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आईए जानते हैं हवा महल की क्या है इतिहास

जयपुर के गुलाबी शहर में बाडी चौपड़ पर स्थित हवा महल राजपूतों की शाही विरासत, वास्तकुला और संस्कृति के अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। हवा महल को राज्स्थान की  सबसे प्राचीन इमारतों में से एक माना जाता है। बड़ी ही खूबसूरती के साथ बनाया गया हवा महल जयपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। कई झरोखे और खिडकियां होने के कारण हवा महल को “पैलेस ऑफ विंड्स” भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट जैसी इस पांच मंजिला इमारत में 953 झरोखें हैं, जो मधुमक्खियों के छत्ते से मिलते जुलते हैं, जो राजपूतों की समृद्ध विरासत का अहसास कराते हैं। लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बना हवा महल सिटी पैलेस के किनारे बना हुआ है। हवा महल की खास बात यह है कि यह दुनिया में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है।

हवा महल का अर्थ है हवा का महल। इस महल में 953 छोटे-छोटे झरोखे और खिड़कियां हैं। इन खिड़कियों को महल में ताजी हवा के प्रवेश के लिए बनाया गया था। गर्मी के दिनों में राहत पाने के लिए हवा महल राजपूतों का खास ठिकाना था, क्योंकि झरोखों में से आने वाली ठंडी हवा पूरी इमारत को ठंडा रखती थी। हवा महल का नाम यहां की पांचवी मंजिल से पड़ा है, जिसे हवा मंदिर कहा जाता है।जयपुर के हवा महल में 953 खिड़कियां और छोटे-छोटे झरोखे हैं। जयपुर का हवा महल किसने बनवाया

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह के पोते सवाई प्रताप सिंह ने सन् 1799 में कराया था। वह राजस्थान के झुंझनू शहर में महाराजा भूपाल सिंह द्वारा निर्मित खेतड़ी महल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने हवा महल का निर्माण कराया। यह रॉयल सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में बनाया गया था। ललित जाली की खिड़कियों और पर्दे वाली बालकनी से सजे इस खूबसूरत हवा महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य शाही जयपुर की शाही राजपूत महिलाओं को झरोखों में से सड़क पर हो रहे उत्सवों को देखने की अनुमति देना था।

उस वक्त महिलाएं पर्दा प्रथा का पालन करती थीं और दैनिक कार्यक्रमों की एक झलक पाने के लिए सार्वजनिक रूप से सामने आने से बचती थीं। इन झरोखों की मदद से उनके चेहरे को ठंडी हवा लगती थी और तपती धूप में भी उनका चेहरा एकदम ठंडा रहता था, जो उनकी खूबसूरती का भी एक राज था। वे अपने रिवाजों को बनाए हुए इन झरोखों में से स्वतंत्रता की भावना का आनंद इसी तरह से ले सकती थीं।

हवा महल की वास्तकुला हवा महल एक ऐसी अनूठी अद्भुत इमारत है, जिसमें मुगल और राजपूत शैली स्थापित्य है। 15 मीटर ऊंचाई वाले पांच मंजिला पिरामिडनुमा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। 5 मंजिला होने के बावजूद आज भी हवा महल सीधा खड़ा है। इमारत का डिजाइन इस्लामिक मुगल वास्तुकला के साथ हिंदू राजपूत वास्तुकला कला का एक उत्कृष्ण मिश्रण को दर्शाता है। बताया जाता है कि महाराज सवाई प्रताप सिंह कृष्ण के बड़े भक्त थे, उनकी भक्ति महल के ढांचे के डिजाइन से ही प्रतीत होती है, जो एकदम भगवान कृष्ण के मुकुट के समान दिखता है। महल में 953 नक्काशीदार झरोखे हैं, जिनमें से कुछ तो लकड़ी से बने हैं। इन झरोखों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि गर्मियों में ताजी हवा के माध्यम से पूरी इमारत ठंडी रहे।

हवा महल के बारे में विवरण

हवा महल की दीवारों पर बने फूल पत्तियों का काम राजपूत शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। साथ ही पत्थरों पर की गई मुगल शैली की नक्काशी मुगल शिल्प का नायाब उदाहरण हैं। उत्सवों के लिए पहली मंजिल पर शरद मंदिर बना हुआ है, जबकि हवा महल की दूसरी मंजिल पर रतन मंदिर बना है जिसे ग्लासवर्क से सजाया गया है। अन्य तीन मंजिलों पर विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर है। यहां आपको गुलाबी शहर जयपुर के विभिन्न रंग देखने को मिलेंगे। हवा महल का कोई सामने से दरवाजा नहीं है, बल्कि सिटी पैलेस की ओर से एक शाही दरवाजा हवा महल के प्रवेश द्वार की ओर जाता है। यहां तीन दो मंजिला इमारतें तीन तरफ एक बड़े प्रांगण को घेरे हुए हैं, जिसके पूर्वी हिस्से में हवा महल स्थित है।

आंगन में वर्तमान में एक पुरातत्व संग्रहालय है। महल का आंतरिक भाग भी ऊपर के मंजिल की ओर जाने वाले मार्ग और खंभे से युक्त  है। हवा महल के पहले दो मंजिल में आंगन हैं और बाकी तीन मंजिला की चौड़ाई एक कमरे के जितनी बराबर है। खास बात यह है कि इमारत में कोई सीढ़ियां नहीं है और ऊपर जाने के लिए रैंप का ही इस्तेमाल किया जाता है। 50 साल बाद साल 2006 में पूरे हवा महल का रेनोवेशन किया गया। इस समय इस इमारत की कीमत 4568 मिलियन बताई गई थी। उस समय जयपुर के एक कार्पोरेट सेक्टर ने हवा महल के रिनोवेशन का जिम्मा उठाया था, लेकिन फिर बाद में भारत के यूनिट ट्रस्ट ने हवा महल की मरम्मत कराने की जिम्मेदारी ली।

