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राहुल गांधी के शिव बारात वाले बयान पर बोलीं कंगना रनौत, 'ड्रग्स लेते हैं राहुल गांधी’




डेस्क: हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना रनौत ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर अटपटा दावा किया है. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि राहुल गांधी ड्रग्स का कंजम्प्शन करते हैं, उनका टेस्ट होना चाहिए. कंगना ने ये प्रतिक्रिया राहुल गांधी द्वारा संसद में दिए गए शिव बारात वाले बयान पर दी.


कंगना ने कहा, देश में लोकतंत्र है. इसमें प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक तरीके से चुना जाता है. उन्होंने पूछा, क्या लिंग, उम्र, जाति और वर्ग देखकर पीएम को चुना जाता है? कंगना ने कहा, राहुल इस तरह की बातें करके हर रोज संविधान को ठोस पहुंचाते हैं.


बीजेपी सांसद कंगना ने राहुल गांधी पर लोकतंत्र का अपमान करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, क्या अब उम्र और लिंग देखकर पीएम चुना जाएगा? कल वो बोलेंगे कि स्किन कलर से प्रधानमंत्री चुना जाएगा. क्या उनको लोकतंत्र की रिस्पेक्ट नहीं है?


कंगना ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, कल भी संसद में कॉमेडी शो किया गया, उनमें कोई गरिमा नहीं है. कल वो वहां कह रहे थे कि शिव जी की बारात है और ये चक्रव्यूह है. मुझे लगता है कि उनका टेस्ट होना चाहिए कि वो ड्रग्स लेते हैं.


कंगना ने कहा, जिस हालत में वे संसद पहुंचकर बदहवास बातें करते हैं, मैं कल देखकर आश्चर्यचकित हो गई. संसद में उन्होंने कहा कि ये जो कॉम्पटीशन है, ये शिवजी की बारात और चक्रव्यूह में है. क्या इस बात से नहीं लगता कि किसी आदमी का ड्रग्स टेस्ट होना चाहिए? मुझे लगता है कि उनका टेस्ट होना चाहिए, या तो वो शराब के नशे में या ड्रग्स के नशे में थे.


दरअसल, राहुल गांधी ने संसद में बजट पर चर्चा के दौरान महाभारत का जिक्र किया था. राहुल गांधी ने कहा था, हजारों साल पहले अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाकर मारा गया था. वैसा ही चक्रव्यूह अब तैयार किया गया है. इसमें किसानों और युवाओं को फंसाया जा रहा है.
क्या अब प्राइवेट कंपनियों में 14-14 घंटे तक करना होगा काम! ये राज्य सरकार बना रही ऐसी योजना


डेस्क: प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय लोगों को नौकरी का रिजर्वेशन देने के फैसले पर आलोचनाओं का सामना करने के बाद कर्नाटक सरकार अब आईटी कर्मचारियों के वर्किंग ऑवर्स यानी काम करने के घंटे को बढ़ाकर 14 घंटे प्रतिदिन करने की योजना बना रही है, जिसका आईटी क्षेत्र की यूनियनों ने विरोध किया है। बता दें कि अभी कंपनियों में 9-10 घंटे तक काम कराया जाता है।

14 घंटे काम करने का प्रस्ताव

प्रस्तावित नए दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2024, में 14 घंटे के कार्य दिवस को सामान्य बनाने का प्रावधान है। मौजूदा अधिनियम में ओवरटाइम सहित प्रतिदिन अधिकतम 9-10 घंटे काम करने की परमिशन है, जिसे वर्तमान संशोधन में पूरी तरह से हटा देने का प्रस्ताव रखा गया है। मौजूदा अधिनियम में इस संशोधन का प्रस्ताव लेबर डिपार्टमेंट और उद्योग में विभिन्न हितधारकों के बीच हाल ही में बुलाई गई बैठक में पेश किया गया। इस बैठक में कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीइएस कर्मचारी संघ (केआइटीयू) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और श्रम मंत्री संतोष लाड ने सरकार के इस कदम पर अपनी चिंताएं व्यक्त की।


यूनियन ने जताया विरोध

आईटी सेक्टर की यूनियन ने इस कदम के खिलाफ सार्वजनिक रूप से विरोध जताया है और इसे अमानवीय बताया है, जिसका राज्य में 20 लाख कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा के मुताबिक, इससे आईटी और आइटीइएस कंपनियों को काम के दैनिक घंटे अनिश्चित काल तक बढ़ाने में कंपनी मालिकों को सुविधा हो जाएगी, यह संशोधन कंपनियों को वर्तमान में मौजूद तीन शिफ्ट सिस्टम के बजाय दो शिफ्ट सिस्टम अपनाने की अनुमति देगा, जिसके चलते एक तिहाई कर्मचारियों को उनके रोजगार से बाहर करने का मौका मिल जाएगा। IT कर्मचारी यूनियन ने ये भी कहा कि बढ़े हुए वर्किंग हॉवर्स के चलते IT कर्मचारियों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा। KITU ने प्रेस रिलीज भी इसके लिए जारी किया।


