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दरभंगा में भूमि का सर्वे कार्य प्रारंभ
दरभंगा के सभी 18 प्रखंड के 1234 गांवों में विशेष भू-सर्वेक्षण काम शुरू हो चुका है। लेकिन जमीन सर्वे में कैथी लिपि में लिए गए दस्तावेज के जानकार लोग ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। बिहार भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है। इलाके में इस लिपि के जानकार भी कम हैं। ऐसे में जमीन के दस्तावेज में लिखे गए तथ्यों की जानकारी पाना एक बड़ी समस्या बन गई है। वैसे तो जिले में कैथी लिपि के जानकार 100 से अधिक बताए जाते हैं। लेकिन निबंधित कैथी लिपि के जानकार दरभंगा कोर्ट में 1 ही हैं।


गौड़ाबौराम प्रखंड के आसी गांव निवासी सतीशचंद्र दास पिछले 35 सालों से दरभंगा कोर्ट में टाइपिंग कर जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूरे जिले में लगभग 100 से अधिक लोग कैथी भाषा के जानकार हैं। दरभंगा कोर्ट परिसर में लगभग 10 लोग कैथी भाषा दस्तावेज को हिन्दी में अनुवाद करते हैं। लेकिन बिहार सरकार से निबंधित सिर्फ मैं ही हूं। अभी लोग मेरे पास सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, मधुबनी, समस्तीपुर आदि जगहों से कैथी दस्तावेज का अनुवाद कराने आते हैं। मेरे पास दो महीने तक किसी अन्य के काम करने का समय नहीं है।

जब उनसे पूछा कि इस भाषा को आगे बढ़ाने के लिए आप अपने स्तर से प्रयास कर रहें है कि नहीं। उन्होंने बताया कि आजकल के बच्चे मैट्रिक और इंटर करने के बाद रोजगार की तलाश में लग जाते हैं। नई पीढ़ी को सिर्फ अंग्रेजी और हिन्दी की जानकारी चाहिए। मालूम चला है कि पटना हाईकोर्ट में सरकार की ओर से कैथी भाषा के अनुवाद के लिए एक मशीन लगाया गया है। यह कैसे काम करता है। इसे लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है। दस्तावेज के अनुवाद को लेकर भटक रहे हैं लोग

आजादी से पहले 1910 में अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन का सर्वेक्षण हुआ था। उस समय जो खतियाना या दस्तावेज बना था, वह कैथी लिपि में बनाया गया था। पुराने जो भी दस्तावेज या जमीन से जुड़े हुए खतियाना कागजात है, वह कैथी लिपि में लिखी हुई है। उस लिपि को जानने वाले लोग अब कम रह गए हैं। यही कारण है कि दस्तावेज में क्या लिखा हुआ है, यह जानकारी पाने के लिए लोग भटक रहे हैं।

अनुवादक ने बढ़ा दी फीस

दरभंगा के बिरौल प्रखंड के पटनियां गांव के रहने वाले सत्यनारायण लाल दास, चन्द्र भूषण लाल दास, गुणेश्वर प्रसाद कर्ण आदि ने बताया कि 15 बीघा जमीन के मालिक हैं। जमीन की रसीद हर साल कटाता आ रहा हूं। लेकिन अब जब सर्वे शुरू हुआ है तो कई परेशानी सामने आ रही है। दस्तावेज कैथी लिपि में है और देवनागरी में अनुवाद करने वाला नहीं मिल रहा है। पूरे जिले में कैथी लिपि के जो 3-4 जानकार अभी तक मिले हैं। पहले अनुवाद के लिए प्रति पेज 500 रुपए मांगते थे। लेकिन अब एक खतियाना के अनुवाद के 15 से 20 हजार रुपए की मांग कर रहे हैं।

