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चोरी के तीन मोबाइल के साथ दो चोर गिरफ्तार हुए
पुलिस ने गस्ती के क्रम में 1200 बोतल शराब बरामद किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार थाने में की एसआई आदित्य कुमार दलबल के साथ गस्ती पर निकले हुए थे।

इसी क्रम में गुप्त सूचना के आधार पर उमगांव के निकट कमला नहर पुल के समीप छापेमारी की गयी। जहां जुट के बोरी में रखे सभी शराब को जब्त किया गया। थानाध्यक्ष जितेन्द्र सहनी ने कहा  कि अज्ञात तस्कर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है।

कमतौल पुलिस ने रविवार को मोबाइल चोरी की प्राथमिकी पर त्वरित कार्रवाई करते हुए कमतौल रेल स्टेशन के समीप स्थित मंदिर प्रांगण से कुम्हरौली गांव के मो अरमान उर्फ फैजान(21) व मो रहमान उर्फ साहवान (19) को चोरी के तीन मोबाइल फोन के साथ गिरफ्तार किया।

दोनों को सोमवार को पुलिस अभिरक्षा में न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अहियारी गांव के नवनीत कुमार ठाकुर की पत्नी विनीता ठाकुर के घर से शनिवार की रात चोरों ने सात हजार रुपए नगद एवं मोबाइल फोन की चोरी कर ली थी। इस संबंध में पीड़िता ने थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
विश्वविद्यालयों और कालेजों में संचालित होंगे सिर्फ 2तरह के खाते
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विभागों में अभी भी 100 से ज्यादा ऐसे खाते चलाए जा रहे हैं, जिसमें लाखों रुपए पड़े हैं। इन पैसों का कोई हिसाब-किताब नहीं है। इन मामलों के देखते हुए सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में केवल दो तरह के ही खातों का संचालन किया जाए। सरकार के निर्देशानुसार पहला खाता वेतन व पेंशन फंड और दूसरा कार्पस फंड का होगा। इन दोनों खाता के अलावा किसी भी तरह का बैंक खाता विश्वविद्यालय और कॉलेजों में नहीं रहेगा। कार्पस फंड एकाउंट में ही सभी तरह के डेवलपमेंट सहित राज्य सरकार से प्राप्त होने वाली राशि जमा और निकासी करने का निर्देश दिया गया है

विभागों में एक से अधिक खाता का संचालन

इस पूरे मामले पर बात किया जाए तो विश्वविद्यालय में कई ऐसे खाते हैं, जिसमें सालों से लाखों रुपए जमा हैं, लेकिन ना तो इसकी निकासी हो रही और ना ही हिसाब किताब लिया जा रहा है। परीक्षा विभाग, अध्यक्ष छात्र कल्याण, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय समेत पीजी विभागों में एक से अधिक खाते संचालित हो रहे हैं।

कई विभागों में चार से पांच खाते खुले हैं, इसमें यूजीसी से मिलने वाले फंड, सेमिनार समेत अन्य गतिविधियों के लिए अलग-अलग खाते खुले हैं। हालांकि इन दिनों कुछ बैंक खातों को बंद जरूर करवाया गया है।

बता दें कि अब तक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में डेढ़ दर्जन से अधिक अलग-अलग खाते संचालित हो रहे हैं। सभी विभागों का अलग-अलग खाता संचालित हो रहा है। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का भी यही हाल है। अब इसमें बदलाव किया जाएगा।

वित्तीय मामलों में सही ढंग से प्रक्रिया का अनुपालन नहीं

अनेकों बैंक खाता खोलकर चालू खाता में रखी जा रही राशि शिक्षा विभाग ने 29 मार्च को सभी विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यों के नाम जारी पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालयों में वित्तीय प्रशासन एवं वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।

महालेखाकार बिहार के द्वारा कुछ विश्वविद्यालयों का अंकेक्षण करते हुए अंकेक्षण प्रतिवेदन विभाग में उपलब्ध कराया गया है। उक्त अंकेक्षण प्रतिवेदन के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि विश्वविद्यालयों में सामग्रियों के खरीदने, निर्माण कार्यों के संचालन एवं अन्य वित्तीय मामलों में सही ढंग से प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।

रोकड़पंजी का संधारण मुख्य रोकड़पंजी के रूप में नहीं करने तथा अनेकों बैंक खाता खोलकर चालू खाता में राशि रखी गयी है। जिसमें से कुछ खाते सालों से बंद है।