किया दोबार विचार करने का आग्रह

KITU ने प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया कि कर्नाटक सरकार अपने कॉर्पोरेट मालिकों को खुश करने की अपनी भूख में, किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार, जीने के अधिकार की पूरी तरह से उपेक्षा कर रही है। यह संशोधन दिखा रहा है कि कर्नाटक सरकार कामगारों को मनुष्य मानने के लिए तैयार नहीं है, सरकार का यह प्रयास उनके सोशल और पर्सनल लाइफ से समझौता करने जैसा है। कर्नाटक राज्य आईटी, आईटीइएस कर्मचारी संघ ने सरकार से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि संशोधन के साथ जाने का कोई भी प्रयास कर्नाटक में आईटी, आईटीइएस क्षेत्र में काम करने वाले 2 मिलियन कर्मचारियों के लिए एक खुली चुनौती होगी।

कर्मचारियों से की एकजुट होने की अपील

आगे कहा गया है कि, केआइटीयू सभी आईटी/आईटीइएस क्षेत्र के कर्मचारियों से एकजुट होने और हम पर गुलामी थोपने के इस अमानवीय प्रयास का विरोध करने के लिए आगे आने का आह्वान करता है।साथ ही श्रम मंत्री ने कोई भी निर्णय लेने से पहले एक और दौर की चर्चा करने पर सहमति जताई, लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने कहा कि ये सरकार की पहल नहीं है बल्कि IT और ITES कंपनी के मालिकों के दबाव के चलते ही सरकार को इस बारे में सोचना पड़ रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि यूनियन के विरोध की हालत में IT कंपनियों से जुड़ी हस्तियों और उनके मालिकों को यूनियन से बात करने की पहल करनी चाहिए।

डिप्टी सीएम ने कही ये बात

इस पर सरकार की ओर से डिप्टी सीएम डी.के.शिवकुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के हिसाब से फैसले लिए जाएंगे और अंतिम फैसले से पहले सभी पक्षों से बात की जाएगी। वहीं, BJP के प्रदेश अध्यक्ष B.Y. विजेन्द्र ने आरोप लगाया कि सरकार सभी पक्षों की राय लिए बिना, एक तरफा फैसला कर रही है जिसके चलते लोगों में नाराजगी है, सरकार को ऐसा कोई फैसला लेने से पहले सभी को विश्वास में लेना होगा।
नंदयाल बलात्कार: चौंकाने वाली बातें आई सामने, तीन बच्चों ने YouTube वीडियो देखकर किया बलात्कार, नाबालिग लड़की को पत्थर से बांधकर नदी में फेंका 

डेस्क: आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई। यहां के पगिडयाला मंडल के मुचुमरी गांव में तीन स्कूली नाबालिग लड़कों ने आठ साल की बच्ची के साथ गैंग रेप किया। इतना ही नहीं बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद उसकी निर्मम हत्या भी कर दी गई। घटना रविवार को हुई, लेकिन बुधवार को मामले का खुलासा तब हुआ, जब पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लिया। लड़की तीसरी कक्षा की छात्रा थी, जबकि दो आरोपी (12 साल) छठी कक्षा के छात्र हैं और एक छात्र (13 साल) सातवीं कक्षा का छात्र है। लड़की और आरोपी एक ही स्कूल के थे।

नांदीकोटकुर पुलिस के अनुसार, नाबालिग लड़की के पिता ने रविवार को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी पास के मुचुमरी पार्क में खेल रही थी लेकिन अचानक लापता हो गई। उन्होंने उसके हर जगह ढूंढा लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। शिकायत के बाद पुलिस ने मुचुमरी में हर जगह तलाश की और स्थानीय लोगों से जानकारी के लिए पूछताछ की, लेकिन लड़की नहीं मिली।

ऐसे आरोपियों तक पहुंची पुलिस

पुलिस ने मौके पर डॉग स्क्वायड को भी कार्रवाई के लिए बुलाया। खोजी कुत्तों के दिए गए सुरागों के जरिए पुलिस को तीन नाबालिग लड़कों तक पहुंचने में मदद मिली। कुत्ता न केवल पुलिस को अपराध स्थल तक ले गया, बल्कि आरोपियों के घरों पर भी रुका।

इस तरह बच्ची को ले गए साथ

शुरुआती जांच के बाद नाबालिग लड़कों को हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ करने पर लड़कों ने कथित तौर पर बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या करने की बात कबूल की। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि बच्ची की हत्या करने के बाद उन्होंने अपना अपराध छिपाने के लिए शव को सिंचाई नहर में फेंक दिया। तीनों लड़कों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने बच्ची को मुचुमरी पार्क के पास खेलते हुए देखा था। 

चूंकि वह उनके स्कूल में पढ़ती थी इसलिए उन्हें चेहरे से पहचानती थी। लड़कों ने उसे अपने साथ खेलने के लिए राजी किया। लुकाछिपी के खेल के बहाने तीनों बच्ची को मुचुमरी सिंचाई परियोजना के पास एक सुनसान जगह पर ले गए। जानकारी के अनुसर यौन अपराध एक मंदिर में हुआ। तीन बच्चों ने YouTube वीडियो देखकर बलात्कार किया। 

रेप के बाद डरे और फिर रची हत्या की साजिश

इस दौरान बच्ची बेसुध हो गई। तीनों डर गए कि अगर बच्ची ने अपने माता-पिता से बलात्कार के बारे में शिकायत की तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है क्योंकि वह उन्हें पहचानती है। अपराध को छुपाने के लिए आरोपी के माता-पिता ने नाबालिग लड़की को पत्थर से बांधकर नदी में फेंक दिया.

