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केपी शर्मा ओली चौथी बार बने प्रधानमंत्री, भारत-नेपाल रिश्तों पर कितना होगा असर

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नेपाल में एक अहम घटनाक्रम में रविवार को केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है। 72 साल के ओली तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष खड्ग प्रसाद (केपी) शर्मा ओली को नेपाल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने रविवार शाम नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार, ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली ने दो दिन पहले सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से बहुमत का दावा पेश किया था।

ओली ने पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' की जगह ली है। प्रचंड शुक्रवार को विश्वास मत हार गए थे। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नई सरकार गठित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। राष्ट्रपति राम चंद्र ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनिस्ट (CPN-UML) के नेता केपी शर्मा ओली को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। 

केपी शर्मा ओली को चीन समर्थक माना जाता है। उनके पहले कार्यकाल में भारत के साथ उनके रिश्ते तल्ख रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और नेपाल के संबंधों पर थोड़ा असर पर सकता है। ओली 11 अक्टूबर 2015 से तीन अगस्त 2016 तक देश के प्रधानमंत्री रहे, जिसके दौरान काठमांडू के नयी दिल्ली के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे। इसके बाद ओली पांच फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे। बाद में राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के चलते वह 13 मई से 13 जुलाई 2021 तक पद पर बने रहे। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ओली ने भारत पर नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और नयी दिल्ली पर उनकी सरकार को गिराने का आरोप लगाया था। नेपाल के नए संविधान को लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव के कारण 2015 में सीमा नाकाबंदी के दौरान ओली ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। 

अने दूसरे कार्यकाल में मई 2020 में ओली की सरकार ने बीजिंग के साथ संबंधों को भी मजबूत किया और एक अपडेटेड मानचित्र प्रकाशित किया जिसमें उत्तराखंड में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दावा किया गया था। भारत ने इस दावे को "एकतरफा" बताते हुए खारिज कर दिया था और बाद में दोनों देशों ने बातचीत की थी। इसके बाद हाल ही में नेपाल ने उसी नक्शे को एक नोट में भी डाल दिया, तो इसे लेकर भी भारत में हलचल हुई थी।

क्या भारत के साथ रिश्तों पर पड़ेगा असर?

ऐसे में विशेषज्ञों की माने तो केपी शर्मा ओली के सत्ता में आने के बाद भारत के लिए चुनौती साबित हो सकती है। लेकिन ये गठबंधन (सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांग्रेस) की सरकार होगी। नेपाली कांग्रेस का भारत से अच्छा संबंध है। नेपाली कांग्रेस का ज़ोर कूटनीतिक रास्तों के ज़रिए समस्या का समाधान ढूंढने पर होता है। नेपाली कांग्रेस संतुलित और तटस्थ नज़रिया रखते हुए काम करने को कह सकती है, ऐसे में दोनों के रिश्तों में अधिक बदलाव नहीं आना चाहिए।

भारत-नेपाल एक-दूसरे की जरूरत

माना जाता है कि नेपाल से भारत का रोटी-बेटी का संबंध है। सदियों से नेपाल के साथ भारत का भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध और रहा है। ऐसे में भारत और नेपाल को एक-दूसरे की जरूरत भी हैं। इसकी कई वजहें भी हैः-

1. भारत के साथ नेपाल 1751 किमी बॉर्डर शेयर करता है। भारत के कुल पांच राज्य हैं जो नेपाल की सीमा से लगे हुए हैं। ये राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम और पश्चिम बंगाल हैं।

2. नेपाल के कुल 75 जिलों में से 23 ऐसे जिले हैं जो भारत की सीमा से लगते हैं। बिहार के साथ नेपाल के 12 जिले, उत्तर प्रदेश के साथ 8, पश्चिम बंगाल के साथ 2 जिसमें एक बिहार जिसमें से एक बिहार सीमा के भी साथ साझा करता है। उत्तराखंड के साथ चार जिसमें दो पश्चिम बंगाल, एक सिक्किम और उत्तर प्रदेश के साथ भी लगते हैं। ऐसे में सीमा सुरक्षा को ध्यान रखते हुए नेपाल से दोस्ती भारत की जरूरत है।

