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आज का इतिहास:1956 में आज ही के दिन ‘राज्य पुनर्गठन विधेयक’ को मिली थी मंजूरी

नयी दिल्ली : 31 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1919 में आज ही के दिन अमेरिकन कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ था। 

1881 में आज ही के दिन अमेरिका में पहली बार टेनिस चैंपियनशिप खेली गई थी। 

1968 में आज ही के दिन भारत के टू-स्टेज राउंडिंग रॉकेट रोहिणी-एमएसवी 1 का सफल प्रक्षेपण हुआ था। 

1957 में 31 अगस्त के दिन ही मलेशिया को ब्रिटेन से आजादी मिली थी।

1995 में आज ही के दिन पहली बार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चीन में मानवाधिकार की स्थिति पर आपत्ति की थी।

1993 में 31 अगस्त को ही रूस ने लिथुआनिया से अपने आखिरी सैनिकों को वापस बुलाया था।

1991 में आज ही के दिन उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की थी।

1983 में आज ही के दिन भारत के उपग्रह इनसेट-1 बी को अमेरिका के अंतरिक्ष शटल चैलेंजर से प्रसारित किया गया था।

1968 में 31 अगस्त को ही भारत के टू-स्टेज राउंडिंग रॉकेट रोहिणी-एमएसवी 1 का सफल प्रक्षेपण हुआ था।

1962 में आज ही के दिन कैरेबियाई देश टोबैगो एवं त्रिनिदाद ब्रिटेन से स्वतंत्र हुए थे।

1959 में 31 अगस्त के दिन ही अमेरिकी बेसबॉल खिलाड़ी सैंडी कुफैक्स ने एक नेशनल लीग रिकॉर्ड बनाया था।

1957 में आज ही के दिन मलेशिया ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता ली थी।

1956 में 31 अगस्त के दिन ही भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने राज्य पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दी थी।

1920 में आज ही के दिन अमेरिकी शहर डेट्रायट में रेडियो पर पहली बार समाचारों का प्रसारण हुआ था।

1919 में 31 अगस्त को ही अमेरिकन कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ था।

1881 में आज ही के दिन अमेरिका में पहली बार टेनिस चैंपियनशिप आयोजित हुई थी।

31 अगस्त को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1963 में आज ही के दिन बंगाली फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक, लेखक और अभिनेता ऋतुपर्णो घोष का जन्म हुआ था।

1962 में 31 अगस्त के दिन ही प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ पल्लम राजू का जन्म हुआ था।

1940 में आज ही के दिन मराठी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार शिवाजी सावंत का जन्म हुआ था।

1871 में 31 अगस्त के दिन ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सैयद हसन इमाम जन्म हुआ था।

31 अगस्त को हुए निधन

2016 में आज ही के दिन पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात उर्दू कवि कश्मीरी लाल जाकिर का निधन हुआ था।

2002 में 31 अगस्त के दिन ही संगीतकार फ़रहाद मेहराद ईरानी का निधन हुआ था।

2003 में आज ही के दिन भारतेन्दु काल के हंसमुख गद्य कहे जाने वाले विजयशंकर मल्ल का निधन हुआ था।

आज हैं राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस: भारत की आर्थिक वृद्धि में छोटे उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका!


नयी दिल्ली : राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस हर साल 30 अगस्त को मनाया जाता है. यह दिन छोटे और लघु उद्योगों के महत्व को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के पीछे ये कारण हैं: 

छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करना 

बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर मुहैया कराना ।

लघु उद्योगों के श्रम-प्रधान स्वभाव को रेखांकित करना 

आर्थिक शक्ति के वितरण में लघु उद्योगों के योगदान को दिखाना 

लघु उद्योगों के ज़रिए औद्योगिक विपणन की सुविधा मुहैया कराना।

चुनौतियों का सामना करने वाले लघु उद्योगों को सम्मानित करना।

लघु उद्योग भारत के औद्योगिक ताने-बाने की रीढ़ हैं. ये नवाचार, परंपरा, और उद्यमशीलता के ताने-बाने को आकार देने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) हर साल 27 जून को सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यम (MSME) दिवस मनाता है. यह दिन सतत विकास और विश्व अर्थव्यवस्था में MSME की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