गैर जरूरी खातों को बंद करने की प्रक्रिया जारी

इस बात को लेकर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अजय कुमार पंडित ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधीन विभागों में गैर जरूरी खातों को बंद किया गया है। शेष को बंद करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
ऑक्सीजन प्लांट रहते सिलेंडर की हो रही खरीदारी
दरभंगा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (डीएमसीएच) में 4 आक्सीजन प्लांट है। इसमें एक लिक्विड और तीन प्रेशर स्विंग (पीएसए) ऑक्सीजन प्लांट है। जो करीब एक वर्ष से खराब है। इसे ठीक कराने की कई बार कवायद हुई पर हर बार कुछ दिनों तक कार्य करने के बाद प्लांट खराब हो गया। फिलहाल तीनों आक्सीजन प्लांट खराब है। जबकि चौथा 20 हजार लीटर की क्षमता वाले लिक्विड प्लांट से न्यू सर्जरी भवन, कोरोना यूनिट, ट्रामा सेंटर, मेडिसिन वार्ड और ईएनटी में आक्सीजन की सप्लाई हो रही है। वैसे इस प्लांट की क्षमता इतनी है कि डीएमसीएच के सभी विभागों में आक्सीजन की सप्लाई हो सकती है। इसके बावजूद इस प्लांट से महज 200 मीटर दूर इमरजेंसी विभाग और करीब 500 मीटर दूर आईसीयू को नहीं जोड़ा गया है। इस वजह से डीएमसीएच प्रशासन इन जगहों पर ऑक्सीजन सिलेंडर के भरोसे है। सात से आठ लाख रुपए की फिजूलखर्ची हो रही है। पूरी खपत नहीं होने के कारण लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट का प्रेशर (तापमान) बढ़ जाता है और उसे कम करने के लिए आक्सीजन उड़ाना पड़ रहा है।

कई बार पत्र लिखा गया

बताया जाता है कि प्रेशर बढ़ने पर लिक्विड प्लांट से आक्सीजन को नहीं उड़ाया गया तो प्लांट का सेफ्टी लॉक फट जाएगा और स्वतः सारा आक्सीजन बाहर निकल जाएगा। इसके कारण आक्सीजन हवा में उड़ाई जा रही है। जानकरों का कहना है कि अगर डीएमसीएच के सभी विभागों को पाइप लाइन के जरिए लिक्विड प्लांट से जोड़ दिया जाए तो लाखों की रुपए की बचत होगी।

साथ ही ऑक्सीजन भी नहीं उड़ाना पड़ेगा। डीएमसीएच के उपाधीक्षक डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने बताया कि बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांटों की सर्विसिंग और लिक्विड प्लांट से विभागों को जोड़ने के लिए कई बार बीएमआईएससीएल को पत्र लिखा गया है। जबतक बचे विभागों में लिक्विड प्लांट से आक्सीजन की सप्लाई नहीं होती है तबतक सिलेंडर खरीदना पड़ेगा।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
शादी तुड़वाने के डर के कारण रस्सी से गला दबाकर विधवा की हत्या कर दी
सिटी एसपी शुभम आर्य ने जाले के काजी बहेड़ा गांव की विधवा सुनीता देवी की हत्या का खुलासा करते हुए कहा कि विधवा व गिरफ्तार आरोपी मो शहनवाज के बीच अवैध संबंध था। आरोपी की शादी होने वाली थी। आरोपी को शक हुआ कि कहीं वह उसकी शादी को तुड़वा न दे, इसलिए उसकी फंदा लगाकर हत्या कर दी। मृतका की पतोहू अहिल्या देवी मामला दर्ज कराई थी।

मामला की गंभीरता को देखते हुए

एसएसपी ने एसआईटी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर 2 कमतौल के नेतृत्व में गठन था। टीम ने इस कांड में संलिप्त मो शहनवाज को गिरफ्तार किया।

उसने इस घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। उसकी निशानदेही पर गला दबाकर हत्या करने में उपयोग की गई रस्सी बरामद की गई। अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। छापेमारी दल में शामिल पुलिस पदाधिकारी, कर्मियों व टीम को पुरस्कृत किया जाएगा।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
रोक के बाद भी स्नातक में नामांकन शुल्क ले रहे
सरकारी और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के रोक के बावजूद कॉलेजों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति समेत छात्राओं से धड़ल्ले से नामांकन शुल्क की वसूली हो रही है। कॉलेजों में स्नातक तृतीय खंड सत्र 2022-25 के नामांकन में कॉलेजों की ओर से छात्रों के उन वर्गों से भी वसूली की जा रही है, जिनसे पहले वसूली गई राशि की वापसी का आदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉलेजों को दे रखा है। जबकि सरकार ने 2014 में ही नामांकन के समय किसी भी प्रकार के नामांकन शुल्क नहीं लेने का स्पष्ट आदेश दे दिया था।

