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LAC पर क्या फिर होने वाली है कुछ बड़ी हलचल, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने क्यों कहा सामान्य नहीं हैं हालात



डेस्क: भारत-चीन सीमा पर क्या फिर कुछ बड़ा होने वाला है, क्या भारत और चीन के रिश्तों में अभी भी पहले जैसा तनाव कायम है, क्या सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से सैन्य वापसी के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है? अगर स्थिति ठीक हुई है तो फिर थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी आखिर यह बयान क्यों देते कि सीमा पर हालात अभी भी सामान्य नहीं हैं। सेना प्रमुख के बयान से साफ है कि चीन अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लिहाजा भारतीय सेना भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हर वक्त कमर कसे बैठी है।

आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवदी से जब सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति स्थिर, लेकिन संवेदनशील है और सामान्य नहीं है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि हालांकि, विवाद के समाधान पर दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक वार्ता से एक ‘‘सकारात्मक संकेत’’ सामने आ रहा है, लेकिन किसी भी योजना का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों पर निर्भर करता है। वह चाणक्य रक्षा संवाद पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध का जल्द से जल्द समाधान तलाशने के उद्देश्य से जुलाई और अगस्त में दो चरणों में कूटनीतिक वार्ता की थी। उन्होंने एक सवाल पर कहा, ‘‘कूटनीतिक वार्ता से सकारात्मक संकेत मिल रहा है लेकिन हमें यह समझने की आवश्यकता है कि कूटनीतिक वार्ता विकल्प और संभावनाएं देती हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब जमीनी स्तर पर लागू करने की बात आती है तो इसका निर्णय लेना दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों पर निर्भर करता है।’’ सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘स्थिति स्थिर है लेकिन यह सामान्य नहीं है। और संवेदनशील है। अगर ऐसा है तो हम क्या चाहते हैं? हम चाहते हैं कि अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो।’’ दोनों सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध मई 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ।


दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले बिन्दुओं से कई सैनिकों को हटाया है लेकिन इसके बावजूद अभी तक सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं निकला है। जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘जब तक स्थिति बहाल नहीं होती है, हालात संवेदनशील रहेंगे और हम किसी भी प्रकार की आकस्मिक स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस पूरे परिदृश्य में विश्वास को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने चीन के प्रति भारतीय सेना के समग्र दृष्टिकोण पर भी संक्षिप्त चर्चा की। सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘जहां तक चीन का संबंध है तो वह काफी समय से हमारे मन में कौतूहल पैदा कर रहा है। मैं कह रहा हूं कि चीन के साथ आपको प्रतिस्पर्धा करनी होगी, आपको सहयोग करना होगा, आपको एक साथ रहना होगा, आपको मुकाबला करना होगा।’’

पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस विवाद का जल्द समाधान तलाशने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में वार्ता की थी। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के सम्मेलन से इतर हुई बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए ‘‘तत्परता’’ से काम करने और अपने प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की थी। बैठक में डोभाल ने वांग को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और एलएसी का सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बनाने के लिए जरूरी है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था।
लेबनान के इजरायली हमले में फिलिस्तीनी कमांडर के मारे जाने की आशंका, सीरिया एयरस्ट्राइक में भी 3 मौतें



डेस्क: इजरायल ने लेबनान में घातक हवाई हमला किया है। इस दौरान दो फिलिस्तीनी सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार मंगलवार तड़के बेरूत में एक इजरायली हमले में फिलिस्तीनी फतह आंदोलन की सैन्य शाखा अल-अक्सा शहीद ब्रिगेड की लेबनानी शाखा के कमांडर मुनीर मकदाह को निशाना बनाया गया। इस हमले में उसके मारे जाने की आशंका है। इस घातक हमले के बाद मकदाह का भाग्य अज्ञात बना था कि वह मारा गया या जीवित है।

सूत्रों ने बताया कि यह हमला दक्षिणी शहर सिडोन के पास भीड़भाड़ वाले ऐन अल-हिलवेह में फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर की एक इमारत पर हुआ। बता दें कि लगभग एक साल पहले हिज़्बुल्लाह और इज़रायल के बीच सीमा पार दुश्मनी शुरू होने के बाद से फिलिस्तीनी शिविर पर आईडीएफ का यह पहला हमला था, जो लेबनान में कई फिलिस्तीनी शिविरों में से सबसे बड़ा था। सरकारी मीडिया का कहना है कि दमिश्क पर इज़रायली हवाई हमले में तीन नागरिकों की मौत हो गई।

