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Google का बड़ा एक्शन,  बंद कर देगा इन लाखों यूजर्स का अकाउंट,  जानें क्या है पूरा मामला?
डेस्क:– गूगल बड़ा एक्शन लेते हुए  लाखों जीमेल अकाउंट्स को बंद करने जा रहा है। अगर आप भी जीमेल का अकाउंट यूज करते हैं ये खबर आपके लिए जरूरी होने वाली है।

दरअसल कई सारे यूजर्स एक साथ कई जीमेल आईडी यूज करते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर अकाउंट को यूं ही छोड़ दिए जाते हैं। अब गूगल की ओर से ऐसे जीमेल अकाउंट्स को बंद करने का फैसला लिया गया है।

यूजर्स को अपने जीमेल अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए लगातार नोटिफाई करता रहता है। लेकिन इसके बावजूद ऐसे जीमेल अकाउंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है, जो अब यूज में नहीं है। मतलब ये कि उनके जीमेल अकाउंट्स अब एक्टिव नहीं हैं। अगर आपके पास भी ऐसा कोई जीमेल अकाउंट है, जो काफी दिनों से एक्टिव नहीं है गूगल उसे जल्द ही बंद कर सकती है।

बता दें कि गूगल अपने सर्वर के स्पेस को बचाने के लिए ऐसा कदम उठा रहा है। जिन लोगों ने जीमेल या गूगल ड्राइव की सर्विस को इस्तेमाल किया है, लेकिन लंबे समय से उनका अकाउंट एक्टिव नहीं है उन्हें बैन किया जा सकता है। गूगल के पास इनएक्टिव पॉलिसी के तरह इस तरह का अधिकार मौजूद है।

अगर, आपने भी ऐसा कोई जीमेल अकाउंट बनाया हो, जिसे लंबे समय से यूज नहीं कर रहे हैं तो आपका जीमेल अकाउंट भी बंद हो सकता है। हालांकि, यूजर्स चाहे तो अपने इन अकाउंट्स को बचा सकते हैं। इसके लिए यूजर को अपने उस जीमेल अकाउंट में लॉग-इन करना होगा और इनबॉक्स में आए ई-मेल को पढ़ना होगा या फिर किसी को मेल करना होगा। ऐसे में यह अकाउंट एक्टिव हो जाएगा और गूगल की इस बड़ी कार्रवाई से बच सकता है।

इसके अलावा यूजर जीमेल अकाउंट में लॉग-इन करके गूगल के किसी भी सर्विस का इस्तेमाल करके भी अपने पुराने अकाउंट को एक्टिव कर सकते है। हालांकि, अगर आप चाहते हैं कि आपके सभी पुराने जीमेल अकाउंट बंद हो जाए तो आप उन्हें ऐसे ही छोड़ दें या फिर गूगल की सेटिंग्स में जाकर अकाउंट को डिएक्टिवेट कर दें।
कोलकाता के सेक्स वर्कर्स ने ‘मां दुर्गा प्रतिमा’ के लिए मिट्टी देने से किया इंकार।बोलीं- कोलकाता रेप-मर्डर में इंसाफ नहीं, तो मिट्टी भी नहीं,
डेस्क:– पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा  की तैयारियां शुरू हो गई है। हालांकि हर बार की तरह इस बार की रौनक में कमी दिखाई दे रही है। इसका कारण कोलकाता  के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ रेप और क्रूरता के साथ मर्डर है। वहीं कोलकाता के रेडलाइट एरिया  सोनागाछी  की सेक्स वर्कर्स ने भी ‘मां दुर्गा प्रतिमा’ के लिए मिट्टी देने से इंकार कर दिया है। सोनागाछी में हर साल दुर्गा प्रतिमा के लिए सेक्स वर्कर्स द्वारा मिट्टी देने की परंपरा है। इन्हीं के दिए हुए मिट्टी से मां दुर्गा की प्रतिमा बनती है। सेक्स वर्करों ने इस बार मिट्टी देने से साफ मना कर दिया है। दुर्गा प्रतिमा बनाने में लगने वाली 10 तरह की मिट्टी मे एक रेड लाइट एरिया की भी होती है। सेक्स वर्करों ने कहा कि कोलकाता के एक अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर मामले में अभी तक न्याय नहीं मिला है। लिहाजा हम दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए मिट्टी नहीं देंगे।