इससे पहले चार कॉलेज में रोक लगाई गई है

सरकार के आदेश के आलोक में विश्वविद्यालय ने भी अपने अधीन अंगीभूत एवं संबद्ध कालेजों के प्रधानाचार्यों को मनाही कर दी थी कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अलावा सभी वर्गों की छात्राओं से नामांकन शुल्क के नाम पर कोई भी राशि नहीं लेनी है।

यदि राशि ली गई तो उसे वापस करना होगा, लेकिन सरकार और विश्वविद्यालय के सारे आदेश को ताख पर रख कॉलेजों में नामांकन के नाम पर हर वर्ग के की छात्राओं से शुल्क वसूला जा रहा है। शुल्क का ब्योरा सूचना पट पर प्रकाशित है।

इससे पहले भी 4 कॉलेजों ने ऐसा किया था, लेकिन बाद में विवि के आदेश के बाद रोक लगा दी गई थी।

अब फिर बहेड़ा कॉलेज में स्नातक तृतीय खंड की छात्राओं से नामांकन के नाम पर 2,900 रुपए तक लिए जा रहे हैं। शहर के प्रसिद्ध सीएम कॉलेज में 650 रुपए, मारवाड़ी और आरबीएस कॉलेज अंदौर में भी अवैध वसूली की जा रही है।

शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी

छात्र नेता किसन कुमार झा ने कहा कि जब सरकार और विश्वविद्यालय ने किसी भी प्रकार के शुल्क नहीं लेने का आदेश जारी कर रखा है, तो कॉलेज में कैसे पिछले दरवाजे से शुल्क निर्धारित किया जा रहा है।

डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर विजय कुमार यादव ने बताया कि कॉलेजों की ओर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिलाओं से किसी भी प्रकार का नामांकन शुल्क नहीं लिया जाना है। इसकी शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा में मंत्री जनक राम बोले-आरक्षण के प्रावधान में नहीं हुआ बदलाव
प्रदेश के SC-ST कल्याण मंत्री जनक राम शुक्रवार को दरभंगा पहुंचे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंत्री जनक राम का भव्य स्वागत किया गया। मीडिया से बात करते हुए आरक्षण पर अपनी सरकार की स्थिति मंत्री ने स्पष्ट की। मंत्री ने कहा है कि प्रदेश में लालू-राबड़ी का राज लौट कर वापस नहीं आएगा। मंत्री ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार ने आरक्षण के प्रावधान में बदलाव नहीं किया है।

मंत्री जनक राम ने लालू-राबड़ी और तेजस्वी यादव पर आरोप लगते कहा कि यही लोग गरीब दलित को गुमराह कर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। लेकिन, अब लालू राज लौट कर नहीं आने वाला है।

लालू-राबड़ी शासन काल को नर संहार काल बताते हुए कहा कि जिनके माता-पिता खुद मुख्यमंत्री रहे हो। वे अपने बेटे को BA तक भी नहीं पढ़ा सकें। उनका बेटा नौवीं पास ही रह गया।

लौट कर वापस नहीं आएगा लालू राज

मंत्री ने कहा कि बेटा बिहार में कलम किताब और नौकरी बांटने की बात कहता है। यह दुर्भाग्य की बात है। गरीब जनता जाग गई है। अब यहां लौट कर लालू राज नहीं आने वाला है। जनक राम ने जोड़ देकर कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने जो संविधान में आरक्षण का प्रावधान दिया है। उसमे कोई बदलाव नहीं किया गया है। अपने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की SC-ST को लेकर किये जा रहे योजना की मंत्री ने तारीफ की।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा के बेनीपुर में बंद घर में चोरी
दरभंगा के बेनीपुर नगर परिषद वार्ड 26 बलहा गांव निवासी दिलीप मिश्र के बंद घरों का ताला तोड़कर एक बार फिर चोरों ने लाखों की जेवरात चुरा ली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार गृहस्वामी दिलीप मिश्र हार्ट का इलाज कराने मुंबई गए थे। पिछले 1 माह से उनका घर बंद था। इसका फायदा उठाते हुए चोरों ने घटना का अंजाम दिया। स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी मिलने के बाद इसकी सूचना गृहस्वामी दिलीप मिश्र और बहेड़ा थाना को दी। सूचना मिलते ही बहेड़ा पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच में जुट गई है।