सीरिया की राजधानी दमिश्क पर भी इजरायली सेना ने आज भीषण हवाई हमला किया। इस हमले में तीन नागरिक मारे गए और नौ अन्य घायल हो गए। सीरियाई राज्य मीडिया ने मंगलवार सुबह एक सैन्य स्रोत का हवाला देते हुए कहा कि दमिश्क पर इजरायली हमले में उसका एक नुमाइंदा मारा गया था। मगर यह स्पष्ट नहीं था कि मारा गया नुमाइंदा तीन नागरिकों में से था या नहीं। सरकारी मीडिया ने बताया कि इजरायली हवाई हमले से निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान हुआ है। राज्य मीडिया ने मंगलवार को पहले कहा था कि राजधानी में सुने गए विस्फोटों के बाद, सीरियाई वायु रक्षा ने दमिश्क के आसपास के क्षेत्र में "शत्रुतापूर्ण लक्ष्यों" को एक रात में लगातार तीन बार रोका।
जम्मू-कश्मीर में पहली बार MLA चुन रहा वाल्मीकि समुदाय, ‘अब मैला ढोने वाला भी बन सकता है विधायक’


डेस्क: लंबे समय से मतदान करने के अधिकार से वंचित वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में पहली बार वोट डाला। अनुच्छेद 370 की वजह से इस समुदाय के लोग विधानसभा चुनावों में मतदान नहीं कर पाते थे। वोट डालने के बाद बेहद खुश नजर आ रहे समुदाय के लोगों ने इसे ‘ऐतिहासिक क्षण’ बताया। वाल्मीकि समुदाय के लोगों को मूल रूप से 1957 में पंजाब के गुरदासपुर जिले से राज्य सरकार द्वारा सफाई कार्य के लिए जम्मू-कश्मीर लाया गया था। सूबे में लंबा समय बिताने के बावजूद इस समुदाय के लोगों को जम्मू-कश्मीर में वोट डालने का अधिकार नहीं मिला था।

जम्मू के एक पोलिंग बूथ पर मतदान करने वाले घारू भाटी ने कहा, ‘मैं 45 साल की उम्र में पहली बार मतदान कर रहा हूं। हम लोग अपने जीवनकाल में पहली बार जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में भाग लेने को लेकर रोमांचित और उत्साह से भरे हुए हैं। यह हमारे लिए एक बड़े त्योहार की तरह है।’ अपने समुदाय के लिए नागरिकता का अधिकार सुनिश्चित करने को लेकर 15 वर्षों से अधिक समय तक इन प्रयासों का नेतृत्व करने वाले भाटी ने कहा, ‘यह पूरे वाल्मीकि समुदाय के लिए एक त्योहार है। हमारे पास 18 साले से लेकर 80 साल तक की उम्र के मतदाता हैं।’

भाटी ने कहा, ‘हमसे पहले की दो पीढ़ियों को इस अधिकार से वंचित रखा गया था, लेकिन जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया तो न्याय की जीत हुई और हमें जम्मू-कश्मीर की नागरिकता प्रदान की गई। ‘दशकों से सफाई कार्य के लिए यहां लाए गए हमारे समुदाय को वोट देने के अधिकार और जम्मू-कश्मीर की नागरिकता सहित बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया था। यह पूरे वाल्मीकि समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। आज हम मतदान कर रहे हैं। कल हम अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे।’

भाटी ने कहा, ‘यह हमारे जीवन में एक नए युग की शुरुआत है। हम अपने मुद्दों को विधानसभा में ले जाएंगे। कल्पना कीजिए कि हमारे समुदाय का एक सदस्य जो कभी केवल मैला ढोना ही अपना भाग्य समझता था, अब विधायक या मंत्री बनने की आकांक्षा रख सकता है। हम इतने बड़े बदलाव को होते हुए देख रहे हैं।’ बता दें कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और गोरखा समुदायों के साथ वाल्मीकि समुदाय के लोगों की संख्या करीब 1.5 लाख है। वे जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के विभिन्न हिस्सों, खासकर सीमावर्ती इलाकों में रहते हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की बढ़ी मुश्किलें, ED ने दर्ज किया केस, जानें क्या हैं आरोप



डेस्क: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते कर्नाटक के लोकायुक्त ने राज्य के सीएम और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था। ये मामला मैसूरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन से जुड़ा है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और अन्य के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद केस दर्ज किया गया है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी बीएम पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोप हैं। आरोप है कि कर्नाटक के सीएम की पत्नी को 2011 में कथित तौर पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण की तरफ़ से तमाम नियमों को ताक पर रखकर 14 हाउसिंग साईट दी थी। राज्य में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी लगातार इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रही है और सीएम सिद्धारमैया का इस्तीफा मांग रही है।