3. भारत सरकार के 2019 के एक आंकड़े के मुताबिक, नेपाल के लगभग 60 लाख लोग भारत में रहते हैं और यहीं पर अपनी आजीवका भी चलाते हैं यानी काम करते हैं। एक तरह से देखा जाए तो नेपाल की करीब 20 फीसदी आबादी भारत में रहती है और भारत पर ही उनकी आजीविका निर्भर है।

4. भारत सरकार की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 6 लाख भारत के लोग नेपाल में रहते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग बिजनेस के उद्देश्य से नेपाल जाते हैं। इसके आलावा सीमा से सटे इलाकों के कई ऐसे लोग भी हैं जो रहते तो भारत में हैं लेकिन उनकी जीविका नेपाल से चलती हैं।

5. सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो भारतीय सेना में भी नेपाल के लोगों की भर्ती होती है। वर्तमान में 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में तैनात हैं। साथ ही करीब 3,000 करोड़ रुपए पेंशन के तौर पर हर साल करीब सवा लाख पूर्व गोरखा सैनिकों को दी जाती है।

6. विदेशों में काम कर रहे नागरिकों में सबसे ज्यादा लोग भारत में ही हैं, क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के लिए खुली हुई हैं। जहां किसी तीसरे देश में काम करने के लिए नेपालियों को लेबर परमिट के लिए आवेदन करना पड़ता है, वहीं भारत में काम करने के लिए ऐसे किसी परमिट की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

7. भारत की कई प्राइवेट और सरकारी कंपनियां भी नेपाल में काम करती हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो, नेपाल के FDI में 30 फीसदी हिस्सा भारत से आता है।

8.यही नहीं भारत अपने 6 पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के साथ कुल 90 हजार करोड़ रुपए का सीमा व्यापार करता है। भारत जिन 6 पड़ोसी देशों से व्यापार करता है, उनमें नेपाल शीर्ष पर है।

अमेरिका में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं”, ट्रंप पर हमले के बाद बोले बाइडन

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अमेरिकी में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। इससे पहले रविवार को दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क में एक पूर्व राष्ट्रपति पर जानलेवा हमला हुआ। पेंसिलवेनिया हमले में डोनाल्ड ट्रंप बाल-बाल बच गए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास के एक दिन बाद रविवार को देशवासियों को संबोधित किया। वॉइट हाउस के ओवल ऑफिस से दिए संबोधन में बाइडन ने कहा, अमेरिका में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। हम इस हिंसा को सामान्य नहीं बनने दे सकते।

व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस से करीब पांच मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभियान को पूरे जोश से आगे बढ़ाने का समय आ गया है और वह इसके लिए पूरे देश की यात्रा करने वाले हैं, हालांकि उन्होंने ने अपने शॉर्ट संबोधन में ट्रेंप पर हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने ट्रंप पर हत्या के प्रयास पर कहा कि अमेरिका में, राजनीतिक हिंसा के रास्ते पर हम बिलकुल नहीं जा सकते और हमें जाना भी नहीं चाहिए।

बाइडन ने कहा, मैं आज रात आपसे अपनी राजनीति में तापमान कम करने की आवश्यकता के बारे में बात करना चाहता हूं और याद रखना चाहता हूं कि जब हम असहमत होते हैं, तो हम दुश्मन नहीं होते हैं, हम पड़ोसी होते हैं, हम दोस्त होते हैं, सहकर्मी होते हैं, नागरिक होते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम साथी अमेरिकी होते हैं। हमें एक साथ खड़ा होना चाहिए।' बाइडन ने आगे कहा, 'कल पेंसिल्वेनिया में डोनाल्ड ट्रम्प की रैली में हुई गोलीबारी हम सभी से एक कदम पीछे हटने, यह जायजा लेने का आह्वान करती है कि हम कहां हैं, हम यहां से आगे कैसे बढ़ेंगे।

