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आज हम आपको उन 4 आदतों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप अपने जीवन में खुश रह सकते हैं



डेस्क :– भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक रूप से बीमार होना बेहद आम बात है, क्योंकि लोग इस कदर दुनिया के साथ चलने में व्यस्त है कि उन्हें सेल्फ केयर करने का मौका ही नहीं मिलता। जिस कारण आगे चलकर वह मेंटल हेल्थ की समस्या जैसे स्ट्रेस, एंजायटी, डिप्रेशन आदि के शिकार हो जाते हैं। शुरुआती लक्षणों में यह बेहद आम से दिखते हैं, लेकिन अगर समय रहते इसपर ध्यान ना दिया गया, तो आगे चलकर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसकी मुख्य वजह बदलती हुई लाइफस्टाइल है।

लोग इस कदर सोशल मीडिया इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं कि सोते, जागते, बैठते हर जगह उनके हाथ में फोन देखने को मिलता है। यह उनकी आंखों के साथ-साथ मेंटल हेल्थ को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इससे उनकी नींद धीरे-धीरे खत्म हो रही है। इसके अलावा, शारीरिक तौर पर भी बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। इंसान की कुछ आदतें ऐसी होती है, जो उनको धीरे-धीरे दुखी कर देती है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको उन 4 आदतों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप अपने जीवन में खुश रह सकते हैं।

हालांकि, हर बार लोग नए-नए ट्रिक्स अपनाते हैं ताकि वह खुश रह सके। कुछ लोगों को मीठा खाकर खुशी मिलती है, तो कुछ लोगों को क्रिएटिविटी करके मजा आता है। कुछ लोग शॉपिंग करके खुश रहते हैं, तो कुछ लोग बाहरी लोगों से मिलकर खुश होते हैं। कुछ ऐसे सिंपल एडिक्शन है, जिन्हें अपनाकर शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं और इसका मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।

अपनाएं ये टिप्स

मेंटली हेल्दी रहने के लिए आपको ध्यान करना चाहिए। मेडिटेशन करने से इंसान का दिमाग एकदम शांत हो जाता है और किसी भी काम में मन लगता है, क्योंकि जब दिमाग एकाग्र रहता है, तो चीजें बहुत शांतिपूर्ण तरीके से होती है। इससे सेरोटोनिन और एंडोफिर्न लेवल बढ़ता है, जिससे मूड सही हो जाता है। साथ ही स्ट्रेस कम होता है। इससे हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं और आप खुश हो सकते हैं। इसलिए बिना देरी किए आज ही इस आदत को अपनी डेली लाइफ का आप हिस्सा बना सकते हैं।

किसी भी व्यक्ति के जीवन में हॉबी बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। यह एक ऐसा तरीका होता है, जो न केवल समय गुजरता है, बल्कि यह खुशी का भी एक जरिया होता है। जिस भी एक्टिविटी को करके आप खुश होते हैं, उन्हें अपने डेली लाइफस्टाइल में शामिल कर सकते हैं। इससे डोपामाइन का स्त्राव शुरू होता है, जोकि हैप्पी हार्मोन से जुड़ा होता है। अगर आप अपने शौक के साथ समय बिताते हैं, तो आपका मूड सही हो जाता है और दिनभर की थकान भी दूर हो जाती है। स्ट्रेस फ्री रहने के लिए इंसान को पर्याप्त नींद की जरूरत होती है। नींद की कमी से सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है, जिससे हैप्पी हारमोंस कम हो जाते हैं। इसलिए दिन भर में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें। आपको इस दौरान ख्याल रखना है कि सोने से पहले गलती से भी कैफकीन का सेवन न करें। इससे आपको नुकसान भी हो सकता है।

इंसान को हैप्पी रहने के लिए सोशल कनेक्टिविटी बढ़ाना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि जब आप समाज के 4 लोगों से मिलते हैं, तो आपको तरह-तरह की बातों की जानकारी होती है। यह आपके लिए प्लस पॉइंट भी होता है। इसके अलावा, बातचीत करने और मिलने जुलने से स्ट्रेस लेवल कम हो जाता है। साथ ही, हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं इससे मन हल्का होता है और जीवन में खुशहाली आती है।



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आज हम आपको बताएंगे कि कच्चा प्याज महिलाओं के लिए कितना लाभदायक है और जरूरी भी


डेस्क :– खाने में तड़का लगाते समय प्याज न डले और सलाद में इसकी जगह न हो, तो खाने का स्वाद ही नहीं आता। बेशक, इसे काटते समय आंखों में पानी जरूर आता है, लेकिन इसे खाने से जो अनगिनत फायदे होते हैं..

प्याज को गंध के कारण कई बार लोग खाने से बचते हैं। इस लिस्ट में महिलाएं टॉप पर आती हैं। महिलाओं को कच्चा प्याज खाना पसंद नहीं होता है क्योंकि इसके खाने के बाद मुंह से गंध आने लगती है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो कच्चा प्याज नहीं खाते, तो आप इन स्वास्थ्य लाभों से वंचित हैं  आपको बता दें कि प्याज में काफी कम कैलोरी होती है।

इतना ही नहीं प्याज में विटामिन सी, बी, आयरन, फोलेट और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो अच्छी सेहत के लिए काम में आते हैं। प्याज सर्दी जुकाम के लिए भी फायदेमंद होता है। प्याज में फाइटोकेमिकल्स, अल्लियम और एलिल डिसुलफाइड जैसे तत्व भी होते हैं, जो एलिसिन पोस्ट इनग्रेशन में परिवर्तित हो जाते हैं।आज हम आपको बताएंगे कि प्याज महिलाओं के लिए कितना लाभदायक है और जरूरी भी है।

मेनोपॉज के लक्षणों को करता है कम

मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजेन का उत्पादन काफी कम हो जाता है  जिसकी वजह से महिलाओं का शरीर आहार से कैल्शियम को कम पाने लगता है।यही कारण है कि ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को रोकने के लिए कैल्शियम सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में महिलाओं के लिए प्याज कारगर साबित होता है। समय से पहले बूढ़ा होने से करता है बचाव

अगर आप समय से पहले होने वाले बुढ़ापे से बचना चाहती हैं, तो प्याज बहुत उपयोगी है। प्याज में विटामिन ए, सी, और ई पाए जाते हैं। यही कारण है कि ये स्किन के लिए भी लाभदायक होता है। प्याज में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण, बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने में आपकी मदद कर सकती है। ऐसे में अपनी स्किन के लिए आपको प्याज का उपयोग करना चाहिए।

मुहांसों और फुंसियों का करे इलाज
प्याज से कई तरह के लाभ मिलते हैं, क्योंकि इसमें जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। यानी कि इससे मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया  दूर किया जा सकता है। जी हां कहा जाता है कि  प्याज के सेवन से मुंहासे और पिंपल्स की समस्या भी कम होती है। इसके साथ ही  आप प्याज के रस में 1 चम्मच जैतून के तेल को मिलाकर अपने चेहरे पर लगा सकती हैं। इसको अपने चेहरे पर 20 मिनट लगाने के बाद साफ पानी से धो दें। इससे लाभ मिलेगा।

बालों के विकास में मददगार है प्याज

कैरोटीन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो बालों, नाखूनों और हमारी स्किन की परेशानियों को दूर करने का काम करता है, जबकि  प्याज में सल्फर भरपूर रूप से पाया जाता है। यही कारण है कि  सल्फर बालों के विकास को बढ़ावा देने के साथ ही पतले बालों से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है। बालों को उचित पोषण देने के लिए प्यार के रस का उपयोग हर किसी को करना चाहिए।


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क्या आपको पता है कि शराब पीने के बाद या फिर शराब के साथ कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए

डेस्क :– शराब को पीने से शरीर में ऐसी उत्तेजना पैदा होती है जैसी कॉफी और चाय को पीने से होती है और इसलिए इसका शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव भी पड़ता है।

आजकल युवाओं में अल्कोहल पीने का एक प्रचलन सा देखा जा रहा है।जहां शराब पीना आज के वक्त में आम सी बात होती जा रही है  लेकिन इसका सेवन भी अलग अलग कारणों से और खास मात्रा के साथ किया जाता है। हम अक्सर देखते हैं कि अल्कोहल लेते वक्त खाने की चीजों का भी सेवन साथ में किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शराब पीने के बाद या फिर शराब के साथ कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि अगर उन्होंने थोड़ी सी ड्रिंक की है तो क्या वो बाद में मिल्क पी सकते हैं।अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं तो आपको इसके बारे में जरूर जनना चाहिए। शराब पीने के बाद खाने में क्या सावधानी रखनी चाहिए। अगर आप भी अल्कोहल  का सेवन करते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि आपको क्या क्या बाद में नहीं खाना चाहिए।

शराब पीने के बाद न खाएं काजू या मूंगफली

अधिकतर देखा जाता है कि अल्कोहल लेते समय आमतौर पर लोग मूंगफली खाना पसंद करते हैं इतना ही नहीं बहुत से लोग ड्राई काजू भी खाना पसंद करते हैं. लेकिन आपको बता दें कि शराब के साथ यह दोनों ही चीजें कभी नहीं खानी चाहिए. इसका कारण ये है कि इनमें कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो अल्कोहल  के साथ शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है सोडा या कोल्ड ड्रिंक है खतरनाक

आपको कभी भी सोडे और कोल्ड ड्रिंक के साथ शराब नहीं पीनी चाहिए।ये दोनों ही चीजें शरीर में पानी की मात्रा को कम कर देती हैं. इसलिए इनकी जगह अल्कोहल में पानी या बर्फ मिलाकर पी सकतें हैं। या फिर ऐसे अल्कोहल  का चलन करें जिनमें किसी भी चीज को मिलाने की आपकी जरूरत ही ना पड़े.।


ऑयली स्नैक्स शराब के साथ न खाएं
जब भी अल्कोहल  का सेवन करें तो ध्यान में रखें कि आप ऑयली स्नैक्स ना लें  बहुत बार ऐसा होता है कि अल्कोहल के  लोग वक्त चिप्स खाते हैं क्योंकि यह असानी से मिल जाते हैं लेकिन अधिक प्यास लगती है। यही कारण है कि लोग ज्यादा शराब पी लेते हैं, जो नुकसानदायक है।

दूध से बनी चीजें शराब पीने के बाद न खाएं अल्कोहल  डाइजेस्टिव एंजाम्स को नुकसान पहुंचता है।  जिससे अगर आप शराब के बाद दूध पीते हैं तो दूध में मौजूद पोषक तत्वों का पूरा लाभ आपको नहीं मिलता. ऐसे में आप थोड़ी सी भी ड्रिंक के बाद दूध ना लें।

मिठाई क्यों नहीं खानी चाहिए
शराब के साथ कभी भी मीठा खाने की गलती नहीं करना चाहिए। क्योंकि शराब के साथ मीठा खाने से वह नाशा दोगुना चढ़ जाता है। कई लोग जानकर शराब के बाद मीठा खाते हैं, जबकि सही मायने में मीठी चीजें शराब के बाद जहर जैसी होती हैं।

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आईए जानते हैं अगर आप कम मात्रा में या कभी-कभी शराब पीते हैं तो इससे कोई नुकसान नहीं होता है। क्या वास्तव में ऐसा है?

डेस्क :– शराब को कई प्रकार से संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता रहा है। लिवर की बीमारियों से लेकर कई प्रकार के कैंसर तक के लिए अध्ययनों में शराब के सेवन को प्रमुख कारण बताया जाता रहा है। हालांकि लोगों में एक आम धारणा रही है कि अगर आप कम मात्रा में या कभी-कभी शराब पीते हैं तो इससे कोई नुकसान नहीं होता है। क्या वास्तव में ऐसा है?

इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन ने वैज्ञानिकों ने कई मिथकों को तोड़ा है। शोधकर्ताओं ने कहा, शराब हर तरह से हमारी सेहत के लिए हानिकारक है, भले ही इसका कम मात्रा में ही क्यों न सेवन किया जाए।

शोधकर्ताओं ने कहा, शराब की थोड़ी भी मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक है। हल्की मात्रा में भी शराब पीना भी गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

शराब की कम मात्रा भी नुकसानदायक

इससे पहले के कई अध्ययनों और रिपोर्ट्स में कहा जाता रहा था कि थोड़ी मात्रा यानी पुरुषों के लिए प्रतिदिन 20 ग्राम और महिलाओं के लिए प्रतिदिन 10 ग्राम तक शराब का सेवन ज्यादा नुकसानदायक नहीं है। हालांकि इस अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कम मात्रा भी सुरक्षित नहीं है। शराब की कम मात्रा भी कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ाने वाली हो सकती है।

ब्रिटेन में एक लाख से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि ये कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली समस्या हो सकती है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

12 वर्षों तक 60 और उससे अधिक आयु के 135,103 वयस्कों पर शराब के कारण होने वाली समस्याओं को लेकर शोध किया गया। यूनिवर्सिडाड ऑटोनोमा डी मैड्रिड में प्रोफेसर और शोध पत्र के मुख्य लेखक डॉ. रोसारियो ओर्टोला बताते हैं, कम शराब पीना भी सेहत को क्षति पहुंचाने के लिए काफी है। शराब पहली बूंद से ही कैंसर का जोखिम बढ़ाने लगता है।

यहां गौर करने वाली बात है कि वर्तमान अमेरिकी आहार संबंधी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कम शराब पीना नुकसानदायक नहीं है। हालांकि ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका में अत्यधिक शराब पीने से होने वाली मौतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि भी हुई है।

हानिकारक है शराब का सेवन

शराब से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर पहले के कुछ अध्ययनों में भी लोगों को अलर्ट किया जाता रहा है। कैनेडियन सेंटर ऑन सब्सटेंस यूज एंड एडिक्शन ने एक गाइडलाइन जारी करके बताया कि कम मात्रा में शराब का सेवन सेहत के लिए ठीक नहीं है।

अध्ययन के मुताबिक कम शराब पीने वाले वृद्ध वयस्कों में मृत्यु का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। इससे सिर्फ लिवर ही नहीं, हृदय रोग, कैंसर और अन्य जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का भी जोखिम हो सकता है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
गंभीर स्थितियों में डेंगू जानलेवा समस्याओं का भी  बन सकती है कारण

डेस्क:– महाराष्ट्र-दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में मच्छर जनित रोग डेंगू के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में ये बीमारी पिछले वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार साल के पहले सात महीनों में राज्य में डेंगू के केस में 83 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है। इसी तरह से कर्नाटक-केरल सहित कई अन्य राज्यों को भी प्रभावित देखा जा रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को डेंगू के खतरे को लेकर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। गंभीर स्थितियों में डेंगू जानलेवा समस्याओं का भी कारण बन सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी डेंगू का खतरा बढ़ रहा है। बारिश और जलजमाव के कारण मच्छर जनित रोगों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। क्या कहते हैं डॉक्टर्स?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोग मच्छरों से बचाव के उपायों पर गंभीरता से ध्यान दें।  दिल्ली स्थित एक अस्पताल में कंसल्टेंट डॉ दिवाकर सिंह बताते हैं, फिलहाल राजधानी दिल्ली-एनसीआर में डेंगू के मामले नियंत्रित हैं, हालांकि आशंका है कि ये बढ़ सकते हैं।

दिल्ली के कई अस्पतालों में ओपीडी में आ रहे रोगियों में डेंगू का निदान किया जा रहा है। फिलहाल भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या कम है।

डेंगू की जटिलताएं

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया डेंगू की समस्या दो-सात दिनों की होती है, हालांकि गंभीर स्थितियों में इसका जोखिम अधिक हो सकता है। इसके कारण सिरदर्द, रेट्रो-ऑर्बिटल पेन, त्वचा पर दाने होने, रक्तस्राव की समस्या का खतरा हो सकता है। बच्चों में डेंगू आमतौर पर हल्का होता है। वहीं कुछ वयस्कों में ये हड्डियों में गंभीर दर्द के साथ अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती है।

आइए जानते हैं कि किसी को डेंगू हो जाए तो क्या करें-क्या नहीं?

डेंगू हो जाए तो क्या करें?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया डेंगू हो जाने पर कुछ बातों पर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी है।

डेंगू के मामलों में हर घंटे बुखार पर नजर रखी जानी चाहिए। बुखार की जांच करते रहना चाहिए।

बुखार अगर ठीक नहीं हो रहा है तो प्लेटलेट्स की जांच जरूर कराएं। प्लेटलेट्स का शुरुआती निदान के लिए आवश्यक है।

खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें।

दर्द के लिए एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) का उपयोग करें।

इबुप्रोफेन और एस्पिरिन जैसी एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं से बचें।

गंभीर लक्षणों पर नजर रखें और यदि आपको लक्षणों में आराम नहीं मिलता है तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
डेंगू की स्थिति में क्या न करें?

डेंगू बुखार के इलाज के लिए एस्पिरिन या ब्रूफेन न लें।
  • डेंगू के कारण आपकी भूख कम हो सकती है
  • हालांकि आहार का सेवन बंद न करें।
  • नमकीन और मसालेदार भोजन से बचें, इससे निर्जलीकरण और पाचन संबंधी परेशानी बढ़ सकती है।
  • अगर बुखार 2-3 दिनों में ठीक न हो रहा हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें। इलाज में देरी नहीं की जानी चाहिए।

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आईए जानते हैं आप जिस तेल का सेवन करते हैं वो आपके के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक

शरीर को निरोगी रखने के लिए आहार और दिनचर्या दोनों को ठीक रखना बहुत आवश्यक है। इसके लिए भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों-साग, विटामिन्स और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करने की सलाह दी जाती है। पर सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं है, क्योंकि कई अध्ययनों में पाया गया है कि हम खाने के लिए किस तेल का इस्तेमाल करते हैं इसका भी सेहत पर सीधा असर होता है। क्या आप जिस तेल का सेवन करते हैं वो फायदेमंद है?

अगर आप खाना पकाने के लिए स्वस्थ तेल की तलाश में हैं, तो सबसे पहले ध्यान देना जरूरी है कि इसमें स्वस्थ वसा की मात्रा कितनी है? इसके अलावा कहीं इस तेल से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर का खतरा तो नहीं बढ़ेगा?

तेलों का सही चयन क्यों जरूरी है? खाने के लिए स्वस्थ तेल का चयन जरूरी है, क्योंकि ये आपको कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रखने में मददगार हो सकता है।

जब खाना पकाने के तेल को गर्म किया जाता है, तो एक समय पर वे स्मोक पॉइंट पर पहुंच जाते हैं। ये वह तापमान है जिस पर तेल का ब्रेक डाउन होने लग जाता है। इस स्थिति में इसका ऑक्सीकरण शुरू हो जाता है और फ्री रेडिकल्स रिलीज होते हैं। इसके कारण सेलुलर डैमेज होने और कई प्रकार की गंभीर और क्रोनिक बीमारियों के विकसित होने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, स्मोक पॉइंट पर पहुंचने पर तेल एक्रोलिन नामक पदार्थ छोड़ते हैं। एक्रोलिन आपके फेफड़ों के लिए खतरनाक हो सकता है।

कौन सा तेल सेहत के लिए फायदेमंद? कई अध्ययनों में पाया गया है कि खाने के लिए ऑलिव ऑयल को प्रयोग में लाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

ऑलिव ऑयल विटामिन-ई से भरपूर होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है और कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों से बचाने में सहायक है। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट भी पाया जाता है जिसे ओलिक एसिड कहा जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि ओलिक एसिड में एंटी-कैंसर और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि एवोकाडो ऑयल भी सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है। इसमें मौजूद यौगिक मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों को रोकने और लिवर डैमेज के खतरे को कम करने में फायदेमंद है।

इन तेलों से बना लें दूरी

कुछ प्रकार के तेलों को सेहत के लिए नुकसानदायक प्रभावों वाला पाया गया है। अत्यधिक रिफाइन ऑयल को तैयार करने की प्रक्रिया उनके एंटीऑक्सीडेंट और अन्य लाभकारी प्रभावों को कम कर देती है। इस वजह से रिफाइन ऑयल्स का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा उन तेलों से भी बचना चाहिए जिनका स्मोकिंग प्वाइंट काफी कम होता है जैसे फ्लैक्स सीड ऑयल। इन्हें गर्म करने से फ्री रेडिकल्स रिलीज होने का जोखिम अधिक हो सकता है।


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कई देशों में एचआईवी संक्रमण के मामले विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता बढ़ा रही हैं
ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) का संक्रमण एड्स रोग का कारण बनता है। चिकित्सा में आधुनिकता के चलते अब ये बीमारी लाइलाज तो नहीं रही है फिर भी वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में बनी हुई है। कई देशों में एचआईवी संक्रमण के मामले विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता बढ़ा रहे हैं। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिजी में पिछले कुछ ही महीनों में बड़ी संख्या में लोगों को एचआईवी का शिकार पाया गया है। 

फिजी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी करते हुए बताया कि इस साल के पहले छह महीनों में देश में एचआईवी के 552 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा 13 संक्रमितों की मौत भी हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक छह महीनों में रिपोर्ट किए गए नए मामले, पिछले वर्ष 2023 में दर्ज कुल केस से 33% अधिक हैं। 73 प्रतिशत संक्रमितों की उम्र 39 वर्ष से कम है। इसके अलावा नौ प्रतिशत केस 15 से 19 वर्ष की आयु वालों में हैं।

त्रिपुरा में सामने आए थे 800 से अधिक केस

इसी साल जुलाई में भारत में भी एचआईवी संक्रमण ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी थी। त्रिपुरा के स्कूल में बड़ी संख्या में छात्र संक्रमित पाए गए थे। जुलाई के शुरुआती हफ्तों में त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में एचआईवी से 47 छात्रों की मौत हो गई है और 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। कई छात्र देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए त्रिपुरा से बाहर भी चले गए हैं।

त्रिपुरा एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने 220 स्कूलों, 24 कॉलेजों और कुछ विश्वविद्यालयों के छात्रों की पहचान की है जो इंजेक्शन के जरिए नशीली दवाओं का सेवन करते हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए इसे प्रमुख कारण माना जा रहा था।

कैसे फैलता है ये संक्रमण?'

एचआईवी संक्रमण कई कारणों से हो सकता है इसमें असुरक्षित यौन संबंध, दूषित सुई या सिरिंज के इस्तेमाल या संक्रमित व्यक्ति के खून के माध्यम से एक से दूसरे को संक्रमण होना शामिल है। एचआईवी के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है जिससे अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। कुछ महीनों या वर्षों तक बने रहने वाले एचआईवी संक्रमण के कारण एड्स रोग हो सकता है।

बचाव के उपाय जरूरी

एचआईवी/एड्स का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन कुछ दवाइयों से संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। एचआईवी के लिए एंटीवायरल उपचारों ने दुनिया भर में एड्स से होने वाली मौतों को कम किया है। कुछ प्रभावी दवाओं पर अब भी ट्रायल चल रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को संक्रमण के जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने और बचाव को लेकर लगातार प्रयास करते रहने की आवश्यकता है। संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है कि आप सुरक्षित यौन संबंध बनाएं, सुनिश्चित करें कि इंजेक्शन के लिए हर बार साफ और नई सिरिंज का इस्तेमाल करें।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
कर्नाटक की धरती पर ऐसे कई प्रसिद्ध और पवित्र कृष्ण मंदिर हैं ,इन मंदिरों का दर्शन मात्र से भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं


बेंगलुरु कर्नाटक का एक खूबसूरत और प्रमुख शहर है। इस शहर की मेहमान नवाजी लोगों को इस कदर भाती है कि यहां हर दिन हजारों लोग घूमने के लिए पहुंचते हैं।बेंगलुरु सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं, बल्कि कई ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ कई प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहां आपको कई शिव, लक्ष्मी, सूर्य और विष्णु आदि भगवान के प्रसिद्ध मंदिर मिल जाएंगे।

कर्नाटक की धरती पर ऐसे कई प्रसिद्ध और पवित्र कृष्ण मंदिर भी मौजूद हैं, जिनका दर्शन करने देश के हर कोने से भक्त पहुंचते हैं। इन मंदिरों का दर्शन मात्र से भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं।

श्री गोवर्धन रॉक मंदिर बेंगलुरु में स्थित सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन कृष्ण मंदिर का जिक्र होता है, तो कई लोग सबसे पहले श्री गोवर्धन रॉक मंदिर का ही नाम लेते हैं। यहां मंदिर पूर्ण रूप भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिसमें गोवर्धन का दृश्य दिखाया गया है।

श्री गोवर्धन मंदिर एक प्राचीन गुफा के अंदर मौजूद है। मंदिर में स्थापित मूर्ति तक पहुंचने के लिए एक सुरंग से होकर गुजरना पड़ता है। गुफा की दीवारों पर महाभारत के दृश्यों को दर्शाया गया है, जो भक्तों को खूब आकर्षित करता है। भगवान कृष्ण यहां अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाए दिखाई देंगे। जन्माष्टमी के मौके पर यहां शहर के कोने से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

इस्कॉन टेम्पल, राजाजीनगर बेंगलुरु के सबसे पप्रसिद्ध और भव्य कृष्ण मंदिर का जिक्र होता है, तो कई लोग इस्कॉन टेम्पल का नाम जरूर लेते हैं। यह पवित्र मंदिर बेंगलुरु के राजाजीनगर में मौजूद है, जहां हर समय भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं।

इस्कॉन टेम्पल में भगवान कृष्ण राधा के साथ विराजमान है। इस मंदिर परिसर में कृष्ण के अलावा नित्यानंद, चैतन्य महाप्रभु और वेंकटेश्वर आदि के मंदिर हैं। द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर की वास्तुकला भी सैलानियों को खूब आकर्षित करती है। जन्माष्टमी के खास मौके पर यहां देश के हर कोने से भक्त अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं।

राम और राधा कृष्ण मंदिर बेंगलुरु की धरती पर मौजूद राम और राधा कृष्ण मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण भगवान राम के साथ विराजमान है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण और भगवान राम के विराजमान होने के चलते इस मंदिर को देश का एक अनोखा मंदिर भी माना जाता है।

राम और राधा कृष्ण मंदिर परिसर में भगवान हनुमान और कृष्ण के भाई बलराम की मूर्ति भी मौजूद हैं। इस मंदिर में शाम को होने वाला कीर्तन भक्तों को खूब लुभाता है। जन्माष्टमी के मौके पर यहां कीर्तन का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। इस मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों को आकर्षित करती है।

श्री कृष्ण मंदिर, इंदिरानगर बेंगलुरु के इंदिरानगर इलाके में मौजूद श्री कृष्ण मंदिर शहर का एक प्रसिद्ध और पवित्र कृष्ण मंदिर माना जाता है। शहर के बीच में मौजूद होने के चलते यहां हर समय भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं।(रहस्यमयी कृष्ण मंदिर)

श्री कृष्ण मंदिर को जन्माष्टमी के मौके पर लाइटों से सजा दिया जाता है। जन्माष्टमी के मौके पर यहां शहर के हर कोने से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।

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दक्षिण भारत का एक ऐसा कृष्ण मंदिर जहां खिड़की से होता है भगवान का दर्शन

जन्माष्टमी का पावन पर्व आने में बच कुछ ही दिन बचे हुए हैं। जी हां, इस साल 26 अगस्त को पूरे देश में जन्माष्टमी का महापर्व मनाया जाएगा।

जन्माष्टमी के मौके पर कई लोग देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित पवित्र और प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों का दर्शन करने पहुंचते रहते हैं। खासकर, वृन्दावन और द्वाराका में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

दक्षिण भारत के कर्नाटक में भी एक ऐसा कृष्ण मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण को खिड़की के माध्यम से दर्शन किया जाता है।

कर्नाटक में स्थित कृष्ण मंदिर की पौराणिक कथा जानने से पहले आपको यह बता दें कि यह पवित्र मंदिर कर्नाटक के उडुपी में मौजूद है, जिसे कई लोग उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर के नाम से भी जानते हैं। आपको बता दें कि उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से करीब 444 किमी दूर है। इसके अलावा, कर्नाटक से मंगलूरु इस इस मंदिर की दूरी सिर्फ 56 किमी है।

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर का इतिहास

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर कर्नाटक के साथ-साथ पूरे दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का दर्शन करने देश के हर कोने से भक्त पहुंचते रहते हैं

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर का इतिहास

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर का इतिहास करीब 1000 साल पुराना माना जाता है। कई लोगों का मानना है कि इस भव्य मंदिर की स्थापना 13वीं शताब्दी में वैष्‍णव संत श्री माधवाचार्य द्वारा की गई थी।

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर की पौराणिक कथा

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर की पौराणिक कथा काफी दिलचस्प है। किंवदंती के अनुसार के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के एक परम भक्त थे, जिन्हें मूर्ति दर्शन नहीं करने दिया जाता था।

जब भक्त को मूर्ति का दर्शन नहीं करने दिया जा रहा था, तब भक्त ने मंदिर के बाहर प्रार्थना करने लगे। इस भक्ति से खुश होकर भगवान श्रकृष्ण ने दीवार में एक छेद बना दिया, जिसके द्वारा भक्त हर रोज मूर्ति का दर्शन करता था। बाद में जिस स्थान पर छेद था उस स्थान पर खिड़की बना दिया गया। उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर का महत्व

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर को उडुपी श्रीकृष्ण मठ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में मौजूद भक्तों के लिए भी बेहद खास है।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मूर्ति के सामने एक दीपक है, जो पिछले 700 वर्षों से जल रहा है। जन्माष्टमी के मौके पर यहां देश के हर कोने से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन करने पहुंचता है उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।

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कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स ने लोगों को डराना शुरू कर दिया,who ने किया अलर्ट जारी

डेस्क: दुनिया के कई देश इन दिनों खतरनाक मंकीपॉक्स संक्रमण की चपेट में हैं। कई अफ्रीकी देशों में बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। अब इस रोग के मामले एशियाई देशों में भी देखे जा रहे हैं।

हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोसी देश पाकिस्तान में एमपॉक्स के मामले की पुष्टि की गई है। पाकिस्तान में ये इस साल का पहला मामला है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में 34 वर्षीय व्यक्ति सऊदी अरब से लौटा था। परीक्षण में उसका रिपोर्ट पॉजिटिव आया है। इससे पहले पिछले साल पाकिस्तान में तीन लोगों में संक्रमण के मामले सामने आए थे। पाकिस्तान के अलावा स्वीडन में भी गुरुवार को संक्रमण का पहला केस दर्ज किया गया है। कई देशों में बढ़ते एमपॉक्स के खतरे को देखते हुए चीन सरकार भी अलर्ट हो गई है। चीनी कस्टम प्रशासन की ओर से बयान जारी करके बताया गया है कि अगले छह महीनों तक देश में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में एमपॉक्स की निगरानी की जाएगी। गौरतलब है कि पिछले साल चीन में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले बढ़े थे, जिसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने चिंता जाहिर की थी।

कई देशों में बढ़ रहे हैं मामले

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार इस साल अब तक अफ्रीकी देशों में 14,000 से ज्यादा मामले और 524 मौतें दर्ज की गई हैं, जो पिछले साल के आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं। इनमें से 96% से ज्यादा मामले और मौतें अकेले कांगो में हुई हैं।

डब्ल्यूएचओ द्वारा विश्व स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के अगले ही दिन स्वीडन में पहला मामला सामने आया है। संक्रमित व्यक्ति ने हाल ही में अफ्रीका की यात्रा की थी और स्टॉकहोम लौटने पर उसमें संक्रमण की पुष्टि की गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को एमपॉक्स के खतरे को लेकर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया अलर्ट

अफ्रीका सहित कई देशों में बढ़ते संक्रामक रोग के खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी की है। अधिकारियों ने कहा, मंकीपॉक्स का खतरा अब अफ्रीका के बाहर बढ़ता हुआ भी देखा जा रहा है। कांगों में इस खतरनाक संक्रमण के कारण सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। हम स्वीडन और अन्य देशों के साथ चर्चा कर रहा है कि इन मामलों को किस तरह से प्रबंधित किया जा सकता है।

आने वाले हफ्तों में यात्रा से संबंधित मामलों के और बढ़ने की आशंका है। सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है, हालांकि यात्रा को प्रतिबंधित करना या सीमा बंद करने की आवश्यकता नहीं है।

भारत को भी सावधान रहने की सलाह

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मंकीपॉक्स को लेकर भारत को भी सावधान हो जाने की जरूरत है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में संक्रमण रिपोर्ट किए जाने के बाद खतरा और भी बढ़ गया है। कोरोना के दौरान जुलाई 2022 में भारत में पहली बार मंकीपॉक्स का मामला सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2023 में जुलाई के अंत तक, देश में मंकीपॉक्स बीमारी के कुल 27 मामले सामने आए, जिनमें केरल से 12 मामले थे। इस साल अब तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। कैसे फैलता है ये संक्रामक रोग?

एमपॉक्स या मंकीपॉक्स एक अति संक्रामक रोग है। इसमें त्वचा पर बड़े-बड़े छाले होने का साथ लिम्फ नोड्स में सूजन और बुखार की समस्या हो सकती है। संक्रमित जानवर या वायरस से संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से एमपॉक्स फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के घाव, खांसने-छीकनें से निकलने वाली ड्रॉपलेट्ल या अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण हो सकता है। नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।