लोकायुक्त द्वारा दर्ज किए गए केस में सिद्धारमैया को आरोपी नंबर एक, उनकी पत्नी बीएम पार्वती को आरोपी नंबर दो, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी को आरोपी नंबर तीन और देवराजू  जिनसे मल्लिकार्जुन स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी उन्हें आरोपी नंबर चार बनाया गया है।

इस पूरे मामले पर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा है कि एमयूडीए मुद्दे में उन्हें निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि विपक्ष उनसे डरा हुआ है। सिद्धारमैया ने साफ तौर पर कहा है कि जांच के आदेश के बावजूद भी वह सीएम पद से इस्तीफा नहीं देंगे। सिद्धारमैया ने कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है।  सिद्धारमैया ने कहा कि वह कानूनी रूप से मामला लड़ेंगे।
पीएम मोदी ने की बेंजामिन नेतन्याहू से बात, बोले- दुनिया में आतंक की कोई जगह नहीं

डेस्क: मध्य पूर्व एशिया में तनाव इस वक्त चरम सीमा पर है। एक ओर इजरायल है तो दूसरी ओर हमास, हिजबुल्लाह, यमन के हूती और फिर ईरान। इजरायल की ओर से एक के बाद बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। हाल ही में इजरायल ने हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह को भी मार गिराया है जिससे तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे समय में अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की है। पीएम मोदी ने खुद इस बारे में ट्वीट कर के जानकारी साझा की है।


पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर के जानकारी दी है कि उन्होंने पश्चिम एशिया में हालिया घटनाक्रम के बारे में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात की है। पीएम मोदी ने कहा है कि हमारी दुनिया में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। क्षेत्रीय तनाव को रोकना और सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। भारत इसके लिए प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।" शांति और स्थिरता की शीघ्र बहाली।
गरबा पंडालों में गैर हिंदुओं को रोकने के लिए नेता जी ने निकाला गजब का तरीका, कहा "हर व्यक्ति को पिलाया जाएगा गौमूत्र"

डेस्क: नवरात्र शुरू होने वाला है और पूरे देश में इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। चारों ओर गरबा के लिए पंडाल लगाए जाने लगे हैं। गरबा की धूम अभी से ही देखने को मिलने लगी है। लोग गरबा की प्रैक्टिस के लिए विभिन्न-विभन्न क्लबों में जा रहे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर इंदौर में भी इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। नवरात्र में गरबा के लोगों को आमंत्रित किया जाने लगा है। इसी बीच गरबा के आयोजन को लेकर भाजपा नेताओं के सामने कुछ अड़चनें भी आ रही हैं। इनमें से जो सबसे बड़ा मुद्दा है वह ये कि गरबा पंडालों में गैर-हिंदुओं को पंडाल में प्रवेश करने से कैसे रोका जाए। लेकिन इस समस्या का समाधान BJP के एक नेता ने ढूंढ भी लिया है। उन्होंने इसे रोकने के लिए गजब का तरीका खोज निकाला है।

इंदौर बीजेपी जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा ने नवरात्रि पर्व पर आयोजित होने वाले गरबा महोत्सव में गैर हिंदुओं को रोकने के लिए अपना अनूठा आइडिया पेश किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि गरबा पंडाल में आने वाले हर व्यक्ति को गौमूत्र पिलाया जाएगा। इससे कौन हिंदू है और कौन गैर-हिंदू है, यह पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस तरीके से सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।

इतना ही नहीं आगे चिंटू वर्मा ने कहा कि - जो भी व्यक्ति हिंदू होगा, उसे गौमूत्र पीने में कोई आपत्ति नहीं होगी। यह तरीका वहां भी कामयाब है, जहां व्यक्तियों के आधार कार्ड से पहचान करने में चूक हो जाती है। आधार कार्ड को एडिट भी किया जा सकता है। गैर हिन्दू युवक गरबा में आने के लिए तिलक भी लगवा लेते और हाथ पर कलावा भी बांध लेते हैं। लेकिन गौमूत्र ही एक ऐसा तरीका है, जिससे लोगों की असली पहचा हो जाएगी। बीजेपी जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा ने शहर के सभी गरबा आयोजकों से अपील की है कि वे गरबा में आने वाले सभी लोगों को गौमूत्र पिलाकर ही पंडाल में प्रवेश करने की अनुमति दें।

इलेक्टोरल बॉन्ड वसूली मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को राहत, कर्नाटक हाई कोर्ट ने जांच पर लगाई रोक