क्या है कैथी लिपि

कैथी भाषा (कैथी लिपि) एक ऐतिहासिक लिपि है। आजादी से पूर्व उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों में इस लिपि में कानूनी और प्रशासनिक कार्य किया जाता था। इसे "कायथी" या "कायस्थी" के नाम से भी जाना जाता है। पूर्व उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, ओडिशा और अवध में इसका प्रयोग होता था।

धीरे-धीरे समाप्त हो रही कैथी लिपि

कैथी लिपि बिहार की आत्मा थी। यहां के जितने भी दस्तावेज हैं, सब कैथी लिपि में लिखी हुई है। लेकिन इसके साथ दुर्भाग्य यह हुआ कि मुगल काल से लेकर अंग्रेजों के काल तक अपने-अपने भाषा को बढ़ावा देने के कारण कैथी लिपि धीरे-धीरे समाप्त होती गई। कैथी लिपि के समाप्त होने का सबसे ज्यादा घाटा बिहार को हुआ। लोगों के पास जमीन के दस्तावेज तो हैं, लेकिन वह कैथी लिपि में लिखी है। जो लोग पढ़ नहीं पा रहे हैं।
दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा में मैडम ने गले पर पैर रखा,दुपट्टे से फांसी लगा दी
दरभंगा के बहेड़ी कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में रविवार की शाम 7वीं की स्टूडेंट का फांसी लगाकर सुसाइड करने का मामला सामने आया था। हालांकि, छात्रा के परिवारवाले स्कूल की वॉर्डन रेखा सिन्हा पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। छात्रा के शव का पोस्टमॉर्टम सोमवार को कराया गया है। पीड़ित परिवार ने थाने में वॉर्डन के खिलाफ लिखित शिकायत की है। परिवार के अनुसार, वॉर्डन ने 1000 रुपए की चोरी का आरोप लगाकर उसकी हत्या कर दी है।

इस मामले की पड़ताल के लिए दरभंगा स्ट्रीट बज की संवाददाता ग्राउंड पर पहुंची। हमने छात्रा के घर पहुंचकर परिवारवालों से बात की। इसके बाद स्कूल जाकर वॉर्डन रेखा सिन्हा से भी आरोपों पर जवाब लिए। साथ में उस जगह को भी देखा, जहां से छात्रा के लटककर सुसाइड करने की बात कही गई।

मृतक छात्रा संध्या कुमारी की उम्र 13 साल थी। 2 भाई और 2 बहनों में वह सबसे बड़ी थी। 2 साल से कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। उसका घर स्कूल से 20 किलोमीटर दूर बहादुरपुर थाना इलाके के श्रीरामपुर पीपरा में है।

घर पर सबसे पहले हमारी मुलाकात छात्रा की छोटी बहन साक्षी से हुई। साक्षी भी अपनी बड़ी बहन संध्या के साथ कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में क्लास-6 में पढ़ती है। साक्षी ने बताया कि 'रेखा मैडम ने 1000 रुपए चोरी का आरोप लगाकर पहले मेरी बहन के गले पर पैर से मारा। उसके बाद गला दबाकर मार डाला। मम्मी ने कॉल किया तो मैडम ने बात भी नहीं करने दी।

साक्षी ने बताया कि 'स्कूल की सभी लड़कियों को बैग और इंस्ट्रूमेंट बॉक्स खरीदने के लिए 1000 रुपए मिले थे, लेकिन उस वक्त संध्या घर आई हुई थी। उसकी तबीयत खराब थी। जब वह स्कूल गई, तब मैडम उसे बैग खरीदवाने के लिए बाजार ले गई थी।

