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बड़ी खबर : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन का दिल्ली में आकस्मिक निधन, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र मे शोक की लहर*

डेस्क : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता तथा इस्लामपुर के पूर्व विधायक राजीव रंजन का आकस्मिक निधन हो गया है। उनके निधन की खबर के बाद राजनीतक और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। जदयू के साथ-साथ पूरे राजनीतिक हलके में शोक का लहर व्याप्त है। राजीव रंजन का बीते गुरुवार की शाम दिल्ली में निधन हुआ है। उनके पुत्र रोहेल रंजन ने बताया कि शाम सात बजे तक वह बिल्कुल ठीक थे। अचानक सिर में दर्द और फिर हृदयघात हुआ। 7.30 बजे अस्पताल में भर्ती कराया गया और 8 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस्लामपुर के मूल निवासी राजीव रंजन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी थे। 73 वर्षीय राजीव रंजन बेहद मृदुभाषी और मिलनसार इंसान थे। झारखंड और छत्तीसगढ़ बिजली बोर्ड के अध्यक्ष रहे थे। उनका पार्थिव शरीर आज शुक्रवार को पटना लाया जाएगा और यहीं अंतिम संस्कार होगा। वे पूर्व मंत्री रामशरण प्रसाद के पुत्र और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद के दामाद थे। अपने पीछे पत्नी, पुत्र समेत भरापूरा परिवार छोड़ गये हैं।
दिल्ली से पटना लौटते ही सीएम नीतीश पर हमलावर हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद , कही यह बड़ी बात

डेस्क : केन्द्र सरकार द्वारा इस बजट में भी बिहार को विशेष दर्जा नहीं दिया गया है। हालांकि केन्द्र सरकार ने 2600 करोड़ की बड़ी राशि बिहार को दी है। वहीं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने को लेकर विपक्ष प्रदेश की एनडीए सरकार और खासकर सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर है। इसी कड़ी में आज दिल्ली से पटना लौटते ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। 

दरअसल बीते 22 जुलाई को लालू प्रसाद यादव पटना से दिल्ली गए थे। 23 जुलाई को दिल्ली में उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां उनका आवश्यक इलाज हुआ। मेडिकल चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी। दो दिन दिल्ली में अपनी बेटी सह लोकसभा सांसद मीशा भारती के आवास पर विश्राम और आज 25 जुलाई को पटना लौट आए।

आज गुरुवार को लालू प्रसदा जैसे ही पटना लौटे तो एयरपोर्ट पर मीडिया ने उनसे सवाल करने शुरू कर दिए। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बजट को लेकर कहा कि केंद्र ने झुनझुना पकड़ा दिया है। इससे पहले लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार के आम बजट की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि बजट से आम आदमी को निराशा हाथ लगी है, क्योंकि जनता के लिए कुछ भी नहीं है। 

वहीं लालू प्रसाद ने बजट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी जमकर सुनाया। उन्होंने कहा कि बजट में बिहार के लिए जो फंड मिला है वह झुनझुना थमा देने जैसा है। नीतीश कुमार इसी से खुश हैं जबकि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा हर हाल मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इसे लेकर रहेंगे।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बीजेपी के आगे सरेंडर कर गया है। इनसे अब कुछ होनेवाला नहीं है। इससे पहले दिल्ली जाते वक्त उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि विशेष राज्य का दर्जा नहीं ले सके। बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र में गतिरोध पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।

बिहार विधानमंडल का मानसूत्र : विधानसभा में इस योजना को लेकर बीजेपी विधायको ने अपनी ही सरकार से किया सवाल, मंत्री ने दिया यह जवाब

डेस्क : बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र का चौथा दिन है। सदन की आज की कार्यवाही भी विपक्ष के भारी हंगामे के साथ शुरु हुआ। हालांकि विपक्ष के हंगामे के बाद सत्ताधारी बीजेपी विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ सवाल उठा। 