आज का इतिहास:1984 में आज ही के दिन अंतरिक्ष यान ‘डिस्कवरी’ ने पहली बार भरी थी उड़ान


नयी दिल्ली : 30 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1984 में आज ही के दिन अंतरिक्ष यान ‘डिस्कवरी’ ने पहली बार उड़ान भरी थी। 1951 में 30 अगस्त के दिन ही फिलीपींस और अमेरिका ने एक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

1947 में आज ही के दिन भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया था।

2007 में 30 अगस्त के दिन ही बांग्लादेश सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनुस के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।

2003 में आज ही के दिन समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।

2002 में 30 अगस्त के दिन ही कोनोको इंक और फिलिप्स पेट्रोलियम ने विलय कर कोनोकोफिलिप्स बनाई थी।

1984 में आज ही के दिन अंतरिक्ष यान ‘डिस्कवरी’ ने पहली बार उड़ान भरी थी।

1951 में 30 अगस्त के दिन ही फिलीपींस और अमेरिका ने एक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

1947 में आज ही के दिन भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया था।

1928 में 30 अगस्त के दिन ही द इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया लीग की भारत में स्थापना हुई थी।

1842 में आज ही के दिन एंग्लो चीन युद्ध समाप्त हुआ था।

1836 में 30 अगस्त के दिन ही मेलबर्न शहर की स्थापना की गई थी।

1806 में आज ही के दिन न्यूयॉर्क शहर का दूसरा दैनिक समाचार पत्र ‘डेली एडवर्टाइजर’ आखिरी बार प्रकाशित किया गया था।

30 अगस्त को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1941 में आज ही के दिन भारतीय सेना के सैनिक बाबा हरभजन सिंह का जन्म हुआ था।

1923 में 30 अगस्त के दिन ही गीतकार शैलेन्द्र का जन्म हुआ था।

1903 में आज ही के दिन हिंदी जगत के प्रमुख साहित्यकार भगवतीचरण वर्मा का जन्म हुआ था।

1895 में 30 अगस्त के दिन ही भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सरदार हुकम सिंह का जन्म हुआ था।

1888 में आज ही के दिन भारत की आजादी के लिए फांसी के फंदे पर झूलने वाले अमर शहीदों में से एक कनाईलाल दत्त का जन्म हुआ था।

30 अगस्त को हुए निधन

2014 में आज ही के दिन प्रसिद्ध इतिहासकार बिपिन चन्द्र का निधन हुआ था।

2008 में 30 अगस्त के दिन ही प्रख्यात उद्योगपति कृष्ण कुमार बिड़ला का निधन हुआ था।

1976 में आज ही के दिन हिंदी साहित्यकार जी.पी. श्रीवास्तव का निधन हुआ था।

1952 में 30 अगस्त के दिन ही भारतीय रिज़र्व बैंक के पहले गवर्नर ओसबोर्न स्मिथ का निधन हुआ था।

30 अगस्त को प्रमुख उत्सव

लघु उद्योग दिवस।

दिल्ली: आतंकवादी फ़रहतुल्लाह ग़ोरी ने भारत की ट्रेनों को बम से उड़ाने की दी धमकी


 

नई दिल्ली:- पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी लगातार भारत में स्लीपर सेल के जरिए हमले करने की कोशिश करते रहते हैं हालांकि, भारत में खुफिया एजेंसियां इन आतंकियों के नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने देती। मौजूदा समय में भारत की खुफिया एजेंसियां काफी ज्यादा अलर्ट हैं। इसके पीछे वजह है पाकिस्तान में बैठा आतंकी फरहतुल्लाह घोरी।

