकेट की दुनिया में अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। साथ ही उनकी हाजिरजवाबी का भी हर कोई कायल है। ऐसे में जब सहवाग कांग्रेस कैंडिडेट के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो ठेठ हरियाणी में लोगों को ध्यान खींचा।सहवाग ने कहा कि लठ गाड़ रखा, इतनी आवाज तो स्टेडियम में ना आई जितनी अड़े आण लाग री है। अब ये आवाजा अनिरुद्ध चौधरी तक भी पहुंचेगी। अर अनिरुद्ध चौधरी ने आप लेके जाओंगे विधानसभा। चंडीगढ़ बैठाओंगे। मैं तो बस अपने बुजुर्गों से, ताऊ और ताइयां ने भाई-बहणा ते और सब ते कि 5 तारीख ने जब वोट डालन जाओ तब 1 नंबर पर अनिरुद्ध चौधरी का नाम आवेगा। बटन दबा के...मान लोंगे मेरी बात। अगर तम मान गए तो बाकी सब मान गए...राम-राम भाइयों।

वीरेंद्र सहवाग का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें वह जनता से अनिरुद्ध चौधरी के लिए वोट मांगने की अपील करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वे अपना फर्ज निभाने आएं हैं। जब कोई बड़ा भाई कोई काम करता है तो सभी को मिलकर उसकी मदद करनी होती है। सहवाग ने कहा कि अनिरुद्ध चौधरी ने जनता से जो वादे किए हैं, वो उन्हें जरूर पूरा करेंगे, क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन चलाने का एक्सपीरियंस है।

तोशाम सीट पर भाई-बहन के बीच मुकाबला

बता दें कि तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी और पोते अनिरुद्ध चौधरी के बीच मुकाबला है। श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी की चचेरी बहन हैं। श्रुति, किरण चौधरी की बेटी हैं तो वहीं अनिरुद्ध चौधरी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। इससे पहले श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं।

कट्टरपंथ की गठजोड़! जाकिर नाइक की पाक पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात, मलेशियाई पीएम भी पहुंचे पाकिस्तान

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भारत से भगोड़ा कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक पाकिस्तान में है। जाकिर नाइक 15 दिनों के पाकिस्तान दौरे पर हैं। इस बीच 2 अक्टूबर की देर रात प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने जाकिर नाइक से मुलाकात की। इस दौरान पाक पीएम ने जाकिर नाइक की जमकर तारीफ की और कहा कि वे व्यावहारिक और प्रभावशाली हैं। वहीं पाक पीएम से मुलाकात के बाद जाकिर नाइक ने एक बार फिर जहरीला बयान दिया है।

जाकिर नाइक ने फिर उगला जगर

पाकिस्तानी पीएम से मुलाकात कर जाकिर नाइक ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जगह उगला। उसने कहा, हिन्दू मुझे चाहते थे इसलिए भारत सरकार को मैं पसंद नहीं था। हिन्दू इस्लाम कबूल करने लगो तो यह सरकार के एजेंडा के खिलाफ था। उसने आरोप लगाया कि भारत सरकार उसके खिलाफ कर्रवाई करने का मौका तलाश कर रही थी। उन्होंने कहा, ढाका में ब्लास्ट होता है तो आरोप लगाया जाता है कि वह जाकिर नाइक का समर्थक... फेसबुक पर फॉलोवर था, लेकिन मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।

नाइक ने की शरीफ की तारीफ

वहीं, जाकिर नाइक ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ अपनी एक तस्वीर भी एक्स पर पोस्ट की। शरीफ ने नाइक से कहा, इस्लाम शांति का धर्म है और आप लोगों के बीच इस्लाम का सच्चा संदेश फैलाकर एक अहम फर्ज निभा रहे हैं।

गोमांस को लेकर दिया था बड़ा बयान

इससे पहले जाकिर नाइक ने गोमांस को लेकर बड़ा बयान दिया। उसने कहा कि इस्लाम में गोमांस खाना फर्ज नहीं है। अगर कोई प्रतिबंध लगाता है तो हमें उसका पालन करना चाहिए। अगर आप मेरी निजी राय पूछें तो गोमांस पर प्रतिबंध एक राजनीतिक मुद्दा है, क्योंकि करोड़ों हिंदू भी गोमांस खाते हैं। नई सरकार आने के बाद कई राज्यों में गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर आप किसी लड़की को परेशान करते हैं तो तीन साल की सजा है और अगर आप गोमांस खाते हैं तो पांच साल की सजा है। यह कैसा तर्क है?

मलेशियाई पीएम भी पाक दौरे पर

जाकिर नाइक के बाद मलेशियाई पीएम अनवर इब्राहिम भी गुरुवार को तीन दिवसीय दौरे पर पाकिस्तान पहुंचे। उनकी यह यात्रा तब हो रही है, जब मलेशिया में शरण लेने वाला कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक भी पाकिस्तान के दौरे पर है।अनवर इब्राहिम अगस्त में राजकीय दौरे पर भारत आए थे। इस दौरान जब जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण पर उनसे सवाल पूछा गया तो इब्राहिम ने सबूतों की बात कही थी। हालांकि, जाकिर नाइक के साथ अनवर इब्राहिम की दोस्ती जगजाहिर है।इब्राहिम मलेशिया में कई रैलियों और कार्यक्रमों के दौरान जाकिर नाइक के साथ मंच साझा कर चुके हैं।

बांग्लादेश सरकार का बड़ा फैसला, भारत सहित इन 5 देशों से वापस बुलाए अपने राजदूत, जानें क्या है वजह

#bangladesh_ministry_of_foreign_affairs_recalled_5_of_its_envoys_india_in_list

बांग्लादेश में शेख हसीने के तख्तापलट के बाद भारत के साथ संबंध काफी प्रभावित हुए हैं। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने क और बड़ा फैसला लिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सहित पांच देशों से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के राजदूत वापस बुलाए गए हैं।

जिन्हें बुलाया गया है उनमे भारत में उच्चायुक्त मुस्तफ़िज़ुर रहमान के अलावा न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में राजदूत शामिल हैं। रहमान सहित वापस बुलाए गए कुछ राजनयिक आने वाले महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले थे।राजनयिक रहमान को जुलाई 2022 में भारत में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि और स्विट्जरलैंड और सिंगापुर में दूत के रूप में काम कर चुके थे। उन्होंने विकास सहयोग को आगे बढ़ाने और दोनों पक्षों के बीच बेहतर संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रशासनिक प्रभाग के आदेश देश की विदेश नीति को लेकर अच्छे नहीं रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भारत में उच्चायुक्त सहित जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनमें से कई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं थीं।

बता दें कि बांग्लादेश में छात्र संगठनों के नेतृत्व में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारण अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ली। इस घटना के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध खराब स्थिति में हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक प्रशासन ने हसीना के पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही कार्यभार संभाल लिया।

शारदीय नवरात्रःपहले दिन हो रही शैलपुत्री स्वरूप की पूजा, जानें क्या है कथा*
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नवरात्रि, देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इन दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती आ रही है। इसमें महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, रक्तदंतिका, शाकुंभरी देवी, दुर्गा, भ्रामरी देवी व चंडिका प्रमुख हैं। इन नौ रूपों को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री नामों से जाना जाता है। शारदीय नवरात्रि पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है और नवमी तिथि तक चलता है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना का विधान है। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। *ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप* शैलपुत्री का संस्कृत में अर्थ होता है ‘पर्वत की बेटी’। मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है। वे नंदी बैल की सवारी करती हैं। *मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा* मां दुर्गा अपने पहले स्वरुप में 'शैलपुत्री' के नाम से पूजी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर जी से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया जिसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया किन्तु शंकर जी को उन्होंने इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। देवी सती ने जब सुना कि हमारे पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं,तब वहां जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने भगवान शिव को बताई। भगवान शिव ने कहा-''प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं,अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहां जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'' शंकर जी के इस उपदेश से देवी सती का मन बहुत दुखी हुआ। पिता का यज्ञ देखने वहां जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर शिवजी ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी। *सती ने खुद को योगाग्नि में खुद को भस्म कर दिया* सती ने पिता के घर पहुंचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम से बातचीत नहीं कर रहा है। केवल उनकी माता ने ही स्नेह से उन्हें गले लगाया। परिजनों के इस व्यवहार से देवी सती को बहुत क्लेश पहुंचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहां भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है,दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का ह्रदय ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा कि भगवान शंकर जी की बात न मानकर यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।वह अपने पति भगवान शिव के इस अपमान को सहन न कर सकीं, उन्होंने अपने उस रूप को तत्काल वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। *शैलपुत्री के रूप में फिर शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं* इस दारुणं-दुखद घटना को सुनकर शंकर जी ने क्रुद्ध हो अपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वह शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं। पार्वती,हेमवती भी उन्हीं के नाम हैं। इस जन्म में भी शैलपुत्री देवी का विवाह भी शंकर जी से ही हुआ।
फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची असली एनसीपी की लड़ाई, चुनाव से पहले शरद पवार ने रखी ये मांग

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाम एनसीपी विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।महाराष्ट्र में इसी साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उससे पहले शरद पवार ने महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान अजित पवार को ‘घड़ी’ चिह्न का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।उन्होंने कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है। आगामी विधानसभा चुनाव में अजित पवार गुट को 'घड़ी' चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की है।

शरद पवार गुट ने अपनी याचिका में कहा है कि अजित पवार गुट को विधानसभा चुनाव के लिए एक नया सिंबल अलॉट किया जाए। शरद पवार गुट ने कहा है कि लोकसभा चुनावों के दौरान अजित पवार गुट ने 'घड़ी' सिंबल पर चुनाव लड़ा था, जिससे मतदाताओं में भ्रम पैदा हुआ और उन्हें यह समझने में कठिनाई हुई कि असली एनसीपी कौन है। शरद पवार गुट का कहना है कि जब तक सिंबल मामले पर चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दाखिल उसकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं देता, तब तक अजित पवार गुट को नया सिंबल अलॉट किया जाना चाहिए। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।

उधर, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी (शरद पवार) ने बुधवार को राज्य सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र पेश किया। इसमें राज्य से उद्योगों के पलायन और कानून-व्यवस्था के ध्वस्त होने का दावा किया।शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने महाराष्ट्र की आर्थिक गिरावट, उद्योगों के पलायन और महिला सुरक्षा सहित 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अभियान शुरू किया। लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले और पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा तक मार्च किया और बाद में दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक तक पैदल मार्च किया।

पीएम मोदी ने नीरज चोपड़ा की मां को क्यों लिखा पत्र? बोले- 9 दिन व्रत में मिलेगी राष्ट्र सेवा के लिए शक्ति!*
#pm_modi_write_a_letter_for_neeraj_chopra_mother प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा की मां को चिट्ठी लिखी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में नीरज चोपड़ा की मां की ओर से भेजे गए तोहफे की तारीफ की है।पीएम मोदी भारत के जेवलिन थ्रो स्टार नीरज चोपड़ा से उनकी मां के हाथ का चूरमा खाने की फरमाइश की थी। जिसके बाद नीरज चोपड़ा ने मंगलवार को पीएम मोदी ने जमैका के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इस अवसर पर गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा ने उन्हें मां के हाथ का चूरमा खिला दिया। जिसे खाने के बाद पीएम को अपनी मां की याद आ गई और उन्होंने नीरज चोपड़ा की मां के लिए एक पत्र लिख दिया। पीएम मोदी ने लिखा कि, आदरणीया सरोज देवी जी कल जमैका के प्रधानमंत्री जी की भारत यात्रा के अवसर पर आयोजित भोज में मुझे भाई नीरज से मिलने का अवसर मिला। उनसे चर्चाओं के बीच मेरी खुशी तब और बढ़ गई, जब उन्होंने मुझे आपके हाथों से बना स्वादिष्ट चूरमा दिया। पीएम ने लिखा कि आज इस चूरमे को खाने के बाद आपको पत्र लिखने से खुद को रोक ना सका। भाई नीरज अक्सर मुझसे इस चूरमे की चर्चा करते हैं, लेकिन आज इसे खाकर मैं भावुक हो गया। आपके अपार स्नेह और अपनेपन से भरे इस उपहार ने, मुझे मेरी मां की याद दिला दी। पीएम ने आगे लिखा कि मां शक्ति, वात्सल्य और समर्पण का रूप होती है। यह संयोग ही है कि मुझे मां का ये प्रसाद नवरात्र पर्व के एक दिन पहले मिला है। मैं नवरात्रि के इन 9 दिनों में उपवास करता हूं। एक तरह से आपका ये चूरमा मेरे उपवास के पहले मेरा मुख्य अन्न बन गया है। 'राष्ट्र सेवा की शक्ति देगा ये चूरमा' उन्होंने लिखा कि जिस तरह आपका बनाया भोजन जैसे भाई नीरज को देश के लिए मेडल जीतने की ऊर्जा देता है। वैसे ही ये चूरमा, अगले 9 दिन मुझे राष्ट्र सेवा की शक्ति देगा। पीएम ने लिखा कि शक्ति पर्व नवरात्र के इस अवसर पर मैं आपके साथ, देशभर की मातृशक्ति को ये विश्वास दिलाता हूं कि मैं विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए और अधिक सेवाभाव से निरंतर काम में जुटा रहूंगा। पीएम ने ओलंपिक 2024 में की थी फरमाइश पेरिस ओलंपिक 2024 में नीरज चोपड़ा ने सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था. जिसके बाद पीएम मोदी ने ओलंपिक्स में सभी एथलीट्स को संबोधित किया. उस दौरान पीएम ने नीरज चोपड़ा से उनकी मां के हाथ का चूरमा खाने की फरमाइश रख दी थी जो अब पूरी हो चुकी है.
इजरायल ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर लगाया बैन, कहा- संयुक्त राष्ट्र के लिए धब्बा*
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इजराइल हमास युद्ध के बीच इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग छिड़ गई है। लेबनान पर हिजबुल्लाह के ठिकानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद ईरान ने इजराइल पर हमला बोल दिया। ईरान की ओर से हमले के बाद इजराइल ने यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस के इजराइल आने पर रोक लगा दी है। इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने देश में बैन लगा दिया है। इस बैन के बाद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस अब इजरायल की यात्रा नहीं कर पाएंगे। बता दें कि, मंगलवार रात ईरान ने इजराइल पर 200 के करीब बैलिस्टिक मिसाइल दागी थीं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजराइल के विदेश मंत्री ने कहा कि यूएन चीफ ने ईरान के हमलों की निंदा नहीं की, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। इजरायल के विदेश मंत्री कैट्ज ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल में प्रवेश करने से रोक दिया है। विदेश मंत्री काट्ज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल के भीतर एक अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है। साथ ही देश में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कैट्ज ने कहा कि जो व्यक्ति इजरायल पर ईरान के आपराधिक हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करने में असमर्थ है, वह इजरायल की धरती पर पैर रखने के लायक नहीं है। यह इजरायल से नफरत करने वाला महासचिव है, जो आतंकवादियों, बलात्कारियों और हत्यारों को समर्थन देता है। गुटेरेस को संयुक्त राष्ट्र के इतिहास पर एक दाग के रूप में याद किया जाएगा। इजरायल की तरफ से यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब ईरान ने इजरायल पर भारी संख्या में मिसाइल हमला किया है। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र हमेशा फिलिस्तीनियों के हित की बात करता है रहा है। इसके साथ ही इजरायल पर उनको मानवीय मदद पहुंचाने को लेकर दबाव बनाता रहा है। ईरानी की तरफ से किए गए हमले के बाद इजरायल का समर्थन नहीं करने पर इजरायल ने एंटोनियो गुटेरेस पर बैन लगा दिया है।