महिला ग्राम प्रधान का सिर्फ नाम पति,देवर या प्रतिनिधि निपटा रहे हैं काम , जल्द होगी जांच
गोरखपुर। खजनी ब्लाक के 85 ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान चुनी गई महिलाओं की शक्ति महज उनके नाम तक ही सीमित है. आरक्षण की मजबूरी में महिलाओं को ग्राम प्रधान तो बना दिया गया लेकिन असली ग्राम प्रधान तो उनके प्रतिनिधी है. अधिकांश ग्राम पंचायत में तो महिला ग्राम प्रधान को हस्ताक्षर करने तक का मौका नहीं दिया जाता।
कमोवेश यही स्थिति आरक्षित सीटों पर जीते पुरुष ग्राम प्रधानों की भी है।ब्लॉक में कुल ग्राम पंचायतो की संख्या 85 है. पंचायत चुनाव में 40 सीटों पर महिलाओं ने जीत दर्ज की जिसमें सभी वर्ग की महिलाएं हैं।
कुल ग्राम प्रधानों में 40 से अधिक महिलाएं हैं वहीं ग्राम प्रधान का पूरा काम उनके पति, पुत्र, देवर, ससुर प्रतिनिधि के रूप में देखते हैं. चुनाव जीतने के बाद उनके डोंगल, मुहर व पंचायतो से जुड़े अभिलेख भी प्रतिनिधि ही संभालते हैं। अधिकांश गांवों में प्रधान के बजाय लोग उनको ही प्रधान जी कहते हैं और समझते हैं. महिला ग्राम प्रधानों के अलावा अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के अधिकांश ग्राम प्रधानों को अपने प्रतिनिधि के पीछे ही चलना पड़ रहा है. कई गांव में तो अपनी प्रतिष्ठा लगाकर अपने खास को प्रधान बनने वाले मांगने पर भी उन्हें डोंगर, मुहर व पंचायत से जुड़े महत्वपूर्ण अभिलेख नहीं दिए जा रहे हैं
महिला ग्राम प्रधानों के प्रतिनिधियों की दबंगई इस कदर हावी है कि वह उन मीटिंगों को भी अटेंड करते हैं जहां प्रत्येक दशा में जनप्रतिनिधि का होना आवश्यक होता है. मीटिंग के एजेंडे पर भी प्रतिनिधि प्रधान के हस्ताक्षर कर देते हैं वहीं कई गांव में तो ग्राम प्रधान के बजाय बैंकों में ग्राम प्रधान का हस्ताक्षर प्रतिनिधि करते हैं. सबसे गंभीर आरोप है कि डोंगल व मुहर का प्रयोग करने के साथ-साथ आरोपी हस्ताक्षर बनाकर गांव में विकास कार्य भी कर रहे हैं इसमें सचिव भी उपरोक्त लोगों से मिला हुआ है अब तक कराए गए कार्यों की जानकारी भी उस महिला ग्राम प्रधान को नहीं है मामले में अधिकारियों से बात करने पर कहां है कि प्रतिनिधि को ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर करने का कोई अधिकार नहीं है यदि ऐसा कोई शिकायत उन्हें मिलेगी तो पूरे मामले की जांच करने के बाद संबंधित के खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा. सरकार जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने के साथ ही उनकी भागीदारी को शत प्रतिशत तो सुनिश्चित करने का कार्य कर रही है. वहीं सरकार के नाक के नीचे इस तरह के कार्य से जहां महिलाओं की छवि धूमिल हो रही है वही उनके अधिकारों का भी हनन किया जा रहा है।
Jul 25 2024, 17:12