संसद में न लगाएं 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारे, बजट सत्र से पहले सभी सांसदों को याद दिलाए नियम
संसद में न लगाएं 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारे, बजट सत्र से पहले सभी सांसदों को याद दिलाए नियम
नई दिल्ली:- सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले सांसदों को याद दिलाया गया है कि सभापति के निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए और सदस्यों को ''वंदे मातरम'' व ''जय हिंद'' सहित अन्य नारे नहीं लगाने चाहिए। सदस्यों को यह भी याद दिलाया गया है कि सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन करना अनुचित है।
22 जुलाई से शुरू होगा संसद सत्र
राज्यसभा सचिवालय ने ''राज्यसभा सदस्यों के लिए पुस्तिका'' के कुछ अंश 15 जुलाई को अपने बुलेटिन में प्रकाशित कर संसदीय परंपराओं और संसदीय शिष्टाचार के प्रति सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया है। संसद सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 12 अगस्त को संपन्न होगा।
गरिमा और गंभीरता के लिए आवश्यक
बुलेटिन में कहा गया है कि सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता के लिए यह आवश्यक है कि सदन में धन्यवाद, आपका शुक्रिया, जय हिंद, वंदे मातरम या अन्य कोई नारा नहीं लगाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभापति द्वारा सदन के पूर्व के दृष्टांतों के अनुसार निर्णय दिए जाते हैं और जहां कोई उदाहरण नहीं है, वहां सामान्य संसदीय व्यवहार का पालन किया जाता है।
असंसदीय शब्दों से बचने की सलाह
बुलेटिन में पुस्तिका के अंश को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि सभापति द्वारा दिए गए निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए। संसदीय शिष्टाचार का हवाला देते हुए बुलेटिन में कहा गया कि आक्षेप, आपत्तिजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से पूरी तरह से बचना चाहिए। जब सभापति को लगता है कि कोई विशेष शब्द या अभिव्यक्ति असंसदीय है, तो उसे बिना बहस के तुरंत वापस लेना चाहिये।
पीठासीन अधिकारी का अभिवादन करना चाहिए
इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में प्रवेश करते या बाहर निकलते समय और सीट पर बैठने या उठकर जाने से पहले पीठासीन अधिकारी का झुककर अभिवादन करना चाहिए। कोई सदस्य जब किसी अन्य सदस्य या मंत्री की आलोचना करता है तो अपेक्षा की जाती है कि आलोचना करने वाला सदस्य उत्तर सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहे। पुस्तिका में कहा गया है, जब मंत्री या सदस्य उत्तर दे रहे हों तो सदन से अनुपस्थित रहना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन है।
नई दिल्ली:- सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले सांसदों को याद दिलाया गया है कि सभापति के निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए और सदस्यों को ''वंदे मातरम'' व ''जय हिंद'' सहित अन्य नारे नहीं लगाने चाहिए। सदस्यों को यह भी याद दिलाया गया है कि सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन करना अनुचित है।
22 जुलाई से शुरू होगा संसद सत्र
राज्यसभा सचिवालय ने ''राज्यसभा सदस्यों के लिए पुस्तिका'' के कुछ अंश 15 जुलाई को अपने बुलेटिन में प्रकाशित कर संसदीय परंपराओं और संसदीय शिष्टाचार के प्रति सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया है। संसद सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 12 अगस्त को संपन्न होगा।
गरिमा और गंभीरता के लिए आवश्यक
बुलेटिन में कहा गया है कि सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता के लिए यह आवश्यक है कि सदन में धन्यवाद, आपका शुक्रिया, जय हिंद, वंदे मातरम या अन्य कोई नारा नहीं लगाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभापति द्वारा सदन के पूर्व के दृष्टांतों के अनुसार निर्णय दिए जाते हैं और जहां कोई उदाहरण नहीं है, वहां सामान्य संसदीय व्यवहार का पालन किया जाता है।
असंसदीय शब्दों से बचने की सलाह
बुलेटिन में पुस्तिका के अंश को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि सभापति द्वारा दिए गए निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए। संसदीय शिष्टाचार का हवाला देते हुए बुलेटिन में कहा गया कि आक्षेप, आपत्तिजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से पूरी तरह से बचना चाहिए। जब सभापति को लगता है कि कोई विशेष शब्द या अभिव्यक्ति असंसदीय है, तो उसे बिना बहस के तुरंत वापस लेना चाहिये।
पीठासीन अधिकारी का अभिवादन करना चाहिए
इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में प्रवेश करते या बाहर निकलते समय और सीट पर बैठने या उठकर जाने से पहले पीठासीन अधिकारी का झुककर अभिवादन करना चाहिए। कोई सदस्य जब किसी अन्य सदस्य या मंत्री की आलोचना करता है तो अपेक्षा की जाती है कि आलोचना करने वाला सदस्य उत्तर सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहे। पुस्तिका में कहा गया है, जब मंत्री या सदस्य उत्तर दे रहे हों तो सदन से अनुपस्थित रहना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन है।
Jul 23 2024, 16:13