मैंने इतना ही देखा कि मेरी बहन रॉड से लटक रही थी। पैर झूल रहा था। इसके बाद हमें वहां से हटा दिया गया। संध्या की मां समता कुमारी कहती हैं कि 'मैडम ने मुझे पहले फोन किया और पूछा कि आपने अपनी बेटी को ₹1000 दिया है? मैंने कहा कि कोई पैसा नहीं दिया है। मैंने अपनी बेटी से बात करवाने के लिए कहा। मैं हेलो-हेलो करती रही, लेकिन मैडम ने फोन काट दिया। जब दोबारा फोन किया तो मैडम ने नहीं उठाया। तीसरी बार फोन किया तो मैडम ने कहा कि मैं बाजार में हूं। कुछ देर बाद मैडम ने कॉल किया और बताया संध्या बेहोश हो गई है। आप लोग जल्दी अस्पताल आ जाइए।'

संध्या के दादा राम सेवक राम ने बताया कि 'रेखा मैडम ने मेरी पोती को मारा है। उनके साथ इस घटना में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। हम लोगों को यह कहकर बुलाया गया कि आपके बच्चे की हालत खराब है। जल्दी से आइए। मेरा बेटा वहां गया।

मेरे बेटे ने मुझे बताया कि उसकी मौत हो गई है। मैडम ने मारने के बाद फोन किया था। जिस ऊंचाई पर फांसी लगाने की बात बताई जा रही है। उतनी ऊंचाई पर फांसी नहीं लगाई जा सकती है।'

संध्या के घर के बाद हम बहेड़ी कस्तूरबा गांधी स्कूल पहुंचे। हमने यहां की वॉर्डन रेखा सिन्हा से बात की। रेखा सिन्हा ने बताया कि 'क्या मामला है, यह मुझे भी नहीं पता है। लेकिन, वह लड़की वैसी नहीं थी। संध्या की मां का कॉल आया था। मैंने उसकी छोटी बहन को बुलाने के लिए भेजा, लेकिन वह नहीं आई। इसके बाद प्रार्थना का समय शुरू हो गया। अचानक से बच्चियां हल्ला करने लग गईं। मैं ऊपर गई तो संध्या को खिड़की की रॉड से लटका देखा।

पुलिस को नहीं बुलाने की बात पर वॉर्डन बताती हैं कि 'हम लोग घबरा गए थे। इसीलिए पुलिस को तुरंत सूचना नहीं कर सके। मैंने खुद से फांसी का फंदा खोलकर उसे नीचे उतारा। फिर उसे अस्पताल पहुंचाए।

इस स्कूल में मेरे अलावा तीन शिक्षिका और हैं। सभी कल छुट्टी पर थीं। मैं ही अकेले स्कूल में थी। घटना के बाद अधिकारियों ने सभी परिजनों को बुलाकर बच्चों को उनके साथ भेज दिया है। स्कूल में छुट्टी कर दी गई है।'

सोमवार को शिक्षा विभाग के डीपीओ रवि कुमार और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कृष्ण कुमार यादव भी स्कूल पहुंचे। उन्होंने स्कूल के अटेंडेंस रजिस्टर की जांच की। जानकारी के अनुसार स्कूल के कई कर्मचारी बिना सूचना गायब मिले। हालांकि, अधिकारियों ने इस मामले में किसी तरह का आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया।

बहेरी थानाध्यक्ष वरुण कुमार गोस्वामी ने बताया कि 'मामले में आवेदन मिला है। एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।'

दरभंगा से आरफा प्रवीण की रिपोर्ट
ओपीडी के मरीजों को पहले दूसरे दिन जांच रिपोर्ट मिलती थी, अब पांचवें दिन मिलती है
डीएमसीएच में सुविधा बढ़ने के साथ ही मरीजों की परेशानी बढ़ने लगी। पहले ओपीडी में दिखाने वाले मरीजों की पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट धोबी घाट स्थिति क्लिनिकल पैथोलॉजी लैब में दो दिन यानी आज सैंपल लिया जाता था और दूसरे दिन रिपोर्ट दे दी जाती थी। अब यह रिपोर्ट मरीज के दिखाने के पांचवें दिन मिलती है। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। पहले दिन के ओपीडी में डॉक्टर से दिखवाते हैं। पांचवें दिन जांच रिपोर्ट मिलती। इसके फिर डॉक्टर से दिखाते हैं। इससे मरीजों को कई बार अस्पताल आना पड़ता है। उपाधीक्षक डॉ हरेंद्र कुमार ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ओपीडी के मरीजों का सैंपल लेने के दूसरे दिन रिपोर्ट देनी है। अब पांचवें दिन रिपोर्ट दी जा रही है।