सेक्स वर्करों ने कहा कि आरजी कर हॉस्पिटल की उस महिला डॉक्टर को इंसाफ नहीं मिला। डॉक्टर तो भगवान जैसा होता है। लोग जब उसका सम्मान नहीं कर सकते, तो हम मिट्टी किसलिए दें। अगर अगले साल तक भी उस डॉक्टर को इंसाफ नहीं मिला, तो हम अगले साल भी मिट्टी नहीं देंगे।

बता दें कि पश्चिम बंगाल में हर साल दुर्गा पूजा धूमधाम से मनती है, लेकिन इस बार माहौल अलग है। 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर की घटना हुई। इसके विरोध में कोलकाता में रोज धरना, प्रदर्शन और मार्च निकाले जा रहे हैं है। इसका असर दुर्गा पूजा पर भी दिख रहा है।

ममता सरकार दुर्गा पूजा के लिए हर इलाके के लोकल क्लब को 85 हजार रुपए देती है। हालांकि कोलकाता कांड के चलते कई क्लब ने ये पैसे लेने से भी मना कर दिया है। हर साल इस समय तक दुर्गा पूजा पंडालों को 70-80% स्पॉन्सरशिप मिल जाती थी। इस बार सिर्फ 40-45% मिल पाई है।

*क्यों ली जाती है वेश्यालय की मिट्टी?*

बता दें कि दुर्गा पूजा के दौरान देवी की प्रतिमा को बनाने के लिए वेश्यालय के आंगन की मिट्टी का प्रयोग किए जाने की भी परंपरा है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक वेश्या मां दुर्गा की बड़ी भक्त थी। लेकिन वो समाज में अपने तिरस्कार से बहुत दुखी थी। तब मां दुर्गा ने उसकी सच्ची श्रद्धा को देखते हुए ये वरदान दिया था कि जब तक उसकी प्रतिमा में वेश्यालय की मिट्टी को शामिल नहीं किया जाएगा, तब तक देवी का उस मूर्ति में वास नहीं होगा।

एक और मान्यता ये है कि पुरुषों के लोभ और वासना की वजह से ही वेश्यालयों की शरुआत हुई है। वेश्याएं पुरुषों की काम, वासना को धारण कर खुद को अशुद्ध और समाज को शुद्ध करती हैं, लेकिन इसके बदले वेश्यावृति करने वाली स्त्रियों को समाज से बहिष्कृत माना जाता है। वो अपनी पूरी जिंदगी तिरस्कार झेलती हैं। यही कारण है कि वेश्यालय की मिट्टी का उपयोग दुर्गापूजा जैसे पवित्र कार्यों में कर उन्हें थोड़ा ही सही लेकिन सम्मान देने के लिए किया जाता है।
मुकेश अंबानी सॉफ्ट ड्रिंक कारोबार में बड़ी रणनीति लेकर आए
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ने सॉफ्ट ड्रिंक कारोबार में बड़ा कदम उठाया है।

50 साल पुराना कैंपा कोला पहले से ही बाजार में है। और इसे बेचने में नई-नई रणनीतियां अपनाई गई हैं मुकेश अंबानी का बिजनेस स्टाइल दूसरों से काफी अलग है। वे जहां भी उद्यम करते हैं, वस्तुत: मूल्य युद्ध छिड़ जाता है। यहां तक कि जब टेलीकॉम कंपनी जियो लॉन्च हुई तो हमने देखा कि रिलायंस के लिए दूसरी कंपनियों को अपनी कीमतों में कटौती करनी पड़ी। कैम्पा कोला अब उसी ओर इशारा कर रहा है।