इस दौरान उन्होंने कहा कि अभी तक ट्रंप पर हमले का कोई मोटिव पता नहीं चला है। बाइडेन ने कहा, अभी तक हमें शूटर के मकसद के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हम जानते हैं वह कौन है। आप सभी से मेरी यही अपील है कि हमलावर के मकसद को लेकर ज्यादा धारणा न बनाएं। जांच के आदेश दे दिए गए हैं। FBI को अपना काम करने दें।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले पर राहुल गांधी ने जताई चिंता, बीजेपी बोली- 'इन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ हिंसा को दिया बढ़ा

डेस्क: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पेंसिल्वेनिया में एक रैली के दौरान हत्या के प्रयास की घटना को लेकर बीजेपी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा. बीजेपी ने राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. वहीं, राहुल गांधी के ट्रंप पर हमले की निंदा करने के बाद बीजेपी के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि यह 'राहुल गांधी के कपट भरे शब्द हैं'.

दरअसल, राहुल गांधी ने रविवार को राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इस तरह के कृत्यों की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. इस दौरान बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा कि तीसरी बार विफल राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दिया है और उसे उचित ठहराया है, जिसके कारण वे कई बार चुनाव हार चुके हैं.

भारत ये भूल नहीं सकता- अमित मालवीय

अमित मालवीय ने आगे कहा कि भारत यह कैसे भूल सकता है कि पंजाब पुलिस ने, जो उस समय कांग्रेस के अधीन थी, जानबूझकर प्रधानमंत्री की सुरक्षा से समझौता किया था, जब उनके काफिले को फ्लाईओवर पर फंसा दिया गया था.

PM मोदी के खिलाफ भी राहुल ने की 'तानाशाह' की बयानबाजी

बीजेपी आईटी सेल चीफ अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कई बार तानाशाह कहकर पीएम मोदी के खिलाफ बयानबाजी की है. जैसे डेमोक्रेटिक नेता और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रंप के साथ की. ट्रंप के कई समर्थकों ने आरोप भी लगाया है कि उनके खिलाफ नफरत का माहौल पैदा किया जा रहा है. अमित मालवीय ने एक्स पर एक और पोस्ट में कहा कि आज अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 'लोकतंत्र खतरे में है' थीम है, ठीक उसी तरह जैसे भारत में विपक्ष का नारा ' संविधान को बचाना है ' था.

उन्होंने कहा कि अमेरिका में नस्ल की तरह जाति को भी भारतीय समाज में दरार डालने के लिए हथियार बनाया गया. वहीं, विरोधियों को शैतान बताना और उन्हें तानाशाह कहना भी संयोग नहीं है.

कौन हैं बाबा वेंगा, जिन्होंने पहले ही कर दी थी ट्रंप पर हमले की भविष्यवाणी, एक-एक बात निकली सच तो दुनिया हुई हैरान

डेस्क : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति पर पेन्सिलवेनिया की रैली में हुए जानलेवा हमले से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। वह तो किस्मत सही थी कि डोनॉल्ड ट्रंप इस खतरनाक हमले में बाल-बाल बच गए। मगर ट्रंप पर हमले के बाद अब बाबा वेंगा की वह भविष्यवाणी बेहद चर्चा में आ गई है, जिसमें उन्होंने पहले ही ट्रंप पर हमले की बात बता दी थी। बाबा वेंगा ने पूर्व में ही ट्रंप पर हमले की भविष्यवाणी कर दी थी। अब बाबा वेंगा की यह भविष्यवाणी भी 100 फीसदी सच निकली है। इससे पूरी दुनिया हैरान रह गई। आइए आपको यह भी बताते हैं कि बाबा वेंगा कौन हैं, जिनकी कई विश्वस्तरीय भविष्यवाणियां 100 फीसदी सच साबित हुई हैं। 

ट्रंप पर हमले से पूर्व भविष्यवाणी करके बाबा वेंगा एक बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुके हैं। बाबा वेंगा ने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप की जान खतरे में पड़ जाएगी। बाबा वेंगा बुल्गारिया के अंधे फकीर हैं। ट्रंप पर हमले की बात सच होने की घटना ने बाबा वांगा की भयानक भविष्यवाणियों में फिर से दिलचस्पी जगा दी है। ट्रंप पर हमले से पहले बाबा वेंगा ने भविष्यवाणी कर दी थी कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति का जीवन खतरे में होगा। अब शनिवार को पेंसिल्वेनिया के बटलर में एक कार्यक्रम में बोलते वक्ट डोनाल्ड ट्रम्प को 20 वर्षीय एक व्यक्ति ने गोली मार दी। हालांकि इस हमले में ट्रंप बाल-बाल बच गए। 