कब जाएं हवा महल

सर्दियों के मौसम में आप जयपुर घूमने आ सकते हैं। नवंबर की शुरूआत से फरवरी के बीच तक का समय पर्यटकों का पीक सीजन होता है। सुहावने मौसम के साथ आप यहां एक नहीं बल्कि कई प्राचीन इमारतों की यात्रा सुकून से कर पाएंगे। हवा महल को देखने का समय सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक है। हालांकि इस इमारत को निहारने का सबसे सही समय सुबह का है जब सूर्य की सुनहरी किरणें इस शाही इमारत पर पड़ती हैं। ये नजारा हवा महल को और भी सुरूचिपूर्ण और भव्य रूप देता है। हवा महल म्यूजियम शुक्रवार को बंद रहता है, इसलिए बेहतर है कि हवा महल को अन्य दिनों में देखने जाएं।

अगर आप गलताजी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं या इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानने की रूचि रखते हैं तो इस को पूरा जरुर पढ़ें

गलताजी मंदिर  जयपुर के रीगल शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक प्रागैतिहासिक हिंदू तीर्थ स्थल है। अरावली पहाड़ियों द्वारा उल्लिखित, इसमें कई मंदिर, पवित्र कुंड, मंडप और प्राकृतिक झरने हैं। यह आकर्षित मंदिर एक पहाड़ी इलाके के दिल में स्थित है, जो एक खूबसूरत घाट से घिरा है, जो हर साल भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। आपको बता दें कि गलताजी मंदिर का निर्माण गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर का उपयोग से किया गया है। यह एक विशाल मंदिर परिसर है जिसकें अंदर कई मंदिर स्थित हैं। सिटी पैलेस के अंदर स्थित इस मंदिर की दीवारें नक्काशी और चित्रों से की गई है, जो इस मंदिर को एक देखने लायक जगह बनाते हैं। गलताजी मंदिर को अपनी वास्तुकला की वजह से जाना जाता है और इसका निर्माण महल की तरह किया गया है।

यह शानदार मंदिर किसी भी पारंपरिक मंदिर की तुलना में एक भव्य महल या ‘हवेली’ की तरह दिखता है और यह मंदिर बंदरों की कई जनजातियों के लिए जाना जाता है, जो यहां देखे जाते हैं। यह मंदिर धार्मिक भजनों और मंत्र, प्राकृतिक खूबसूरती साथ, पर्यटकों को एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है।

गलताजी मंदिर की शानदार गुलाबी बलुआ पत्थर की संरचना दीवान राव कृपाराम द्वारा बनाई गई थी जो सवाई राजा जय सिंह द्वितीय के दरबारी थे। 16 वीं शताब्दी की शुरुआत से गलताजी रामानंदी संप्रदाय से संबंधित और जोगियों के कब्जे वाले पुरी के लिए एक आश्रय स्थल रही है।

गलताजी मंदिर का इतिहास यह भी बताया जाता है कि संत गालव ने तपस्या करते हुए सौ साल तक इस पवित्र स्थान पर सारा जीवन बिताया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान उसके सामने प्रकट हुए और अपने पवित्र स्थान को पवित्र जल से आशीर्वाद दिया। बता दें कि इस संत या ऋषि की वंदना करने के लिए, गलताजी मंदिर का निर्माण किया गया था और उसके नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया। ऐस भी बताया जाता है कि इस जगह पर तुलसीदास द्वारा पवित्र रामचरित्र मानस के खंड लिखे गए थे।

गलताजी मंदिर की वास्तुकला
गलताजी मंदिर अरावली पहाड़ियों में स्थित है और घने आलीशान पेड़ों और झाड़ियों से घिरा हुआ है। मंदिर को चित्रित दीवारों, गोल छत और स्तंभों से सजाया गया है। इस पूर्व-ऐतिहासिक हिंदू मंदिर के अंदर भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान मंदिर भी स्थित हैं। जयपुर के सबसे खास दर्शनीय स्थलों में से एक इस मंदिर के परिसर प्राकृतिक ताजे पानी के झरने और सात पवित्र ‘कुंड’ या पानी की टंकियां हैं। इन सभी कुंडों में से गलत कुंड को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है और यह कभी नहीं सूखता। यहां गौमुख  से शुद्ध और साफ पानी बहता रहता है।

गलताजी मंदिर में पानी का कुंड आपको बता दें कि गलतजी मंदिर अपने प्राकृतिक पानी के झरनों के लिए सबसे ज्यादा धार्मिक और पूजनीय है। इस मंदिर के परिसर में पानी स्वचालित रूप से फैलता है और टंकियों में इकट्ठा हो जाता है। इस प्राकृतिक झरने के सबसे खास बात यह है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता जो यहां आने वाले पर्यटकों को चकित कर देता है। इसके साथ ही गलता कुंड, मंदिर परिसर में सात टंकियों में से सबसे पवित्र कुंड है। हर साल मकर संक्रांति के त्योहार के खास मौके पर इस पवित्र कुंड (Tank) में डुबकी लगाना बेहद शुभ माना जाता है।