कई लोग कहते हैं कि 70 और 80 के दशक में अमेरिका में शुरू हुआ 'कोला वॉर' अब भारत में भी हो रहा है। इस बार मैदान तो अलग है ही, विरोधी टीम के खिलाड़ी भी अलग हैं. मुकेश अंबानी उस खेल में हैं. रिलायंस कर्ता के नए कार्बोनेटेड शीतल पेय ब्रांड कैंपर के साथ, कोका-कोला और पेप्सिको के बीच प्रतिद्वंद्विता शुरू हो गई है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, त्योहारी सीजन से पहले प्राइस वॉर में रिलायंस ने कैंपा कोला लॉन्च किया है। रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने त्योहारी सीजन से पहले नई कैंपा रेंज लॉन्च की है। इतना ही नहीं, पेप्सी और कोका-कोला से मुकाबला करने के लिए मुकेश अंबानी ने अपने शीतल पेय ब्रांडों की कीमतों में प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में लगभग आधी कटौती की है।

इस शीतल पेय बाजार में कोका कोला की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। पेप्सी दूसरे स्थान पर है. अन्य लोग कैम्पा कोला के इस बाज़ार में प्रवेश को लेकर कुछ हद तक चिंतित हैं। माना जा रहा है कि सॉफ्ट ड्रिंक बाजार में पेप्सी और कोका कोला जैसी बड़ी कंपनियों को अब कैंपा कोला से चुनौती मिलने वाली है.

अंबानी पहले भी यही रणनीति अपना चुके हैं. जब रिलायंस ने 2016 में Jio लॉन्च किया, तो टेलीकॉम सेक्टर के बड़े खिलाड़ी मुश्किल में थे। कुछ कंपनियां विलय करके खुद को बचाने में सक्षम हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि जियो के बाजार में आने के बाद एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, यूनिनॉर, बीएसएनएल जैसी कंपनियां मुश्किल में पड़ गईं। इन कंपनियों को अपने रिचार्ज प्लान की कीमतें कम करनी पड़ीं। साथ ही आकर्षक ऑफर भी लाने थे. जियो की फ्री डेटा और फ्री कॉलिंग जैसी पेशकशों ने बाकी कंपनियों को थोड़ा पीछे छोड़ दिया।
महाभारत के तीन 'कुटश्लोक'


डेस्क :– महाभारत किसने लिखा? महर्षि व्यास क्या ? महर्षि व्यास ने महाभारत कहा। गणेश जी द्वारा लिखी गई । ऋषि व्यास ने गणेश से महाभारत लिखने का अनुरोध किया और गणेश ने वह अनुरोध स्वीकार कर लिया। लेकिन गणेश जी ने एक शर्त रखी, वह शर्त यह है कि आप कहोगे और मैं लिखूंगा। मैं लिखना बंद नहीं करूंगा. महर्षि व्यास ने गणेश को एक शर्त भी दी, उन्होंने कहा, गणेश आपको भी  हर श्लोक का अर्थ  समझ कर लिखना होगा। महर्षि व्यास गणेश जी को कुछ पहेलियाँ दिया करते थे। गणेशजी को उस पहेली का अर्थ समझने में थोड़ा समय लगता था और उस अंतराल में महर्षि व्यास अगले श्लोक के बारे में सोचते थे। इन सभी पहेलियों को 'कुटश्लोक' कहा जाता है। ये 'कुटश्लोक' महाभारत में हैं।


ऐसे तीन 'कुटश्लोक' हैं- 1) क्या कोई ऐसा पेय है जो जूठा होता है, लेकिन फिर भी हम उसे भगवान को अर्पित करते हैं?
# जवाब है 'गाय का दूध'. क्योंकि दूध  तो  बछड़ा  मुंह से पीती है

2) ऐसा कोई  कपड़े हैं जो लाश के कपड़े हैं लेकिन धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किए जाते हैं?

