अपने बेटे की मौत की दुआ करती माँ उसकी मौत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाया
हर मां अपनी ममता के लिए जानी जाती है। अपनी संतान के हर दुख की घड़ी को वह अपना समझती है। उसके लिए सब कुछ निछावर कर देती है।
उसके सुखद जीवन के लिए सदा दुआ करती है, लेकिन दिल्ली से सटे गाजियाबाद की रहने वाली एक मां प्रत्येक दिन अपने बेटे की मौत के लिए दुआ मांग रही है, क्योंकि वह पिछले 11 सालों से लगातार बिस्तर में पड़ा है।
उसकी सिर्फ सांसें चल रही हैं और उसकी जिंदगी की और कोई निशानी भी नहीं बची है। बिस्तर पर पड़े-पड़े उसका शरीर भी अब धीरे-धीरे कंकाल में बदलता जा रहा है, लेकिन मौत है कि उसे आती नहीं। इसीलिए मां ने मायूस होकर और अपने बेटे की मौत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
बनना चाहता था इंजीनियर
बेटे की देखरेख करने वाली उनकी मां निर्मला का कहना है कि जब बिस्तर में ही पड़े-पड़े सड़े तो फिर ऐसी जिंदगी का फायदा ही क्या है। जो हरीश की तकलीफ और स्थिति है, अब और नहीं देखा जाता। हाथ और पैर बिल्कुल डेढ़े हो गए हैं। इसे अब भगवान अपने आप ही मुक्ति दे दें। भगवान इसे ठीक करें हम नहीं बोल रहे पर इसे अब मुक्ति ही दे दें।
परिजनों ने बताया कि हरीश की जिंदगी 11 साल पहले पूरी तरह से गुलजार थी। वह इंजीनियर (Engineer) बनना चाहता था। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए उसने साल 2013 में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था।
बालकनी से गिरकर हो गया था बेहोश
अपनी पढ़ाई के दौरान वह यूनिवर्सिटी के पास ही मोहाली में एक हॉस्टल nमें रहता था। उसका कमरा चौथी मंजिले पर था।
एक दिन वह कॉलेज से आकर अपने हॉस्टल की बालकनी पर था और उसी बीच अचानक बालकनी से नीचे गिर पड़ा। इससे उसके सिर पर गंभीर चोटें आई थी। वह होश में नहीं था लेकिन उसकी सांसें चल रही थी।
वहीं इस घटना के बाद उसे आनन-फानन में PGI चंडीगढ़ ले जाया गया। इस संबंध में मोहाली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है उस समय हरीश के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे को जान-बूझकर बालकनी से कुछ लड़कों ने धक्का देकर गिराया था।
इलाज में खराब हो गई घर की हालत
चंडीगढ़ PGI में उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। यहां तक कि डॉक्टरों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए। अंत में डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया।
इसके पश्चात घरवालों ने उसे दिल्ली के ही राम मनोहर लोहिया अस्पताल उसके बाद लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल और उसके बाद फिर फोर्टिस अस्पताल भर्ती कराया।
मगर कुछ भी फायदा नहीं हुआ। बेटे के इलाज के कारण घर की माली हालत दिनों-दिन और भी खराब होती चली गई।
Jul 19 2024, 16:29