डोनाल्ड ट्रम्प की रैली में कैसे हुई गोलीबारी की घटना

अमेरिकी की प्रमुख जांच एजेंसी एफबीआई के अनुसार पेंसिल्वेनिया के बेथेल पार्क में कार्यक्रम के दौरान ट्रंप पर उनकी हत्या के इरादे से हमला किया गया। हमलावर की पहचान थॉमस मैथ्यू क्रुक्स के रूप में की गई, जिसने ट्रंप पर कई गोलियां चलाईं। जिनमें से एक गोली ट्रम्प के दाहिने कान में लगी। अमेरिका की सीक्रेट सर्विस ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर क्रुक्स को गोली मार दी, जबकि ट्रंप पर हमले के दौरान रैली में भाग लेने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।

सोशल मीडिया पर ट्रंप ने कहा-मुझे गोली मारी गई

घटना के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने इस घटना को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया पर कहा, ''मुझे गोली मार दी गई। उन्होंने बताया कि "मुझे एक गोली मारी गई जो मेरे दाहिने कान के ऊपरी हिस्से को छेदती हुई निकल गई।" सीक्रेट सर्विस ने नोट किया कि एआर-स्टाइल राइफल का उपयोग करके सुरक्षित क्षेत्र के बाहर एक ऊंचे स्थान से गोलियां चलाई गईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि घटना के निकट एक छत पर शूटर को राइफल से लैस देखा गया था, जिससे हमले से कुछ क्षण पहले ही सुरक्षा को सतर्क कर दिया गया था।

बाबा वेंगा की अशुभ भविष्यवाणियां

वुल्गारिया वाले बाबा वेंगा को अक्सर 'बाल्कन के नास्त्रेदमस' के रूप में जाना जाता है। वेंगा भी दुनिया में चौंकाने वाली भविष्यवाणियां करने के लिए जाने जाते थे। जिनका 1996 में निधन हो गया था। इसके बावजूद उनकी भविष्यवाणियां कई लोगों के लिए जिज्ञासा और चिंता का विषय बनी हुई हैं। अपनी कई भविष्यवाणियों के बीच, वेंगा ने भविष्यवाणी की थी कि व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रम्प दोनों का जीवन खतरे में होगा। बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों के अनुसार, ट्रम्प को एक रहस्यमय बीमारी का सामना करना पड़ेगा, जिससे वह बहरे हो जायेंगे और ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हो जाएंगे। जबकि ट्रम्प ने इन विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव नहीं किया है, हाल ही में हत्या का प्रयास उनके जीवन के खतरे में होने की उनकी भविष्यवाणी में एक चौंकाने वाली परत जोड़ता है। क्योंकि गोली से उनके कान को ही नुकसान पहुंचा है। 

बाबा वेंगा की विरासत और संशयवाद

बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों ने अक्सर आकर्षण और संदेह दोनों को जगाया है। जबकि उनकी कुछ भविष्यवाणियां जैसे 9/11 के हमले और कुर्स्क पनडुब्बी दुर्घटना, को उनकी दूरदर्शिता के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया गया है। अन्य भविष्यवाणियां जैसे कि 2016 तक यूरोप का अंत और 2010 और 2014 के बीच परमाणु युद्ध सामने नहीं आईं। सत्यापन योग्य दस्तावेज़ों की कमी के बावजूद उनकी भविष्यवाणियां दुनिया भर के लोगों को मंत्रमुग्ध करती रहती हैं।

कारगिल विजय दिवस पर सेना की अच्छी पहल, जम्मू-कश्मीर में गांव की लड़कियों के लिए किया यह काम