उत्तर है- 'रेशम' क्योंकि रेशम का जन्म छोटे-छोटे कीड़ों के मरने से होता है।

3) क्या कोई ऐसा भोजन है, जिसे किसी ने उल्टी कर दिया हो, जिसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है?

# उत्तर है 'शहद'. क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि शहद मधुमक्खियों की उल्टी होती है।
भारत 376 रन पर ऑल आउट

डेस्क: चेन्नई टेस्ट में भारत 376 रन पर ऑल आउट हो गई। बांग्लादेश के हसन को 5 विकेट मिले। पहली पारी में हसन ने 5 विकेट लिए। भारत को पहली पारी में 376 रन पर ऑलआउट करने के अलावा हसन ने 92वें ओवर की दूसरी गेंद पर स्लिप में बुमराह को कैच कराकर बैक टू बैक पारी में 5 विकेट भी लिए।

हसन ने रावलपिंडी में दूसरे टेस्ट में पाकिस्तान की दूसरी पारी में 43 रन देकर 5 विकेट लिए। तब उन्होंने चेन्नई में भारत की पहली पारी में 83 रन देकर 5 विकेट लिए थे। भारत ने दूसरे दिन का खेल 80 ओवर में 6 विकेट पर 339 रन से शुरू किया। उनकी पारी आज 11.2 ओवर तक चली । इनमें तस्कीन ने 3 विकेट, हसन ने 1 विकेट लेकर भारत के बाकी 4 विकेट चटकाए।
आम की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर। भारत, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल मिलकर तैयार करेंगे आम की उपज
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, रहमानखेड़ा में 21 सितंबर को आम पर होने वाली नेशनल डायलॉग ऑन मैंगो इंप्रूवमेंट एंड स्ट्रैटेजिस में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, प्रजनक और जैव प्रौद्योगिकी के एक्सपर्ट्स आम की उत्पादकता और गुवत्ता बनाए रखने के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करेंगे।

भारत में आम की उत्पादकता और गुवत्ता बनाए रखने के लिए भविष्य का रोडमैप पूरे देश में खासकर उत्तर भारत के आम के बागवानों के लिए उपयोगी होगी, उस पर आम का सर्वाधिक उत्पादन करने की वजह से उत्तर प्रदेश के लिए सबसे उपयोगी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस पर फोकस भी है। यहां मलिहाबाद (लखनऊ) के दशहरी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के आसपास के जिलों में होने वाले चौसा की खासी मांग है। गुणवत्ता में सुधार के बाद इनके निर्यात की भी खासी संभावना है। योगी सरकार जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब भी बना रही है। फलों और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के उत्पाद की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड स्टोरेज, रायपेनिंग चैंबर का भी निर्माण करवा रही है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन ने बताया कि संस्थान इस दिशा में क्लस्टर अप्रोच से काम भी कर रहा है। इस क्रम में उक्त दोनों प्रजातियों के कुछ क्लस्टर बनाकर इनसे करीब 4000 बागवानों को जोड़ा गया है। इनको बताया जा रहा है किस तरह ये अपने 15 साल से पुराने बागों का कैनोपी मैनेजमेंट के जरिए कायाकल्प कर सकते। इससे कालांतर में इनकी उपज भी बढ़ेगी और फलों की गुणवत्ता भी सुधरेगी।

संगोष्ठी के आयोजक सचिव आशीष यादव ने बताया कि संस्थान ने फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस टेक्निक का भी बागवानों को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। इसमें फलों को कागज के बैग से ढक दिया जाता है। इससे इनमें रोगों और कीड़ों का संक्रमण नहीं होता। दाग धब्बे नहीं आते। साथ ही परिपक्व फलों का रंग भी निखर आता है। प्रति बैग मात्र दो रुपए की लागत से ये फल बाजार में दोगुने दाम पर बिक जाते हैं।