इधर, घर में चोरी होने की सूचना मिलते ही पीड़ित मुंबई से घर के लिए रवाना हो चुके हैं। दूरभाष पर संपर्क करने पर उन्होंने कहा सूचना के मुताबिक लगभग 8 से 9 लाख का जेवरात की चोरी हुई है। उन्होंने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार चोरों ने बहू के लगभग 6 से 7 लाख के जेवर और 3 लाख के पत्नी के जेवर चुरा लिए। आगे घर पहुंचने के बाद ही सही जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि सूचना मिलने पर इसकी सूचना बहेडा पुलिस को दे दी गई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
आयुर्वेद कॉलेज में नामांकन प्रक्रिया फिर लटकी
राजकीय महारानी रमेश्वरी आयुर्वेद कॉलेज की मान्यता के लिए बिहार सरकार ने पिछले माह में ही 5 चिकित्सकों की बहाली की थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की अधिसूचना के अनुसार एक माह भी नहीं बीते हैं कि इस आयुर्वेद कॉलेज के दो वरीय चिकित्सकों का पदस्थापन बेगूसराय में कर दिया है। इससे इस आयुर्वेद कॉलेज में छात्रों के नामांकन प्रक्रिया शुरू होने पर तलवार लटक गई है। बेगूसराय में स्थानांतरित होने वालों में इस आयुर्वेद कॉलेज के सह प्राध्यापक बाल रोग विभाग के डॉ. ओमप्रकाश द्विवेदी और नाक, कान और गला विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. मुकेश कुमार शामिल हैं।

आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना 1975 में हुई थी

जानकारी के अनुसार इस आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना 1975 में हुई। इसके बाद कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति रामकरण शर्मा के नेतृत्व में अंडरग्रेजुएट छात्र-छात्राओं नामांकन की मान्यता मिली थी। उनके यहां से अवकाश ग्रहण के बाद इस आयुर्वेद कॉलेज की आधारभूत संरचना निरंतर लचर होती गई।

इसके बाद भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली की टीम ने इस कॉलेज को निरीक्षण के दौरान मानक पर नहीं पाया। जिसमें अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत चिकित्सकों की भारी कमी मिली। टीम के निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2004 में मान्यता समाप्त कर दी गई। तब से इस आयुर्वेद कॉलेज में छात्र-छात्राओं के नामांकन पर रोक लगी हुई है।

बेगूसराय और पटना में चिकित्सक हुए ट्रांसफर

2021 में इसकी मान्यता बहाल करने के लिए शैक्षणिक सत्र 2022 में 60 सीटों पर नामांकन प्रारंभ करने का प्रस्ताव जारी किया। इस आयुर्वेद कॉलेज के 12 विभागों में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक चिकित्सकों और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारी शुरू कर दी गई।

इसमें डेढ़ दर्जन चिकित्सकों की बहाली भी की गई। उम्मीद जताई गई कि दिल्ली की टीम यहां का जायजा लेकर नामांकन की प्रक्रिया बहाल कर देगी। इसके एक साल के बाद ही आधा दर्जन चिकित्सकों को बेगूसराय और पटना के आयुर्वेद कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। चिकित्सकों की फिर से कमी हो गई।

6 चिकित्सकों की बहाली हुई थी

इसके बाद 6 चिकित्सकों की बहाली हुई। अगले सत्र में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद जगी, लेकिन चिकित्सकों और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को लेकर तत्काल इस कॉलेज में छात्र-छात्राओं के नामांकन पर प्रश्न चिह्न लग गया है।

राजकीय महारानी रमेश्वरी आयुर्वेद काॉज के प्राचार्य डॉ. सीवी सिंह ने बताया कि एक सप्ताह में सरकार के आदेश पर यहां के दो चिकित्सकों को विरमित कर दिया जाएगा। इस कॉलेज में चिकित्सकों की भारी कमी है। स्थिति से विभाग को अवगत कराया गया है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
दरभंगा में 19 सबमर्सिबल पंप की जांच करेगी पीएचईडी, कहीं नल नहीं तो कहीं चबूतरा का निर्माण अधूरा
सरकार ने दरभंगा जिले के 188 विद्यालयों में सबमर्सिबल लगाने का आदेश दिया था। इस योजना के लिए 2 लाख 65 हजार रुपए प्रति सबमर्सिबल की राशि डीईओ कार्यालय को उपलब्ध करा दी गई। विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के कार्यकाल में प्रतिदिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सबमर्सिबल की समीक्षा होती थी। बिहार शिक्षा परियोजना के अभियंताओं ने जैसे-तैसे सबमर्सिबल लगा भी दिया लेकिन काम अब तक पूरी तरीके से पूरा नहीं हुआ है। कहीं बोरिंग हुई तो टैंक नहीं लगा। टैंक लगा तो रनिंग वाटर आपूर्ति का पाइप नहीं लगा। किसी विद्यालय में दोनों काम हुए तो उसका चबूतरा नहीं बना। शिकायत मिलने पर ही राज्य सरकार ने पीएचईडी को सबमर्सिबल जांच का जिम्मा सौंपा है। 19 विद्यालयों में लगाए गए सबमर्सिबल की जांच पीएचईडी द्वारा की जा रही है। वह अपना जांच प्रतिवेदन सीधे शिक्षा विभाग को सौंपेगा। इधर डीईओ समर बहादुर सिंह ने कहा कि अभियंताओं से सबमर्सिबल का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। उनके सत्यापन के बाद ही भुगतान किया जाएगा।