दरअसल प्रश्नकाल के दौरान बिहार की नीतीश सरकार की महत्वकांक्षी 'हर घर नल जल' की अनियमितता को लेकर गुरुवार को विधानसभा में भाजपा के विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेरा। दरभंगा से भाजपा विधायक संजय सरावगी ने अपने विधानसभा क्षेत्र में 'हर घर नल जल' की अनियमितता पर सवाल किया। उन्होंने कहा कि कुल 114 वार्डों में 16 ऐसे वार्ड हैं जहां विभाग की ओर से बताया गया है कि जलापूर्ति पुर्णतः बंद है। वहीं 87 वार्डों में आंशिक रूप से शुरू किया गया है। सरावगी ने कहा कि यह आंकड़ा बताता है कि किस तरह 114 में करीब 100 में जलापूर्ति बाधित है। 

सरावगी के सवाल पर मंत्री नीरज कुमार बबलू ने जवाब देते कहा कि पहले आपके ही जिले में नेता इस विभाग के मंत्री थे। उनसे मिलकर बात करते तो और जल्दी सारा काम हो जाता। हालांकि विभाग जल्द ही उनके क्षेत्र में जलापूर्ति को लेकर जो समस्या है उसका निदान करा दिया जायेगा। वहीं ना केवल सरावगी बल्कि कई अन्य विधायकों ने भी 'हर घर नल जल' की अनियमितता को लेकर कई सवाल किए। प्रहलाद यादव ने अपने क्षेत्र को लेकर कहा कि पाईप जहां बिछाया गया है वहां मानक के अनुरूप काम नहीं हुआ है।

बिहार विधानमंडल का मानसूत्र : भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही जारी, विपक्ष कर रहा आईएएस संजीव हंस की बर्खास्तगी की मांग

डेस्क : बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र का चौथा दिन है। सदन की आज की कार्यवाही भी विपक्ष के भारी हंगामे के साथ शुरु हुआ। पांच दिनों तक चलने वाले बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र की शुरुआत होने के साथ विपक्ष विभिन्न मामलों को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। मानसून सत्र के पहले दिन बिहार में बढ़ते अपराध को विपक्ष ने मुद्दा बनाया और सदन में मजबूती के साथ सरकार से जवाब मांगा। इसके बाद राज्य में पुलों के धराशायी होने को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरा।

वहीं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने और बजट में बिहार की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए विपक्षी सदस्यों ने विधानमंडल के दोनों ही सदनों में जोरदार हंगामा मचाया और अब मानसून सत्र के चौथे दिन विपक्ष ने बिजली विभाग के सचिव और बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव हंस को बर्खास्त करने की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार भ्रष्टाचारी अधिकारियों का संरक्षण कर रही है।

आज विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। रेप के आरोपी IAS अधिकारी संजीव हंस को बर्खास्त करने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्य वेल में पहुंच गए और जोरदार नारेबाजी की। सरकार पर भ्रष्टाचारी अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे थे। स्पीकर के कहने पर मार्शल्स वेल में पहुंचे और विधायकों के हाथ से प्ले कार्ड छीन लिया। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही जारी है।

बिहार को रेलवे की बड़ी सौगात : डीडीयू से झाझा के बीच 16 हजार करोड़ की लागत से तीसरी और चौथी लाइन बनेगी

पटना : केन्द्र सरकार द्वारा आम बजट पेश किए जाने के बाद रेलवे ने बिहार को बड़ा सौगात दिया है। बिहार में रेल अवसरंचना, संरक्षा और यात्री सुविधाओं के विकास के लिए आम बजट में 10 हजार 33 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके तहत डीडीयू से झाझा के बीच 16 हजार करोड़ की लागत से तीसरी और चौथी लाइन बनेगी। यह बिहार के इतिहास में रेलवे की सबसे बड़ी परियोजना होगी।