डेस्क: कारगिल विजय दिवस के मौके पर भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर में लड़कियों के लिए शूटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस खास कार्यक्रम का आयोजन पलनवाला सेक्टर में हुआ। प्रतियोगिता में एयर राइफल और पिस्टल शूटिंग शामिल थी। कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर आयोजित अनूठी प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों को हथियार चलाने और फायरिंग तकनीक की मूल बातें सिखाई गईं।

 

इस पहल का मुख्य उद्देश्य लड़कियों में आत्मविश्वास और आत्मरक्षा की भावना पैदा करना था, साथ ही उन्हें भविष्य में देश की रक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करना था। प्रतियोगिता सात दिनों के प्रशिक्षण के बाद आयोजित की गई, जिसमें बच्चों ने अपने हाथों से फायरिंग की।

प्रतियोगिता में 50 लड़कियां हुईं शामिल

सेना की इस पहल ने ग्रामीण लड़कियों में जबरदस्त उत्साह भर दिया। नतीजतन, प्रतियोगिता में लगभग 50 लड़कियों ने भाग लिया और अपने उल्लेखनीय कौशल का प्रदर्शन किया। अपनी खुशी जाहिर करते हुए एक प्रतिभागी ने कहा, "सेना की इस पहल से मैं बहुत उत्साहित हूं। इस कार्यक्रम ने मुझे आत्मविश्वास दिया है और अपने अंदर एक नई प्रतिभा को पहचानने में मदद की है। मैं इस हुनर को और आगे बढ़ाना चाहती हूं और राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाना चाहती हूं।" 

ये थे प्रतियोगिता के दो मुख्य उद्देश्य

सेना के अधिकारियों के अनुसार, इस पहल के दो मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और एक मजबूत और सक्षम नागरिक तैयार करना है जो देश की रक्षा और उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। प्रतियोगिता के दौरान कुछ लड़कियों ने एयर राइफल और पिस्टल शूटिंग में असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। अगर सही समय पर सही संसाधन और मार्गदर्शन प्रदान किया जाए तो ये लड़कियां राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं।

शी जिनपिंग ने अचानक किया PLA आर्मी में बड़ा फेरबदल, कई जनरलों को हटाया; जानें क्या है वजह

डेस्क: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश के सशस्त्र बलों को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए जोरदार अभियान चला रहे हैं. उन्होंने मेजर मिलिट्री रिफॉर्म्स को भी लागू किया है. इसी क्रम में शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में बड़े स्तर पर सफाई अभियान चलाया है. इसके साथ ही उन्होंने टॉप के अधिकारियों और रक्षा मंत्रियों को भी बर्खास्त किया है.

15 नवंबर, 2012 को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया है. इस दौरान, उन्होंने भ्रष्टाचार, अक्षमता, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और पीएलए में सुधारों का विरोध करने के कारण बड़ी संख्या में शीर्ष अधिकारियों के अलावा दो रक्षा मंत्रियों और सीएमसी के कम से कम दो उपाध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया.  

2014 से अब तक 52 जनरलों को हटाया गया

19 जून को यानान में एक राजनीतिक-सैन्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए जिनपिंग ने स्वीकार किया कि चीनी सेना की राजनीति, विचारधारा, कार्यशैली और अनुशासन में “गहरी समस्याएं” हैं. सरकारी सीसीटीवी ने उनके हवाले से कहा, “सेना में भ्रष्ट तत्वों के लिए कोई छिपने की जगह नहीं होनी चाहिए.” हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से अब तक करीब 52 शीर्ष जनरलों को हटाया गया है.

इसके अलावा, 2012 से अब तक पीएलए के 65 से अधिक शीर्ष अधिकारियों, कमांडरों और निदेशकों को हटाया जा चुका है, जबकि आठ अन्य जनरलों के खिलाफ भ्रष्टाचार और इससे संबंधित आरोपों की जांच की जा रही है. हालांकि इन लोगों को अभी सजा नहीं दी गई है.  

4 हजार से ज्यादा अधिकारी भ्रष्टाचार विरोधी जांच के दायरे में

दरअसल, 2015 में पीएलए डेली में छपी एक रिपोर्ट से पता चला कि 2013 से लेकर अब तक सिर्फ दो सालों में लेफ्टिनेंट कर्नल और उससे ऊपर के रैंक के 4,024 अधिकारी भ्रष्टातार विरोधी जांच के दायरे में आए. इनमें 82 जनरल शामिल भी हैं. इसके बाद 21 कमांडरों और 144 अधिकारियों को डिमोशन किया गया और कम से कम 77 को फटकार लगाई गई.