डेस्क: इलेक्टोरल बॉन्ड वसूली मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को राहत मिल गई है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ मामले में जांच पर रोक लगा दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड वसूली मामले में उनके खिलाफ दायर मुकदमे पर 22 अक्टूबर तक रोक लगा दी गई है। कर्नाटक बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नलीन कुमार कटील ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कर्नाटका उच्च न्यायालय ने 22 अक्टूबर तक कर्नाटक के पूर्व राज्य भाजपा अध्यक्ष नलीन कुमार कटील के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आगे की जांच पर रोक लगा दी है।

इलेक्टोरल बॉन्ड वसूली मामले में नलीन कुमार कटील सह-आरोपी हैं। इसी मामले में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को मुख्य आरोपी बनाया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने चुनावी बांड की आड़ में कुछ कंपनियों से जबरन वसूली की थी।

जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने निर्मला सीतारमण और नलीन कुमार कटील को आरोपी बनाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने चुनावी बॉण्ड की आड़ में जबरन वसूली की और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा उठाया। शिकायत में कहा गया कि सीतारमण ने ईडी अधिकारियों की गुप्त सहायता और समर्थन के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के फायदे के लिए हजारों करोड़ रुपये की जबरन वसूली की। आदर्श आर अय्यर के अनुसार चुनावी बॉण्ड की आड़ में जबरन वसूली का काम विभिन्न स्तरों पर भाजपा के पदाधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा था।

उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में चुनावी बॉण्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इससे सूचना के अधिकार और संविधान के तहत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है।  सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक और स्पष्ट रूप से मनमानी’ करार देते हुए 15 फरवरी को एसबीआई को निर्देश दिया था कि वह 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए बॉण्ड का पूरा विवरण निर्वाचन आयोग को सौंपे। न्यायालय ने आयोग को संबंधित विवरण 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था।
यूपी के लखनऊ में हसन नसरल्लाह की मौत पर विरोध में प्रदर्शन, 'कैंडल मार्च' भी निकाला
डेस्क: इजरायल की सेना ने लेबनान के सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह को मार गिराया है। बता दें कि अमेरिका, इजरायल समेत कई देश हिजबुल्लाह को आतंकी संगठन मानते हैं। हसन नसरुल्लाह की मौत के कारण मध्य पूर्व में और ज्यादा तनाव फैल गया है। नसरुल्लाह की मौत को लेकर लेबनान समेत कई देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, अब भारत के भी कई राज्यों में इस घटना को लेकर प्रदर्शन होते दिखाई दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी बड़ी संख्या में लोगों ने नसरल्लाह की मौत के विरोध में प्रदर्शन किया है।

लखनऊ के पुराने शहर इलाके में सैकड़ों लोगों ने हसन नसरल्लाह की मौत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। लोगों की भीड़ ने अमेरिका और इजरायल के खिलाफ नारेबाजी भी की है। दरअसल, इस पूरे प्रदर्शन का नेतृत्व शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने किया था। कल्बे जव्वाद ने इसके साथ ही नसरल्लाह की मौत को लेकर रविवार से तीन दिवसीय शोक का आह्वान भी किया है।

कल्बे जव्वाद के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में लोगों से नसरल्लाह की मौत के विरोध में अपने घरों में काले झंडे फहराने को और दुकानों को बंद करने को कहा गया है। इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा  जगहों पर विरोध प्रदर्शन और शोकसभाएं आयोजित करने की अपील भी की गयी है। साथ ही सआदतगंज के रुस्तम नगर स्थित दरगाह में भी प्रदर्शन हुआ और भारत सरकार से इस घटना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में आवाज उठाने की अपील की गई है।

यूपी की राजधानी लखनऊ में हसन नसरल्लाह की मौत के विरोध में छोटे इमामबाड़ा से बड़े इमामबाड़ा तक कैंडल मार्च भी निकाला गया है। प्रदर्शन में जुटे लोगों ने अपने हाथों में काले झंडे, नसरल्लाह की तस्वीर और मशाल लेकर प्रदर्शन किया। इसके साथ ही लोगों ने इजरायल और अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी भी की।
SP विधायक महबूब अली का विवाद बयान, "मुस्लिम आबादी बढ़ गई है...", बीजेपी सरकार को दी चेतावनी

डेस्क: उत्तर प्रदेश के अमरोहा से समाजवादी पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री महबूब अली ने विवादित बयान देकर सियासी बवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने यूपी में मुस्लिम आबादी बढ़ने की बात करते हुए बीजेपी सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम आबादी बढ़ गई है, तुम्हारा राज खत्म हो गया है। विधायक यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि मुगलों ने देश में 800 साल राज किया। जब वह नहीं रहे तो तुम क्या करोगे। सपा विधायक बिजनौर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ये बात कही।