इस बात की जानकारी देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बिहार की रेल परियोजनाओं के लिए आम बजट 2024-25 में 10,033 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। पूर्व की सरकार (औसतन 1132 करोड़) की तूलना में नौ गुना अधिक बजट दिया गया है। बिहार में अभी 79356 करोड़ की 55 रेल परियोजनाएं चल रही हैं। बिहार के 92 अमृत भारत रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है।

वहीं दानापुर डीआरएम ऑफिस में प्रेस वार्ता में डीआरएम जयंत कुमार चौधरी ने कहा कि डीडीयू से झाझा तीसरी और चौथी लाइन का फाइनल लोकेशन सर्वे पूरा हो गया है। जल्द ही जमीनी स्तर पर काम शुरू होगा। इसके बनने से हावड़ा-डीडीयू लाइन पर ट्रेनों के परिचालन से जुड़ी समस्या का निदान हो जाएगा। डीआरएम ने कहा कि बिहार में शत प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है। वहीं, भभुआ से दिलदारनगर के बीच 800 करोड़ की लागत से नई लाइन बनेगी। 35 किमी लंबाई वाले इस परियोजना का भी फाइनल लोकेशन सर्वे पूरा हो गया है। इसमें दो आरओआर यानी रेल लाइन के ऊपर ब्रिज बनेगा, जिसपर ट्रेनें चलेंगी। बजट में उत्तर बिहार की रेल परियोजनाओं के लिए भी बड़ी धनराशि का प्रावधान किया गया है। लेकिन, इसका विवरण अभी जारी नहीं हुआ है।

विधानसभा में बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक 2024 पारित, पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने पर भुगतनी होगी यह बड़ी सजा

डेस्क : बिहार में अब पेपर लीक में दोषी पाये जाने पर कड़ी सजा भुगतनी होगी। बीते बुधवार को विधानसभा ने बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक, 2024 पर मुहर लगा दी। इस नए विधेयक के तहत पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने पर पेपर लीक के आरोप में पकड़े जाने पर जेल जाना तय है। क्योंकि, इस कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैरजमानती होंगे। वहीं तीन से दस साल की सजा होगी और एक करोड़ तक का जुर्माना भी देना होगा। 

हालांकि इसके पहले विपक्ष ने सदन का वाकआउट किया। भोजनावकाश के बाद विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस विधेयक को पेश किया। उन्होंने कहा कि पेपर लीक को लेकर पहले भी कानून बने थे लेकिन वे प्रभावी नहीं थे। एक तरह से निष्प्रभावी हो गए थे। इसीलिए यह सख्त कानून लाया गया है। बीते कुछ वर्षों में 16 राज्यों में 48 मामले पेपर लीक से संबंधित आए हैं। पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने पेपर लीक को लेकर कानून बनाया था और इसे लागू करने के लिए राज्यों से अनुरोध किया था।

मंत्री के अनुसार पेपर लीक को गंभीर अपराध माना जाएगा। आरोपितों पर गैर जमानती धाराएं लगायी जाएंगी। इसमें शामिल व्यक्तियों या संस्थाओं को तीन से दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है। यह नियम राज्य सरकार की तरफ से आयोजित होने वाली सभी परीक्षाओं में लागू होगा।

ऐसा करने पर होंगे दोषी

● प्रश्नपत्र या उत्तर के किसी हिस्से को परीक्षा से पहले जारी करना

● प्रश्नपत्र या उत्तर लीक करने में दूसरों के साथ शामिल होना

● प्राधिकार के बिना अनुमति प्रश्नपत्र या उत्तर पुस्तिका (ओएमसी शीट) तक पहुंचना या उसे कब्जे में लेना

● किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा एक या अधिक प्रश्नपत्रों को हल करना

● अनाधिकृत तरीके से अभ्यर्थी की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहायता करना

● उत्तर पुस्तिकाओं और उसके मूल्यांकन में छेड़छाड़ करना

● किसी अभ्यर्थी की मेरिट या रैंक के दस्तावेज से छेड़छाड़ करना

● धोखा देने या पैसा कमाने के लिए जाली वेबसाइट बनाना

● अभ्यर्थी के रोल नंबर, तारीख, पालियों के आवंटन में हेरफेर व सुरक्षा उपकरणों से छेड़छाड़

वहीं अगर कोई अभ्यर्थी नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है तो तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, परीक्षा प्रक्रिया में शामिल सेवा प्रदाता अगर कानून का उल्लंघन करते हैं तो उनके लिए एक करोड़ जुर्माने का प्रावधन है। साथ ही परीक्षा की लागत उनसे वसूली जाएगी। उन्हें चार साल के लिए काली सूची में भी डाला जाएगा।

1. बिहार लोक सेवा आयोग

2. बिहार कर्मचारी चयन आयोग

3. बिहार तकनीकी सेवा आयोग

4. बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग

  5. बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग

6. केंद्रीय सिपाही चयन पर्षद, बिहार

  7. राज्य सरकार की तरफ से अधिसूचित अन्य सारे प्राधिकरण

जब शिक्षक बनकर स्कूल पहुंचे डीएम, बच्चों ने नहीं दिया हिन्दी प्रश्नों का जवाब तो टीचर पर हो गया एक्शन

डेस्क: जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह बुधवार काे शिक्षक की भूमिका में नजर आए। सदर प्रखंड की कुतलपुर पंचायत स्थित मध्य विद्यालय राम सिंह टोला पहुंचे और शिक्षक की तरह बच्चों से कई सवाल पूछे। बच्चों के क्लास रूम में जाकर उनके मन की बात को जाना। बच्चों के बीच बैठ कर बातें की।

क्लास रूम में टेबल रखे चौक उठा लिया और ब्लैकबोर्ड में गणित संबंधित प्रश्न लिखकर बच्चों से जवाब मांगे। कुछ बच्चों ने डीएम साहब के सवालों पर जवाब भी दिए।

वहीं, हिंदी के सरल प्रश्नों का जवाब नहीं मिलने पर डीएम साहब भड़क उठे और पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए सहायक शिक्षक ओम प्रकाश दास को निलंबित करने का फटाफट निर्देश दिया।

डीएम ने प्रधानाध्यापक को दिया ये निर्देश

विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामा शंकर कोकिल के असंतोषजनक कार्यशैली पर स्पष्टीकरण मांगते हुए विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया। साथ ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विनय कुमार सुमन के बारे में जानकारी ली, जहां जिलाधिकारी को मालूम चला कि वह निरीक्षण नहीं करते हैं।

डीएम ने उनसे भी स्पष्टीकरण मांंगने काे कहा है। डीएम ने कहा कि सरकारी स्कूलाें में पठन पाठन बेहतर हो इस दिशा में लगातार प्रयास चल रहा है। किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उन्होंने कहा कि लगातार जिले के स्कूलों को निरीक्षण किया जाएगा। इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो शिक्षकों और प्रधान पर कार्रवाई की जाएगी। डीएम के इस कार्रवाई से दूसरों स्कूलों के शिक्षकों में हड़कंप मचा रहा।

इंटरनेशनल मार्केट में धूम मचा रहा पूर्णिया का स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न, किसान भी उठा रहे अच्छा मुनाफा

डेस्क: सीमांचल के किसान अब स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न की खेती से अपनी किस्मत संवारने में जुटे हैं. विदेशों में बढ़ी मांग से किसानों के चेहरे की चमक बढ़ गयी है. इस स्वीट कॉर्न की खेती के लिए सरकार की तरफ से भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल का इलाका स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न के हब के रूप में विकसित हुआ है. जिला प्रशासन ने भी इसकी खेती को तवज्जो दी है. यही कारण है कि यहां के किसानों के लिए यह फसल कमाई का मुख्य जरिया बन रही है. इसकी खासियत यह है कि यह फसल 100 दिन में तैयार हो जाती है. साल में किसान एक ही खेत में तीन फसल आसानी से ले सकते हैं.

पूर्णिया जिले में जिला प्रशासन की पहल पर स्वीट कॉर्न को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलायेगये. इसका फायदा यह हुआ कि स्वीट कॉर्न से किसानों की शुद्ध आय में बढ़ोतरी होने लगी. इससे प्रभावित होकर गेहूं का रकबा कम कर किसानों ने स्वीट कॉर्न की खेती पर जोर दे दिया है. इसमें शुद्ध कमाई देखने के कारण रबी के सीजन में यह फसल किसानों की पहली पसंद बन गयी. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि कोसी सीमांचल के इलाके में उपजाये जानेवाले मक्के की फसल की मांग इसकी बेहतर क्वालिटी की वजह से काफी ज्यादा है. स्थानीय गुलाबबाग मंडी में हर साल लाखों टन मक्के का कारोबार होता है. यहां तक कि रेलवे रैक पॉइंट बनने का श्रेय भी यहां की मक्का की फसल को ही जाता है. लेकिन पारंपरिक मक्के की खेती से इतर कम समय और कम लागत से मुनाफा के दायरे को काफी बेहतर बनाने की दिशा में अब स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न ( मीठा व बच्चा भुट्टा ) की खेती भी जोर पकड़ने लगी है.

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों में मक्का उत्पादों की बढती मांग ने इसकी खेती का मार्ग प्रशस्त किया है. जानकार बताते हैं कि धीरे-धीरे ही सही बड़े-बड़े पांच सितारा होटलों व रेस्टोरेंट में स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न के कई व्यंजनों को ग्राहकों के बीच बड़े आकर्षक अंदाज में परोसा जाने लगा है. दूसरी ओर विभिन्न घरेलू छोटे बड़े आयोजनों और उत्सवों में परोसी जाने वाली सामग्रियों में भी यह अपना स्थान बना चुका है. इस वजह से भी एक बड़े और उभरते मार्केट के रूप में स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न की खेती की संभावना दिखती है. किसान भी मानते हैं कि इसकी खेती में कम वक्त लगने से दो फसलों के बीच के अंतर को पाट कर कुछ अलग फसल भी ली जा सकती है.

हर मामले में किसानों के लिए लाभकारी होने की वजह से कृषि विभाग स्वीट कॉर्न व बाबीकॉर्न के उत्पादन को बढाने में लगा है. यही वजह है कि रबी के बाद खरीफ सीजन में इसकी खेती की कवायद तेज हो गयी है. विभाग किसानों को न सिर्फ इसकी खेती के गुर ही सिखा रहा है बल्कि इनपुट्स भी उपलब्ध करा रहा है. स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न की उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की खरीद पर सब्सिडी किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं. याद रहे कि हरी भरी अवस्था में ही पौधों की कटाई हो जाने से पशुओं के लिए हरा चारा भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है. पशुपालकों की मानें तो इससे प्रति पशु अतिरिक्त रूप में अमूमन डेढ़ से दो लीटर तक दूध की बढ़ोतरी हो जाती है.

कृषि में नवाचार को लेकर डीएम कुंदन कुमार ने किसानों से नयी लाभकारी फसलों का उत्पादन प्रायोगिक तौर पर करने के लिए उत्साहित किया है. खेती में 80-20 का अनुपात रखने को कहा है. इसी कड़ी में विभिन्न उद्यानिक फसलों के साथ साथ स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न के उत्पादन की भी बात कही है.

नीतीश कुमार की टिप्पणी पर बोलीं आरजेडी विधायक रेखा देवी, 'मुख्यमंत्री तो महिला से बात करने का तरीका ही भूल गए...'

डेस्क: बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी की महिला विधायक रेखा देवी पर विवादित टिप्पणी की थी, इस पर महिला विधायक ने कहा कि वो हम सबके मुख्यमंत्री हैं, लेकिन महिला से बात करने का एक तरीका होता है, लेकिन मुख्यमंत्री तो तरीका ही भूल गए हैं कि महिला से किस तरह से बात की जाती है.  

आरजेडी विधायक ने कहा कि बताइए मुख्यमंत्री महिला से कहते हैं कि वो कुछ नहीं जानती है. कैसे आ गई महिला. हम कहते हैं कि महिलाओं को अपमानित करना बंद करें मुख्यमंत्री. महिलाओं को सम्मान दें. हर घर में महिला मां है, बहू, बेटी है, बहन हैं और इस तरह से बोलते हैं. 

जब उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि उन्होंने महिलाओं और बेटियों के लिए कई योजनाएं चलाईं तो इस पर रेखा देवी ने कहा, "बेटियों को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन बेटियों के साथ क्या हो रहा है, मुख्यमंत्री ये तो नहीं देखते हैं. बेटियां कहीं सुरक्षित हैं. महिलाओं से मुख्यमंत्री को माफी मांगनी चाहिए."  

नीतीश कुमार ने क्या कहा था? 

दरअसल नीतीश कुमार जब बोलने के लिए खड़े हुए तो विपक्ष आरक्षण को लेकर विरोध कर रहा था. अपने भाषण के दौरान नीतीश बार-बार विपक्ष के विधायकों से अपील कर रहे थे कि एक बार पूरी बात सुन लीजिए. इसी दौरान वह विरोध कर रहीं आरजेडी विधायक रेखा देवी पर भड़क गए. सीएम ने आरजेडी विधायक से कहा कि अरे महिला हो, कुछ जानती नहीं हो. 

नीतीश ने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा, "ये लोग कभी कोई महिला को आगे बढ़ाया है. 2005 के बाद ही बढ़ाना शुरू किए हैं ना. इसीलिए कह रहे हैं, चुपचाप सुनो. हम तो सुनाएंगे अगर आप नहीं सुनेंगे तो ये आपकी गलती है." 

 

इस दौरान नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने कहा, "जब सर्वसम्मति से जातीय गणना हो गई और पिछड़ों की संख्या ज्यादा आई तो जो 50 फीसदी आरक्षण सीमा होती थी तो हम लोगों ने आरक्षण 75 फीसदी किया. 10 फीसदी केंद्र सरकार ने अपर कास्ट के लिए लागू किया था तो उसको भी लागू किया. हम लोगों ने हर परिवार की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली."

पेपर लीक के खिलाफ आज विधानसभा में पेश होगा बिल, 10 साल की सजा और 1 करोड़ जुर्माने का प्रावधान

डेस्क: बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र का आज तीसरा दिन है. सूबे को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने पर विपक्ष आज सरकार के घेर सकता है. विधानसभा की कार्यवाही 11 बजे शुरू होगी. वहीं, 12 बजे विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होगी. बता दें कि नीतीश सरकार आज विधानसभा में तीन बिल पेश करने की तैयारी में है. इसमें पेपर लीक से जुड़ा भी एक बिल है.

कौन-कौन से बिल पेश किए जाएंगे?

बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक, 2024

बिहार माल और सेवा कर ( संशोधन) विधेयक, 2024 

विहार लिफट एवं एस्केलेटर विधेयक, 2024 

प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक रोकने के लिए सख्त नियमों वाला बिल पेश किया जाएगा. नए कानून वाले बिल में पेपर लीक में शामिल दोषियों और संस्थाओं को 3-10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही नए बिल में 10 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ जुर्माने का भी प्रावधान है.

राज्य सरकार की तरफ से आयोजित होने वाली सभी परीक्षाओं में पेपर लीक होने पर ये कानून प्रभावी होगा. पेपर लीक में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के लिए तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान होगा. इसके अलावा, पेपर लीक के मामलों की जांच अब डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे.

विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन की शुरुआत ही विपक्ष के हंगामे से ही हुई थी. राज्य के स्पेशल स्टेटस राज्य को लेकर महागठबंधन के विधायक नारेबाजी करने लगे. विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने शांति बनाए रखने की अपील की तो विधायकों ने वेल में आकर हंगामा करने लगे. शोर शराबे के बीच सदन की कार्यवाही शुरू हो गई.  

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