दरअसल,फरहतुल्लाह घोरी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो स्लीपर सेल के जरिए भारत में ट्रेनों पर हमले करने की बात कर रहा है। वीडियो में उसने प्रेशर कुकर के जरिए बम विस्फोट के विभिन्न तरीकों के बार में बात कर रहा है।

भारत में भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद घोरी पाकिस्तान में छिपा हुआ है। उसने ही पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की मदद से स्लीपर सेल के जरिए बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में विस्फोट की साजिश रची थी। 1 मार्च को रामेश्वरम में हुई ब्लास्ट में 10 लोग घायल हुए थे।

कौन है फरहतुल्लाह घोरी?

अबू सूफियान, सरदार साहब और फारू के नाम से मशहूर फरहतुल्लाह घोरी एक आतंकवादी है। साल 2002 में गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले में उसका हाथ है। वहीं,साल 2005 में हैदराबाद टास्ट फोर्स ऑफिस पर हुए आत्मघाती हमले के लिए भी वो जिम्मेदार है।फरहतुल्लाह घोरी और उसके दामाद शाहिद फैसल का दक्षिण भारत में स्लीपर सेल का एक मजबूत नेटवर्क है। फैसल रामेश्वरम कैफे विस्फोट के दोनों आरोपियों के संपर्क में था और मामले में हैंडलर था।

कुछ महीने पहले,

 पुणे-आईएसआईएस मॉड्यूल के कई आतंकवादियों को देश भर से गिरफ्तार किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने घोरी का नाम रिकॉर्ड पर लिया था। उस समय अधिकारियों ने दावा किया था कि आईएसआई भारत में स्लीपर सेल चला रही है और हमलों को अंजाम देने के लिए युवाओं की भर्ती कर रही है।

दिल्ली:भारत में जनसंख्या वृद्धि दर से तेज़ी से बढ़ रही छात्रों की आत्महत्या की दर: रिपोर्ट में खुलास


नई दिल्ली:- भारत में छात्रों की आत्महत्या की दर में चिंताजनक वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि जनसंख्या वृद्धि दर से भी अधिक तेजी से हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में छात्र आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या के ट्रेंड को पार करते हुए चिंताजनक दर से बढ़ रही हैं।

एक समाचार एजेंसी के अनुसार राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के आधार पर, 'छात्र आत्महत्याएं: भारत में फैली महामारी' रिपोर्ट बुधवार को वार्षिक आईसी 3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 में लॉन्च की गई। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि जहां कुल आत्महत्या संख्या में सालाना 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं छात्र आत्महत्या के मामलों की 'कम रिपोर्टिंग' के बावजूद, छात्र आत्महत्या के मामलों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

महिला छात्रों की आत्महत्या दर में वृद्धि

पुरुष IC3 संस्थान द्वारा संकलित रिपोर्ट में कहा गया है, 'पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याएं 4 प्रतिशत की चिंताजनक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। 2022 में कुल छात्र आत्महत्याओं में पुरुष छात्रों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत थी।2021 और 2022 के बीच छात्र आत्महत्याओं में 6 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि महिला छात्रों की आत्महत्या में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।'

रिपोर्ट में बताया गया है कि छात्र आत्महत्याओं की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या ट्रेंड, दोनों को पार कर रही हैं। पिछले दशक में 0-24 वर्ष के बच्चों की आबादी 582 मिलियन से घटकर 581 मिलियन हो गई, जबकि छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़ कर 13,044 तक हो गई है।

इन राज्यों में सबसे अधिक मौतें

रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश को सबसे अधिक छात्र आत्महत्या वाले राज्यों के रूप में पहचाना जाता है, जो कुल घटनाओं का एक तिहाई है। दक्षिणी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सामूहिक रूप से इन मामलों में 29 प्रतिशत का योगदान देते हैं, जबकि राजस्थान, जो अपने उच्च-स्तरीय शैक्षणिक माहौल के लिए जाना जाता है, 10वें स्थान पर है, जो कोटा जैसे कोचिंग केंद्रों से जुड़े दबाव को उजागर करता है।

जयंती विशेष: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ,जिन्होंने दुनिया को अपने खेल से मंत्रमुग्ध कर दिया,इनका खेल देखकर हिटलर भी रह गया था दंग।


नयी दिल्ली : भारतीय हॉकी टीम के पूर्व स्टार खिलाड़ी और हॉकी जगत के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है. मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 में प्रयागराज में हुआ था. आज भारतीय हॉकी टीम के पूर्व स्टार खिलाड़ी और हॉकी जगत के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है. 