मणिपुर में नहीं थम रहा हिंसा का दौर! उग्रवादियों ने घात लगाकर किया हमला, 1 CRPF जवान शहीद

डेस्क: मणिपुर के जिरीबाम जिले में हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां पुलिस के साथ संयुक्त पैट्रोलिंग टीम पर संदिग्ध उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया. इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक जवान शहीद हो गया जबकि, पुलिस के कमांडो घायल हो गए. फिलहाल, तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.

मणिपुर पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि असम की सीमा से लगे जिले में संयुक्त गश्ती दल पर संदिग्ध उग्रवादियों ने भारी गोलीबारी की. उस दौरान सीआरपीएफ का जवान गश्ती एसयूवी के पास चल रहा था, तभी संदिग्ध उग्रवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमने भी जवाबी कार्रवाई की. जिसके बाद उग्रवादियों ने जंगल की आड़ लेकर घटनास्थल से भागने में कामयाब हो गए. फिलहाल, पुलिस का तलाशी अभियान चल रहा है.

CM ने कुकी उग्रवादियों के हमले पर की कड़ी निंदा

इस दौरान सूबे के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने पुलिस पर हुए हमले को लेकर एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मैं आज जिरीबाम जिले में कुकी उग्रवादियों के संदिग्ध एक सशस्त्र समूह द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ के एक जवान की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं. उन्होंने आगे कहा कि कर्तव्य की राह पर उनका सर्वोच्च बलिदान बेकार नहीं जाएगा. सीएम ने कहा कि मैं मृतक जवान के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं, साथ ही हमले के दौरान घायल हुए लोगों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं.

मणिपुर में एक साल से जारी है हिंसा 

बता दें कि, मणिपुर में पिछले साल से मई से जारी हिंसा से अब तक जिरीबाम अप्रभावित रहा है. यहां भी मेइती, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी लोग रहते हैं. वहीं, इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी लोगों के बीच पिछले साल मई से जारी जातीय हिंसा में कई सैंकड़ों से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और हजारों लोग बेघर हो गए थे. वहीं, पिछले साल मई महीने में लगी हिंसा की आग के बाद से लगातार गोलीबारी और हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं.

केजरीवाल कोमा में जा सकते हैं', जेल में 8.5 किलो वजन गिरा, 5 बार शुगर लेवल हुआ कम, संजय सिंह ने किया दावा

 आप सांसद संजय सिंह ने अरविंद केजरीवाल की सेहत से जुड़ी चौंकाने वाली बात बताई है. संजय सिंह ने एक बार फिर भाजपा पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार का मकसद केजरीवाल को जेल में रखकर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करना है. आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने शनिवार को दावा किया कि भाजपा और उसकी केंद्र सरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जिंदगी से खेल रही है, जिनका वजन जेल में रहने के दौरान 8.5 किलोग्राम कम हो गया है और शुगर लेवल 50 मिलीग्राम/डीएल से नीचे पांच बार जा चुका है.

जेल से नहीं आए तो हालात खराब

सिंह के दावों पर भाजपा की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘उनकी स्वास्थ्य स्थिति ऐसी है कि अगर उन्हें जल्द जेल से बाहर नहीं लाया गया और इलाज नहीं किया गया तो उनके साथ कोई भी गंभीर घटना घट सकती है.’’

संजय सिंह ने बताया‌ कि डॉक्टरों के मुताबिक ऐसी हालत में कोई कोमा में भी जा सकता है. रात के समय जेल कोई डॉक्टर भी नहीं रहता. संजय सिंह ने कहा, जरूरत इस बात है कि केजरीवाल को जेल से बाहर निकालकर उनकी अच्छे से जांच और उपचार कराया जाए. लेकिन केंद्र सरकार उन्हें जेल से बाहर आने ही नहीं दे रही. ऐसे में उनके साथ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है.

संजय सिंह ने जालंधर के उप चुनाव में आप प्रत्याशी की जीत पर बधाई देते हुए कहा कि वहां राज्य सरकार बहुत मजबूत है, जनता भी सरकार के काम से खुश है. जबकि जो आप को छोड़कर गया, उसकी राजनीति ही खत्म हो गई.

सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में से 10 में मिली जीत पर बोले राहुल गांधी, भारत की जनता ने लोकतंत्र और संविधान को बचाया

विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के सदस्यों ने सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में से 10 में जीत हासिल की और कहा कि ये परिणाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ बढ़ते असंतोष को दर्शाते हैं, जिसने 10 जुलाई को हुए मतदान में से केवल दो निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की। ​​जीत के बाद, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा द्वारा बुना गया “भय और भ्रम” का जाल टूट गया है।

राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर हिंदी में लिखा, “भारत की जनता ने संविधान और लोकतंत्र को बचा लिया है। देश की वंचित और गरीब आबादी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए भारत के साथ खड़ी है। गठबंधन के सभी सहयोगियों और कांग्रेस के शेर कार्यकर्ताओं को बधाई।” नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “सात राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा द्वारा बुना गया ‘भय और भ्रम’ का जाल टूट चुका है। किसान, युवा, मजदूर, व्यापारी, नौकरीपेशा समेत हर वर्ग तानाशाही को खत्म कर न्याय का राज स्थापित करना चाहता है।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इंडिया ब्लॉक सदस्यों की जीत की प्रशंसा की और कहा कि यह जीत दर्शाती है कि लोगों ने “भाजपा के अहंकार, कुशासन और नकारात्मक राजनीति” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। हालांकि, भाजपा ने इस जश्न को लेकर विपक्षी गठबंधन का मजाक उड़ाया और भारतीय जनता पार्टी के उत्साह में सेंध लगाते हुए तर्क दिया कि सत्तारूढ़ पार्टी के पास तो उपचुनाव वाली 13 सीटें भी नहीं हैं।

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जिन तीन सीटों पर चुनाव हुआ, वे पहले निर्दलीयों के पास थीं, जबकि उत्तराखंड में दोनों सीटें कांग्रेस के पास थीं। बुधवार को भारत के सात राज्यों की 13 सीटों पर मतदान हुआ। इनमें पश्चिम बंगाल की चार, उत्तराखंड की दो, हिमाचल प्रदेश की तीन और पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु की एक-एक सीट शामिल हैं।

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर लिया बड़ा फैसला, विधानसभा चुनाव से पहले उठाया ये बड़ा कदम

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर का बड़ा फैसला लिया है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ताकत बढ़ा दी है. जम्मू-कश्मीर में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 में संशोधन किया है. इसके बाद अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल के पास होगा.

इस संशोधन से पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित मामलों में उपराज्यपाल की शक्ति और अधिक बढ़ जएगी. उनके काम करने का दायरा भी बढ़ जाएगा. लगभग सभी क्षेत्रों में उन्हे वो सारे अधिकार मिल जाएंगे, जिसमें जिसमें वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी है. इसमें LG को अधिक शक्ति प्रदान करने वाले नियम जोड़े गए हैं.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन के बाद पुलिस, पब्लिक ऑर्डर, ऑल इंडिया सर्विस और एंटी करप्शन ब्यूरो से रिलेटेड प्रस्तावों पर वित्त विभाग की सहमति के बिना फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा. 42A- डिपार्टमेंट ऑफ लॉ, जस्टिस एंड पार्लियामेंट्री अफेयर्स विभागों में वकील-एडवोकेट जनरल और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मुख्य सचिव और सीएम के जरिए उपराज्यपाल के समक्ष पेश किया जाएगा. 42B-अभियोजन स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा.

मोदी सरकार के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाया है. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने पर उन्होंने कहा है कि अब छोटी से छोटी नियुक्ति के लिए भीख मांगनी पड़ेगी. जम्मू-कश्मीर को रबर स्टांप मुख्यमंत्री नहीं चाहिए. जम्मू-कश्मीर के लोग बेहतर सीएम के हकदार हैं.