क्लिनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष से पूछा जाएगा कि ऐसा कैसे हो रहा है। वहीं एमसीएच में एचआई जांच, अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्स-रे की सुविधा नहीं होने से मरीज भटकते रहते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक ओपीडी के कैमरा नंबर 22 में दिन के 2 बजे तक ही जांच के लिए सैंपल लिया जाता है।

इसके बाद कंप्यूटर का सर्वर बंद हो जाता है। इस कारण एक बजे से ही मरीजों को यह कह लौटा दिया जा रहा है कि 2 बजे के बाद बंद हो जाएगा। करीब 200 से 250 मरीजों का ब्लड का सैंपल प्रतिदिन लिया जाता है। बाकी 100 से 150 मरीजों को लौैटा दिया जाता है। यह परेशानी नई व्यवस्था के होने के बाद से होने लगी है।

जबकि जब धोबी घाट स्थित क्लिनिकल पैथलोजी में जांच होती थी तो दूसरे दिन ही जांच रिपोर्ट मरीजों को मिल जाती थी।

अल्ट्रासाउंड की जांच के लिए मरीजों को ओपीडी में दिखाने के बाद दूसरे और तीसरे दिन तारीख दी जाती है। स्पेशल अल्ट्रासाउंड केस होने पर मरीज 15 दिन बाद जांच करवाने के लिए तारीख दी जाती है। डिजिटल एक्स-रे 250 मरीजों का पूरा होने पर दूसरे दिन आने के लिए कहा जाता है।

वार्ड में बेड टू बेड ब्लड सैंपल कलेक्शन बंद है। कोरोना जांच के लिए लगाए गए टेक्नीशियन से वार्ड में ब्लड सैंपल लिया जाता था। उनके कोरोना जाने के बाद उन्हें हटा दिया गया। जिसके बाद से बेड टू बेड ब्लड सैंपल कलेक्शन बंद है।

ब्लड जांच के लिए आई रोशनी परवीन, अनिल राम, पूनम देवी, नेहाल ने बताया कि 1 बजे के बाद से ही लाइन से भगा दिया गया। कहा जा रहा है कि 2 बजे के बाद कंप्यूटर का सर्वर बंद हो जाता है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
भूमि सर्वेक्षण को लेकर दूर रहने वालों को राहत
बिहार विशेष सर्वेक्षण के तहत वंशावली के लिए प्रपत्र 3 (1) को लेकर अब किसी तरह का ऊहापोह की स्थिति नहीं रह गई है। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि लोग इसे सादे कागज पर स्वयं तैयार करें। उपलब्ध दस्तावेजों के साथ शिविर में जमा कर दें। कार्यपालक दंडाधिकारी या नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ की कोई आवश्यकता नहीं है। न ही वंशावली पर संबंधित ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि से हस्ताक्षर कराना जरूरी है। खतियान की मूल प्रति की भी जरूरत नहीं है। जमाबंदी रैयत जीवित हैं तो केवल स्व घोषणा देंगे।
जमीन मापी के समय मौजूदगी जरूरी नहीं

जमीन की मापी के समय अपनी जमीन पर मौजूद रहने की खबर से खासकर दूर-दराज रहने वालों को समस्या हो रही थी। ऐसे में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इसकी अनिवार्यता नहीं है।, लेकिन किस्तवार के दौरान भू स्वामी या उनका कोई विश्वस्त प्रतिनिधि जमीन पर उपस्थित रहता है तो सर्वे कर्मियों को पहचान में सुविधा होगी।