आशीष यादव ने बताया कि आम यूं भी यूपी के लाखों लोगों के रोजगार का जरिया है। फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस टेक्निक के चलन में आने पर स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना और बढ़ेगी। शुरू में ऐसे बैग चीन से आते थे। अब भी अधिकांश बैग कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से आते है। यूपी में मेरठ और कुछ अन्य शहरों से भी आपूर्ति शुरू हुई है। मांग बढ़ने पर ये स्थानीय स्तर पर भी तैयार किए जाने लगेंगे। इससे रोजगार भी मिलेगा। आशीष यादव के अनुसार, गोष्ठी में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और इजरायल के आम वैज्ञानिक भी आ रहे हैं। यह गोष्ठी वैज्ञानिकों और बागवानों के लिए मार्गदर्शन साबित होगी।
RT समेत कई सरकारी मीडिया हाउस पर लगा दिया बैन,Meta का रूस पर बड़ा एक्शन
डेस्क : –Meta प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “खूब विचार करने के बाद, हमने रूसी स्टेट मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ अपने चल रहे प्रवर्तन का विस्तार किया। रोसिया सेगोडन्या, आरटी और दूसरे संबंधित संस्थाओं को अब विदेशी हस्तक्षेप गतिविधि के लिए विश्व स्तर पर हमारे ऐप्स से बैन कर दिया गया है।

फेसबुक, इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा ने अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से रूसी मीडिया को बैन कर दिया है। मेटा ने ऐलान किया कि उसने कथित ‘विदेशी हस्तक्षेप’ वाली गतिविधियों को देखते हुए रूसी स्टेट मीडिया RT न्यूज और अन्य क्रेमलिन नियंत्रित नेटवर्क पर बैन लगाया है। मेटा ने आरोप लगाया कि रूसी मीडिया ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहचान से बचते हुए, इंफ्लूएंस ऑपरेशन चलाने के लिए भ्रामक रणनीति का इस्तेमाल किया है।

मेटा ने अपने जारी बयान में कहा, “सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, हमने रूसी स्टेट मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ अपने चल रहे प्रतिबंधों का विस्तार किया है. रोसिया सेगोदन्या, RT और अन्य संबंधित नेटवर्क्स को विदेशी हस्तक्षेप गतिविधि के लिए वैश्विक स्तर पर हमारी ऐप्स से बैन कर दिया गया है ”

मेटा ने ये कदम दूसरी बार उठाया है, इससे पहले 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद मेटा ने रूस की ओर से फैलाई जा रही गलत जानकारियों को रोकने के लिए रूसी नेटवर्क को सीमित किया था। मेटा ने ऐसे पोस्ट और अकाउंट्स को डाउन और डिमॉनेटाइज किया था जो रूसी सरकार से जुड़े एजेंडे को चला रहे थे। मेटा के अंदर फेसबुक, इंस्टाग्राम, थ्रेड, व्हाट्सएप आते हैं। प्रतिबंध से पहले RT के फेसबुक पर 7 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स थे, जबकि इसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर दस लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं।

अमेरिका में पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने RT के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए थे और उसको रूस की खुफिया एजेंसी से जुड़ा होने का आरोप लगाया था। ब्लिंकन ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि RT रूस समर्थित मीडिया आउटलेट्स के एक नेटवर्क का हिस्सा है, जिसने गुप्त तरीके से अमेरिका में लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की है। इसके अलावा उन्होंने RT पर आरोप लगाया कि रूस इसकी मदद से अमेरिका में साइबर हमले कर रहा है। ब्लिंकन के इन आरोपों का RT अपने एक्स पर लाइव स्ट्रीम किया और इसे अमेरिका का नया षड्यंत्र बताया था।
पहली बार BMW XM लेबल भारत में लॉन्च , कीमत 3.15 करोड़
डेस्क :–लक्जरी यात्री वाहन बनाने वाली प्रमुख जर्मन कंपनी बीएमडब्ल्यू ने पहली बार भारत में बीएमडब्ल्यू एक्सएम लेबल लाँच किया है जिसकी एक्स शोरूम कीमत 3.15 करोड़ रुपये है। कंपनी ने वैश्विक स्तर 500 कारें बनायी है जिसमें और भारत में मात्र एक कार बेची जायेगी।