सपा विधायक ने आगे कहा, "2027 में तुम जाओगे जरूर, हम आएंगे जरूर।" महबूब अली रविवार को बिजनौर के एक निजी बैंक्वेट हॉल में समाजवादी पार्टी के संविधान मान दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए थे, इस दौरान उन्होंने बीजेपी सरकार को संविधान आरक्षण विरोधी भी बताया। उन्होंने केंद्र को सबकुछ बेचने वाली सरकार बताते हुए कहा कि इन्होंने रेल बेच दी, दूरसंचार बेच दिया, एलआईसी बेच दी, हवाई अड्डे बेच दिए और देश भी बेच दिया। अब किस मुंह से सेवा करने आए थे, जनता सब समझ गई है।

बता दें कि महबूब अली साल 2002 में पहली बार खंथ सीट से विधायक बने थे। 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में महबूब अली ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार बीजेपी के मंगल सिंह को शिकस्त दी थी। उन्होंने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की। अखिलेश यादव की सरकार में उन्हें नवंबर 2015 में कैबिनेट फेरबदल के दौरान रेशम उत्पादन और कपड़ा मंत्री बनाया गया था। अक्टूबर 2016 में उन्हें लघु सिंचाई का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

मुंबई के धारावी में मस्जिद कमेटी खुद ही तोड़ रही अवैध निर्माण, सबसे पहले गुंबद पर चला हथौड़ा

डेस्क: मुंबई के धारावी में अवैध मस्जिद तोड़े जानी की मियाद आज खत्म हो चुकी है और अब मस्जिद को तोड़ने की कार्रवाई शुरू हो गई है। मस्जिद कमेटी खुद ही अवैध हिस्से को तोड़ रही है। बीएमसी इंजीनियर्स के मार्गदर्शन में मस्जिद ट्रस्ट यह कार्रवाई खुद कर रहा है। सबसे पहले मस्जिद के ऊपर बना अवैध गुंबद तोड़ा जाएगा, इसके बाद अन्य अवैध हिस्सों को तोड़ा जाएगा।

इससे पहले मस्जिद ट्रस्ट ने अवैध निर्माण के कुछ हिस्से को हरे रंग के परदे से कवर कर दिया था। बीएमसी की टीम यहां निरीक्षण करने पहुंची थी। मस्जिद ट्रस्ट का कहना है कि जो भी कार्रवाई होगी वो कानून के तहत होगी। इससे पहले मस्जिद ट्रस्ट ने खुद धारावी की महबूब ए सुभानिया मस्जिद में अवैध निर्माण को तोड़ने का वादा किया था। इस वादे की मियाद खत्म हुए करीब 5 दिन हो गए लेकिन मस्जिद को तोड़ने का काम आज शुरू हुआ है।

वहीं पुणे में भी अवैध मस्जिद तोड़े जाने पर हंगामा मच गया है। इसके अलावा आज हिमाचल के कुल्लू में अवैध मस्जिद के खिलाफ हिंदू संगठन हल्ला बोल रहे हैं, विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

पुणे में अवैध मस्जिद और मदरसे पर चला बुलडोजर
पुणे में भी अवैध मस्जिद और मदरसे पर बुलडोजर एक्शन हुआ है। अवैध निर्माण के खिलाफ महानगर निगम ने आधी रात में ये कार्रवाई की है। महानगर निगम का ये एक्शन हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुआ है जिसमें कहा गया था कि पुणे के पिंपरी चिंचवड़ में जितने भी अवैध धर्म स्थल हैं, उसे तोड़ा जाए। 6 महीने पहले महानगर निगम ने ऐसे सभी अवैध निर्माण वाले धर्म स्थलों को नोटिस भी भेजा था लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया जिसके बाद महानगर निगम ने ये कार्रवाई की। मस्जिद और मदरसे पर बुलडोज़र एक्शन का वहां के मुसलमान जमकर विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि ये पूरा मामला पुणे से सटे पिंपरी चिंचवड़ का है। 25 साल पहले यहां मस्जिद का निर्माण हुआ था लेकिन बीते कुछ सालों पहले यहां दारुल उलूम जामिआ इन आमिया नाम से मदरसा चलाया जा रहा था। इसके खिलाफ हिंदू संगठनों ने शिकायत की। इस बीच हाईकोर्ट ने इलाके के सभी अवैध धर्मस्थलों को तोड़ने का आदेश भी जारी कर दिया और फिर कल रात महानगर निगम ने अवैध निर्माण पर बुलडोज़र चला दिया। इस कार्रवाई में मदरसा पूरी तरह तो मस्जिद का कुछ हिस्सा भी अवैध निर्माण होने की वजह से गिराया गया है।