राजस्व रसीद की अद्यतन प्रति भी आवश्यक नहीं है। बस इतना करना है कि स्व घोषणा प्रपत्र दो को भरकर अंचल के शिविर में जमा करें या इसे भू अभिलेख एवं राजस्व विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दें। खतियानी रैयत के वंशज स्वयं प्रपत्र करें। तीन एक में वंशावली तैयार उसे शिविर में जमा करें या वेबसाइट पर अपलोड कर दें। राजस्व रसीद की फोटो कॉपी स्वघोषणा के साथ संलग्न करना है। जमीन खरीदी गई, वदलेन या दान की है तो उस दस्तावेज की छायाप्रति लगानी है।

दाखिल-खारिज नहीं होने पर भी होगा सर्वे

सरकार ने जमीन मालिकों के लिए बड़ी राहत दी है। अगर आपने किसी से जमीन खरीदी और उसका किसी वजह से दाखिल-खारिज नहीं हुआ है, तो भी आपके जमीन का सर्वे होगा। इसके लिए जमीन मालिक को अपने सारे कागजात लेकर अंचल जाना होगा। दाखिल- खारिज नहीं होने की वजह से किसी भी रैयत का सर्वे नहीं रूकेगा।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
गोपाल जी ठाकुर बोले- मिथिला के इतिहास के बारे में उनका ज्ञान अधुरा, अपने बयानों के लिए माफी मांगे
मिथिलांचल डेवलपमेंट अथॉरिटी मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बयान साढ़े 8 करोड़ मिथिलावासियों का अपमान है। तेजस्वी के मिथिलांचल शब्द के उपयोग से पूरा मिथिला को खंडित करने के उनके साजिश का पर्दाफाश भी होता है। नेता प्रतिपक्ष को अपने बयानों के लिए माफी मांगनी चाहिए। दरभंगा सांसद सह लोकसभा में पार्टी के सचेतक डॉ.गोपाल जी ठाकुर ने तेजस्वी के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया में उपरोक्त बातें कही हैं।

सांसद डॉ.ठाकुर ने तेजस्वी को मिथिला के इतिहास और भूगोल पढ़ने और जानकारी लेने की नसीहत देते हुए कहा कि मिथिला की अवधारणा में 70 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले बिहार के 24 जिले और झारखंड के 6 जिले शामिल हैं। वहीं, नेपाल के तराई क्षेत्र के लोग भी मिथिलावासी कहलाते हैं।

इस परिस्थिति में मिथिलांचल जैसे खंडित शब्द का प्रयोग कहीं से भी उचित नहीं है। सांसद डॉ.ठाकुर ने मिथिला की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को तेजस्वी के ज्ञान से परे बताते हुए कहा कि उन्हें यह समझना चाहिए की प्राचीन भारत के 16 प्रमुख सभा जनपद में मिथिला का अहम स्थान था।

जहां के ज्ञान सभ्यता और गरिमा देश ही नहीं विश्व स्तर पर चर्चित था। वैसी सम्पन्न विरासत को बांटने की तेजस्वी की साजिश कभी सफल नहीं हो सकती। सांसद डॉ.ठाकुर ने मिथिलांचल डेवलपमेंट अथॉरिटी जैसे नेता प्रतिपक्ष के सोच को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि उन्हें यह बताना चाहिए की मिथिला के सभी 9 उद्योग लालू राबड़ी के शासन में ही क्यों बंद हुआ और लूट हत्या अपहरण घोटाला की संस्कृति कैसे उद्योग के रूप में विकसित हो गए।