गलताजी मंदिर के आसपास दर्शनीय स्थल

गलताजी मंदिर राजस्थान का एक बहुत ही आकर्षक मंदिर है, जिसमें आश्चर्यजनक वास्तुकला है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करने जा रहे हैं तो इसके साथ ही आप मंदिर के दर्शनीय स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं। मंदिर के पास का प्रमुख दर्शनीय स्थल गलवार बाग गेट हैं जो गुलाबी रंग में एक बहुत ही अद्भुत संरचना है और गलता मंदिर परिसर में एक मुख्य मंदिर है। यहां का हनुमान मंदिर भी बेहद खास है जो अपनी अपनी वास्तुकला के लिए और यहां पाए जाने वाले बंदरों के लिए भी जाना जा सकता है। अगर आप इस जगह की यात्रा करने आ रहे हैं तो आपको हनुमान मंदिर का दौरा भी जरुर करना चाहिए।

गलताजी मंदिर के अलावा आप जयपुर में कई स्मारक, हवेलियाँ, किलों और महलों को देखने जा सकते हैं। जैसे जंतर मंतर,नाहरगढ़ किला,जयगढ़ किला,सिटी पैलेस, अंबर किला,सिसोदिया रानी गार्डन,हवा महल ,जल महल,बिड़ला मंदिर,और अल्बर्ट हॉल।


गलताजी मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय फरवरी-मार्च के महीने और अक्टूबर-दिसंबर का होता है क्योंकि उस दौरान मौसम बेहद सुहावना होता है। गर्मियों के समय इस जगह की यात्रा करना बेहद असुविधाजनक हो सकता है इसलिए इस मौसम में यहां जाने से बचना ही बेहतर होगा। हर साल जनवरी में मकर संक्रांति उत्सव के समय यहां कुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए गलताजी मंदिर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ दिखाई देती है। अगर आप स्नान के लिए मंदिर के कुंडों की आते हुए बंदरों के आकर्षक दृश्य को देखना चाहते हैं तो शाम के समय इस मंदिर के दर्शन को जाना सबसे खास होगा।

अगर आप भी वास्तु शास्त्र में दिलचस्पी रखते हैं या फिर नई-नई चीजों में आपको इंटरेस्ट आता है तो आपको कानपुर का जेके मंदिर जरूर घूमना चाहिए

वास्तु शास्त्र एक ऐसी विद्या है जिसमें कई लोगों को बड़ा इंटरेस्ट होता है। अगर आप भी वास्तु शास्त्र में दिलचस्पी रखते हैं या फिर नई-नई चीजों में आपको इंटरेस्ट आता है तो आपको कानपुर का जेके मंदिर जरूर घूमना चाहिए। जब आप यहां जाएंगे तो आपको लाजवाब वास्तु देखने को मिलेगा। यह तो हम सभी जानते हैं कि घर की सुख समृद्धि में वास्तु का बहुत अहम योगदान होता है। अगर वास्तु सही होता है तो पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो घर वालों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जेके मंदिर में घूम कर आपको दिशाओं और पांच तत्वों के सही संयोजन की जानकारी मिलेगी। इस मंदिर का निर्माण पंचतत्व यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के सही क्रम में किया गया है। मुख्य द्वार पर पृथ्वी तत्व है इसके बाद जल तत्व मौजूद है। जैसे ही आप मुख्य द्वार से आगे बढ़ेंगे एक फवारा है जो आपका मन खुश कर देगा। इसके बाद सीढ़ियां चढ़कर जब आप ऊपर जाएंगे तो यहां पर यज्ञ के लिए स्थान नजर आएगा। इसके आगे जाने पर एक बड़ा सा हाल है जो वायु तत्व का स्थान है। इसके बाद सर उठने से ही आपको एक विशाल गुंबद दिखेगा जो आकाश तत्व की ओर इशारा करता है। यहां पर शिखर के ठीक नीचे राधा कृष्ण विराजमान है। सब कुछ पांच तत्वों के हिसाब से बना हुआ है। इसमें पांच शिकार है और केंद्र शिखर सबसे ऊंचा है। इस मंदिर की खासियत की बात करें तो यहां दिशाओं का तालमेल बहुत सही है। कानपुर गंगा के तट पर बसा हुआ है और जो सके इसके समानांतर बनी है उन पर बने भवनों का मुख्य उत्तर और पूर्व दिशा में है। जो सड़क गंगा जी को पार करती है उन पर बने भवनों का मुख्य उत्तर और पश्चिम की ओर है। अन्य मारुति से जवाब जेके मंदिर को देखेंगे तो यह तिरछा नजर आएगा। इसका कारण इन मकानों में दो दिशाओं का होना है। जब आप जेके मंदिर को देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि यह सीधी दिशा में बना हुआ है। यानी कि पूर्व पश्चिम उत्तर और दक्षिण कहीं भी दो दिशाएं आपको एक साथ नजर नहीं आएगी। जेके मंदिर का मुख पूरी तरह से पूर्व दिशा में है। मंदिर के केंद्र में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्ति भी पूर्व दिशा की ओर देख रही है। मूर्ति के पीछे पश्चिम दिशा है। बाएं हाथ पर उत्तर और दाहिने हाथ पर दक्षिण दिशा है। यही कारण है कि यहां पर अपार सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

अगर आप नेचर और वाइल्ड लाइफ लवर हैं तो थेक्कडी आपके लिए परफेक्ट हॉलिडे ऑप्शन हो सकता है
सैर पर जाना हमेशा से काफी रोमांचक और आनंददायक होता है। खासकर तब जब आप थेक्कडी जैसी खूबसूरत जगह पर जा रहे हों। थेक्कडी केरल की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है और यहां हर साल काफी ज्यादा संख्या में टूरिस्ट आते हैं। अगर आप नेचर और वाइल्ड लाइफ लवर हैं तो थेक्कडी आपके लिए परफेक्ट हॉलिडे ऑप्शन हो सकता है क्योंकि यहां आपको बेहद खूबसूरत पहाड़, बड़े-बड़े पेड, एक से एक मनोरम दृश्य वाले झरने और बड़ी संख्या में हाथी और हिरण जैसे जानवर देखने को मिलेंगे।

भारत के दक्षिणी हिस्से में स्थित पश्चिमी घाट के एवरग्रीन और सेमी-एवरग्रीन जंगलों के बीच स्थित है थेक्कडी जिसके इको-सिस्टम को बरकरार रखने में केरल टूरिज्म विभाग ने बेहतरीन काम किया है। वैसे तो यह जगह फैमिली हॉलिडे या फिर दोस्तों के साथ गेट-टु-गेदर के लिहाज से बेहतरीन है। लेकिन अगर आप सुकून के पल की तलाश में हैं तो अकेले भी यहां घूमने आ सकते हैं। अगर आप थेक्कडी सोलो ट्रिप पर जा रहे हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें।

आईए अब हम जानते हैं यहां घूमने का कौन-कौन से जगह  है

पेरियार नैशनल पार्क थेक्कडी की सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है पेरियार नैशनल पार्क। यहां आप बैंबू राफ्टिंग के साथ-साथ जंगल सफारी के भी मजे ले सकते हैं। वैसे तो ये पार्क मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर है पर यहां हमेशा टूरिस्ट्स की भीड़ बनी रहती है।

पेरियार लेक 26 स्क्वेयर किलोमीटर इलाके में फैला पेरियार लेक पेरियार टाइगर रिजर्व के बीच से होकर बहता है। 1895 में जब मुल्लापेरियार डैम का निर्माण किया गया था उसी वक्त इस लेक को भी बनाया गया था। आप चाहें तो इस लेक में डेढ़ घंटे की बोट राइड के जरिए भी नैशनल पार्क में घूम सकते हैं और बोट पर से बैठे-बैठे ही जानवरों को देख सकते हैं।

फ्रेंच रेस्तरां में ब्रेकफस्टइस फ्रेंच कैफिटेरिया में आपको सारी फ्रेंच डिशेज मिल जाएंगी। यहां ब्रेकफस्ट करके आप अपने सफर की शुरूआत कर सकते हैं। मुरीक्कडी से रोमैंटिक व्यूबिना एक खूबसूरत व्यू पॉइंट के हिल स्टेशन की कल्पना नहीं की जा सकती है। अगर आप थेक्कडी मेन सिटी से केवल 5 किमी दूर जाएं तो आपको ये सुंदर दृश्य देखने को मिल जाएगा। ग्रीन पार्क आप जैसे ही ग्रीन पार्क स्पाइस प्लैनटेशन में प्रवेश करेंगे मसालों की खूश्बू आने लगेगी। इस ग्रीन पार्क में खूशबूदार मसालों के साथ कई तरह की जड़ी-बूटियों के भी पेड़-पौधे हैं जिनका इस्तेमाल कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है।

अगर आप मंदिरों से जुड़े इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको मसरूर रॉक कट टेंपल के बारे में जरूर जानना चाहिए
भारत में एक से बढ़कर एक धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपने इतिहास और खासियत की वजह से पहचाने जाते हैं। चलिए आज आपको पहाड़ की चट्टान को काटकर बनाएंगे मंदिर के बारे में बताते हैं। देशभर में एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थल और धार्मिक स्थान मौजूद है जहां अक्सर पर्यटक पहुंचते हैं। हिमाचल प्रदेश एक ऐसी जगह है जो अपने बर्फ से ढके हुए पहाड़ों और खूबसूरत नजारों के लिए पहचानी जाती है। हिमाचल प्रदेश में कई प्राचीन मंदिर भी मौजूद है जिनका हिंदू धर्म में काफी ज्यादा महत्व माना गया है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो मंदिरों से जुड़े इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको मसरूर रॉक कट टेंपल के बारे में जरूर जानना चाहिए। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है और पहाड़ के एक पत्थर को तराश कर इसे बनाया गया है। जब आप इसे देखेंगे तो सच में पड़ जाएंगे कि बिना किसी टेक्नालॉजी के पुराने समय में आखिरकार किस तरह से मंदिर का निर्माण किया गया था। चलिए जानते हैं कि यहां तक कैसे पहुंचा जा सकता है और इसकी खासियत क्या है। अगर आप इस मंदिर का दीदार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको टिकट लेनी होगी जिसे आप ऑनलाइन बुक कर सकते हैं या फिर यहां पहुंच कर भी टिकट लिया जा सकता है। इंडियन एडल्ट के लिए यहां ₹20 टिकट लगती है। समुद्र तल से यह 2535 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था और इसे बनाने में किसी भी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया।
यह मंदिर बहुत ही दिलचस्प है और काफी खूबसूरत भी है। यहां आपको कई सुंदर नजारे देखने को मिलेंगे। मंदिर के ठीक सामने एक सुंदर झील है जो इस जगह की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करती है। थोड़ी ही दूरी पर एक सुंदर व्यू प्वाइंट मौजूद है जहां प्रकृति के अद्भुत नजारे दिखाई देते हैं। यह मंदिर वैसे तो बहुत खूबसूरत है लेकिन लगभग 120 साल पहले यानी की 1905 में एक भयंकर भूकंप आया था जिस वजह से इसकी दीवारें डैमेज हो गई थी। हालांकि भूकंप मंदिर का ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया पर आज भी यहां पर भगवान शिव विष्णु की प्राचीन मूर्तियां मौजूद है।

हम जब भी मंदिरों में जाते हैं तो वहां पर दान पत्र होता है जिसमें हर व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार कुछ ना कुछ डालता है। लेकिन इस मंदिर में पैसे चढ़ाने की अनुमति नहीं है। यहां पर आपको राम जी लक्ष्मण जी और सीता जी की मूर्ति देखने को मिलेगी। यह मंदिर क्लोज कल सर्वे आफ इंडिया के अंदर आता है इसलिए यहां पर पैसे चढ़ाने की मना है। यहां पर आपको माता दुर्गा, भगवान विष्णु, ब्रह्मा सूर्य और कई भगवानों की मूर्तियां खूबसूरत नक्काशी के रूप में देखने को मिलेगी। अगर आप मसरूर रॉक टेंपल का दीदार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको हिमाचल के कांगड़ जिले में जाना होगा। मंदिर तक पहुंचने के लिए हवाई, सड़क और रेल मार्ग का उपयोग किया जा सकता है। दिल्ली से यह 460 किलोमीटर दूर मौजूद है और धर्मशाला से इसकी दूरी 45 किलोमीटर पड़ती है। यहां का निकटतम एयरपोर्ट कांगड़ है जो मंदिर से 45 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। नजदीकी रेलवे स्टेशन नगरोटा सूरियां पड़ता है।
आईए जानते हैं नैनी झील का इतिहास

नैनी झील नैनीताल शहर में स्थित एक सुरम्य और अर्धचंद्राकार मीठे पानी की झील है। नैनी झील नैनीताल शहर के मध्य में स्थित है, जो चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है। झील नैनीताल के परिदृश्य की एक प्रमुख विशेषता है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु है। झील की विशेषता इसकी अद्वितीय अर्धचंद्राकार या गुर्दे की आकृति है, जो इसकी दृश्य अपील को बढ़ाती है। इसका क्षेत्रफल लगभग 48 एकड़ है और यह पहाड़ियों और इसके उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर से घिरा हुआ है। मल्लीताल झील के उत्तरी छोर का नाम है, जबकि तल्लीताल दक्षिणी छोर का नाम है। नैनी झील नैनीताल में एक प्रमुख आकर्षण है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, मनोरंजन के अवसरों और सांस्कृतिक महत्व के साथ आगंतुकों को आकर्षित करती है। शांत पानी और सुंदर परिवेश इसे पहाड़ियों में शांतिपूर्ण विश्राम चाहने वालों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, नैनी झील को देवी पार्वती की पन्ना आंखों (नैना) में से एक माना जाता है जो भगवान शिव द्वारा किए गए ब्रह्मांडीय नृत्य तांडव के दौरान पृथ्वी पर गिरी थी। यही कारण है कि झील के किनारे नैना देवी मंदिर का भी निर्माण कराया गया है। नैना देवी मंदिर देश के 51 शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर नैनी झील के उत्तर में स्थित है। मंदिर में पारंपरिक कुमाऊंनी वास्तुकला और डिजाइन है। इसमें लकड़ी की नक्काशी और पगोडा जैसी संरचना के साथ एक विशिष्ट शैली है। मंदिर के गर्भगृह में देवी नैना देवी की मूर्ति है। नैना देवी मंदिर एक प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल है, और भक्त देवी नैना देवी का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं। देवी को नैनीताल की संरक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है। ठंडी सड़क, जिसका अनुवाद "ठंडी सड़क" है, नैनी झील के किनारे पेड़ों से घिरा एक रास्ता है। यह इत्मीनान से टहलने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, जहाँ से झील और आसपास की पहाड़ियों के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं। वहीँ मॉल रोड, दुकानों, कैफे और होटलों से सजी एक हलचल भरी सड़क, नैनी झील के किनारे चलती है। यह एक जीवंत क्षेत्र है जहां आगंतुक खरीदारी, भोजन और झील के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

नैनी झील विभिन्न त्योहारों और समारोहों का केंद्र बिंदु है। नैनीताल झील महोत्सव एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें झील के पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व का जश्न मनाते हुए सांस्कृतिक गतिविधियाँ, नाव दौड़ और अन्य उत्सव शामिल हैं। नैनी झील मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है, विशेषकर सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान। आसपास की पहाड़ियों का प्रतिबिंब और आकाश के बदलते रंग एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला वातावरण बनाते हैं। नैनी झील के आसपास नैनीताल की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई और उसे विकसित किया गया। झील शहर के लेआउट का केंद्र बिंदु बन गई, और इसके किनारों पर चर्च, स्कूल और आवासीय भवनों सहित विभिन्न संरचनाएं स्थापित की गईं।

आईए आज हम आपको झीलों का शहर नैनीताल के बारे में जानते हैं


खूबसूरत पहाड़ी वादियों में बसा नैनीताल हमेशा से एक लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन रहा है। यहां के ऊंचे और खूबसूरत पहाड़, झीलें, मंदिर और चारों तरफ फैली हरियाली आपको नैनीताल का दीवाना बना देगी। इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। अगर आप रोज के शोर शराबे से परेशान हो चुके हैं और कुछ दिन के लिए इन सबसे दूर जाना चाहते हैं तो फिर नैनीताल आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है। राजस्थान दोस्तों और फैमिली के साथ घूमने के लिए सबसे रोमाचंक जगह है। यहां हर साल दुनिया के हर कोने से काफी संख्या में टूरिस्ट आते हैं।

आज हम आपको नैनीताल की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं, जहां आपको जरूर जाना चाहिए....

नैनी झील नैनीताल के दिल में बसी है खूबसूरत नैनी झील। नैनी झील में आसपास के सारे पहाड़ों का रिफ्लेक्शन पड़ता है जिससे इसका पानी बिल्कुल हरा दिखता है और यह दृश्य काफी मनोरम लगता है। इस झील में आप बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं,इससे आप झील की खूबसूरती को करीब से महसूस कर पाएंगे।

इको केव
यहां के सबसे मशहूर जगहों में से एक है इको केव । इसमें कई सारी गुफाएं हैं। इस गुफा की सबसे खास बात ये है कि बाहर चाहे जैसा भी मौसम हो लेकिन इस गुफा में हमेशा ठंड ही रहती है। यहां से स्नो व्यू पॉइंट भी देखा जा सकता है। इस गुफा के आसपास कई सारी बॉलिवुड फिल्मों की शूटिंग भी हुई है।

सनसेट का खूबसूरत नजारा नैनीताल के मुक्तेशवर मंदिर से सनसेट का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। आप यहां शिवलिंग का दर्शन करने के बाद बाहर सनसेट का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। ज्यादातर लोग इस नजारे को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं ताकि एक खूबसूरत याद के तौर पर हमेशा इसे अपने साथ रखें।

नौकुचिया ताल जैसा कि सब जानते हैं कि नैनीताल को झीलों का शहर कहा जाता है। यहां आप घूमते घूमते थक जाएंगे लेकिन झीलों का सिलसिला खत्म नहीं होगा। यहां की नौकुचिया ताल काफी मशहूर है, भीमताल से 11 किमी. की दूरी पर स्थित नौकुचिया ताल की खूबसूरती देखते ही बनती है। इस झील की गहराई तकरीबन 160 फीट है। यहां आप सूकून के पल बिता सकते हैं।

राज भवन राज भवन को गर्वनर हाउस के नाम से भी जाना जाता है। ये उत्तराखंड के गर्वनर का आवास है। हमारे देश में कुछ ही गर्वनर हाउस हैं जो आम जनता के लिए खुले हैं, ये भी उनमें से एक है। 220 एकड़ में फैला ये राज भवन देखने में बेहद खूबसूरत और भव्य है।
नदी किनारे कैंपिंग करने की 5 बेहतरीन जगह, जो अपने आप में ही किसी टूरिस्ट प्लेस से कम नहीं


कैंपिंग करने का ट्रेंड आजकल इतना नया चला है कि लोगों ने अपने ही पर्सनल टेंट खरीदकर घर में रख लिए हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो घर में ही टेंट खोलकर कैंपिंग करना चालू कर देते हैं, तो कभी अपने आसपास के पार्क में ही कैंपिंग का आनंद ले लेते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से आते हैं, जिन्हें साल में एक बार कैंपिंग करने की इच्छा रहती है, और कुछ अच्छी जगह तलाश रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं।

ऋषिकेश
कैंपिंग की बात हो और ऋषिकेश का नाम सबसे ऊपर न आए, ऐसा कभी हो सकता है। ऋषिकेश में आए दिन यात्रियों की भीड़ लगी रहती है। इनमें कुछ लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं, तो कुछ कैंपिंग और राफ्टिंग के लिए आते हैं। ऋषिकेश में नदी के किनारे कैंपिंग करना किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां लोग नदी के किनारे कैंपिंग करते हैं, खेल खेलते हैं और सुबह के समय बहुत से लोग राफ्टिंग के लिए भी जाते हैं। नदी के किनारे ऋषिकेश में कैम्पिंग करना चाहते हैं, तो गर्मी के मौसम में ही करें, क्योंकि वहां मौसम रात के वक्त ठंडा रहता है।

शारावती, कर्नाटक अगर आप भी सोच रहे हैं कि शारावती एक जगह है, तो आप गलत हैं, कर्नाटक में शारावती एक नदी है, जो भारत के पश्चिमी तट में कर्नाटक से शुरू होती है और जोग वाटरफॉल  के नजदीक से गुजरती है। जोग वॉटरफॉल के 6 किलोमीटर दूर शारावती नदी के किनारे कैंपिंग के लिए यह जगह बहुत अच्छी है। हालांकि आपको वहां कैंपिंग की कोई सुविधा नहीं मिल सकती, इसलिए अपने साथ कैंपिंग बैग और उससे जुड़े सामान ले जाना न भूलें।

नैनीताल झील, उत्तराखंड उत्तराखंड के कुमाऊं जिले में मौजूद नैनीताल झील के बारे में किसने नहीं सुना, लेकिन आपने कभी ये सुना है कि यहां कैंपिंग भी की जा सकती है। कैंपिंग बैग को ले जाएं और साफ पानी की नैनीताल झील के पास कैंपिंग का मजा लें। कैंपिंग के साथ-साथ आप सुबह राफ्टिंग के लिए भी जा सकते हैं। नैनीताल में कैम्पिंग करने के अलावा आप भीमताल झील, मुक्तेश्वर, सत्तल जैसी खूबसूरत जगह भी देख सकते हैं। साथ ही वहां कई एडवेंचर्स एक्टिविटीज भी करवाई जाती हैं जैसे रैपलिंग, फ्लाइंग फॉक्स, डबल रोप, टायर कोर्स आदि।

करेरी झील, हिमाचल प्रदेश
करेरी झील हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मौजूद है। अगर आपको एडवेंचरस चीजें करना बेहद पसंद है, तो ये टूरिस्ट प्लेस कैंपिंग करने के लिए परफेक्ट है। आपको बता दें, दिसंबर से अप्रैल तक वहां बेहद बर्फ पड़ती है, लेकिन इस समय में भी कैंपिंग करने का अपना ही मजा है। धर्मशाला से 10 कि.मी. दूर इस झील पर कैंपिंग करना चाहते हैं तो अपने साथ कैंपिंग बैग ले जाना न भूलें। साथ में गर्म चाय और मैगी हो, तो मजा ही आ जाए।


पैंगोंग झील, लेह पैंगोंग झील, लेह की बहुत प्रसिद्ध झील है। 3 इडियट्स मूवी का आमिर खान और करीना कपूर का आखिरी सीन यहीं फिल्माया गया था। शायद आपको याद आ गया होगा। इस जगह का लुत्फ उठाने के लिए आप यहां कैंपिंग करने के लिए आ सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि लेह में आधा साल ठंड रहती है, तो सोच समझकर ही यहां के लिए प्लानिंग करें।




अगर आप जैसलमेर में घूमने के साथ-साथ कुछ मजेदार एक्टिविटीज की भी तलाश में हैं, तो चलिए आपको बताते हैं उन एडवेंचरस एक्टिविटी के बारे में
जैसलमेर राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। ये जगह अपने रेगिस्तान और कुछ अन्य पर्यटन आकर्षणों के लिए जानी जाती है। यहां के शानदार महल, रेगिस्तान, एडवेंचर स्पोर्ट, ऊंट की सवारी जैसी चीजें लोगों को बेहद खुश कर देती हैं।


रेगिस्तान में गाड़ी चलाना
डून बैशिंग जैसलमेर में सबसे लोकप्रिय साहसिक गतिविधियों में से एक है। अगर आप रेगिस्तान में गाड़ी चलाने का अनुभव लेना चाहते हैं, तो आपको दुबई या अन्य खाड़ी देशों में जाने की आवश्यकता नहीं है, आप अपनी इच्छा को जैसलमेर में भी पूरा कर सकते हैं। सैम सैंड ड्यून्स में डून बैशिंग साहसी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। सैम सैंड ड्यून्स में डून बैशिंग करते हुए, आप काफी हद तक रोमांच का अनुभव कर सकते हैं। यहां सफारी रेत के टीलों से ऊपर और नीचे होकर आगे बढ़ती है।


पैरासेलिंग


पर्यटक, जो पक्षी की तरह उड़ना चाहते हैं, वे जैसलमेर में इस साहसिक खेल का अनुभव कर सकते हैं। इस एडवेंचर सपोर्ट का मजा डेजर्ट कैंप में लिया जाता है। इस एक्टिविटी के दौरान, आपके मित्र और परिवार के सदस्य उड़ान के दौरान कई खूबसूरत तस्‍वीरें ले सकते Sl AS असल में एक सुरक्षित एक्टिविटी है और जैसलमेर के दौरे पर आपको इसका अनुभव अवश्य करना चाहिए।


ऊंट की सफारी सैम सैंड ड्यून्स में अनुभव करने के लिए कैमल सफारी एक और रेगिस्तानी खेल है। जब भी हम जैसलमेर के बारे में सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले यहां की फेमस ऊंट की सवारी आती है। इससे ज्यादा मजेदार और रोमांचकारी अनुभव आपको किसी और एक्टिविटी में नहीं सकता। साथ ही, ऊंट की दौड़ इस जगह का एक बड़ा आकर्षण है और यह वार्षिक डेजर्ट फेस्टिवल का भी एक हिस्सा है जो हर साल फरवरी में आयोजित किया जाता है।

क्वाड बाइकिंग इस रेगिस्तानी शहर में अनुभव करने के लिए क्वाड बाइकिंग एक अनूठा साहसिक खेल है। रेत के टीलों में चार पहियों वाली बाइक की सवारी करना एक अविश्वसनीय अनुभव है। ये स्पोर्ट काफी अनोखा है, जिसे हर एक व्यक्ति अपने जीवन में एक बार जरूर आजमाना चाहेगा। जैसलमेर में क्वाड बाइकिंग के लिए कई पैकेज हैं, तो आप अपने लिए उपयुक्त पैकेज का चयन कर सकते हैं।

डेजर्ट कैम्पिंग थार रेगिस्तान के बीच में डेजर्ट कैंपिंग जैसलमेर में एक अद्भुत अनुभव है। यह पर्यटकों के लिए रेगिस्तान की सुंदरता से घिरे थार रेगिस्तान के केंद्र में कई शानदार आवास प्रदान करता है। कपल्स के लिए शहर के जीवन से बाहर कुछ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए यह एक बेहतरीन एडवेंचर है। जैसलमेर में डेजर्ट कैंपिंग में कई मनोरंजन गतिविधियाँ शामिल हैं, जैसे नाच, गाना आदि। यह पर्यटकों को वन्य जीवन का अनुभव भी प्रदान करता है। डेजर्ट कैंपिंग के दौरान, आप डेजर्ट सफारी और डर्ट बाइक एडवेंचरस एक्टिविटीज भी कर सकते हैं।

गडीसर झील में बोटिंग गडीसर झील शहर के मध्य में स्थित एक आर्टिफिशियल झील है। जो लोग पानी आधारित खेलों से प्यार करते हैं, उन्हें इस झील पर नाव की सवारी के लिए जाना चाहिए। झील कई हिंदू मंदिरों से घिरी हुई है, इसलिए आप नौका विहार के दौरान मंत्रमुग्ध कर देने वाले कई अनुष्ठानों को सुन सकते हैं। सर्दियों के दौरान, झील कई प्रवासी पक्षियों के लिए एक अस्थायी घर बन जाती है, जो आपके नौका विहार के अनुभव को और अधिक सुंदर बना देती है।


आइए जानते है वह कौन सी 7 जगह है जो खूबसूरत जैसलमेर की रौनक बढ़ाती हैं
जैसलमेर शहर चारो तरफ से बंजर रेत और शुष्क थार रेगिस्तान से घिरा हुआ है जो दूर से पीले रंग में चमकता है क्योंकि यहां के किले हवेलियां, मंदिरों में पीले बलुआ पत्थर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है। बड़ी-बड़ी मूंछो और रंगबिरंगी पगड़ी पहने पुरुष, सितारे और शीशे लगे लहंगे पहने हुए महिलाएं, पीले बलुआ पत्थर से बने जाली और झरोखे की वास्तुकला, चमड़े की जूतियों की असंख्य दुकानें, ब्लॉक से छपाई किए हुए स्कार्फ और छोटी वस्तुओं पर कलाकारी ये सब चीजें पर्यटक को अपने आप में डूबाकर पुराने समय में ले जाती है।

पटवों की हवेली, जैसलमेर एक परिसर में पांच छोटी हवेलियों का एक शानदार समूह, पटवों की हवेली जैसलमेर में घूमने के स्थानों की सूची में सबसे ऊपर आती है। खिड़कियों और बालकनियों पर जटिल नक्काशी और उत्तम वॉल पेंटिंग और शीशे का काम हवेलियों की भव्यता को बढ़ाते हैं। इस विशाल हवेली में हवादार आंगन और 60 बालकनी हैं, जिनमें से प्रत्येक में विशिष्ट नक्काशी है जो इसके आकर्षण को बढ़ाती है। हवेली के संग्रहालय में आपको पटवा परिवार से संबंधित पत्थर के काम और कलाकृतियों का दुर्लभ संग्रह भी मिलेगा। पटवों की हवेली आने का सबसे अच्छा समय सितंबर से फरवरी के बीच है।

जैसलमेर का किला थार रेगिस्तान की सुनहरी रेत पर स्थित और एक विशाल रेत के महल जैसा दिखने वाला जैसलमेर किला राजस्थानी वास्तुकला का प्रतीक है। भारत के इस सबसे बड़े जीवित किले में लगभग 5000 लोग रहते हैं और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है। इस पीले बलुआ पत्थर के किले में विभिन्न द्वारों - गणेश पोल, सूरज पोल, भूत पोल और हवा पोल से प्रवेश किया जा सकता है, आखिर में आप बड़े प्रांगण में जाएंगे जिसे दशहरा चौक कहा जाता है। किले के अंदर लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैन मंदिर, कैनन प्वाइंट, पांच-स्तरीय मूर्तिकला महरवाल पैलेस और किला संग्रहालय जैसे कुछ प्रमुख आकर्षण हैं। इस किले में घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च तक है।

गड़ीसर झील शहर के बाहरी इलाके में स्थित, खूबसूरत गडीसर झील शांति चाहने वालों के लिए एकदम परफेक्ट लोकेशन है। इसका इतिहास 14वीं शताब्दी का है, जब यह पूरे शहर के लिए पानी का एक प्रमुख स्रोत था। अब, गडीसर झील एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है जहाँ आप बोटिंग का मजा ले सकते हैं और निकटवर्ती जैसलमेर किले और इसके किनारे पर मौजूद मंदिरों के सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। यदि आप सर्दियों में यहां घूमने आ रहे हैं, तो आपको यहां कई प्रवासी पक्षियों का भी जमावड़ा दिखाई दे सकता है। यहां आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है।

व्यास छत्री बड़ा बाग के अंदर स्थित व्यास छत्री जैसलमेर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। सुरुचिपूर्ण राजस्थानी वास्तुकला और जटिल नक्काशी के साथ सुनहरे रंग के बलुआ पत्थर की छतरियों की एक सरणी के साथ, ये संरचनाएं देखने लायक हैं। छतरियों की वास्तुकला को निहारने के अलावा, आप एक तरफ जैसलमेर किले और दूसरी तरफ रेत के टीलों के सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। व्यास छतरी देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है।

सैम सैंड ड्यून्स देश के सबसे प्रामाणिक रेगिस्तानी स्थलों में से एक, सैम सैंड ड्यून्स सूर्योदय और सूर्यास्त के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य प्रस्तुत करता है। आप यहां रेगिस्तान सफारी पर भी जा सकते हैं या ऊंट की सवारी का आनंद ले सकते हैं। थार रेगिस्तान के केंद्र में कई कैम्पिंग पॉइंट भी हैं। लोक नृत्य, रात में संगीत, प्रामाणिक राजस्थानी व्यंजन और राजस्थान की संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने वाली अन्य दिलचस्प गतिविधियाँ सैम सैंड ड्यून्स में देखी जा सकती हैं।

खाबा किला खाबा किला, कुलधरा गांव के पास, जैसलमेर में एक और असामान्य और अद्भुत संरचना है। किले और गांव में पालीवाल ब्राह्मण रहते थे, जिन्होंने एक रात अज्ञात कारणों से इसे छोड़ दिया था। अब यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण बन चुका है, इस किले से आप गांव के सुंदर मनोरम दृश्य देख सकते है, साथ ही कई खूबसूरत फोटोज भी खीच सकते हैं। किले का आकर्षण और सदियों पुरानी कलाकृतियों वाला एक संग्रहालय कई इतिहास प्रेमियों को भी आकर्षित करता है।