तीन दिन तक तलाशती रही पुलिस

घटनास्थल पर कोई मौजूद नहीं था, लेकिन पुलिस ने कहा कि उन्होंने खोजी कुत्ते के दिए गए सुरागों के आधार पर मामले को सुलझा लिया। पिछले तीन दिनों से पुलिस और बच्ची के माता-पिता बच्ची की तलाश कर रहे थे, लेकिन आरोपी अपने नियमित कार्यक्रम में लगे रहे, जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। 

नहर में तलाशी जा रही लाश

पुलिस अभी तक लड़की के शव का पता नहीं लगा पाई है। नहर में पानी का स्तर बहुत गहरा है और यह स्पष्ट नहीं है कि मॉनसून की बारिश के कारण शव बहकर दूर चला गया या नहीं। शव को बाहर निकालने के लिए नहर के किनारे-किनारे तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है।

ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की ट्रेनिंग रद्द: ऑफिसर पर नाम बदलने, दिव्यांगता और OBC आरक्षण कोटे का दुरुपयोग और मेडिकल टेस्ट न देने के सहित कई आरोप




डेस्क: विवादों में फंसी महाराष्ट्र कैडर की IAS ऑफिसर पूजा खेडकर की ट्रेनिंग को मंगलवार (16 जुलाई) को रद्द किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें कार्यमुक्त किया है। पूजा खेडकर को वापस उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी बुलाया गया है। उन्हें 23 जुलाई तक रिपोर्ट करने का कहा गया है। जांच पूरा होने तक वे एकेडमी में ही रहेंगी।


इससे पहले पूजा खेडकर की ट्रेनिंग को एक हफ्ते के लिए रोका गया था। पूजा को 15 से 19 जुलाई तक अकोला में आदिवासी विकास परियोजना में प्रशिक्षु के रूप में शामिल होना था, लेकिन वाशिम जिला अधिकारी ने इस पर रोक लगाई थी। पूजा के दिव्यांग और OBC सर्टिफिकेट की पुलिस जांच हो रही है। सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर से भी पूछताछ हुई है।

पूजा की UPSC में गड़बड़ी के मामले और भी खुलासे हुए हैं। सामने आया है कि पूजा ने UPSC के अटेम्प्ट बढ़ाने के लिए अपने नाम और उम्र में बदलाव किया था। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) में पूजा की तरफ से लगाए गए 2020 और 2023 के दो आवेदनों में पूजा के अलग-अलग नाम हैं।

पूजा ने 2020 के आवेदन में अपना नाम 'खेडकर पूजा दिलीपराव' और उम्र 30 साल बताई थी। वहीं, 2023 में CAT के आवेदन में उन्होंने अपना नाम 'पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर' और उम्र 31 साल बताई। सवाल उठाया जा रहा है कि तीन साल के अंतराल में उनकी उम्र एक ही साल कैसे बढ़ सकती है।

जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट को 6 बार परीक्षा देने की अनुमति

दरअसल, UPSC में जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट को 32 साल की उम्र तक 6 बार परीक्षा देने की अनुमति होती है। वहीं OBC कैटेगरी का अभ्यर्थी 35 साल तक 9 बार परीक्षा दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक, पूजा ने कुल 11 बार सिविल सर्विसेस की परीक्षा दी हैं।

पूजा पर दिव्यांगता और OBC आरक्षण कोटे का दुरुपयोग करके भारतीय प्रशासनिक सेवा (UPSC) में सिलेक्शन पाने का आरोप है। विवाद बढ़ने के बाद उन्हें पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया था।

पूजा ने देर रात पुलिस को बुलाया


वाशिम पुलिस ने बताया कि 3 महिला कॉन्स्टेबल सोमवार देर रात पूजा के घर गई थीं। पूजा ने ही पुलिस को फोन कर कहा था कि वह कुछ जानकारी शेयर करना चाहती है। महिला कॉन्स्टेबल रात 11 बजे पूजा के केबिन में गई थीं, वे यहां से 1 बजे लौटीं। हालांकि अभी यह खुलासा नहीं हुआ है कि पूजा और पुलिस के बीच 3 घंटे तक क्या चर्चा हुई।

पूजा ने विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए 2 आवेदन दिए, 1 खारिज हुआ

ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर ने दो बार विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। पुणे के औंध अस्पताल ने उनका आवेदन खारिज कर दिया था। औंध अस्पताल ने पूजा के आवेदन के जवाब में कहा, 'आपने 23 अगस्त 2022 को विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। आपकी ओर से बताई गई बीमारी लोकोमोटर विकलांगता की मेडिकल टीम ने 11 अक्टूबर 2022 को जांच की थी।

टीम ने रिपोर्ट के आधार पर आपके दावे को उचित नहीं माना। आपके पक्ष में विकलांगता सर्टिफिकेट जारी करना संभव नहीं है। लोकोमीटर विकलांगता हड्डियों या मांसपेशियों को प्रभावित करती है, जिसके कारण हाथ-पैर के मूवमेंट में परेशानी हो सकती है।' इसके बाद उन्होंने पिंपरी-चिंचवड के गवर्नमेंट अस्पताल में विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।