सांसद डॉ.ठाकुर ने देश के पीएम मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार को मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए कहा कि आज दरभंगा और मिथिला क्षेत्र का जितना विकास हुआ है, उसके बाद यहां के विकास के लिए तेजस्वी को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
भूमि सर्वेक्षण आवेदन प्रक्रिया की काई अंतिम तिथि नहीं
दरभंगा जिले के विभिन्न प्रखंडों में शिविर लगाकर भूमि सर्वेक्षण आवेदन की प्रक्रिया की जा रही है। इस काम को लेकर प्रखंड कार्यालय, निबंधन विभाग से लेकर अभिलेखागार में दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए लोगों अधिक भीड़ उमड़ रही है। इस काम को लेकर भीड़ इसलिए हो रही है क्योंकि लोगों को ऐसा लग रहा है कि सर्वे की अंतिम तिथि जल्द ही घोषित होने वाली है। कुछ अफवाह ने भी लोगों को परेशान किया है कि अंतिम तिथि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक है। इसको देखते हुए प्रभारी जिला बंदोबस्त पदाधिकारी कमलेश प्रसाद ने लोगों को कुछ जानकारी साझा किया है।
ऑनलाइन जमा करने की कोई तिथि तय नहीं

उन्होंने कहा कि लोगों को हड़बड़ी में अपने जमीन के दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन नहीं करना चाहिए। पूरी तरह अपनी भूमि के कागजात को सहेज लें। इसके बाद आवेदन की प्रक्रिया करें। थोड़ी सी लापरवाही से लोगों को परेशानी हो सकती है। भूमि-सर्वेक्षण के दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करने की तिथि तय नहीं है।

जमीन की रसीद के साथ आवेदन

कमलेश प्रसाद ने बताया कि जमीन की दस्तावेजों में रैयतों के लिए अपने पंजी टू जमीन की रसीद के साथ आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए अद्यतन रसीद होना अनिवार्य नहीं है। सिर्फ इतना होना चाहिए कि जमीन की रसीद एक दो साल पूर्व कटी हुई रसीद जमा किया जा सकता है। लेकिन, लोगों को ईमानदारी से यह देखना होगा कि उक्त जमीन का निबंधन तो नहीं हुआ हो। आवेदन के लिए किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं है।

चार मौजा का एक होगा क्लस्टर

जानकारी दी गई कि जमीन सर्वेक्षण के आवेदन की प्रक्रिया जिन मौजो का पूरा हो जायेगा। चार मौजों का एक क्लस्टर बनाया जायेगा। जिसमें एक अमीन कार्य करेगा। उसके ऊपर चार मौजों की परिमाप की जिम्मेदारी होगी।

जिले में चार सहायक बंदोबस्त पदाधिकारियों का पदस्थापन किया गया है। पंचायत स्तर पर भू-सर्वेक्षण का कार्य कर रहे कर्मचारियों के साथ लोगों का एक वाट्सएप ग्रुप होगा। जिसमें सर्वे से संबंधित जानकारी साझा करेंगे।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
हवाई यात्रियों की समस्याओं को लेकर चैंबर ने जांच की मांग की
नव स्थापित हवाई अड्डों में अपनी सफलता की छाप छोड़ता हुआ दरभंगा हवाई अड्डा अपने कार्यकाल के चौथे वर्ष में पहुंच गया है। चर्चा होती है कि जल्दी ही यहां से नए नए क्षेत्रों में सेवा का विस्तार होगा।

नए-नए ऑपरेटरों को यहां से सेवा प्रदान करने के लिए स्वीकृति प्रदान की जाएगी। शुरू से ही यहां स्पाइस जेट का एक क्षत्र राज्य है। आज के लगभग डेढ़ वर्ष पहले सिर्फ दो शहरों हैदराबाद और कोलकाता के लिए इंडिगो को सेवा देने की स्वीकृति मिली थी और इंडिगो की काफी संतोषजनक सेवा यहां के यात्रियों को मिल रही है। लेकिन सेवा प्रारंभ होने की कुछ समय पश्चात ही स्पाइसजेट की सेवा में जो गिरावट आई वह निरंतर आज भी बनी हुई है।

डिविजनल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स दरभंगा के अध्यक्ष पवन कुमार सुरेका, निवर्तमान अध्यक्ष अजय कुमार पोद्दार, प्रधान सचिव सुशील कुमार जैन, उपाध्यक्ष कृष्णदेव शाह, सचिव अभिषेक चौधरी, कोषाध्यक्ष मुकेश खेतान आदि ने एक बैठक करके इस सारी स्थिति पर काफी गंभीरता दिखलाई है। इसके लिए पुनः सिविल एविएशन मंत्रालय से पत्राचार किया गया है।

चेंबर सरकार से यह ही मांग करती है कि स्पाइसजेट के खिलाफ एक जांच बैठाई जाए कि क्यों दूरदराज से आए हुए यात्रियों को तीन-तीन चार-चार घंटे एयरपोर्ट पर बैठाकर मनमाने ढंग से जब चाहे फ्लाइट को रद्द कर देते हैं। प्रतिदिन मनमाने ढंग से फ्लाइट को 5-5, 7-7 घंटे विलंब से चलाया जाता है। यात्रियों को परेशान करते हैं। यहां की जनता जानना चाहती है आखिर हमें स्पाइसजेट की घटिया सेवा से कब मुक्ति मिलेगी। हमें इंडिगो, एयर इंडिया जैसी कंपनियां कब सेवा देने के लिए यहां आएगी।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
सुनील भारती और अवधेश लाल देव को विधानसभा प्रभारी बनाया गया
विधानसभा 2025 के लिए पार्टी को मजबूत एवं धारदार बनाने के लिए बिहार प्रदेश जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पूर्व जिला अध्यक्ष सुनील भारती को तेघरा और अवधेश लाल देव को कुढनी विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया है।

इस मनोनयन पर मृदुला राय, प्रभु नारायण दास, श्याम रेखा मिश्रा, तरुण मंडल, श्याम किशोर राम, महेश महथा, मनोज साहनी, श्याम मंडल, शर्माजी पासवान आदि प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को बधाई दी है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
सीएफएमएस पोर्टल पर पे-रोल डाटा नहीं हो रहा अपलोड, सचिव ने जताया खेद
ललित नारायण मिथिला और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारियों को वेतन के लिए प्रतीक्षा करना पड़ सकता है। बुधवार को शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने सभी विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर सीएफएमएस के पे-रोल पोर्टल पर शिक्षक व कर्मचारियों का डाटा अपलोड नहीं करने पर खेद जताया है।
कहा है कि विश्वविद्यालयों को पहले जून, जुलाई और अगस्त में पत्र भेजा। बार-बार विश्वविद्यालयों को अनुरोध करने के बाद वेतन के मामले में सभी विश्वविद्यालयों से डाटा अपलोड हो गया है, लेकिन पेंशन पारिवारिक पेंशन और अतिथि शिक्षकों के मामले में अधिकांश कार्य शेष है।

पत्र में बताया है कि पहले ही स्पष्ट किया गया था कि सीएफएमएस लागू होने के पूर्व विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक अनुदान की राशि जो बचत खाता, चालू खाता व सावधिक जमा खाता में संधारित है और जो राशि अग्रिम स्वरूप भी दी गई थी उसे 15 दिन में बैंक ड्राफ्ट से बिहार सरकार के नाम उच्च शिक्षा निदेशालय राजकोष में जमा करने के लिए निर्देशित किया गया था।

इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि उपरोक्त निर्देशों के पूर्ण अनुपालन के पश्चात ही आगे का अनुदान विमुक्त करने पर विचार किया जाएगा।

शत-प्रतिशत वेतन सत्यापन करने का दिया गया निर्देश

विश्वविद्यालय और कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों का शतप्रतिशत वेतन सत्यापित करवाया जाएगा। विभाग के निर्देश पर कुलसचिव डॉ. अजय कुमार पंडित ने गुरुवार को बताया है

कि शिक्षा विभाग ने आदेश निर्गत करते हुए कहा है कि वेतन सत्यापन कोषांग शिक्षकों व कर्मचारियों की प्रथम नियुक्ति, प्रोन्नति, वेतन वृद्ध, स्थानांतरण, सेवानिवृति के मामलों में वेतन सत्यापन कोषांग सत्यापन करेगा।

विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों के सभी शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी के लिए वेतन का सत्यापन आवश्यक है, लेकिन इसमें शिथिलता बरती जा रही है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकांश शिक्षकों व कर्मचारियों का ब्योरा वेतन सत्यापन कोषांग को भेज दिया गया है। लेकिन अबतक सत्यापन का पुर्जा नहीं आया है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
विवि में समस्याओं के निदान के लिए खुले दो काउंटर
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में छात्रों की समस्याओं के निदान के लिए दो विशेष काउंटर खोले गए हैं। इन काउंटरों पर स्नातक के छात्र-छात्राओं के रिजल्ट में त्रुटि समेत विभिन्न समस्याओं का निदान किया जाएगा। विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक डॉ. इंसान अली नोडल पदाधिकारी बनाए गए हैं। यह काउंटर डाटा सेंटर कार्यालय में खोले गए हैं। अब दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर समेत बेगूसराय से विभिन्न समस्याओं को लेकर पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं को परीक्षा विभाग की जगह डाटा सेंटर कार्यालय में संचालित हो रहे काउंटर पर आवेदन देकर अपनी समस्याएं बतानी होगी।

ऑन स्पॉट निदान किया जाएगा

काउंटर पर छात्रों की मामूली समस्याएं जैसे अंक प्रमाण पत्र में नाम में त्रुटि, तकनीकी कारणों से हुई गड़बड़ी का ऑन स्पॉट निदान किया जाएगा। पहले जहां छात्र-छात्राएं अपनी समस्याओं को लेकर परीक्षा विभाग में आवेदन देते थे। जहां से छात्रों का आवेदन डाटा सेंटर को भेजा जाता था।

इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता था। इसी के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्नातक के छात्रों के लिए अलग से दो काउंटर खोले हैं। अब सीधे स्नातक के छात्र-छात्राएं डाटा सेंटर कार्यालय के काउंटर पर आवेदन देंगे। यहां से डाटा सेंटर के माध्यम से त्वरित समस्याओं का निदान किया जाएगा।

बता दें कि छात्रों से परीक्षा फार्म के साथ अंकपत्र, औपबंधिक प्रमाणपत्र और मूल प्रमाणपत्र सहित सभी तरह के शुल्क लेने के बाद भी विभिन्न सत्रों के औपबंधिक प्रमाणपत्र संबंधित विभाग और महाविद्यालय को नहीं भेजे गए हैं।

उत्तरपुस्तिकाओं का रिटोटलिंग कार्य लंबित

स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षाओं के रिजल्ट से असंतुष्ट सैकड़ों विद्यार्थी उत्तर पुस्तिकाओं के रिटोटलिंग को लेकर परेशान हैं। परीक्षा विभाग में दो से तीन वर्ष पूर्व उत्तर पुस्तिकाओं का पुर्नमूल्यांकन के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं का अब तक रिटोटलिंग नहीं हो सका है। इस कारण स्नातक प्रथम खंड परीक्षा 2021 और स्नातक तृतीय खंड सत्र 2019-22 से समेत स्नातकोत्तर के भी कई सेमेस्टरों के विद्यार्थी प्रभावित चल रहे हैं।

मिथिला यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर विनोद कुमार ओझा ने बताया कि यूजी छात्रों की समस्याओं के निदान के लिए दो काउंटर खोले गए हैं। डाटा सेंटर कार्यालय में काउंटर पर छात्र-छात्राएं अपनी समस्याओं संबंधित आवेदन देंगे। यह काउंटर परीक्षा विभाग के नियंत्रण में रहेंगे।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट