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बिहार के इस प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी के वीसी पर चला राज भवन का डंडा : पावर सीज, शो-कॉज नोटिस जारी

डेस्क :  बिहार के प्रसिद्ध पाटलीपुत्रा यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पर राज भवन का डंडा चला है। इनके ऊपर आरोप यह है कि इन्होंने प्रिंसिपल बहाली में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की है। इसके बाद अब इस मामले में शो कॉज नोटिस भेजा गया है। इतना ही नहीं राजभवन के तरफ से इन्हें किसी भी  नीतिगत मामलों में निर्णय नहीं लेने का आदेश दिया गया है।

दरअसल, विधानसभा मानसून सत्र के दौरान सदन में यह मामला उठाया गया था कि पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के अंदर संचालित कई कॉलेज में  प्रिंसिपल बहाली में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। इसके बाद अब वीसी डॉक्टर आरके सिंह को यह नोटिस  जारी किया गया है। इसको लेकर सदन में  भाजपा विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने सवाल पूछा था। आरोप लगाया जा रहा है कि कुलपति ने सीनियर प्रोफेसर को दरकिनार करते हुए जूनियर को प्रभारी प्राचार्य बना दिया है।

बताते चलें कि भाजपा विधायक ने यद्यपि यह मामला 23 जुलाई को सदन में उठाया था लेकिन, पिछले 1 साल से कुलपति डॉक्टर आरके सिंह पर आरोप लगाए जा रहे हैं। इस संबंध में राज भवन को और शिक्षा विभाग को सीनेट मेंबर अजय यादव पत्र भेज कर कार्रवाई करने की मांग की थी। उन्होंने यूनिवर्सिटी के सीनेट सिंडिकेट में भी यह मामला राज्यपाल के रहते हुए उठाया था।

अरुण सिन्हा ने सवाल उठाया था कि पटना हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना कई गई। पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर आरके सिंह ने एसडीएम कॉलेज पुनपुन रामकृष्ण द्वारका कॉलेज और बी कॉलेज में सीनियर टीचर के रहते हुए जूनियर को प्रिंसिपल का चार्ज दे दिया। यह भी आरोप लगाया गया था कि बीडी कॉलेज के चार शिक्षक बगैर प्रिंसिपल रहे सिटी अलाउंस कैसे ले रहे हैं ?

इसके बाद यह मामला शिक्षा विभाग को भेजा गया था जहां से हायर एजुकेशन का केस देखते हुए गवर्नर सेक्रेटेरिएट को रेफर कर दिया गया। अब  राज्यपाल के विचारण के बाद नोटिस जारी किया गया है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के प्रधान सचिव ने इस मामले में वीसी को पत्र भेजकर 15 दिनों के भीतर कुलपति से जवाब मांगा है। इसके साथ ही सभी पावर वापस ले लिए हैं।
पटना में गंगा के जलस्तर में हो रही वृद्धि का जायजा लेने पहुंचे सीएम नीतीश कुमार, अधिकारियों को दिए पूरी तैयारी रखने का निर्देश

डेस्क : राजधानी पटना में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बीते गुरुवार को गांधी घाट पर गंगा अपने तल से साढ़े आठ मीटर ऊपर और खतरे के निशान से 25 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। गांधी घाट पर गंगा नदी का जलस्तर सुबह में छह बजे 48.70 मीटर मापा गया है। जबकि खतरे का निशान स्तर 48.60 है। शाम में जलस्तर और बढ़ गया। सैर करने की जगह यानी रिवर फ्रंट पर पानी पहुंच गया है। गंगा में बढ़ते इस जलस्तर से पटना में बाढ़ की संभावना बढ़ गई है।

इधर संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हालात का जायजा लिया और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए हैं। गंगा के बढ़ते जलस्तर की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मरीन ड्राइव पहुंचे और ताजा हालात की जानकारी ली। बाढ़ के खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री ने मौके पर मौजूद पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह समेत अन्य अधिकारियों को एहतियात बरतने को कहा है और जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री अटल पथ होते हुये जेपी गंगा पथ पहुंचे और कंगन घाट तक गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर का जायजा लिया।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान जेपी गंगा पथ के कंगन घाट, काली घाट, गांधी घाट एवं कृष्णा घाट पर रूककर गंगा नदी के आसपास के इलाकों की स्थिति को देखा और अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली। अशोक राजपथ को जेपी गंगा पथ से मिलानेवाले कृष्णा घाट पर निर्माणाधीन पहुंच पथ की भी सीएम ने जानकारी ली और तेजी से निर्माण पूर्ण करने का निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गंगा नदी के किनारे वाले क्षेत्रों में बढ़ते जलस्तर को ध्यान में रखते हुये पूरी तरह अलर्ट रहें और सारी तैयारी पूर्ण रखें।

मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, विकास आयुक्त-सह-जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, जिलाधिकारी चन्द्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा सहित अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।
हैवानियत की सारी हदों को किया पार : 13 वर्षीय बच्ची को 4 बदमाशों ने हवश का बनाया शिकार

डेस्क :  बिहार के दरभंगा जिले से हैवानियत की सारी हदों को पार कर देने वाली घटना सामने आई है। जिले के बड़गांव थाना क्षेत्र के एक गांव में 13 वर्षीया किशोरी के साथ चार बदमाशों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। घटना गत छह अगस्त की बतायी जा रही है।

इस घटना में किशोरी बुरी तरह जख्मी हो गयी। पहले उसे स्थानीय पीएचसी ले जाया गया। वहां से उसे बेहतर इलाज के लिए डीएमसीएच रेफर कर दिया गया।

बड़गांव थाने के दारोगा मिथिलेश कुमार ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पीड़िता घास काटने गई थी। वहीं पर चार बदमाश उसे घसीटकर सुनसान बगीचे में ले गये। वहां सभी ने उसके साथ दुष्कर्म किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

उधर, जख्मी किशोरी के माता-पिता ने बताया कि आरोपित काफी रसूखदार हैं। वे हम लोगों पर लड़की का बयान बदलवाने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। वे लोग अंजाम भुगतने की धमकी भी दे रहे हैं। वहीं, गांव के लोग इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
बड़ी खबर : ईडी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के करीबी के 113 करोड़ की संपत्ति को किया जब्त

डेस्क :  अभी-अभी एक बड़ी खबर सामने आई है। ईडी ने राजद सुप्रीमों लालू यादव के एक बड़े करीबी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने लालू प्रसाद के करीबी की संपत्ति को जब्त कर लिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह रकम काफी छोटी नहीं बल्कि 100 करोड़ से अधिक की है। ईडी ने 113 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है।

प्रवर्तन निदेशालय राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के करीबी अमित कात्याल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। जांच एजेंसी ने अमित कात्याल की गुरुग्राम में 70 एकड़ जमीन और फ्लैट, मुंबई में कुछ आवासीय इकाइयां, दिल्ली में एक फार्महाउस और उनकी रियल्टी कंपनियों की फिक्स डिपोजिट को  एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत जब्त कर ली है।

केंद्रीय एजेंसी की यह जांच टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (डीटीसीपी) से कोई लाइसेंस लिए बिना प्रमोटरों और उनकी कंपनियों द्वारा प्लॉट खरीदारों के पैसे को गैरकानूनी तरीके से इधर-उधर करने से संबंधित है। ईडी ने प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में कहा कि अमित कात्याल, क्रिश रियलटेक प्राइवेट लिमिटेड और ब्रह्मा सिटी प्राइवेट लिमिटेड के मामले में 113.03 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के लिए 6 अगस्त को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया गया था।

गौरतलब है कि  लालू प्रसाद के रेल मंत्री कार्यकाल के दौरान नौकरी के बदले जमीन लिखवाने के मामले की जांच के दौरान ईडी ने अमित कात्याल को पिछले साल गिरफ्तार किया था। अमित कात्याल के खिलाफ कुर्की की यह कार्रवाई फ्लैट खरीदारों के पैसों की हेराफेरी को लेकर दिल्ली-गुरुग्राम में दर्ज केस को लेकर हुई है जो लैंड फॉर जॉब घोटाला से अलग मामला है।
*वक्फ कानून में संशोधन पर तकरार : नेता प्रतिपक्ष ने बताया बीजेपी की सोची-समझी साजिश, सीएम से मिले मंत्री जमा खान और बिहार वक्फबोर्ड के अध्यक्ष*

डेस्क : बीते गुरुवार को केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन बिल पेश किया गया। इस बिल का जहां एनडीए के बड़े सहयोगी जदयू और टीडीपी ने समर्थन किया है। वहीं विपक्ष द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है। इधर इस बिल को लेकर बिहार में भी राजनीति चरम पर है। बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने वक्फ कानून में संशोधन को लेकर भाजपा और सहयोगी दलों पर सीधा हमला बोला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और स्वयं तेजस्वी यादव ने लोकसभा और राज्यसभा के अपने सांसदों को इस बिल का पुरजोर विरोध करने को कहा है। तेजस्वी यादव ने इस बिल को लेकर सीधे-सीधे बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है। तेजस्वी ने कहा है कि भाजपा सोची समझी साजिश के तहत वक्फ कानून में संशोधन ला रही है। जदयू-लोजपा इस ध्रुवीकरण के औजार में सहभागी रहे। राजद ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अनेक मुस्लिम तंजिमों, दानिशवरों और हमारी पार्टी के मुस्लिम लीडर से प्राप्त सुझाव तथा इस मामले पर विचार-विमर्श के बाद विरोध का फैसला लिया है। उन्होंने कहा है कि संविधान की धारा-29 हर धर्म को स्वायत्तता और स्वतंत्रता देती है। उसका सम्मान खारिज करने की हर नीति और नीयत के खिलाफ हम लड़ते रहेंगे। संयुक्त संसदीय समिति में हमारे दल के सदस्य बिंदुवार हर पहलू पर अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। वहीं इस बिल को लेकर बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान और बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मो. ईर्शादुल्लाह तथा बिहार शिया वक्फबोर्ड के अध्यक्ष इर्शाद अली आजाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस दौरान जमा खान ने सीएम से आग्रह किया है कि संशोधन बिल में कौन-कौन से नये प्रावधान किए जा रहे हैं, इसे गंभीरता से देखा जाय। मंत्री ने मुलाकात के बाद बताया कि मुख्यमंत्री ने हमलोगों के आग्रह को गंभीरता से सुना है और कहा है कि अल्पसंख्यकों का अहित किसी भी परिस्थिति में नहीं होगा। पूरे मामले को हम देख रहे हैं। मो. ईर्शादुल्लाह ने कहा कि हमलोगों की मांग थी कि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को समिति के पास भेजा जाना चाहिए। हमलोगों की मांग स्वीकार भी कर ली गयी है। हालांकि जदयू प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा है कि विपक्ष इस मामले पर राजनीतिक रोटी सेंक रहा है। गरीब तबके के तथा जो वंचित लोग हैं उनका उत्थान हो सके, इसी को पूरा करने के लिए यह संशोधन बिल है।
पटना में गंगा के जलस्तर में हो रहा लगातार बढ़ोत्तरी, इन इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराया*

डेस्क : राजधानी पटना में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बीते गुरुवार को गांधी घाट पर गंगा अपने तल से साढ़े आठ मीटर ऊपर और खतरे के निशान से 25 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। गांधी घाट पर गंगा नदी का जलस्तर सुबह में छह बजे 48.70 मीटर मापा गया है। जबकि खतरे का निशान स्तर 48.60 है। शाम में जलस्तर और बढ़ गया। सैर करने की जगह यानी रिवर फ्रंट पर पानी पहुंच गया है। वहीं आज शुक्रवार को सुबह आठ बजे तक गांधी घाट पर गंगा नदी के जलस्तर में 22 सेंटीमीटर बढ़ोतरी की आशंका है। वहीं दीघा घाट और हाथीदह में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है। वहीं गंगा का रौद्र रूप शहर के साथ जिले के ग्रामीण इलाकों में दिखने लगा है। शहर के गांधी घाट पर गंगा खतरे के निशान से लगातार ऊपर बह रही है। वहीं बख्तियारपुर और दानापुर के नीचले इलाके में भी पानी प्रवेश कर गया है। बख्तियारपुर में गंगा के उफान से पांच पंचायतों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है, वहीं दानापुर के निचले हिस्सों में गंगा का पानी पहुंचने से लोग सहम गए हैं। फिलहाल गंगा के जलस्तर में वृद्धि जारी रहने की आशंका जताई गई है। गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि से दियारा क्षेत्र की पांच पंचायतों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। गुरुवार को बाढ़ का पानी दियारे के निचले हिस्सों में प्रवेश कर गया। सैकड़ों एकड़ में लगी मक्का और सब्जी की फसलें डूब गईं। प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। हालात को देखते हुए दियारा क्षेत्र से लोग वहां से सुरक्षित जगहों पर जाने लगे हैं। हालांकि, अब तक जान माल की क्षति की सूचना नहीं है। इस संबंध में सीओ निरंजन सुमन ने बताया कि गंगा के जलस्तर में वृद्धि हुई है पर स्थिति अभी नियंत्रण में है। इधर हरदासपुर दियारा जाने वाली सड़क पर दो फीट पानी आ जाने से आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। वहीं फतुहा के पुरानी चौक से कटैयाघाट के रास्ते रायपुरा स्टेट हाइवे को जाने वाली संपर्क सड़क में कटैयाघाट के पास तेजी से कटाव शुरू हो गया है।
शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षकों के लिए जारी की मार्गदर्शिका, अब यह प्रशिक्षण लेना हुआ अनिवार्य*

डेस्क : बिहार के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने नया मार्गदर्शिका जारी किया है। इसके अनुसार अब सभी शिक्षकों को छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। किसी भी स्कूल में अप्रशिक्षित शिक्षक मिलने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षक शिक्षा संस्थानों में यह प्रशिक्षण प्राप्त करना है। इसे सुनिश्चित कराने का निर्देश शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया है। शिक्षा विभाग ने गुरुवार को ‘शिक्षक मार्गदर्शिका’ जारी करते हुए उक्त निर्देश दिया है। मार्गदर्शिका में शिक्षकों की भूमिका और दायित्व को पांच श्रेणियों में बांटकर उन्हें बताया है कि कौन-कौन से कार्य उन्हें करने हैं। इन श्रेणियों में छात्र स्वरूप, स्कूल प्रबंधन, कक्षा प्रबंधन, छात्र प्रबंधन और अभिभावक प्रबंधन शामिल हैं। इसी क्रम में अपर मुख्य सचिव द्वारा सभी डीईओ को जारी विस्तृत मार्गदर्शिका में कहा गया है कि शिक्षक अपने स्कूल एवं विद्यार्थियों के हित में अपने कर्तव्यों का निर्वहन दृढ़तापूर्वक करें, यह आवश्यक है। विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि के साथ-साथ उनके सामाजिक एवं भावनात्मक व्यवहार को उत्कृष्ट कर उन्हें भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनाना शिक्षक का दायित्व है। नियमित रूप से स्कूल के हेड गर्ल और हेड ब्यॉय का चयन कर सभी विद्यार्थियों को क्रमश बारी-बारी से अवसर दें। स्कूल के सबसे बड़ी कक्षा के विद्यार्थियों में से प्रति सप्ताह किसी एक का चयन करें। सभी विद्यार्थियों को चार समूहों में बांटें और उसका नाम देते हुए उन्हें विभिन्न प्रतियोगिताओं में शामिल करें। पूरे वर्ष चलने वाली इन प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले समूह को वार्षिकोत्सव में पुरस्कृत करें। डॉ. एस सिद्धार्थ ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य सरकार सभी सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने और सभी विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। विद्यार्थियों श्रेष्ठ नागरिक बनाना शिक्षक का दायित्व है। यह सुनिश्चित करें कि अपेक्षाकृत कमजोर विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन करने वाले के साथ अनिवार्य रूप से पहली पंक्ति में बैठे। बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी को उक्त सहपाठी को सहयोग करने का निर्देश दें। मार्गदर्शिका में लिखा गया है कि मध्याह्न भोजन प्रतिदिन तय मेन्यू के अनुसार बच्चों को देना है। किसी विद्यार्थी के कुपोषित पाये जाने पर उसकी पहचान कर वर्ग शिक्षक द्वारा उसके पोषण एवं स्वास्थ्य को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। चिह्नित विद्यार्थी के अल्पाहार और भोजन के साथ उनके पोषण का ब्योरा अभिभावक के साथ रखा जाएगा
पटना पहुंचे केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष पर साधा जमकर निशाना, कहा-वक्फ कानून (संसोधन) बिल 2024 पर साजिश रच रहे विपक्षी

डेस्क : केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान आज पटना पहुंचे। इस दौरान उन्होंने वक्फ कानून (संसोधन) बिल 2024 का विरोध कर रहे विपक्ष पर जमकर निशाना साधा और उसके ऊपर साजिश रचने का आरोप लगाया। 

दरअसल केंद्र सरकार ने आज भारी गहमागहमी के बीच संसद में वक्फ कानून (संसोधन) बिल 2024 को पेश किया। इसको लेकर लोकसभा में विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और इस विधेयक को मुस्लिम विरोधी करार दिया। हालांकि एनडीए में शामिल जेडीयू के साथ-साथ चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी इसका समर्थन किया है और विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह से गलत बताया है।

वहीं आज पटना पहुंचे केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया और उसके ऊपर साजिश रचने का आरोप लगाया। चिराग ने कहा कि विपक्ष के लोगों ने फिर से वही साजिश शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने संविधान खत्म हो जाएगा, आरक्षण खत्म हो जाएगा बोलकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश की थी। 

उन्होंने कहा कि संसद में केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में संसोधन के लिए जो बिल लाया है, उसको लेकर एक बार फिर से भ्रम फैलाने की कोशिश की गई कि यह बिल मुसलमान विरोधी है। कहा गया कि मुसलमानों के हक को छीनने के लिए इस कानून को लाया जा रहा है जबकि अगर इसको पढ़ेंगे तो पता चलेगा की यह वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने की सोंच के साथ इस कानून को लाया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुसलमानों के हक और अधिकारों को और मजबूत करने के लिए ताकि समाज के गरीब मुसलमानों को भी उनका हक मिले इस सोंच के साथ इस बिल को लाया जा रहा था। इसको लेकर किसी के मन में कोई शंका न रहे इसलिए हमलोगों ने सुझाव रखा था कि इसको किसी भी कमेटी के समक्ष भेज दिया जाए ताकि जो भ्रम फैलाया जा रहा है उसको दूर किया जा सके।

चिराग ने कहा कि इस बिल में कई ऐसी बातें हैं जिसका सुझाव विपक्ष जब सत्ता में था उनके द्वारा दिया गया था। उस वक्त ये लोग उसे लागू नहीं कर पाए थे और यह मामला लंबे समय से पेंडिंग पड़ा हुआ था। कई मुस्लिम संगठन भी इसकी समय समय पर पैरवी करते रहे हैं।

सरयू राय को साथ लाकर नीतीश कुमार ने एक तीर से किया दो शिकार, एनडीए में क्या होगा कोई असर !

डेस्क : लंबे समय से अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार ने सरयू राय जैसे कद्दावर नेता को अपने साथ लाकर इस दिशा में बड़ी जीत हासिल की है। या यूं कहे कि सरयू राय को जदयू में शामिल करा उन्होंने एक तीर से दो निशाना साधा है। हालांकि ऐसा नहीं है इससे सिर्फ जदयू या नीतीश कुमार को ही फायदा होना है। जदयू में शामिल होने से कही न कही सरयू राय भी अपना फायदा देख रहे है। वैसे एक बात तय है कि सरयू के जदयू में आने से झारखंड में जदयू की स्थिति निश्चित रुप से मजबूत होगी। हालांकि इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरयू राय के जदयू में आने से क्या एनडीए में कोई दरार पैदा होगा।

*आइए सबसे पहले आपको बताते है सरयू राय के विषय*

झारखंड की राजनीति के चाणक्य से कहे जाने वाले सरयू राय कभी बीजेपी के दिग्गज नेता थे। बिहार से अलग होकर झारखंड के नये राज्य बनने के बाद वहां बीजेपी को एक मजबूत स्थिति में लाने में सरयू राय का बड़ा योगदान रहा। हालांकि जब झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास बने उसके बाद से सरयू राय और रघुवर दास के बीच का मतभेद जगजाहिर है। रघुवर दास के साथ मतभेद होने और बीजेपी में साइड लाइन किए जाने के बाद अपने तीखे तेवर के लिए जाने जानेवाले सरयू राय ने पार्टी से किनारा कर अपनी अलग पार्टी भारतीय जन मोर्चा (भाजमो) बनाया। उसके बाद से वे झारखंड में बीजेपी के धुर विरोधी माने जाते है। एक और खास बात है कि 2019 में रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते हुए सरयू राय ने अपनी जमशेदपुर पश्चिम सीट के बजाय जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़कर उन्हें मात दे दी थी। आज भी इस बात की चर्चा होती है कि 2019 के चुनाव में सरयू राय के स्टैंड की वजह से भाजपा खासकर रघुवर दास के खिलाफ एक नैरेटिव सेट हो गया था,जिसका खामियाजा भाजपा को चुनाव में भुगतना पड़ा था। 

*सरयू राय और जदयू दोनो को फायदा*

वहीं झारखंड विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पॉलिटिकल मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं। वहीं झारखंड में जदयू को एक नेता मिल गया है। चुनाव से पहले उनके इस कदम ने राज्य की राजनीति में कई तरह की चर्चा शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में इसके कई तरह परिणाम देखने को मिल सकते हैं। उनके इस पॉलिटिकल स्टैंड से झारखंड के राजनीतिक समीकरण को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

*क्या बीजेपी-जदयू में हो सकती है अनबन*

झारखंड में दोबारा सत्ता में वापसी के लिए पूरा जी-जान लगाए बीजेपी के लिए निश्चित तौर पर सरयू राय का जदयू के साथ जाना एक बड़ा झटका है। अबतक झारखंड में जदयू का कोई बड़ा चेहरा नहीं होने की वजह से वहां नीतीश कुमार कोई बड़ा दावा नहीं कर पाते थे। लेकिन सरयू राय के पार्टी में शामिल होने के बाद अब जदयू की स्थिति बदल गई है। 

हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जदयू में सरयू राय के शामिल होने से जमशेदपुर पूर्वी सीट से उनका दोबारा चुनाव लड़ना पक्का माना जा रहा है। क्योंकि, लंबे समय से जमशेदपुर पूर्वी सीट पर काबिज रहे रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल बन चुके हैं। ऊपर से केंद्र में मोदी सरकार बनाने में जदयू ने अहम रोल अदा किया है। लिहाजा, सरयू राय की जदयू में वापसी से झारखंड में एनडीए फोल्डर का दायरा बढ़ना तय है। ऐसे में फिलहाल बीजेपी और जदयू के बीच कोई अनबन होने की संभावना कम नजर आ रही है। झारखंड में सत्ता वापसी की कोशिश में जुटी भाजपा का जदयू के साथ तालमेल होता है तो इससे फायदा बीजेपी को ही होगा।
बिहार सरकार का बड़ा फैसला : प्रदेश के सभी मंदिर, मठ और ट्रस्ट का होगा रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
डेस्क : प्रदेश की नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब प्रदेश के सभी मंदिर, मठ और ट्रस्ट को पंजीकृत करना अनिवार्य होगा। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उनके संबंधित क्षेत्रों में अपंजीकृत मंदिर, मठ और ट्रस्ट को पंजीकृत कराएं और उनकी अचल संपत्तियों का ब्यौरा बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (बीएसबीआरटी) को वेबसाइट पर अपलोड की जाए। बीएसबीआरटी राज्य के विधि विभाग यानी लॉ डिपार्टमेंट के अधीन काम करता है।

बिहार सरकार के विधि मंत्री नितिन नवीन ने आज गुरुवार को बताया कि सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि अपंजीकृत मंदिर, मठ और ट्रस्ट प्राथमिकता के आधार पर पंजीकृत हों।" उन्होंने डीएम को यह भी निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि सभी पंजीकृत मंदिरों और मठों की अचल संपत्तियों का ब्यौरा बीएसबीआरटी को वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए तुरंत उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा, "मैंने हाल ही में इस संबंध में सभी डीएम को एक पत्र भेजा है। अभी तक केवल 18 जिलों ने बीएसबीआरटी को डेटा प्रस्तुत किया है।"

मंत्री ने कहा कि बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम 1950 के अनुसार, सभी सार्वजनिक मंदिरों, मठों, ट्रस्टों और धर्मशालाओं को बीएसबीआरटी के साथ पंजीकृत होना चाहिए। राज्य सरकार पंजीकृत मंदिरों, मठों या ट्रस्टों के अवैध संपत्ति लेनदेन में शामिल लोगों के साथ-साथ बीएसबीआरटी के साथ पंजीकरण न कराने वाली अपंजीकृत संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। इन मुद्दों को हल करने के लिए कानून और राजस्व और भूमि सुधार विभागों के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि पंजीकृत और अपंजीकृत दोनों मंदिरों की भूमि सहित संपत्ति को अनधिकृत दावों से बचाने के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। बीएसबीआरटी के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 2,512 अपंजीकृत मंदिर और मठ हैं, जिनके पास 4,321.64 एकड़ जमीन है। राज्य में लगभग 2,499 पंजीकृत मंदिर हैं, जिनके पास सामूहिक रूप से 18,456 एकड़ से अधिक जमीन है।

आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक अपंजीकृत मंदिर और मठ वैशाली (438) में हैं, इसके बाद कैमूर भभुआ (307), पश्चिम चंपारण (273), भागलपुर (191), बेगूसराय (185), सारण (154) और गया (152) हैं। कैमूर भभुआ में 307 अपंजीकृत मंदिर और मठ हैं, जिनके पास लगभग 813 एकड़ जमीन है, जबकि खगड़िया में 100 अपंजीकृत संस्थाएं हैं, जिनके पास 722 एकड़ जमीन है। बांका जिले में 78 अपंजीकृत मंदिर और मठ हैं, जिनके पास लगभग 332 एकड़ जमीन है।