*पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन, 80 साल की उम्र में ली आखिरी सांस
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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य का निधन हो गया है। वह 80 साल के थे और बीते काफी समय से बीमार चल रहे थे।बुद्धदेव भट्टाचार्य को जुलाई महीने के आखिर में सांस की समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भट्टाचार्या ने गुरुवार सुबह करीब 8.20 बजे आखिरी सांस ली। उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, जिसकी वजह से उन्हें जुलाई में अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था। वह काफी समय से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और बुढ़ापे से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित थे।
बुद्धदेव की निधन की खबर उनके बेटे सुचेतन भट्टाचार्य ने गुरुवार सुबह दी।जानकारी के मुताबिक, बुद्धदेव ने सुबह नाश्ता भी किया था। इसके बाद वे अस्वस्थ हुए। सुबह करीब 8.20 बजे पाम एवेन्यू स्थित घर पर ही उन्होंने देह त्याग दिया।
बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया। सुवेंदु ने ट्वीट कर कहा कि बुद्धदेव भट्टाचार्य अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले। इनके अलावा भी कई नेताओं ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया है।
भट्टाचार्य ने लंबे समय तक बंगाल में शासन किया था। बुद्धदेव भट्टाचार्य नवंबर 2000 से मई 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वरिष्ठ वामपंथी नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, पोलित ब्यूरो के पूर्व सदस्य भी थे। 2011 के राज्य चुनावों में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने वामपंथी शासन का अंत किया था। बुद्धदेव भट्टाचार्य की पार्टी के हारते ही बंगाल में 34 साल का कम्युनिस्ट शासन समाप्त हो गया था।
बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह सीपीआई (एम) से जुड़ गए थे। उन्हें सीपीआई की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव बनाया गया थे, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था। अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर वो तेजी से चमके और बंगाली राजनीति के शिखर तक पहुंचे।
Aug 08 2024, 16:00