कंपनी ने जारी बयान में कहा कि इस कार की पूरी तरह से निर्मित इकाई (सीबीयू) के रूप में उपलब्ध है और कंपनी ने वैश्विक स्तर पर बीएमडब्ल्यू एक्स एम लेबल की 500 कारें बनायी हैं। जिसमें से केवल एक कार भारत आ रही है। अब तक का सबसे शक्तिशाली बीएमडब्ल्यू एम मॉडल: वी8 आधारित बीएमडब्ल्यू एम हाईब्रिड पावरट्रेन जिसमें 550 केडब्ल्यू (748 एचपी) और 1000 एनएम का टॉर्क है।

बीएमडब्ल्यू ग्रुप इंडिया के अध्यक्ष और सीईओ विक्रम पावाह ने कहा, ‘‘ यह एम हाइब्रिड सिस्टम को अतिरिक्त शक्ति और खास डिज़इन तत्वों के साथ लाता है जो इसके बेहतरीन प्रदर्शन विशेषताओं को अचूक प्रभाव के साथ प्रदर्शित करते हैं। बीएमडब्ल्यू एक्स एम लेबल ग्राहकों की ज़रूरतों और इच्छाओं को पूरा करता है, जिसमें एक बहिर्मुखी जीवनशैली और पारंपरिक परंपराओं से परे कार में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जुनून है।’’ यह कार 3.8 सेकंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पकड़ लेती है।

अधिकतम गति इलेक्ट्रॉनिक रूप से 250 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित है, हालांकि एम ड्राइवर पैकेज के साथ यह आंकड़ 290 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ जाता है। चौथी पीढ़ का 8-स्पीड एम स्टेपट्रॉनिक ट्रांसमिशन स्मूथ गियर शिफ्ट और पावर डिलीवरी और शिफ्ट कम्फर्ट के साथ-साथ प्रभावशाली दक्षता के शीर्ष स्तर प्रदान करता है। सेंटर कंसोल पर एम हाइब्रिड बटन का उपयोग करके तीन ड्राइविंग मोड का चयन किया जा सकता है।

इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर के बुद्धिमानी से नियंत्रित इंटरप्ले के लिए हाइब्रिड डिफ़ल्ट सेटिंग आवश्यकता के आधार पर दक्षता या प्रदर्शन को अधिकतम करती है।बीएमडब्ल्यू कनेक्टेडड्राइव तकनीक नवाचार की बाधा को तोड़ती है और कार को एक इंटरकनेक्टेड डिजिटल डिवाइस में बदल देती है। कनेक्टेड ड्राइव सुविधाओं में डिजिटल की प्लस, इमरजेंसी कॉल, रियल-टाइम ट्रैफिक सूचना और माय बीएमडब्ल्यू ऐप के माध्यम से रिमोट सेवाएँ शामिल हैं। बीएमडब्ल्यू लाइव कॉकपिट प्रोफेशनल में नेविगेशन के साथ फ्रीस्टैंडिंग 14.9 इंच बीएमडब्ल्यू कर्व्ड डिस्प्ले शामिल है जिसमें रियल-टाइम ट्रैफिक सूचना और संवर्धित दृश्य, स्टीयरिंग व्हील के पीछे 12.3 इंच का डिजिटल सूचना डिस्प्ले और बीएमडब्ल्यू हेड-अप डिस्प्ले है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
माइलेज, सेफ्टी और कीमत में स्विफ्ट या टियागो,कौन सी कार बेस्ट? आईए जानते हैं
डेस्क : –  मारुति सुजुकी ने ग्राहकों के लिए कुछ समय पहले स्विफ्ट CNG मॉडल को लॉन्च किया है. इस हैचबैक की मार्केट में सीधी भिड़ंत  टाटा टियागो सीएनजी और Hyundai Grand i10 Nios जैसे हैचबैक मॉडल्स से होगी। आप भी अगर नई स्विफ्ट या फिर टियागो सीएनजी मॉडल को खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो पहले आपको कुछ जरूरी चीजों के बारे में पता होना चाहिए।


नई स्विफ्ट सीएनजी में 1197 सीसी का इंजन दिया गया है और इस कार में 1.2 लीटर 3 सिलेंडर नेचुरली एसपिरेटेड इंजन मिलेगा। सीएनजी वेरिएंट 5700rpm पर 69bhp की पावर और 2900rpm पर 101.8Nm टॉर्क जेनरेट करता है।

ये गाड़ी 5 स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ मिलेगी, माइलेज की बात करें तो कंपनी का दावा है कि ये कार एक किलोग्राम सीएनजी में 32.85 किलोमीटर तक साथ देगी।

वहीं, दूसरी तरफ टियागो के सीएनजी अवतार में 1199 सीसी इंजन मिलता है और इस कार में 1.2 लीटर नेचुरली एसपिरेटेड इंजन दिया गया है जो 6000rpm पर 72bhp की पावर और 3500rpm पर 95Nm टॉर्क जेनरेट करती है।

ये गाड़ी आपको 5 स्पीड मैनुअल और ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन में मिलेगी।मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ एक किलोग्राम में 26.49km तो वहीं ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन के साथ एक किलो सीएनजी में 28.06km तक का माइलेज मिलेगा।

*फीचर्स और सेफ्टी रेटिंग*

नई स्विफ्ट सीएनजी में वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट, एपल कार प्ले, एंड्रॉयड ऑटो ऑटोमेटिक क्लाइमेट कंट्रोल, रियर एसी वेंट्स, 7 इंच स्मार्ट प्ले प्रो इंफोटेंमेंट सिस्टम दिया गया है. सेफ्टी के लिए इस हैचबैक में स्टैंडर्ड 6 एयरबैग्स, रिवर्स पार्किंग सेंसर, हिल होल्ड असिस्ट, EBD के साथ ABS और ESP (इलेक्ट्रॉनिक स्टेबलिटी प्रोग्राम) जैसे फीचर्स मिलेंगे।

नई वाली स्विफ्ट में कंपनी ने सिंगल सीएनजी सिलेंडर दिया है जो 55 लीटर कैपेसिटी के साथ आता है।2022 में आखिरी बार Global NCAP में स्विफ्ट की क्रैश टेस्टिंग हुई थी और उस वक्त इस कार को एडल्ट और चाइल्ड सेफ्टी में 1 स्टार सेफ्टी रेटिंग दी गई थी।

टियागो सीएनजी में फुल बूट स्पेस के साथ ट्वीन सीएनजी सिलेंडर मिलता है जिसकी कैपेसिटी 66 लीटर है, इस गाड़ी की खास बात यह है कि ये गाड़ी सीधे सीएनजी मोड पर भी स्टार्ट हो सकती है।

इस कार में 2 एयरबैग्स, EBD के साथ ABS, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, एपल कार प्ले, एंड्रॉयड ऑटो, 7 इंच इंफोटेंमेंट सिस्टम, रियर पार्किंग कैमरा, रेंस सेंसिंग वाइपर्स, फॉग लैंप्स और ऑटोमेटिक हेडलाइट्स जैसे फीचर्स दिए गए हैं।सेफ्टी की बात करें तो इस कार को Global NCAP क्रैश टेस्टिंग में 4 स्टार रेटिंग मिली हुई है।
आईए जानते हैं बिना सिम और टावर  के कैसे काम करता है पेजर
डेस्क :–लेबनान में 1000 पेजर फटने से तहलका मच गया है। इस घटना में करीब 3000 लोग घायल हो गए।खबरों के अनुसार, आतंकवादी संगठन हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के पास थे।पेजर का इस्तेमाल आज दुनिया में बहुत कम होता है।ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हिज्बुल्लाह इसका इस्तेमाल क्यों कर रहा था और पेजर आखिर काम करता कैसे है. साथ ही यह स्मार्ट फोन से अलग कैसे होता है।

*क्या होता है और कैसे काम करता है पेजर?*

पेजर एक छोटा टेलीकम्युनिकेशन डिवाइस होता है जो पेजिंग नेटवर्क से रेडियो सिग्नल रिसीव करता है। पेजर में लगे ट्रांसमिटर्स एक खास फ्रीक्वेंसी पर सिग्नल ब्रॉडकास्ट करते हैं। इन ट्रांसमिटर्स की रेंज में जो दूसरे पेजर्स होते हैं वह सेम फ्रीक्वेंसी पर यह मैसेज प्राप्त करते हैं। पेजर द्वारा भेजा मैसेज एक सिग्नल में एन्कोड होकर जाता है। केवल न्यूमेरिक वाले पेजर्स के सिग्नल आमतौर पर बीप्स की एक सीरीज या फिर न्यूमेरिक कोड होते हैं। जबकि अल्फान्यूमेरिक पेजर्स के सिग्नल अधिक जटिल होते हैं।l

एन्कोड किए गए सिग्नल को फिर सेंट्रल ट्रांसमीटर के जरिए पेजिंग नेटवर्क को भेजा जाता है। यही सिग्नल रेडियो फ्रीक्वेंसी से ब्रॉडकास्ट होते हैं। दूसरा पेजर अपना एंटीना के माध्यम से यह सिग्नल प्राप्त करता है। यह एक खास फ्रीक्वेंसी पर ही सेट होते हैं जो पेजिंग नेटवर्क इस्तेमाल कर रहा होता है।

अगला चरण रिसीवर पेजर के पास डिकोडिंग का होता है। रिसीव करने वाला पेजर सिग्नल को डिकोड करता है. डिकोड का मतलब है जो संदेश टोन्स या कोड्स के रूप में आया है उसे नंबर में बदलना या फिर अल्फान्यूमेरिक वाले पेजर्स में इन कोड्स को टेक्स्ट में बदला जाता है जिसे रिसीवर पढ़ सकता है। एडवांस पेजर्स में रिसीवर रिप्लाई भी कर सकता है। गौरतलब है कि पेजिंग नेटवर्क्स किसी सेल्यूलर नेटवर्क से ज्यादा बेहतर होते हैं क्योंकि ये बहुत हाई फ्रीक्वेंसी पर सदेंश ट्रांसमिट करते हैं ।

*स्मार्टफोन से कैसे अलग*

पेजर जहां रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं वहीं स्मार्टफोन सेल्युलर नेटवर्क्स पर निर्भर होते हैं। पेजर का इस्तेमाल बहुत सीमित होता है। यह किसी को संदेश भेजने या अलर्ट करने के लिए यूज किया जाता है। इसमें कॉल या फिर मल्टीटास्किंग की सुविधा नहीं होती। कई पेजर्स में तो रिप्लाई का ऑप्शन भी नहीं होता है। वहीं, स्मार्टफोन ये कॉल, मैसेज, इंटरनेट, वीडियो स्ट्रीमिंग व कई अन्य तरह के काम कर सकता है। पेजर का स्टोरेज स्मार्टफोन के मुकाबले बहुत कम होता है।

*हिज्बुल्लाह क्यों करता है इनका इस्तेमाल*

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि पेजर ज्यादा सुरक्षित होते हैं। ये बहुत हाई फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं इसलिए ये संदेश पहुंचाने या रिसीव करने में काफी भरोसेमंद साबित होते हैं। इनका इस्तेमाल मुख्यत: क्लोज्ड जगहों के लिए किया जाता है जहां फोन आदि पर निर्भरता काम में देरी करा सकती है. मसलन, अस्पताल, सिक्योरिटीड कंपनीज और आपातकालीन सेवाओं का स्थान. यह सस्ते होते हैं और इसे ऑपरेट करने के लिए आपको कोई सिम वगैरह की जरूरत नहीं होती। इस पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता है। ऐसा भी माना जाता है कि इन्हें हैक करना तुलनात्मक रूप से काफी मुश्किल है।