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 में प्रयागराज में हुआ था. जिसे हम साल 2018 के अक्टूबर महीने से पहले इलाहाबाद के नाम से जानते थे. बता दें, मेजर ध्यानचंद ने देश को ओलंपिक में तीन बार स्वर्ण पदक दिलाया है. तो चलिए जानते हैं गोल करने की अद्भुत कला के लिए मशहूर मेजर ध्यानचंद का हॉकी में आगमन कब हुआ.

सेना में खेलते थे हॉकी

भारत के पूर्व स्टार हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की 16 साल की उम्र में सिपाही के रूप में भारतीय सेना को बहाली हुई थी. भारतीय सेना में अपनी सेवा देते हुयर मेजर ध्यानचंद ने हॉकी खेलना शुरू किया था. आपको जानकर हैरानी होगी की मेजर ध्यानचंद रात के समय चांद की रोशनी में हॉकी का अभ्यास किया करते थे. जिसे देकर सभी सैनिक उन्हें ध्यानचंद पुकारने लगे और इनका नाम ध्यानचंद पद गया. 

सेना में रहते हुए ध्यानचंद ने तुरु से रेजिमेंट के तरफ से रेजिमेंटल मैच खेलना शुरू किया. जिसके बाद वह उन सभी मैचों में खेलते हुए साल 1922 से 1926 के बीच सभी सुर्खियों में आए.

न्यूजीलैंड के खिलाफ किया था डेब्यू

सुर्खियों में आने के बाद ध्यानचंद को सेना की टीम में न्यूजीलैंड दौरे के लिए चुन लिया गया. न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलते हुए मेजर ध्यानचंद ने कमाल का प्रदर्शन किया. इस दौरान भारतीय सेना की हॉकी टीम ने 18 मैच जीते. वहीं दो मैच ड्रॉ रहे और भारत को एक मुकाबले में हार मिली. इस दौरे के बाद ध्यानचंद ने और अधिक सुर्खियां बटोरी. इस तरह धीरे-धीरे उनका सफर आगे बढ़ने लगा.

हिटलर भी रह गया था दंग

भारत के तरफ से साल 1936 में ओलंपिक मैच खेलते हुए मेजर ध्यानचंद ने हॉकी में जर्मनी के खिलाफ 8 गोल दागे. इस मुकाबले में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था. जर्मनी की इस करारी हार को देखकर हिटलर गुस्से में आ गया और आधे मुकाबले में ही उठकर स्टेडियम से बाहर चला गया. इस मुकाबले में भारत के स्टार खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद ने तीन गोल दागे थे. 

ध्यानचंद की शानदार प्रदर्शन को देखते हुए हिटलर ने मुकाबले के समाप्त होने के बाद उन्हें अपनी टीम के तरफ से खेलने ऑफर दे दिया. हिटलर ने मेजर ध्यानचंद से पूछा की तुम हॉकी खेलने के अलावा और क्या करते हो? जिसका जवाब देते हुए ध्यानचंद ने हिटलर से कहा, ‘मैं भारतीय सेना में हूं. जिसके बाद हिटलर ने उन्हें ऑफर देते हुए कहा कि तुम मेरी सेना में भर्ती हो जाओ. जिसे मेजर ध्यानचंद ने नकार दिया.