हनुमान नगर प्रखंड मोरो उत्क्रमित उच्च विद्यालय में बोरिंग तो हुआ लेकिन बच्चों की संख्या के अनुपात में नलका नहीं लगा हुआ है। विद्यालय के उत्क्रमण सहित सभी कार्यों में लगे उमेश राय ने कहा कि आधा अधूरा काम का कभी पूरा लाभ नहीं मिलता है।

बेनीपुर प्रखंड के अमेटी उच्च विद्यालय में भी बोरिंग होने के बावजूद बच्चे चबूतरा के अभाव में नल से पानी नहीं पीते हैं। यह इसलिए क्योंकि नल से धरती पर गिरने वाले पानी से ड्रेस गंदी हो जाती है।
दरभंगा में 90% अनुदान पर नलकूप लगाने की थी योजना, 3 हजार लोग योजना से वंचित
सरकार किसानों की सुविधा बहाली के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है। कई योजना की घोषणा हुई है। लेकिन, जमीनी स्तर पर किसानों को इसका सही फायदा नही मिल पा रहा है। दरभंगा में 34 साल से किसानों को बोरिंग नहीं मिली है। दरभंगा में 90% अनुदान पर नलकूप लगाने की योजना थी। 3 हजार लोग योजना से वंचित है। पूर्व मुख्यमंत्री डा
जगन्नाथ मिश्रा के तृतीय मुख्यमंत्रित्व काल में किसानों को नब्बे प्रतिशत सरकारी अनुदान पर लोहे के निजी नलकूप देने के लिए राशि जमा की थी। उनमें से इस जिला के लगभग तीन हजार सीमांत कृषकों को 34 साल बीतने के बाद भी राज्य सरकार ने बोरिंग नहीं दे पाई है।

तीन हजार किसान योजना से हुए

वंचित बता दें कि वित्तीय वर्ष 1990 - 91 में 90 प्रतिशत सरकारी अनुदान पर लोहे के नलकूप गड़वाने के लिए प्रति किसानों ने 1370 रुपए की दर से प्रखंड नजारत में राशि जमा की थी। 1370 रुपए की दर से राशि जमा करने वाले इस जिला के हजारों सीमांत किसानों को 150 फीट की गहराई वाला लोहे का नलकूप गड़वा भी दिया गया।

लेकिन, बाद में सरकार बदल जाने के बाद बोरिंग देने के काम में शिथिलता बरतनी शुरू हो गई। इसके कारण जिले में लगभग तीन हजार किसान इस योजना के फायदा पाने से वंचित रह गए। 34 साल की इस अवधि में किसानों को ना बोरिंग मिली न ही जमा की गई राशि मिल सकी है।

लोगों को नलकूप की उम्मीद

योजना लघु जल संसाधन विभाग संचालित कर रही थी। बघौल के योगेन्द्र ठाकुर, पधारी के चंद्रकांत चौधरी व सावित्री देवी नलकूप लिए बगैर इस दुनिया से चल बसे। बिठौली के करमचन्द्र राय, बन्डिहुली के लोटन यादव व महावीर मंडल, पघारी के बद्रीनारायण चौधरी व प्रफुल्ल चौधरी, शिवराम के शशिभूषण राय, कमलेश झा, योगेन्द्र झा सहित कई अन्य लोग जमा की गई राशि के बदले नलकूप की उम्मीद में बैठे हैं।

मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुमार चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री, लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री, प्रधान सचिव व जिलाधिकारी को कई बार ज्ञापन देकर मांग कर चुके हैं फिर भी कोई पहल नहीं हो सकी है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट