देवों के देव महादेव क्यों हैं सर्वोच्च?
ॐ नम: शिवाय - 'ॐ' प्रथम नाम परमात्मा का फिर 'नमन' शिव को करते हैं।
'सत्यम, शिवम और सुंदरम' जो सत्य है वह ब्रह्म है:-
ब्रह्म अर्थात परमात्मा। जो शिव है वह परम शुभ और पवित्र आत्म तत्व है और जो सुंदरम है वही परम प्रकृति है। अर्थात परमात्मा, शिव और पार्वती के अलावा कुछ भी जानने योग्य नहीं है। इन्हें जानना और इन्हीं में लीन हो जाने का मार्ग है-हिंदुत्व।
शिव अनादि, आदि, मध्य और अनंत है। शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम। शिव है सनातन धर्म का परम कारण और कार्य। शिव है धर्म की जड़।शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। सभी जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृति कभी क्षमा नहीं करती है।
' शिव का द्रोही मुझे स्वप्न में भी पसंद नहीं।'- भगवान श्री राम ने कहा था।
शिव के कारण ही है सभी धर्मों की उत्पत्ति!
शिव तो जगत के गुरु और परमेश्वर हैं। मान्यता अनुसार सबसे पहले उन्होंने अपना ज्ञान सप्त ऋषियों को दिया था। सप्त ऋषियों ने शिव से ज्ञान लेकर अलग-अलग दिशाओं में फैलाया और धरती के कोने-कोने में शैव धर्म, योग और ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया।इन सातों ऋषियों ने ऐसा कोई व्यक्ति नहीं छोड़ा जिसको शिव कर्म, परंपरा आदि का ज्ञान नहीं सिखाया हो। आज सभी धर्मों में इसकी झलक देखने को मिल जाएगी।
ॐ विरूपाक्षाय नम: ॐ नमः शिवाय
Aug 22 2024, 19:52
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