2 हफ्ते में कमेटी रिपोर्ट पेश करेगी


केंद्र ने 11 जुलाई को विवादों में घिरी ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी को वेरिफाई करने के लिए सिंगल मेंबर कमेटी का गठन किया है। केंद्र ने एक बयान में कहा कि यह जांच एडिशनल सेक्रेटरी रैंक के अफसर कर रहे हैं। इसका मकसद 2023 बैच की अधिकारी खेडकर की उम्मीदवारी के दावों और अन्य डिटेल को वेरिफाई करना होगा। समिति अपनी रिपोर्ट दो हफ्तों में पेश करेगी।

पूजा से जब उनकी जांच के लिए गठित कमेटी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पूजा ने कहा, 'मुझे इस पर कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है। मैं कमेटी के सामने अपना पक्ष रखूंगी।'

पूजा ने UPSC को बताया- मानसिक रूप से अक्षम हूं

पूजा ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को दिए एक हलफनामे में दावा किया है कि वह मानसिक रूप से अक्षम हैं और उन्हें देखने में भी दिक्कत होती है। पूजा ने मेडिकल टेस्ट देने से 6 बार मना किया था, जबकि मेडिकल टेस्ट देना जरूरी होता है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा का पहला मेडिकल टेस्ट दिल्ली AIIMS में अप्रैल 2022 में शेड्यूल हुआ था। उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का हवाला देकर इसमें शामिल होने से मना कर दिया था। हालांकि यह साफ नहीं हुआ है कि जब पूजा ने एग्जाम में शामिल होने से मना कर दिया था तो फिर सिलेक्शन क्यों और कैसे हुआ?


करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हैं पूजा


पूजा ने साल 2023 में जॉइनिंग से पहले सरकार को दिए अपनी अचल संपत्ति के ब्योरे में बताया कि उन्होंने 2015 में पुणे के म्हालुंगे में 2 प्लॉट खरीदे। इसमें उन्होंने एक प्लॉट 42 लाख 25 हजार रुपए और दूसरा प्लॉट 43 लाख 50 हजार रुपए में खरीदा। अभी दोनों प्लॉट की मार्केट वैल्यू 6 से 8 करोड़ रुपए के बीच है।

पूजा ने 2018 में पुणे के धनेरी इलाके में 20 लाख 79 हजार रुपए में 4.74 हेक्टेयर जमीन खरीदी। इसकी मौजूदा कीमत 3 से 4 करोड़ रुपए है। पूजा ने 2020 में 44 लाख 90 हजार रुपए में केंधवा में 724 स्क्वायर फीट का एक फ्लैट खरीदा, जिसकी कीमत अभी 75 लाख रुपए है।

जिस ऑडी में घूमती हैं, उस पर 26 हजार का चालान बकाया

पूजा खेडकर की VIP नंबर वाली सफेद रंग की ऑडी कार की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा खेडकर अपनी पोस्टिंग के दौरान जिस ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का स्टिकर लगाकर घूमती थीं, उस पर 26 हजार रुपए का जुर्माना बकाया है।

2022 से अब तक तेज गति से गाड़ी चलाने, सिग्नल तोड़ने और पुलिस के पूछने पर रुकने से इनकार करने जैसे ट्रैफिक रूल्स तोड़ने को लेकर ऑडी के 21 चालान पेंडिंग हैं। ऑडी कार एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड है।

RTO ने इंजीनियरिंग कंपनी को नोटिस जारी किया है। RTO के एक अधिकारी ने 12 जुलाई को बताया कि पुणे RTO ने पुणे स्थित एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को नोटिस जारी किया है, जिसके नाम पर MH-12/AR-7000 नंबर वाली ऑडी रजिस्टर्ड है। नोटिस में कंपनी को जांच के लिए ऑडी कार को तुरंत RTO में पेश करने के लिए कहा गया है।

पूजा की मां फरार, किसानों को पिस्तौल लहराकर धमकाया था

पूजा खेडकर के माता-पिता फरार हैं। पुलिस ने सोमवार (15 जुलाई) को कहा- उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपना फोन बंद कर दिया है। पुलिस ने कहा- हम बानेर रोड पर स्थित उनके बंगले पर कल और आज दो बार गए थे, वे दोनों बार हमें नहीं मिले। एक बार जब हम उन्हें ढूंढ लेंगे, तो जांच बैठा दी जाएगी और कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।

दरअसल, पूजा की मां मनोरमा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे पिस्तौल से किसानों को धमकाती हुई नजर आ रही थीं। घटना पुणे के मुलशी तालुका के धडावली गांव की है, जहां पूजा के पिता दिलीप खेडकर ने जमीन खरीदी थी। पूजा की मां और पिता पर इसी मामले में केस दर्ज है।

दावा- पूजा की मां ने जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी

मनोरमा खेडकर के साथ सिक्योरिटी गार्ड्स भी थे। मनोरमा किसानों को डराती-धमकाती नजर आईं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि खेडकर परिवार ने बाउंसर की मदद से पड़ोसी किसानों की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की और उनको धमकाया। किसान कुलदीप पासलकर ने दावा किया कि मनोरमा जबरदस्ती उनकी जमीन हड़पने की कोशिश कर रही हैं।

वीडियो के वायरल होने के बाद 13 जुलाई को पूजा की मां मनोरमा और पिता दिलीप समेत 7 लोगों के खिलाफ पौड पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने बताया कि FIR में आर्म्स एक्ट के चार्ज भी शामिल किए गए हैं।

हालांकि पुणे पुलिस के सुपरिंटेंडेंट पंकज देशमुख ने 12 जुलाई को बताया था कि यह घटना पिछले साल 5 जून धडावली गांव में हुई थी। तब किसानों की तरफ से शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन शिकायत में पिस्तौल का जिक्र नहीं था। पुणे पुलिस ने कहा- हम जांच कर रहे हैं कि मनोरमा के पास पिस्तौल का लाइसेंस है या नहीं।

‘हिंदुस्तान में रहना है, या हुसैन कहना है...' यूपी के अमेठी में मुहर्रम के जुलूस में लगे विवादित नारे
डेस्क : उत्तर प्रदेश के अमेठी में मुहर्रम के जुलूस के दौरान आपत्तिजनक नारेबाजी करने का मामला सामने आया है. जिसके बाद विवाद हो गया है. जनपद के मुसाफिरखाना कोतवाली के ठीक सामने रविवार की शाम मोहर्रम के जुलूस में शामिल कुछ युवकों ने आपत्तिजनक नारेबाजी की, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 302 और 35(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. इस मामले में अब तक छह को गिरफ्तार किया गया है.इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में कई युवकों में मुहर्रम के जुलूस में काले कुर्ते में देखा जा सकता है. जिसमें ये युवक विवादित नारेबाजी करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस घटना के बाद इलाके में तनाव हैं. वहीं पुलिस ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस का कहना है कि वीडियो की जांच की जा रही है. मुहर्रम के जुलूस से पहले विवादित नारेबाजी बताया जा रहा है कि मुहर्रम से पूर्व अमेठी में रविवार की शाम को मुसाफिरखाना तहसील एवं कस्बे में मुस्लिम समुदाय के युवकों द्वारा जुलूस निकाला गया था. इस जुलूस में अमेठी पुलिस के जवान भी मौजूद थे. जैसे ही मुसाफिरखाना कोतवाली के सामने जुलूस पहुंचा जुलूस में मौजूद युवकों के द्वारा आपत्तिजनक नारेबाजी की जाने लगी.पुलिस ने विवादित नारेबाजी करने के आरोप में अब तक 6 लड़कों को गिरफ्तार भी किया गया है. पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है. पुलिस के अनुसार वीडियो में दिख रहे और गिरफ्तार किए गए ज्यादातर बच्चे नाबालिग हैं. उनसे पूछताछ की जा रही हैं. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसके बाद हंगामा मच गया है. मौनी जी महाराज ने की कार्रवाई की मांग वहीं स्वामी परमहंस आश्रम सगरा बाबूगंज के पीठाधीश्वर मौनी जी महाराज ने इस मामले को सज्ञान में लेने और कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि कोतवाली मुसाफिरखाना के सामने मुख्य मार्ग पर धमकीदार नारे लगाए जाते रहे. ऐसी स्थिति में पूरे समाज में अत्यंत भय उत्पन्न हो रहा है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और जिला प्रशासन से तत्काल कार्यवाही की मांग करता हूं. इस तरह से आतंकवादी सोच के लोगों का संगठन हिंदुस्तान के लोगों पर अपनी छाप डालता जा रहा है. इनकी जड़ें पाकिस्तान तक फैली है, यह हिंदुस्तान में रहकर इस तरह की सांप्रदायिक दंगे की शुरुआत करना चाहते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप के अलावा किन नेताओं पर हो चुका है अब तक जानलेवा हमला, कई ने गंवाई जान
डेस्क: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति एवं रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर पेनसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान हमला किया गया। ट्रंप फायरिंग की इस घटना में घायल जरूर हुए हैं लेकिन वह पूरी तरह सुरक्षित हैं। हमलावर को मार गिराया गया है। ट्रंप पर हुए इस जानलेवा हमले के बाद दुनिया भर से रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। इस बीच आपको बता दें कि दुनिया के किसी चर्चित नेता पर होने वाला यह कोई पहला हमला नहीं है। इससे पहले भी अलग-अलग देशों के बड़े नेताओं यहां तक की प्रधानमंत्री पर भी जानलेवा हमला हो चुका है। तो चलिए आपको ऐसे ही कुछ नेताओं के नाम बताते हैं जिनपर जानलेवा हमले हुए हैं। 
जॉन एफ कैनेडी की हत्या 
जानलेवा हमला अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुआ तो बात सबसे पहले अमेरिका की ही करते हैं। अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति रहे जॉन एफ कैनेडी की 22 नवंबर 1963 को हत्या कर दी गई थी। जिस समय कैनेडी पर हमला हुआ था उस दौरान वह अपनी ओपन कार में बैठकर कहीं जा रहे थे। इसी दौरान हमलावर ने उन पर कई राउंड की फायरिंग की थी जिसमें उनकी मौत हो गई थी। 
हमले में हुई थी जापान के PM की मौत 
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर 8 जुलाई 2022 को जानलेवा हुआ था। इस हमले में आबे की मौत हो गई थी। आबे को हमलावर ने उस वक्त अपना निशाना बनाया था जब वो नारा शहर में एक रैली को संबोधित कर रहे थे।  
स्लोवाकिया के PM पर हुआ था जानलेवा हमला 

इसी साल मई में स्लोवाकिया के पीएम रॉबर्ट फिको पर जानलेवा हमला हुआ था। हमलावर ने फिको पर कई राउंड की फायरिंग की थी जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। फिको पर यह हमला उस वक्त हुआ जब वह एक सांस्कृतिक सामुदायिक केंद्र में सरकारी बैठक खत्म करने के बाद लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। 
पाकिस्तान में हुई थी बेनजीर भुट्टो की भी हत्या 

पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की भी 27 दिसंबर 2007 को हत्या कर दी गई थी। भुट्टो पर हमला उस वक्त हुआ था जब वो पाकिस्तान के रावलपिंडी में चुनावी प्रचार कर रही थीं। इसी दौरान हमलावर उनके पास आया और उन्हें गोली मार दी।  
इंदिरा गांधी की हत्या भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या उनके ही बॉडी गार्ड्स ने 31 अक्टूबर 1984 को कर दी थी। हत्याकांड को अंजाम देने वाले हमलावर ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे। 
राधिका मर्चेंट ने शादी में पहनी बड़ी बहन की ज्वेलरी, बेहद खूबसूरत लुक में दिखी अंबानी परिवार की छोटी बहू, देखें तस्वीरें


डेस्क: राधिका मर्चेंट शादी के बाद भी अपने लुक्स को लेकर खूब चर्चा में बनी हुई हैं। शादी के दिन अंबानी परिवार की छोटी बहू पारंपरिक गुजराती लुक में बेहद खूबसूरत नजर आईं। अपने खास दिन को और भी खास बनाने के लिए राधिका ने डिजाइनर अबु जानी और संदीप खोसला का गुजराती स्टाइल घाघरा पहना।


राधिका मर्चेंट के लुक्स के अलावा उनकी ज्वेलरी भी बेहद खास है जिन्होंने लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचा। बता दें कि सोनम कपूर की बहन रिया कपूर ने ब्राइड की ये खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, जिसमें राधिका अपने वेडिंग लुक में बला की खूबसूरत लग रही हैं।


रिया कपूर ने राधिका मर्चेंट की ये तस्वीरें शेयर करते हुए उनके ब्राइडल लहंगे कुछ जानकारी भी शेयर की हैं। राधिका के घाघरा को आइवरी जरदोजी कट-वर्क के साथ बनाया गया है, जिसमें नक्शी, जरदोजी की हैंडएम्ब्रॉइडरी की गई है। सिर्फ इतना ही नहीं, इसमें खूबसूरत फ्लोरल बूटी भी लगी हैं।


राधिका मर्चेंट ने अपनी शादी में जो ज्वेलरी पहनी है, उसकी वजह से वह लाइमलाइट में बनी हुई हैं। राधिका इन तस्वीरों में जो ज्वेलरी पहने दिख रही हैं वह उनके पारिवारिक आभूषण है। इस ज्वेलरी को पहले उनकी नानी, फिर मां और बहन ने पहना था और अब इसे अनंत की दुल्हन ने अपनी शादी में पहना है।


राधिका मर्चेंट के पोल्की ज्वेलरी में एक बड़े डायमंड एंड एमराल्ड नेकपीस, एक चोकर, मैचिंग इयररिंग्स और एक मांग टीका शामिल था। बता दें कि राधिका ने जो कुंदन का चोकर, मांगटीका, हाथफूल और इयरिंग्स पहने, वो उनकी बहन अंजलि मर्चेंट ने अपनी शादी पर पहना था। राधिका मर्चेंट अब ऑफिशियली मिसेज अनंत अंबानी बन चुकी हैं। उनकी शादी से जुड़े हर फंक्शन ने खूब चर्चा बटोरीं। दुल्हन के रूप में राधिका किसी अप्सरा से कम नहीं लगीं। उनका हर लुक लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। खास बात तो ये हैं कि जितनी खूबसूरत वो वेडिंग आउटफिट में लग रही थीं। उनती ही वो विदाई वाले आउटफिट में भी नजर आईं।
अनंत अंबानी की शादी से पहले क्यों करवाई गई शिव-शक्ति पूजा? जानें इसका महत्व

डेस्क: भगवान शिव और देवी पार्वती को एक दूसरे का पूरक माना जाता है। इसीलिए अर्धनारीश्वर रूप में भी इनकी पूजा की जाती है। साथ ही एक साथ शिव-पार्वती की पूजा को शिव-शक्ति पूजन के नाम से भी जाना जाता है। शिव-शक्ति पूजन की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। अंबानी परिवार ने अपने घर एंटीलिया में अनंत अंबानी की शादी से पहले इसी शिव-शक्ति पूजा का आयोजन किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शिव-शक्ति पूजन का क्या महत्व है, क्यों ये पूजा की जाती है? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

शिव-शक्ति कौन हैं?

शास्त्रों के अनुसार शिव इस सृष्टि के नियंता यानि नियंत्रण करने वाले हैं। वहीं माता पार्वती वह शक्ति हैं जिसके द्वारा शिव सृष्टि को नियंत्रित करते हैं, इसलिए माता पार्वती को शक्ति कहा जाता है। शिव-शक्ति मिलकर इस जगत को संतुलन में रखते हैं। इन दोनों के मिलन से ही परम तत्व का सर्जन होता है। परमात्मा शिव रूप में जगत पिता हैं और शक्ति के रूप में माता। शिव-शक्ति के संयुक्त रूप को हम अर्धनारीश्वर कहते हैं। इसीलिए शिव-शक्ति पूजन को बेहद शुभ फलदायक माना जाता है।

शिव-शक्ति पूजा का महत्व

भगवान शिव और माता पार्वती का संबंध जन्मों-जन्मों का है। माता पार्वती ने हर रूप में भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की है और उन्हें वर के रूप में पाया है। इसीलिए विवाह से पूर्व वर-वधू शिव-शक्ति की पूजा करते हैं ताकि उनका रिश्ता भी शिव-पार्वती की तरह अटूट रहे। जैसा प्रेम शिव-पार्वती के बीच है वैसा ही प्रेम वर-वधु में हमेशा बना रहे इसलिए भी शिव-शक्ति पूजन करवाया जाता है। माना जाता है कि माता लक्ष्मी जब सीता के रूप में धरती पर आयीं तो उन्होंने भी शादी से पूर्व शिव-शक्ति पूजन किया था। इसके साथ ही महाभारत काल में सुभद्रा ने अर्जुन को वर रूप में पाने के लिए भी शिव-शक्ति का पूजन किया था। यानि शिव-शक्ति की आराधना करने की परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है। खासकर सफल विवाह या योग्य वर-वधु की कामना के साथ यह पूजा की जाती है। शिव-शक्ति पूजा के महत्व को देखते हुए कई लोग विवाह से पूर्व शिव-शक्ति पूजन करवाते हैं।

शिव शक्ति पूजन के हैं ये भी हैं लाभ

विवाह से पूर्व शिव-शक्ति पूजने से लाभ मिलता है, लेकिन इसके अलावा कई अन्य लाभ भी इस पूजा से आपको मिलते हैं।

शिव-शक्ति पूजन के बाद आपको भय और रोग से मुक्ति मिलती है।

शिव-शक्ति की पूजा करने से घऱ परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

आपकी आर्थिक स्थिति में भी शिव शक्ति पूजन से सुधार होता है।

मानसिक रूप से इस पूजा के बाद आपमें अच्छे बदलाव देखने को मिलते हैं।
लद्दाख की बर्फीली खाई में दबे थे 3 सैनिकों के शव, सेना ने 9 महीने बाद ढूंढ़ निकाला, जानें पूरी घटना


डेस्क: पिछले साल अक्टूबर में लद्दाख में 38 भारतीय सैनिक हिमस्खलन में फंस गए थे। हादसे के बाद सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में कई सैनिकों को बचा लिया गया था। उस घटना में एक सैनिक का शव मिला था, लेकिन 3 अन्य सैनिकों का कुछ पता नहीं चल सका था। अब घटना के करीब 9 महीने बाद इन 3 सैनिकों के शव मिले हैं। इनकी पहचान हवलदार रोहित, हवलदार ठाकुर बहादुर अले और नायक गौतम राजवंशी के रूप में की गई है। तीनों जवानों के शव बर्फीली खाई के इलाके में बर्फ की परतों के नीचे दबे थे।

‘9 दिनों तक रोजाना 10 से 12 घंटे हुई खुदाई’


बता दें कि घटना के समय लापता हुए तीनों सैनिक का पता लगाने के लिए विशेष राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया गया था। लेकिन, तब इस अभियान में कामयाबी नहीं मिल सकी थी। अब करीब 9 महीने बाद बर्फ में से तीनों सैनिकों के शव ढूंढ निकाले गए हैं। सेना के इस मिशन का नेतृत्व हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने किया। इस मिशन में शामिल रहे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, यह ऑपरेशन उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण मिशन था। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक करीब 18,700 फीट की ऊंचाई पर 9 दिन तक लगातार जटिल परिस्थितियों में 10 से 12 घंटे खुदाई की गई।


‘ऑपरेशन के दौरान कई टन बर्फ हटाई गई’


सैन्य अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कई टन बर्फ हटाई गई और इस दौरान कठिन मौसम शारीरिक और मानसिक चुनौती दे रहा था। भारी कठिनाइयों के बावजूद सेना ने अपने इस मिशन में कामयाबी हासिल की और तीनों लापता जवानों के शव ढूंढ लिए गए। 3 सैनिकों में से एक का शव उनके परिजनों को सौंप दिया गया। किन्नौर जिले के शहीद जवान रोहित की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव तरांडा लाई गई जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बाकी के दो जवानों के शव भी पूरे सम्मान के साथ उनके घर भेजे जा रहे हैं।
इसरो के वैज्ञानिकों ने पहली बार समुद्र के नीचे संपूर्ण राम सेतु का नक्शा किया तैयार

डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने एडम ब्रिज का अब तक का सबसे विस्तृत समुद्री मानचित्र तैयार किया है, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि डूबी हुई ब्रिज भारत के धनुषकोडी से लेकर श्रीलंका के तलाईमन्नार तक एक “निरंतरता” है। समुद्र तल से लेजर किरणों को उछालने वाले एक अमेरिकी उपग्रह के साथ किए गए मानचित्रण अभ्यास ने साबित किया है कि एडम ब्रिज का 99.98 प्रतिशत हिस्सा - चूना पत्थर के शोलों की 29 किमी की श्रृंखला - उथले पानी में डूबा हुआ है।

इसरो के जोधपुर क्षेत्रीय केंद्र में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिक गिरिबाबू दंडबथुला और उनके सहयोगियों ने साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में अपने निष्कर्षों का वर्णन करते हुए कहा कि यह अध्ययन एडम ब्रिज के डूबे हुए हिस्सों के बारे में “जटिल विवरण प्रदान करने वाला पहला अध्ययन है”।

ईस्ट इंडिया कंपनी के एक मानचित्रकार ने डूबी हुई संरचना को एडम ब्रिज नाम दिया था। इस संरचना को राम सेतु के नाम से भी जाना जाता है और महाकाव्य रामायण में इसे राम की वानर सेना द्वारा निर्मित पुल के रूप में वर्णित किया गया है, ताकि वह अपनी पत्नी सीता को वापस पाने के लिए रावण की भूमि श्रीलंका तक पहुँच सकें।

भूवैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि वर्तमान में डूबी हुई ब्रिज भारत और श्रीलंका के बीच एक भूतपूर्व भूमि संपर्क है। 9वीं शताब्दी ई. में फारसी नाविकों ने पुल का वर्णन सेतु बंधई या समुद्र पर बने पुल के रूप में किया था। रामेश्वरम के मंदिर अभिलेखों से पता चलता है कि यह पुल 1480 तक समुद्र तल से ऊपर था, जब यह चक्रवात के दौरान नष्ट हो गया था।

पहले उपग्रह-आधारित अवलोकनों ने समुद्र के नीचे की संरचना का पता लगाया था, लेकिन वे मुख्य रूप से पुल के उजागर भागों पर केंद्रित थे। इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, कुछ स्थानों पर केवल 1-मीटर से 10-मीटर गहरा है, जिससे नेविगेशन और जहाजों के साथ रिज का मानचित्रण करने के किसी भी प्रयास में बाधा उत्पन्न होती है।

अपने अध्ययन के लिए, हैदराबाद स्थित NRSA में दंडबथुला और उनके सहयोगियों ने पानी के नीचे देखने के लिए लेजर-बोर्न अल्टीमीटर से लैस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के आइस क्लाउड एंड लैंड एलिवेशन (ICESat)-2 का इस्तेमाल किया।

शोधकर्ताओं ने अक्टूबर 2018 से अक्टूबर 2023 तक के ICESat-2 डेटा का इस्तेमाल करके डूबे हुए रिज की पूरी लंबाई का 10 मीटर रिज़ॉल्यूशन वाला नक्शा बनाया - या ट्रेन के डिब्बे के आकार की विशेषताओं को कैप्चर करने के लिए पर्याप्त तेज़।

उनके विश्लेषण से पता चला है कि ब्रिज अपनी पूरी लंबाई के साथ समुद्र तल से लगभग 8 मीटर ऊपर है। लेकिन केवल 0.02 प्रतिशत आयतन ही उजागर या दिखाई देता है, बाकी हिस्सा डूबा हुआ है।

चूना पत्थर समुद्री जीवों के जीवाश्मों से निकलता है। जैसे-जैसे समुद्री जीवों के खोल और कंकाल लाखों वर्षों में समुद्र तल पर बनते हैं, उनकी परतें एक-दूसरे पर दबाव डालती हैं, जिससे ठोस चट्टान बन जाती हैं।

उनके अध्ययन में 11 संकीर्ण चैनल भी सामने आए हैं, जो केवल कुछ मीटर चौड़े हैं, जो दक्षिण-पश्चिम की ओर मन्नार की खाड़ी और रिज के उत्तर-पूर्व की ओर पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के प्रवाह या आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संकीर्ण चैनल - या रिज की धुरी के साथ अंतराल - संभवतः संरचना को लहरों की क्रिया की प्रचंडता से बचाने या संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुल लगातार अपने दोनों ओर से मजबूत तरंगों - मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य से ऊर्जा के संपर्क में रहता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान गर्मियों में मानसून की धाराएँ अरब सागर से बंगाल की खाड़ी में पानी लाती हैं, जबकि सर्दियों में मानसून की धाराएँ बंगाल की खाड़ी के पानी को पाक जलडमरूमध्य और एडम्स ब्रिज के माध्यम से उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान अरब सागर में ले जाती हैं।

इसरो टीम ने कहा है कि संकीर्ण चैनल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के मुक्त प्रवाह या आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं, जिससे रिज पर तरंगों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में खगोल विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर मयंक वाहिया ने कहा, "यह एक अच्छा वैज्ञानिक शोधपत्र है, जो डूबे हुए रिज की पहले से अज्ञात विशेषताओं का वर्णन करता है।" वे इसरो अध्ययन से जुड़े नहीं थे। "यह चूना पत्थर की संरचना की प्राकृतिक, भूवैज्ञानिक उत्पत्ति की पुष्टि करता है।"

भारत और श्रीलंका दोनों ही एक समय में गोंडवानालैंड नामक एक प्राचीन महाद्वीप का हिस्सा थे, जो टेथिस सागर में एक अलग विशाल द्वीप के रूप में उत्तर की ओर बहता रहा और 35 मिलियन से 55 मिलियन वर्ष पहले लॉरेशिया नामक महाद्वीप से टकरा गया।

वही, जो स्वतंत्र रूप से प्राचीन सभ्यताओं में खगोल विज्ञान और विज्ञान के इतिहास का अध्ययन कर रहे हैं, ने कहा कि लाखों वर्षों में, समुद्र का स्तर बढ़ा और गिरा है, जिससे ब्रिज डूब गया है।