सरकारी के साथ सामुदायिक प्रयासों से नियंत्रित हुआ इंसेफेलाइटिस
गोरखपुर, ‘‘जिस प्रकार प्रदेश सरकार के प्रयासों के साथ साथ सामुदायिक सहभागिता से इंसेफेलाइटिस नियंत्रित हुआ है, ठीक उसी प्रकार अन्य संचारी रोगों पर भी नियंत्रण पाना है। इस लक्ष्य को हासिल करने में जनजागरूकता और साफ सफाई का विशेष महत्व है।’’ इस संदेश के साथ जिले में सोमवार से एक माह तक के लिए विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान शुरू हो गया।
इसी कड़ी में ग्यारह अक्टूबर से घर घर दस्तक अभियान चलेगा, जिसमें आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की टीम बुखार, टीबी, फाइलेरिया, कुष्ठ, मधुमेह, कैंसर और हाइपरटेंशन के मरीज ढूंढेंगी। पिपराईच विधायक महेंद्र पाल सिंह, चिल्लूपार विधायक राजेश त्रिपाठी, गोरखपुर ग्रामीण विधायक विपिन सिंह और सांसद प्रतिनिधि समरेंद्र विक्रम सिंह ने एनेक्सी भवन से अभियान का शुभारंभ किया।
अपने संबोधन में पिपराईच विधायक महेंद्र पाल सिंह ने कहा कि सरकार इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के प्रयासों में सफल नहीं हो पाती, अगर लोगों का साथ नहीं मिलता। जनजागरूकता सरकारी प्रयासों को मजबूती प्रदान करती है। गोरखपुर ग्रामीण विधायक विपिन सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से इंसेफेलाइटिस को नियंत्रित किया गया है, उसी प्रकार से डेंगू को भी नियंत्रित करना है। स्वच्छता के हथियार से इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है। चिल्लूपार विधायक राजेश त्रिपाठी ने कहा कि हमे रोजमर्रा के कार्यों से समय निकाल कर स्वच्छता व्यवहार अपनाना होगा। इसके जरिये हम खुद को और अपने परिवार को कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं।
उद्घाटन समारोह के बाद उपस्थित सैकड़ों आशा कार्यकर्ताओं और सफाईकर्मियों समेत अन्य विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को इंसेफेलाइटिस उन्मूलन की शपथ दिलाई गई। विधायक, सांसद प्रतिनिधि और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। साथ ही जागरूकता का संदेश देने के लिए बैलून भी उड़ाया गया।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि चौदह विभाग मिल कर संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए अभियान के दौरान एक साथ प्रयास करेंगे। इनमें स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज, नगर निकाय, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, कृषि और चिकित्सा शिक्षा जैसे विभाग शामिल हैं जिनके कर्मचारी साफ सफाई कराएंगे और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे। वर्ष दो हजार सत्रह से शुरू हुए इस अभियान की ही देन है कि जिले में इस वर्ष एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के 44 केस ही निकले हैं और अभी तक इससे एक मृत्यु हुई है। जापानीज इंसेफेलाइटिस का कोई मामला नहीं निकला है। अभी तक डेंगू के 63 केस निकले हैं और इससे भी कोई मृत्यु नहीं हुई है।
कार्यक्रम का संचालन उपेंद्र मणि त्रिपाठी ने किया । इस मौके पर एसीएमओ डॉ एके चौधरी, डॉ वीपी पांडेय, डीटीओ डॉ गणेश यादव, डीआईओ डॉ नंदलाल कुशवाहा, नोडल अधिकारी डॉ राजेश, मंडलीय किटविज्ञानी डॉ वीके श्रीवास्तव, डीएमओ अंगद सिंह, डीएचईआईओ केएन बरनवाल, डीडीएचईआईओ सुनीता पटेल, जेई एईएस कंसल्टेंट सिद्धेश्वरी सिंह, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, सीफार, पाथ के प्रतिनिधिगण और आदिल फखर के अलावा मलेरिया, फाइलेरिया, टीबी और कुष्ठ विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी मौजूद रहे।
ठीक हो रहे हैं मरीज
डॉ दूबे ने बताया कि सरकारी स्वास्थ्य तंत्र मजबूत होने की वजह से तीव्र बुखार के रोगी प्राथमिक चिकित्सा से ही ठीक हो कर घर लौट रहे हैं। इस साल बुखार के करीब 2.23 लाख रोगियों को ईटीसी या मिनी पीकू से उपचारित करके घर भेजा जा चुका है। जिले में 19 मिनी पीकू, एक पीकू और आठ ईटीसी की व्यवस्था है जहां तीव्र बुखार के रोगियों का उपचार किया जा रहा है।
पहली बार जुड़ी है एनसीडी स्क्रीनिंग
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि पहली बार दस्तक अभियान के तहत गैर संचारी रोगों (एनसीडी) की स्क्रीनिंग को जोड़ा गया है। इसके तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मधुमेह, हाईपरटेंशन और तीन प्रकार के कैंसर रोगियों को ढूंढेंगी। साथ उन्हें सीबैक फार्म भी भरना होगा। इस बार भी पूर्व की भांति आशा कार्यकर्ता आभा आईडी बनाएंगी।
डेंगू से बचाव पर रहेगा जोर
इस बार विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान डेंगू से बचाव पर विशेष जोर होगा। मंडलीय किटविज्ञानी डॉ वीके श्रीवास्तव ने उद्घाटन समारोह के दौरान उपस्थित लोगों को डेंगू से बचाव के बारे में जागरूक किया। उन्होंने अपील की कि छोटे जलस्रोत में साफ पानी इकट्ठा न होने दें। आंखों के पीछे तीव्र दर्द के साथ बुखार हो तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। यह लक्षण डेंगू का भी हो सकता है। बुखार होने पर अपने मन से किसी भी दवा का सेवन न करें।
Oct 01 2024, 20:07