देश को दिलाई तीन पदक

आपकी जानकारी के लिए बता दें, मेजर ध्यानचंद ने देश को ओलंपिक में तीन बार पदक दिलाया है. उन्होंने देश को पहला पदक साल 1928 में खेले गए ओलंपिक मैच में दिलाया था. जिसके बाद साल 1932 में हुए ओलंपिक में भारत को मेजर ध्यानचंद ने दूसरी बार स्वर्ण पदक दिलाया.

 जिसके बाद उन्होंने देश को तीसरा स्वर्ण पदक साल 1936 में हुए ओलंपिक में दिलाया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें, ये युग भारत के स्वर्णिम युग के नाम से भी जाना जाने लगा. 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन रहता है. जिसे अब हम नेशनल स्पोर्ट्स डे के तौर पर मनाते हैं. इसके अलावा खेल में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को भी उनके नाम से जुड़ी और खेल की सबसे बढ़ी अवॉर्ड से नवाजा जाता है. इस अवॉर्ड को हम सभी ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ के नाम से जानते हैं. पहले इस अवॉर्ड को ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ कहा जाता था. जिसे बाद में बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखा गया.

मेजर ध्यानचंद को भारत का कौन सा सम्मान दिया गया था?

ध्यानचंद 34 साल की सर्विस के बाद अगस्त 1956 में भारतीय सेना से लेफ्टिनेंट के रूप में रिटायर्ड हुए, और इसके बाद उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

मेजर ध्यानचंद की मृत्यु कब और कैसे हुई?

ध्यानचंद का 3 दिसंबर, 1979 को दिल्ली में निधन हो गया. झांसी में उनका अंतिम संस्कार उसी मैदान पर किया गया, जहां वे हॉकी खेला करते थे.

मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा क्या थी?

मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा का शीर्षक ‘गोल’ है. यह 1952 में स्पोर्ट एंड पासटाइम, मद्रास द्वारा प्रकाशित किया गया था. भारत सरकार ने 1956 में चंद को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।

आज का इतिहास:1957 में आज ही के दिन पारित किया गया था नागरिक अधिकार अधिनियम,जाने 29 अगस्त से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं


नयी दिल्ली : 29 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2000 में 29 अगस्त के दिन ही न्यूयॉर्क में 4 दिवसीय विश्व शांति शिखर सम्मेलन शुरू हुआ था। 

1998 में आज ही के दिन पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

1957 में 29 अगस्त के दिन ही कांग्रेस ने नागरिक अधिकार अधिनियम-1957 पारित किया था।

2008 में 29 अगस्त को ही झारखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने विधानसभा में अपना बहुमत साबित किया था।

2004 में आज ही के दिन एथेंस ओलंपिक का समापन हुआ था।

2000 में 29 अगस्त के दिन ही न्यूयॉर्क में 4 दिवसीय विश्व शांति शिखर सम्मेलन शुरू हुआ था।

1998 में आज ही के दिन पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

1991 में 29 अगस्त के दिन ही डेन ओब्रिवन ने डेकाथलोन में 8,812 अंकों के साथ विश्व रिकार्ड बनाया था।

1987 में 29 अगस्त को ही कर्नल राबुका ने फिजी को गणराज्य घोषित किया गया था।

1974 में आज ही के दिन चौधरी चरण सिंह की अध्यक्षता में लोकदल पार्टी स्थापना हुई थी।

1957 में 29 अगस्त के दिन ही कांग्रेस ने नागरिक अधिकार अधिनियम-1957 पारित किया था।

1953 में आज ही के दिन रूस ने पहला हाइड्रोजन बम विस्फोट किया था।

1945 में 29 अगस्त को ही ब्रिटिश ने हांगकांग को जापान से मुक्त कराया था।

1932 में आज ही के दिन नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम में अंतरराष्ट्रीय युद्ध-विरोधी समिति का गठन हुआ था।

1914 में 29 अगस्त को ही न्यूजीलैंड सैनिकों ने जर्मन समोआ पर कब्जा किया था।

1898 में आज ही के दिन गुडइयर टायर कंपनी की स्थापना हुई थी।

29 अगस्त को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1980 में आज ही के दिन भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक माधव श्रीहरि अणे का जन्म हुआ था।

1905 में 29 अगस्त के दिन ही भारत के ख्याति प्राप्त हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था।

1887 में आज ही के दिन भारत के एक प्रमुख चिकित्सक और देश सेवक जीवराज मेहता का जन्म हुआ था।

29 अगस्त को हुए निधन

2014 में आज ही के दिन फिल्म गांधी के लिए ऑस्कर जीतने वाले निर्देशक रिचर्ड एटनबरा का निधन हुआ था।

2007 में 29 अगस्त के दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे और स्वतंत्रता सेनानी बनारसी दास गुप्ता का निधन हुआ था।

1994 में आज ही के दिन बांग्ला लेखक एवं पत्रकार तुषार कांति घोष का निधन हुआ था।

1976 में 29 अगस्त को ही प्रसिद्ध बांग्ला कवि, संगीत सम्राट, संगीतज्ञ और दार्शनिक काज़ी नज़रुल इस्लाम का निधन हुआ था।

निकुंज वसोया: वो शेफ जिनके हाथ का खाना खाकर अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट भी हो गए दीवाने


निकुंज वसोया एक प्रसिद्ध यूट्यूबर और शेफ हैं, जिन्होंने अपने कुकिंग स्किल्स से कई लोगों का दिल जीता है। निकुंज वसोया की ख़ास बात यह है कि वे सरल और पारंपरिक तरीके से खाना बनाते हैं, और उनके हाथों से बने खाने के स्वाद ने कई प्रसिद्ध हस्तियों को अपना दीवाना बनाया हैं।

गुजरात के जामनगर जिले में एक छोटा सा गांव है खिजड़िया। इसी गांव के एक लड़के को बचपन से खाना बनाने का बड़ा शौक था। वो अक्सर रसोई में भी अपनी मां का हाथ बंटाता रहता था। परिवार खेती-बाड़ी करता था और इनकम काफी लिमिटेड थी। ऐसे में उस लड़के ने सोचा कि क्यों ना अपने इस शौक को ही करियर बनाया जाए और वो जुट गया अपनी मंजिल को पाने में। दिन बीते, महीने बीते और फिर वो दिन आया, जिसके बारे में शायद उसने कभी सोचा भी नहीं होगा। दुनिया की सबसे महंगी शादियों में शुमार अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में उस लड़के को खाना बनाने का मौका मिला।

गुजरात के उस लड़के का नाम है निकुंज बसोया, जिसके चर्चे आज दूर-दूर तक हैं। एक साधारण किसान परिवार से आने वाले निकुंज ने अपनी कड़ी मेहनत और खाना बनाने के प्रति अपने जुनून से शानदार सफलता हासिल की है। निकुंज आज ना केवल एक जाने-माने यूट्यूबर हैं,बल्कि अंबानी परिवार जैसे धनी लोगों के लिए भी खाना बनाते हैं। 

निकुंज का मानना है कि चाहे अमीर हो या गरीब, अच्छा खाना सबको खुश करता है। इसी सोच के साथ शुरू हुआ 20 साल पहले अपने परिवार के लिए खाना बनाने का उनका सफर आज एक बड़े करियर का रूप ले चुका है।

पढ़ाई बीच में छोड़कर शुरू किया यूट्यूब चैनल

इस कहानी की शुरुआत हुई साल 2013 में, जब निकुंज कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें अहसास हुआ कि उनकी असली खुशी तो खाना बनाने में है। उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और अपने सपने को पूरा करने का फैसला किया। बचपन से ही उनका सपना था कि उनका अपना एक कुकिंग शो हो।

हालांकि, उस वक्त उन्हें ये नहीं मालूम था कि इसकी शुरुआत कैसे करनी है। तभी उन्हें यूट्यूब पर अपना चैनल शुरू करने का ख्याल आया और इस चैनल का नाम रखा गया 'क्रेजी फॉर इंडियन फूड'।

खेत से लेकर रसोई तक पूरी प्रोसेस

निकुंज ने अपने खेतों से तोड़ी हुई ताजी सब्जियों का इस्तेमाल कर पारंपरिक काठियावाड़ी व्यंजन बनाना शुरू किया और इसके वीडियो बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए। चैनल धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा। 

 

रिपोर्ट के मुताबिक, उनके दर्शकों को ये वीडियो इसलिए भी ज्यादा पसंद आते हैं क्योंकि वह उन्हें खेत से लेकर खाना बनाने तक की पूरी प्रोसेस दिखाते हैं। आज निकुंज के चैनल पर 5.9 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं और उनके सबसे लोकप्रिय वीडियो को 9.1 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है। खाना बनाने के साथ-साथ निकुंज स्ट्रीट फूड और रेस्टोरेंट्स का रिव्यू भी करते हैं।

पर्सनल लाइफ में सही मुश्किलें

2013 में महज एक चैनल के साथ शुरुआत करने वाले निकुंज आज 'फूडऑन टीवी' नाम से पूरा एक नेटवर्क चलाते हैं, जिसके अलग-अलग भाषाओं में छह चैनल और चार वेबसाइट हैं। हालांकि, निकुंज के लिए सफलता की ये राह आसान नहीं थी। 

उन्हें अपनी पर्सनल लाइफ में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा, जिसमें उनका पत्नी से तलाक भी शामिल है। लेकिन, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने करियर पर फोकस बनाए रखा। साल 2021 में उन्हें अपनी लाइफ में फिर से प्यार मिला और आज निकुंज काफी खुश हैं।

अनंत और राधिका की शादी में बनाए व्यंजन

खाना बनाने में निकुंज की प्रतिभा का लोहा अंबानी परिवार ने भी माना। अंबानी परिवार ने पहले उन्हें नए साल पर खाना बनाने के लिए विशेष तौर से आमंत्रित किया था। इसके बाद निकुंज को अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की वडोदरा में आयोजित प्री-वेडिंग सेरेमनी और मुंबई में शादी के लिए भी खाना बनाने का मौका मिला। 

यहां निकुंज ने जामनगरी सेव, ममरा लिली चटनी, देसी सेव तमेरा शाक और बाजरा रोटला जैसे खाने के आइटम बनाए। अपनी सफलता पर निकुंज बस इतना ही कहते हैं कि इंसान को जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए। आप बड़े सपने देखें और उनपर पूरी मेहनत के साथ काम करें, ये सपने जरूर पूरे होंगे।

जापान से युवक अपनी पिता के तलाश में गूगल मैप के सहारे पहुंचा पंजाब अमृतसर,बीस साल बाद मिलकर पिता-पुत्र दोनों हुए भावुक


नई दिल्ली:- यह कहानी एक जापानी बेटे की है, जो अपने पिता को तलाशते हुए भारत आया और 20 साल बाद उन्हें ढूंढ निकाला। जापान का एक युवक अपने भारतीय पिता की खोज में पंजाब का अमृतसर पहुंच गया. फिल्मी कहानी की तर्ज पर 2 दशक बाद जब पिता-पुत्र मिले तो दोनों भावुक हो गए।

जानकारी के अनुसार अमृतसर के रहने वाले सुखपाल सिंह (Sukhpal Singh) की मुलाकात थाईलैंड में एक जापानी महिला से हुई, बाद में उन्होंने 2002 में उससे शादी कर ली और टोक्यो के पास चिबा केन में रिन की मां साची के साथ रहने लगे. उनके बेटे, रिन का जन्म 2003 में हुआ, लेकिन दोनों के रिश्तों में कठिनाइयां आने लगी.  

शादी के कुछ साल बाद दोनों अलग हो गए. परिणामस्वरूप, जापान में पैदा हुआ उनका दो वर्षीय बेटा, रिन ताकाहाता को कभी भी अपने पिता का प्यार नहीं मिला. 

2007 के बाद से नहीं था कोई संपर्क

2007 में भारत लौटने के बाद से सुखपाल का अपने बेटे या पत्नी से कोई संपर्क नहीं रहा. रिन, जो अब जापान में रहता है, हाल ही में अपने पिता से मिलने के लिए पंजाब पहुंच गया. पिता-पुत्र के मिलन का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. फुटेज में दिखाया गया कि कैसे पिता और पुत्र लगभग दो दशक अलग रहने के बाद एक-दूसरे को गले लगाते हुए भावनाओं से भरे हुए थे।

रिन ताकाहाता जापान में ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट्स का एक छात्र है. रिन ने अपने पिता के साथ साझा किया कि एक फैमिली ट्री प्रोजेक्ट पर काम करते समय, उसे एहसास हुआ कि वह परिवार में केवल अपनी मां के पक्ष को जानता है और अपने पिता के पक्ष के किसी भी सदस्य को नहीं जानता है. और अधिक जानने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर, उसने अपने पिता को खोजने की यात्रा शुरू की. पते का पता लगाने के लिए Google मैप का उसने उपयोग किया. रिन 15 अगस्त को अपने गंतव्य पर पहुंचा. कुछ समस्याओं का सामना करने के बावजूद, वह अंततः 18 अगस्त को अपने पिता से मिलने में सफल रहा।

आरआरबी टेक्नीशियन भर्ती के लिए पुनः शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया, पदों में भी हुई बढ़ोत्तरी

नई दिल्ली:- रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) की ओर से टेक्नीशियन के 9 हजार पदों पर निकाली गई थी जिसमें अब बढ़ोत्तरी की गई है। बोर्ड की ओर से जारी की गई नयी अधिसूचना के मुताबिक अब इस भर्ती के माध्यम से टेक्नीशियन के कुल 14298 पदों पर भर्ती की जाएगी। पदों में बढ़ोत्तरी के साथ ही आरआरबी की ओर से आवेदन प्रक्रिया भी दोबारा से 15 दिनों के लिए ओपन की जाएगी।

आवेदन शुरू होते ही फ्रेश अभ्यर्थी तय तिथियों में आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकेंगे। जो उम्मीदवार पहले आवेदन कर चुके हैं वे दोबारा से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।

भर्ती विवरण

आरआरबी की ओर से यह भर्ती पहले 18 कैटेगरी के तहत कुल 9144 पदों पर निकाली गई थी। अब आरआरबी की ओर 40 कैटेगरी के तहत कुल 14298 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। पदानुसार भर्ती विवरण निम्नलिखित है-

टेक्नीशियन ग्रेड 1 सिग्नल: 1092 पद

टेक्नीशियन ग्रेड 3 ओपन लाइन: 8052 पद

टेक्नीशियन ग्रेड 3 वर्कशॉप एवं PUs: 5154 पद

पात्रता एवं मापदंड

इस भर्ती में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों ने पदानुसार मान्यता प्राप्त बोर्ड/ संस्थान से 10वीं के साथ आईटीआई/ संबंधित क्षेत्र में बीएससी/ बीई/ बीटेक/ 3 वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किया हो। इसके साथ ही अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से कम और अधिकतम आयु पदानुसार 33/ 36 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आयु की गणना 1 जुलाई 2024 को ध्यान में रखकर की जाएगी।

एप्लीकेशन प्रॉसेस

इस भर्ती में शामिल होने के लिए पुनः 15 दिनों के लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी, जिसके बाद आप ऑनलाइन माध्यम से फॉर्म भर सकेंगे। आवेदन के साथ ही निर्धारित शुल्क जमा करना आवश्यक है तभी आपका फॉर्म स्वीकार्य होगा। जनरल, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए शुल्क 500 रुपये और एससी, एसटी, पीएच और महिला उम्मीदवारों के लिए 200 रुपये तय किया गया है।